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शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

हे भगवान,मुझे एक टीवी बना दो''

हे भगवान,मुझे एक टीवी बना दो''
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"प्राथमिक पाठशाला की एक शिक्षिका ने अपने छात्रों को एक निबंध लिखने को कहा विषय था "भगवान से आप क्या बनने का वरदान मांगेंगे" एक निबंध ने उस क्लास टीचर को इतना भावुक कर दिया कि रोते-रोते उस निबंध को लेकर वह घर आ गयी.पति ने रोने का कारण पूछा तो उसने जवाब दिया 'इसे पढ़ें, यह मेरे छात्रों में से एक ने यह निबंध लिखा है.'
निबंध कुछ इस प्रकार का था.
"हे भगवान,मुझे एक टीवी बना दो. क्योंकि तब मैं अपने परिवार में खास जगह ले पाउंगा और बिना रुकावट या सवालों के मुझे ध्यान से सुना-देखा जायेगा. जब मुझे कुछ होगा तब टीवी खराब होने की खलबली पूरे परिवार में सबको होगी और मुझे जल्द से जल्द सब ठीक हालत में देखने के लिये लालायित रहेंगें.वैसे मम्मी-पापा के पास स्कूल और आफ़िस में बिल्कुल टाइम नही है लेकिन मैं जब अस्वस्थ रहूंगा तब मम्मी का चपरासी और पापा की आफ़िस का स्टाफ़ मुझे सुधरवाने के लिये दौडकर आयेगा. दादा का पापा के पास कई बार फोन चला जायेगा कि टीवी जल्दी सुधरवा दोदादी का फ़ेवोरेट सीरियल आने वाला है.मेरी दीदी भी मेरे साथ रहने के लिये हमेशा सबसे लडती रहेगी.पापा जब भी आफ़िस से थक कर आयेंगे मेरे साथ ही अपना समय गुजारेंगे. मुझे लगताहै कि परिवार के हर सदस्य कुछ न कुछ समय मेरे साथ अवश्य गुजारना चाहेगा.मैं सबकी आंखों में कभी खुशी के तो कभी गम के आंसू देख पाउंगा. आज मैं स्कूल का बच्चा मशीन बन गयां हूं भगवान, स्कूल में किसी काम न आने वाली पढाई, घर में होम-वर्क और ट्यूशन पे ट्यूशन से न खेल पाता हूं न ही पिकनिक जा पाता हूं. इसलिये भगवान मैं सिर्फ एक टीवी की तरह रहना चाहता हूं, कम से कम रोज़ मै अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ अपना बेशकीमती समय तो गुज़ार पाऊंगा !"
'पति ने पूरा निबंध ध्यान से पढा और अपनी राय ज़ाहिर की:"हे भगवान, कितने जल्लाद होंगे इस गरीब बच्चे के माता - पिता!"
पत्नी ने पति को करूण आंखों से देखा और कहा, 'वह निबंध हमारे बेटे ने लिखा है !!'

क्या आप - हम साम्प्रदायिक हैं ?

क्या आप - हम साम्प्रदायिक हैं ?
वैसे इस " साम्प्रदायिक " शब्द से ही मैं सहमत नहीं हूँ . लेकिन आज भारत के राजनैतिक क्षितिज में यह शब्द बहुत फल - फूल रहा है अतएव इस शब्द पर चर्चा भी अनिवार्य हो गयी है .
कांग्रेस तो खैर क्या बोलती है - क्या करती है , इस दल का तो पूर्णतः दोहरा चरित्र शनैः शनैः उजागर होता जा रहा है . बांग्ला देश के मुसलामानों ने आज असोम ( आसाम ) के क्या हालात कर दिए हैं - इस बात से बहुत कम लोग परिचित है , क्यों ? क्योंकि पूर्वोत्तर के इस क्षेत्र के समाचार हमारी बिकी हुई मीडिया प्रकाशित - प्रसारित ही नहीं करती है . इन मुसलामानों की पीठ पर हमेशा कांग्रेस का ' हाथ ' रहा है . यही नहीं , जहाँ जहाँ भी इस दल की सरकारे हैं - बांग्लादेशी मुसलमान लाखों की संख्या में बसाए गए हैं . दिल्ली , जयपुर जैसे शहर आज इनकी आबादी से पटे पड़े हैं . इन लोगों को तुरंत राशन कार्ड , मतदाता पहचान पत्र , आधार कार्ड आदि सुलभ हो जाते हैं जबकि आम स्थानीय नागरिक इन कामों के लिए मारा मारा फिरता है .
देश के किसी भी कोने में दुर्भाग्य वश यदि किसी मुसलमान के साथ कोई साधारण सा भी हादसा हो जाय तो नेतागिरी , प्रशासन और मीडिया शुरू हो जाते हैं - भोंपू बजाने . तिल का ताड़ बना डालने में मानों पी एच डी इन लोगों ने ही की हो !
और साम्प्रदायिक हैं आप - हम , साम्प्रदायिक हैं नरेन्द्र मोदी , साम्प्रदायिक है भाजपा , संघ , साधु - सन्त . ये लोग भूल जाते हैं कि बहुसंख्यक हिन्दू इस देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को हर हमेश तैयार रहते हैं . हर मुश्किल में पूरे भारत का हिन्दू अपने अन्य अल्पसंख्यक भाइयो के लिए जी जान से सहायक बन जाते हैं . इन बातों को आज की भ्रष्ट राजनीति और बिकी हुई मीडिया उत्साह से न तो प्रसारित करती है न आभार प्रगट करने की जुर्रत समझती है .
कोई भगवा आतंकवाद तो कोई हिन्दू आतंकवाद कह कर बदनाम करने की मुहीम छेड़ रक्खी है , यदि कोई भगवा वस्त्रधारी ( अग्निवेश जैसे ) का संग मिल जाय तो फिर मीडिया वालों को मिर्च के साथ मसाला भी मिल जाता है .
आज मैं एक प्रश्न खड़ा करना चाहता हूँ कि आप सर्व साधारण निर्णय लें कि कौन है मौत का सौदागर ? कौन है सांप्रदायिक ? कौन है देश के हितों पर दुधारी तलवार चलाने वाला ?
वस्तुस्थिति समझनी होगी . परदेशियों को स्वदेशी बनवाकर , दारू - पैसों का लालच देकर , सी बी आई जैसी संस्थाओं का डर दिखा कर आखिर कब तक आप - हम पर इन राक्षसों का राज रहेगा ? कब तक हम हमारे वजूद को समझ पाएंगे ? कब तक हम राष्ट्रीयता के सतत प्रवाह में जीने का संकल्प करेंगे ? कब तक जातिवाद की बैसाखियों का सहारा इन भ्रष्ट नेताओं को देते रहेंगे ?
आइये ! संकल्प करें कि माँ भारती के सच्चे सपूत बन कर इस आर्यावर्त को विश्व गुरु के आसन पर विराजित कर के ही रहेंगे . सकारात्मक सन्देश इस ब्रह्माण्ड में गुंजाकर ही दम लेंगे .

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