यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

कमरे के दरवाजे पर पहुंचे तो याद आया कि कमरे की चाबी Reception पर ही भूल गए...

तीन नौजवान एक बड़े होटल में ठहरे,75th floor
पर कमरा मिला...

एक रात लेट हो गए...रात के 12 बजे लिफ्ट किसी कारण से बन्द थी..

तीनो सीढिया चढने लगे...बोरियत दूर करने के लिये एक ने चुटकुला सुनाया और पच्चीसवी मंजिल तक आ गए ।

दूसरे ने गाना सुनाया और पचासवी मंजिल तक आ गए ।

और तीसरे ने सेहत पर किस्सा सुनाया और 75 floor पर आ गए

कमरे के दरवाजे पर पहुंचे तो याद आया कि कमरे की चाबी Reception पर ही भूल गए...
तीनो बेदम होकर गिर पडे..।।

इसी तरह इंसान भी अपनी जिदंगी के 25 साल खेल-कूद, हंसी मजाक में व्यर्थ करता है...

अगले 25 साल नौकरी, शादी, बच्चे और उनकी शादी मे गुजार देता हैं....

और आगे 25 साल जिंदा रहे तो बीमारी, डॉक्टर, अस्पताल मे गुजर जाते हैं...

मरने के बाद पता चलता है कि परमात्मा के द्वार की चाबी तो लाए ही नही...दुनिया मे ही रह गई...

प्रभु का स्मरण ही परमात्मा के द्वार की चाबी है...

तो आइए अपने कर्तव्य करते हुए हर समय प्रभु का सुमिरन करे...और अच्छे कर्म करे ताकि भगवान के द्वार पर जाकर पछताना ना पड़े ।

राधे राधे❤️🙏

गौमाता राष्ट्रमाता महा जनांदोलन - गौहत्या मुक्त भारत बनाने का ब्रह्मसूत्र -7 नवंबर 2021, चलो दिल्ली

*🚩गौमाता राष्ट्रमाता महा जनांदोलन - गौहत्या मुक्त भारत बनाने का ब्रह्मसूत्र🚩* - 7 नवंबर 2021, चलो दिल्ली ✊

7 नवंबर 1966 का वो दिन जब धर्मसम्राट पूज्य करपात्री जी महाराज के नेतृत्व में हुये गौरक्षा आंदोलन में हजारो गौभक्त साधु-संत गौमाता की प्रतिष्ठा हेतु गौरक्षा पर बलिदान हुये थे उसके 55 वर्ष बाद उन महान आत्माओ को सच्ची श्रद्धांजलि देने हेतु #गौमाता_राष्ट्रमाता घोषित कर गोवंश हत्या मुक्त भारत के ब्रह्मसंकल्प को पूर्ण करने देश के सच्चे धर्मनिष्ठ सनातनियो, गौभक्तो एवं राष्ट्रभक्तो को आमंत्रित करते है... 🔥🔥


पूज्य धर्मसम्राट करपात्री जी ने जो स्वप्न, संकल्प, और पुरुषार्थ गौमाता की प्रतिष्ठा के लिये किया था उसी कार्य को करने देश के पूज्य शंकराचार्यों, अखाड़ो, महात्माओ, पीठो, आचार्यो, कथावाचकों , धर्मधुरंधरो को हृदय की गहराइयों से तथा दंडवत पूर्ण, मुक्त विनयपूर्ण आमंत्रण एवं प्रार्थन- निवेदन करते हैं। विश्व मे गौकथा से लेकर गौक्रांति को सुनामी बनाने वाले गौ गंगा कृपाकांक्षी पूज्य गोपाल मणि जी महाराज जी की अपील पर देशभर से करोड़ो सनातनियो को जाग्रत किया गया है तथा विगत 13 वर्षों से गौमाता को राष्ट्रमाता बनाने हेतु महायुद्ध कर रहे हैं। 
आइये हम सब मिलकर इस पुनीत कार्य मे लगे तथा विश्वमाता गाय को पहले अपने देश मे माता का संवैधानिक सम्मान दिलायें क्योंकि यदि गाय पशु है तो कौन उसे बचा पा रहा है किन्तु यदि गाय राष्ट्रमाता हो तो कौन माई का लाल उसे काट सकता है...जब बात धर्म की हो तो पार्टियों और अपने स्वार्थों को छोड़ हमे बस धर्म की ओर, गौमाता की ओर खड़ा होना चाहिये क्योंकि देश मे प्रति दिवस हजारो गोवंश जब कटता है तो भगवान राम मंदिर में प्रतिमा के रूप में तो रहेंगे किन्तु उनमे प्राण नही आ सकेंगे...जय श्री राम और हरे कृष्ण करने से पूर्व एक बार विशुद्ध रूप से गौमाता की दुर्गति और उनकी पीड़ा को समाप्त करने गौमाता को राष्ट्रमाता का संवैधानिक सम्मान दिलाकर अपना कर्तव्य निभायें क्योंकि मरने के बाद गौमाता ही वैतरणी पार कराती है , धर्म ही साथ जाता है वहां को नेता और पार्टी काम नही आती.. अब प्रतीक्षा और नही की जा सकती क्योंकि सनातन धर्म का मूल गौमाता है, जड़ गौमाता है बांकी मंदिर, मठ आदि तो इसकी शाखाएं हैं। 
इस पम्पलेट को हर सनातनी/आर्य भारतीय तक पहुंचाये , शेयर करें क्योंकि जो गौ-धर्म की बात को सब तक नही पहुँचता वो धर्मद्रोह करता है, गौद्रोह करता है। 🙏🚩🙏🚩

✊ एक देश एक संकल्प - #गौमाता_राष्ट्रमाता ✊
 ✍️ - 
( गौ प्रचारक)
#7_नवंबर_चलो_दिल्ली #गौरक्षा #राष्ट्रमाता #माता #delhi #hinduism #HinduRashtra #hindu

सोमवार, 18 अक्तूबर 2021

सिर्फ़ AC कार का उपयोग करनें वाले मित्र ही पढें

सिर्फ़ AC कार का उपयोग करनें वाले मित्र ही पढें
------- *पुनः प्रसारण*----------------------------------

*कृपया ध्यानपूर्वक पढ़ें और सभी से इस जानकारी को साझा करें।*

यह सन्देश सभी व्यक्ति, जो 'एसी कार' का उपयोग करते हैं के लिये अति आवश्यक और महत्वपूर्ण है।क्योंकि, यह उनके स्वास्थ्य से सीधा सम्बन्ध रखता है।

*"कार की उपयोग पुस्तिका"* कार  स्टार्ट करने और 'एसी' चलाने से पहले समस्त शीशों को खोलने का निर्देश देती है जिससे गर्म हवा बाहर निकल जाये। क्यों ?

इसमें कोई भी आश्चर्य की बात नहीं है कि आज कैंसर के कारण पहले की अपेक्षा बहुत मौतें हो रही हैं। अत्यन्त आश्चर्य होता है कि कैंसर की उत्पत्ति किन पदार्थों से हो रही है। एक ऐसा उदाहरण है जो कैंसर की उत्पत्ति के कारणों को बहुत हद तक स्पष्ट करता है।

प्रतिदिन अधिकांश व्यक्ति सर्वप्रथम  'सुबह के समय' और 'अंतिम बार रात' को अपनी कारों का उपयोग करते हैं।

कृपया कार में बैठते ही 'ए सी' को न चलायें। कार में प्रवेश करते ही, *"सबसे पहले शीशों को खोलें"* और कुछ मिनटों के बाद ही 'ए सी' चालू करें।

इसका "कारण", अनुसंधानों से यह पता चला है कि कार का डैश बोर्ड, सीट,'ए सी' की डक्ट्स, वस्तुतः गाड़ी की प्रत्येक पलास्टिक की बनी वस्तुएँ 'विषैली गैस' *"बैन्जीन"* छोड़ती हैं जो कि 'कैंसर' उत्पत्ति का एक बहुत बड़ा तत्व है।

जब भी आप कार खोलें तो कार को स्टार्ट करने से पहले कुछ क्षण के लिये गर्म पलास्टिक की गंध को स्वयम् अनुभव करेंगे।

बैन्जीन, कैंसर कारक होने के साथ - साथ हड्डियों पर विषैला प्रभाव, एनीमिया और स्वास्थय रक्षक सफ़ेद रक्त कणों (यह रोग कारक विषाणुओं को नष्ट करते हैं) में कमी लाती है।अधिक समय के सम्पर्क से ल्युकेमिया और कुछ अन्य प्रकार के कैंसर बढ़ने का पूर्ण ख़तरा है। इसके कारण गर्भवती महिलाओं में गर्भपात हो सकता है।

बन्द स्थान में बैन्ज़ीन का "स्वीकृत" स्तर 50 मिलीग्राम प्रति वर्ग फ़ीट है।

एक कार जोकि एक बन्द जगह पार्क की गई हो और जिसके शीशे बन्द हों में 400-800 मिलीग्राम बैन्ज़ीन का स्तर होगा - *स्वीकृत मात्रा से 8 गुणा अधिक*।

यदि इसको बाहर खुले में पार्क किया गया हो जहाँ पर तापमान 30 अंश सेन्टीग्रेड से अधिक हो तो, बैन्ज़ीन का स्तर 2000-4000 मिलीग्राम होगा, अर्थात *स्वीकृत स्तर से कम से कम 40 गुणा अधिक*।

जो व्यक्ति शीशे बन्द हुई कार में बैठ जाते हैं वस्तुतः वह अत्याधिक मात्रा में विद्यमान विषैली बैन्ज़ीन को साँस के द्वारा अपने शरीर में लेंगे।

बैन्ज़ीन एक विषैला तत्व है जोकि गुर्दे और लीवर पर दुष्प्रभाव डालता है।सबसे ख़तरनाक बात है कि हमारा शरीर इस विषैले तत्व को बाहर करने में नितान्त असमर्थ है।

*अतः कार में बैठने से पहले कुछ समय के लिये इसके दरवाज़े व खिड़कियाँ खोल दें* जिससे  बैठने से पहले ही अन्दर की हवा बाहर निकल जाये (अर्थात हानिकारक विषैली गैसीय तत्व बाहर निकल जाये)
*विभिन्न प्रकार के कैंसर का शुरुआत में पता चलनें पर काबू पाया जा सकता है*

*डॉ.के.पी.सिंह"Goldmedalist"*
      *【कैंसर रोग विशेषज्ञ】*
       *कॉल :9213981415*
*शिक्षा:* जब कोई व्यक्ति महत्वपूर्ण  तथ्य जिससे आपको लाभ हो बताता है, तो आपका भी यह नैतिक फ़र्ज़ है कि आप भी इस अमूल्य जानकारी को औरों तक पहुंचाए
      *निवेदन एवम आग्रह*
☝🏼 *(Most useful message..)*
 *कृपया सभी ग्रुप्स में शेयर  करें >*

रविवार, 17 अक्तूबर 2021

एकमात्र कारण है ... धर्मशिक्षा का अभावl

*दुनिया का कोई भी मुस्लिम दुनिया में कहीं भी ... कभी भी उनके ईद के त्योहार पर "HAPPY EID" नहीं कभी नही कहते।  वे  "ईद मुबारक" ही कहेंगे ...*

 *दुनिया के कोई भी  ईसाई (ख्रिश्चन) दुनिया में कही भी हो ... वे कभी भी क्रिसमस के दिन "HAPPY CHRISMAS" नहीं कहते।  वे "मेरी क्रिसमस"  ही कहेंगे...*

 Happy DIWALI,

 Happy  NAVARATRI,

 Happy Dashara

 Happy Holi ...

ऐसे अंग्रेजी लंगोट लगाए हुए शब्द केवल हिंदुही बनाते है ... क्योंकि,

शुभ दीपावली, दीपावली की शुभकामनाएँ....

शुभ दशहरा, दशहरे की हार्दिक शुभकामनाए....

शुभ नवरात्री, नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाए....

शुभ होली, होली की हार्दिक शुभकामनाए....

ये शब्द हमे पिछड़े हुए लगते हैं ना....

ऐसा क्यों?  तो, इसका एकमात्र कारण है ... धर्मशिक्षा का अभाव!

अगर धर्मशिक्षण हमारे अंदर होता ... तो हम ऐसे पिछड़े शब्द नही बोलते ....
अगर हम हिंदुओ मे धर्मशिक्षण होता तो हमे अपनी भाषा पर गर्व होता।  हमे  सच मे धर्मशिक्षा  की बहुत ज्यादा आवश्यकता है ....

याद रखें कि अपनी भाषा संस्कृति ही अपनी पहचान है, और यही हमारी पहचान हम खुद मिटा रहे है....
याद रखना अपनी भाषा अपनी संस्कृति है, हमारे संस्कार है, और यही भाषा हमारा धर्म है....

 कहा जाता है,
 *भाषा रक्षती, रक्षित:* अर्थात आप भाषा की रक्षा करें, भाषा आपकी रक्षा करेगी।

हमे अपने धर्म में चल रहे इन गलत कार्यों को धर्मशिक्षण लेकरं सुधारना होगा. फिलहाल इसके आगे तो सुधरो....

 *शुभ दीपावली, या दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए कहें*

 *शुभ दशहरा, या दशहरे की हार्दिक शुभकामनाए कहें.*

 *शुभ नवरात्री, या नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाये कहें.*

*शुभ होली, या होली की हार्दिक शुभकामनाए कहें.*

ऐसे हम हमारी राज्यभाषा मातृभाषा मे भी शुभकामनाए दे सकते है....
मराठी लोग मराठी भाषा मे दे सकते है....
गुजराती लोग गुजराती भाषा मे दे सकते है....
बिहारी लोग बिहारी भाषा मे दे सकते है....
पंजाबी लोग पंजाबी भाषा मे दे सकते है....

या देश स्तरपर संस्कृत या शुद्ध हिंदी भाषा का उपयोग करे....

*गर्व करो कि हम दुनिया के सबसे प्राचीन और सबसे महान सनातन वैदिक हिंदु धर्म मे जन्मे है.*
*संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन सबसे महान  सबसे कठिन और सबसे जादा ज्ञान  होनेवाली  भाषा है सभी भाषा का मूल संस्कृत है तो उसको बढावा दे....*

*🚩धर्मो रक्षति रक्षितः*🚩

*🚩अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तदैवच:*🚩

*जय श्रीराम जय श्रीकृष्ण।☀️🇮🇳*

गुरुवार, 14 अक्तूबर 2021

विजय दशमी पर हर हिंदू को शस्त्र पूजा करनी है..शस्त्र पूजा मुहूर्त, पढ़ें महत्व. ये शस्त्र सूक्तियां आज नोट कर लें...


कल है दशहरा, जानें विजयादशमी पूजा एवं शस्त्र पूजा मुहूर्त, पढ़ें महत्व
विजयादशमी 2021 पूजा मुहूर्त

इस वर्ष विजयादशमी का पावन पर्व सर्वार्थ सिद्धि योग और रवियोग में है। सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 06:22 बजे से सुबह 09:16 बजे तक और रवि योग पूरे दिन है। ऐसे में आप विजयादशमी की पूजा सर्वार्थ सिद्धि योग में करें तो उत्तम है। हालांकि दशहरा को अभिजित मुहूर्त दिन में 11:44 से दोपहर 12:30 बजे तक है। इसमें भी आप पूजा कर सकते हैं। लेकिन सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजा अच्छा रहेगा। विजयादशमी के दिन देवी अपराजिता की पूजा होती है।

विजयादशमी 2021 शस्त्र पूजा मुहूर्त

अपने देश में विजयादशमी के पावन पर्व पर शस्त्र पूजा की भी परंपरा है। इस वर्ष विजयादशमी पर शत्र पूजा के लिए विजय मुहूर्त दोपहर 02:02 बजे से दपेहर 02:48 बजे तक है। इस मुहूर्त में आप शस्त्र पूजा कर सकते हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग में भी कर सकते हैं।
दशहरा का महत्व

भगवान श्रीराम ने अपनी पत्नी सीता का हरण करने वाले लंका के राजा रावण का वध आश्विन शुक्ल दशमी को किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार भीषण युद्ध के बाद दशमी को रावण का वध हुआ और श्रीराम ने लंका विजय प्राप्त की, इसलिए इस दिन को विजयादशमी या दशहरा के रुप में मनाया जाता है। वहीं, मां दुर्गा ने महिषासुर के साथ 10 दिनों तक भीषण संग्राम किया और आश्विन शुक्ल दशमी को उसका वध कर दिया। इस वजह से भी उस दिन को विजयादशमी के रुप में मनाया जाने लगा। ये दोनों ही घटनाएं बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक हैं।

दशहरा पर क्यों होता है शस्त्र पूजन, 

जानें किस तरह शुरू हुई ये परंपरा
Dussehra 2021: दशहरा बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है. मान्यता है इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी. दशहरे के इस पर्व को विजय दशमी के नाम से भी जानते हैं. साथ ही मान्यता ये भी है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का इसी दिन वध किया था. दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करने की परंपरा सदियों पुरानी है.

दशहरे के दिन शस्त्र पूजन की परंपरा सदियों पुरानी
युद्ध के लिए क्षत्रिय करते थे दशहरे का इंतजार

Dussehra 2021: दशहरा (Dussehra) अश्विन माह की शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार 15 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार को देशभर में ये पर्व मनाया जाएगा. इस दिन विशेष रूप से शस्त्र पूजन (Shashtra Puja Dussehra) का विधान है. दशहरा को विजय दशमी भी कहते हैं. इस दिन मां दुर्गा और भगवान श्रीराम का पूजन होता है. मान्यता है कि इस दिन किए जाने वाले कामों का शुभ फल अवश्य प्राप्त होता है. यह भी कहा जाता है कि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा करनी चाहिए. आइये जानते हैं इस परंपरा से जुड़ा इतिहास और क्यों होता है शस्त्र पूजन.

दशहरा का महत्व
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि दशहरा हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नाम के असुर का वध कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी. इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर माता सीता को उसकी कैद से मुक्त कराया था. इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है. प्राचीन समय से इस दिन सनातन धर्म में शस्त्र पूजन की परंपरा चली आ रही है. इस दिन लोग शस्त्र पूजन के साथ ही वाहन पूजन भी करतें हैं. वहीं आज के दिन से किसी भी नए कार्य की शुरुआत करना भी शुभ माना जाता है. 

इसलिए शुरू हुई ये परंपरा 
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि दशहरा किस भी कार्य के लिए शुभ है. प्राचीन समय में क्षत्रिय दशहरे का इंतजार युद्ध पर जाने के लिए किया करते थे. मान्यता थी कि इस दिन जिस तरह भगवान श्रीराम ने असत्य को परास्त कर विजय हासिल की थी और मां दुर्गा ने महिषासुर नाम की बुराई का अंत किया था, उसी प्रकार दशहरे के दिन जो भी युद्ध शुरू होता है, उसमें उनकी जीत निश्चित होती थी. युद्ध पर जाने से पहले शस्त्र पूजन होता था. तभी से ये परंपरा शुरू हुई. वहीं इस दिन को ब्राह्मण विद्या ग्रहण करने के लिए भी चुनते थे. 

शमी के वृक्ष की पूजा से मिलता शुभ फल
मान्यता है कि यदि इस दिन शमी के वृक्ष की पूजा कर किसी भी नए कार्य जैसे दुकान, व्यवसाय आदि की शुरुआत की जाए, तो उसमें भी निश्चित ही सफलता मिलती है. पुराणों के अनुसार जब भगवान श्रीराम लंका पर चढ़ाई करने जा रहें थे तो उन्होंने शमी के वृक्ष के सामने अपना शीश झुकाया था और लंका पर विजय की कामना की थी.

. इस बार दशहरा (Dussehra 2021) सर्वार्थ सिद्धि, कुमार एवं रवि जैसे महा योग में मनाया जाएगा। सर्वार्थ सिद्धि योग एवं कुमार योग सूर्योदय से सुबह 9.16 तक तथा रवि योग पूरे दिन रहेगा। इस दिन सूर्य कन्या राशि और चंद्रमा मकर राशि में होगा। सुबह 9.16 मिनट तक श्रवण नक्षत्र रहेगा, जो कि बहुत शुभ माना जाता है इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 1.52 से 2.35 मिनट तक रहेगा।
 
इस विधि से करें दुर्गा प्रतिमा और जवारों का विसर्जन

विसर्जन के पूर्व दुर्गा प्रतिमा का गंध, चावल, फूल, आदि से पूजा करें तथा इस मंत्र से देवी की आराधना करें-

रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भगवति देहि मे।
पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामांश्च देहि मे।।
महिषघ्नि महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी।
आयुरारोग्यमैश्वर्यं देहि देवि नमोस्तु ते।।

इस प्रकार प्रार्थना करने के बाद हाथ में चावल व फूल लेकर देवी भगवती का इस मंत्र के साथ विसर्जन करना चाहिए-

गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि।
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।

इस प्रकार पूजा करने के बाद दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन कर देना चाहिए, लेकिन जवारों को फेंकना नही चाहिए। उसको परिवार में बांटकर सेवन करना चाहिए। इससे नौ दिनों तक जवारों में व्याप्त शक्ति हमारे भीतर प्रवेश करती है। माता की प्रतिमा, जिस पात्र में जवारे बोए गए हो उसे तथा इन नौ दिनों में उपयोग की गई पूजन सामग्री का श्रृद्धापूजन विसर्जन कर दें।

इस विधि से करें शस्त्र पूजन

- दशहरे (Dussehra 2021) पर विजया नाम की देवी की पूजा की जाती है। यह पर्व शस्त्र द्वारा देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले एवं कानून की रक्षा करने वाले अथवा शस्त्र का किसी अन्य कार्य में उपयोग करने वालें लोगों लिए महत्वपूर्ण होता है।

- इस दिन यह सभी अपने शस्त्रों की पूजा करते है, क्योंकि यह शस्त्र ही प्राणों की रक्षा करते हैं तथा भरण पोषण का कारण भी हैं। इन्ही अस्त्रों में विजया देवी का वास मान कर इनकी पूजा की जाती है।

- सबसे पहले शस्त्रों के ऊपर ऊपर जल छिड़क कर पवित्र किया जाता है फिर महाकाली स्तोत्र का पाठ कर शस्त्रों पर कुंकुम, हल्दी का तिलक लगाकर हार पुष्पों से श्रृंगार कर धूप-दीप कर मीठा भोग लगाया जाता है।

- इसके बाद दल का नेता कुछ देर के लिए शस्त्रों का प्रयोग करता है। इस प्रकार से पूजन कर शाम को रावण के पुतले का दहन कर विजया दशमी का पर्व मनाया जाता है।

विजय दशमी पर हर हिंदू को शस्त्र पूजा करनी है... ये शस्त्र सूक्तियां आज नोट कर लें.
-शस्त्र निष्क्रिय होते हुए भी सक्रिय होता है... मतलब अगर वो कहीं किसी आलमारी में पड़ा पड़ा जंग खा रहा हो तो भी अपना काम करता रहता है उसकी मौजूदगी ही शत्रुओं के बुरे और कुत्सित विचारों को नष्ट करने के लिए काफी होती है ।

-दुनिया में अशांति इसलिए है क्योंकि सज्जनों ने शस्त्रों का त्याग कर दिया है और दुर्जन सदैव की तरह शस्त्रों से लैस हैं यही वजह है कि दुर्जन हावी हैं और धरती पर अनाचार फैलता जा रहा है 

-दुनिया को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है एक जिनके पास शस्त्र होता है और दूसरा जिनके पास शस्त्र नहीं होता है...  जिनके पास शस्त्र होता है वो सदैव निडर और वीर बने रहते हैं और जिनके पास शस्त्र नहीं होते हैं और वो सदैव भयभीत होते हैं और कायर पुरुष बने रहते हैं

-जिस घर में अस्त्र शस्त्र होते हैं उस घर की स्त्रियों पर कभी किसी की कुदृष्टि डालने की हिम्मत भी नहीं होती है और जिनके घर में अस्त्र शस्त्र नहीं होते हैं उनकी स्त्रियों के साथ राह चलते छेड़खानी होती है लव जिहाद जैसी घटनाएं होती हैं और वो सदैव थाने के चक्कर ही लगाते रह जाते हैं... उन्हें बदनामी के सिवाय कभी कुछ हासिल नहीं होता है 

-सत्यमेव जयते... यानी सत्य की ही विजय होती है इस तरह की सूक्तियों के भरोसे बैठने से कोई फायदा नहीं है... सत्य तो हिंदुओं के साथ ही है फिर उनका पलायन क्यों हो रहा है ? सत्य तो युद्धिष्ठिर के साथ था लेकिन फिर भी वन वन भटकते रहे... जब युद्धिष्ठिर ने शस्त्र उठाया तभी सत्यमेव जयते हुआ । इसीलिए अब कहावतें बदल गई हैं... ये कलियुग है और कलियुग में सदैव शस्त्र मेव जयते होता है... यानी जिसके पास शस्त्र होगा उसी की विजय होगी । इसलिए शस्त्र की खरीद करो... अपने पास सदैव शस्त्र रखो ।

-ज्योतिष के हिसाब से भी ध्यान दें... शस्त्र का मतलब है... मंगल ग्रह... अगर आपके पास शस्त्र है तो आपका मंगल मजबूत है और अगर आपका मंगल मजबूत है तो आप शत्रुओं पर सदैव विजय प्राप्त करते रहेंगे... इसलिए अपनी भुजाओं को शस्त्रों से मजबूत करें ।

- एक बार अपने हाथ में शस्त्र लेकर देखो... तब आपको ये महसूस होगा कि देशद्रोही शत्रु चींटियों के समान हैं। शस्त्र का होना ही  आत्मविश्वास वर्धक महान मानसिक औषधि है इसका नित्य सेवन करते रहो ।

- राष्ट्र के शत्रुओं की संख्या गिनकर चिंता में मत पड़ो... चिंता सदैव इस बात की करो कि तुम्हारे पास कितने अस्त्र शस्त्र है... सदैव सुनिश्चित करो कि तुम्हारे अस्त्र शस्त्रों की संख्या तुम्हारे शत्रुओं की संख्या से ज्यादा हो
 
- जैसा को तैसा जवाब देना सीखो... शिकायत मत करो... शिकायत लेकर किसके पास जा रहे हो... ये संविधान... कानून... प्रशासन और व्यवस्था सिर्फ उनके लिए है जो शक्तिशाली हैं । कायर लोगों का साथ तो भगवान भी नहीं देता.. कायर लोग सिर्फ शिकायत करते रह जाते हैं... इतने दिनों में आपको ये अवश्य महसूस हुआ होगा कि प्रशासन भी सदैव अत्याचार करने वाले शक्तिशालियों का साथ ही देता है 

- अपनी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी खुद लो... कोई सेना... कोई सरकार तुमको बचाने नहीं आएगी... जब तुम पर संकट आएगा तो उस वक्त तुम और सिर्फ तुमको ही उसका सामना करना होगा... तुम्हारे सिवाय कोई तुम्हारी प्राण रक्षा नहीं कर सकेगा । 

- इसीलिए नियमानुसार शस्त्रों का संचय करो... सदैव पराक्रमी बनो... सज्जन बनो लेकिन कायर नहीं... शस्त्र धारण करके सज्जन बनो तभी तुम्हारी सज्जनता सुशोभित होगी । 

- इस सूक्ति का नित्य पठन करते रहें “कोई सिंह को, वन के राजा के रूप में अभिषेक या संस्कार नहीं करता है अपने पराक्रम के बल पर सिंह स्वयं जंगल का राजा बन जाता है”  

- इस पोस्ट को एक अभियान की तरह धीरे धीरे आगे बढ़ाइए । जब दशहरा आएगा तो कम से कम एक करोड़ हिंदुओं की तस्वीरें शस्त्र के साथ पूजा करते हुए सोशल मीडिया पर होनी चाहिए । हमारे शूरवीरों की इन तस्वीरों को देखकर ही देशद्रोहियों के हौंसले पस्त हो जाएंगे । ऐसा मेरा विश्वास है । 
प्लीज शेयर इन ऑल ग्रुप्स एंड फैमिली मेंबर्स ॥ 
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

डिस्क्लेमर

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''

function disabled

Old Post from Sanwariya