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बुधवार, 21 नवंबर 2012

अगर आप क्रीम वाले बिस्किट खाने के शौकीन हैं तो सतर्क हो जाइए।

अगर आप क्रीम वाले बिस्किट खाने के शौकीन हैं तो सतर्क हो जाइए। हो सकता है इन बिस्किट में क्रीम की जगह वनस्पति घी और शक्कर का पेस्ट लगा हो। ये खुलासा हुआ है राज्य खाद्य पदार्थ परीक्षण प्रयोगशाला में नामी कंपनियों के क्रीम बिस्किटों की जांच रिपोर्ट में। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों (एफएसओ) द्वारा पिछले एक साल में नामी कंपनियों के क्रीमयुक्त बिस्किटों के 150 नमूने लिए गए थे। इनमें से 78 में वनस्पति घी, शक्कर और पानी के घोल का पेस्ट बिस्किटों के बीच लगा मिला है। मानक स्तर पर फेल हुए नमूनों में ब्रिटानिया, पारले, सनफीस्ट और कैडबरी जैसी नामी कंपनियों के नमूने शामिल हैं

एफएसओ डीके वर्मा के मुताबिक़ सभी मामलों में बिस्किट निर्माता कंपनी और सप्लायरों के विरुद्ध खाद्य सुरक्षा एवं मानक निर्धारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर कोर्ट में चालान दाखिल किए गए हैं। वर्मा के मुताबिक बिस्किट में अमानक क्रीम पाए जाने के बाद सभी एफएसओ को हर माह दुकानों को निरीक्षण कर बिस्किट के नमूने लेने को कहा गया है।

राज्य खाद्य पदार्थ परीक्षण प्रयोगशाला के फूड एनालिस्ट चतुर्भुज मीणा ने बताया बिस्किट निर्माता कंपनियां क्रीम के नाम पर बिस्किटों के बीच वनस्पति घी, शक्कर और पानी के पेस्ट का उपयोग कर रही हैं। पेस्ट का रंग क्रीम जैसा होने के कारण उपभोक्ता असली और नकली में फर्क नहीं कर पाते। बिस्किटों के बीच भरे जाने वाले इस पेस्ट में बिस्किट कंपनियों के अधिकारी विभिन्न प्रकार के फ्लेवर व एसेंस की मिलावट करते हैं।

एफएसओ वर्मा ने बताया कि इस साल सबसे ज्यादा 50 नमूने पारले मेनिफिस्टो के फेल हुए हैं। इसके अलावा सनफीस्ट क्रीम के 15 और ब्रिटानिया क्रीम बिस्किट (ऑरेंज फ्लेवर) के 12 नमूनों में मिलावट मिली है। दो माह पहले लिए गए कैडबरी कंपनी के ओरियो बिस्किट का भी एक नमूना फेल हुआ है। एफएसओ वर्मा ने बताया कि कैडबरी कंपनी ने लैब रिपोर्ट को चुनौती दी थी। इस पर ओरियो बिस्किट का नमूना जांच के लिए रेफरल लैब, मैसूर भेजा भेजा गया था, जहां से भेजी गई जांच रिपोर्ट में बिस्किट की क्रीम को अमानक स्तर का बताया गया।

बिस्किट का नाम : नमूने फेल
पारले मेनिफिस्टो : 50
सनफीस्ट क्रीम बिस्किट : 15
ब्रिटानिया क्रीम बिस्किट (ऑरेंज फ्लेवर) : 12
कैडबरी ओरियो बिस्किट : 1
(राज्य खाद्य पदार्थ परीक्षण प्रयोगशाला के फूड एनालिस्ट चतुर्भुज मीणा के मुताबिक।)

छोटी-मोटी चोट व दर्द और सूजन है तो ऐसे में निर्गुण्डी का पौधा

दैनिक जीवन छोटी-मोटी चोट तो किसी को भी लग सकती है। लेकिन कई बार चोट की मार बहुत अधिक होती है ऐसे में बहुत पेनकिलर खाने पर भी आराम नहीं होता। अगर आपके साथ भी यह समस्या है चोट लगी है व दर्द और सूजन है तो ऐसे में निर्गुण्डी की जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है। इसका पौधा सारे भारत मे, विशेषकर गर्म प्रदेशों में पाया जाता है। आयुर्वेद में कहा गया है-

सिन्दुक: स्मृति दस्तिक कषाय: कटुकोलघु।

केश्योनेत्र हितोहन्ति शूल शोथाम मारुतान्।

कृमि कुष्टारुचि श्लेष्व्रणन्नीला हितद्विधा।।

सिंदुरवारदलं जन्तुवात श्लेष्म हरं लघु।
इस तरह के पौधे की गंध तेज है। इसका सबसे ज्यादा उपयोग सूजन दूर करने में किया जाता है। हर प्रकार की सूजन दूर करने के लिए प्रयोग विधि इस प्रकार है।

प्रयोग- इसके पत्तों को पानी में उबालें। जब भाप उठने लगे तब बरतन पर जाली रख दें। दो छोटे कपड़े पानी में भिगोकर निचोड़ ले। तह करके एक के बाद एक जाली पर रख कर गर्म करें। सूजन या दर्द के स्थान पर रख कर सेंक करें। चोंट मोंच का दर्द, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द और गैस के कारण होने वाला दर्द दूर करने के लिए यह उपाय बहुत गुणकारी है। कफ,बुखार व फेफड़ों में सूजन को दूर करने के लिए इसके पत्तों का रस निकालकर 2 बड़े चम्मच मात्रा में, 2 ग्राम पिसी पिप्पली मिलाकर दिन में दो बार सुबह शाम पीएं व पत्तों को गर्म कर पीठ पर या छाती पर बांधने से आराम होता है।

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