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रविवार, 20 दिसंबर 2015

आयुर्वेद के अनुसार दूध पीने के नियम

आयुर्वेद के अनुसार दूध पीने के कुछ नियम

कुछ लोगों को दूध पीने के बाद हजम नहीं हो पाता। उन्‍हें पेट फूलने या फिर बार खराब होने की समस्‍या से जूझना पड़ता है। आयुर्वेद के अनुसार दूध पीने के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करने से आपको दूध हजम हो जाएगा।

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आयुर्वेद में हैं दूध पीने के कुछ नियम

दूध हमारे खान-पान का बहुत अहम हिस्सा है। यह हमारे शरीर और दिमाग को जरुरी पोषण प्रदान करता है। यह ठंडा, वात और पित्‍त दोष को बैलेंस करने का काम करता है। आयुर्वेद के अनुसार गाय का दूध सबसे ज्‍यादा पौष्टिक होता है। दूध भूख को शांत करता है और मोटापे से भी छुटकारा दिलाने में मददगार है। लेकिन कुछ लोगों को दूध पीने के बाद हजम नहीं हो पाता। उन्‍हें पेट फूलने या फिर बार खराब होने की समस्‍या से जूझना पड़ता है। पहले ज़माने के मुकाबले आज कल दूध की क्‍वालिटी में गिरावट आने की वजह से ऐसा होता है। यदि आपका पाचन तंत्र मजबूत नहीं है तो भी आपको दूध ठीक से हजम नहीं हो पाएगा। आयुर्वेद के अनुसार दूध पीने के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करने से आपको दूध हजम हो जाएगा।

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बिना शक्कर मिला दूध

आमतौर पर लोगों की आदत होती है कि दूध में शक्कर मिलाकर पीते हैं। आयुर्वेद का मानना है कि यदि रात में बिना शक्कर मिला दूध पियेंगे तो वह अधिक फायदेमंद होगा। अगर हो सके तो दूध में गाय का एक या दो चम्मच घी भी मिला लेना चाहिए।

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ताजा व जैविक दूध

इन दिनों हमारी जीवनशैली ऐसी है कि हम हर चीज पैकेट वाली इस्तेमाल करने लगे हैं। दूध भी अधिकतर लोग पैकेट वाला ही लेते हैं। पैकेट वाला दूध न ताज़ा होता है और न ही जैविक। आयुर्वेद के अनुसार, ताजा, जैविक और बिना हार्मोन की मिलावट वाला दूध सबसे अच्‍छा होता है। पैकेट में मिलने वाला दूध नहीं पीना चाहिये।

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उबला दूध

कुछ लोगों को कच्चा दूध अच्छा लगता है। फ्रिज से दूध निकालकर बिना उबाले सीधे ही पी जाना सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता। आयुर्वेद मानता है कि दूध को उबालकर, गर्म अवस्था में पीना चाहिए। अगर दूध पीने में भारी लग रहा हो तो उसमें थोड़ा पानी मिलाया जा सकता है। ऐसा दूध आसानी से पच भी जाता है।

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देसी गाय का दूध

आयुर्वेद देसी गाय के दूध के सेवन पर अधिक जोर देता है। आयुर्वेद के अनुसार, देसी गाय का दूध ही सबसे अधिक फायदा देता है। शहरों में इस तरह का दूध ढूंढ पाना थोड़ा मुश्किल तो होता है लेकिन अगर संभव हो तो यही दूध पीना चाहिए।

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दूध में लौंग व इलायची

जिन लोगों को दूध हजम नहीं होता उनके लिए दूध पीने का एक और तरीका है। दूध में एक चुटकी अदरक, लौंग, इलायची, केसर, दालचीनी और जायफल आदि की मिलाएं। इससे आपके पेट में अतिरिक्त गर्मी बढ़ेगी जिसकी मदद से दूध हजम होने में आसानी मिलेगी।

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दूध और केसर

अक्सर किसी न किसी वजह से हम रात का खाना नहीं खा पाते। आयुर्वेद के अनुसार, ऐसी स्थिति में एक चुटकी जायफल और केसर डाल कर दूध पी लें। इससे नींद भी अच्‍छी आती है और साथ ही शरीर को ऊर्जा भी प्राप्त हो जाती है। अगली बार से जब रात का खाना न खाएं, इस तरह का दूध पी लें।

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नमकीन चीज़ व मछली के साथ दूध का सेवन नहीं

आयुर्वेद का कहना है कि किसी भी नमकीन चीज़ के साथ दूध का सेवन ना करें। क्रीम सूप या फिर चीज़ को नमक के साथ ना खाएं। दूध के साथ खट्टे फल भी नहीं खाने चाहिये। आमतौर पर, दूध इन चीज़ों के साथ मिलकर रिऐक्शन कर जाता है। ये बात आपने कई बार सुनी होगी, कि दूध के साथ मछली का सेवन नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद का मानना है कि यदि दूध और मछली का सेवन एक वक्त पर किया जाए तो इससे त्वचा खराब हो जाती है। त्वचा पर सफेद व भूरे धब्बे उबरने लगते हैं।

वजन घटाने में मददगार है अजवाइन

जानें वजन घटाने में कितनी मददगार है अजवाइन
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पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करती है अजवाइन।
मोटापा कम करने का असरदार नुस्खा है अजवाइन।
अजवाइन एक प्रकार का एंटी एसिड होता है।
अजवाइन को छाछ के साथ पीने से होता है फायदा।

मोटापा न सिर्फ आपकी पर्सनेलटी को खराब करता है, बल्कि कई बीमारियों का कारण भी बनता है। लेकिन मोटापा कम करना कोई आसान काम भी तो नहीं। लेकिन अगर हम आपको मोटापा कम करने का एक ऐसा नुस्खा बताएं जो न सिर्फ मोटापा कम करता है बल्कि बेहद सस्ता और आसानी से मिल जाने होता है, तो कैसा रहेगा। आपने अपनी रसोई में कई तरह के देखे होगें। उन्‍हीं में से एक है मसाला है 'अजवाइन'। अजवाइन न सिर्फ एक मसाला है, बल्कि एक ऐसी औषधि भी है जिसके प्रयोग से मोटापा कम किया जा सकता है और स्‍वास्‍थ्‍य को बेहतर बनाया जा सकता है। तो चलिये जानें कि अजवाइन से मोटापे को कैसे कम किया जा सकता है।

पाचन संबंधी समस्या को सुधारती है

यदि पाचन ठीक न हो तो मोटाबॉलिज्म खराब होता है और इससे मोटापा भी बढ़ता है। अजवाइन पाचन संबधी किसी भी समस्‍या को ठीक करने में सहायक होती है। यह एक प्रकार का एंटी एसिड होती है जोकि बदहज़मी की समस्या से बचाव करती है। अजवाइन को छाछ के साथ पीने से पाचन संबधी समस्या जैसे अपच आदि से राहत मिलती है।


असरदार नुस्खा अजवाइन


अजवाइन मोटापे कम करने में भी कारगर होती है। इससे मोपाटा कम करने के लिये रात को एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में भिगो कर रख दें। सुबह उठने पर इसे छानकर एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीएं। इसके नियमित सेवन से जल्द ही मोटापा कम होने लगता है।

लेकिन अजवाइन या अन्य रोई भी नुस्खा कोई चमत्कार नहीं होता है। इन नुस्खों के साथ-साथ नियमित एक्सरसाइज व पौष्टिक और संतुलित भोजन करने की भी जरूरत होती है। साथ ही शरीर को ठीक से हाइड्रेट भी रखना होता है।

जोड़ों के दर्द की प्राकृतिक चिकित्सा

जोड़ों के दर्द की प्राकृतिक चिकित्सा

हड्डियां हमारे शरीर का ढांचा है और इनसे हमारा संचालन होता है। हमारे शरीर में कुल 206 हड्डियां और 320 जोड़ हैं। और कई कारणों से इनमें दर्द या परेशानी हो सकती है। आइए जानें कुछ ऐसे प्राकृतिक उपाय जो हमें इस दर्द से राहत दिला सकते हैं।

हड्डियों या जोड़ों में किसी भी प्रकार के विकार के कारण हड्डियों में दर्द और सूजन उत्पन्न होती है। जोड़ों में दर्द के बहुत से अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे जोड़ों पर यूरिक एसिड का इकट्ठा होना। कभी कभी दर्द अनुवांशिक कारणों से होता है और कभी कभी कमज़ोरी से। ठंड लग जाने से या कार्टिलेज में मौजूद तरल द्रव के सूख जाने के कारण हड्डियों पर रगड़ पड़ने से भी दर्द हो सकता है।

शारीरिक रूप से मोटे लोग या वो लोग जिन्हें कब्ज़ रहती है उन्हें भी इस प्रकार के दर्द का सामना करना पड़ता है। वैसे तो आजकल कम उम्र में ही लोगों को जोड़ो का दर्द अपनी गिरफ्त में ले रहा है। पर अधिकतर लोग मानते हैं कि जोड़ो का दर्द लाइलाज नहीं है। प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से इसके दर्द से राहत मिल सकती है। अगर आप भी जोड़ों के दर्द से परेशान हैं तो हमारे द्वारा दिए गए टिप्स जरूर अपनाएं।

जोड़ों के दर्द से बचने के कुछ प्राकृतिक उपाय:

जोड़ों के दर्द से बचाव के लिए मरीज़ को हमेशा गुनगुने पानी से नहाना चाहिए।
ऐसे आहार लें जिनसे कब्ज़ होने का डर ना हो।
फास्ट फूड से तौबा करें और तला भुना आहार भी कम खायें।
पाचन क्रिया को ठीक रखने के लिए आप त्रिफला चूर्ण का प्रयोग भी कर सकते हैं।
प्रातः प्राणायाम में कपालभाति, भास्त्रिका, अनुलोम विलोम जैसे व्यायाम करें।
सुबह शाम 15 मिनट तक गरम पानी में पैर डालें और ध्यान रखें कि ऐसा करते समय आपके पैरों में हवा ना लगे।
इस रोग का उपचार करने में तुलसी बड़ी कारगर भूमिका निभाती है क्योंकि तुलसी में वात विकार को मिटाने का प्राकृतिक गुण होता है। तुलसी का तेल बनाकर दर्द वाली जगह लगाने से तुरंत आराम मिलता है।
ज्यादा तकलीफ होने पर नमक मिले गरम पानी का सेंका करें व हल्के गुनगुने सरसों के तेल की मालिश करें।

दर्द से बचने के लिए इन आदतों से दूर रहें:

ठंड के मौसम में ठंडी जगह पर ना बैठें और अधिक समय तक स्नान ना करें।
अधिक वसायुक्त आहार ना लें।

वज़न पर नियंत्रण रखें।
आलू, चावल, राज़मा, दही, छोले, शराब का सेवन ना करें।
भोजन में खट्टे फलों का प्रयोग न करें।

इस प्रकार के दर्द में लेप व तेल की मालिश से भी आराम मिलता है:

जोड़ों पर महानारायण, महा विषगर्भ तेल ,सैन्धवादि तेल,वंडर आयल या रूमताज तेल से सुबह शाम मालिश करें।
महुआ, अलसी, तिल, सरसों तथा बिनौली के तेल को मिला कर और गरम कर के इससे मालिश करें।

वैरिकोज वेन्‍स की समस्‍या

वैरिकोज वेन्स का उपचार varicose veins

क्‍या है वैरिकोज वेन्स ::

पैर की नसों में मौजूद वाल्‍व, पैरों से रक्त नीचे से ऊपर हृदय की ओर ले जाने में मदद करते है। लेकिन इन वॉल्‍व के खराब होने पर रक्त ऊपर की ओर सही तरीके से नहीं चढ़ पाता और पैरों में ही जमा होता जाता है। इससे पैरों की नसें कमजोर होकर फैलने लगती हैं या फिर मुड़ जाती हैं, इसे वैरिकोज वेन्‍स की समस्‍या कहते हैं। इससे पैरों में दर्द, सूजन, बेचैनी, खुजली, भारीपन, थकान या छाले जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
1.सेब साइडर सिरका :-

सेब साइडर सिरका वैरिकोज वेन्‍स के लिए एक अद्भुत उपचार है। यह शरीर की सफाई करने वाला प्राकृतिक उत्‍पाद है और रक्त प्रवाह और रक्‍त परिसंचरण में सुधार करने में मदद करता है। समस्‍या होने पर सेब साइडर सिरके को लगाकर उस हिस्‍से की मालिश करें। इस उपाय को नियमित रूप से रात को बिस्‍तर पर जाने से पहले और अगले सुबह फिर से करें। कुछ दिन ऐसा करने से कुछ ही महीनों में वैरिकोज वेन्‍स का आकार कम होने लगता है। या फिर एक गिलास पानी में दो चम्‍मच सेब साइडर सिरके को मिलाकर पीये। अच्‍छे परिणाम पाने के लिए इस मिश्रण का एक महीने में दिन में दो बार सेवन करें।
2. लाल शिमला मिर्च :-

लाल शिमला मिर्च को वैरिकोज वेन्‍स के इलाज लिए एक चमत्‍कार की तरह माना जाता है। विटामिन सी और बायोफ्लेवोनॉयड्स का समृद्ध स्रोत होने के कारण यह रक्त परिसंचरण को बढ़ाने और संकुलित और सूजी हुई नसों के दर्द को आसान बनाता है। गर्म पानी में एक चम्‍मच लाल शिमला मिर्च के पाउडर को मिलाकर, इस मिश्रण का एक से दो महीने के लिए दिन में तीन बार सेवन करें।
3. जैतून का तेल : –

जैतून के तेल और विटामिन ई तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर उसे थोड़ा सा गर्म कर लें। इस गर्म तेल से नसों की मालिश कई मिनट तक एक से दो महीने के लिए करें।
4. लहसुन :-

छह लहसुन की कली लेकर उसे एक साफ जार में डाल लें। तीन संतरे का रस लेकर उसे जार में मिलाये। फिर इसमें जैतून के तेल मिलायें। इस मिश्रण को 12 घंटे के लिए रख दें। फिर इस मिश्रण से कुछ बूंदों को हाथों पर लेकर 15 मिनट के लिए सूजन वाली नसों पर मालिश करें। इस पर सूती कपड़ा लपेट कर रातभर के लिए छोड़ दें। इस उपाय को कुछ महीनों के लिए नियमित रूप से करे |
5. बुचर ब्रूम :-

बुचर ब्रूम वैरिकोज वेन्‍स की असुविधा से राहत देने में बहुत ही उपयोगी होता है। इस जड़ी बूटी में रुसोगेनिन्स नामक गुण सूजन को कम करने में मदद करता है और एंटी-इफ्लेमेंटरी और एंटी-इलास्‍टेज गुण नसों की बाधा को कम करता है। यह पोषक तत्‍वों को मजबूत बनाने और नसों की सूजन को कम करने के साथ ही पैरों के रक्‍त प्रवाह में सुधार करने में मदद करते हैं। लेकिन उच्‍च रक्तचाप वाले लोग इस जड़ी-बूटी के सेवन से पहले चिकित्‍सक से परामर्श अवश्‍य ले लें।
6. अखरोट : –

अखरोट के तेल में एक साफ कपड़े को डूबाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाये। ऐसा एक या दो महीने के लिए दिन में दो से तीन बार करें।
7.अजमोद :- (अजवायन)

एक मुठ्ठी ताजा अजमोद की एक मुठ्ठी लेकर उसे एक कप पानी में पांच मिनट के लिए उबाल लें। फिर इसे मिश्रण को ठंडा होने के लिए रख दें। फिर इस मिश्रण में गुलाब और गेंदे की तेल की एक-एक बूंद मिला लें। अब इस मिश्रण को कुछ देर के लिए फ्रिज में रख दें। इस मिश्रण को कॉटन पर लगाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगायें। अच्‍छे परिणाम पाने के लिए इस उपाय को कुछ महीनों तक करें।
7. अर्जुन की छाल : –

अर्जुन की छाल वेरीकोस वेन्स के लिए बहुत बढ़िया दवा हैं, अगर आप इस समस्या से परेशान हैं तो आप रात को सोते समय गाय के दूध में या साधारण पानी में अर्जुन की चाल को चाय की तरह उबाले और आधा रहने पर इसको छान कर पी ले।

ये सब प्रयोग आपको एक दिन में आराम नहीं देंगे, मगर 4 से 6 महीने में चमत्कारिक परिणाम मिलेंगे।

पथरी को निकालने में मददगार है पत्थररचट्टा

जानें कैसे पथरी को निकालने में मददगार है पत्थररचट्टा
पत्थरचट्टा से पथरी के निकालने की विधि आयुर्वेद में भी है वर्णित।
यह किडनी स्टोन और प्रोस्टेट गंथि से जुड़े रोगों में है फायदेमंद।
इसके 4-5 पत्तों को सुबह शाम जूस के रूप में पीना फायदेमंद।
इस दौरान धूम्रपान और तंबाकू के सेवन से बिलकुल परहेज करें।

पथरी ऐसी समस्या है जो बहुत ही कष्टदायी है। लोग इससे निजात पाने के लिए सर्जरी भी करवाते हैं। लेकिन कई तरीके ऐसे भी हैं जिनमें बिना सर्जरी के भी पथरी को आसानी से शरीर से निकाला जा सकता है। पत्थरचट्टा भी उन तरीकों में से एक है। आयुर्वेद में पत्थरचट्टे के पौधे को किडनी स्टोन और प्रोस्टेट ग्रंथि से जुड़े रोगों के इलाज में उपयोगी माना गया है। इसे पर्णबीज भी कहते हैं। इसके पत्ते को मिट्टी में गाड़ देने से ही यह उस स्थान पर उग जाता है। तासीर में सामान्य होने की वजह से इसका प्रयोग किसी भी मौसम में कर सकते हैं। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। इसके बारे में विस्तार से इस लेख में जानते हैं।


पथरी के लिए फायदेमंद

पत्थरचट्टा के प्रयोग से पथरी आसानी से बाहर आ जाती है। महिलाओं में वाइट डिस्चार्ज, पेशाब में जलन व पुरुषों में प्रोस्टेट की समस्या में भी यह बहुत ही लाभकारी है। इसके सेवन से 10-15 एमएम तक की पथरी पेशाब के जरिए बाहर निकल जाती है।

पत्थरचट्ठा के 4-5 पत्तों को एक गिलास पानी में पीसकर सुबह-शाम जूस के रूप में लगभग 1-2 माह तक पिएं। जूस के अलावा पत्तों को चबाकर व पकौड़े बनाकर भी खाया जा सकता है। स्वस्थ व्यक्ति भी यदि इसके पत्तों का सेवन नियमित रूप से करे तो वह कई परेशानियों से बच सकता है।
इन बातों का ध्यान रखें

इस दौरान तम्बाखू, चूने, सुपारी आदि का सेवन करने से बचें।
एक गमले में पत्थरचट्टा का पौधा लगा लें, इस की डाली या पत्ता ही लग जाता है और कुछ ही दिनों में पौधा बन जाता है।
प्रति सप्ताह हम से कम एक पत्ते का सेवन करते रहें या सब्जी में एक-दो पत्ते डालें।
जिनको बार-बार पथरी होती रहती है, वे हर दूसरे दिन पत्थर चट्टा का आधा पत्ता सेवन करें, लेकिन बिंदु एक में वर्जित अस्वास्थ्यकर व्यसनों के साथ ही टमाटर के बीजों का सेवन भी नहीं करें।

पथरी की समस्या बहुत ही कष्टदायी होती है, इसलिए अगर इस प्रयोग को आजमाने के बाद भी पथरी की समस्या दूर नहीं हो रही है तो चिकित्‍सक से संपर्क अवश्य करें।

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