यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 24 जून 2022

किन 25 लोगों को नहीं देना पड़ेगा टोल टैक्स, भारत सरकार द्वारा जारी की गई लिस्ट?

 

किन 25 लोगों को नहीं देना पड़ेगा टोल टैक्स, भारत सरकार द्वारा जारी की गई लिस्ट?

टोल टैक्स या टोल वह शुल्क है जो वाहन चालकों को कुछ अंतरराज्यीय एक्सप्रेसवे, सुरंगों, पुलों और अन्य राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को पार करते समय चुकाना पड़ता है। इन सड़कों को टोल रोड कहा जाता है और ये भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के नियंत्रण में हैं।

टोल टैक्स का उपयोग सड़क निर्माण और रखरखाव के लिए किया जाता है। इसलिए, यह टोल टैक्स लगाकर नवनिर्मित टोल सड़कों की लागत को कवर करता है। भारत सरकार ने फास्टैग पेश किया है जो कैशलेस टोल टैक्स भुगतान के लिए RFID (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) तकनीक का उपयोग करते हैं।

हालांकि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 के नियम 11 के अनुसार टोल टैक्स का भुगतान करने से छूट प्राप्त लोगों और वाहनों की एक सूची है।

भारत के राष्ट्रपति

भारत के उपराष्ट्रपति

भारत के प्रधानमंत्री

किसी राज्य का राज्यपाल

भारत के मुख्य न्यायाधीश

लोक सभा के अध्यक्ष

संघ के कैबिनेट मंत्री

किसी राज्य का मुख्यमंत्री

सुप्रीम कोर्ट के जज

संघ राज्य मंत्री

एक केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल

चीफ ऑफ स्टाफ जो पूर्ण सामान्य या समकक्ष रैंक का पद धारण करता है

किसी राज्य की विधान परिषद के सभापति

किसी राज्य की विधान सभा के अध्यक्ष

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश

ससद सदस्य

थल सेनाध्यक्ष के सेना कमांडर और अन्य सेवाओं में समकक्ष

संबंधित राज्य के भीतर किसी राज्य सरकार के मुख्य सचिव

सचिव, भारत सरकार

राज्यों की परिषद सचिव

सचिव, लोक सभा

राजकीय यात्रा पर विदेशी गणमान्य व्यक्ति

किसी राज्य की विधान सभा के सदस्य और अपने-अपने राज्य के भीतर किसी राज्य की विधान परिषद के सदस्य, यदि वह राज्य के संबंधित विधानमंडल द्वारा जारी अपना पहचान पत्र प्रस्तुत करता है या नहीं

परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र, और शौर्य चक्र से सम्मानित व्यक्ति, यदि ऐसा पुरस्कार प्राप्तकर्ता ऐसे पुरस्कार के लिए उपयुक्त या सक्षम प्राधिकारी द्वारा विधिवत प्रमाणित अपना फोटो पहचान पत्र प्रस्तुत करता है

हालांकि अन्य श्रेणी भी हैं जिन्हें टोल टैक्स से छूट दी गई है।

केंद्र और राज्य के सशस्त्र बल वर्दी में। इसमें अर्धसैनिक बल और पुलिस, एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट, अग्निशमन विभाग या संगठन, एम्बुलेंस के रूप में उपयोग , अंतिम संस्कार वैन के रूप में उपयोग, यांत्रिक वाहन जो विशेष रूप से शारीरिक अक्षमता से पीड़ित व्यक्ति के उपयोग के लिए डिज़ाइन और निर्मित किए जाते हैं।

कहां लिखा है कि लड़कियों को शिव भक्ति में #नशा करना, और गांजा फुकना और ऐसे छोटे कपड़े पहन कर नशे करके #नाचना

⛳🚩⛳🌹🌺🌻🌼ये जो #माथे पर #टीका लगाकर #उल्टे सीधे कपड़े पहनकर, गले मे #रुद्राक्ष जैसी परम #पवित्र माला डालकर, #गांजा फुकते हुए, और नाम के आगे भक्त महाभक्त #परमभक्त लगाकर लोग गुगल से लेकर फेसबुक तक धर्म का #मजाक बनाये बैठे हैं #शर्म नहीं आती है ऐसे #निच हरकत करते हुए??

और खास कर ये ऐसे लड़कियां जो बहुत बड़े शिव भक्त का #ठेकेदार बनी फिर रही है, कहां लिखा है कि लड़कियों को शिव भक्ति में #नशा करना, और गांजा फुकना और ऐसे छोटे कपड़े पहन कर नशे करके #नाचना??

अपने कायदे में रहें तो ही अच्छा होगा धर्म #संस्कृति को बदनाम कर के रख दिया है लोगों ने,

#सुल्फे के साथ फोटो डालना अपने साथ साथ हमारे #सनातन समाज और धर्म का भी #अपमान करना आराध्य #महादेवजी की सुल्फे के साथ फोटो बनाकर पेश करना, अरे मूर्खो क्या ईश्वर को भूख प्यास लगती है क्या ईश्वर नशा करते है या ईश्वर #मादक पदार्थो का सेवन करते है बिल्कुल नही करते हैं।

ये सब झूठ है एक दम महाझूठ जिसे कुछ नशेड़ी और दिमाग से #विकलांग लोगों ने धर्म के नाम पर #शौक़ बना दिया है अपनी मर्जी पूरी करने के लिए,

#यदग्रे चानुबन्धे च सुखं मोहनमात्मनः।

#निद्रालस्यप्रमादोत्थं तत्तामसमुदाहृतम्‌॥

यानी जो सुख #भोगकाल में तथा परिणाम में भी आत्मा को मोहित करने वाला है, वह निद्रा, आलस्य और प्रमाद (नशा) से उत्पन्न सुख #तामस कहा गया है.

इसके अलावा भी #गीता में कई जगह नशा न करने की सलाह दी गई है।

आज की युवा पीढ़ी सुल्फा भांग गांजा बीड़ी सिगरेट शराब का नाम भगवान से जोड़ते है इनका सेवन करते है अपने भगवानो को भी नही बख्शते ।

अपनी फोटो लाइक करवाने के लिए कपड़े बदल बदलकर और हाथ मे सुल्फा लेकर फोटो खिंचवाने वाले लोगों ने ही हमारे धर्म में ये नशेड़ीपना फैलाया है📙📒🚩⛳🌺🌻🌹

योगिनी एकादशी व्रत आज

 योगिनी एकादशी व्रत आज

आषाढ़ कृष्ण एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। हर शाप का होता है यह व्रत करने से निवारण


योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। पंचांग के अनुसार, यह एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ती है। मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत रखने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा मान्यता यह भी है कि इस व्रत के प्रभाव से किसी के दिए हुए श्राप का निवारण हो जाता है।


योगिनी एकादशी तिथि

पंचांग के मुताबिक साल 2022 में योगिनी एकादशी 24 जून, शुक्रवार को है। एकदशी तिथि का आरंभ 23 जून को रात 9 बजकर 41 मिनट से हो रहा है। जबकि एकादशी तिथि की समाप्ति 24 जून को रात 11 बजकर 12 मिनट पर होगी। एकादशी व्रत का पारण 25 जून को सुबह 5 बजकर 41 मिनट के बाद और 8 बजकर 12 मिनट से बीच किया जा सकता है। पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 5 बजकर 41 मिनट है।  


योगिनी एकादशी व्रत पूजा विधि

अन्य एकादशी व्रत के जैसा ही योगिनी एकादशी व्रत का नियम एक दिन पहले यानी दशमी से ही शुरू हो जाता है। ऐसे में दशमी तिथि की रात से ही जौ, गेहूं और मूंग की दाल से बना भोजन नहीं किया जाता है। साथ ही व्रत के दिन नमक वाले भोज्य पदार्थ का सेवन नहीं किया जाता है। एकादशी वाले दिन सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखकर पूजा की जाती है। पूजन के दौरान भगवान विष्णु को पीले फूल और पीली मिठाईयों का भोग लगाया जाता है। पूजा खत्म होने के बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती की जाती है।


योगिनी एकादशी व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यतानुसार योगिनी एकादशी का व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि और आनंद की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि योगिनी एकादशी का व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से बहुत अधिक पुण्य मिलता है।


योगिनी एकादशी की व्रत कथा

स्वर्ग की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का राजा था। वह शिव के उपासक था। हेम नाम का माली पूजन के लिए उसके यहां फूल लाया करता था। हेम की पत्नी थी विशालाक्षी। वह बहुत सुंदर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन मन भटकने की वजह से वो पत्नी को देखकर कामासक्त हो गया और उसके साथ रमण करने लगा। उधर पूजा में विल्म्ब होने के चलते राजा कुबेर ने सेवकों से माली के न आने का कारण पूछा तो सेवकों ने राजा को सारी बात सच बता दी। यह सुनकर कुबेर बहुत क्रोधित हुआ और उसने माली को श्राप दे दिया।


राजा कुबेर ने दिया माली को ये श्राप

गुस्से में कुबेर ने हेम माली से कहा कि तूने कामवश होकर भगवान शिव का अनादर किया है। मैं तुझे श्राप देता हूं कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक(पृथ्वी)में जाकर कोढ़ी बनेगा। कुबेर के श्राप से हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी क्षण पृथ्वी पर गिर गया। पृथ्वीलोक में आते ही उसके शरीर में कोढ़ हो गया। वो कई समय तक ये दु:ख भोगता रहा।


मार्कण्डेय ऋषि ने बताया कुष्ठ रोग निवारण उपाय

एक एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया। उसे देखकर मार्कण्डेय ऋषि बोले तुमने ऐसा कौन सा पाप किया है, जिसके प्रभाव से तुम्हारी यह हालत हो गई। हेम माली ने पूरी बात उन्हें बता दी। उसकी व्यथा सुनकर ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। हेम माली ने विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया, जिसका उसे सफल परिणाम मिला। वो कुष्ठ रोग से मुक्ति पाकर अपने पुराने रूप में आ गया औूर पत्नी के साथ सुखी जीवन यापन करने लगा।

जिसने अपने दिमाग का सही इस्तेमाल किया वहीं इस दुनिया का सुल्तान बन सकता है।

 

इस तस्वीर से हमें यह पता चलता है सबसे ताकतवर दिमाग ही है। जिसने अपने दिमाग का सही इस्तेमाल किया वहीं इस दुनिया का सुल्तान बन सकता है। देखिए किस तरह इस चिड़िया ने अपने दुश्मन से बचने के लिए अपने घोंसले में उसको कैसे चकमा दिया। यदि इसी तरह हम इंसान भी अपने दिमाग का सही प्रयोग करें तो हम किसी भी स्थिति को बदल सकते हैं।

उम्मीद हम इस तस्वीर से कुछ सीखेंगे। यदि आपको यह तस्वीर पसंद आई कृपया इसे शेयर करें।

रामायण काल का पात्र जामवन्त जो उस समय बूढ़े हो गए थे, जवानी में वो कितने बलशाली थे?

 

चित्र स्रोत: गूगल

जामवंत रामायण के एक ऐसे पात्र हैं जिनके विषय में बहुत विस्तार से नहीं लिखा गया है। हालाँकि रामायण में ही उनके विषय में केवल एक-दो चीजें ऐसी बताई गयी है जिनसे आप उनके बल के बारे में अनुमान लगा सकते हैं। आइये उन्हें देखते हैं।

  • पहली बात तो जामवंत सतयुग के व्यक्ति थे। अब सतयुग में निःसंदेह योद्धा अन्य युगों की अपेक्षा बहुत अधिक शक्तिशाली होते थे। उनकी उत्पत्ति सीधे ब्रह्माजी से बताई गयी है। अब परमपिता ब्रह्मा से जो जन्मा हो उसकी शक्ति के बारे में तो केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है।
  • रामचरितमानस में उनके पराक्रम के बारे में दो घटना विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन दोनों स्थानों पर जामवंत का युद्ध रावण और मेघनाद के साथ हुआ था जिसमें दोनों को जामवंत ने अपने पाद प्रहार से मूर्छित कर दिया था। मेघनाद की शक्ति तो उन्होंने अपने हाथों से ही पकड़ कर पलट दी थी। अत्यंत वृद्धावस्था में भी जो रावण और मेघनाद जैसे योद्धाओं को अपने घात से मूर्छित कर दे, जरा सोचिये युवावस्था में उसका बल क्या होगा।
  • जब द्वापर आया और जामवंत और अधिक बूढ़े हो गए, उस समय उनका युद्ध श्रीकृष्ण से हुआ था। जनमवंत को परास्त करने के लिए श्रीकृष्ण को उनसे एक-दो नहीं बल्कि 28 दिनों तक युद्ध करना पड़ा। स्वयं परमेश्वर कृष्ण को जिसे परास्त करने में अट्ठाइस दिन लग गए हों, वो भी वृद्धावस्था में, जवानी में उनके बल के बारे में हम केवल अनुमान ही लगा सकते हैं।
  • जब सीता माता को खोजने के लिए समुद्र लांघने की बात चल रही थी उस समय जामवंत कहते हैं कि "मैं तो अब बहुत बूढ़ा हो गया हूँ, फिर भी इस समुद्र में मैं 90 योजन तक जा सकता हूँ।" हनुमान जी अपनी युवावस्था में 100 योजन छलांग गए, जामवंत की आयु उस समय 6 मन्वन्तर की बताई गयी है। एक मन्वन्तर तीस करोड़ सड़सठ लाख बीस हजार वर्षों का होता है, फिर भी वे 90 योजन तक जाने की क्षमता रखते थे, इसी से उनके बल का पता चलता है।
  • इस वार्तालाप के दौरान उन्होंने युवावस्था में अपने बल के बारे में दो बातें बताई जिसे ध्यान से सुनना आवश्यक है। इससे आपको जामवंत की वास्तविक शक्ति का पता चलेगा।
    • पहली घटना तब की है जब समुद्र मंथन चल रहा था जिसे देवता और दैत्य मिलकर बड़ी मुश्किल से कर पा रहे थे। उस समय जामवंत ने अपनी जवानी के जोश में एक बार अकेले ही सम्पूर्ण मंदराचल पर्वत को घुमा दिया था। मंदराचल को अकेले घुमाने के लिए कितनी शक्ति चाहिए होगी, क्या आपको अंदाजा है?
    • दूसरी घटना भगवान विष्णु के वामन अवतार की है। जब श्रीहरि ने विराट स्वरुप लिया और एक पैर से स्वर्ग को नाप लिया। फिर जब उन्होंने अपना पैर पृथ्वी को नापने के लिए उठाया, उस दौरान जामवंत ने केवल 7 पल में पृथ्वी की सात परिक्रमा कर ली थी। जरा सोचिये महावीर हनुमान एक ही रात में लंका से सैकड़ों योजन दूर से पर्वत शिखर उखाड़ कर ले आये लेकिन जामवंत ने केवल सात पल में पृथ्वी की सात परिक्रमा कर ली थी। एक पल लगभग 24 सेकंड का होता है। क्या आप उनकी गति का अनुमान लगा सकते हैं?
  • उस उनके बल का ऐसा वर्णन सुनकर जब अंगद उनसे पूछते हैं कि उनका बल क्षीण कैसे हुआ? तब वे बताते हैं कि जब वे पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे थे तो अंतिम परिक्रमा के समय उनके पैर के अंगूठे का नाख़ून महामेरु पर्वत से छू गया, जिससे उसका शिखर खंडित हो गया। इसे अपना अपमान मानते हुए मेरु ने जामवंत को ये श्राप दे दिया कि वो सदा के लिए बूढ़ा हो जाएगा और उसका बल क्षीण हो जाएगा।

आशा है आपको जामवंत की शक्ति का कुछ अंदाजा हो गया होगा। किन्तु इतने शक्तिशाली होने के बाद भी उनमें लेश मात्र भी घमंड नहीं था। जय श्रीराम।

function disabled

Old Post from Sanwariya