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बुधवार, 15 अगस्त 2012

सोमनाथ मंदिर का इतिहास::--



मंदिर का बार-बार खंडन और जीर्णोद्धार होता रहा पर शिवलिंग यथावत रहा। लेकिन सन 1026 में महमूद गजनवी ने जो शिवलिंग खंडित किया, वह वही आदि शिवलिंग था। इसके बाद प्रतिष्ठित किए गए शिवलिंग को 1300 में अलाउद्दीन की सेना ने खंडित किया। इसके बाद कई बार मंदिर और शिवलिंग खंडित किया गया। बताया जाता है आगरा के किले में रखे देवद्वार सोमनाथ मंदिर के हैं। महमूद गजनवी सन 1026 में लूटपाट के दौरान इन द्वारों को अपने साथ ले गया था। सोमनाथ मंदिर के मूल मंदिर स्थल पर मंदिर ट्रस्ट द्वारा निर्मित नवीन मंदिर स्थापित है। राजा कुमार पाल द्वारा इसी स्थान पर अंतिम मंदिर बनवाया गया था।

सौराष्ट्र के मुख्यमंत्री उच्छंगराय नवल शंकर ने 19 अप्रैल 1940 को यहां उत्खनन कराया था। इसके बाद भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने उत्खनन द्वारा प्राप्त ब्रह्माशिला पर शिव का ज्योतिर्लिग स्थापित किया है। सौराष्ट्र के पूर्व राजा दिग्विजय सिंह ने 8 मई 1950 को मंदिर की आधार शिला रखी तथा 11 मई 1951 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने मंदिर में ज्योतिर्लिग स्थापित किया। नवीन सोमनाथ मंदिर 1962 में पूर्ण निर्मित हो गया। 1970 में जामनगर की राजमाता ने अपने स्वर्गीय पति की स्मृति में उनके नाम से दिग्विजय द्वार बनवाया। इस द्वार के पास राजमार्ग है और पूर्व गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा है। सोमनाथ मंदिर निर्माण में पटेल का बड़ा योगदान रहा।

मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे एक स्तंभ है। उसके ऊपर एक तीर रखकर संकेत किया गया है कि सोमनाथ मंदिर और दक्षिण ध्रुव के बीच में पृथ्वी का कोई भूभाग नहीं है। मंदिर के पृष्ठ भाग में स्थित प्राचीन मंदिर के विषय में मान्यता है कि यह पार्वती जी का मंदिर है। सोमनाथजी के मंदिर की व्यवस्था और संचालन का कार्य सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन है। सरकार ने ट्रस्ट को जमीन, बाग-बगीचे देकर आय का प्रबंध किया है। यह तीर्थ पितृगणों के श्राद्ध, नारायण बलि आदि कर्मो के लिए भी प्रसिद्ध है। चैत्र, भाद्र, कार्तिक माह में यहां श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इन तीन महीनों में यहां श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ लगती है। इसके अलावा यहां तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है। इस त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्व है।

'' हर हर महादेव ''
साभार: भाई रवि तिवारी जी

अगर आप हिन्दू हैं तो ज़रा इस खबर को पढ़ें और जाने कि गाय को मारकर क्या किया जाता है:

अगर आप हिन्दू हैं तो ज़रा इस खबर को पढ़ें और जाने कि गाय को मारकर क्या किया जाता है:

१) सबसे पहले तो ये बात जान लें कि हिंदुस्तान में गाय का मांस खाने वाले करीब २०% लोग हैं तो गाय का मांस तो वहां चला जाता है.

२) फिर गाय के अंदर से एक तेल निकलता है जिसका उपयोग क्रीम बनाने वाली कंपनियों को बेच दिया जाता है. ये जो आप fair&lovely , ponds ,charmis क्रीम उपयोग करते हैं उसमे गाय का तेल होता है.

३) गाय के खून का उपयोग नेल पोलिश, लिपिस्टिक बनाने में होता है और हाँ इस खून का उपयोग चाय बनाने में भी होता है. आप पूछेंगे कि कैसे तो ऐसे कि वैसे तो चाय कि पत्ती होती है उस पत्ती को एक्सपोर्ट कर दिया
जाता है और जी उसकी चूर होती है उसमे गाय का खून मिलाकर उसको सुखाया जाता है फिर उसको डिब्बे में भरकर बेचा जाता है.

४) ये तो आप जानते है कि चमडे कि चीजें भी जानवरों की खाल से बनायीं जाती हैं.

५) अब ज़रा गाय के अंदर के मांस का उपयोग जान लें. गाय के अंदर जोबड़ी आंत होती है उसको पीसकर उसकी चटनी बनायीं जाती है उसको जिलेटिन कहा जाता है इसका उपयोग टॉफी,चोकलेट, मैगी,पिज्जा जैसे सामान
बनाने में होता है.

६) गाय की हड्डियों का उपयोग टूथपेस्ट बनाने में होता है. कोल्गते,पेप्सोड ेंट और भी जितनीभी टूथपेस्ट हैं वो गाय की हड्डियों से बनता है. गाय को मारने के बाद उसकी हड्डियों को टूथपेस्ट बनाने वाली कंपनियों को बेच
दिया जाता है फिर ये कंपनियां उनहड्डियों को बोन-थ्र्शेर में डालकर उसका चूर्ण बनाया जाता है.अब तो सुना है की गाय की हड्डियों का उपयोग टेलकम पावडर बनाने में होने जगा है क्यों की टेलकम पावडर वैसे तो एक
पत्थर से बनता है लकिन उसकी कीमत६०-७० रूपये किलो मिलता है और येगाय की हड्डियों का चूर्ण २०-२५ रूपये किलो मिल जाता है.

अब बोलो क्या आप शुद्ध रूप से हिन्दू हैं या क्या आप अपने आप को vegetarian समझते हैं ?

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