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शनिवार, 17 नवंबर 2012

कच्ची हल्दी का अचार - Fresh Turmeric Pickle - Kachi Haldi Achar Recipe

कच्ची हल्दी का अचार - Fresh Turmeric Pickle - Kachi Haldi Achar Recipe

कच्ची हल्दी का अचार खाने में तो स्वादिष्ट होता ही है इसमें अनेकों औषधीय गुण भी हैं. स्वाद में एकदम तीखा हल्दी का अचार की बस एक चौथाई चम्मच आपके खाने को एक नया स्वाद देगी.

आवश्यक सामग्री - Ingredients for Turmeric Pickle


कच्ची हल्दी - 250 ग्राम (कद्दूकस की हुई एक कप)
सरसों का तेल - 100 ग्राम (आधा कप)
नमक - 2 1/2 छोटी चम्मच
लाल मिर्च - आधा छोटी चम्मच
दाना मैथी - 2 1/2छोटी चम्मच दरदरी पिसी
सरसों पाउडर - 2 1/2 छोटी चम्मच
अदरक पाउडर - 1 छोटी चम्मच
हींग - 2-3 पिंच
नीबू - 250 ग्राम ( 1/2 कप का रस)

विधि - How to make haldi pickle
हल्दी को छीलिये और धोकर पानी सुखाने के लिये थोड़ी देर के लिये धूप में रख दीजिये या सूती कपड़े से पोंछ कर पानी हटा दीजिये.

अब इस छिली हल्दी को कद्दूकस कर लीजिये या बारीक काट लीजिये. चूंकि हल्दी का अचार एकदम कम मात्रा में खाया जाता है इसलिये छोटे टुकडों के अचार के बजाय कद्दूदक की गई हल्दी का अचार अधिक सुविधाजनक होता है.

सरसों का तेल कढ़ाई में डाल कर अच्छी तरह गरम करके, थोड़ा सा ठंडा कर लीजिये, तेल में हींग, मैथी और सारे मसाले और कद्दूकस की गई हल्दी डाल कर अच्छी तरह मिलाइये.

हल्दी के अचार को प्याले में निकालिये और अचार में नीबू का रस डालकर अच्छी तरह मिलाकर हल्दी के अचार को ढककर रख दीजिये. 4-5 घंटे बाद अचार चमचे से फिर से ऊपर नीचे करके मिला दीजिये.

हल्दी का अचार बन चुका है, हल्दी के अचार को एकदम सूखे कांच या चीनी मिट्टी के कन्टेनर में भर कर रख लीजिये, सम्भव हो तो अचार के कन्टेनर को 2 दिन धूप में रख दें, धूप में रखने से अचार की सैल्फ लाइफ बढ़ जाती है और अचार स्वादिष्ट भी हो जाते हैं.

हल्दी का अचार (Turmeric Pickle) यदि तेल में डुबा हुआ रखा हो तब यह अचार 6 महिने से भी ज्यादा अच्छा रहेगा.

सावधानी:
अचार को निकालते समय हमेशा साफ और सूखी चम्मच प्रयोग में लाइये.

भगवान भास्‍कर की उपासना का महापर्व है छठ।



भगवान भास्‍कर की उपासना का महापर्व है छठ। मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है।
छठ व्रत के संबंध में अनेक कथाएं प्रचलित हैं; उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुएमें हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा । तब उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिल गया । लोकपरंपरा के अनुसार सूर्य देव और छठी मइया का संबंध भाई-बहन का ह
ै। लोक मातृ का षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी।
कैसे मनाते हैं छठ
यह त्‍योहार चार दिनों तक चलता है। भैयादूज के तीसरे दिन से इसकी शुरुआत होती है। पहले दिन सैंधा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दूकी सब्जी प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। अगले दिन से उपवास की शुरुआत होती है। इस दिन रात में खीर बनायी जाती है। व्रतधारी रात में यह प्रसाद लेते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। इस पूजा में पवित्रता को काफी महत्‍ता दी जाती है। इन दिनों लहसून और प्याज का सेवन वर्जित है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहां भक्तिगीत गाए जाते हैं पूजा की तैयारी के लिए लोग मिलकर पूरे रास्ते की सफाई करते हैं।

छठ पर्व का उत्‍साह

छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला महापर्व है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को तथा समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। इस दौरान कई लोग 36 घंटे का कठिन व्रत रखते हैं और दौरान अन्‍न-जल भी ग्रहण नहीं करते।

नहाय खाय

पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। सबसे पहले घर की सफाई कर उसे पवित्र बना लिया जाता है। इसके पश्चात छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। घर के सभी सदस्य व्रती के भोजनोपरांत ही भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन के रूप में कद्दू-दाल और चावल ग्रहण किया जाता है। यह दाल चने की होती है।

लोहंडा और खरना

दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतधारी दिन भर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं। इसे ‘खरना’ कहा जाता है। खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है। प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

संध्या अर्घ्य

तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, जिसे कुछ क्षेत्रों में टिकरी भी कहते हैं, के अलावा चावल के लड्डू, जिसे लड़ुआ भी कहा जाता है, बनाते हैं। इसके अलावा चढ़ावा के रूप में लाया गया साँचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है।

शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बाँस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रति के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर चल पड़ते हैं। सभी छठव्रती एक नीयत तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं। सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है। इस दौरान कुछ घंटे के लिए मेले का दृश्य बन जाता है।

उषा अर्घ्य

चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदियमान सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है। ब्रती वहीं पुनः इक्ट्ठा होते हैं जहाँ उन्होंने शाम को अर्घ्य दिया था। पुनः पिछले शाम की प्रक्रिया की पुनरावृत्ति होती है। अंत में व्रति कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं।

पुराणिक मान्‍यता

एक कथा के अनुसार राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परंतु वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरा पूजन करो तथा और लोगों को भी प्रेरित करो। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।

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फेयर एंड लवली का मालिक कौन है पता है ? हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड।
और ये हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड का मालिक ब्रिटेन की कंपनी यूनिलीवर लिमिटेड है।
अब आते हैं इसके ब्रांडो पर :
•एक्स(वही जिसके विज्ञापनों में बताया जाता है कि एक्स की खुशबू से औरतें आपके साथ सोने को एक पैर से तैयार हो जाएंगी)
•लिप्टन
•लक्स
•सर्फ़ (दाग अच्छे हैं)
•सनसिल्क
•रेक्सोना (हरपल साथ निभाए)
•डोव
•ब्रुक बॉन्ड
•ब्रू
•किसान जैम/केचअप आदि
•लाइफ बॉय
•विम
•पियर्स साबुन
•पान्ड्स
•फेयर एंड लवली
•वैसलीन
•क्वालिटी वाल्स आइसक्रीम
आदि आदि इत्यादि

इन ब्रांडों उत्पादों का भारत में जमकर इस्तेमाल होता है। मैं तो उस वक्त दंग रह गया जब देखा कि हमारे द्वारा रोजमर्रा के उपयोग किये जाने वाले ज्यादातर उत्पाद यूनिलीवर के हैं। यानि कि हमारी जेबों से इतनी भारी मात्रा में धन केवल एक कंपनी विदेश ले जा रही है। तो बाकी का मिलाकर क्या होगा?

एक दिन मैंने किराने की दुकान वाले से देशी विदेशी सामानों के बारे में पूछा तो उसने कहा कि यदि देशी विदेशी देखोगे तो कुछ खा नही पाओगे। यानि कि ज्यादातर उत्पाद विदेशी कंपनियों के हैं। आप यूनिलीवर के उत्पादों से ही अंदाजा लगा सकते हैं। बाजार पटा पड़ा है विदेशी कंपनियों के उत्पादों से।

अब भई ब्रिटेन की कंपनी है तो वो तो बोलेगी ही कि जो लोग गोरे नही होते उनकी कोई हैसियत नही होती।

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