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शुक्रवार, 27 अगस्त 2021

कनखजूरा अगर किसी इंसान के कान में चला जाता है तो फिर क्या होता है?


कानखजूरा(खनखजूरा) के कुछ चित्र नीचे प्रदर्शित किये गये हैँ जो GOOGLE से प्राप्त हुए हैँ।

जब कानखजूर कान मेँ चला जायेगा तो आगे मार्ग न मिलने से स्वतः लौटेगा पर इसी बीच लोग घबड़ा कर उसे निकालने का प्रयास करने लगते हैँ जो कि स्वाभाविक है पर इस प्रयास के फलस्वरूप कानखजूरा भी घबड़ा जाता है और आत्मरक्षा हेतु अधिकतर काट लेता है। इसका विष मधुमख्खी के डङ्क के समान ही कष्टकारक है। रक्त मेँ ऑक्सीजन कम होने लगती है और पीड़ित को नीन्द आने लगती है या अचेतावस्था मेँ भी पहुँच सकता है।

घरेलू उपचार यह है कि काटे हुए स्थान पर चूना लगा देँ या मिट्टी का तेल लगाकर रगड़ देँ साथ ही साथ चिकित्सक से तत्काल सम्पर्क करेँ।


कनखजूरा काटने का उपचार, कनखजूरा से छुटकारा पाने का आसान घरेलू उपाय


कनखजूरा काटने का उपचार – कनखजूरा नमी वाले स्थान पर ज्यादा पाया जाता है। कनखजूरा तभी काटता है जब या तो वह भूखा हो या फिर अपनी आत्मरक्षा में। बदलते मौसम में कनखजूरा कई बार घर में या फिर किचन में भी आ जाते हैं। कनखजूरा का डंक काफी दर्दनाक होता है। इसका जहर कई समस्याएं उत्पन्न करता है।

कनखजूरा अगर किसी चूहे को काट ले तो उसकी तत्काल मौत हो जाती है। हालांकि इंसान इस मामले में कुछ भाग्यशाली है। यदि कनखजूरा काट ले तो घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इंसान की इससे मौत नहीं होती है। इंसान को कनखजूरा के काटने से बहुत दर्द होता है।

कनखजूरा जब किसी इंसान को काटता है तो उससे इंसान के शरीर में ऑक्सीजन की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। शरीर में ऐंठन होने लगती है। शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दर्द रहता है। हालांकि व्यक्ति की मौत नहीं होती है।

कनखजूरा के काटने से इंसान को थकान महसूस होता है। ऐसा खून में ऑक्सीजन की प्रक्रिया धीमी होने की वजह से होता है। जब कनखजूरा किसी इंसान को काट ले तो तुरंत ही डॉक्टर से इसका ईलाज करवाना चाहिए। लेकिन कुछ घरेलु उपचार भी हैं जिसका उपयोग कर कनखजूरा के जहर को कम किया जा सकता है।

कई छोटे रेंगने वाले जीव ऐसे होते हैं जिसके काटने से मनुष्य की मृत्यु तक हो जाती है। कनखजूरा उन्हीं जीवों में से एक है। हालांकि मौत होने का आंकड़ा बहुत कम है। कई बार यह शरीर पर चिपक जाता है तो कई बार कान में घुस जाता है। आइए जानते हैं कनखजूरा काटने का उपचार –

कनखजूरा काटने का इलाज
कनखजूरा काटने का उपचार
कनखजूरा काटने का उपचार (घरेलू उपचार)

1. यदि किसी व्यक्ति के कान में कनखजूरा घुस जाए तो तुरंत ही पानी में सेंधा नमक मिलाकर कान में डालना चाहिए। इससे कनखजूरा या तो मर जाता है या फिर वो पानी के साथ ही बाहर निकल जाता है।

2. किसी व्यक्ति को जब कनखजूरा काट ले तो दारू, हल्दी और सेंधा नमक की बराबर मात्रा लेकर पीसकर साफ कपड़े में छान लेना चाहिए। पीसे हुए मिश्रण में गाय का घी मिलाकर लेप बनाएं और उसे काटे गए स्थान पर लगाएं। इससे विष का असर खत्म होने लगेगा।

3. यदि कनखजूरा किसी इंसान के किसी अंग में चिपक जाए तो तुरंत चीनी या चीनी का भूरा लेकर कनखजूरा के मुह पर डालें। इससे तुरंत आराम मिलता है।

4. कनखजूरा या फिर बिच्छू काटने पर प्याज का लेप लगाना चाहिए। प्याज का लेप इसमें काफी असरदार होता है। प्याज का लेप लगाने से विष तुरंत ही निकल जाएगा।

कनखजूरा काटने का इलाज कैसे करें
कनखजूरा काटने का उपचार कैसे करें?
कनखजूरा से छुटकारा कैसे पाएं?

कनखजूरे या फिर छोटे कीड़े-मकौड़े को सड़े-गले पौधे और गीली पत्तियों को खाना पसंद होता है। घर, फुलवारी, बगीचे या फिर आसपास जहां पर इसे नमी वाली जगह मिलती है, घुस जाते हैं। ऐसे में कनखजूरा से छुटकारा पाने के लिए इन तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं-

1. अपने घर या बगीचे में एक टीन का डिब्बा ले और उसमें डेढ़ इंच तक वनस्पति तेल से भर दें। वनस्पति का तेल कनखजूरों को आकर्षित करता है। कनखजूरा आकर्षित होकर रेंगते हुए आएंगे और तेल में डूब जाएंगे।

2. अपने घर की नींव के चारों ओर और नमी वाले स्थानों पर कीटनाशकों का छिड़काव करें। फुलवारी और बगीचे में सड़ी हुई घास पर अच्छी तरह से कीटनाशकों का छिड़काव करें। अगर इससे कनखजूरा पर कोई असर नहीं होता है तो पायसीकरणीय कीटनाशक (emulsifiable insecticide) को पानी में मिलाकर प्रयोग करें। इससे जमीन के नीचे छिपे कनखजूरे भी निकल जाएंगे।

3. कई जानवर हैं जो कनखजूरे की संख्या को कम करने में मदद करते हैं। मेढ़क और चिड़ियां इसका शिकार करते हैं। पक्षियों और मेढ़कों को बगीचे में आकर्षित करें। यह जीव कनखजूरे का प्राकृतिक शिकारी होते हैं। यह कनखजूरे की संख्या को कम करने में मदद करेंगे। पक्षियों को आकर्षित करने के लिए घोसले बनाएं। चारा दें। यह कनखजूरा से मुक्ति दिला सकते हैं।

वह पौधा चुंबक की तरह धन को आकर्षित करता है


 

पौधा चुंबक की तरह धन को आकर्षित करता है । यह पौधा अंबानी के घर में भी लगाया जाता है । ज्यादातर लोग अपने घर को सजाने के लिए कई तरह के पौधे लगाते हैं । इसके अलावा , वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुसार , कई लोग अपने घर के अंदर कुछ पौधों को रखते हैं ।

ताकि उसका अच्छा प्रभाव उसके घर पर पड़े । अगर आपके घर के अंदर वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार पौधे लगाए जाते हैं , तो आपको इससे अच्छा लाभ मिलता है ।

यूं तो आपने अपने आस – पास बहुत सारे पौधे देखे होंगे , लेकिन शायद ही आपमें से किसी ने घर पर ऐसा पौधा देखा होगा जो चुंबक की तरह पैसे को आकर्षित करता हो । जी हां , आज हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं , जो लगभग हर अमीर व्यक्ति के घर में लगाया जाता है और उन्हें चुंबक की तरह पैसा आकर्षित करने में मदद करता है । तो चलिए आपको बताते हैं कि यह पौधा कौन सा है जो धन खींचने में मदद करता है ।

इस पौधे का नाम मयूर बर्ड है । यह सुनने में आपको थोड़ा अजीब लग सकता है , लेकिन सच्चाई यह है कि दुनिया के लगभग सभी अमीर लोगों के घरों में आप इन पौधों को जरूर पा सकते हैं जो पैसा खींचते हैं । अगर यह मोर का पौधा आपके घर में लगाया जाए तो यह आपके घर की सभी परेशानियों को दूर कर देगा । और साथ ही आपके घर में हमेशा के लिए सुख और समृद्धि का वास होता है । इसके अलावा , इन पौधों को बहुत शुभ माना जाता है ।

अगर घर में मोर को सही जगह पर लगाया जाए तो यह बहुत फायदेमंद हो सकता है । ऐसा कहा जाता है कि जब भी आप इस पौधे को लगाते हैं , तो इसे जोड़े में ही लगाएं , नहीं तो सिर्फ पौधे लगाने से कोई फायदा नहीं होता । इन पौधों को हमेशा घर के मुख्य दरवाजे के पास एक दूसरे के सामने लगाया जाना चाहिए । ज्योतिष के अनुसार , यह माना जाता है कि जो पौधे लगाए जाते हैं , वे घर में कभी भी नकारात्मकता नहीं रखते हैं ।

आपको जानकर हैरानी होगी कि लेकिन सच्चाई यह है कि अंबानी के घर में भी मयूर बर्ड का यह पौधा लगाया है और उन्हें भी इस पौधे पर अटूट विश्वास है । इस पौधे की महिमा जानने के बाद , यह कहा जाता है कि जिस घर में यह पौधा पाया जाता है , वहां धन से संबंधित कोई समस्या नहीं होती है । मोर के पंखों का विवरण देव वाहिनी तंत्र में दिया गया है । मोर के पंखों का सभी शास्त्रों , ग्रंथों , वस्तुओं और ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान है । मोर के पंखों को घर में ऐसे स्थान पर रखें जहां यह आसानी से दिखाई दे । मोर के पंखों को घर में रखने का महत्व भी एक धार्मिक प्रयोग है ।

चित्र गूगल से लिए है।

डायरेक्ट-सैलिंग बिज़नेस इसे अपने काम के साथ-साथ भी कर सकते

*JOB*
English में सुनने में कितना अच्छा लगता है ना
*लेकिन*
हिंदी में बोलते है *नोकरी* जिसका मतलब होता है 👉 *नोकर*
*उर्दू* में बोलते हैं *गुलाम* जिसका अपना कोई मर्जी नहीं चलता  !!
दोस्तों हम 12th तक पड़ते है जिंदगी के 12 साल दिए पड़ने में
उसके बाद 3 साल का Graduation
उसके बाद 2 साल की 
*मास्टर डिग्री* 17 साल पढ़ाई की 
उसके बाद किसी *कंपनी*
इंटरव्यू के लिए जाते है।
पढ़ाई में लाखो रूपये खर्च करने के बाद
सामने बैठा हुआ शक्स यह निर्णय लेता है कि 
आपको महीने में कितनी सेलेरी मिलेगी।
1 बात सोचो की पढ़ाई की आपने पैसा लगाया आपने 
तो वो सामने बैठने वाला शख्स कोन होता है आपके दाम लगाने वाला।
की आपको कितनी सेलेरी देना चाहिए
इसमें आपकी कोई गलती नहीं है दोस्तों 
दरअसल आप जहाँ रहते है
आपके *माता-पिता* आपके पडोसी रिश्तेदार लोगो ने आपके दिमाग में एक ही बात डाल रखी है 
की बेटा तुमको अच्छे से पढ़ाई करना है और एक अच्छी *नोकरी* करना है
ये *नोकरी* करने का *कीड़ा* सब लोगो ने आपके दिमाग में भर रखा है।
*लेकिन* 
एक बार सोचो की *नोकरी* करने से क्या होता है 
आप अपने दिन के *24 घंटो* में से *10 घंटे* आपके बॉस को देते हो और उनसे *10000* रूपये लेते हो 
कोई कोई दिन के *14 घंटे* देकर *15000* रूपये लेता है 
इसका मतलब साफ़ है कि आप अपना *समय* *बेंच* रहे हो 
आप आपके बॉस को *1 लांख* का प्रॉफिट देते हो तब जाकर आपको *10 हजार* रूपये मिलते है 
सीधा गणित है आपको आपकी *मेहनत* का *10%* मिलता है 
आपके जैसे हजारो लोग 
*1 कंपनी* में काम करते है
आपका बॉस आपका 
*Time*
*Talent*
*Quality*
*Effort*
*Luck*
सब इस्तेमाल करता है उसके बदले में आपको कुछ हजार रूपये देता हैं
लेकिन दोस्तों सोचिये 
जब आपके 
*टाइम*
*टेलेंट*
*लक*
*क्वालिटी* 
*एफर्ट*
इस्तेमाल करके आपका बॉस *करोड़पति* बन सकता है 
तो 
आप खुद अपना 
*टाइम*
*टेलेंट*
*लक*
*क्वालिटी*
*एफर्ट*
खुद के लिए इस्तेमाल करेंगे तो तो क्या आप करोड़पति नही बन सकते हो
नोकरीं करने वाला हमेशा 
अपने आप से *समझौता* करता है 
न *अच्छी बाइक* होती है।
न *कार* होती है।
न *अच्छा घर* है।
न *घूमना फिरना* होता है।
न ही कोई *लाइफस्टाइल* होती है।
हम *गरीब* पैदा हुए इसमें हमारी गलती नही 
लेकिन गरीब मर जाना *पाप* है}

दोस्तों यदि हम *direct selling*
में work करे तो हम भी अपने सारे *सपने* पूरे कर सकते ह
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*Re-routing*

क्या आपने देखा है कि अगर आप गलत मोड़ लेते हैं, तो Google मानचित्र कभी भी चिल्लाता नहीं है, निंदा नहीं करता या आपको डांटता भी नहीं है।

यह कभी अपनी आवाज नहीं उठाता और न ही ये कहता है-
"आपको आखिरी क्रॉसिंग पर बाएं जाना था, बेवकूफ! अब आपको लंबा रास्ता तय करना होगा और इसमें आपको बहुत अधिक समय लगने वाला है और आपको अपनी मीटिंग के लिए देर होने वाली है!

ध्यान देना सीखो और मेरे निर्देशों को सुनो, ठीक है???"
अगर उसने ऐसा किया, तो संभावना काफी है कि हम में से बहुत से लोग इसका इस्तेमाल करना बंद कर सकते हैं।
लेकिन Google केवल री-रूट करता है और आपको वहां पहुंचने का अगला सबसे अच्छा तरीका दिखाता है।

इसकी प्राथमिक रुचि आपको अपने लक्ष्य तक पहुँचाने में है, न कि आपको गलती करने के लिए बुरा महसूस कराने में। 
एक बहुत अच्छा सबक है ... अपनी निराशा और क्रोध को उन लोगों पर उतारना आसान है , जिन्होंने गलती की है।
विशेष रूप से उन लोगों पर जो हमारे करीबी और परिचित हैं। 

लेकिन सबसे अच्छा विकल्प समस्या को ठीक करने में मदद करना है, दोष देना नहीं।

क्या आपके पास हाल ही में री-रूटिंग क्षण थे ?
औरों के साथ भी और अपनों के साथ भी ? 

अपने बच्चों, जीवनसाथी, टीम के साथी और उन सभी लोगों के लिए Google मानचित्र बनें, जो आपके लिए मायने रखते हैं और जिनकी आपको परवाह है !!!
आइये हम स्वयं को re-routing मोड पर रखे ,चीजों को सृजनात्मक सकारात्मक सुंदर बनाये !

धन्यवाद।

गुरुवार, 26 अगस्त 2021

अपनी गलती हो या ना हो क्षमा मांग लेने से सब झगडे समाप्त हो जाते है


⭐  " *क्षमा"  ** ⭐
   
   *एक सेठ जी ने अपने दामाद को तीन लाख रूपये व्यापार के लिये दिये। उसका व्यापार बहुत अच्छा जम गया, लेकिन उसने रूपये ससुर जी को वापस नहीं लौटाये।*
     *आखिर दोनों में झगड़ा हो गया, झगड़ा भी इस सीमा तक बढ़ गया कि दोनों का एक दूसरे के यहाँ आना जाना बिल्कुल बंद हो गया। घृणा व द्वेष का आंतरिक संबंध अत्यंत गहरा हो गया। सेठ जी, हर समय हर संबंधी के सामने अपने दामाद की निंदा-निरादर व आलोचना करने लगे।*
      *सेठ जी अच्छे साधक भी थे, लेकिन इस कारण उनकी साधना लड़खड़ाने लगी। भजन पूजन के समय भी उन्हें दामाद का चिंतन होने लगा। मानसिक व्यथा का प्रभाव तन पर भी पड़ने लगा। बेचैनी बढ़ गयी। समाधान नहीं मिल रहा था। आखिर वे एक संत के पास गये और अपनी व्यथा सुनायी।*
     *संतश्री ने कहाः- 'बेटा ! तू चिंता मत कर। ईश्वरकृपा से सब ठीक हो जायेगा। तुम कुछ फल व मिठाइयाँ लेकर दामाद के यहाँ जाना और मिलते ही उससे केवल इतना कहना, 'बेटा ! सारी भूल मुझसे हुई है, मुझे "क्षमा" कर दो।'*
     *सेठ जी ने कहाः- "महाराज ! मैंने ही उनकी मदद की है और "क्षमा" भी मैं ही माँगू !"*
     *संतश्री ने उत्तर दियाः- "परिवार में ऐसा कोई भी संघर्ष नहीं हो सकता, जिसमें दोनों पक्षों की गलती न हो। चाहे एक पक्ष की भूल एक प्रतिशत हो दूसरे पक्ष की निन्यानवे प्रतिशत, पर भूल दोनों तरफ से होगी।"*
     *सेठ जी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। उसने कहाः- "महाराज ! मुझसे क्या भूल हुई ?"*
    *"बेटा ! तुमने मन ही मन अपने दामाद को बुरा समझा– यही है तुम्हारी पहली भूल।*
      *तुमने उसकी निंदा, आलोचना व तिरस्कार किया– यह है तुम्हारी दूसरी भूल।* 
     *क्रोध पूर्ण आँखों से उसके दोषों को देखा– यह है तुम्हारी तीसरी भूल।*
      *अपने कानों से उसकी निंदा सुनी– यह है तुम्हारी चौथी भूल।* 
      *तुम्हारे हृदय में दामाद के प्रति क्रोध व घृणा है– यह है तुम्हारी आखिरी भूल।*
     *अपनी इन भूलों से तुमने अपने दामाद को दुःख दिया है। तुम्हारा दिया दुःख ही कई गुना हो तुम्हारे पास लौटा है। जाओ, अपनी भूलों के लिए "क्षमा" माँगों। नहीं तो तुम न चैन से जी सकोगे, न चैन से मर सकोगे। क्षमा माँगना बहुत बड़ी साधना है। ओर तुम तो एक बहुत अच्छे साधक हो।"*
     *सेठ जी की आँखें खुल गयीं। संतश्री को प्रणाम करके वे दामाद के घर पहुँचे। सब लोग भोजन की तैयारी में थे। उन्होंने दरवाजा खटखटाया। दरवाजा उनके दोहीते ने खोला। सामने नानाजी को देखकर वह अवाक् सा रह गया और खुशी से झूमकर जोर-जोर से चिल्लाने लगाः "मम्मी ! पापा !! देखो कौन आये ! नानाजी आये हैं, नानाजी आये हैं....।"*
     *माता-पिता ने दरवाजे की तरफ देखा। सोचा, 'कहीं हम सपना तो नहीं देख रहे !' बेटी हर्ष से पुलकित हो उठी, 'अहा ! पन्द्रह वर्ष के बाद आज पिताजी घर पर आये हैं।' प्रेम से गला रूँध गया, कुछ बोल न सकी। सेठ जी ने फल व मिठाइयाँ टेबल पर रखीं और दोनों हाथ जोड़कर दामाद को कहाः- "बेटा ! सारी भूल मुझसे हुई है, मुझे क्षमा करो ।"*
     *"क्षमा" शब्द निकलते ही उनके हृदय का प्रेम अश्रु बनकर बहने लगा। दामाद उनके चरणों में गिर गये और अपनी भूल के लिए रो-रोकर क्षमा याचना करने लगे। ससुरजी के प्रेमाश्रु दामाद की पीठ पर और दामाद के पश्चाताप व प्रेममिश्रित अश्रु ससुरजी के चरणों में गिरने लगे।*
    *पिता-पुत्री से और पुत्री अपने वृद्ध पिता से क्षमा माँगने लगी। क्षमा व प्रेम का अथाह सागर फूट पड़ा। सब शांत, चुप, सबकी आँखों से अविरल अश्रुधारा बहने लगी। दामाद उठे और रूपये लाकर ससुरजी के सामने रख दिये। ससुरजी कहने लगेः "बेटा ! आज मैं इन कौड़ियों को लेने के लिए नहीं आया हूँ। मैं अपनी भूल मिटाने, अपनी साधना को सजीव बनाने और द्वेष का नाश करके प्रेम की गंगा बहाने आया हूँ ।*
     *मेरा आना सफल हो गया, मेरा दुःख मिट गया। अब मुझे आनंद का एहसास हो रहा है।"*
    *दामाद ने कहाः- "पिताजी ! जब तक आप ये रूपये नहीं लेंगे तब तक मेरे हृदय की तपन नहीं मिटेगी। कृपा करके आप ये रूपये ले लें।*
     *सेठ जी ने दामाद से रूपये लिये और अपनी इच्छानुसार बेटी व नातियों में बाँट दिये । सब कार में बैठे, घर पहुँचे।*
      *पन्द्रह वर्ष बाद उस अर्धरात्रि में जब माँ-बेटी, भाई-बहन, ननद-भाभी व बालकों का मिलन हुआ तो ऐसा लग रहा था कि मानो साक्षात् प्रेम ही शरीर धारण किये वहाँ पहुँच गया हो।*
    *सारा परिवार प्रेम के अथाह सागर में मस्त हो रहा था। "क्षमा" माँगने के बाद उस सेठ जी के दुःख, चिंता, तनाव, भय, निराशारूपी मानसिक रोग जड़ से ही मिट गये और साधना सजीव हो उठी।*
     *हमें भी अपने दिल में "क्षमा" रखनी चाहिए अपने सामने छोटा हो या बडा अपनी गलती हो या ना हो क्षमा मांग लेने से सब झगडे समाप्त हो जाते है।*

🌹 *क्षमा विरस्यभूषणम*👏🏻
*क्षमा ही मनुष्य का सबसे बड़ा गहना है😊 क्षमा मांगने वाला कभी छोटा नहीं हो जाता परन्तु क्षमा करने वाला बड़ा अवश्य हो जाता है भौतिकता में भी आध्यात्मिकता में भी😊💐 इसलिए अपने अंदर कोई ग्लानि या निंदा क्रोध व द्वेष न रखें इससे मन सदैव दिमाग पर कोई बोझ नहीं रहेगा हमेशा तरोताजा महसूस होगा प्रेममयी तथा प्रसन्नचित्त रहेगा।

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