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रविवार, 5 सितंबर 2021

जन्म आधारित जातीय व्यवस्था हिन्दुओं को कमजोर करने के लिए लाई गई थी।

चलिए हजारों साल पुराना इतिहास पढ़ते हैं।

सम्राट शांतनु  ने विवाह किया एक मछुवारे की पुत्री सत्यवती  से। उनका बेटा ही राजा बने इसलिए भीष्म ने विवाह न करके,आजीवन संतानहीन रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की।

सत्यवती के बेटे बाद में क्षत्रिय बन गए, जिनके लिए भीष्म आजीवन अविवाहित रहे, क्या उनका शोषण होता होगा?

महाभारत लिखने वाले वेद व्यास भी मछवारे थे, पर महर्षि बन गए, गुरुकुल चलाते थे वो।

विदुर, जिन्हें महा पंडित कहा जाता है वो एक दासी के पुत्र थे , हस्तिनापुर के महामंत्री बने, उनकी लिखी हुई विदुर नीति, राजनीति का एक महाग्रन्थ है।

भीम ने वनवासी हिडिम्बा  से विवाह किया।

श्रीकृष्ण दूध का व्यवसाय करने वालों के परिवार से थे,
उनके भाई  बलराम खेती करते थे , हमेशा हल साथ रखते थे।

यादव क्षत्रिय  रहे हैं, कई प्रान्तों पर शासन किया और श्रीकृषण सबके पूजनीय हैं, गीता जैसा ग्रन्थ विश्व को दिया।

राम के साथ वनवासी निषाद राज गुरुकुल में पढ़ते थे‌ ।

उनके पुत्र  लव कुश महर्षि वाल्मीकि के गुरुकुल  में पढ़े जो  वनवासी थे और पहले डाकू थे।

तो ये हो गयी वैदिक काल की बात, स्पष्ट है कोई किसी का शोषण नहीं करता था,सबको शिक्षा का अधिकार था, कोई भी पद तक पहुंच सकता था अपनी योग्यता के अनुसार।

वर्ण सिर्फ काम के आधार पर थे वो बदले जा सकते थे  जिसको आज इकोनॉमिक्स में डिवीज़न ऑफ़ लेबर कहते हैं वो ही।

प्राचीन भारत की बात करें, तो भारत के सबसे बड़े जनपद मगध पर जिस  नन्द वंश का राज रहा वो जाति से नाई थे ।

नन्द वंश की शुरुवात महापद्मनंद ने की थी जो की राजा नाई थे।बाद में वो राजा बन गए फिर उनके बेटे भी,बाद में सभी क्षत्रिय ही कहलाये।

उसके बाद  मौर्य वंश  का पूरे देश पर राज हुआ, जिसकी शुरुआत  चन्द्रगुप्त से हुई,जो कि एक मोर पालने वाले परिवार से थे और एक  ब्राह्मण चाणक्य ने उन्हें पूरे देश का सम्राट बनाया। 506 साल देश पर मौर्यों का राज रहा।

फिर  गुप्त वंश  का राज हुआ, जो कि  घोड़े का अस्तबल चलाते थे और घोड़ों का व्यापार करते थे।140 साल देश पर गुप्ताओं का राज रहा।

केवल  पुष्यमित्र शुंग  के 36 साल के राज को छोड़ कर 92% समय प्राचीन काल में देश में शासन उन्हीं का  रहा, जिन्हें आज दलित पिछड़ा कहते हैं तो शोषण कहां से हो गया?

 यहां भी कोई शोषण वाली बात नहीं है।

फिर शुरू होता है मध्यकालीन भारत का समय जो सन् 1100 ई०- 1750ई० तक है, इस दौरान अधिकतर समय, अधिकतर जगह मुस्लिम शासन रहा।

अंत में  मराठों का उदय हुआ, बाजी राव पेशवा जो कि ब्राह्मण थे,ने  गाय चराने वाले गायकवाड़  को गुजरात का राजा बनाया, चरवाहा जाति के होलकर को मालवा का राजा बनाया।

अहिल्या बाई होलकर  खुद बहुत बड़ी शिवभक्त थी।

ढेरों मंदिर गुरुकुल उन्होंने बनवाये।

मीरा बाई जो कि राजपूत थी, उनके गुरु एक चर्मकार रविदास थे और रविदास के गुरु ब्राह्मण रामानंद थे|।

यहां भी शोषण वाली बात कहीं नहीं है।

मुग़ल काल से देश में गंदगी शुरू हो गई  और यहां से
पर्दा प्रथा, गुलाम प्रथा, बाल विवाह  जैसी चीजें शुरू होती हैं।

1800ई०-1947 ई० तक अंग्रेजो के शासन  रहा और यहीं से जातिवाद  शुरू हुआ ।

जो उन्होंने फूट डालो और राज करो की नीति के तहत किया।

अंग्रेज अधिकारी  निकोलस डार्क की किताब "कास्ट ऑफ़ माइंड" में मिल जाएगा कि कैसे अंग्रेजों ने जातिवाद, छुआछूत को बढ़ाया और कैसे स्वार्थी भारतीय नेताओं ने अपने स्वार्थ में इसका राजनीतिकरण किया।

इन हजारों सालों के इतिहास में

देश में कई विदेशी आये  जिन्होंने भारत की सामाजिक स्थिति पर किताबें लिखी हैं, जैसे कि मेगास्थनीज  ने इंडिका लिखी, फाहियान,ह्यू सांग और ‌अलबरूनी जैसे कई। किसी ने भी नहीं लिखा की यहां किसी का शोषण होता था।

योगी आदित्यनाथ जो ब्राह्मण नहीं हैं, गोरखपुर मंदिर के महंत  हैं, पिछड़ी जाति की उमा भारती  महा मंडलेश्वर रही हैं। जन्म आधारित जातीय व्यवस्था हिन्दुओं को कमजोर करने के लिए लाई गई थी।

इसलिए भारतीय होने पर गर्व करें और घृणा, द्वेष और भेदभाव के षड्यंत्र से खुद भी बचें और औरों को भी बचाएं

सौ मर्ज की एक दवा - गिलोय

 🙏 गिलोय 🙏



 गिलोय एक ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है। कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।

इसका वानस्पतिक नाम ( Botanical name) टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया (tinospora cordifolia) है।
इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती।

इसके बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते हैं ।

  🙏 रोग प्रतिरोधी क्षमता 🙏

गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर  बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं।
 यह खून को साफ करती है और  बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है। लीवर और किडनी की  कार्य क्षमता  को बढ़ाती है।

          🙏 बुखार 🙏

अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए। गिलोय हर तरह के बुखार से लडऩे में मदद करती है। इसीलिए डेंगू के मरीजों को भी गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है। डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आने वाले बुखार से भी गिलोय छुटकारा दिलाती है।

         🙏 डायबिटीज 🙏

गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है। इसलिए इसके सेवन से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फायदा टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को होता है।

     🙏 पाचन शक्ति🙏

यह बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद कती है। इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बडिय़ों से बचा रहता है।

    🙏 तनाव (स्ट्रेस) 🙏

प्रतिस्पर्धा के इस दौर में तनाव या स्ट्रेस एक बड़ी समस्या बन चुका है। गिलोय एडप्टोजन की तरह काम करती है और मानसिक तनाव और चिंता (एंजायटी) के स्तर को कम करती है। इसकी मदद से न केवल याददाश्त बेहतर होती है बल्कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली भी दुरूस्त रहती है और एकाग्रता बढ़ती है।

    🙏 आंखों की रोशनी 🙏

गिलोय को पलकों के ऊपर लगाने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके लिए आपको गिलोय पाउडर को पानी में गर्म करना होगा। जब पानी अच्छी तरह से ठंडा हो जाए तो इसे पलकों के ऊपर लगाएं।

           🙏 अस्थमा 🙏

मौसम के परिवर्तन पर खासकर सर्दियों में अस्थमा को मरीजों को काफी परेशानी होती है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए या उसका जूस पीना चाहिए। इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा।

           🙏 गठिया 🙏

गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। गिलोय में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है।

            🙏 एनीमिया 🙏

भारतीय महिलाएं अक्सर एनीमिया यानी खून की कमी से पीड़ित रहती हैं। इससे उन्हें हर वक्त थकान और कमजोरी महसूस होती है। गिलोय के सेवन से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ जाती है और एनीमिया से छुटकारा मिलता है।

         🙏 कान का मैल 🙏

कान का जिद्दी मैल बाहर नहीं आ रहा है तो थोड़ी सी गिलोय को पानी में पीस कर उबाल लें। ठंडा करके छान के कुछ बूंदें कान में डालें। एक-दो दिन में सारा मैल अपने आप बाहर जाएगा।

         🙏 पेट की चर्बी 🙏

गिलोय शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिजम) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है। ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है।

          🙏 खूबसूरती 🙏

गिलोय न केवल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है, बल्कि यह त्वचा और बालों पर भी चमत्कारी रूप से असर करती है।
गिलोय में एंटी एजिंग गुण होते हैं, जिसकी मदद से चेहरे से काले धब्बे, मुंहासे, बारीक लकीरें और झुर्रियां दूर की जा सकती हैं। इसके सेवन से आप ऐसी निखरी और दमकती त्वचा  पा सकते हैं।

         🙏 घाव 🙏

अगर आप इसे त्वचा पर लगाते हैं तो घाव बहुत जल्दी भरते हैं। त्वचा पर लगाने के लिए गिलोय की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बनाएं। अब एक बरतन में थोड़ा सा नीम या अरंडी का तेल उबालें। गर्म तेल में पत्तियों का पेस्ट मिलाएं। ठंडा करके घाव पर लगाएं। इस पेस्ट को लगाने से त्वचा में कसावट भी आती है।

    🙏 बालों की समस्या 🙏

अगर आप बालों में ड्रेंडफ, बाल झडऩे या सिर की त्वचा की अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं तो गिलोय के सेवन से आपकी ये समस्याएं भी दूर हो जाएंगी।

🌷 गिलोय का प्रयोग कैसे करें 🌷

         🙏 गिलोय जूस 🙏

गिलोय की डंडियों को छील लें और इसमें पानी मिलाकर मिक्सी में अच्छी तरह पीस लें। छान कर सुबह-सुबह खाली पेट पीएं। अलग-अलग ब्रांड का गिलोय जूस भी बाजार में उपलब्ध है।

           🙏 काढ़ा 🙏

चार इंच लंबी गिलोय की डंडी को छोटा-छोटा काट लें। इन्हें कूट कर एक कप पानी में उबाल लें। पानी आधा होने पर इसे छान कर पीएं। अधिक फायदे के लिए आप इसमें लौंग, अदरक, तुलसी भी डाल सकते हैं।

           🙏 पाउडर 🙏

यूं तो गिलोय पाउडर बाजार में उपलब्ध है। आप इसे घर पर भी बना सकते हैं। इसके लिए गिलोय की डंडियों को धूप में अच्छी तरह से सुखा लें। सूख जाने पर मिक्सी में पीस कर पाउडर बनाकर रख लें।

       🙏 गिलोय वटी 🙏

बाजार में गिलोय की गोलियां यानी टेबलेट्स भी आती हैं। अगर आपके घर पर या आस-पास ताजा गिलोय उपलब्ध नहीं है तो आप इनका सेवन करें।

अरंडी यानी कैस्टर के तेल के साथ गिलोय मिलाकर लगाने से गाउट(जोड़ों का गठिया) की समस्या में आराम मिलता है।इसे अदरक के साथ मिला कर लेने से रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या से लड़ा जा सकता है।चीनी के साथ इसे लेने से त्वचा और लिवर संबंधी बीमारियां दूर होती हैं।आर्थराइटिस से आराम के लिए इसे घी के साथ इस्तेमाल करें।कब्ज होने पर गिलोय में गुड़ मिलाकर खाएं।

🙏साइड इफेक्ट्स का रखें ध्यान🙏

वैसे तो गिलोय को नियमित रूप से इस्तेमाल करने के कोई गंभीर दुष्परिणाम अभी तक सामने नहीं आए हैं लेकिन चूंकि यह खून में शर्करा की मात्रा कम करती है। इसलिए इस बात पर नजर रखें कि ब्लड शुगर जरूरत से ज्यादा कम न हो जाए।

 🙏गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय के सेवन से बचना चाहिए।पांच साल से छोटे बच्चों को गिलोय न दे।🙏

            🙏निवेदन🙏

अभी वर्षाऋतु का काल है अपने घर में बड़े गमले या आंगन में जंहा भी उचित स्थान हो गिलोय की बेल अवश्य लगायें यह बहु उपयोगी वनस्पति ही नही बल्कि आयुर्वेद का अमृत और ईश्वरीय  वरदान है।

प्रकृति को नायाब उपहार - अग्निहोत्र आधारित कृषि

प्रकृति को नायाब उपहार - अग्निहोत्र आधारित कृषि

कृषि कार्य एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य है, इसलिये ही तो किसान को अन्नदाता कहते है। आज जितने भी व्यवसाय दिखाई दे रहे हैं, वो किसी न किसी रूप में कृषि eउपज पर ही आधारित है, इसलिये किसान ही हमारे अर्थ शास्त्र की रीढ़ है। लेकिन फिर भी हमारा किसान इतना परेशान है, हताश है, दुखी है। वह रासायनिक खाद एवम कीटनाशक दवाइयों के चक्कर मे बर्बाद होगया है। उसकी भूमि की उर्वराशक्ति  श्रीण होती जा रही है।  अन्न ,फल, सब्जियां सब जहरीले हो  गये है।और यह जहर न केवल हमारे पेट मे  पहुच रहा है, बल्कि पूरे वायुमंडल को भी जहरीला बना रहा है।

वेदोक्त अग्निहोत्र एवम अग्निहोत्र कृषि प्राण ऊर्जा विज्ञान पर आधारित है, जो पूरे वायुमंडल में अमृत संजीवनी घोल देती है। इसलिये अग्निहोत्र एवम उसपर आधारित कृषि आज के समय की बहुत बड़ी आवश्यकता है। यह सुख, शांति ,समृद्धि एवम उत्तम स्वास्थ्य देता है। इसलिये कृषि ऐसी होनी चाहिये जिससे फसल बहुत अच्छी हो, सस्ती हो और जिसमे सद्कर्म हो*।
वैज्ञानिक प्रयोगों एवम अनेक किसानों के अनुभवों से यह सिद्ध हो चुका है कि खेत में अग्निहोत्र करने एवं कृषि में अग्निहोत्र भस्म का प्रयोग करने से ---



1 भूमि की उर्वरा शक्ति को बढाने वाले सूक्ष्म जीवाणु, क्रियाशील(activate) हो जाते है।

2 भूमि में केचुओं की संख्या में वृद्धि होती है।

3 भूमि की जल धारण करने की क्षमता भी बढ़ जाती है।

4 ऐसे विषाणु जो फसलों में बीमारी पैदा करते हैं, फसलों को नष्ट करते है, वेभी निष्क्रिय हो जाते है।

5 बंजर जमीन भी उपजाऊ बन जाती हैं एवं उसमे भी खेती संभव हो सकती है।

6 कृषि की लागत में अप्रत्याशित कमी आती है।

7 खाद्यान्न की गुणवत्ता बढ़ती है एवं पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में मिलते है।

एक महत्वपूर्ण तथ्य, जो वैज्ञानिक प्रयोगों से सामने आया है कि 95% माइक्रो न्यूट्रिएंट्स (micro nutrients) जो मिट्टी एवम फसलों के लिये आवश्यक है, वे सभी वायुमंडल में विद्यमान है। लेकिन व्याप्त प्रदूषण के कारण हमारी भूमि की मिट्टी(soil) एवम फसल उनको ग्रहण नही कर पाती । इसलिये भोले किसानों को खाद में बहुत पैसा व्यय करना पड़ता है और फसल की बिक्री पर कोई विशेष आमदनी नही हो पाती। अग्निहोत्र, प्रदूषण को दूर करने का सबसे शसक्त माध्यम हैऔर प्रदूषण दूर होने से फसलों को वायुमंडल में उपस्थित सभी पोषक तत्व (95%) प्राप्त हो जाते है और खाद के नाम पर किसानों को बहुत कम खर्च करना पड़ता है।
अग्निहोत्र भस्म में NPK की मात्रा क्रमश 0.34, 97 एवम 2.32 प्रतिशत  पाई जाती है। इसमें नाइट्रोजन एवम पोटाश की मात्रा रासायनिक खादों की तुलना बहुत ही कम है, फिर भी यह चमत्कारी एवम रहस्यपूर्ण भस्म किस प्रकार इतनी प्रभाबी है यही तो वैज्ञानिको के लिये शोध का विषय है।
एक अनुमान के अनुसार यह भस्म चुकि पिरामिड आकार के ताम्रपात्र में गाय के गोबर के कंडे की प्रज्बलित अग्नि में सूर्योदय एवम सूर्यास्त के समय चावल एवम गाय के घी की दो-दो बूंद मिलाकर, निश्चित मंत्रो के साथ दो आहुति देने के पश्च्यात तैयार होती है(यही अग्निहोत्र की विधि है) यह भस्म सम्पूर्ण दिन और रात पिरामिड आकार के पात्र के माध्यम से वातावरण की सूक्ष्म शक्तियों एवम सूर्य की ऊर्जा को खींचती रहती है और फिर औषधियुक्त हो जाती है। (माधवाश्रम द्वारा प्रकाशित अग्निहोत्र कृषि पुस्तक से साभार)

आज विश्व में अग्निहोत्र कृषि अपने नए आयाम स्थापित कर रहा है। विश्व के अग्निहोत्र केंद्र, माधवाश्रम भोपाल में श्री विवेक पोतदार जी के मार्गदर्शन में अग्निहोत्र कृषि के क्षेत्र में अत्यंत प्रसंशनीय कार्य हो रहा हैं और वैज्ञानिक भी अग्निहोत्र कृषि के परिणामों को देखकर अचंभित है। माधवाश्रम से मार्गदर्शन पाकर भारत वर्ष के बहुत से किसान भाई अग्निहोत्र कृषि से जुड़ रहे हैं।

पारिजात वृक्ष का आध्यात्मिक और औषधीय महत्व

 पारिजात का वृक्ष और हरसिंगार पुष्प जानिये क्या है इनका आध्यात्मिक और औषधीय महत्व

आइए जानते हैं इस दिव्य वृक्ष पारिजात के बारे में जिसे माननीय प्रधानमंत्री जी ने भूमि पूजन से पहले अयोध्या की पावन भूमि पर लगाया

 इस वृक्ष का सुगंधित पुष्प को हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है , बता दें कि पारिजात का पेड़ बहुत खूबसूरत होता है।

हिन्दू धर्म में इस वृक्ष का बहुत महत्व माना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि पारिजात को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकान मिट जाती है।

इसमें बहुत बड़ी मात्रा में फूल लगते हैं


पारिजात का वृक्ष ऊंचाई में दस से पच्चीस फीट तक का होता है। इसके इस वृक्ष की एक खास बात ये भी है कि इसमें बहुत बड़ी मात्रा में फूल लगते हैं। एक दिन में इसके कितने भी फूल तोड़े जाएं, अगले दिन इस में फिर से बड़ी मात्रा में फूल खिल जाते हैं। यह वृक्ष खासतौर से मध्य भारत और हिमालय की नीची तराइयों में अधिक उगता है।

सिर्फ पांच प्रजातियां पाई जाती हैं |

ये फूल रात में ही खिलता है और सुबह होते ही इसके सारे फूल झड़ जाते हैं। इसलिए इसे रात की रानी भी कहा जाता है। हरसिंगार का फूल पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प भी है। दुनिया भर में इसकी सिर्फ पांच प्रजातियां पाई जाती हैं।

पूजा के लिए इस वृक्ष से फूल तोड़ना पूरी तरह से निषिद्ध हैं

कहा जाता है कि धन की देवी लक्ष्मी को पारिजात के फूल अत्यंत प्रिय हैं। पूजा-पाठ के दौरान मां लक्ष्मी को ये फूल चढ़ाने से वो प्रसन्न होती हैं। खास बात ये है कि पूजा-पाठ में पारिजात के वे ही फूल इस्तेमाल किए जाते हैं जो वृक्ष से टूटकर गिर जाते हैं। पूजा के लिए इस वृक्ष से फूल तोड़ना पूरी तरह से निषिद्ध है।

भगवान श्री रामजी से क्या संबंध हैं

ऐसा कहा या माना जाता है क‍ि 14 साल के वनवास के दौरान सीता माता हरसिंगार के फूलों से ही अपना श्रृंगार करती थीं।

पारिजात के फूल को भगवान श्री हरि के श्रृंगार और पूजन में प्रयोग किया जाता है, इसलिए इस मनमोहक और सुगंधित पुष्प को हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है।

महाभारतकालीन पारिजात वृक्ष

बाराबंकी जिले के पारिजात वृक्ष को महाभारतकालीन माना जाता है जो लगभग 45 फीट ऊंचा है। मान्यता है कि परिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी, जिसे इन्द्र ने अपनी वाटिका में लगाया था। कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान माता कुंती ने पारिजात पुष्प से शिवपूजन करने की इच्छा जाहिर की थी। माता की इच्छा पूरी करने के लिए अर्जुन ने स्वर्ग से इस वृक्ष को लाकर यहां स्थापित कर दिया था। तभी से इस वृक्ष की पूजा अर्चना की जाती रही है।

पारिजात को कल्पवृक्ष भी कहा गया है

हरिवंश पुराण में पारिजात को कल्पवृक्ष भी कहा गया है। मान्यता है कि स्वर्गलोक में इसको स्पर्श करने का अधिकार सिर्फ उर्वशी नाम की अप्सरा को था। इस वृक्ष के स्पर्श मात्र से ही उर्वशी की सारी थकान मिट जाती थी। आज भी लोग मानते हैं कि इसकी छाया में बैठने से सारी थकावट दूर हो जाती है।

पारिजात अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है।

हर दिन इसके एक बीज के सेवन से बवासीर रोग ठीक हो जाता है।

 इसके फूल हृदय के लिए भी उत्तम माने जाते हैं। इनके फूलों के रस के सेवन से हृदय रोग से बचा जा सकता है।

इतना ही नहीं पारिजात की पत्तियों को पीस कर शहद में मिलाकर खाने से सूखी खांसी भी ठीक हो जाती है।

इसके फूल को पतले कपड़े में रख कर सूँघने से साइंनस की बीमारी में लाभ मिलता हैं और याददास्त तेज़ होती हैं।

पारिजात की पत्तियों से त्वचा संबंधित रोग ठीक हो जाते हैं।

 इन्हें सफ़ेद या लाल चंदन के साथ पीस कर इसका लैप मस्तक पर लगाने से सर दर्द में अति सीग्र आराम मिलता हैं |

अगर किसी को नींद नहीं आने की बीमारी हैं या बालों की कोई समस्या हैं तो इन परिजात फूलो के रस को सरसों के तेल में मिलाकर अपने बालों में इसे सप्ताह में एक से दो बार बालों में लगाए , बहुत जल्द लाभ मिलेगा ।  
जय हिंद

साला, ये govt किसानों के बारे में बिल्कुल भी नही सोच रही

सीन 1
सुबह सब्जी मंडी का दृश्य :



काका आलू कैसे दिए ।
15 के किलो बाऊजी
सही लगाओ
सही है बाऊजी
बड़ी लूट मचा रखी है 10 के लगाओ।
नही बाऊजी, नही बैठेगा ।
अरे देदो... दो किलो लूंगा
ठीक है बाउजी।

सीन 2
शाम का वक़्त घर का दृश्य:
Hello pizza hut: Yes sir.
Please book order, one large capsicum paneer pizza with extra cheez and one garlic bread.
Ans: Okay sir.

सीन 3
Knock knock.... Ting tong
कौन है ?
Pizza delivery boy: Pizza hut, sir.
Ohh coming... Thanks.... कितना हुआ ?
Ans: 570 Rs. Sir.
ये लो 600 and keep the change; बहुत मेहनत करते हो.
Ans: Thanks Sir.

सीन 4
कमरे का दृश्य - TV में समाचार


दो किसानों ने और आत्महत्या की।
(Pizza खाते हुए) - साला, ये govt किसानों के बारे में बिल्कुल भी नही सोच रही...बड़े शर्म की बात है !

नाटक समाप्त
#कॉपी#

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