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मंगलवार, 9 नवंबर 2021

नरेंद्र मोदी तो सिर्फ एक चेहरा है, इसके पीछे कौन, कब, क्यूँ, कहाँ,और कैसे काम कर रहा है

 नरेंद्र मोदी तो सिर्फ एक चेहरा है, इसके पीछे कौन, कब, क्यूँ, कहाँ,और कैसे काम कर रहा है तो सुनिए Mr. X को। इस व्यक्ति के एक एक शब्द को अंत तक जरूर सुने।


बेहद गुणकारी है पातालगरुड़ी - जलजमनी के औषधीय गुण व लाभ

 पातालगरुड़ी नाम सुनकर अजीब लग रहा होगा न! हिन्दी में यह जलजमनी, छिरहटा ऐसे अनेक नामों से जाना जाता है। असल में घरों के आस-पास, नम छायादार जगहों में इस तरह के बेल नजर में आते हैं। इन बेलों के कारण जल जम जाते हैं वहां इसलिए इन्हें जलजमनी भी कहा जाता है। आयुर्वेद में लेकिन इस बेल के अनेक औषधीय गुण का परिचय भी मिलता है।

जलजमनी / पातालगरुड़ी क्या है?

पातालगरुड़ी बेल बरसात के दिनों में सब जगह उत्पन्न होती है, इसके पत्तों को पीसकर पानी में डालने से पानी जम जाता है, इसलिए इसको जलजमनी कहते हैं। इसकी जड़ के अन्त में जो कन्द या बल्ब होता है, उसे जल में घिसकर पिलाने से उल्टी करवाकर सांप का विष निकालने में मदद मिलती है, अत: इसे पातालगरूड़ी कहते हैं। पाठा मूल के स्थान पर इसकी जड़ों को बेचा जाता है या पाठा मूल के साथ इसकी जड़ों की मिलावट की जाती है।

पाठा के जैसी किन्तु अधिक मोटी तथा दृढ़ लता होती है। नई बेल धागा जैसी पतली तथा पुरानी बेल अधिक मोटी होती है। इसके फल छोटे, गोल, चने के बराबर, चिकने, झुर्रीदार, बैंगनी काले रंग के, मटर आकार के, कच्ची अवस्था में हरे तथा पकने पर काले या बैंगनी रंग के होते हैं। इसकी जड़ टेढ़ी, स्निग्ध, हलकी भूरी अथवा पीले रंग की, जमीन में गहराई तक गई हुई, सख्त तथा अन्त में कन्द से युक्त व स्वाद में कड़वी होती है।

अन्य भाषाओं में जलजमनी / पातालगरुड़ी के नाम

पातालगरुड़ी का वानास्पतिक नाम Cocculus hirsutus (Linn.) W.Theob.(कोकुलस हिर्सुटस) Syn-Cocculus villosus DC. Menispermum hirsutum Linn. होता है। इसका कुल  Menispermaceae(मेनिस्पर्मेसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Broom creeper (ब्रूम क्रीपर) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि पातालगरुड़ी और किन-किन नामों से जाना जाता है।

Sanskrit-छिलिहिण्ट, महामूल, पातालगरुड़, वत्सादनी, दीर्घवल्ली;

Hindi-पातालगरुड़ी, छिरेटा, फरीदबूटी, चिरिहिंटा, छिरहटा, जलजमनी;

Urdu-फरीदबूट्टी (Faridbutti);

Odia-मूसाकानी (Musakani);

Konkaniवानाटिक्टीका (Vanatiktika);

Kannadaदागड़ी (Dagadi), दागाड़ीवल्ली (Dagadiballi);

Gujrati-पातालग्लोरी (Patalglori), वेवड़ी (Vevadi);

Telugu-दूसरतिगे (Dusartige), चीप्रुतिगे (Chieeprutige);

Tamil-कातुककोदी (Kattukkodi);

Bengali-हुएर (Huyer);

Nepaliकासे लहरो (Kaselahro);

Punjabi-फरीद बूटी (Farid buti);

Marathi-वासनवेल (Vasanvela), भूर्यपाडल (Bhuryapadal);

Malayalam-पाथाअलमूली (Paathaalamuuli)।

English-इन्क बेरी (Ink berry);

Persian-फरीद बूटी (Farid Butti)।

बरसात के दिनों में यहाँ-वहाँ खेत-खलिहानों उग आने वाली जड़ी-बूटी जल-जमनी (Ink berry) को स्थानीय भाषा मे छिरहटा या पातालगरुड़ी भी कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम है कोक्युलस हिरसुटस (Cocculus hirsutus) और यह फेमिली मेनिस्परमेसी (Menispermaceae) के अंतर्गत आती है।

जलजमनी के नये पौधों की बेल पतली होती है, लेकिन पुरानी होने पर यह मोटी हो जाती है। फल मटर के दाने जितने छोटे और गोल होते हैं, जो शुरू में हरे तथा पकनेपर बैंगनी या काले रंग के हो जाते हैं। इसके पत्तों को पीसकर पानी में डालने से पानी जम जाता है, इसीलिए इसका नाम जलजमनी पड़ा।

जलजमनी / पातालगरुड़ी  का औषधीय गुण

जलजमनी के पत्ते व जड़ औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। यह एक जानीमानी शक्तिवर्धक जड़ी है, जिसे शतावर, मूसली व अश्वगंधा के साथ शारिरिक कमज़ोरी को दूर करने के लिए लिए ली जाती हैं। महिलाओं में श्वेत-प्रदर माहवारी की गड़बड़ी तथा पुरुषों में स्‍वप्‍न-दोषशीघ्र-पतन की बीमारियों में यह असरकारी होती है। इसके अतिरिक्त जलजमनी को त्वचा रोगों, आर्थराइटिस, डायबिटीज, तथा सर्पदंश के इलाज में भी प्रयुक्त किया जाता है।

जलजमनी से बनी विभिन्न दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं।

पातालगरुड़ी के फायदों के बारे में जानने के पहले औषधीय गुणों के बारे में जानना जरूरी होता है।

सिरदर्द से दिलाये आराम पातालगरुड़ी

Headache

हर दिन तनाव से सर फटने लगता है तो पातालगरुड़ी का इस्तेमाल इस तरह से करने पर जल्दी आराम मिल सकता है। इसके लिए पातालगरुड़ी जड़ तथा पत्ते को पीसकर सिर पर लगाने से सिरदर्द से आराम मिलने में मदद मिलती है।

रतौंधी के इलाज में लाभकारी पातालगरुड़ी

पातालगरुड़ी का औषधीय गुण पातालगरुड़ी के पत्तों को पकाकर सेवन करने से रात्र्यान्धता (रतौंधी) में लाभ होता है।

आँखों के रोगों से दिलाये राहत पातालगरुड़ी (Uses of Patalgarudi to Treat Eye Diseases in Hindi)

पातालगरुड़ी पत्ते के रस का अंजन करने से अभिष्यंद (आँखों का आना) तथा आँखों में दर्द में लाभ होता है।

दांतों के दर्द को कम करने में फायदेमंद पातालगरुड़ी

दांत दर्द से परेशान रहते हैं तो पातालगरुड़ी के औषधीय गुणों का इस्तेमाल इस तरह से करने से जल्दी आराम मिलता है। पातालगरुड़ी पत्ते के पेस्ट को दाँतों पर मलने से दांत दर्द से आराम मिलता है।

अजीर्ण या बदहजमी के इलाज में लाभकारी पातालगरुड़ी

खाने-पीने में गड़बड़ी होने के वजह से बदहजमी की समस्या से परेशान रहते हैं तो 1-2 ग्राम पातालगरुड़ी जड़ चूर्ण में समान भाग में अदरक तथा शर्करा मिलाकर सेवन करने से अजीर्ण से आराम मिलता है।

अतिसार या दस्त को रोकने में फायदेमंद पातालगरुड़ी

dysentry

खान-पान में असंतुलन होने से अक्सर दस्त जैसी समस्या होती है। 5 मिली पातालगरुड़ी जड़ के रस का सेवन करने से अतिसार में लाभ होता है।

श्वेतप्रदर या ल्यूकोरिया के इलाज में लाभकारी पातालगरुड़ी

पातालगरुड़ी के नये पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली काढ़े में शर्करा मिलाकर सेवन करने से श्वेतप्रदर में लाभ होता है।

पूयमेह या गोनोरिया से राहत दिलाने में फायदेमंद पातालगरुड़ी

5 मिली पातालगरुड़ी पत्ते के रस को जल में जैली की तरह जमाकर और दही के साथ सेवन करने से पूयमेह या शुक्रमेह (गोनोरिया) में लाभ होता है। इसके अलावा 5 मिली पातालगरुड़ी पत्ते के रस को पिलाने से सूजाक में लाभ होता है।

स्वप्नदोष के इलाज में लाभकारी पातालगरुड़ी

10 ग्राम छाया में सुखाया हुआ जलजमनी पत्ते के चूर्ण में घी में भुनी हुई हरड़ का चूर्ण मिलाकर, इसके समान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें। प्रतिदिन सुबह शाम 2 ग्राम की मात्रा में गाय दूध के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष में लाभ होता है। औषध सेवन काल में पथ्य पालन आवश्यक है।

आमवात या गठिया के दर्द से दिलाये राहत पातालगरुड़ी

गठिया के दर्द से परेशान रहते हैं तो पिप्पली तथा बकरी के दूध से सिद्ध जलजमनी के 10-20 मिली काढ़े का सेवन करने से जीर्ण आमवात (गठिया) अथवा रतिज रोगों के कारण उत्पन्न दर्द में लाभ होता है। इसके अलावा 5 ग्राम जलजमनी की जड़ को 50 मिली बकरी के दूध में उबालकर छानकर, उसमें 500 मिग्रा पिप्पली, 500 मिग्रा सोंठ तथा 500 मिग्रा मरिच डालकर पिलाने से आमवात, त्वचा संबंधी बीमारियों तथा उपदंश (Syphilis) की वजह से होने वाले संधिवात में लाभ होता है। जलजमनी पत्ते को पीसकर लगाने से संधिवात या अर्थराइटिस में लाभ होता है।

त्वचा संबंधी समस्याओं में फायदेमंद पातालगरुड़ी (Patalgarudi Beneficial in Skin Diseases in Hindi)

scabies symptoms

जलजमनी पत्ते के रस का लेप करने से छाजन, खुजली, घाव तथा जलन से राहत मिलने में आसानी होती है।

राजयक्ष्मा या तपेदिक के इलाज में लाभकारी पातालगरुड़ी

5 मिली जलजमनी पत्ते के रस को 50 मिली तिल तेल में मिलाकर, पकाकर, छानकर तेल प्रयोग करने से क्षय रोग में लाभ होता है।

शराब व भांग की लत छुड़ाने में लाभकारी पातालगरुड़ी

जलजमनी के 2-4 ग्राम चूर्ण को प्रतिदिन 1 माह तक सेवन करने से शराब तथा भांग की आदत छूट जाती है। इसका प्रयोग करते समय यदि उल्टी हो तो इसकी मात्रा कम कर देनी चाहिए।

पेटदर्द से दिलाये आराम पातालगरुड़ी

लता करंज के बीजचूर्ण तथा जलजमनी जड़ के चूर्ण को मिलाकर 1-2 ग्राम मात्रा में सेवन कराने से बच्चों के पेट के दर्द से आराम मिलता है।

सांप के विष के असर को कम करने में फायदेमंद पातालगरुड़ी

Ayurvedic Medicine Indian birthwort is Beneficial in Snake Bite

पातालगरुड़ी जड़ को पीसकर पानी में घिसकर 1-2 बूँद नाक लेने से तथा इसके 5 मिली पत्ते के रस में 5 मिली नीम पत्ते के रस में मिलाकर पीने से सांप के काटने से जो विष का असर होता है उसको कम करने में मदद मिलता है।

पातालगरुड़ी का उपयोगी भाग (Useful Parts of Patalgarudi)

आयुर्वेद के अनुसार पातालगरुड़ी का औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है-

-पत्ता और

-जड़

पातालगरुड़ी का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए (How to Use Patalgarudi in Hindi)

यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए पातालगरुड़ी का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें। चिकित्सक के सलाह के अनुसार 2-4 ग्राम चूर्ण ले सकते हैं।

पातालगरुड़ी कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Patalgarudi Found or Grown in Hindi)

भारत में यह उष्णकटिबंधीय एवं उप-उष्णकटिबंधीय साधारण प्रान्तों में मुख्यत: हिमालय के निचले क्षेत्रों, पश्चिम बंगाल, बिहार एवं पंजाब में पाया जाता है।

मजारों में 99.9% फर्जी होती है फिर भी आखिर सनातनियों के इलाके में भी ये मजारें बन कैसे जाती है ??

 आपने देश के लगभग हर जगह मजारें देखी होगी.



हालांकि, दिख रहे मजारों में 99.9% फर्जी होती है... 

लेकिन, फिर भी क्या आप जानते हैं कि आखिर सनातनियों के इलाके में भी ये मजारें बन कैसे जाती है ??


उनका मजार बनाने का तरीका बेहद सिस्टेमेटिक है...!


मान लो... आप किसी सनातनी बहुल इलाके में रहते हो... जहाँ कटेशर-फटेशर का नामोनिशान नहीं है.

लेकिन, ... कुछ समय बाद वहाँ पर सड़क किनारे कोई कंजर सा फटेहाल भिखारी दिखाई देने लगेगा जो सबसे भीख मांगता रहेगा..

हालांकि, वो सिर्फ दिन में ही भीख मांगेगा और शाम में वो कहीं और चला जायेगा.

इसीलिए, अधिसंख्य लोग उसपर ध्यान नहीं दे रहे हैं कि... बेचारा गरीब है तो मांगने दो.

फिर, वो एक दो-दिन रात में भी नहीं जाएगा और वहीं सड़क किनारे प्लास्टिक या चादर बिछा कर सो जाएगा.

इसके बाद वो लगातार वहीं सोने की आदत बना लेगा.

तदुपरांत... वो सड़क किनारे 1-2 हरा झण्डा गाड़ लेगा.

आप उसपर अभी तक ध्यान नहीं दे रहे हैं क्योंकि जब आप उसे बोलने जाते हैं तो वो रो-रो कर अपनी गरीबी और मानवता का दुहाई देने लगता है.

और, फिर आपको भी लगता है कि इसका क्या है... जब चाहेंगे धकिया के भगा देंगे.

इसीलिए, आप भी निश्चिन्त रहते हैं.

लेकिन, झंडा गाड़ने के कुछ समय बात वो थोड़ी सी जगह में 2-4 ईंट रखकर उसपर हरा चादर ढक देगा और आपको लगेगा कि शायद वो अपने पूजा पाठ के लिए ऐसा किया होगा.

फिर, वो 2-4 ईंट बढ़ते बढ़ते 20-40 ईंट में बदल जाएगी... 

और, हो गया मजार तैयार.

इसके साथ ही कल जो भिखारी था अब आपके इलाके का मौलवी बन चुका है और आपके ही आस पड़ोस के लोग अब वहाँ अपनी मन्नतें मांगने के लिए वहाँ अगरबत्ती-दीया आदि जलाने लगे हैं.

फिर.. आप चाह कर भी उस मजार को वहाँ से नहीं हटवा सकते क्योंकि अगर गलती से आपने ऐसी कोशिश भी की तो... पहले तो आपके आस-पड़ोस वाले ही आपका विरोध करने लगेंगे.

और, हो सकता है कि समाज में कम्युनल हार्मनी बिगाड़ने के चार्ज में आप अंदर भी हो जाएं.

इसीलिए, अब वो मजार वहाँ पर पक्का हो चुका है...!

कहने का मतलब है कि... आपको अक्ल हो या न हो... 

लेकिन, सामने वाले को पूरी अक्ल है.

और, वे स्टेप बाई स्टेप आगे बढ़ते हैं.

फिर, जबतक बात आपको समझ आती है तबतक चीजें आपके हाथ से निकल चुकी होती है.

ये सिर्फ मजारों के रूप में आपके जमीन का अतिक्रमण तक ही सीमित नहीं है...

बल्कि, बहुत ही सलीके से आपके धर्म और पर्व त्योहारों का भी अतिक्रमण कर रहे हैं.

एक छोटा सा उदाहरण दीपावली और पटाखों का ही लेते हैं...

सन 2001 में सुप्रीम कोठा में एक याचिका डाली गई कि दीपावली में रात भर होते रहने वाले पटाखों के शोर के कारण सोना मुश्किल होता है.. 

इसीलिए, ऐसा करने से रोका जाए.

तो, इसकी सुनवाई करते हुए कोठा ने सुझाव दिया कि पटाखे केवल शाम 6 से 10 बजे तक मात्र चार घण्टे के लिए फोड़े जाए. 

साथ ही इसको लेकर जागरूकता फैलाने के लिए स्कूलों में बच्चों को बताया जाए. 

ध्यान रहे कि.... ये केवल एक सुझाव वाला निर्णय था ना कि पटाखे फोड़ने पर आपराधिक निर्णय. 

साथ ही मजेदार बात यह थी कि ये सुझाव केवल दीपावली पर ही था क्रिसमस और न्यू ईयर पर नहीं.

(मतलब कि उन्होंने भीख मांगने के लिए एक कंजर सा फटेहाल भिखारी आपके मुहल्ले में बिठा दिया)

हालांकि, सुप्रीम कोठा का ये सुझाव किसी ने नहीं माना लेकिन उसका विरोध भी नही किया.

इससे उनका मनोबल बढ़ गया और 2005 में फिर और याचिका लगी. 

इस बार कोठा ने पटाखो को ध्वनि प्रदूषण से जोड़कर आपराधिक कृत्य बना दिया अर्थात रात 10 बजे के बाद पटाखे फोड़ना आपराधिक कृत्य हो गया.

(मतलब कि अब वो भिखारी रात में प्लास्टिक बिछा कर सोने लगा)

लेकिन, हिनूओं ने फिर भी विरोध नही किया... उल्टे बहुत लोग खुश भी गए कि चलो अब 10 बजे के बाद आराम से सोयेंगे. 

उधर स्कूलों के माध्यम से लगातार बच्चों के अंदर दीपावली के पटाखों से प्रदूषण ज्ञान दिया जाने लगा.

इसके बाद 2010 में NGT की स्थापना हुई और 2017 में तीन NGO एक साथ सुप्रीम कोठा पहुंचे और उन्होंने दीपावली के पटाखो को ध्वनि और वायु प्रदूषण के लिए खतरनाक बताते हुए तत्काल प्रभाव से बैन करने की मांग की. 

परिणामस्वरूप, पहली बार सुप्रीम कोठा ने पहला बड़ा निर्णय देते हुए दिल्ली में पटाखो की बिक्री पर रोक लगा दी.

(मतलब कि उन्होंने 10-20 ईंट लगाकर उसे हरी चादर से ढक दिया)

लेकिन, फिर भी हिंदुओ ने तब भी कोई विरोध नही किया...  बल्कि, प्रदूषण के नाम पर समर्थन ही किया. 

क्योंकि, तब तक स्कूलों में सिखाई गई बात बच्चे में भी बोलने लगे थे कि... पटाखों से वायु प्रदूषण होता है इसीलिए, पटाखे नहीं चलाने चाहिए.

लेकिन, बात इतने पर ही नहीं रुकी बल्कि इन सबसे उत्साहित होकर वे 2018 में पुनः कोर्ट पहुंच गए. 

और, इस बार पटाखे फोड़ने पर ही बैन लगा दिया गया और झुनझुने के रूप में ग्रीन पटाखे पकड़ा दिए.

इस बार छिटपुट विरोध हुआ लेकिन तथाकथित जागरूक हिन्दू ही पटाखे बैन करने के समर्थन पर उतर गए और विरोध करने वालो को कट्टर, गंवार, अनपढ़, जाहिल, पिछड़ी सोच ना जाने क्या क्या कहने लगे.

फिर, धीरे धीरे खेल मीडिया से लेकर सेलिब्रिटी तक पहुंच गया. 

जहां दीपावली के ऐन पहले अचानक से प्रकट होकर क्रिकेटर और बॉलीबुड प्रदूषण पर ज्ञान देने लगे. 

और, मीडिया में लम्बी लम्बी डिबेट्स कर ब्रेनवॉश किया जाने लगा कि दिल्ली गैस चेम्बर बन गई है जिसका एकमात्र कारण दीपावली पर जलने वाले पटाखे है जिन्हें यदि बैन नही किया गया तो दीपावली के अगले दिन सब सांस से घुटकर मर जायेंगे.

इतना सब सफल होने के बाद 2020 में तीसरा बड़ा कदम उठाते हुए पटाखे बैन दिल्ली से बाहर निकलकर पूरे देश मे लागू कर दिया गया... 

और, सिर्फ दो घंटे की ही आज्ञा दी गई.

और, इस बारे में कुतर्क दिया गया कि भगवान राम के समय पटाखे नही थे. 

जबकि जरूरी नहीं है कि परंपराएं मूल से ही निकले. 

क्योंकि, परंपराएं बाद में जुड़कर सदियों से चलकर त्योहार का मूल हिस्सा बन जाती है जैसे क्रिसमस में क्रिसमस ट्री और अजान में लाउडस्पीकर जो मूल समय मे नही थे.

लेकिन, वहां कोई कुतर्क नही करता.

यही है सनातनी बहुत इलाके में मजार बनाने की विधि.

जिस बारे में अगर आप शुरू से ही सचेत नहीं रहोगे तो फिर बाद में आपके करने के लिए कुछ रह ही नहीं जाएगा.

वैसे, यह जानकर आपकी हैरानी की कोई सीमा नहीं रहेगी कि...  पटाखे... IIT रिसर्च के अनुसार प्रदूषण के मुख्य कारकों में top 10 में भी नही है. 

लेकिन, फिर भी अब हालत ये है कि अब राजस्थान/दिल्ली जैसे राज्य बिना कोर्ट के आदेश के बिना दीपावली पर खुद ही पटाखे बैन करने लगे है.

परंतु, ये राज्य क्रिसमस, न्यू ईयर आदि पर चुप रहते है. 

ये हालत तब है देश में 80% हिनू हैं. 

और हाँ...

ये सिर्फ दीपावली और पटाखों की कहानी नहीं है बल्कि इसमें आप... होली से रंग, दीपावली से पटाखे, दशहरे से रामलीला, जन्माष्टमी से दही हांडी, सबरीमाला मंदिर की मान्यता आदि भी जोड़ते चले जाओ..

क्योंकि, बात सिर्फ पटाखे या पानी बचाओ से सबंधित नहीं रह जायेगी बल्कि धीरे धीरे ये अतिक्रमण बढ़ता ही जायेगा और अंत आपके हर पर्व त्योहार को प्रतिबंधित कर दिया जाएगा या अपने मन-मुताबिक ढाल लिया जाएगा.

इसीलिए, अगर आपको अपने सनातनी इलाके में मजार बनने से रोकना है तो उसके लिए आपको उसे प्रारंभिक चरण में ही रोकना होगा.

और, वो चरण है... हरा कपड़ा बिछाकर भिखारी को बैठने ही न हो.. 

या फिर, जैसे ही वो कोई झंडा गाड़ने की कोशिश करे तो उसके पिछवाड़े पर 4 लात मार कर उसे चलता कर दो.

जिस तरह... कोठा , कटेशर के मामले में पहले ही सरेंडर कर देता है कि अगर ये मजहबी आस्था की बात है तो हम उसको नहीं सुनेंगे.

याद रखें कि... देशभक्ति और धर्मभक्ति अलग अलग नहीं है.

क्योंकि, हिंदुस्थान तभी तक सुरक्षित है जबतक कि देश के बहुसंख्यक हिन्दू सुरक्षित हैं.

और, देश के हिन्दू तभी तक सुरक्षित हैं जबतक उनकी मान्यता, उनके पर्व-त्योहार और उनकी परम्पराएँ सुरक्षित है.

जय महाकाल...!!!

जो होता है अच्छे के लिए ही होता है

*रात्री की कहानी*


 *जो होता है अच्छे के लिए ही होता है !!* 


किसी नगर में एक राजा राज्य करता था। एक शौक जो प्राय सभी राजाओं को होता है, और वो है शिकार खेलने का। एक दिन राजा ने अपने मंत्री से कहा क्यों न शिकार खेलने जंगल में जाया जाए। राजा और मंत्री दोनों शिकार खेलने जंगल में गए। उन्हने एक हिरन दिखाई दिया। *राजा ने उस पर प्रहार करने के लिए तीर निकला पर उस पर प्रहार करते समय अपने ही शस्त्र  से उसकी अपने अंगुली कट गई। मंत्री ने यह देख कर कहा ‘ईश्वर जो कुछ करता है अच्छा ही करता है।*

मंत्री के मुख से यह सुनकर राजा को बहुत बुरा लगा वह सोचने लगे *मेरी तो ऊंगली कट गई और यह कहता है कि ईश्वर जो करता है वह अच्छा ही करता है*। यह मेरा ही खाता है और मेरी ही हानी  चाहता है। इस प्रकार विचार करके उसने अपने मंत्री को अपने यहां से निकल जाने को कहा। *चलते समय मंत्री ने फिर कहा ‘ईश्वर जो करता है अच्छा ही करता है*। कुछ दिन बाद राजा पुनः शिकार खेलने गया एक हिरण का पीछा करते-करते एक जंगल में जा पहुंचा। हाथी घोड़े नौकर चाकर सब पीछे रह गए। *जंगल में एक कबीला पूजन कर रहा था।*  

उन्हें देवी के लिए नर बनी तेरी थी।  तभी अचानक उनकी दृष्टि राजा पर पड़ी।  *बलि के लिए उन्होंने राजा को पकड़ लिया*। राजा को बलि के लिए खड़ा किया गया तो *किसी की निगाह अचानक राजा के कटी हुई ऊँगली पर पडी*।  राजा की अंग भंग होने के कारण उन लोगों ने राजा को छोड़ दिया। फिर भटकता हुआ राजा अपने राज्य में वापस पहुंच गया।  *उसने सोचा इसी कटी हुई अंगुली ने आज मेरे प्राण बचाए हैं*।  उसे मंत्री की बात का अर्थ समझ में आ गया और उस मंत्री को पुनः मंत्री पद पर रख लिया। *राजा ने मंत्री से पूछा, मेरी ऊँगली कटी थी अब तो समझ में आ गया कि क्या अच्छा हुआ, क्योंकि कटी अंगुली के कारण मेरे कारण बच सकें।* 

*पर जब मैंने तुमको नौकरी से निकाला था तब भी तुमने यही कहा था कि ईश्वर जो करता है अच्छा ही करता है उसका क्या अर्थ है*। मंत्री ने उत्तर में कहा ‘महाराज यदि आपने मुझे निकाल न दिया होता तो मैं भी उस दिन शिकार के समय आपके साथ होता और *मेरे अंग भंग होने के कारण मैं पूरी तरह योग्य समझा जाता और उस कबीले के लोग अपनी कुलदेवी को प्रसन्न करने के लिए मेरी बलि अवश्य चढ़ा देते*। राजा की समझ आ गया की जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है।

*शिक्षा:-हर बुराई में कोई न कोई अच्छाई छुपी होती है, प्रसंग से, जो भी समस्या हमारे सामने आती हैं उस समय हम यही सोचते हैं की ऐसा क्यों हुआ, ऐसा मेरे साथ क्यों होता है। परंतु हर चीज जो भी हमारे सामने आती है वो कोई न कोई संदेश, शुभ संदेश, कल्याणकारी संदेश लाकर जरूर आती है। जिस समय समस्या आती है उस समय लगता है की सब कुछ गलत हो रहा है परंतु कुछ समय के बाद हमें समझ में आ जाता है कि हां यह चीज इस दृष्टिकोण से मेरे लिए अत्यंत लाभदायक भी है। इसीलिए किसी भी समस्या के बीच सकारात्मक रहना बहुत जरूरी है।*

*जय श्रीराम*

*शुभरात्री*

बुधवार, 3 नवंबर 2021

दीपावली व लक्ष्मी पूजन

*दीपावली व लक्ष्मी पूजन*
4 नवंबर गुरुवार
दिपावली को शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती और धन के देवता कुबेर की पूजा-आराधना होती है। 
मान्यता है दिवाली की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर जाकर ये देखती हैं किसका घर साफ है और किसके यहां पर विधिविधान से पूजा हो रही है। माता लक्ष्मी वहीं पर अपनी कृपा बरसाती हैं। दिवाली पर लोग सुख-समृ्द्धि और भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करते है।
मां लक्ष्मी मंत्र- ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
सौभाग्य प्राप्ति मंत्र- ऊं श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 04 नवंबर 2021 को प्रात: 06:03 बजे से.
अमावस्या तिथि समाप्त: 05 नवंबर 2021 को प्रात: 02:44 बजे तक
*पुजन शुभ मुहूर्त*
प्रातः 6:47 बजे से 8:10 तक शुभ का इस के बाद
चर 10:56 से 12:19 तक 
लाभ 12:19 से  1:42 तक
अमृत  1:42 से  3:03 तक 

इस दिन राहुकाल 01:30 से  3:00 तक रहेगा इस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं कर सकते है।
इसके बाद फिर
शाम 4:38 से 6:03 तक शुभ का चौघड़िया 
6:03 से 7:30 तक अमृत का चौघड़िया
सर्वश्रेष्ठ मूहुर्त प्रदोषकाल सांयकाल 5:51 से 8:27 तक रहेगा।
प्रदोषकाल स्थिर लग्न वृषलग्न व कुम्भ का नवमांश रहेगा।
अमृत व चर का चौघड़िया शाम 5:51 से 9:06 रात्रि तक
रात्री 12:22 से 1:56 लाभ का चौघड़िया
लाभ मध्य रात्रि 12:19 से 1:55  तक अंतरात्रि शुभ व अमृत 03:32 से 6:47अगली सुबह तक रात्रि में श्रेष्ठ लग्न वृषलग्न सांय 6:32 से 8:27 सिंह लग्न मध्य रात्रि 12:59 से 3:13 इन मुहूर्त पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा।

*गोवर्धन पूजा* 
05 नवंबर शुक्रवार
इस त्योहार में भगवान कृष्ण के साथ गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। इसी दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग बनाकर लगाया जाता है।

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त -
प्रातः 06:35 से 08:47 तक
गोवर्धन पूजा का सायंकाल 3:21 से 5:33 तक

*भाई दूज* 
6 नवम्बर शनिवार
भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की मनोकामनाएं मांगती हैं। इस त्योहार को भाई दूज या भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया कई नामों से जाना जाता है।
 शुभ मुहूर्त
भाई दूज तिलक का समय  दोपहर 01ः10 से 03ः21 मिनट तक

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