यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

संविधान संशोधन विधेयक लाकर देश का नाम इंडिया के बजाय भारत रखने की मांग

सांसद शांता नाइक ने गुरुवार को संसद में एक संविधान संशोधन विधेयक लाकर देश का नाम इंडिया के बजाय भारत रखने की मांग की है।


नाइक ने एक बयान जारी कर बिल पेश करने के मकसद और इसके कारणों का जिक्र किया। उनके मुताबिक इंडिया के बजाय भारत शब्द ज्यादा व्यापक और प्रासंगिक है। इंडिया शब्द प्रादेशिकता की ओर संकेत करता है जबकि भारत इससे कहीं बढ़कर है। उन्होंने कहा कि हम अपने देश का गुणगान 'भारत माता की जय' से क
रते हैं न कि 'इंडिया की जय'।


नाइक इससे पहले राज्यसभा में इस बारे में विधेयक पेश कर चुके हैं, लेकिन बीच में ही कार्यकाल खत्म होने के कारण उनके बिल की अवधि समाप्त हो गई थी। संसद में दोबारा चुनकर आने के बाद नाइक ने इस बिल को फिर से पेश किया। उन्होंने कहा, 'देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत रखने के कई आधार हैं, लेकिन इन सबसे बढ़कर भारत नाम के पीछे देशभक्ति की भावना है।'


जो लोग अभी भी इंडिया और भारत के अंतर से अनभिज्ञ हैं उनके लिए एक बार फिर .....


जरूर पढ़ें तथा औरो को भी पढ़ायें / शेयर करे:-

गुलामी से बाहर निकलो और भारतीय बनो::

इण्डिया छोडो और भारत बोलो::


भा + रत = भारत

(संस्कृति का सन्देश, स्वाभिमान का प्रतीक)


भारत उस देश का नाम है, जो अपने में एक विशिष्ट आध्यात्मिक संस्कृति को संजोए हुए है।

भारत : भा= 'प्रकाश और ज्ञान' + रत= 'लीन'

अर्थात जो देश प्रकाश, ज्ञान और आनंद की साधना में संलग्न रहा है, उसी का नाम है भारत।


भारत विश्वगुरु रहा है उसी ने बहुत पहले यह उदघोष किया -


॥ असतो माँ सदगमय, तमसो माँ ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय ॥

अर्थात असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से अमरत्व की ओर बढ़ना।


"अंग्रेजो ने भारत को इंडिया नाम दिया"

इस शब्द में वह शक्ति नहीं है, जो भारत के उपरोक्त गुणों को ध्वनित और व्यंजित कर सके, भारत के इंडिया शब्द का प्रयोग स्पष्ट करता है की भले ही अंग्रेजो की गुलामी से हम स्वतंत्र हो गए हैं, पर मानसिक दासता से अभी भी मुक्त नहीं हो सके हैं।


हमें इंडिया और अंग्रेजी, दोनों से ही अपने को मुक्त करना है तथा भारत, भारतीय संस्कृति और अपनी मातृभाषा से जुड़ना है, तभी हम सच्चे अर्थों में भारतीय कहलाने के अधिकारी होंगे।


# ::: इंडिया बनाम भारत ::: #


* इंडिया Competition पर चलता है और भारत Cooperation पर।

* इंडिया की theory है Survival of the Fittest और भारत की theory है Survival of all including the Weakest.

* इंडिया में ज्ञान डिग्री से मिलता है और भारत में ज्ञान सेवा से मिलता है।

* इंडिया में Nuclear Family चलती है और भारत में Joint Family.

* इंडिया में सिद्धांत है "स्व हिताय स्व सुखाय" और भारत में सिद्धांत है "बहुजन हिताय बहुजन सुखाय"।

* इंडिया में "I " "मैं" पर चलता है और भारत में "हम" पर चलता है।

* इंडिया मतलब इंडियन शहरों का समूह और भारत मतलब भारतीय गावों का समूह।

* इंडिया/इंडियन मतलब अंग्रेजी संस्कृति को बढ़ावा देना तथा भारत और भारतीय संस्कृति को भूलना।

* इंडिया/इंडियन मतलब विलासिता और शक्तिशाली लोग हैं जो भारत और भारतीयों पर राज करें।

* इंडियन सरकार ने भारतीय लोगों से जाति और धर्म क्यों पूछते हैं क्योंकि वे भारत/भारतीय लोगों पर शासन "फूट डालो और नियम" का पालन करते हैं।

* इंडियन मतलब साक्षर है और भारतीय मतलब शिक्षाविद् है।

* इंडियन अपने बच्चों के लिए सेक्स शिक्षा और भारतीय अपने बच्चों के लिए योग शिक्षा मांगते हैं।



भारत नाम हमारे देश में स्वीकार किया जाता है, विभिन्न सरकारी और सामाजिक क्षेत्रों, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्यूँ नहीं ?

जो निम्न उदाहरण से स्पष्ट है: -


1. हमारा राष्ट्रीय गान:

जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता ( ना की इंडिया भाग्य विधाता)


2. हमारा राष्ट्रीय प्रतिज्ञा: पहली पंक्ति है...!!

"भारत मेरा देश है" (ना की इंडिया मेरा देश है)


3. सर्वोच्च नागरिक सम्मान, जो हमारे देश में दिया जाता है: "भारतरत्न" है (ना की 'इंडियारत्न')


4. Indian penal code के लिए शब्द "भारतीय दंड संविधान" प्रयोग किया जाता है।


5. 'दूरदर्शन राष्ट्रीय नेटवर्क' पर दैनिक हिन्दी समाचार में हमेशा शब्द इंडिया के लिए भारत का उपयोग करता है। उदाहरणार्थ: 'इंडिया और इंग्लैंड' " के बीच के क्रिकेट मैच को "भारत और इंग्लैंड" के बीच।


6. हम कहते हैं "भारत माता की जय" (ना की इंडिया माता की जय)



"Incredible India" का मतलब "अविश्वासी इंडिया" होता है, तभी क्रिकेट के मैदान पर लिखा होता है, जिसे हमारे महान खिलाडी अपने जूते भरे पैरो से रोंदते है और इंडिया की जनता ताली बजाकर खुश होती है और भारत की जनता रोती है ? क्या हम अपने माता पिता का नाम किसी खेल के मैदान या सड़क पर लिख सकते है ?


इंग्लिश सीखो, लिखो, बोलो लेकिन सोचो....


"आंसू टपक रहे हैं, भारत के हर बाग से,

शहीदों की रूहें लिपट के रोती हैं, हर खासो आम से,

अपनों ने बुना था हमें, भारत के नाम से,

फिर भी यहाँ जिंदा है हम, गैरों के दिए हुए नाम इंडिया से"


क्या सोच रहे है आप ? बचाइए स्वाभिमान का प्रतीक अपने देश का नाम "भारत"


"हमारे देश का नाम हिंदी में भारत है, इंग्लिश में भी 'BHARAT' ही होगा ना की INDIA."


अधिक से अधिक शेयर करो और "इंडिया छोड़ो भारत बोलो"....!!

जन्माष्टमी और उपाय (जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.....)

जन्माष्टमी और उपाय (जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.....)

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी मे वृषभ राशि, रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण अवतार क्यों लिया, धर्म ग्रंथों के अनुसार इसका कारण इस प्रकार है-

द्वापर युग में जह पृथ्वी पर मानव रूपी राक्षसों के अत्याचार बढऩे लगे। तब पृथ्वी दु:खी होकर भगवान विष्णु के पास गईं। तब भगवान विष्णु ने कहा मैं शीघ्र ही पृथ्वी पर जन्म लेकर दुष्टों का सर्वनाश करूंगा। द्वापर युग के अन्त में मथुरा में उग्रसेन राजा राज्य करते थे। उग्रसेन के पुत्र का नाम कंस था। कंस ने उग्रसेन को बलपूर्वक कारागार में डाल स्वयं राजा बन गया थी।

कंस की बहन देवकी का विवाह यादव कुल में वासुदेव के साथ तय हुआ। जब कंस देवकी को विदा करने के लिए जा रहा था तो आकाशवाणी हुई कि- देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा । यह सुनकर कंस डर गया और उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया। और एक-एक कर देवकी की होने वाली संतानों का वध करने लगा।

आठवें गर्भ से श्रीकृष्ण का जन्म हुआ लेकिन माया के प्रभाव से किसी को इस बात का पता नहीं चला कि देवकी की आठवी संतान गोकुल में नंदबाबा के यहां पल रही है। यहां भी श्रीकृष्ण ने अपनी लीला से कई राक्षसों का वध किया और अंत में कंस का वध कर राजा उग्रसेन को सिंहासन पर बैठाया। श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में पाण्डवों का साथ दिया और अधर्म का नाश कर धर्म रूपी युधिष्ठिर को सिंहासन पर बैठाया।

इस बार ये त्योहार 10 अगस्त, शुक्रवार को है। अगर इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय किए जाएं तो हर मनोकामना पूरी हो सकती है।

उपाय

1- धनवान :- भगवान श्रीकृष्ण को सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाएं। इसमें तुलसी के पत्ते अवश्य डालें।

2- मालामाल होना :- इस दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें।

3- सुख - शांति :- श्रीकृष्ण मंदिर में जाकर तुलसी की माला से नीचे लिखे मंत्र की 11 माला जप करें। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण को पीला वस्त्र व तुलसी के पत्ते अर्पित करें. मंत्र - {"क्लीं कृष्णाय वासुदेवाय हरि: परमात्मने प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:"}

4- मां लक्ष्मी की कृपा :- श्रीकृष्ण को पीतांबरधारी भी कहते हैं, जिसका अर्थ है पीले रंग के कपड़े पहनने वाला। इस दिन पीले रंग के कपड़े, पीले फल व पीला अनाज दान करने से प्राप्त होती है।

5- तिजोरी में पैसा :- जन्माष्टमी की करीब 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें तो जीवन में कभी धन की कमी नहीं आती।

6- जेब खाली नहीं होगी :- इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते समय कुछ रुपए इनके पास रख दें। पूजन के बाद ये रूपए अपने पर्स में रख लें।

7- घर के वातावरण के लिए :- जन्माष्टमी को शाम के समय तुलसी को गाय के घी का दीपक लगाएं और "ऊँ वासुदेवाय नम:" मंत्र बोलते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें।

8- आमदनी या नौकरी :- सात कन्याओं को खीर या सफेद मीठी वस्तु खिलानी चाहिए। फिर पांच शुक्रवार सात कन्याओं को खीर बांटें।

9- कार्य बनाने के लिए :- जन्माष्टमी से शुरू कर, सत्ताइस दिन नारियल, बादाम लगातार मंदिर में चढ़ाये।

10- कर्ज :- श्मशान के कुएं का जल लाकर किसी पीपल वृक्ष पर अर्पित करे। यह उपाय जन्माष्टमी से शुरू करे, फिर नियमित रूप से छह शनिवार यह उपाय करे।

11- अचानक धन लाभ :- शाम के समय पीपल के पास तेल का पंचमुखी दीपक जलाना चाहिए।

12- शत्रु :- शाम को पीपल के पत्ते पर अनार की कलम से गोरोचन द्वारा शत्रु का नाम लिखकर जमीन में दबा दें। शत्रु शांत होंगे, मित्रवत व्यवहार करेंगे व कभी भी हानि नहीं पहुंचाएंगे।

13- धन की कमी के लिए :- जन्माष्टमी की रात 12 बजे बाद यह प्रयोग करें। एकांत स्थान पर लाल वस्त्र पहन कर बैठें। सामने दस लक्ष्मीकारक कौडिय़ां रखकर एक बड़ा तेल का दीपक जला लें और प्रत्येक कौड़ी को सिंदूर से रंग लें तथा हकीक की माला से इस मंत्र की पांच माला जप करें। इन कौडिय़ों पर धन स्थान अर्थात जहां आप पैसे रखते हों वहां रखें।
मंत्र :- {"ऊँ ह्रीं श्रीं श्रियै फट्"}

14- सुंदर संतान :- जन्माष्टमी के दिन सुबह या शाम के समय कुश के आसन पर बैठकर इस मंत्र का जप करें। सामने बालगोपाल की मूर्ति या चित्र अवश्य रखें और मन में बालगोपाल का स्मरण करें। कम से कम 5 माला जप अवश्य करें। मंत्र - {"देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणंगता।।"}

जन्माष्टमी के अवसर पर ईश्वर की कृपा आप पर होगी.. आपकी मनोकामना जरूर पूरी होगी….. जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.....

function disabled

Old Post from Sanwariya