मित्रो कुछ दिनो पहले चिकनगुनिया नाम की बीमारी बहुत तेजी से अपने देश मे फैली !! लाखो की संख्या मे लोग इससे प्रभावित हुये ! और हजारो लोग मरे ! हमेशा की तरह सरकार के हाथ खड़े रहे !श्री राजीव दीक्षित जी ने 6 महीने गाँव -गाँव घूम-घूम कर आयुर्वेदिक दवा से सैंकड़ों लोगो को बचाया !!और ये दवा बनानी कितनी आसान है !
तुलसी का काढ़ा पी लो !
नीम की गिलोय होती है उसको भी उसमे डाल लो !
थोड़ी सोंठ(सुखी अदरक) डाल लो !
थोड़ी छोटी पीपर डाल लो !
और अंत थोड़ा गुड मिला लो ! क्यूंकि ज्यादा कड़वा हो जाता है तो कई बार पिया नहीं जाता !
मात्र इसकी 3 खुराक से राजीव भाई ने हजारो लोगो का चिकनगुनिया पूरा खत्म कर दिया !!
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और जो ये एलोपेथी वाले ने किया ! Boveron के 3 -3 इंजेक्शन ठोक दो ! diclofenac दे दो !
Paracetamol भी दे दो ! जो इनके पास है सब मरीज को ठोक दिया ! और लोग 20 -20 दिन से बिस्तर मे पड़े तड़पते रहे !!
और कुछ डाक्टर जिनको खुद चिकनगुनिया हो गया ! राजीव भाई के पास आए और बोलो कुछ बता दो ! राजीव भाई ने कहा अपना इंजेक्शन खुद क्यूँ नहीं ठोक लेते ! तो उन्होने ने कहा हमे मालूम है इसके side effects क्या हैं !
तो राजीव भाई ने कहा मरीज को क्यूँ नहीं बताते ???
क्या इतने हरामखोर हो ??
तुम जानते हो Boveron लगाएंगे मुंह मे छाले हो जाएँगे ! गले मे छालें हो जाएँगे ! अल्सर होने की भी संभावना है ! ये सब तुम जानते हो तो मरीज को क्यूँ नहीं बताते ???
ये हरामखोरी तुम मे कहाँ से आ गई ??
अपने को ये सब इंजेक्शन लगाओ नहीं ! और मरीज को ठोकते जाओ ठोकते जाओ ! और तुमके मालूम है मरीज इससे ठीक होने वाला नहीं ! फिर Paracetamol दे दो फिर novalgin दे दो !
और दुर्भाग्य से ये सारी दवाएं यूरोप के देशों मे पीछले 20 -20 से बंद है ! वो कहते है diclofenac खराब है !Paracetamol तो जहर है ! novaljin तो 1984 से बैन हैं अमेरिका मे ! और वही इंजेक्शन ठोक रहें बार बार ! और मरीज जो है ठीक ही नहीं हो रहा !!
राजीव भाई बताते है होमेओपेथी की तो बहुत सी दवा तो आयुर्वेद से हीं गाई ! आप मे से कुछ होमेओपेथी डाक्टर होंगे तो वो जानते होंगे ! तुलसी से ही ocimum बनी हैं ! तो ocimum की तीन तीन खुराक देकर राजीव भाई ने कर्नाटक राज्य मे 70 हजार लोगो को चलता कर दिया ! और वो 20 -20 दिन से एलोपेथी खा रहे थे result नहीं आ रहा था ! बुखार रुक नहीं रहा था उल्टी पे उल्टी हो रही थी ! नींद आ नहीं रही थी और ocimum 200 की तीन तीन खुराक से
सब ठीक कर दिया !
और अंत कर्नाटक राज्य की सरकार ने इसके परिणाम देख अपने सारे डाएरेक्टर,जोयन डेरेक्टर ! लगा दिये कि जाओ देखो ये राजीव दीक्षित क्या दे रहा है !
राजीव भाई 70 हजार लोगो को दवा दी सिर्फ 6 मरे ! औए उन्होने 1 लाख 22 हजार लोगो की दी मुश्किल से 6 बचे !! ये कर्नाटक का हाल था ! राजीव भाई बोले मेरी मजबूरी ये थी की कार्यकर्ता कम पढ़ गए ! अगर 1 -2 हजार डाक्टरों की टीम साथ होती ! तो हम कर्नाटक के उन लाखो लोगो को बचा लेते जो मर गए !
तो मित्रो ये तुलसी ,नीम सोंठ ,पीपर सब आपके घर मे आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं ! इनके प्रयोग से आप रोगी की जान बचा सकते हैं ! और अगर पूरे शहर या गाँव मे फैल जाये ! एक एक को काढ़ा पिलाना मुश्किल हो तो होमेओपेथी की ocimum 200 की दो दो बुँदे 3 -3 बार मरीजो को दीजिये !!
उनका अनमोल जीवन और पैसा बचाइए !
पूरी post नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click कर देखें !
https://www.youtube.com/watch?v=PmQnBJbq5X8
एसिडिटी का आयुर्वेदिक उपचार ::
एसिडिटी क्या होती है?
हम जो खाना खाते हैं, उसका सही तरह से पचना बहुत ज़रूरी होता है। पाचन की
प्रक्रिया में हमारा पेट एक ऐसे एसिड को स्रावित करता है जो पाचन के लिए
बहुत ही ज़रूरी होता है। पर कई बार यह एसिड आवश्यकता से अधिक मात्रा में
निर्मित होता है, जिसके परिणामस्वरूप सीने में जलन और फैरिंक्स और पेट के
बीच के पथ में पीड़ा और परेशानी का एहसास होता है। इस हालत को एसिडिटी या एसिड पेप्टिक रोग के नाम से जाना जाता है ।
एसिडिटी होने के कारण
एसिडिटी के आम कारण होते हैं, खान पान में अनियमितता, खाने को ठीक तरह से
नहीं चबाना, और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना इत्यादि। मसालेदार और जंक
फ़ूड आहार का सेवन करना भी एसिडिटी के अन्य कारण होते हैं। इसके अलावा हड़बड़ी
में खाना और तनावग्रस्त होकर खाना और धूम्रपान और मदिरापान भी एसिडिटी के
कारण होते हैं। भारी खाने के सेवन करने से भी एसिडिटी की परेशानी बढ़ जाती
है। और सुबह सुबह अल्पाहार न करना और लंबे समय तक भूखे रहने से भी एसिडिटी
आपको परेशान कर सकती है।
एसिडिटी के लक्षण
• पेट में जलन का एहसास
• सीने में जलन
• मतली का एहसास
• डीसपेपसिया
• डकार आना
• खाने पीने में कम दिलचस्पी
• पेट में जलन का एहसास
एसिडिटी के आयुर्वेदिक उपचार
• अदरक का रस: नींबू और शहद में अदरक का रस मिलाकर पीने से, पेट की जलन शांत होती है।
• अश्वगंधा: भूख की समस्या और पेट की जलन संबधित रोगों के उपचार में अश्वगंधा सहायक सिद्ध होती है।
• बबूना: यह तनाव से संबधित पेट की जलन को कम करता है।
• चन्दन: एसिडिटी के उपचार के लिए चन्दन द्वारा चिकित्सा युगों से चली आ
रही चिकित्सा प्रणाली है। चन्दन गैस से संबधित परेशानियों को ठंडक प्रदान
करता है।
• चिरायता: चिरायता के प्रयोग से पेट की जलन और दस्त जैसी पेट की गड़बड़ियों को ठीक करने में सहायता मिलती है।
• इलायची: सीने की जलन को ठीक करने के लिए इलायची का प्रयोग सहायक सिद्ध होता है।
• हरड: यह पेट की एसिडिटी और सीने की जलन को ठीक करता है ।
• लहसुन: पेट की सभी बीमारियों के उपचार के लिए लहसून रामबाण का काम करता है।
• मेथी: मेथी के पत्ते पेट की जलन दिस्पेप्सिया के उपचार में सहायक सिद्ध होते हैं।
• सौंफ:सौंफ भी पेट की जलन को ठीक करने में सहायक सिद्ध होती है। यह एक
तरह की सौम्य रेचक होती है और शिशुओं और बच्चों की पाचन और एसिडिटी से
जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भी मदद करती है।
आयुर्वेद की अन्य औषधियां
अविपत्तिकर चूर्ण, वृहत पिप्पली खंड, खंडकुष्माण्ड अवलेह, शुन्ठिखंड,
सर्वतोभद्र लौह, सूतशेखर रस, त्रिफला मंडूर, लीलाविलास रस, अम्लपित्तान्तक
रस, पंचानन गुटिका, अम्लपित्तान्तक लौह जैसी आयुर्वेदिक औषधीयाँ एसिडिटी
कम करने में उपयोगी होती हैं लेकिन इनका प्रयोग निर्देशानुसार करें I
एसिडिटी के घरेलू उपचार:
• विटामिन बी और ई युक्त सब्जियों का अधिक सेवन करें।
• व्यायाम और शारीरिक गतिविधियाँ करते रहें।
• खाना खाने के बाद किसी भी तरह के पेय का सेवन ना करें।
• बादाम का सेवन आपके सीने की जलन कम करने में मदद करता है।
• खीरा, ककड़ी और तरबूज का अधिक सेवन करें।
• पानी में नींबू मिलाकर पियें, इससे भी सीने की जलन कम होती है।
• नियमित रूप से पुदीने के रस का सेवन करें ।
• तुलसी के पत्ते एसिडिटी और मतली से काफी हद तक राहत दिलाते हैं।
• नारियल पानी का सेवन अधिक करें।
सर्दी खांसी जुकाम का ईलाज::
• एक अच्छी दवाई खांसी जुखाम एलर्जी सर्दी आदि के लिए जिसे आप घर पर बना
सकते है इसके लिए आपको चाहिए तुलसी के पत्ते, तना और बीज तीनो का कुल वजन
50 ग्राम इसके लिए आप तुलसी के ऊपर से तोड ले इसमें बीज तना और तुलसी के
पत्ते तीनो आ जाएंगे इनको एक बरतन में डाल कर 500 मिलि पानी डाल ले और
इसमें 100 ग्राम अदरक और 20 ग्राम काली मिर्च दोनो को पीस कर डाले और अच्छे
से उबाल कर काढे और जब पानी 100 ग्राम रह
जाए तो इसे छान कर किसी कांच की बोतल में डाल कर रखे इसमे थोडा सा शहद
मिला कर आप इसके दो चम्मच ले सकते है दिन में 3 बार
• जुखाम के
लिए 2 चम्मच अजवायन को तवे पर हल्का भूने और फ़िर उसे एक रूमाल या कपडे में
बांध ले और पोटली बना ले......उस पोटली को नाक से सूंघे और सो जाए
• खांसी के लिए रोज दिन में 3 बार हल्के गर्म पानी में आधा चम्मच सैंधा
नमक डाल कर गरारे(gargles) करे सुबह उठ कर दोपहर को और फ़िर रात को सोने से
पहले..............एक चम्मच शहद में थोडी सी पीसी हुई काली मिर्च का पाऊडर
डाल कर मिलाए और उसे चाटे...........अगर खासी ज्यादा आ रही हो तो 2 साबुत
कालीमिर्च के दाने और थोडी सी मिश्री मुंह में रख कर चूसे आराम मिलेगा
• अगर दही खाते है तो उसे बंद करदे और रात को सोते समय दूध न पिए
• तुलसी, काली मिर्च और अदरक की चाय खांसी में सबसे बढि़या रहती हैं।
• हींग, त्रिफला, मुलहठी और मिश्री को नीबू के रस में मिलाकर लेने से खांसी कम करने में मदद मिलती है।
• पीपली, काली मिर्च, सौंठ और मुलहठी का चूर्ण बनाकर चौथाई चम्मच शहद के साथ लेना अच्छा रहता है
शरीर को निरोगी बनाती है तुलसी::
विदेशी चिकित्सक इन दिनों भारतीय जड़ी बूटियों पर व्यापक अनुसंधान कर रहे
हैं। अमरीका के मैस्साच्युसेट्स संस्थान सहित विश्व के अनेक शोध संस्थानों
में जड़ी-बूटियों पर शोध कार्य चल रहे हैं। "वल्र्ड-एड्स" के अनुसार अमरीका
के नेशनल कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट में कैंसर एवं एड्स के उपचार में कारगर
भारतीय जड़ी-बूटियों को व्यापक पैमाने पर परखा जा रहा है। विशेष रू प से
तुलसी में एड्स निवारक तत्वों की खोज जारी
है। मानस रोगों के संदर्भ में भी इन पर परीक्षण चल रहे हैं। आयुर्वेदिक
जड़ी बूटियों पर पूरे विश्व का रूझान इनके दुष्प्रभाव मुक्त होने की
विशेषता के कारण बढ़ता जा रहा है।
कैंसर में कारगर तुलसी
एक
अध्ययन से यह बात स्पष्ट हो गई है कि अब तुलसी के पत्तों से तैयार किए गए
पेस्ट का इस्तेमाल कैंसर से पीडित रोगियों के इलाज में किया जा सकता है।
दरअसल वैज्ञानिकों को "रेडिएशन-थैरेपी" में तुलसी के पेस्ट के जरिए विकिरण
के प्रभाव को कम करने में सफलता हासिल हुई है। तुलसी में विकिरण के
प्रभावों को शांत करने के गुण हैं। यह निष्कर्ष पिछले दस वर्षों के दौरान
भारत में ही मणिपाल स्थित कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज में चूहों पर किए गए
परीक्षणों के आधार पर निकाला गया। दस वर्षो की अवधि में हजारों चूहों पर
परीक्षण किए गए।
दुष्प्रभाव नहीं
कैंसर के इलाज में रेडिएशन
के प्रभाव को कम करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला "एम्मी फास्टिन" महंगा
तो है ही, साथ ही इसके इस्तेमाल से लो- ब्लड प्रेशर और उल्टियां होने की
समस्याएं भी देखी गई हैं। जबकि तुलसी के प्रयोग से ऎसे दुष्प्रभाव सामने
नहीं आते।
संक्रामक रोगों से बचाती है
डॉ. के. वसु ने तुलसी को संक्रामक-रोगों जैसे यक्ष्मा, मलेरिया, कालाजार इत्यादि की चिकित्सा में बहुत उपयोगी बताया है।
पुदीना, तुलसी का मिश्रण
चूहों पर किए गए परीक्षणों के बाद यह साबित हुआ है कि पुदीना और तुलसी के
मिश्रण के लगातार सेवन से कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है। एक
विश्वविद्यालय में लगभग बीस सप्ताह तक चूहों के दो अलग समूहों पर यह प्रयोग
किया गया। दोनों समूह के चूहों पर रसायन का लेप किया गया। एक समूह को
तुलसी और पुदीना का मिश्रण भी पिलाया गया। जिन चूहों की त्वचा पर सिर्फ
रसायन का लेप किया गया था, उनके शरीर पर बड़े-बड़े फोडे निकल आए। जिन चूहों
को तुलसी और पुदीना का मिश्रण पिलाया गया, उनमें ऎसा नहीं हुआ।
मच्छर नाशक
"बुलेटिन ऑफ बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया" में प्रकाशित एक शोध के अनुसार
तुलसी के रस में मलेरिया बुखार पैदा करने वाले मच्छरों को नष्ट करने की
अद्भुत क्षमता पाई जाती है। वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. जी.डी. नाडकर्णी का
अध्ययन बतलाता है कि तुलसी के नियमित सेवन से हमारे शरीर में
विद्युतीय-शक्ति का प्रवाह नियंत्रित होता है और व्यक्ति की जीवन अवधि में
वृद्धि होती है। तभी तो भारत के लगभग हर घर के चौक में सदियों से तुलसी का
स्थान रहा है। कहा जाता है कि इसके आसपास मच्छर नहीं होते।