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मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020

मखाने के फायदे जानकर रह जाएंगे हैरान, कई बीमारियों से फटाफट मिल जाएगा छुटकारा

मखाना के फायदे, उपयोग और नुकसान

सूखे मेवे में शामिल होने वाले मखाना को, भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में इस्तेमाल में किया जाता है। बहुत से लोग इसे भून कर खाना पसंद करते हैं। वहीं, कई लोग इसे फ्राई कर इस्तेमाल में लाते हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो इसकी खीर बनाकर इसका सेवन करते हैं। इन तीनों ही तरीकों से, इसके भिन्न-भिन्न स्वाद का लुत्फ उठाया जा सकता है। लेकिन, आपको यह जानकर हैरानी होगी, कि स्वाद के साथ ही यह आपकी सेहत के लिए भी अत्यधिक लाभकारी है। इसमें कुछ ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो आपको मोटापा, डायबिटीज और हाई बीपी जैसी कई गंभीर बीमारियों से निजात दिलाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको मखाना के ऐसे ही कई चमत्कारिक फायदों और उपयोग के बारे में विस्तार से बताएंगे।
लेख में सबसे पहले हम बात करेंगें अलग-अलग बीमारियों में मखाने के फायदे के बारे में।

मखाने के फायदे – Benefits of Makhana in Hindi

1. वजन घटाने में मददगार

वजन घटाने में मखाने के फायदे की बात करें, तो इसका उपयोग मोटापे की समस्या से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, मखाना (कमल के बीज) में एक खास तत्व एथेनोल पाया जाता है। एक शोध में पाया गया, कि कमल के बीज से निकाले गए एथेनोल के प्रयोग से मोटापा संबंधी कारकों को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफलता मिल सकती है। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है, कि इसका उपयोग वजन को कम करने में सहायक साबित हो सकता है

2. ब्लड प्रेशर में लाभदायक 

बात करें, ब्लड प्रेशर में मखाने के फायदे की, तो माना जाता है, कि मखाने के नियमित इस्तेमाल से इस गंभीर समस्या से काफी हद तक राहत पाई जा सकती है। कारण यह है, कि इसमें पाया जाने वाला एक विशेष एल्केलाइड हाइपरटेंशन की समस्या को नियंत्रित करने का काम करता है। हाइपरटेंशन के कारण ही हाई ब्लड प्रेशर की समस्या जन्म लेती है। इसलिए माना जा सकता है, कि इसका उपयोग बीपी की समस्या को नियंत्रित करने में सहायक साबित हो सकता है

3. डायबिटीज में मखाने के फायदे

डायबिटीज की समस्या से राहत पाने के लिए भी मखाने का उपयोग किया जा सकता है। एक शोध के आधार पर इस बात की पुष्टि की गई है, कि मखाने में पाए जाने वाले रेजिस्टेंस स्टार्च में हाइपोग्लाइसेमिक (ब्लड शुगर को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। साथ ही शोध में यह भी पाया गया, कि इसका नियमित उपयोग शरीर में इंसुलिन की मात्रा को नियंत्रित करने के साथ-साथ उसे बढ़ाने का भी काम करता है

4. दिल का रखे ख्याल 

माना जाता है, कि मखाना खाने के फायदों में हृदय स्वास्थ्य भी शामिल है। कारण यह है, कि इसमें पाए जाने वाले एल्केलाइड और कुछ खास पोषक तत्व दिल संबंधित जोखिम को कम करने का काम करते हैं। इस संबंध में किए गए शोध में इस बात की पुष्टि की गई है, कि मखाने का उपयोग हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से छुटकारा दिलाने में सहायक साबित होता है, जो हृदय स्वास्थ्य से सीधे तौर पर संबंधित है। वहीं, एक अन्य शोध में इस बात का जिक्र किया गया है, कि कमल के कई भागों जैसे:- पत्ती, फल, फूल और बीज आदि का उपयोग हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।

5. प्रोटीन का अच्छा स्रोत 

विशेषज्ञों के मुताबिक, मखाने में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है इसलिए ऐसा कहा जा सकता है, कि मखाना खाने के फायदों में प्रोटीन की कमी को पूरा करना भी शामिल है। बता दें, इसके नियमित उपयोग से शरीर में प्रोटीन की आवश्यक मात्रा की पूर्ति के साथ, उसकी कमी से होने वाली कई समस्याओं को भी दूर किया जा सकता है।

6. कब्ज में मखाना खाने के फायदे 

मखाने का उपयोग कब्ज की शिकायत को दूर करने में भी सहायक माना जाता है। कारण यह है, कि मखाने में कई उपयोगी पौष्टिक तत्वों के साथ प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, फाइबर कब्ज की शिकायत को दूर करने में सहायक साबित होता है इसलिए ऐसा कहा जा सकता है, कि मखाने का उपयोग कब्ज की शिकायत से छुटकारा पाने का एक उत्तम उपाय है।

7. गर्भावस्था में मखाना खाने के फायदे

फोलिक एसिड, आयरन, जिंक और कैल्शियम जैसे कई ऐसे पोषक तत्व हैं, जिनकी गर्भावस्था के दौरान एक महिला को बहुत आवश्यकता होती है विशेषज्ञों के मुताबिक, यह सभी पोषक तत्व मखाने में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इस कारण ऐसा माना जा सकता है, कि मखाना खाने के फायदे में गर्भावस्था के दौरान पोषक तत्वों की कमी को पूरा करना भी शामिल है।

8. अनिद्रा में मखाने के लाभ 

अनिद्रा यानी नींद आने की समस्या में मखाना खाने के लाभ की बात करें, तो ऐसा माना जाता है कि इसमें कुछ खास एल्केलाइड पाए जाते हैं। इनकी मौजूदगी के कारण मखाना खून को साफ करने, शरीर को ठंडा करने, तंत्रिका संबंधी विकारों को दूर करने के साथ-साथ अनिद्रा और बेचैनी जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में सहायक माना जाता है

9. डायरिया और लूज मोशन में मखाने के लाभ 

विशेषज्ञों के मुताबिक मखाने में एंटी-डायरियल प्रभाव पाए जाते हैं इस कारण ऐसा कहा जा सकता है, कि इसका इस्तेमाल डायरिया अथवा लूज मोशन की समस्या से निजात दिलाने में लाभकारी साबित हो सकता है।

10. मसूड़ों को करता है मजबूत 

विशेषज्ञों के मुताबिक, मखाने में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक के साथ-साथ विटामिन- पाया जाता है  यह सभी तत्व मसूड़ों के स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी माने जाते हैं वहीं मखाने में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल प्रभाव पाए जाते हैं मखाने में पाए जाने वाले यह दोनों गुण मसूड़े संबंधित सूजन और बैक्टीरियल प्रभाव के कारण होने वाली सड़न को रोकने में मददगार साबित हो सकते हैं। दूसरी ओर, मखाने के फूल में पाए जाने एल्केलाइड और नेल्यूम्बिन, ब्लीडिंग गम्स की समस्या से निजात दिलाने में सहायक हो सकते हैं। इस कारण माना जा सकता है, कि मखाने के फूल में पाए जाने वाले इन तत्वों की थोड़ी-बहुत मात्रा मखाने में भी पाई जाती है।

11. किडनी के लिए फायदेमंद

विशेषज्ञों के मुताबिक मखाने में एल्कलॉइड, लियेंसिनिन, आइसोलीएन्सिन, और नेफेरिन जैसे तत्व पाए जाते हैं। ये सभी तत्व लिवर से जुड़े जोखिम कारकों को कम करने में मदद करते हैं। इससे लिवर बेहतर तरीके से काम करता है। यहां हम बता दें कि लिवर ही है, जो खून को रिफाइन करने का काम करता है और बाद में खून किडनी तक पहुंचता है। इस प्रकार इन तत्वों का प्रभाव लिवर के साथ-साथ किडनी से संबंधित जोखिमों को कम करने में भी देखा जा सकता है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि मखाने का नियमित उपयोग किडनी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

12. झुर्रियों को करता है कम 

विशेषज्ञों के मुताबिक मखाने में कई एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। वहीं त्वचा से संबंधित समस्याओं में मखाने के उपयोग पर किए गए एक शोध में इस बात की पुष्टि कि गई है, कि मखाने में पाए जाने वाले सभी एंटीऑक्सीडेंट त्वचा के लिए सिनेर्जेटिक इफेक्ट (मिश्रित प्रभाव) प्रदर्शित करते हैं। यही प्रभाव त्वचा पर आने वाली झुर्रियों को दूर करने में मददगार साबित होता है

13. एंटी-एजिंग प्रभाव

विशेषज्ञों के मुताबिक मखाने में स्किन को सुरक्षित रखने और अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने वाले गुण पाए जाते हैं। वहीं शोध में इस बात की भी पुष्टि की गई है, कि मखाने की चाय त्वचा संबंधित समस्याओं जैसे :- फोटोएजिंग (अल्ट्रा वायलेट इफेक्ट) और रेगुलर एजिंग (उम्र से संबंधित विकार) से त्वचा की रक्षा करने में सहायक सिद्ध हो सकती है। फायदे जानने के बाद अब हम बात करेंगे मखाने के पौष्टिक तत्वों के बारे में

मखाना का उपयोग – How to Use Makhana in Hindi

मखाने के उपयोग की बात की जाए, तो इसे कई तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है, जिन्हें हम कुछ बिन्दुओं की सहायता से जानेंगे।
  • मखाने को फ्राई कर स्नैक्स के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • कई लोग मखाने की खीर बनाकर इसे खाने में इस्तेमाल करते हैं।
  • कुछ लोग ऐसे भी है, जो सब्जी बनाते वक्त इसे मटर और पनीर के साथ शामिल करते हैं।
  • वहीं, सूखे मेवे को चीनी की चाशनी के साथ मिक्स कर, लंबे समय तक इस्तेमाल करने का भी चलन है। 
समय- इसे नाश्ते के रूप में सुबह या शाम को खाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
मात्रा- मात्रा की बात की जाए, तो सामान्य तौर पर एक बार में 20 से 30 ग्राम मखाने का उपयोग किसी भी रूप में किया जा सकता है। फिलहाल, इस संबंध में कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है।
अब बात करते हैं मखाना से होने वाले नुकसान के बारे में। 

मखाना के नुकसान – Side Effects of Makhana in Hindi 

बता दें, कि मखाना के नुकसान के बारे में कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। फिर भी कुछ बिन्दुओं के माध्यम से हम इससे संबंधित आम पहलुओं को जानेंगे। 
  • हालांकि, मखाना कब्ज में फायदेमंद होता है, जोकि लेख में बताया जा चुका है। लेकिन इस समस्या के दौरान मखाने का अधिक उपयोग नहीं करना चाहिए, अन्यथा, इसके दुष्परिणाम जैसे:- गैस, पेट दर्द और कुछ पोषक तत्वों की कमी जा सकती है
  • कुछ लोगों को मखाना खाने से एलर्जी हो सकती है। कारण है, इसमें पाई जाने वाली पोटेशियम की अधिक मात्रा। ऐसी स्थिति में चिकित्सक से तुरंत परामर्श लें।
  • उन लोगों को मखाना के सेवन से बचना चाहिए, जो डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन का उपयोग कर रहे हैं
  • मखाने में स्टेरॉयड भी पाया जाता है, इसलिए इसके अत्यधिक सेवन से मुंह में जलन के साथ मुंह से संबंधित कुछ समस्याएं पैदा होने का खतरा हो सकता है
अब तो आप मखाना के बारे में अच्छे से जान गए होंगे। लेख में आपको मखाना के गुण, उपयोग और फायदों के बारे विस्तार से बताया जा चुका है। साथ ही आपको लेख के माध्यम से इस बात की भी जानकारी दी गई है, कि इसका उपयोग किन-किन बीमारियों में लाभदायक सिद्ध हो सकता है। इसलिए अगर आप भी मखाने को अपने नियमित आहार में शामिल करने की सोच रहे हैं, तो पहले लेख में दी गई इससे संबंधित पूरी जानकारी को अच्छे से पढ़ें। उसके बाद बताए गए तरीकों को अमल में लाएं। आशा करते हैं, कि लेख में दी गई जानकारी आपकी कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को हल करने में मददगार साबित होगी। इस विषय में किसी अन्य प्रकार के सुझाव और सवालों के लिए आप हमसे नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से जुड़ सकते हैं

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मखाने की खीर बनाने की विधि/ तरीका Makhane ki Kheer Recipe Vidhi
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खाने के बाद कुछ मीठा खाने का मन हर किसी का करता है। आप मखाने की खीर बहुत आसानी से बना सकते है, मखाने की खीर आप व्रत में भी बना सकते है।

मखाने की खीर बनाने के लिए सामान Ingredients of Makhane ki Kheer:-
100 ग्राम मखाने।
डेढ़ लीटर दूध।
185  ग्राम चीनी।
6-7 बादाम छोटे टुकड़ों में।
केसर 5-6 पत्ती।
4-5 इलायची पीसी
7-8 किशमिश
मखाने की खीर बनाने की विधि How to prepare Makhane ki Kheer:-
ग्राइंडर में मखाने डालें और मखाने को थोड़ा ग्राइंड करे।
तेज़ आँच पर कड़ाही रखें और उसमें मखाने और दूध साथ में डाले और उबलने दे।
उबाल आने के बाद गॅस धीमी करे और पकने दे।थोड़ी थोड़ी देर में चलाए।छोटी कटोरी में थोड़ा ठंडा दूध ले और केसर डाल कर अलग रखे।जब दूध गाढ़ा हो जाए तब उसमें चीनी डाले।अब 5 मिनिट और पकाए।गैस बंद करें।कड़ाही के चारों तरफ जो दूध जम गया है, उसे खुरछ लें और खीर में डाल दें।अब खीर में बादाम, केसर, इलायची और किशमिश डालें। आपकी मखाने की खीर तैयार है, आप इसे ठंडा होने दें।
ठंडा होने पर 3-4 घंटे के लिए फ़्रिज़ में रखे।
आपकी स्वादिष्ट मखाने की खीर परोसने के लिए तैयार है।

Jai shree krishna
Thanks, Regards,

कैलाश चन्द्र लढा(भीलवाड़ा)

एक ज़रूरी अपील

एक ज़रूरी अपील
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आज मैं एक लड़की,एक ज़िम्मेदार नागरिक और एक पुलिस अधिकारी होने के नाते कुछ प्रिवेंटिव एक्शन व ज़रूरी कदम सभी को सजेस्ट करना चाहती हूं ,जो हर हालत में हर लड़की और उनके परिजनों तक पहुंचें।

1- नाबालिग लड़कियों के केस में पेरेंट्स और स्कूल प्रबंधन की सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदारी होती है। नासमझ बच्ची अपने साथ हुई घटना को न ठीक से समझ सकती है और न बता सकती है। इसलिए हर वक्त उसे सुरक्षित निगरानी में रखना बेहद ज़रूरी है। ख़ासकर पुरुष स्टाफ जैसे ड्राइवर, सर्वेंट, रिश्तेदार, ट्यूशन टीचर वगेरह के साथ अकेला न छोड़ें और न ही उनसे बच्ची के कपड़े बदलने या नहलाने जैसे कार्य कराएं।
उसे तीन साल की उम्र से ही अच्छे और खराब स्पर्श की ट्रेनिंग दें। इसे अपने मौलिक कर्तव्य की तरह निभाएं।

2- आठ साल की उम्र में बच्ची को अश्लील हरकतों और  रेप का अर्थ समझा दें। बार बार समझाएं जिससे उसे इसकी समझ पैदा हो जाये और अकेले असुरक्षित जाने के खतरों से लगातार आगाह करते रहें। उसे बताएं कि कोई पुरूष अगर अश्लील इशारे करे,पोर्न वीडियो भेजे या दिखाने की कोशिश करे,उसके सामने अपना लिंग छुए या दिखाए या मास्टरबेट करे तो फौरन आकर पेरेंट्स को बताए। यही हरकतें उसके पोटेंशियल बलात्कारी होने का लक्षण हैं।और वो आपसे ये सब शेयर कर सके इसके लिए उसके दोस्त बनिये। डांट डपट करके उसे ये बातें बताने से हतोत्साहित न करें।

3- किशोर लड़कियों को अकेले निकलने से न रोकें किंतु उसे ज़रूरी सेफ्टी मेजर्स के बारे में बताएं। उसके साथ रेप के केसेस डिस्कस करें और उसके मोबाइल में वन टच इमरजेंसी नम्बर रखें जो आवश्यक रूप से पुलिस का ही हो। उसके बाद वह परिजनों को कॉल कर सकती है। स्प्रे,चाकू ,कैंची, सेफ्टी पिन,मिर्च पाउडर उसके बैग में अनिवार्य रूप से रहे। यह आदत जितनी जल्द विकसित कर दें ,उतना बढ़िया। इसका डेमो देकर उसे ट्रेंड करवा दें। रिहर्सल आवश्यक है अन्यथा हथियार होते हुए भी घबराहट में उसका उपयोग नहीं हो पाता।

4- वयस्क लड़कियां भी पर्स में ऊपर बताए हुए हथियार अनिवार्य रूप से रखें व ज़रूरत पड़ने पर बिना घबराए उनके इस्तेमाल में कुशल हो। इन हथियारों के साथ एक तेज़ आवाज़ वाली सीटी रखें।अपराध के वक्त तेज़ शोर से अक्सर अपराधी भाग जाते हैं। अगर कोई ऐसी डिवाइस हो या बन सकती हो जो एक बटन दबाते ही इतना तेज विशेष आवाज़ का सायरन बजाए जो आसपास के सारे क्षेत्र में गूंज जाए और जिसकी आवाज़ को सिर्फ रेप होने की आशंका के रूप में यूनिवर्सल साउंड माना जाए तो कृपया इसकी जानकारी दें और अगर नहीं है और कोई व्यक्ति या कम्पनी इसे बना सकती है तो इसे सभी नागरिकों की तरफ से मेरा आग्रह मानकर बना दे।यह बेहद प्रभावी सिद्ध होगी।

5-पुलिस कंट्रोल रूम व किसी भी पुलिस अधिकारी का नम्बर हमेशा अपने पास रखें। और सबसे पहले उन्हें डायल करें। पुलिस की छवि आपके मन में जो भी हो पर याद रखें कि महिलाओं के अपराधों में पुलिस बेहद तत्परता से काम करती है व आपकी सबसे निकट का पुलिस वाहन शीघ्र आपके पास पहुंच जाएगा। पुलिस एप अपने मोबाइल में रखें व अपनी लोकेशन भेजें। अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन जाकर स्टाफ व अधिकारियों से परिचय करें। पुलिस वाकई आपकी दोस्त है। यह आप महसूस करेंगी।

6- मैं चाहती हूँ कि लड़कियों के लिए यह देश और दुनिया इतनी सुरक्षित हो कि वे आधी रात को भी बेखटके सड़कों पर घूम सकें लेकिन यथार्थ इतना सुंदर नहीं है। इसलिए अकेले देर रात सूनी सड़कों पर आवश्यकता होने पर ही निकलें।पुलिस हर कदम पर आपके साथ तैनात नहीं हो सकती ।और अपराधी व दरिंदे लड़कों को रातों रात सुधारा नहीं जा सकता। इसलिए क्लब या पार्टी से देर रात लौटें तो अपनी सुरक्षा का ध्यान पहले रहे। कैब या टैक्सी करने पर तुरंत लाइव लोकेशन घरवालों को दें व उसका फोटो भी भेजें।यह बात उस ड्राइवर को भी मालूम हो।

7- एक महत्वपूर्ण बात यह कि अगर अपराधी अकेला है तो उसे हैंडल किया जा सकता है। अगर वह रेप अटेम्प्ट करता है तो बिना घबराए उसके टेस्टिकल्स हाथों से पकड़कर जितनी मजबूती से हो सके,दबा दें।इससे वह कुछ मिनिटों के लिए अशक्त हो जाएगा और लड़की को बच निकलने का या उस पर आक्रमण करने का वक्त मिल जाएगा। गैंग रेप की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में लड़की ज़रूर बेबस हो सकती है मगर ऐसे में पुलिस को त्वरित सूचना मदद करेगी।

8- मार्शल आर्ट या अन्य कोई सुरक्षात्मक आक्रमण कला सिखाना अपनी बच्चियों के लिए to do लिस्ट में अनिवार्यतः शामिल कर लें ।

9- बच्चों की सही काउंसलिंग और अपराधों से बचाव के उपाय आप न जानते हों तो बेझिझक पुलिस थाने या किसी एन जी ओ की मदद लें। आपके स्कूल,क्लास, कोचिंग, मोहल्ले में आकर आपके लिए काउंसलिंग सेशन आयोजित हो जाएगा।

10- सबसे महत्वपूर्ण बात सबसे अंत में ये कि समाज को स्त्रियों के लिए सुरक्षित बनाएं और इसके लिए अपने घरों के ,मोहल्ले के व समाज के लड़कों को बचपन से ही शिक्षित करें।उनकी विकृत मानसिकता न हो इसके लिए अपने लड़कों की गतिविधियों पर दस बारह साल की उम्र से नज़र रखें। उसके मोबाइल पर,उसके दोस्तों पर ,उसकी आदतों पर लगातार नज़र रखें व उससे लगातार बात करें। हर रेप घटना पर उससे चर्चा करें । उसे संवेदनशील बनाएं और स्त्रियों के प्रति सम्मान करना सिखाएं। यह शिक्षा अमीरी,गरीबी,धर्म, जाति, क्षेत्र के भेद से परे हर माँ बाप को अपने लड़कों को देनी होगी। अगर पेरेंट्स खुद अनपढ़ व जागरूक नहीं हैं तो ज़िम्मेदार नागरिक अपने आसपास के क्षेत्रों में,स्कूलों में लड़कों के लिए समय समय पर ऐसे सेशन आयोजित कर सकते हैं । इसके साथ ही लड़कों में अपराध के दंड के विषय में भी भय जागृत करें। अगर कोई लड़का आपके परिवार अथवा आस पड़ोस में सेक्समेनियक है तो उसे सायकायट्रिस्ट को दिखाएं। उसे वयस्क होने के बाद म्युचुअल कंसेंट से सेक्स के बारे में समझाएं । यदि कोई आवारा ,शराबी लड़के आपकी नज़रों में हों तो ज़रूर पुलिस को खबर करें 

यह सब आज करना शुरू करेंगे तो रातों रात कुछ नहीं बदलेगा लेकिन लगातार प्रयासों से असर ज़रूर दिखेगा।क्योंकि कोई परिवार नहीं जानता कि अगली बार किसके घर की स्त्री इस हादसे की शिकार होगी। प्लीज़ इसे बेहद बेहद गम्भीरता से लें। अगर आप ये सब कर रहे हैं तो कृपया अपना फर्ज़ समझकर दूसरों को भी समझाएं।स्त्रियों के लिए एक बेहतर समाज बनाने में हम सब की आहुति लगेगी। प्रदर्शन करें,धरने दें,कड़ी सज़ा की मांग करें, केंडल मार्च करें लेकिन खुद के कर्तव्य नहीं भूलें।

प्लीज़ इसे अधिक से अधिक शेयर करें,कॉपी करें,इसमें कुछ जोड़ना चाहें तो जोड़ दें लेकिन ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक इसे पहुंचाएं। ये बेहद ज़रूरी है। हम यूँ सिर्फ क्षोभ में भरे व्यथित होकर बैठे नहीं रह सकते।मैं इसे बार बार पोस्ट करूंगी ।

-----पल्लवी त्रिवेदी
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक,भोपाल

ठंड में खाने के बाद गुड़ जरूर खाएंगे, जब जान जाएंगे ये लाजवाब फायदे!

ठंड में खाने के बाद गुड़ जरूर खाएंगे, जब जान जाएंगे ये लाजवाब फायदे!
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गुड़ का सेवन अधिकांश लोग ठंड में ही करते हैं वह भी थोड़ी मात्रा में इस सोच के साथ की ज्यादा गुड़ खाने से नुकसान होता है। इसकी प्रवृति गर्म होती है, लेकिन ये एक गलतफहमी है गुड़ हर मौसम में खाया जा सकता है और पुराना गुड़ हमेशा औषधि के रूप में काम करता है।आयुर्वेद संहिता के अनुसार यह शीघ्र पचने वाला, खून बढ़ाने वाला व भूख बढ़ाने वाला होता है। इसके अतिरिक्त गुड़ से बनी चीजों के खाने से बीमारियों में राहत मिलती है।

- गुड़ में सुक्रोज 59.7 प्रतिशत, ग्लूकोज 21.8 प्रतिशत, खनिज तरल 26प्रतिशत तथा जल अंश 8.86 प्रतिशत मौजूद होते हैं।इसके अलावा गुड़ में कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा और ताम्र तत्व भी अच्छी मात्रा में मिलते हैं। इसलिए चाहे हर मौसम में आप गुड़ खाना न पसन्द करें लेकिन ठंड में गुड़ जरूर खाएं।

- यह सेलेनियम के साथ एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है। गुड़ में मध्यम मात्रा में कैल्शियम, फॉस्फोरस व जस्ता पाया जाता है यही कारण है कि इसका रोजाना सेवन करने वालों का इम्युनिटी पॉवर बढ़ता है। गुड़ में मैग्नेशियम अधिक मात्रा में पाया जाता है इसलिए ये बॉडी को रिचार्ज करता है साथ ही इसे खाने से थकान भी दूर होती है।

- गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से सर्दी में अस्थमा परेशान नहीं करता है। रोजाना गुड़ का सेवन हाइब्लडप्रेशर को कंट्रोल करता है। जिन लोगों को खून की कमी हो उन्हें रोज थोड़ी मात्रा में गुड़ जरूर खाना चाहिए। इससे शरीर में हिमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।

- गुड़ का हलवा खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर निकालता है व सर्दियों में, यह शरीर के तापमान को विनियमित करने में मदद करता है। यह लड़कियों के मासिक धर्म को नियमित करने यह मददगार होता है।

- अगर आप गैस या एसिडिटी से परेशान हैं तो खाने के बाद थोड़ा गुड़ जरूर खाएं ऐसा करने से ये दोनों ही समस्याएं नहीं होती हैं। गुड़, सेंधा नमक, काला नमक मिलाकर चाटने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।

- ठंड में कई लोगों को कान के दर्द की समस्या होने लगती है। ऐसे में कान में सरसो का तेल डालने से व गुड़ और घी मिलाकर खाने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

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बथुवा गुणों की खान है और भारत में ऐसी ऐसी जड़ी बूटियां हैं तभी तो मेरा भारत महान है।

बथुवा
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बथुवा को अंग्रेजी में Lamb's Quarters कहते है, इसका वैज्ञानिक नाम Chenopodium album है।

साग और रायता बना कर बथुवा अनादि काल से खाया जाता  रहा है लेकिन क्या आपको पता है कि विश्व की सबसे पुरानी महल बनाने की पुस्तक शिल्प शास्त्र में लिखा है कि हमारे बुजुर्ग अपने घरों को हरा रंग करने के लिए प्लस्तर में बथुवा मिलाते थे और हमारी बुढ़ियां सिर से ढेरे व फांस (डैंड्रफ) साफ करने के लिए बथुवै के पानी से बाल धोया करती। बथुवा गुणों की खान है और भारत में ऐसी ऐसी जड़ी बूटियां हैं तभी तो मेरा भारत महान है।

बथुवै में क्या क्या है?? मतलब कौन कौन से विटामिन और मिनरल्स??

तो सुने, बथुवे में क्या नहीं है?? बथुवा विटामिन B1, B2, B3, B5, B6, B9 और विटामिन C से भरपूर है तथा बथुवे में कैल्शियम,  लोहा, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिंक आदि मिनरल्स हैं। 100 ग्राम कच्चे बथुवे यानि पत्तों में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन व 4 ग्राम पोषक रेशे होते हैं। कुल मिलाकर 43  Kcal होती है।

जब बथुवा शीत (मट्ठा, लस्सी) या दही में मिला दिया जाता है तो यह किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन वाला व किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य व पौष्टिक आहार बन जाता है और साथ में बाजरे या मक्का की रोटी, मक्खन व गुड़ की डळी हो तो इस खाने के लिए देवता भी तरसते हैं।

जब हम बीमार होते हैं तो आजकल डॉक्टर सबसे पहले विटामिन की गोली ही खाने की सलाह देते हैं ना??? गर्भवती महिला को खासतौर पर विटामिन बी, सी व लोहे की गोली बताई जाती है और बथुवे में वो सबकुछ है ही, कहने का मतलब है कि बथुवा पहलवानो से लेकर गर्भवती महिलाओं तक, बच्चों से लेकर बूढों तक, सबके लिए अमृत समान है।

यह साग प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है। बथुए के साग का सही मात्रा में सेवन किया जाए तो निरोग रहने के लिए सबसे उत्तम औषधि है।  बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाएँ तो अच्छा है, यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो काला नमक मिलाएँ और देशी  गाय   के घी से छौंक लगाएँ। बथुए का उबाला हुआ पानी अच्छा लगता है तथा दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है। किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें। बथुवै में  जिंक होता है जो कि शुक्राणुवर्धक है मतलब किसी भाई को जिस्मानी कमजोरी हो तो उसकॅ भी दूर कर दे बथुवा।

बथुवा कब्ज दूर करता है और अगर पेट साफ रहेगा तो कोइ भी बीमारी शरीर में लगेगी ही नहीं, ताकत और स्फूर्ति बनी रहेगी।

कहने का मतलब है कि जब तक इस मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएँ। बथुए का रस, उबाला हुआ पानी पीएँ और तो और यह खराब लीवर को भी ठीक कर देता है।

पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शकर मिलाकर नित्य पिएँ तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी।

मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें । आधा रहने पर छानकर पी जाएँ। मासिक धर्म खुलकर साफ आएगा। आँखों में सूजन, लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाएँ।

पेशाब के रोगी बथुआ आधा किलो, पानी तीन गिलास, दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें । बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें। स्वाद के लिए नींबू जीरा, जरा सी काली मिर्च और काला नमक लें और पी जाएँ।

आप ने अपने दादा दादी से ये कहते जरूर सुना होगा कि हमने तो सारी उम्र अंग्रेजी दवा की एक गोली भी नहीं ली। उनके स्वास्थ्य व ताकत का राज यही बथुवा ही है।

मकान को रंगने से लेकर खाने व दवाई तक बथुवा काम आता है और हाँ सिर के बाल ...... क्या करेंगे शम्पू इसके आगे।
हम आज बथुवै को भी कोंधरा, चौळाई, सांठी, भाँखड़ी आदि सैकड़ों आयुर्वेदिक औषधियों की बजाय खरपतवार समझते हैं।


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मूंगफली भिगोकर खाने वालों को बादाम से भी ज्‍यादा मिलती है ताकत

मूंगफली भिगोकर खाने वालों को बादाम से भी ज्‍यादा मिलती है ताकत

ब्लड सर्कुलेशन ठीक रख कर हार्ट के साथ कई बीमारियों से बचाता है।इससे आप डायबिटीज जैसी बीमारी से बचे रहते है।रोजाना भीगी हुई मूंगफली का सेवन ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है।

आमतौर पर लोग सर्दियों में मूंगफली का सेवन ज्‍यादा करते हैं। लेकिन रोजाना भीगी मूंगफली के कुछ दाने खाने से आपकी कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं दूर हो सकती है। इसे भिगोकर खाने से इसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स और आयरन ब्लड सर्कुलेशन ठीक रख कर हार्ट के साथ कई बीमारियों से बचाता है। आइए जानते है रोजाना भीगी हुई मूंगफली खाने से सेहत को क्या फायदे होते है।

 डायबिटीज

रोजाना भीगी हुई मूंगफली का सेवन ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है। इससे आप डायबिटीज जैसी बीमारी से बचे रहते है। इसलिये यदि आपको भी शुगर की समस्या है तो रोज सुबह को पानी में रात भर भिगोये गये मूंगफली के दाने पचास ग्राम जरूर खायें । फाइबर से भरपूर मूंगफली को भिगो कर इसका सेवन करने से डाइजेशन सिस्टम ठीक रहता है। सर्दी में इसका सेवन शरीर को अंदर से गर्मी और एनर्जी देता है।

 गैस और एसिडिटी

पोटेशियम,मैग्नीज, कॉपर, केल्सियम,आयरन, सेलेनियम के गुणों से भरपूर मूंगफली को भिगो कर सुबह खाली पेट खाने से गैस और एसिडिटी की परेशानी दूर होती है। सर्दियों में भीगी हुई मूंगफली का गुड़ के साथ सेवन करने से जोड़ो और कमर दर्द की समस्या दूर हो जाती है। यह शरीर में कैल्शियम की पूर्ति करने का एक बहुत अच्छा साधन है।

 आंखों की रोशनी

बच्चों को सुबह भीगी मूंगफली के कुछ दाने खिलाने से इसमें मौजूद विटामिन आंखों की रोशनी और याद्दाश्त तेज करते है। मूंगफली को खाने से शरीर में खून की कमी भी पूरी हो जाती है। इसके अलावा इससे शारीरिक उर्जा और स्फूर्ती भी बनी रहती है। मूंगफली को इन्ही गुणों के कारण शायद गरीबों का बादाम कहा जाता है ।

 कैंसर से सुरक्षा

मूंगफली में मौजूद तैलीय अंश गीली खांसी और भूख न लगने की समस्या को दूर करते है। रोजाना इसके कम से कम 20 दाने खाना महिलाओं को कैंसर से दूर रखता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, आयरन, नियासिन, फोलेट, कैल्शियम और जिंक शरीर को कैंसर सेल्स से लड़ने में मदद करते है।

 सेहत का खजाना है मूंगफली

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 100 ग्राम कच्ची मूंगफली में 1 लीटर दूध के बराबर प्रोटीन होता है। मूंगफली में प्रोटीन की मात्रा 25 प्रतिशत से भी अधिक होती है। साथ ही मूंगफली पाचन शक्ति बढ़ाने में भी मदद करती है। 250 ग्राम भूनी मूंगफली में जितनी मात्रा में खनिज और विटामिन पाए जाते हैं, वो 250 ग्राम मांस से भी प्राप्त नहीं हो सकते। मूंगफली में न्यूहट्रियन्टीस, मिनरल, एंटी-ऑक्सीडेंट और विटामिन जैसे पदार्थ पाए जाते हैं। इसमें प्रोटीन, चिकनाई और शर्करा पाई जाती है। एक अंडे के मूल्य के बराबर मूंगफलियों में जितनी प्रोटीन व ऊष्मा होती है, उतनी दूध व अंडे से संयुक्त रूप में भी नहीं होती।

मूंगफली के खाने से दूध, बादाम और घी की पूर्ति हो जाती है। एक सर्वे के मुताबिक जिन लोगों के रक्त में ट्राइग्लाइसेराइड का लेवल अधिक होता है, वे अगर मूंगफली खाएं, तो उनके ब्लड के लिपिड लेवल में ट्राइग्लाइसेराइड का लेवल 10 फीसदी कम हो जाता है। अगर आप सर्दी के मौसम में मूंगफली खाएंगे तो आपका शरीर गर्म रहेगा। यह खाँसी में उपयोगी है व फेफड़े को बल देती है। एक बात ध्यान रखने की है कि मूंगफली पाचन शक्ति को बढ़ाती है, रुचिकर होती है, लेकिन गरम प्रकृति के व्यक्तियों को हानिकारक भी है।

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स्वास्थ्यवर्धक खजूर

स्वास्थ्यवर्धक खजूर

खजूर मधुर, शीतल, पौष्टिक व सेवन करने के बाद तुरंत शक्ति-स्फूर्ति देनेवाला है | यह रक्त, मांस व वीर्य की वृद्धि करता है | ह्रदय व मस्तिष्क को शक्ति देता है | वात, पित व कफ इन तीनों दोषों का शामक है | यह मल व मूत्र को साफ लाता है | खजूर में कार्बोहाइड्रेटस, प्रोटीन्स, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नेशियम, लोह आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता है | ' अमेरिकन कैंसर सोसाइटी ' के अनुसार शारीर को एक दिन में २०-३५ ग्राम डाएटरी फाइबर (खाद्य पदार्थों में स्थित रेशा) की जरुरत होती है, जो खजूर खाने से पूरी हो जाती है |
खजूर रात भर पानी में भिगोकर सुबह लेना लाभदायक है | खजूर रक्त को बढाता है और यकृत (लीवर) के रोगों में लाभकारी है | रक्ताल्पता में इसका नियमित सेवन लाभकारी है | निम्बू के रस में खजूर की चटनी बनाकर खाने से भोजन की अरुचि मिटती है | खजूर का सेवन बालों को लम्बा, घना और मुलायम बनाता है |
औषधि-प्रयोग :-
* कब्जनाशक : खजूर में रेचक गुण भरपूर है | ८-१० खजूर २०० ग्राम पानी में भिगों दें, दुबह मसलकर इनका शरबत बना लें | फिर इसमें ३०० ग्राम पानी और डालकर गुनगुना गर्म करें | खाली पेट चाय की की तरह पी जायें | कुछ देर बाद दस्त होगा | इससे आँतों को बल और शारीर को सुफुर्ती भी मिलेगी | उम्र के अनुसार खजूर की मात्रा कम-जयादा करें |
* नशा निवारक : शराबी प्राय: नशे की झोंक में इतनी शराब पी जाता है की उसका यकृत नष्ट होकर मृत्यु का कारन बन सकता है | इस स्थिति में ताजे पानी में खजूर को अच्छी तरह मसलते हुए शरबत बनायें | यह शरबत पीने से शराब का विषैला प्रभाव नष्ट होने लगता है |
* आँतों की पुष्टि : खजूर आँतों के हनिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है, साथ ही खजूर के विशिष्ट तत्त्व ऐसे जीवाणुओं को जन्म देते हैं जो आँतों को विशेष शक्तिशाली तथा अधिक सक्रिय बनाते हैं |
*हृदय रोगों में : लगभग ५० ग्राम गुठलीरहित छुहारे (खारक) २५० मी. ली. पानी में रात को भिगो दें | सुबह छुहारों को पीसकर पेस्ट बना के उसी बचे हुए पानी में घोल लें | इसे प्रात: खली पेट पी जाने से कुछ ही माह में ह्रदय को पर्याप्त सबलता मिलती है | इसमें १ ग्राम इलायची चूर्ण मिलाना विशेष लाभदायी है |
*तन-मन की पुष्टि : बच्चों को दूध में खजूर उबाल के देने से उन्हें शारीरिक-मानसिक पोषण मिलता है व शारीर सुदृढ़ बनता है |
*शैयामुत्र : जो बच्चे रात्रि में बिस्तर गीला करते हों, उनेह दो छुहारे रात्रि में भिगोकर सुबह दूध में उबाल के दें |
*बच्चों के दस्त में : बच्चों के दाँत निकलते समय उन्हें बार बार गारे दस्त होते हों या पेचिश पड़ती हो तो खजूर के साथ शहद को अछि तरह फेंटकर एक-एक चमच दिन में २-३ बार चटाने से लाभ होता है | 

मस्तिष्क व हृदय की कमजोरीः रात को खजूर भिगोकर सुबह दूध या घी के साथ खाने से मस्तिष्क व हृदय की पेशियों को ताकत मिलती है। विशेषतः रक्त की कमी के कारण होने वाली हृदय की धड़कन व एकाग्रता की कमी में यह प्रयोग लाभदायी है।

मलावरोधः रात को भिगोकर सुबह दूध के साथ लेने से पेट साफ हो जाता है।

कृशताः खजूर में शर्करा, वसा (फैट) व प्रोटीन्स विपुल मात्रा में पाये जाते हैं। इसके नियमित सेवन से मांस की वृद्धि होकर शरीर पुष्ट हो जाता है।

रक्ताल्पताः खजूर रक्त को बढ़ाकर त्वचा में निखार लाता है।

शुक्राल्पताहा खजूर उत्तम वीर्यवर्धक है। गाय के घी अथवा बकरी के दूध के साथ लेने से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त अधिक मासिक स्राव, क्षयरोग, खाँसी, भ्रम(चक्कर), कमर व हाथ पैरों का दर्द एवं सुन्नता तथा थायराइड संबंधी रोगों में भी यह लाभदायी है।

सावधानी :

- आजकल खजूर को वृक्ष से अलग करने के बाद रासायनिक पदार्थों के द्वारा सुखाया जाता है | ये रसायन शारीर के लिए हानिकारक होते है | अत: उपयोग करने से पहले खजूर को अच्छी तरह से धों लें | धोकर सुखाने के बाद इन्हें विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा सकता है |

- होली के बाद खजूर खाना हितकारी नहीं है।

- Diabities वाले खजूर की जगह पर किशमिश का उपयोग करना

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अंजीर के सूखे फल बहुत गुणकारी होते हैं।

अंजीर के लाभ ::

```` अंजीर एक ऐसा फल है जो जितना मीठा है। उतना ही लाभदायक भी है।अंजीर के सूखे फल बहुत गुणकारी होते हैं। अंजीर खाने से कब्ज दूर हो जाती है। गैस और एसीडिटी से भी राहत मिलती है। साधारण कब्ज में गरम दूध में सूखे अंजीर उबाल कर सेवन से सुबह दस्त साफ होता है। इससे कफ बाहर आ जाता है। सूखे अंजीर को उबाल कर बारीक पीस कर गले की सुजन या गांठ पर बांधी जाए तो लाभ पहुंचता है। ताजे अंजीर खा कर साथ दूध का सेवन करना शक्तिवर्धक होता है। डायबिटीज के रोगी को अंजीर से लाभ पहुंचता है। 1 कब्ज:- *3 से 4 पके अंजीर दूध में उबालकर रात्रि में सोने से पूर्व खाएं और ऊपर से उसी दूध का सेवन करें। इससे कब्ज और बवासीर में लाभ होता है। *माजून अंजीर 10 ग्राम को सोने से पहले लेने से कब्ज़ में लाभ होता है। *अंजीर 5 से 6 पीस को 250 मिलीलीटर पानी में उबाल लें, पानी को छानकर पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) में राहत मिलती है। *2अंजीर को रात को पानी में भिगोकर सुबह चबाकर खाकर ऊपर से पानी पीने पेट साफ हो जाता है। *अंजीर के 4 दाने रात को सोते समय पानी में डालकर रख दें। सुबह उन दानों को थोड़ा सा मसलकर जल पीने से अस्थमा में बहुत लाभ मिलता है तथा इससे कब्ज भी नष्ट हो जाती है। 2 दमा :- *दमा जिसमें कफ (बलगम) निकलता हो उसमें अंजीर खाना लाभकारी है। इससे कफ बाहर आ जाता है तथा रोगी को शीघ्र ही आराम भी मिलता है। *प्रतिदिन थोड़े-थोड़े अंजीर खाने से पुरानी कब्जियत में मल साफ और नियमित आता है। 2 से 4 सूखे अंजीर सुबह-शाम दूध में गर्म करके खाने से कफ की मात्रा घटती है, शरीर में नई शक्ति आती है और दमा (अस्थमा) रोग मिटता है।" 3 प्यास की अधिकता :- बार-बार प्यास लगने पर अंजीर का सेवन करें। 4 मुंह के छाले :- अंजीर का रस मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है। 5 प्रदर रोग :- अंजीर का रस 2 चम्मच शहद के साथ प्रतिदिन सेवन करने से दोनों प्रकार के प्रदर रोग नष्ट हो जाते हैं। 6 दांतों का दर्द :- *अंजीर का दूध रुई में भिगोकर दुखते दांत पर रखकर दबाएं। *अंजीर के पौधे से दूध निकालकर उस दूध में रुई भिगोकर सड़ने वाले दांतों के नीचे रखने से दांतों के कीड़े नष्ट होते हैं तथा दांतों का दर्द मिट जाता है।" 7 पेशाब का अधिक आना :- 3-4 अंजीर खाकर, 10 ग्राम काले तिल चबाने से यह कष्ट दूर होता है। 8 त्वचा के विभिन्न रोग :- *कच्चे अंजीर का दूध समस्त त्वचा सम्बंधी रोगों में लगाना लाभदायक होता है। *अंजीर का दूध लगाने से दिनाय (खुजली युक्त फुंसी) और दाद मिट जाते हैं। बादाम और छुहारे के साथ अंजीर को खाने से दाद, दिनाय (खुजली युक्त फुंसी) और चमड़ी के सारे रोग ठीक हो जाते है।" 9 दुर्बलता (कमजोरी) :- *पके अंजीर को बराबर की मात्रा में सौंफ के साथ चबा-चबाकर सेवन करें। इसका सेवन 40 दिनों तक नियमित करने से शारीरिक दुर्बलता दूर हो जाती है। *अंजीर को दूध में उबालकर-उबाला हुआ अंजीर खाकर वही दूध पीने से शक्ति में वृद्धि होती है तथा खून भी बढ़ता है।" 10 रक्तवृद्धि और शुद्धि हेतु :- 10 मुनक्के और 5 अंजीर 200 मिलीलीटर दूध में उबालकर खा लें। फिर ऊपर से उसी दूध का सेवन करें। इससे रक्तविकार दूर हो जाता है। 11 पेचिश और दस्त :- अंजीर का काढ़ा 3 बार पिलाएं। 12 ताकत को बढ़ाने वाला :- सूखे अंजीर के टुकड़े और छिली हुई बादाम गर्म पानी में उबालें। इसे सुखाकर इसमें दानेदार शक्कर, पिसी इलायची, केसर, चिरौंजी, पिस्ता और बादाम बराबर मात्रा में मिलाकर 8दिन तक गाय के घी में पड़ा रहने दें। बाद में रोजाना सुबह 20 ग्राम तक सेवन करें। छोटे बालकों की शक्तिक्षीण के लिए यह औषधि बड़ी हितकारी है। 13 जीभ की सूजन :- सूखे अंजीर का काढ़ा बनाकर उसका लेप करने से गले और जीभ की सूजन पर लाभ होता है। 14 पुल्टिश :- ताजे अंजीर कूटकर, फोड़े आदि पर बांधने से शीघ्र आराम होता है। 15 दस्त साफ लाने के लिए :- दो सूखे अंजीर सोने से पहले खाकर ऊपर से पानी पीना चाहिए। इससे सुबह साफ दस्त होता है। 16 क्षय यानी टी.बी के रोग :- इस रोग में अंजीर खाना चाहिए। अंजीर से शरीर में खून बढ़ता है। अंजीर की जड़ और डालियों की छाल का उपयोग औषधि के रूप में होता है। खाने के लिए 2 से 4 अंजीर का प्रयोग कर सकते हैं। 17 फोड़े-फुंसी :- अंजीर की पुल्टिस बनाकर फोड़ों पर बांधने से यह फोड़ों को पकाती है। 18 गिल्टी :- अंजीर को चटनी की तरह पीसकर गर्म करके पुल्टिस बनाएं। 2-2 घंटे के अन्तराल से इस प्रकार नई पुल्टिश बनाकर बांधने से `बद´ की वेदना भी शांत होती है एवं गिल्टी जल्दी पक जाती है। 19 सफेद कुष्ठ (सफेद दाग) :- *अंजीर के पेड़ की छाल को पानी के साथ पीस लें, फिर उसमें 4 गुना घी डालकर गर्म करें। इसे हरताल की भस्म के साथ सेवन करने से श्वेत कुष्ठ मिटता है। *अंजीर के कच्चे फलों से दूध निकालकर सफेद दागों पर लगातार 4 महीने तक लगाने से यह दाग मिट जाते हैं। *अंजीर के पत्तों का रस श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) पर सुबह और शाम को लगाने से लाभ होता है। *अंजीर को घिसकर नींबू के रस में मिलाकर सफेद दाग पर लगाने से लाभ होता है।" 20 गले के भीतर की सूजन :- सूखे अंजीर को पानी में उबालकर लेप करने से गले के भीतर की सूजन मिटती है। 21 श्वासरोग :- अंजीर और गोरख इमली (जंगल जलेबी) 5-5 ग्राम एकत्रकर प्रतिदिन सुबह को सेवन करने से हृदयावरोध (दिल की धड़कन का अवरोध) तथा श्वासरोग का कष्ट दूर होता है। 22 शरीर की गर्मी :- पका हुआ अंजीर लेकर, छीलकर उसके आमने-सामने दो चीरे लगाएं। इन चीरों में शक्कर भरकर रात को ओस में रख दें। इस प्रकार के अंजीर को 15 दिनों तक रोज सुबह खाने से शरीर की गर्मी निकल जाती है और रक्तवृद्धि होती है। 23 जुकाम :- पानी में 5 अंजीर को डालकर उबाल लें और इसे छानकर इस पानी को गर्म-गर्म सुबह और शाम को पीने से जुकाम में लाभ होता है। 24 फेफड़ों के रोग :- फेफड़ों के रोगों में पांच अंजीर एक गिलास पानी में उबालकर छानकर सुबह-शाम पीना चाहिए। 25 मसूढ़ों से खून का आना :- अंजीर को पानी में उबालकर इस पानी से रोजाना दो बार कुल्ला करें। इससे मसूढ़ों से आने वाला खून बंद हो जाता है तथा मुंह से दुर्गन्ध आना बंद हो जाती है। 26 तिल्ली (प्लीहा) के रोग में :- अंजीर 20 ग्राम को सिरके में डुबोकर सुबह और शाम रोजाना खाने से तिल्ली ठीक हो जाती है। 27 खांसी :- *अंजीर का सेवन करने से सूखी खांसी दूर हो जाती है। अंजीर पुरानी खांसी वाले रोगी को लाभ पहुंचाता है क्योंकि यह बलगम को पतला करके बाहर निकालता रहता है। *2अंजीर के फलों को पुदीने के साथ खाने से सीने पर जमा हुआ कफ धीरे-धीरे निकल जाएगा। *पके अंजीर का काढ़ा पीने से खांसी दूर हो जाती है।" 28 गुदा चिरना :- सूखा अंजीर 350 ग्राम, पीपल का फल 170 ग्राम, निशोथ 87.5 ग्राम, सौंफ 87.5 ग्राम, कुटकी 87.5 ग्राम और पुनर्नवा 87.5 ग्राम। इन सब को मिलाकर कूट लें और कूटे हुए मिश्रण के कुल वजन का 3 गुने पानी के साथ उबालें। एक चौथाई पानी बच जाने पर इसमें 720 ग्राम चीनी डालकर शर्बत बना लें। यह शर्बत 1 से 2 चम्मच प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें। 29 बवासीर (अर्श) :- *सूखे अंजीर के 3-4 दाने को शाम के समय जल में डालकर रख दें। सुबह उन अंजीरों को मसलकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट खाने से अर्श (बवासीर) रोग दूर होता है। *अंजीर को गुलकन्द के साथ रोज सुबह खाली पेट खाने से शौच के समय पैखाना (मल) आसानी से होता है।" 30 कमर दर्द :- अंजीर की छाल, सोंठ, धनियां सब बराबर लें और कूटकर रात को पानी में भिगो दें। सुबह इसके बचे रस को छानकर पिला दें। इससे कमर दर्द में लाभ होता है। 31 आंवयुक्त पेचिश :- पेचिश तथा आवंयुक्त दस्तों में अंजीर का काढ़ा बनाकर पीने से रोगी को लाभ होता है। 32 अग्निमान्द्य (अपच) होने पर :- अंजीर को सिरके में भिगोकर खाने से भूख न लगना और अफारा दूर हो जाता है। 33 प्रसव के समय की पीड़ा :- प्रसव के समय में 15-20 दिन तक रोज दो अंजीर दूध के साथ खाने से लाभ होता है। 34 बच्चों का यकृत (जिगर) बढ़ना :- 4-5 अंजीर, गन्ने के रस के सिरके में गलने के लिए डाल दें। 4-5 दिन बाद उनको निकालकर 1 अंजीर सुबह-शाम बच्चे को देने से यकृत रोग की बीमारी से आराम मिलता है। 35 फोड़ा (सिर का फोड़ा) :- फोड़ों और उसकी गांठों पर सूखे अंजीर या हरे अंजीर को पीसकर पानी में औटाकर गुनगुना करके लगाने से फोड़ों की सूजन और फोड़े ठीक हो जाते हैं। 36 दाद :- अंजीर का दूध लगाने से दाद ठीक हो जाता है। 37 सिर का दर्द :- सिरके या पानी में अंजीर के पेड़ की छाल की भस्म मिलाकर सिर पर लेप करने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। 38 सर्दी (जाड़ा) अधिक लगना :- लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में अंजीर को खिलाने से सर्दी या शीत के कारण होने वाले हृदय और दिमाग के रोगों में बहुत ज्यादा फायदा मिलता है। 39 खून और वीर्यवद्धक :- *सूखे अंजीर के टुकड़ों एवं बादाम के गर्भ को गर्म पानी में भिगोकर रख दें फिर ऊपर से छिलके निकालकर सुखा दें। उसमें मिश्री, इलायची के दानों की बुकनी, केसर, चिरौंजी, पिस्ते और बलदाने कूटकर डालें और गाय के घी में 8 दिन तक भिगोकर रखें। यह मिश्रण प्रतिदिन लगभग 20 ग्राम की मात्रा में खाने से कमजोर शक्ति वालों के खून और वीर्य में वृद्धि होती है। *एक सूखा अंजीर और 5-10 बादाम को दूध में डालकर उबालें। इसमें थोड़ी चीनी डालकर प्रतिदिन सुबह पीने से खून साफ होता है, गर्मी शांत होती है, पेट साफ होता है, कब्ज मिटती है और शरीर बलवान बनता है। *अंजीर को अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर शक्तिशाली होता है, और मनुष्य के संभोग करने की क्षमता भी बढ़ती है। अंजीर अपने खट्टे-मीठे स्वाद के लिए प्रसिद्ध अंजीर एक स्वादिष्ट, स्वास्थ्यवर्धक और बहु उपयोगी फल है।अंजीर कई प्रकार का होता है जिसमें से कुछ इस प्रकार के हैं।वैज्ञानिकों के अनुसार अंजीर कि इसके सूखे फल में कार्बोहाइड्रेट (शर्करा) 63 प्रतिशत, प्रोटीन 5.5 प्रतिशत, सेल्यूलोज 7.3 प्रतिशत, चिकनाई एक प्रतिशत, खनिज लवण 3 प्रतिशत, अम्ल 1.2 प्रतिशत, राख 2.3 प्रतिशत और जल 20.8 प्रतिशत होता है। इसके अलावा प्रति 100 ग्राम अंजीर में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लोहा, विटामिन,थोड़ी मात्रा में चूना, पोटैशियम, सोडियम, गंधक, फास्फोरिक एसिड और गोंद भी पाया जाता है।

Jai Shree Krishna
Thanks,
Regards,
कैलाश चन्द्र  लढा(भीलवाड़ा)

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