यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022

कुंडली कैसे देखे: कुंडली (Kundali In Hindi) देखने का तरीका हिंदी में

 

कुंडली कैसे देखे: कुंडली (Kundali In Hindi) देखने का तरीका हिंदी में


Kundali Kya Hai | कुंडली कैसे देखे | कुंडली देखने का तरीका क्या है | राशि की पहचान नाम अक्षर से कैसे की जाती है | Kundali In Hindi

दोस्तों जैसे कि हम सब जानते हैं कि हिंदू धर्म में कुंडली का कितना महत्व है। क्योंकि हिंदू धर्म में बच्चे के जन्म के तुरंत बाद ही बच्चे की कुंडली बनवाई जाती है। कुंडली एक व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। मान्यता के अनुसार किसी व्यक्ति का भाग्य उसके जन्म से पूर्व निर्धारित होता है। इसीलिए ज्यादातर लोग अपने बच्चों की Kundali जन्म के फौरन बाद ही ज्योतिष के पास जाकर कुंडली बनवाते हैं, लेकिन व्यक्ति को स्वयं की Kundali देखना नहीं आती जिसके लिए वह ज्योतिष के पास ही जाते हैं।यदि आप अपनी कुंडली देखना चाहते हैं, तो आप स्वयं ही अपनी कुंडली सही प्रकार से देख सकते हैं चलिए आज आपको अपने आर्टिकल के माध्यम से बताऊंगी के स्वयं की कुंडली कैसे देखते हैं।

जन्म कुंडली

कुंडली बनाने में 12 खानों का निर्माण किया जाता है जिन्हें भाव के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली तैयार करने के लिए 12 राशियों का उपयोग किया जाता है, और जैसे कि आप जानते ही हैं, प्रत्येक राशि के लिए अलग-अलग भाग होते हैं, हर  एक भाव से एक राशि आती है। कुंडली के माध्यम से आप व्यक्ति के भूत वर्तमान और भविष्य के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।और दोस्तों इसके साथ ही Kundali के माध्यम से राशियों और क्षेत्रों में सूर्य चंद्रमा और दूसरे अन्य ग्रहों की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। इसीलिए दोस्तों  आपको अपनी राशि के बारे में जानने के लिए अब बाहर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। आप घर बैठे ही अपनी राशि के बारे में सही सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

राशि की पहचान नाम अक्षर से कैसे की जाती है?

  • मेष राशि
  • ( अक्षर: चू,चे,चो,ला,ली,लु,ले,लो,)
  • वृष राशि
  • ( अक्षर: , , , , वा, वी, वू, वे, वो)
  • मिथुन राशि
  • ( अक्षर: , की, कू, , , , के, को, )
  • कर्क राशि
  • ( अक्षर: हि, हू, हे, हो, , डी, डू, डे)
  • सिंह राशि
  • (नाम अक्षर: मा,मी,मू,में,मो,टा,टी,टू,टे)
  • कन्या राशि
  • (नाम अक्षर: टो,पा,पी,पू,,,,पे,पो)
  • तुला राशि
  • (नाम अक्षर: रा,री,रु,रे,रो,ता,ती,तू,ते)
  • धनु राशि
  • (नाम अक्षर: ये,यो,भा,भी,भू,धा,,,भे)
  • मकर राशि
  • (नाम अक्षर:भो,,जा,जी,जे,जो,खा,खी,खु,खे,खो,गा,गी,ज्ञ)
  • कुम्भ राशि
  • (नाम अक्षर: गु,गे,गो,सा,सी,सु,से,सो,दा)मीन राशि (नाम अक्षर: दी,दू,,,दे,दो,चा,चि)
  • चि)


राशियों के स्वामी के नाम

  • मेष का स्वामी = मंगल
  • वृष का स्वामी = शुक्र
  • मिथुन का स्वामी = बुध
  • कर्क का स्वामी = चन्द्रमा
  • सिंह का स्वामी = सूर्य
  • कन्या का स्वामी = बुध
  • तुला राशी का स्वामी = शुक्र
  • वृश्चिक का स्वामी = मंगल
  • धनु का स्वामी = गुरु
  • मकर का स्वामी = शनि
  • कुम्भ का स्वामी = शनि
  • मीन का स्वामी = गुरु

कुंडली में ग्रह के क्या-क्या प्रकार होते हैं?

  • सूर्य ग्रह
  • चंद्र ग्रह
  • मंगल ग्रह
  • बुध ग्रह
  • बृहस्पतिवार ग्रह
  • शुक्र ग्रह
  • शनि ग्रह
  • राहु ग्रह
  • केतु ग्रह

 Kundali के भाव

  • प्रथम भाव
  • द्वितीय भाव
  • तृतीय भाव
  • चतुर्थ भाव
  • पंचम भाव
  • पुष्प भाव
  • सप्तम भाव
  • अष्टम भाव
  • नवम भाव
  • दशम भाव
  • एकादश भाव
  • द्वादश भाव


जन्म कुंडली के लाभ

  • जन्म कुंडली बने होने से हमारे जीवन में आने वाले बुरे दिनों को आभास रहता हैं जिसकी वजह से उन परिस्थितियों से निपटने के लिए हम खुद को मजबूत कर लेते हैं ताकि बुरे दिनों का सामना कर सके।
  • इसके अलावा हमारे जीवन में होने वाली दुर्घटनाएं एवं बीमारियों के बारे में भी जानकारी मिल जाती है जिससे हम होशियार हो जाते हैं।
  • जन्म कुंडली के आधार पर हम अपने लिए अनुकूल जीवन साथी  पा सकते है। लड़का और लड़की दोनों की कुंडली का मेल करते है जिससे उन दोनों के बिच अनुकूलता के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके।
  • आपके कुंडली में यदि कोई दोष है जिसके करण आप कड़ी मेहनत के बावजूद अपने लक्ष्य तक नहीं पहुच पाते तो कुंडली के आधार पे आप उसका निवारण ला सकते है।

मोबाइल ऐप द्वारा जन्म कुंडली केसे बनाए



  • इसके बाद आपको इस ऐप को ओपन करना है। ऐप ओपन करने पर सबसे पहले आपको अपनी भाषा का चयन करना है। और फिर नेक्स्ट बटन पर क्लिक करना है।
  • अगले स्टेट ने आपको इस ऐप में नया खाता बनाने के लिए कहा जाएगा। आप चाहे तो ऊपर उपलब्धछोड़ेबटन पर क्लिक करके इस स्टेप  को स्किप  कर सकते हैं।
  • अब आप इस एप्प के होम पेज पर पहुंच जाएंगे।  यहां पर आपको बहुत से ऑप्शन दिखाई देंगे।
  • इनमे  से आपको जन्म कुंडली वाले ऑप्शन पर क्लिक करना है। क्लिक करने के बाद आपको नवीन जन्म कुंडली में सभी जानकारी सही सही भरना है। और फिर नीचे उपलब्ध कुंडली दिखाइए ऑप्शन पर क्लिक करना है।
  • अगले स्टेट में आपसे पूछा जाएगा कि क्या यह आपकी जन्मकुंडली है। यदि हां तो हां पर क्लिक करें।
  • जैसे ही आप हां पर क्लिक करेंगे। आपकी जन्मकुंडली तैयार हो जाएगी। आप इसे देख सकते हैं इसके साथ ही यदि आप चाहें तो अपनी इस Janam Kundli को यहां उपलब्ध ऑप्शन पर क्लिक करके डाउनलोड भी कर सकते हैं।
  • इसके बाद आपको अपनी जन्म कुंडली कभी भी कहीं भी देख सकते हैं।

कुंडली देखने का सही तरीका क्या है?

दोस्तों अगर आपको अपनी कुंडली पूर्ण रुप से सही तरीके से देखनी है तो आपको नीचे दिए गए प्वाइंट्स को फॉलो करना होगा।



  • इस वेबसाइट पर जाने के बाद आपके सामने एक नया फॉर्म खोल कर आएगा।
  • इस फॉर्म में आपको अपनी कुछ जानकारी भरनी है जैसे कि आपका नाम जन्म तिथि जन्म समय आदि सभी जानकारी  सही से भरे।
  • सभी जानकारी भरने के बाद आपको सबमिट के बटन पर क्लिक करना होगा।
  • इसके बाद आपके सामने जन्मकुंडली खुलकर जाएगी।
  • आप अपनी जन्म कुंडली का एक प्रिंट आउट भी निकाल सकते हैं।

 


शनिवार, 19 फ़रवरी 2022

छत्रपति शिवाजी महाराज का पराई स्त्री के प्रति कैसा नजरिया था?

*🚩छत्रपति शिवाजी महाराज का पराई स्त्री के प्रति कैसा नजरिया था?*

*19 फरवरी 2022*
azaadbharat.org
*🚩भारतीय सभ्यता और संस्कृति में 'माता' को इतना पवित्र स्थान दिया गया है कि यह मातृभाव मनुष्य को पतित होते-होते बचा लेता है। श्री रामकृष्ण एवं अन्य पवित्र संतों के समक्ष जब कोई स्त्री कुचेष्टा करना चाहती तब वे सज्जन, साधक, संत यह पवित्र मातृभाव मन में लाकर विकार के फंदे से बच जाते। यह मातृभाव मन को विकारी होने से बहुत हद तक रोके रखता है। जब भी किसी स्त्री को देखने पर मन में विकार उठने लगे, उस समय सचेत रहकर इस मातृभाव का प्रयोग कर ही लेना चाहिए।*

*🚩शिवाजी महाराज के सामने जब किसी सुंदर स्त्री को प्रस्तुत किया गया तब शिवाजी महाराज के यही शब्द थे कि काश ऐसी सुंदर मेरी जननी माता होती तो मैं भी ऐसा सुंदर रूप पाता ... शब्दों का तात्पर्य वह हर पराई स्त्री को अपनी बहन व माता के समान मानते थे।*

*छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में कभी भी किसी औरत का नाच-गाना नहीं हुआ। महिलाओं का हमेशा सम्मान किया जाता था चाहे वह दुश्मन की पत्नी भी क्यों ना हो। उन्होंने महिलाओं की गरिमा हमेशा बनाए रखी, बेशक वह महिला किसी भी जाति या धर्म से हो क्यों ना हो।*

*🚩28 फरवरी 1678 को सुकुजी नामक सरदार ने बेलवाड़ी किले की घेराबंदी की। इस किले की किलेदार एक स्त्री थी।* 

*उसका नाम सावित्रीबाई देसाई था। इस बहादुर महिला ने 27 दिनों तक किले के लिए लड़ाई लड़ी। लेकिन अंत में, सुकुजी ने किले को जीत लिया और सावित्रीबाई से बदला लेने के लिए उसका अपमान किया l*
*जब राजे ने यह समाचार सुना, तो वह क्रोधित हो गए।* 
*राजे के आदेशानुसार सुकुजी की आंखें फोड कर उसे आजीवन कैद कर दिया गया।*
                                                                               *🚩24 अक्टूबर 1657 को छत्रपति शिवाजी महाराज के आदेश पर सोने देव ने जब कल्याण के किले पर घेराबंदी की और उसको जीत लिया, उस समय मौलाना अहमद की पुत्रवधू यानी औरंगजेब की बहन और शाहजहां की बेटी रोशनआरा जो एक अभूतपूर्व सुंदरी थी उसको किले में कैद कर लिया गया। उसके बाद सैनिकों ने उस रोशनआरा को जब छत्रपति शिवाजी महाराज के सामने पेश किया तो छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने सैनिकों को यह कहा था कि यह तुम्हारी पहली और आखरी गलती है। इसके बाद अगर ऐसा अपमानित करने का कार्य किसी भी जाति और धर्म की औरत के साथ किया तो इसकी सजा मौत होगी और एक पालकी सजा कर रोशनआरा को उसके कहने पर उसके महल में भेज दिया गया। इसी प्रकार से शाइस्ता खान ने सन 1663 ईस्वी में कोंकण को जीतने के लिए अपने सेनापति दिलेर खान के साथ एक ब्राह्मण उदित राज देशमुख की पत्नी राय बाघिन (शेरनी) को भेजा तो छत्रपति शिवाजी महाराज ने राय बाघिन और मुगल दिलेर खान को रात में कोल्हापुर में ही घेर लिया और दिलेर खान अपनी जान बचा कर भाग गया। उस समय राय बाघिन को एक सजी हुई पालकी में बैठा कर वापस उसके घर भेज दिया था।*

*अगर किसी दुश्मन की पत्नी भी चाहे वह किसी भी धर्म या जाति से हो लड़ाई में फंस जाती है, तो उसे परेशानी नहीं होना चाहिए- महाराज के इस तरह के आदेश पत्थर की लकीर होते थे।*

*🚩पर स्त्री के प्रति मातृभाव रखने का यह एक सुंदर उदाहरण है। ऐसा ही एक उदाहरण वाल्मीकि कृत रामायण में भी आता है। भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण को जब सीताजी के गहने पहचानने को कहा गया तो लक्ष्मण जी बोले: हे तात! मैं तो सीता माता के पैरों के गहने और नूपुर ही पहचानता हूँ, जो मुझे उनकी चरणवन्दना के समय दृष्टिगोचर होते रहते थे। केयूर-कुण्डल आदि दूसरे गहनों को मैं नहीं जानता।" यह मातृभाव वाली दृष्टि ही इस बात का एक बहुत बड़ा कारण था कि लक्ष्मणजी इतने काल तक ब्रह्मचर्य का पालन किये रह सके; तभी रावणपुत्र मेघनाद को, जिसे इन्द्र भी नहीं हरा सका था, लक्ष्मणजी हरा पाये। पवित्र मातृभाव द्वारा वीर्यरक्षण का यह अनुपम उदाहरण है जो ब्रह्मचर्य की महत्ता भी प्रकट करता है।*

🚩Official Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan

🔺 facebook.com/ojaswihindustan

🔺 youtube.com/AzaadBharatOrg

🔺 twitter.com/AzaadBharatOrg

🔺.instagram.com/AzaadBharatOrg

🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

बिजली का आविष्कार : महर्षि अगस्त्य एक वैदिक ऋषि थे।


 बिजली का आविष्कार : महर्षि अगस्त्य एक वैदिक ऋषि थे।

युवं पैदवे पुरूवारमश्विना स्पृधां श्वेतं तरूतारं दुवस्यथः।
शर्यैरभिद्युं पृतनासु दुष्टरं चर्कत्यमिन्द्रमिव चर्षणीसहम्।।
-
ऋग्वेद अष्ट1।अ8।व21।मं10।।

प्राचीनकाल में ऊंचे उड़ने वाले गुब्बारे, पैराशूट, बिजली और बैटरी जैसे कई उपकरण थे। भारत के ऋषियों ने धर्म के साथ ही विज्ञान का भी विकास किया था। उस काल में वायुयान होते थे, बिजली होती थी, अंतरिक्ष में सफर करने के लिए अंतरिक्ष यान भी होते थे। आज बहुत से लोग शायद इस पर विश्वास करें लेकिन खोजकर्ताओं ने अब धीरे-धीरे इसे स्वीकार करना शुरू कर दिया है। किसी भी देश और उसकी संस्कृति के इतिहास को धर्म के आईने से नहीं देखा जाना चाहिए।

वैज्ञानिक ऋषियों के क्रम में महर्षि अगस्त्य भी एक वैदिक ऋषि थे। निश्चित ही आधुनिक युग में बिजली का आविष्कार माइकल फैराडे ने किया था। बल्ब के अविष्कारक थॉमस एडिसन अपनी एक किताब में लिखते हैं कि एक रात मैं संस्कृत का एक वाक्य पढ़ते-पढ़ते सो गया। उस रात मुझे स्वप्न में संस्कृत के उस वचन का अर्थ और रहस्य समझ में आया जिससे मुझे बल्ब बनाने में मदद मिली।

महर्षि अगस्त्य राजा दशरथ के राजगुरु थे। इनकी गणना सप्तर्षियों में की जाती है। महर्षि अगस्त्य को मंत्रदृष्टा ऋषि कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने तपस्या काल में उन मंत्रों की शक्ति को देखा था। ऋग्वेद के अनेक मंत्र इनके द्वारा दृष्ट हैं। महर्षि अगस्त्य ने ही ऋग्वेद के प्रथम मंडल के 165 सूक्त से 191 तक के सूक्तों को बताया था। साथ ही इनके पुत्र दृढ़च्युत तथा दृढ़च्युत के पुत्र इध्मवाह भी नवम मंडल के 25वें तथा 26वें सूक्त के द्रष्टा ऋषि हैं।

महर्षि अगस्त्य को पुलस्त्य ऋषि का पुत्र माना जाता है। उनके भाई का नाम विश्रवा था जो रावण के पिता थे। पुलस्त्य ऋषि ब्रह्मा के पुत्र थे। महर्षि अगस्त्य ने विदर्भ-नरेश की पुत्री लोपामुद्रा से विवाह किया, जो विद्वान और वेदज्ञ थीं। दक्षिण भारत में इसे मलयध्वज नाम के पांड्य राजा की पुत्री बताया जाता है। वहां इसका नाम कृष्णेक्षणा है। इनका इध्मवाहन नाम का पुत्र था।

अगस्त्य के बारे में कहा जाता है कि एक बार इन्होंने अपनी मंत्र शक्ति से समुद्र का समूचा जल पी लिया था, विंध्याचल पर्वत को झुका दिया था और मणिमती नगरी के इल्वल तथा वातापी नामक दुष्ट दैत्यों की शक्ति को नष्ट कर दिया था। अगस्त्य ऋषि के काल में राजा श्रुतर्वा, बृहदस्थ और त्रसदस्यु थे। इन्होंने अगस्त्य के साथ मिलकर दैत्यराज इल्वल को झुकाकर उससे अपने राज्य के लिए धन-संपत्ति मांग ली थी।

सत्रे जाताविषिता नमोभि: कुंभे रेत: सिषिचतु: समानम्। ततो मान उदियाय मध्यात् ततो ज्ञातमृषिमाहुर्वसिष्ठम्॥ इस ऋचा के भाष्य में आचार्य सायण ने लिखा है- ‘ततो वासतीवरात् कुंभात् मध्यात् अगस्त्यो शमीप्रमाण उदियाप प्रादुर्बभूव। तत एव कुंभाद्वसिष्ठमप्यृषिं जातमाहु:



निश्चित ही बिजली का आविष्कार थॉमस एडिसन ने किया लेकिन एडिसन अपनी एक किताब में लिखते हैं कि एक रात मैं संस्कृत का एक वाक्य पढ़ते-पढ़ते सो गया। उस रात मुझे स्वप्न में संस्कृत के उस वचन का अर्थ और रहस्य समझ में आया जिससे मुझे मदद मिली।

 
महर्षि अगस्त्य राजा दशरथ के राजगुरु थे। इनकी गणना सप्तर्षियों में की जाती है। ऋषि अगस्त्य ने 'अगस्त्य संहिता' नामक ग्रंथ की रचना की। आश्चर्यजनक रूप से इस ग्रंथ में विद्युत उत्पादन से संबंधित सूत्र मिलते हैं-

 संस्थाप्य मृण्मये पात्रे

ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्‌।

छादयेच्छिखिग्रीवेन

चार्दाभि: काष्ठापांसुभि:॥

दस्तालोष्टो निधात्वय: पारदाच्छादितस्तत:।

संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम्‌॥

-अगस्त्य संहिता

 अर्थात : एक मिट्टी का पात्र लें, उसमें ताम्र पट्टिका (Copper Sheet) डालें तथा शिखिग्रीवा (Copper sulphate) डालें, फिर बीच में गीली काष्ट पांसु (wet saw dust) लगाएं, ऊपर पारा (mercury‌) तथा दस्त लोष्ट (Zinc) डालें, फिर तारों को मिलाएंगे तो उससे मित्रावरुणशक्ति (Electricity) का उदय होगा।


 अगस्त्य संहिता में विद्युत का उपयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग (Electroplating) के लिए करने का भी विवरण मिलता है। उन्होंने बैटरी द्वारा तांबे या सोने या चांदी पर पॉलिश चढ़ाने की विधि निकाली अत: अगस्त्य को कुंभोद्भव (Battery Bone) कहते हैं।


function disabled

Old Post from Sanwariya