साईं की एक तस्वीर जिसमे उसे सीधे विष्णु जी के रूप में शेषनाग पर बिठा दिया गया हे !"
हो सकता हे की कल किसी साईं भक्त का दिमाग चले और ????
लक्ष्मी माँ को साईं के पैर दबाते हुए चित्र बनादे ?????!!!!
फिर किसी और साईं भक्त का दिमाग चले और साईं के हाथ में "श्री कृष्ण का महाशस्त्र सुदर्शन चक्र" थमा दे।
और किसी महामूर्ख भक्त का दिमाग चले तो वह अनादिकाल "शिव परिवार" के साथ
माँ दुर्गा और समस्त परिवार के बीच से अनंत शिव को हटाकर इस साईं को परिवार और माँ दुर्गा का पति परमेश्वर और कार्तिकेय जी व् विनायक जी का पिता भी घोषित कर दे।?????!!!!!
अंध भक्ति और मार्केटिंग की होड़ में यह घटना होना भी आप हे और यह बिचारे करे भी तो क्या इनका यह रूप होना आम हे!!!!!!! और इनके द्वारा !"ॐ साईं राम" "ॐ साईं कृष्ण" का उदघोष करते हे ।।।
फिर मशीनरी "चर्च" द्वारा फेलाये जा रहे भ्रम और साईं भक्तो द्वारा फेलाया जा रहा अंध विश्वास में क्या अंतर हे ।???????
इस तथा कथित "सहिषुणता " और मानसिक बीमारी को भक्ति कह सकते हे क्या ?????
"श्रीमदभगवत गीता"अध्याय-6 श्लोक दूसरा "भक्त में तुझे तेरे कर्मो का फल उसी उचित समय दूंगा जब में उसे तेरे हित कार्य में समझू और कोई भी शक्ति मेरे इस जीवन फल कार्य के आड़े नही आ सकती ।।अर्थात यह टेलीब्रांड को मानने वाले की उनके सारे कार्य वहा से होते हे तो उस कब्र की आस्था फिर से एक बार हमारी"गीता "का अपमान करते हे
हो सकता हे की कल किसी साईं भक्त का दिमाग चले और ????
लक्ष्मी माँ को साईं के पैर दबाते हुए चित्र बनादे ?????!!!!
फिर किसी और साईं भक्त का दिमाग चले और साईं के हाथ में "श्री कृष्ण का महाशस्त्र सुदर्शन चक्र" थमा दे।
और किसी महामूर्ख भक्त का दिमाग चले तो वह अनादिकाल "शिव परिवार" के साथ
माँ दुर्गा और समस्त परिवार के बीच से अनंत शिव को हटाकर इस साईं को परिवार और माँ दुर्गा का पति परमेश्वर और कार्तिकेय जी व् विनायक जी का पिता भी घोषित कर दे।?????!!!!!
अंध भक्ति और मार्केटिंग की होड़ में यह घटना होना भी आप हे और यह बिचारे करे भी तो क्या इनका यह रूप होना आम हे!!!!!!! और इनके द्वारा !"ॐ साईं राम" "ॐ साईं कृष्ण" का उदघोष करते हे ।।।
फिर मशीनरी "चर्च" द्वारा फेलाये जा रहे भ्रम और साईं भक्तो द्वारा फेलाया जा रहा अंध विश्वास में क्या अंतर हे ।???????
इस तथा कथित "सहिषुणता " और मानसिक बीमारी को भक्ति कह सकते हे क्या ?????
"श्रीमदभगवत गीता"अध्याय-6 श्लोक दूसरा "भक्त में तुझे तेरे कर्मो का फल उसी उचित समय दूंगा जब में उसे तेरे हित कार्य में समझू और कोई भी शक्ति मेरे इस जीवन फल कार्य के आड़े नही आ सकती ।।अर्थात यह टेलीब्रांड को मानने वाले की उनके सारे कार्य वहा से होते हे तो उस कब्र की आस्था फिर से एक बार हमारी"गीता "का अपमान करते हे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.