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शनिवार, 2 जुलाई 2022

ऑफ़लाईन माँ चाहिए

ऑफ़लाईन माँ चाहिए

पांचवीं कक्षा के छात्रों से बात करने के बाद शिक्षक ने उन्हें एक निबंध लिखने को दिया कि वे "कैसी माँ' पसंद करते हैं?
सभी ने अपनी माँ की प्रशंसा करते हुए विवरण लिखा।
उसमें एक छात्र ने निबंधपाठ का शीर्षक लिखा-         
   "ऑफ़लाईन माँ.."

मुझे "माँ" चाहिए, पर मुझे ऑफ़लाईन चाहिए। मुझे एक अनपढ़ माँ चाहिए, जो "मोबाईल" का इस्तेमाल करना नहीं जानती हो, लेकिन मेरे साथ हर जगह जाने को तैयार और आतुर हो।

मैं नहीं चाहता कि "माँ" "जीन्स" और "टी-शर्ट" पहने.. बल्कि छोटू की माँ की तरह साड़ी पहने। मुझे एक ऐसी माँ चाहिए जो बच्चे की तरह गोद में सिर रखकर मुझे सुला सके। _मुझे "माँ" चाहिए, लेकिन "ऑफ़लाईन।

उसके पास "मैं" और मेरे पिताजी के लिए "मोबाईल" की तुलना में "अधिक समय" होगा।

ऑफलाईन "माँ" हो तो पिताजी से झगड़ा नहीं होगा। जब मैं शाम को सोने जाऊँगा तो वीडियो गेम खेलने की बजाय वो मुझे एक कहानी सुनाकर सुलाएगी।
माँ, आप ऑनलाईन पिज़्ज़ा ऑर्डर मत कीजिए। घर पर कुछ भी बनाइए; पापा और मैं मजे से खाएंगे। मुझे बस ऑफलाईन "माँ" चाहिए।

इतना पढ़ने के बाद पूरी क्लास में मॉनिटर के रोने की आवाज सुनाई दी। हर एक छात्र और क्लास टीचर की आँखों से आंसू बह रहे थे।

माँ, मॉडर्न रहो लेकिन अपने बच्चे के बचपन का ख्याल रखो। मोबाईल की आवाज की वजह से इसे दूर मत करो! यह बचपन कभी वापस नहीं आएगा।

फ़ॉर्वर्डेड पोस्ट-
यह वह पोस्ट है जिसने मुझे झकझोर दिया एक वास्तविक चित्रण।
अपने ही बच्चों का बचपन छीनने बाली कथित मॉडर्न माँओ सॉरी *"ममा"* को समर्पित यह रचना है।
महिलाओं की झूटी जिंदगी उनके अपने लिए कितनी घातक है। उन्ही को सोचना जरूरी है। इस जीन्स बाली जिंदगी में आँचल और पल्लू अब कहाँ रहा। बच्चे का बड़ा अधिकार और संरक्षण इस भौतिकता और फूहड़पन ने छीन लिया।

जगन्नाथ रथ यात्रा आज से होगी शुरू

जगन्नाथ रथ यात्रा आज से होगी शुरू 
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भगवान जगन्नाथ के याद में निकाली जाने वाली 'जगन्नाथ रथ यात्रा' का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। आपको बता दें कि जगन्नाथ मंदिर हिन्दुओं के चार धाम में से एक है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। यह भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ 'जगत के स्वामी' होता है। इसलिए पुरी नगरी 'जगन्नाथपुरी' कहलाती है। इस रथ यात्रा को देखने के लिए हर साल दस लाख से अधिक तीर्थयात्री आते हैं। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस रथ यात्रा में भाग लेता है वह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है। उनके रथ पर भगवान जगन्नाथ की एक झलक बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस त्योहार को ‘घोसा यात्रा’, ‘दशवतार यात्रा’, ‘नवादिना यात्रा’ या ‘गुंडिचा यात्रा’ के नाम से भी जाना जाता है। 

श्री जगन्‍नाथ रथ यात्रा शुभ मुहूर्त
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श्री जगन्‍नाथ रथ यात्रा की तिथि: 1 जुलाई 2022, शुक्रवार, 
द्वितीय तिथि का आरंभ : 30 जून, सुबह 10:49 
द्वितीय तिथि की समाप्ति : 1 जुलाई, दोपहर 01:09 तक

जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व
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दस दिन तक के  इस महोत्सव से व्यक्ति की सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। इस रथयात्रा का पुण्य 100 यज्ञों के बराबर होता है। इस समय उपासना के दौरान अगर कुछ उपाय किये जाएं तो श्री जगन्नाथ अपने भक्तों की समस्या को जड़ से खत्म कर देते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस रथ यात्रा भगवान जगन्‍नाथ जी के मंदिर से निकालकर प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मन्दिर तक पहुंचाया जाता है। जहां पर भगवान जगन्‍नाथ जी सात दिनों तक विश्राम करते हैं। सात दिनों तक विश्राम करके के बाद में मंदिर में वापीस आ जाते हैं। इस रथ यात्रा में शामिल होने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।

रथ यात्रा के उत्सव की शुरुआत 01 जुलाई से
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इस मंदिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव पूरी दुनिया में मशहूर है, हर साल आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को रथयात्रा आरम्भ होती है और शुक्ल पक्ष के 11 वें दिन समाप्त होती है। इस साल रथ यात्रा के उत्सव की शुरुआत 01 जुलाई 2022, दिन शुक्रवार से हो रही है। ढोल, नगाड़ों, तुरही और शंखध्वनि के बीच भक्तगण इन रथों को खींचते हैं।

रथयात्रा में सबसे आगे बलरामजी का रथ होता है
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गौरतलब है कि रथयात्रा में सबसे आगे बलरामजी का रथ, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का रथ होता है। तीनों के रथ को खींचकर मौसी के घर यानी कि गुंडीचा मंदिर लाया जाता है जो कि जगन्नाथ मंदिर से करीब तीन किलोमीटर दूर है।

भगवान जगन्नाथ के रथ को 'नंदीघोष' कहते हैं
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बलरामजी के रथ को 'तालध्वज' कहते हैं, जिसका रंग लाल और हरा होता है। देवी सुभद्रा के रथ को 'दर्पदलन' या 'पद्म रथ' कहा जाता है, जो काले या नीले और लाल रंग का होता है, जबकि भगवान जगन्नाथ के रथ को 'नंदीघोष' या 'गरुड़ध्वज' कहते हैं। इसका रंग लाल और पीला होता है।
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मंगलवार, 28 जून 2022

आषाढ़ अमावस्या आज कालसर्प और पितृदोष से मिलेगी मुक्ति

आषाढ़ अमावस्या आज
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कालसर्प और पितृदोष से मिलेगी मुक्ति
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वैसे तो हिंदू धर्म में हर माह पड़ने वाली अमावस्या और पूर्णिमा की तिथि का महत्व है। लेकिन आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का अपना अलग ही महत्व है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद जरूरतमंदों को दान देता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि हमेशा बरकरार रहती है। इतना ही नहीं इस दिन कालसर्प दोष और पितृदोष से मुक्ति के लिए भी पूजा किया जाता है। 

आषाढ़ अमावस्या तिथि
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हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 28 जून मंगलवार को सुबह 05 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो रही है। अमावस्या तिथि का समापन 29 जून बुधवार को सुबह 08 बजकर 21 मिनट पर होगा।

आषाढ़ अमावस्या पर पितृदोष के लिए करें ये उपाय
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पितृदोष से मुक्ति के लिए आषाढ़ माह के अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर जरूरतमंदों को किए गए दान से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं और पितृदोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।

आषाढ़ी अमावस्या पर पितरों को इस तरह करें प्रसन्न
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1. इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। अगर आप किसी नदी के तट पर न जा सकें तो घर में ही जल में गंगा जल डालकर स्नान करें। इसके बाद पितरों के निमित्त श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करें। साथ ही पशु पक्षियों को भी भोजन कराएं। इससे आपके पितर बहुत प्रसन्न होते हैं।

2. अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें। एक कलश में जल और दूध और मिश्री मिश्रित करके जल पेड़ में अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इससे भी आपको पि​तरों का आशीष प्राप्त होता है।

3. अगर आपके घर में पितृदोष लगा हुआ है, तो आपको अमावस्या के दिन पीपल का पौधा लगाना चाहिए और इसी सेवा करनी चाहिए। हर अमावस्या पर इस पौधे के नीचे दीपक जलाना चाहिए। इससे पितृ दोष का प्रभाव दूर होता है और आपके जीवन की तमाम समस्याओं का अंत होता है।

4. अमावस्या के दिन किसी ब्राह्मण को घर में बुलाकर उन्हें ससम्मान भोजन कराएं और सामर्थ्य के अनुसार दान देकर विदा करें। इसके अलावा गरीब और जरूरतमंदों को दान दें। इससे भी आपको पितरों का आशीष प्राप्त होता है।

5. पितरों की शांति के लिए आप अमावस्या के दिन रामचरितमानस या गीता का पाठ करें। इसके अलावा पितरों का आशीष प्राप्त करने के लिए उनके मंत्र का जाप करें।

 करें यह मंत्र जाप
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ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्.
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि, शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्.
ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च, नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:

काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए इस विधि से करें पूजा
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जिस इंसान के कुंडली में काल सर्पदोष है वो आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष के अमावस्या को शिव मंदिर में कालसर्प दोष की पूजा किसी विद्वान द्वारा करवा सकते हैं। इस दिन यदि आप महामृत्युंजयमंत्र का जप करते हैं तो राहु-केतु का असर खत्म हो जाता है।

शुक्रवार, 24 जून 2022

मोटरसाइकिल सवार को हेलमेट से क्या मदद मिलती है यदि वे 60-70 मील प्रति घंटे की रफ्तार से दुर्घटनाग्रस्त होते हैं ?

मोटरसाइकिल सवार को हेलमेट से क्या मदद मिलती है यदि वे 60-70 मील प्रति घंटे की रफ्तार से दुर्घटनाग्रस्त होते हैं

यदि वे 60-70 मील प्रति घंटे की रफ्तार से दुर्घटनाग्रस्त होते हैं तो मोटरसाइकिल सवार को क्या मदद मिलेगी यह इसपर निर्भर करता है की दुर्घटना कैसे हुई ।

अगर ईंट की दीवार से टकरा गयी , या एक ट्रक जैसी गाडी के निचे चली गई, तो हेलमेट कुछ नहीं करेगा। हालाँकि, ऐसी दुर्घटनाएँ कम होता है।

राइडर्स मुख्य रूप से यात्री कारों से दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं, जो गली में हाइवे की तुलना में बहुत अधिक सामान्य है, या वे बाहर फिसल जाते हैं और स्लाइड करते हैं।

कार से टकराने पर बाइक चालक बाइक से उछल जाते हैं और कार के ऊपर से दूसरी तरफ जाकर गिरते हैं । हेलमेट, जाहिर है, आपके चेहरे को फुटपाथ के कंकरों से और आपकी खोपड़ी को टूटने से से बचाता है। ध्यान दें कि भले ही आपके वाहन की गति 70 हो गई हो, लेकिन कार से दुर्घटनाग्रस्त होने पर आप नीचे गिर जाते हैं, और जब तक आप जमीन से टकराते हैं, इस दरमियान आपकी गति बहुत धीमी गति से बढ़ती है ।

यदि आप 70 पर जा रहे हैं और बिना कुछ किए नीचे गिर जाते हैं, तो आप , 70 की स्पीड में क्षैतिज रूप से जा रहे हैं । जब आप जमीन से टकराते हैं तो क्षैतिज गति किसी कुर्सी से गिरने वाली गति से बहुत अधिक नहीं होती है। ऐसा नहीं है कि यदि आप ऐसा होता है तो आपके सिर को चोट नहीं पहुंचेगी। इस परिस्थिति में, घर्षण बड़ा खतरा है। क्या आपका फुटपाथ पर कभी घुटना और खाल छिला है? शायद, 1-2 मील प्रति घंटा की स्लाइड होगी । और यह चोट लगी है 70 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से, इसलिए यह स्लाइड आपकी त्वचा और अन्य नरम चीजों को चिथडा कर देगी। तो, हेलमेट आपके सर , नाक और कान को आपके सर से जोड़े रखता है। और यह गिरावट के प्रभाव को अपेक्षाकृत कम करता है।

देखिये इन सभी हेलमेटों में क्या कॉमन है :


बहुत सारे घर्षण , प्रभाव या कोई नुकसान नहीं।

क्या आपको लगता है कि आपका चेहरा हेलमेट के प्लास्टिक के समान हो सकता है?

बुढ़ापे में घुटने दर्द ना हो इसके लिए क्या करना चाहिए ?

 

बुढ़ापे में घुटने दर्द ना हो इसके लिए क्या करना चाहिए ?

प्राचीन काल से ही मनुष्य अपने रोगों का इलाज जड़ी बूटियों के माध्यम से करता आया है। कालांतर में लिखी इसी विधा की कई किताबें आज भी दुनिया के तमाम प्रकार के रोगों का इलाज कर रही हैं। हड्डियां मानव श्रृंखला की जड़ होती हैं जब इन्हीं में दर्द शुरू हो जाये तब इंसान दुख ग्रस्त हो जाता है। इन्हीं जोड़ों में एक जोड़ घुटने का भी होता है जो पैरों के बीच स्थित होता है। घुटना दर्द एक ऐसा रोग है जो आज के दौर में आम हो गया है। मसलन यह मर्ज बीते दौर में बुढ़ापे का रोग कहलाता था लेकिन आज समाज का हर तबका इसकी जद में आ चुका है।

बदलते दौर में लगातार जीवनशैली में परिवर्तन और गलत खान पान के अलावा पुरानी चोट ओर मधुमेह सहित मोटापा भी इसका बड़ा कारण माना जाता है। खान पान में विकृतियों के चलते इंसान की हड्डियों में यूरिक एसिड जमा होकर दर्द बढ़ा देता है। घुटना दर्द के लिए आज के दौर में कई प्रकार की चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध हैं लेकिन आयुर्वेद द्वारा काफी हद तक इस रोग पर विजय प्राप्त की जा सकती है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको आयुर्वेद द्वारा घुटना दर्द में। फायदे और नुकसान पर प्रकाश डालेंगे।

आयुर्वेदिक उपचार के फायदे।[1]

जड़ी बूटियों द्वारा निर्मित दवाएं हमारे जीवन को नया प्रकाश देती हैं। मसलन कुछ ऐसे उपाय हैं जिनसे हम घुटने दर्द में लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

दूध और अश्वगंधा का सेवन

दूध पीकर नवजात शिशु बड़ा होता है। दूध ऐसा पदार्थ है जिसमें कैल्शियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। अश्वगंधा एक ऐसी जड़ी होती है जो शरीर की हड्डियों को प्रचुरता से विटामिन डी प्रदान करती है। एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण खाकर एक गिलास गुनगुना दूध पीने से घुटने में उठ रहा दर्द समाप्त हो जाता है।

लहसुन और सरसों तेल के फायदे

लहसुन एक प्राकृतिक दर्द नाशक माना जाता है। हड्डियों के दर्द में 10 से 15 कली लहसुन को सरसों के तेल में अच्छे से उबालकर जोड़ों पर मालिश करें। इससे दर्द में राहत मिलती है। इसके अलावा लहसुन को उबालकर बचे हुए पानी की एक चम्मच मात्रा दिन में सूप की भांति 2 बार सेवन करने से घुटना दर्द समाप्त हो जाता है।

लौंग के फायदे

लौंग ऐसा दर्द निवारक है जो मिनटों में दर्द दूर भगा देता है। चार से 5 कली लौंग को तवे पर भूनकर इसे चूर्ण बना लें। इसी चूर्ण में एक चम्मच देशी शहद मिलाकर खाली पेट इस्तेमाल करने से घुटना दर्द दूर होने लगता है। इसे नियमित तौर पर इस्तेमाल करने से शरीर मे मौजूद हड्डियों के समस्त विकार दूर होने लगते हैं।

आयुर्वेदिक उपचार के नुकसान[2]

आदिकाल से दवाओं के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी बूटियों का वैसे तो कोई नुकसान देखने को नहीं मिलता लेकिन कुछ सावधानियां ना बरतने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है। मसलन जब भी हम इस उपचार माध्यम का प्रयोग करें चिकित्सक की सलाह जरूर लें। औषधि इस्तेमाल करने से पहले उसकी मात्रा के बारे में अच्छे से जान लें। यदि गलत मात्रा का सेवन किया गया तो यह इंसान के आंतरिक अंगों को प्रभावित कर सकता है जो किसी भी रूप में शरीर पर साइड इफेक्ट के रूप में सामने आ जाता है।

रामबाण औषध

स्तोत्-गुगल फोटो

हड़जाेड़ ( Hadjod ) को आयुर्वेद में हड्डी जोड़ने की कारगर दवा बताया गया है। इसे अस्थि संधानक या अस्थिशृंखला ( Asthisamharaka ) के नाम से भी जानते हैं। यह छह इंच की खंडाकार बेल होती है। इसके हर खंड से एक नया पौधा पनप सकता है। हृदय के आकार जैसी दिखने वाली पत्तियों वाले इस पौधेे में लाल रंग के मटर के दाने के बराबर फल लगते हैं। जानते हैं इसके बारे में:-

उपयोग और लाभ

भूरे रंग का हड़जाेड़ ( Cissus Quadrangularis ) पौधा स्वाद में कसैला और तीखा होता है। इसकी बेल में हर 5-6 इंच पर गांठ होती है। इस पौधे की प्रकृति गर्म होती है। जैसा कि इसके नाम से ही साफ है कि यह टूटी हड्डियों को जोड़ने मेंं कारगर है ( Plants Used For Healing Of Bone Fracture )। यह खाने और लगाने दोनों में काम आता है।

ऐसे लें :

250-500 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ लें। इसका रस निकालकर ठंडे दूध के साथ ले सकते हैं। इसका 5-6 अंगुल तना लेकर बारीक टुकड़े काटकर काढ़ा बना लें व सुबह-शाम पीएं।

खास बातें : हड़जाेड़ ( Veld Grape ) में सोडियम, पोटैशियम, कार्बोनेट भरपूर पाया जाता है। इसमें मौजूद कैल्शियम कार्बोनेट और फॉस्फेट हड्डियों को मजबूत करता है। आयुर्वेद सेंट्रल लैब के एक शोध में पाया गया कि हड़जाेड़ ( Devil's Backbone ) के उपयोग से हड्डी के जुड़ने का समय 33-50 फीसदी तक कम हो जाता है। यानी प्लास्टर के साथ हड़जाेड़ ( Pirandai ) लिया जाए तो हड्डी जल्दी जुड़ती है। ये हड्डियों को लचीला भी बनाता है इसलिए इसका प्रयोग खिलाड़ी भी करते हैं।[3]

फुटनोट

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