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शुक्रवार, 8 मार्च 2013

माखन के औषधीय प्रयोग

माखन के औषधीय प्रयोग
बच्चों के ब्रम्हचर्य की रक्षा के लिए सबसे उत्तम है मक्खन।आजकल लोग बच्चों को च्यवनप्राश खिलाते है। च्यवनप्राश का सेवन तो च्यवन ऋषि ने वृद्धावस्था में पुनः यौवन प्राप्त कर बच्चें पैदा करने के लिए किया था।बच्चों को समय से पहले यौवन नहीं देना है।वो तो आज का दूषित माहौल पहले से ही कर रहा है।आज ज़रुरत है इनके ब्रम्हचर्य को बचाने की।
मक्खन के लिए देशी गाय के दूध की मलाई इकट्ठा कर उसे दही लगा दीजिये।अब उस दही को मथे ताकि उसमे प्राण शक्ति आ जाये। इसे मथते समय बाल कृष्ण का ध्यान करे तो और भी उत्तम है।
गाय के दूध से निकाला हुआ मक्खन हितकारी, वृष्य, वर्ण को उत्तम करने वाला, बलकारी, अग्नि प्रदीपक, ग्राही और वातपित्त, रक्त विकार, क्षय, बवासीर, लकवा तथा खाँसी को नष्ट करता है।भैंस के दूध का मक्खन वात तथा कफ कारक, भारी और दाह, पित्त तथा थकावट को दूर करने वाला है और मेद तथा वीर्य बढ़ाने वाला होता है।
मक्खन बालक और वृद्ध के लिए हितकारी है। बच्चों के लिए तो मक्खन अमृत की तरह है।ताजा मक्खन मधुर, ग्राही, शीतल, हलका, नेत्रों को हितकारी, रक्त पित्त नाशक, तनिक कसैला और तनिक अम्ल रसयुक्त (खट्टा) होता है।मक्खन का उपयोग किसी खाद्य पदार्थ पर लगाकर खाने में किया जाता है या आयुर्वेदिक औषधियों में वाजीकारक और उष्ण प्रकृति की औषधियों के विकल्प के रूप में किया जाता है।
ताजे मक्खन के शिशु के शरीर पर मालिश करके आधा घण्टा सुबह की धूप में लिटाने से उसे सूखा रोग नहीं होता।

मुख पर रोजाना मक्खन लगाकर मालिश करने और आधे घण्टे बाद कुनकुने गर्म पानी से धो डालने से चेहरे की त्वचा का रंग साफ होता है, फुंसी मुँहासे या झाइयाँ हो गई हों तो ठीक हो जाती हैं।

दुबले बच्चों, युवक-युवतियों को प्रतिदिन मक्खन-मिश्री 1-1 चम्मच या अपनी पाचन शक्ति के अनुसार सुबह खाली पेट खाना चाहिए। देर का रखा हुआ, खट्टा और दुर्गन्धित मक्खन सेवन योग्य नहीं होता।

गोंद के औषधीय गुण -

गोंद के औषधीय गुण -

किसी पेड़ के तने को चीरा लगाने पर उसमे से जो स्त्राव निकलता है वह सूखने पर भूरा और कडा हो जाता है उसे गोंद कहते है .यह शीतल और पौष्टिक होता है . उसमे उस पेड़ के ही औषधीय गुण भी होते है . आयुर्वेदिक दवाइयों में गोली या वटी बनाने के लिए भी पावडर की बाइंडिंग के लिए गोंद का इस्तेमाल होता है .
- कीकर या बबूल का गोंद पौष्टिक होता है .
- नीम का गोंद रक्त की गति बढ़ाने वाला, स्फूर्तिदा
यक पदार्थ है।इसे ईस्ट इंडिया गम भी कहते है . इसमें भी नीम के औषधीय गुण होते है - पलाश के गोंद से हड्डियां मज़बूत होती है .पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध अथवा आँवले के रस के साथ लेने से बल एवं वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं और शरीर पुष्ट होता है।यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है।
- आम की गोंद स्तंभक एवं रक्त प्रसादक है। इस गोंद को गरम करके फोड़ों पर लगाने से पीब पककर बह जाती है और आसानी से भर जाता है। आम की गोंद को नीबू के रस में मिलाकर चर्म रोग पर लेप किया जाता है।
- सेमल का गोंद मोचरस कहलाता है, यह पित्त का शमन करता है।अतिसार में मोचरस चूर्ण एक से तीन ग्राम को दही के साथ प्रयोग करते हैं। श्वेतप्रदर में इसका चूर्ण समान भाग चीनी मिलाकर प्रयोग करना लाभकारी होता है। दंत मंजन में मोचरस का प्रयोग किया जाता है।
- बारिश के मौसम के बाद कबीट के पेड़ से गोंद निकलती है जो गुणवत्ता में बबूल की गोंद के समकक्ष होती है।
- हिंग भी एक गोंद है जो फेरूला कुल (अम्बेलीफेरी, दूसरा नाम एपिएसी) के तीन पौधों की जड़ों से निकलने वाला यह सुगंधित गोंद रेज़िननुमा होता है । फेरूला कुल में ही गाजर भी आती है । हींग दो किस्म की होती है - एक पानी में घुलनशील होती है जबकि दूसरी तेल में । किसान पौधे के आसपास की मिट्टी हटाकर उसकी मोटी गाजरनुमा जड़ के ऊपरी हिस्से में एक चीरा लगा देते हैं । इस चीरे लगे स्थान से अगले करीब तीन महीनों तक एक दूधिया रेज़िन निकलता रहता है । इस अवधि में लगभग एक किलोग्राम रेज़िन निकलता है । हवा के संपर्क में आकर यह सख्त हो जाता है कत्थई पड़ने लगता है ।यदि सिंचाई की नाली में हींग की एक थैली रख दें, तो खेतों में सब्ज़ियों की वृद्धि अच्छी होती है और वे संक्रमण मुक्त रहती है । पानी में हींग मिलाने से इल्लियों का सफाया हो जाता है और इससे पौधों की वृद्धि बढ़िया होती
- गुग्गुल एक बहुवर्षी झाड़ीनुमा वृक्ष है जिसके तने व शाखाओं से गोंद निकलता है, जो सगंध, गाढ़ा तथा अनेक वर्ण वाला होता है. यह जोड़ों के दर्द के निवारण और धुप अगरबत्ती आदि में इस्तेमाल होता है .
- प्रपोलीश- यह पौधों द्धारा श्रावित गोंद है जो मधुमक्खियॉं पौधों से इकट्ठा करती है इसका उपयोग डेन्डानसैम्बू बनाने में तथा पराबैंगनी किरणों से बचने के रूप में किया जाता है।
- ग्वार फली के बीज में ग्लैक्टोमेनन नामक गोंद होता है .ग्वार से प्राप्त गम का उपयोग दूध से बने पदार्थों जैसे आइसक्रीम , पनीर आदि में किया जाता है। इसके साथ ही अन्य कई व्यंजनों में भी इसका प्रयोग किया जाता है.ग्वार के बीजों से बनाया जाने वाला पेस्ट भोजन, औषधीय उपयोग के साथ ही अनेक उद्योगों में भी काम आता है।
- इसके अलावा सहजन , बेर , पीपल , अर्जुन आदि पेड़ों के गोंद में उसके औषधीय गुण मौजूद होते है .

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