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रविवार, 27 जुलाई 2014

इस तथा कथित "सहिषुणता " और मानसिक बीमारी को भक्ति कह सकते हे क्या ?????

साईं की एक तस्वीर जिसमे उसे सीधे विष्णु जी के रूप में शेषनाग पर बिठा दिया गया हे !"
हो सकता हे की कल किसी साईं भक्त का दिमाग चले और ????
लक्ष्मी माँ को साईं के पैर दबाते हुए चित्र बनादे ?????!!!!
फिर किसी और साईं भक्त का दिमाग चले और साईं के हाथ में "श्री कृष्ण का महाशस्त्र सुदर्शन चक्र" थमा दे।
और किसी महामूर्ख भक्त का दिमाग चले तो वह अनादिकाल "शिव परिवार" के साथ
माँ दुर्गा और समस्त परिवार के बीच से अनंत शिव को हटाकर इस साईं को परिवार और माँ दुर्गा का पति परमेश्वर और कार्तिकेय जी व् विनायक जी का पिता भी घोषित कर दे।?????!!!!!
अंध भक्ति और मार्केटिंग की होड़ में यह घटना होना भी आप हे और यह बिचारे करे भी तो क्या इनका यह रूप होना आम हे!!!!!!! और इनके द्वारा !"ॐ साईं राम" "ॐ साईं कृष्ण" का उदघोष करते हे ।।।

फिर मशीनरी "चर्च" द्वारा फेलाये जा रहे भ्रम और साईं भक्तो द्वारा फेलाया जा रहा अंध विश्वास में क्या अंतर हे ।???????
इस तथा कथित "सहिषुणता " और मानसिक बीमारी को भक्ति कह सकते हे क्या ?????

"श्रीमदभगवत गीता"अध्याय-6 श्लोक दूसरा "भक्त में तुझे तेरे कर्मो का फल उसी उचित समय दूंगा जब में उसे तेरे हित कार्य में समझू और कोई भी शक्ति मेरे इस जीवन फल कार्य के आड़े नही आ सकती ।।अर्थात यह टेलीब्रांड को मानने वाले की उनके सारे कार्य वहा से होते हे तो उस कब्र की आस्था फिर से एक बार हमारी"गीता "का अपमान करते हे

हर चैनल हर एंकर बिकता है

एक बार 3 लोग बैठ के बातें कर रहे थे और बड़ी जोर जोर से हंस रहे थे, उन में से एक किसी मीडिया चैनल का मालिक था, एक विदेशी था,एक नेता था

सब से पहले विदेशी बोला -

यहाँ के लोग तो मुर्ख हैं,हमारा कूड़ा खाते हैं,
हमारे कुत्तो की साबुन से नहाते हैं
हमारे बनाये कीटनाशक को अमृत समझ के पीते हैं,
इनकी ही गौ माता को मार कर हम
मेग्गी,lays, और सभी सामानों में मिलाते हैं
ये मुर्ख ब्रांडेड समझ के मजे से खा जाते हैं
नीम की दातुन को छुडवा के लगा दिया कोलगेट घिसने पे
जो बनती है जानवरों की हड्डी पिसने पे
दिवाली जैसे त्योहारों पे भी
अब ये हमारी चोकलेट कुरकुरे खाते हैं
और अपनी गौ माता के दूध में मिलावट बताते हैं
हम यहाँ बैठ कर इनक्को अपने इशारे पे नचवाते हैं
राम सेतु आदि यहाँ बैठ के तुड्वाते हैं
यह थे कभी दुनिया के मालिक, आज नोकर इनको बना दिया
आसमान से पटक कर मिटटी में इनको मिला दिया

पर अक्ल इन मूर्खो अभी भी नही आई

आज भी ब्रांडेड से नहाते हैं, ब्रांडेड खाते हैं
ब्रांडेड चलाते हैं, ब्रांडेड पहनते हैं
हा हा हा हाहा

पुरे कमरे में गूंज रही ठहाको की फुलवारी थी
अब विदेशी के बाद नेता की बारी थी

दारु का गिलास उठा के नेता बोला
अरे विदेशी भाई तुमने हमको कम तोला

ये लोग तुम्हारे गुलाम न होते
हम अगर आपके साथ न होते

हमने सोने की चिड़िया को रुलाया है
यहाँ का राज हमने ही तुम्हे दिलाया है

तुमने तो सिर्फ पैसा और सामान दिया है
असली पागल तो इनको हमने किया है
कभी जात के नाम पे कभी धर्म के नाम पे
हमने भाई भाई को लड़ाया है

हम देश को निचोड़ के बेच देंगे तुम इत्मीनान रखना
बस पैसा कम न हो जाये मेरे स्विस खाते का ख्याल रखना

इसी बिच मीडिया वाला चिलाया तोड़ दारु की बोतल जोर से बडबढाया

तुम दोनों कुछ भी न होते हम अगर आपके साथ न सोते

तुम्हारी हर नीच हरकत हम छुपाते हैं
पकड़ के किसी बेकसूर को ज़ालिम ज़ालिम चिल्लाते हैं

ब्रांडेड आपके इसलिए बिकते हैं, क्यूँ की हर ब्रेक में हमारे दीखते हैं
विदेशी सामान का असली सच हम दिखाते नही हैं
इसलिए लिए अच्छे सव्देशी प्रोडक्ट टिक पाते नही हैं

अच्छे भले संतो को हम फसा रहे हैं
इसलिए आप के धर्म वाले लोगों को इसाई बना रहे हैं

हर चैनल हर एंकर बिकता है
इसलिए सुबह 6 बजे हर जगह यीशु दीखता है

अगर सिर्फ 24 घंटे हम इमानदारी से खबरें चला दें
तुम दोनों को एक दिन में जेल भिजवा दें

वो 56 इंची हिंदू राष्ट्रवादिता का सीना कहाँ है...?

मुझे मेरे धर्म, मेरे हिंदुत्व और मेरे लोगों की कीमत पर तुम्हारा थोथा और हिंदू विरोधी / हिंदुत्व संहारी विकास नहीं चाहिए मोदी सरकार ...तुम अपना कम्प्यूटर कुरान वालों के हाथ में ठूंसते रहो, अब हम तुम्हारे और तुम्हारी पार्टी के पैरों के नीचे से जनाधार की जमीन निकालेंगे जो तुम्हारे बहकावे में आ कर हम हिंदू राष्ट्रवादियों ने दिनरात एक करके जोती थी अन्यथा रमजान नाथ गैंग और पूरी भाजपा की औकात ही क्या थी....??

हम निशुल्क निस्वार्थ राष्ट्रवादी कार्यकर्तागण थे जो हिंदुओं के प्रति दुराग्रहों और होते कुकर्मों समेत भ्रष्टता, और लूट से परेशान थे, राष्ट्रीय सम्मान के खत्म होते अस्तित्व से हलकान थे ...किंतु आज दो माह में ही पूत के पग पालने में सुस्पष्टता से दृश्यमान है और अब हम आपके बहकावे में आकर, मौनी बाबाओं और उनकी अकर्मण्यता को दिन प्रतिदिन सहन करते ही जाये, क्षमा करें इतना महाबली धीरज धरने लायक ना आपके कर्म हैं ना हम लायक बचे हैं।

अब हम पैरों तले जमीन खीचेंगे और जानना चाहेगे कि वो 56 इंची हिंदू राष्ट्रवादिता का सीना कहाँ है...?
कहाँ है वो ...???

भारतीय किसान और स्थानीय व्यापरियों को व्यापारिक फायदा पहुंचाए।

साथियों....
हिन्दू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक रक्षाबन्धन का त्यौहार आने वाला है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारतीय न्यूज ट्रेडर्स के साथ मिलकर षड्यंत्र रचा है।
अगले 8-10 दिनों में हर न्यूज चैनल भारतीय बाजार में मिलने वाली हर मिठाई को दूध
और मावा की मिलावट का प्रदर्शन करेंगे और साथ साथ ही कैडबरी चोकलेट और कोका कोला पेप्सी कंपनियां रिश्तों के भावनात्मक विझापन दिन रात हर चैनल पर प्रसारित  करेंगी
मेरा हर भारतीय से निवेदन है कि रक्षाबन्धन के लेन देन में ऐसी वस्तुओं का प्रयोग करें
जिनसे सीधा फायदा भारतीय उत्पादकों को हो जैसे फल, बिस्कुट,बेकरी प्रोडक्ट तथा अन्य स्थानीय उत्पाद साथियों चलो इस बार हम सभी भारतीय मिलकर कैडबरी और  कोका कोला-पेप्सी और कोई भी विदेशी कंपनी को जबरदस्त व्यापार घाटा और अपने भारतीय किसान और स्थानीय व्यापरियों को व्यापारिक फायदा पहुंचाए।
धन्यवाद...

हिन्दुस्थानी संस्कृति के अनुसार :-जन्मदिन मनाया जाय

निस्संदेह अपना जन्मदिन अपने लिए सबसे बड़ी खुशी का दिन है और जिस प्रकार हर वर्ष सामाजिक त्योहार मनाये जाते हैं, उसी प्रकार हमें अपना, अपने प्रियजनों का जन्मदिन मनाना चाहिए। जन्मदिन के अवसर पर मित्र-मिलन, के साथ पार्टी का आयोजन भी करते है हम। अपना जन्मदिन उल्लासपूर्ण वातावरण में मनाएँ ही-साथ ही अपने अनन्य मित्रों को भी उसके लिए अवश्य उत्साह एवं प्रेरणा दें।
१) पाश्चर्य संस्कृति के अनुसार :->

इन्विटेशन कार्ड [ invitation card ] , केक, मोमबत्ती , आइसक्रीम , चॉकलेट ,पिज़ा , सॉफ्ट ड्रिंक्स , रिटर्न गिफ्ट ,और जोरदार DJ का घोंघाट ! और उछल+कूद या फिल्म का प्रोग्राम ! बड़े लोगो के ले लिए शराब [ मदिरापान ] इत्यादि ....
इस में मुझे कई बात अच्छी न लगती एक तो मोमबत्ती को जलाओ फिर उसे फूंक मार के बुजादो ! अरे , केक सब खाने वाले है यानी उसे शुद्ध होना जरुरी है , और जिसका जन्म दिन है वो और उसके नजदीकी लोग भी उसे फूंक मारके बुझाते है उस समय उनके मुँह से निकली दुर्गंध वो भी बेक्टेरिया के साथ जो सूक्ष्म होती है वे केक पर चिपक जाती है ! कभी कभी तो थूंक के छींटे भी चिपक जाते है ! और वही केक सबको परोसा जाता है ! रिटर्न गिफ्ट ठीक है जिसकी जैसी आर्थिक शक्ति .... लेकिन देखा देखि में सब खींचे जाते है अपना सामजिक स्टेट्स दिखाने के लिए !
नकल में अक्ल का अभाव साफ़ दिखाई देता है। कई लोगो की मानसिकता ऐसी है की जो गोर लोग करे वही सत्य और आधुनकता है … ज्यादा पढ़े लिखे लोगो में यह बिमारी वायरल होगी है।
२)
हिन्दुस्थानी संस्कृति के अनुसार :->

सूर्योदय से पहले नित्य काम पूरा करके पूजा पाठ ,सूर्य दर्शन के साथ प्रार्थना , मातापिता और अपने से बड़ो का आशीर्वाद लेना , और पाठशाला में गुरूजी का आशीर्वाद लेना दिन चर्या में दान+दक्षिणा भी करना , लड्डू खाना मित्रो के साथ [ बुला कर ] आनंद + भोजन करना इत्यादि …

हिन्दुस्थान की संस्कृति में दीपक [ दिया ] प्रकाश का प्रतिक मान जाता हे जो अंधकार को दूर करता है। जिसे कभी कोई फूंक मारके नहीं बुझाता । प्रकाश हमारे जीवन में छिपे अँधक|र को दूर करने की प्रेरणा देता है।
ओर भी कई काम होते है जन्म दिन के लिए ........

समाज में प्रचलित प्रथाओं के अनुसार एवं अपनी स्थिति के अनुरूप जन्म दिन को एक हर्षोत्सव के रूप में मनाते है हम। अपने देश में भी यह प्रचलन सदा से था। मध्यकालीन अंधकार भरी अव्यवस्था में जहाँ हमने अपनी अनेक विशेषताएँ खोईं, वहाँ इस प्रेरणा पर्व का स्वरूप भी भूल गये। अब समय आ गया कि उस महत्त्वपूर्ण परंपरा का पुनः प्रचलन किया जाए।

जिसका जन्मदिन मनाया जाय उसके लिए यह आवश्यक है कि एकान्त में बैठकर आत्मचिन्तन करे। अपने आप से यह प्रश्र पूछे कि
(१)उसके जीवन का उद्देश्य क्या है ?
(२)क्या वह उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उचित प्रयत्न कर रहा है ?
(३) यदि नहीं, तो उस भूल को कैसे सुधारा जाए ?
( ४ ) हमने हमारे समाज और राष्ट्र के लिए क्या योगदान दिया है ?

इन चार प्रश्रों पर जितनी ही गहराई के साथ विचार + मंथन किया जाएगा, जितना ही सही उत्तर ढूँढ़ निकाला जायेगा, जितना ही साहस भूलों को सुधारने के लिए एकत्रित किया जा सकेगा, उतना ही जन्मदिन मनाने का वास्तविक उद्देश्य पूरा होता चलेगा।

इन आयोजनों से जीवन का स्वरूप, जीवन का उद्देश्य, जीवन का सदुपयोग और उसकी सफलता का मार्ग जानने में बहु मूल्य सहायता मिलेगी और यदि भूला हुआ मनुष्य अपने लक्ष्य की दिशा में सुव्यवस्थित रीति से चल पड़ा, तो इस संसार का, समाज का, संस्कृति का स्वरूप ही बदल जायेगा और धरती पर स्वर्ग अवतरण की, युग निर्माण की संभावना बढ़ेगी।

हमें ही नक्की करना है क्या सही है ……

वंदे मातरम ……

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