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गुरुवार, 13 सितंबर 2012

मच्छर भगाने का सबसे सस्ता, टिकाउ, आसान और देसी तरिका !!

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मित्रों इस लिंक को देखें : http://youtu.be/hEcGTkAmgQI
या फिर इसे पढ़ें :
मच्छर मारने के लिए क्वायिल के रूप में, टिकिया के रूप में या तरल रूप में जो दवा हम इस्तेमाल करते है उसमे कुछ खतरनाक रासायन जैसे D-ethylene , Melphoquin और Phosphene होते हैं । ये तीनो रसायन अमेरिका और यूरोप सहित कुल 56 देशों में 20 साल से प्रतिबंधित है । बच्चों के सामने इसका का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
वैज्ञानिको का कहना है
ये मच्छर मारने वाली दवाएं अंत में मनुष्य को मार देती है !
इन तीन खतरनाक रसायनों का व्यापार भारत में विदेशी कंपनियों के नियंत्रण में है एवं वो इसे अंधाधुंध आयात करके भारत में बेच रहे हैं । साथ में कुछ घरेलु कंपनिया भी इन्हें बेच रही हैं ।
राजीव भाई कहते है की मच्छरदानी का प्रयाग करना सर्वोत्तम उपाए है और तरीका है जिससे मच्छर नही आता ।
भगाने का सबसे सस्ता, टिकाउ, आसान और देसी तरिका !!

आवश्यक सामग्री :-एक लैम्प (लालटेन), नीम का तेल,
कपूर(Camphour),मिटटी का तेल(Kerosene Oil), नारियल का तेल(Coconut Oil)

कैसे बनाये :-
1. नीम -केरोसीन लैम्प:- एक छोटी लैम्प में मिटटी के तेल में 30 बुँदे नीम के तेल की डालें, दो टिक्की कपूर को 20 ग्राम नारियल का तेल में पीस इसमें घोल लो
इसे जलाने पर मच्छर भाग जाते है और जब तक वो लैम्प जलती रहती है मच्छर नहीं आते वहाँ पर


2. दिया:- नारियल तेल में नीम के तेल को डाल कर उसका दिया जलाये इससे भी मच्छर नही आयेंगे

नोट :-जिस कमरे के मच्छर भागने है उस कमरे में इस लैम्प जला कर रख दो एक घंटे के बाद कमरे को बंद कर दो जाली वाली खिड़कियां खोल कर लो धीमी कर के सो जाओ |

लाभ :- सस्ता
प्राकृतिक ,आर्गेनिक ,दुष्प्रभाव रहित आदि !!
खतरनाक दवाओ के दुषप्रिणाम से बचे !!

शनिवार, 8 सितंबर 2012

अपने घर पर ही बनाए वाटर गार्डन

अपने घर पर ही बनाए वाटर गार्डन
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सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।

सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।

देखना है ज़ोर कितना, बाज़ु-ए-कातिल में है?

वक़्त आने दे बता, देंगे तुझे ऐ आसमाँ!

हम अभी से क्या बतायें, क्या हमारे दिल में है?

काश बिस्मिल आज आते, तुम भी हिन्दोस्तान में;

देखते यह मुल्क कितना, ‘टेन्शन’ में, ‘थ्रिल’ में है।

आज का लड़का ये कहता’ हम तो बिस्मिल थक गये;

अपनी आज़ादी तो भैया! लौंडिया के तिल में है।

आज के जलसों में बिस्मिल, एक गूँगा गा रहा;

और बहरों का वो रेला, नाचता महफ़िल में है।

हाथ की खादी बनाने, का ज़माना लद गया;

आज तो चड्ढी भी सिलती, इंग्लिशों की मिल में है।

वक़्त आने दे बता, देंगे तुझे ऐ आसमाँ!

हम अभी से क्या बतायें, क्या हमारे दिल में है?

सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।

देखना है ज़ोर कितना, बाज़ु-ए-क़ातिल में है?

बिजली महादेव : कुल्लू जिला

देवी-देवताओं का स्थान होने के कारण कुल्लू जिला को देवभूमि माना जाता है। जिला मुख्यालय के साथ लगते पर्वत पर स्थित खराहल घाटी है। घाटी की चोटी पर स्थित भोलेनाथ का मंदिर। इस मंदिर को बिजली महादेव के नाम से जाना जाता है। यह जिला के प्रमुख देवस्थलों में से एक है। यहां पहुंचकरश्रद्धालुओं को प्रकृति काखूबसूरत नजारा भी देखने को मिलता है। इस नजारे को देखकर एकदम कश्मीर का एहसास हो जाता है।
यूं तो इस स्थल पर सालभर स्थानीय लोगों और देशी-विदेशी पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है लेकिन श्रावण माह में यहां एक विशाल मेले का आयोजन होता है। श्रावण महीने में यहां अच्छी खासी भीड़ रहती है। शिवरात्रि को भी यहां विशेष आयोजन होता है। इस दिन भोलेनाथ के साथ बर्फ के भी दर्शन हो जाएं तो दृश्य नयनाभिराम हो जाता है।
लोककथा के अनुसार कालांतर में जालंधर नाम का एक दैत्य था, जिसे सागर पुत्र भी कहते हैं। उस राक्षस ने अपने तप से सृष्टि के रचयिता आदि ब्रहृम को जीत लिया था और अपने बल से जग के पालनहार विष्णु को भी बंदी बना लिया था व सभी देवताओं को पराजित कर त्रिलोक में उत्पात मचा रखा था। सभी उससे भयभीत थे।दैत्य त्रिलोक का स्वामी बनना चाहता था। कहते हैं किइसी स्थान पर उसका शिवजी सेभयंकर युद्ध हुआ था और भोलेनाथ ने उसे खत्म कर सभीदेवताओं को उसके चंगुल से मुक्त करवाया था। जिस गदा से शिवजी ने उस दैत्य का वधकिया था वह यहीं रखी गई और पिंडी के रूप में परिवर्तित हो गई, जो आज भी मौजूद है। इस विषत गदा को निर्विष करने के लिए इंद्रदेव ने आकाशीय बिजली गिराई। आज भी कुछ वर्षो के अंतराल में जब उक्त पिंडी पर बिजली गिरती है तो यह टुकड़े-टुकड़े हो जाती है।इसे जोड़ने के लिए मक्खन काइस्तेमाल होता है और शायद यह भी कारण है कि इसी वजह से इसका नाम बिजली महादेव पड़ा है।

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