जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
यह ब्लॉग खोजें
मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022
इन सब के बगैर आप बच्चों को कोडिंग सिखाना चाह रहे हैं तो आपका बच्चा ATM बनेगा, समस्याओं का
शर्मा जी का बेटा 30 लाख में इंजीनियरिंग करके 40 हज़ार रु महीना कमाता है
सोमवार, 31 जनवरी 2022
आर्य भट्ट ने शून्य की खोज की तो रामायण में रावण के दस सर की गणना कैसे की गयी?
गणित मोदी हमसे बेहतर व ज्यादा जानते हैं,मगर,
शनिवार, 29 जनवरी 2022
ऐसा वृक्ष जिससे मक्खन निकलता है
जिस वृक्ष से मक्खन निकलते हैं , उस वृक्ष को "मक्खन की कटोरी " (वट वृक्ष की एक प्रजाति), के नाम से जाना जाता है ।
- बोटेनिकल नाम: फिकस बेंगालेंसिस।
इस वृक्ष के पत्ते तोड़ने पर , एक सफेद तरल पदार्थ का रिसाव होता है। जिसे मक्खन की संज्ञा दी जाती है।मान्यता है, यह भगवान श्रीकृष्ण के "चुराये मक्खन "का ही पिघला स्वरूप है।
इस वृक्ष को "कृष्ण का पेड़" , "कृष्ण वट" भी कहते हैं।
शोध के पश्चात इस पेड़ को दुर्लभ माना जाता है।
इस वृक्ष को ,प्रकृति का तोहफा माना जाता है। क्योंकि इससे स्वास्थ्य वर्धक लाभांश प्राप्त होते हैं।
इसकी जड़ें काफी गहराई तक फैले होते हैं , जिससे उसके आसपास की मिट्टी में सदा पानी की मौजूदगी बनी रहती है ।
यह पेड़ 2 ,3 महीने में दस फीट तक बड़े हो सकते हैं । इसमें जल की भी पचूर मात्रा मौजूद रहती हैं।
इसकी मूल प्रजाति अधिकांशतः उत्तराखंड में पाई जाती है।
इस वृक्ष के पत्ते कुछ अलग से होते हैं । इस की खासियत, है कि ,ये वर्ष भर हरे भरे रहते है । इनकी पत्तियां जल्दी झड़ती नहीं हैं । ये सदाबहार वृक्ष कहलाती हैं।
यह दूसरों वृक्षों की तुलना में अधिक कार्बन डाइआक्साइड अवशोषित कर , अधिक मात्रा में शुद्ध ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है ।
मान्यता है कि, अपने बचपन समय में भगवान श्रीकृष्ण अपनी माता यशोदा के डांट भटकार से बचने हेतु ,दूसरों के घरों से चुराये मक्खन, एकमात्र इस वट वृक्ष के पत्तों को कटोरी नुमा आकार देकर, उसमें मक्खन छुपाकर रख देते थे ।
पर कान्हा ने जब अपनी मैया की डांट सुन ली , तो मक्खन कटोरी ,पत्ते से माखन पिघलने लगा।
कहते हैं ,इस पेड़ के पत्ते तोड़ने के फलस्वरूप माखन का यही पिघला स्वरूप सफेद तरल पदार्थ के रूप में निकलने लगा ।
कहा जाता है , तभी से इस वृक्ष के बड़े पत्ते कटोरीनुमा और इसके छोटे पत्ते चम्मच समान आकार में विकसीत होने लगे।
चित्र गुगल से।
function disabled
Old Post from Sanwariya
-
▼
2024
(130)
-
▼
अप्रैल
(63)
-
▼
अप्रैल 29
(14)
- पिता के हाथ के निशान
- वैशाख मास-महात्मय (चतुर्थ अध्याय)
- ब्रह्म मुहूर्त का महत्त्व एवं समय
- राम' नाम का प्रताप
- वैशाखमास महात्म्य (तृतीय अध्याय)
- वैशाखमास-महात्म्य (द्वितीय अध्याय)
- इस वजह से भगवान गणेश बने थे स्त्री, जानिए पौराणिक कथा
- शकुन शास्त्र के 12 सूत्र
- वैशाखमास–माहात्म्य अध्...
- दिन के आठ प्रहर कौन से हैं?
- असल में कामदेव हैं कौन? क्या वह एक काल्पनिक भाव है...
- ज़िन्दगी..."जीनी" है तो"तकलीफ तो "होगी" ही...!!वरना...
- सतीमाता अनुसुइया जन्मोसव विशेष - माता अनसुइया की स...
- भुवन भास्कर भगवान सूर्यनारायण
-
▼
अप्रैल 29
(14)
-
▼
अप्रैल
(63)
- ► 2023 (420)
- ► 2022 (477)
- ► 2021 (536)
- ► 2020 (341)
- ► 2019 (179)
- ► 2018 (220)
- ► 2012 (671)