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रविवार, 2 सितंबर 2018

कृ्ष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर प्रसाद के लिये धनिया की बर्फी

कृ्ष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर प्रसाद के लिये पारंपरिक रूप से
धनिये की पंजीरी (Dhania Panjiri)

और
धनिया की बर्फी बनाई जाती है. धनिया बर्फी पिसे हुए धनिया में नारियल पाउडर, मावा या फूले हुये रामदाना - राजगिरा मिला कर बनाई जाती है. आप इस जन्माष्टमी पर नारियल का पाग और मिगी का पाग तो बना ही रहे होंगे, प्रसाद के लिये धनिया बर्फी भी बना डालिये.

आवश्यक सामग्री - Ingredients for Dhania Barfi

धनियां पाउडर - 1 कप
नारियल चूरा - 1 कप
चीनी - 1 कप
खरबूजे के बीज - 1/4 कप
छोटी इलाइची - 4
देशी घी - 2 टेबल स्पून

विधि:
पैन में घी डालकर गरम कीजिये, धनियां पाउडर डालिये और मीडियम फ्लेम पर 3-4 मिनिट, खुशबू आने तक भून लीजिये. भुना हुआ धनियां पाउडर प्याली में निकाल कर रख लीजिये.

पैन में नारियल चूरा डालकर 1 मिनिट चलाते हुये भून लीजिये. भुना नारियल पाउडर प्याली में निकालिये.
अब खरबूजे के बीज पैन में डालिये और लगातार चलाते हुये बीज फूलने तक भून लीजिये (खरबूजे के बीज भूनते समय उचटकर कढ़ाई से निकल कर बाहर आ रहे हों तो ऊपर से हाथ से पकड़ कर प्लेट ढककर रखें और कलछी से चलाते हुये बीज भूने, ये बहुत जल्दी भून जाते हैं). भुने बीज प्याले में निकाल लीजिये.

इलाइची को छील कर पाउडर बना लीजिये.
पैन में चीनी और आधा कप से थोड़ा कम पानी डालिये, चीनी घुलने के बाद चाशनी को और 2 मिनिट और पका लीजिये, चाशनी में भुना धनियां पाउडर, नारियल चूरा, इलाइची पाउडर और बीज डालकर मिलाइये और मिलाते हुये तब तक पका लीजिये जब तक कि मिश्रण जमने वाली कनिसिसटेन्सी पर न पहुंच जाय. चैक करने के लिये चम्मच से जरा सा मिश्रण प्याली में डालिये ठंडा होने पर उंगली और अंगूठे से चिपका कर देखिये, आप महसूस कर लेंगे कि वह जम जायेगा, अगर लगे कि गीला है, तो 1-2 मिनिट और पका लीजिये.
किसी प्लेट या ट्रे में घी लगाकर चिकना कीजिये, मिश्रण को प्लेट में एक जैसा फैला दिजिये. बर्फी जमने के बाद बर्फी को अपने मन पसन्द आकार में काट कर तैयार कर लीजिये.

धनिये की बर्फी तैयार है,
कृष्णा को प्रसाद चढ़ाने के बाद सभी को प्रसाद दीजिये और आप भी खाइये. धनिये की बर्फी को 15 दिन तक फ्रिज से बाहर रख कर खाया जा सकता है

श्रीकृष्‍ण की 5245वीं जयंती जन्‍माष्‍टमी

भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण की कई लीलाओं के बारे में आपने सुना होगा और टीवी पर देखा भी होगा.लेकिन जन्माष्टमी और कृष्ण भगवान के बारे में अपने कुछ हैरान करदेने वाली बात नहीं सुनी होगी,तो चलिए आपको बताते कुछ अद्बुध बाते.

भगवान कृष्ण के कुल 108 नाम हैं, जिनमें गोविंद, गोपाल, घनश्याम, गिरधारी, मोहन, बांके बिहारी, बनवारी, चक्रधर, देवकीनंदन, हरि, और कन्हैया प्रमुख हैं.अपने गुरु संदिपनी को गुरु दक्ष‍िणा देने के लिए भगवान ने उनके मृत बेटे को जीवित कर दिया था.श्रीकृष्ण की कुल 16108 पत्न‍ियां थीं, जिनमें से 8 पटरानी हैं.इन सभी का परिचिए करने के बाद आपको जन्माष्टमी से जुडी कुछ खास बताते है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर चारों तरफ उत्साह बना हुआ है। लेकिन ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इसबार कृष्ण जन्माष्टमी पर ठीक वैसा ही संयोग बना है, जैसा द्वापर युग में कान्हा के जन्म क समय बना था.
इस खास संयोग को कृष्ण जयंती के नाम से जाना जाता है। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में आधी रात यानी बारह बजे रोहिणी नक्षत्र हो और सूर्य सिंह राशि में तथा चंद्रमा वृष राशि में हों, तब श्रीकृष्ण ज
यंती योग बनता है.हम सब के प्‍यारे नटखट नंदलाल, राधा के श्‍याम और भक्‍तों के भगवान श्रीकृष्‍ण के जन्‍मदिन की तैयारियां पूरे देश में चल रही हैं.

इस बार श्रीकृष्‍ण की 5245वीं जयंती है. मान्‍यता है कि भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्‍म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी को हुआ था. हालांकि इस बार कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी (Krishna Janmashtami) की तारीख को लेकर लोगों में काफी असमंजस में हैं.

इस बार जन्‍माष्‍टमी दो दिन पड़ रही है क्‍योंकि यह त्‍योहार 2 सितंबर और सितंबर दोनों ही दिन मनाया जाएगा. वहीं, वैष्‍णव कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी 3 सितंबर को है. अब सवाल उठता है कि व्रत किस दिन रखें? जवाब है 2 सितंबर यानी कि पहले दिन वाली जन्माष्टमी (Janmashtami) मंदिरों और ब्राह्मणों के घर पर मनाई जाती है. 3 सितंबर यानी कि दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोग मनाते हैं.
जन्माष्टमी पर भक्तों को दिन भर उपवास रखना चाहिए और रात्रि के 11 बजे स्नान आदि से पवित्र हो कर घर के एकांत पवित्र कमरे में, पूर्व दिशा की ओर आम लकड़ी के सिंहासन पर, लाल वस्त्र बिछाकर, उस पर राधा-कृष्ण की तस्वीर स्थापित करना चाहिए, इसके बाद शास्त्रानुसार उन्हें विधि पूर्वक नंदलाल की पूजा करना चाहिए।
मान्यता है कि इस दिन जो श्रद्धा पूर्वक जन्माष्टमी के महात्म्य को पढ़ता और सुनता है, इस लोक में सारे सुखों को भोगकर वैकुण्ठ धाम को जाता है।
जन्‍माष्‍टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त

इस बार अष्टमी 2 सितंबर की रात 08:47 पर लगेगी और 3 तारीख की शाम 07:20 पर खत्म हो जाएगी.
अष्‍टमी तिथि प्रारंभ: 2 सितंबर 2018 को रात 08 बजकर 47 मिनट.
अष्‍टमी तिथि समाप्‍त: 3 सितंबर 2018 को शाम 07 बजकर 20 मिनट.
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 2 सितंबर की रात 8 बजकर 48 मिनट.
रोहिणी नक्षत्र समाप्‍त: 3 सितंबर की रात 8 बजकर 5 मिनट.
निशीथ काल पूजन का समय: 2 सितंबर 2018 को रात 11 बजकर 57 मिनट से रात 12 बजकर 48 मिनट तक.
व्रत का पारण: 3 सितंबर की रात 8 बजकर 05 मिनट के बाद.
वैष्‍णव कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी 3 सितंबर को है और व्रत का पारण अगले दिन यानी कि 4 सितंबर को सूर्योदय से पहले 6:13 पर होगा.

कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी 3 सितंबर को है

कैसे मनाएं जन्माष्टमी का त्यौहार

हम सब के प्‍यारे नटखट नंदलाल, राधा के श्‍याम और भक्‍तों के भगवान श्रीकृष्‍ण  के जन्‍मदिन की तैयारियां पूरे देश में चल रही हैं। इस बार श्रीकृष्‍ण की 5245वीं जयंती है। मान्‍यता है कि भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्‍म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी को हुआ था। हालांकि इस बार कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी  की तारीख को लेकर लोगों में काफी असमंजस में हैं।

इस बार जन्‍माष्‍टमी दो दिन पड़ रही है क्‍योंकि यह त्‍योहार 2 सितंबर और सितंबर दोनों ही दिन मनाया जाएगा। वहीं, वैष्‍णव कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी 3 सितंबर को है। अब सवाल उठता है कि व्रत किस दिन रखें? जवाब है 2 सितंबर यानी कि पहले दिन वाली जन्माष्टमी  मंदिरों और ब्राह्मणों के घर पर मनाई जाती है। 3 सितंबर यानी कि दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोग मनाते हैं।

जन्‍माष्‍टमी का महत्‍व
श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी का पूरे भारत वर्ष में विशेष महत्‍व है। यह हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु ने श्रीकृष्‍ण के रूप में आठवां अवतार लिया था।  देश के सभी राज्‍य अलग-अलग तरीके से इस महापर्व को मनाते हैं। इस दिन क्‍या बच्‍चे क्‍या बूढ़े सभी अपने आराध्‍य के जन्‍म की खुशी में दिन भर व्रत रखते हैं और कृष्‍ण की महिमा का गुणगान करते हैं। दिन भर घरों और मंदिरों में भजन-कीर्तन चलते रहते हैं। वहीं, मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं और स्‍कूलों में  श्रीकृष्‍ण लीला का मंचन होता है।

जन्‍माष्‍टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस बार अष्टमी 2 सितंबर की रात 08:47 पर लगेगी और 3 तारीख की शाम 07:20 पर खत्म हो जाएगी।
अष्‍टमी तिथि प्रारंभ: 2 सितंबर 2018 को रात 08 बजकर 47 मिनट।
अष्‍टमी तिथि समाप्‍त: 3 सितंबर 2018 को शाम 07 बजकर 20 मिनट।

रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 2 सितंबर की रात 8 बजकर 48 मिनट।
रोहिणी नक्षत्र समाप्‍त: 3 सितंबर की रात 8 बजकर 5 मिनट।

 निशीथ काल पूजन का समय: 2 सितंबर 2018 को रात 11 बजकर 57 मिनट से रात 12 बजकर 48 मिनट तक।

व्रत का पारण: 3 सितंबर की रात 8 बजकर 05 मिनट के बाद।

वैष्‍णव कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी 3 सितंबर को है और व्रत का पारण अगले दिन यानी कि 4 सितंबर को सूर्योदय से पहले 6:13 पर होगा।

जो भक्‍त जन्‍माष्‍टमी का व्रत रखना चाहते हैं उन्‍हें एक दिन पहले केवल एक समय का भोजन करना चाहिए। जन्‍माष्‍टमी के दिन सुबह स्‍नान करने के बाद भक्‍त व्रत का संकल्‍प लेते हुए अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्‍टमी तिथि के खत्‍म होने के बाद पारण यानी कि व्रत खोल सकते हैं। कृष्‍ण की पूजा नीशीत काल यानी कि आधी रात को की जाती है।

जन्‍माष्‍टमी की पूजा विधि
कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी के दिन षोडशोपचार पूजा की जाती है, जिसमें 16 चरण शामिल हैं-

ध्‍यान- सबसे पहले भगवान श्री कृष्‍ण की प्रतिमा के आगे उनका ध्‍यान करते हुए इस मंत्र का उच्‍चारण करें।
ॐ श्री कृष्णाय नम:।  ध्‍यानात् ध्‍यानम् समर्पयामि।।

आवाह्न- इसके बाद हाथ जोड़कर श्रीकृष्‍ण का आवाह्न करें।

आसन- अब श्रीकृष्‍ण को आसन देते हुए श्री कृष्ण का ध्यान करें।

यह भी पढ़ें: Kajri Teej 2018: जानें पूजा की विधि संग व्रत कथा

पाद्य- आसन देने के बाद भगवान श्रीकृष्‍ण के पांव धोने के लिए उन्‍हें पंचपात्र से जल समर्पित करें।

अर्घ्‍य- अब श्रीकृष्‍ण को इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए अर्घ्‍य दें।

आचमन- अब श्रीकृष्‍ण को आचमन के लिए जल अर्पित करें।

स्‍नान- अब भगवान श्रीकृष्‍ण की मूर्ति को कटोरे या किसी अन्‍य पात्र में रखकर स्‍नान कराएं। सबसे पहले पानी से स्‍नान कराएं और उसके बाद दूध, दही, मक्‍खन, घी और शहद से स्‍नान कराएं। अंत में साफ पानी से एक बार और स्‍नान कराएं।

वस्‍त्र- अब भगवान श्रीकृष्‍ण की मूर्ति को किसी साफ और सूखे कपड़े से पोंछकर नए वस्‍त्र पहनाएं. फिर उन्‍हें पालने में रखें और इस मन्त्र का जाप करें-         शति-वातोष्ण-सन्त्राणं लज्जाया रक्षणं परम्।
देहा-लंकारणं वस्त्रमतः शान्ति प्रयच्छ में।।
ॐ श्री कृष्णाय नम:। वस्त्रयुग्मं समर्पयामि।

यज्ञोपवीत- इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए भगवान श्रीकृष्‍ण को यज्ञोपवीत समर्पित करें।

चंदन: अब श्रीकृष्‍ण को चंदन अर्पित करते हुए।

गंध: इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए श्रीकृष्‍ण को धूप-अगरबत्ती दिखाएं।

दीपक: अब श्रीकृष्‍ण की मूर्ति को घी का दीपक दिखाएं।

नैवैद्य: अब श्रीकृष्‍ण को भागे लगाते हुए।

ताम्‍बूल: अब पान के पत्ते को पलट कर उस पर लौंग-इलायची, सुपारी और कुछ मीठा रखकर ताम्बूल बनाकर श्रीकृष्‍ण को समर्पित करें।

दक्षिणा: अब अपनी सामर्थ्‍य के अनुसार श्रीकृष्‍ण को दक्षिणा या भेंट दें।

शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

यह देन है कांग्रेस की

आजकल सोशल मीडिया पर कांग्रेसियों द्वारा एक पोस्ट आ रही है कि *आजादी से पहले अपने देश में सुई तक नहीं बनती थी, जो कुछ भी हुआ कांग्रेस के आने के बाद ही हुआ।*

*जरा अपने राजा महाराजाओं के वस्त्र ही देख लेते ये सब बोलने से पहले? क्या उन वस्त्रों की सिलाई नहीं होती थी? अंग्रेज़ो के आने से काफी समय पूर्व तक अपने देश की सभ्यता काफी विकसित हो चुकी थी।*

*शिवाजी अपनी तलवार, राणाप्रताप अपना भाला, पृथ्वीराज चौहान अपने हथियार, परशुराम अपना फरसा, कृष्ण अपना चक्र और राम अपना धनुष क्या इटली से लाए थे ?*

*अपने ही देश को कोसने वाले और उसे नीचा दिखाने वालों ... हमारे प्यारे भारत का तो स्वर्णिम इतिहास रहा है। तभी सारे विदेशी आक्रांताओं ने हमारे प्यारे भारत में आकर अपनी ऐसी तैसी कराई थी। यदि यहां कुछ नहीं था तो फिर  ये क्यों बार बार आ रहे थे ?*

*विदेशी आक्रांताओं ने 1000 साल तक हमें जी भर कर लूटा है हम सभी बातों से संपन्न थे तभी तो हमें लूटा गया है। ग्रहों की चाल से लेकर पृथ्वी से सूर्य की दूरी तक अब से हजारों साल पहले ही बता दी गयी थी।*

*भारत के विश्वविद्यालयों में पूरे विश्व के छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते थे .. उस समय अमेरिका जंगली लोगों का देश था , जिन्हें खेती करना भी नहीं आता था *!

*बड़े-बड़े ऊंचे ऊंचे मंदिरो का निर्माण जिसमें पांच सात टन के पत्थर 2 सौ फीट की ऊंचाई पर चढ़ाये गए थे। रामेश्वरम में तो बड़े बड़े विशाल एक हजार खम्बे समुद्र के बीच में कैसे ले जाये गये और उन्हें कैसे खड़ा किया गया यह देख कर ही आँखे फटी रह जाएगी। ५००० साल पहले १३५०० फीट ऊंचाई पर केदारनाथ बाबा का मंदिर बिना टेक्नोलॉजी के बन गया क्या मतिमूढो ??*

*1947 में सुई नहीं बनती थी कहने वाले कांग्रेसियों ... 1947 में एक रुपए का 1 डालर आता था जिसे तुम कांग्रेसियों ने रू 67 का 1 डालर कर दिया।*

*चीन के पास 1950 तक हवाई जहाज नहीं था जबकि भारत के पास 1947 से अपना हवाई जहाज रहा है ..और आज चीन कहां है और तुम कांग्रेसियों ने भारत को कहां रख छोड़ा है?*

*1950 तक जापान के पास रेल इंजन नहीं था .. आज हमें जापान से बुलेट ट्रेन लेना पड़ रहा है ...क्या कांग्रेसी चमचे  इसकी जवाबदारी लेंगे??*

*हे मक्कार और धूर्त कांग्रेसियों......*

*पाकिस्तान को 90 हजार वर्ग किलो मीटर जमीन  तुमने लूटा दी !*

*कश्मीर को तुमने देश की समस्या बना डाला ! *कैबिनेट के न चाहते हुए भी रसिया ने मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाकर हमेशा के लिए मौका गवां दिया।*

*चीन को कैलाश मानसरोवर सहित 62 हजार वर्ग किलोमीटर का भूभाग तुमने लुटावा दिया !*

  *देश में नक्सलवाद तुम्हारी देन है !*

*1975 का आपातकाल तुम्हारी देन है ! और निर्लज्ज आज मानवाधिकार व संविधान की रक्षा की बात करते हो*
*कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार तुमने करवाया!*

*हिन्दू आतंकवाद का झूठा आरोप तुमने थोपा*
*और अब मॉब लिंचिंग , हिंदू पाकिस्तान , हिंदू तालिबान ना जाने क्या क्या ?*

*84 का सिखों के प्रति  वीभत्स दंगा तुमने कराया था !*

*भोपाल गैस कांड कराकर लाशों को तुमने नोच नोच कर तुमने खाया !*

*अरबों खरबों के घोटालों में तुम शामिल !*

*और उन घोटालों के कारण देश के प्रत्येक व्यक्ति अर्थात आज पैदा होने वाले बच्चे पर भी हज़ारों  रुपए का विदेशी कर्ज है !*

*यह देन है कांग्रेस की* !

*हे कांग्रेसियों !आप लोग जो अपने साठ वर्षों का विकास गिना रहे हो ... उस से 50 गुना अधिक देश का विकास हो जाना था। मगर तुम्हारे भ्रष्ट नेता गण अपना ही घर भरने मे लगे रहे, और देश गरीब होता गया।*

*इन्ही 60 सालों में चीन कहाँ से कहाँ पहुँच गया ! जापान  दुनिया का समृद्धतम देश बन गया अमेरिका विश्व शक्ति बन बैठा !*

*सिंगापुर , थाईलैंड , ताइवान , मलेशिया जैसे देश भी हमसे कोसो आगे निकल गए।*

*और तुम्हारी बाँटो , नोचो और खाओ , की राजनीति के चले हम हिंदुस्तान के आम जन आज भी बिजली , पानी , सड़के, भूख और तन ढकने को कपड़ों के लिए तरस रहे हैं।

*इतने बरसों मे तो कई पीढ़ियां गुजर गयी .. शर्म करो अब क्या तुम्हें तीन सौ साल चाहिए , देश का विकास करने के लिए* ।

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