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गुरुवार, 3 मार्च 2022

कामयाब होने की भी एक वजह होती है, लेकिन ये वजह हर किसी के पास नही होती।।

 कामयाब होने की भी एक वजह होती है, लेकिन ये वजह हर किसी के पास नही होती।।

नेटवर्क बनाने की भी एक वजह है लेकिन इस वजह से हर कोई परिचित नही।। अगर हर कोई इस वजह से परिचित हो जाये तो हर व्यक्ति चाहे पार्ट टाइम में ही सही नेटवर्किंग के क्षेत्र से जुड़ जाता।।

किसी ने एक सवाल पूछा है कि विशाल जी , अगर नेटवर्क मार्केटिंग सबसे आसान जरिया है जहाँ बिना भारी पूंजीनिवेश के भी सपने पूरे हो सकते हैं तो फिर हर कोई इसके साथ जुड़ क्यों नही जाता।।

मैंने कहा, हर काम को करने की एक वजह होती है और अभी बहुत से लोगों के पास नेटवर्क बनाने की वजह नही है।।

फिर उन्होंने पूछा, लेकिन विशाल जी
 नेटवर्क बनाने की वजह आखिर है क्या?

मैंने कहा, एक व्यक्ति जो पूरा जीवन अकेला ही काम करता है वह या तो नौकरी करता है या खुद का कोई सीमित दायरे वाला बिज़नेस करता है जैसे कोई दुकानदार या प्रोफेशनल इत्यादि।।

नौकरी करने वाला शायद बस इतना ही जानता है कि उसे लगभग 60 साल की उम्र तक नौकरी करनी है और उसके बाद वह रिटायर हो जायेगा और फिर बाद में आराम करेगा।। लेकिन बजाय यह सोचने के कि वह 60 साल की उम्र में काम से रिटायर हो जायेगा, वह यह भी तो सोच सकता है कि क्यों ना वह 15-20 साल पहले ही काम से रिटायरमेंट ले ले।।

उन्होंने पूछा, लेकिन क्या ऐसा संभव हो सकता है कि कोई व्यक्ति बुढापा आने से पहले ही काम से रिटायरमेंट ले ले।।

मैंने कहा, रिटायरमेंट से मेरा मतलब है कि अगर आपकी भाग दौड़ सिर्फ पैसे के लिये है तो उतना कमाने के लिये एक समय निर्धारित किया जा सकता है और उसके लिये जरूरी नही कि आपको 60 साल की उम्र का इंतेज़ार करना पड़े।।

लेकिन ऐसा करने के लिये कुछ सालों तक खुद काम करना होगा और फिर आगे आपके लिये वो लोग काम करेंगे जिनको आपने सिखाया होगा।। जैसा कि नेटवर्क मार्केटिंग में एकदम संभव है।।

उन्होंने पूछा, लेकिन यह संभव कैसे है।।

मैंने कहा, अगर आप कुछ साल काम करके यह सीख जाते हो कि नेटवर्क मार्केटिंग में प्लान व प्रोडक्ट्स के ऊपर काम कैसे किया जाता है और आप कुछ सालों में 50 हज़ार या 5 लाख कमाना सीख जाते हो तो इसी बीच आपको अपने नेटवर्क को लगातार ये ही सिखाना है कि अगर वो भी इतना पैसा कमाना चाहते हैं तो उनको किस प्रकार से नेटवर्क बनाने का कार्य करना होगा।। अब ये ही बात टीम का हर व्यक्ति जल्द से जल्द अपने रिटायरमेंट के लिये आगे लोगों को सिखाता चलेगा।। जिसके फलस्वरूप आपके प्लान के अनुसार आपकी कमाई की रॉयल्टी भी बढ़ती जायेगी।। मतलब एक दिन ऐसा आयेगा कि जितनी भागदौड़ आपने शुरू के कुछ सालों में 50 हज़ार से 5 लाख कमाने के लिये की थी उससे बहुत कम या बिल्कुल नही के बराबर काम करना होगा और अगर आपने टीम जिम्मेदारी को सही से निभाया होगा तो आपकी कमाई आने वाले वक्त में 10 गुना से भी ज्यादा हो सकती है।।

उन्होंने कहा, अच्छा विशाल जी

 इसका मतलब है कि नेटवर्क मार्केटिंग अपनी टीम को वो काम सिखाने का बिज़नेस है जो काम आप खुद करते हैं और इस वजह से आप लगातार बढ़ती हुई इनकम को पा सकते हैं और इसके लिये 60 साल की उम्र तक का इंतेज़ार करने की भी आवश्यकता नही।।

मैंने कहा, जी बिल्कुल।। अब आप बताओ क्या हर व्यक्ति को नेटवर्क नही बनाना चाहिये अगर जल्द से जल्द रिटायरमेंट चाहिये तो? यह काम तो सिर्फ नेटवर्क पद्धति से जुड़ा व्यक्ति ही कर सकता है जो अपनी सर्विस या सीख व अनुभव को सैकड़ो, हज़ारों व लाखों लोगों को दे सकता है।।

मैने आखिर में कहा, आज तमाम लोगों के पास बहाने तो हैं मगर वो वजह नही है क्योंकि लोग सीमित बहुत हैं।।

खैर,आगे के लेख में कुछ और वजहों पर भी बात करेंगे।।

नोट:- ऊपर बताया गया रिटायरमेंट नेटवर्क लाभ तभी मिल सकता है जब आप व आपका बना हुआ नेटवर्क, प्लान पर टिक सके।।

शिव में छिपे रहस्य

 "शिव में छिपे रहस्य"
                                 

      1.  भस्म

          हमारे धर्म शास्त्रों में जहाँ सभी देवी-देवताओं को वस्त्र-आभूषणों से सुसज्जित जित बताया गया है वहीं भगवान शंकर को सिर्फ मृग चर्म (हिरण की खाल) लपेटे और भस्म लगाए बताया गया है।


भस्म शिव का प्रमुख वस्त्र भी है क्योंकि शिव का पूरा शरीर ही भस्म से ढंका रहता है। शिव का भस्म रमाने के पीछे कुछ वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक कारण भी हैं। भस्म की एक विशेषता होती है कि यह शरीर के रोम छिद्रों को बंद कर देती है।


 इसका मुख्य गुण है कि इसको शरीर पर लगाने से गर्मी में गर्मी और सर्दी में सर्दी नहीं लगती। भस्मी त्वचा संबंधी रोगों में भी दवा का काम करती है। भस्मी धारण करने वाले शिव यह संदेश भी देते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढालना मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है।

     2      त्रिशूल

           त्रिशूल भगवान शिव का प्रमुख अस्त्र है। यदि त्रिशूल का प्रतीक चित्र देखें तो उसमें तीन नुकीले सिरे दिखते हैं। यूं तो यह अस्त्र संहार का प्रतीक है पर वास्तव में यह बहुत ही गूढ़ बात बताता है।


 संसार में तीन तरह की प्रवृत्तियां होती हैं- सत, रज और तम। सत मतलब सात्विक, रज मतलब सांसारिक और तम मतलब तामसी अर्थात निशाचरी प्रवृति। हर मनुष्य में ये तीनों प्रवृत्तियां पाई जाती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि इनकी मात्रा में अंतर होता है।


त्रिशूल के तीन नुकीले सिरे इन तीनों प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। त्रिशूल के माध्यम से भगवान शिव यह संदेश देते हैं कि इन गुणों पर हमारा पूर्ण नियंत्रण हो। यह त्रिशूल तभी उठाया जाए जब कोई मुश्किल आए। तभी इन तीन गुणों का आवश्यकतानुसार उपयोग हो।


    3.  श्मशान निवासी

            भगवान शिव को वैसे तो परिवार का देवता कहा जाता है, लेकिन फिर भी श्मशान में निवास करते हैं। भगवान शिव के सांसारिक होते हुए भी श्मशान में निवास करने के पीछे लाइफ मैनेजमेंट का एक गूढ़ सूत्र छिपा है। संसार मोह-माया का प्रतीक है जबकि श्मशान वैराग्य का।


भगवान शिव कहते हैं कि संसार में रहते हुए अपने कर्तव्य पूरे करो, लेकिन मोह-माया से दूर रहो। क्योंकि ये संसार तो नश्वर है। एक न एक दिन ये सबकुछ नष्ट होने वाला है। इसलिए संसार में रहते हुए भी किसी से मोह मत रखो और अपने कर्तव्य पूरे करते हुए वैरागी की तरह आचरण करो।


  4     नाग

            भगवान शिव जितने रहस्यमयी हैं, उनका वस्त्र व आभूषण भी उतने ही विचित्र हैं। सांसारिक लोग जिनसे दूर भागते हैं। भगवान शिव उसे ही अपने साथ रखते हैं। भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जो गले में नाग धारण करते हैं।


देखा जाए तो नाग बहुत ही खतरनाक प्राणी है, लेकिन वह बिना कारण किसी को नहीं काटता। नाग पारिस्थितिक तंत्र का महत्वपूर्ण जीव है। जाने-अंजाने में ये मनुष्यों की सहायता ही करता है। कुछ लोग डर कर या अपने निजी स्वार्थ के लिए नागों को मार देते हैं।


 लाइफ मैनेजमेंट के दृष्टिकोण से देखा जाए तो भगवान शिव नाग को गले में धारण कर ये संदेश देते हैं कि जीवन चक्र में हर प्राणी का अपना विशेष योगदान है। इसलिए बिना वजह किसी प्राणी की हत्या न करें।


   5.     कैलाश पर्वत

            शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। पर्वतों पर आम लोग नहीं आते-जाते। सिद्ध पुरुष ही वहां तक पहुंच पाते हैं। भगवान शिव भी कैलाश पर्वत पर योग में लीन रहते हैं। लाइफ मैनेजमेंट की दृष्टि से देखा जाए तो पर्वत प्रतीक है एकांत व ऊंचाई का।


 यदि आप किसी प्रकार की सिद्धि पाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको एकांत स्थान पर ही साधना करनी चाहिए। ऐसे स्थान पर साधना करने से आपका मन भटकेगा नहीं और साधना की उच्च अवस्था तक पहुंच जाएगा।


    6.       विष

           देवताओं और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन से निकला विष भगवान शंकर ने अपने कंठ में धारण किया था। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ के नाम से प्रसिद्ध हुए। समुद्र मंथन का अर्थ है अपने मन को मथना, विचारों का मंथन करना।


मन में असंख्य विचार और भावनाएं होती हैं उन्हें मथ कर निकालना और अच्छे विचारों को अपनाना। हम जब अपने मन को मथेंगे तो सबसे पहले बुरे विचार ही निकलेंगे। यही विष हैं, विष बुराइयों का प्रतीक है। शिव ने उसे अपने कंठ में धारण किया। उसे अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।


शिव का विष पीना हमें यह संदेश देता है कि हमें बुराइयों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। बुराइयों का हर कदम पर सामना करना चाहिए। शिव द्वारा विष पीना यह भी सीख देता है कि यदि कोई बुराई पैदा हो रही हो तो हम उसे दूसरों तक नहीं पहुंचने दें।


   7.         त्रिनेत्र

       धर्म ग्रंथों के अनुसार सभी देवताओं की दो आंखें हैं, लेकिन एकमात्र शिव ही ऐसे देवता हैं जिनकी तीन आंखें हैं। तीन आंखों वाला होने के कारण इन्हें त्रिनेत्रधारी भी कहते हैं। लाइफ मैनेजमेंट की दृष्टि से देखा जाए तो शिव का तीसरा नेत्र प्रतीकात्मक है।


 आंखों का काम होता है रास्ता दिखाना और रास्ते में आने वाली मुसीबतों से सावधान करना। जीवन में कई बार ऐसे संकट भी आ जाते हैं, जिन्हें हम समझ नहीं पाते। ऐसे समय में विवेक और धैर्य ही एक सच्चे मार्गदर्शक के रूप में हमें सही-गलत की पहचान कराता है।


यह विवेक अत:प्रेरणा के रूप में हमारे अंदर ही रहता है। बस ज़रुरत है उसे जगाने की। भगवान शिव का तीसरा नेत्र आज्ञा चक्र का स्थान है। यह आज्ञा चक्र ही विवेक बुद्धि का स्रोत है। यही हमें विपरीत परिस्थिति में सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।


    8.      नंदी

           भगवान शंकर का वाहन नंदी यानी बैल है। बैल बहुत ही मेहनती जीव होता है। वह शक्तिशाली होने के बावजूद शांत एवं भोला होता है। वैसे ही भगवान शिव भी परमयोगी एवं शक्तिशाली होते हुए भी परम शांत एवं इतने भोले हैं कि उनका एक नाम ही भोलेनाथ जगत में प्रसिद्ध है।


भगवान शंकर ने जिस तरह काम को भस्म कर उस पर विजय प्राप्त की थी, उसी तरह उनका वाहन भी कामी नही होता। उसका काम पर पूरा नियंत्रण होता है।


साथ ही नंदी पुरुषार्थ का भी प्रतीक माना गया है। कड़ी मेहनत करने के बाद भी बैल कभी थकता नहीं है। वह लगातार अपने कर्म करते रहता है। इसका अर्थ है हमें भी सदैव अपना कर्म करते रहना चाहिए। कर्म करते रहने के कारण जिस तरह नंदी शिव को प्रिय है, उसी प्रकार हम भी भगवान शंकर की कृपा पा सकते हैं।


  9. चंद्रमा

           भगवान शिव का एक नाम भालचंद्र भी प्रसिद्ध है। भालचंद्र का अर्थ है मस्तक पर चंद्रमा धारण करने वाला। चंद्रमा का स्वभाव शीतल होता है। चंद्रमा की किरणें भी शीतलता प्रदान करती हैं।


लाइफ मैनेजमेंट के दृष्टिकोण से देखा जाए तो भगवान शिव कहते हैं कि जीवन में कितनी भी बड़ी समस्या क्यों न आ जाए, दिमाग हमेशा शांत ही रखना चाहिए। यदि दिमाग शांत रहेगा तो बड़ी से बड़ी समस्या का हल भी निकल आएगा। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना गया है।


मन की प्रवृत्ति बहुत चंचल होती है। भगवान शिव का चंद्रमा को धारण करने का अर्थ है कि मन को सदैव अपने काबू में रखना चाहिए। मन भटकेगा तो लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पाएगी। जिसने मन पर नियंत्रण कर लिया, वह अपने जीवन में कठिन से कठिन लक्ष्य भी आसानी से पा लेता है।


10.     बिल्व पत्र

          शिवपुराण आदि ग्रंथों में भगवान शिव को बिल्व पत्र चढ़ाने का विशेष महत्व बताया गया है। 3 पत्तों वाला बिल्व पत्र ही शिव पूजन में उपयुक्त माना गया है। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बिल्वपत्र के तीनों पत्ते कहीं से कटे-फटे न हो।


लाइफ मैनेजमेंट के दृष्टिकोण से देखा जाए तो बिल्व पत्र के ये तीन पत्ते चार पुरुषार्थों में से तीन का प्रतीक हैं- धर्म, अर्थ व काम। जब आप ये तीनों निस्वार्थ भाव से भगवान शिव को समर्पित कर देते हैं तो चौथा पुरुषार्थ यानी मोक्ष अपने आप ही प्राप्त हो जाता है।


  11.     भांग-धतूरा

            भगवान शिव को भांग-धतूरा मुख्य रूप से चढ़ाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान को भांग-धतूरा चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं। भांग व धतूरा नशीले पदार्थ हैं।


आमजन इनका सेवन नशे के लिए करते हैं। लाइफ मैनेजमेंट के अनुसार भगवान शिव को भांग-धतूरा चढ़ाने का अर्थ है अपनी बुराइयों को भगवान को समर्पित करना।


यानी अगर आप किसी प्रकार का नशा करते हैं तो इसे भगवान को अर्पित करे दें और भविष्य में कभी भी नशीले पदार्थों का सेवन न करने का संकल्प लें। ऐसा करने से भगवान की कृपा आप पर बनी रहेगी और जीवन सुखमय होगा।


  12.     शिव के गण

           शिव को संहार का देवता कहा गया है। अर्थात जब मनुष्य अपनी सभी मर्यादाओं को तोडऩे लगता है तब शिव उसका संहार कर देते हैं। जिन्हें अपने पाप कर्मों का फल भोगना बचा रहता है वे ही प्रेतयोनि को प्राप्त होते हैं।


 चूंकि शिव संहार के देवता हैं। इसलिए इनको दंड भी वे ही देते हैं। इसलिए शिव को भूत-प्रेतों का देवता भी कहा जाता है। दरअसल यह जो भूत-प्रेत है वह कुछ और नहीं बल्कि सूक्ष्म शरीर का प्रतीक है।


शिव का यह संदेश है कि हर तरह के जीव जिससे सब घृणा करते हैं या भय करते हैं वे भी शिव के समीप पहुंच सकते हैं, केवल शर्त है कि वे अपना सर्वस्व शिव को समर्पित कर दें।


हर हर महादेव

ओम नमः शिवाय

बुधवार, 2 मार्च 2022

रूस पर विश्व द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों के चलते आज रूस में एप्पल/गूगल पेमेंट सिस्टम काम नहीं कर रहा है

रूस पर विश्व द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों के चलते आज रूस में एप्पल/गूगल पेमेंट सिस्टम काम नहीं कर रहा है, जिसके कारण रूस में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इससे पता चलता है की अब युद्ध सिर्फ जंग के मैदान में या हथियारों तक सीमित नहीं रह गए हैं। 
रूस पर लग रहे विभिन्न प्रतिबंधों को देखते हुए अब आपको समझ आ रहा होगा की मोदीजी का आत्मनिर्भर भारत अभियान कितनी दूरदर्शी सोच का हिस्सा है। आज नहीं तो कल भारत को दो युद्ध लड़ना है, एक पाकिस्तान से और एक चाइना से। जब युद्ध होगा तो तमाम मोर्चों पर युद्ध होगा। जिसमे से आर्थिक और साइबर मोर्चा काफी अहम होगा। मोदी सरकार भारत को हर मोर्चे पर तेजी से आत्मनिर्भर बनाते हुए शक्तिशाली बना रही है। 

आज भारत के पास:

📌 अपना GPS सिस्टम है।
📌 अपना RuPay कार्ड है।
📌 अपना UPI सिस्टम है।
📌 अपनी Digital कर्रेंसी है।
📌 अपना Social Media प्लेटफार्म है।
📌 अपना Search इंजन है।
📌 अपना '₹' INR पर एक्सचेंज है।
📌 अपना Satelite नेटवर्क है।
📌 अपने Defence इक्विपमेंट्स है।
📌 अपनी Local Data Storage Policy है।
📌 अपना Medical Infrastructure है।
📌 अपना Strategic Crude Oil Reserve है।

🙌 अब भारत अपने ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) पर भी तेजी से काम कर रहा है।

अब आपको समझ आ जाना चाहिए कि आपातकाल में ये "भारत" के लिए कितने ज़रूरी हैं। मोदीजी एक बहुत बड़े दूरदर्शी लक्ष्य पर काम कर रहे हैं जो किसी भी आपातकाल परिस्थिति में विभिन्न मोर्चों पर भारत की सुरक्षा करेंगे। 

#TrustNaMo #ModiMatters

घुटनों के दर्द से परेशान रहते हैं? तो जानिए इस दर्द से निजात पाने के दमदार घरेलू उपचार

 घुटनों के दर्द से परेशान रहते हैं? तो जानिए इस दर्द से निजात पाने के दमदार घरेलू उपचार
 

1 रोज सुबह नियमित खाली पेट 1 चम्मच मेथी पाउडर में 1 ग्राम कलौंजी मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पिएं। इस मिश्रण को चाहें तो दोपहर और रात के भोजन के बाद भी आधा-आधा चम्मच ले सकते है। इससे जॉइंट्स मजबूत होने में मदद मिलेगी।
 2 किसी मुलायम कपड़े को गर्म पानी में भिगोएं और निचोड़ें, अब इस कपड़े से घुटनों की सिकाई करें। ऐसा करने से भी घुटनों के दर्द में आराम मिलता है।

 3 खाने में गर्म तासीर वाली चीजें जैसे दालचीनी, जीरा, अदरक और हल्दी आदि का अधिक इस्तेमाल करें। इनके सेवन से घुटनों की सूजन और दर्द कम होने में मदद होती है।

 4 मेथी दाना, सौंठ और हल्दी बराबर मात्रा में मिलाएं। इस मिश्रण को तवे पर अच्छे से भूनें फिर पीसकर पाउडर बना लें। अब इस पाउडर का नियमित सुबह-शाम भोजन के बाद गर्म पानी के साथ सेवन करें।
 5 हो सके तो सुबह खाली पेट लहसुन की एक कली दही के साथ खाएं। इससे भी घुटनों के दर्द में आराम मिलेगा।
 6 नीम और अरंडी के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर हल्का गर्म करें, फिर इस तेल से सुबह-शाम जोड़ों पर मालिश करें। इससे भी घुटनों के दर्द में आराम मिलेगा।

 7 ऐसा माना जाता है कि गेहूं के दाने जितना चूना दही या दूध में मिलाकर दिन में एक बार खाएं। ऐसा नियमित 90 दिनों तक करने से शरीर में कैल्शियम की कमी दूर होती है।

 

शरीर सौष्ठव और स्वास्थ्य के लिए मालिश क्यो जरूरी?

स्वस्थ बने रहने का प्रावधान

शरीर सौष्ठव और स्वास्थ्य के लिए मालिश क्यो जरूरी?

जनिए मालिश के लाभ व विधियां

शरीर के अवयवों को दबाना, उन पर हाथ फेरना तथा मालिश करना हमेशा होता रहता है| शरीर के मर्दन को मालिश या मसाज करना भी कहते हैं। माँ के गर्भ से जन्म लेते ही मालिश व मर्दन का आरंभ सहज रूप से होता है। वह चलता ही रहता है| मां चाहती है कि उसके गर्भ से जन्म लेने वाला शिशु बलवान बने, दृढ़ता प्राप्त करे। दीर्घायु बने। इसीलिए शिशु की वह मालिश करती रहती है। जब तक मनुष्य जिन्दा रहता है, तब तक मालिश आवश्यक है। स्त्री-पुरुष तथा छोटे बड़े सभी सप्ताह में एक बार मर्दन चिकित्सा करा कर, सिर स्नान करें तो कई लाभ होंगे। ये क्रियाएँ लोग स्वयं भी कर सकते हैं।


मालिश के लाभ
मालिश के कारण शरीर में रक्त संचार ठीक तरह से होता है।

शरीर में जमा रहनेवाले व्यर्थ पदार्थ, मल, मूत्र, पसीना और श्वास के रूप में बाहर निकल जाते हैं|


कमजोर और दुबले पतले लोग मर्दन के कारण शक्तिशाली बनते हैं।

शरीर के अवयवों को मालिश से शक्ति मिलती है।

जीर्णकोश, आंतें तथा अन्य ग्रंथियों में चेतना आती है| थकावट दूर होती है।

शरीर में जमा व्यर्थ चरबी पिघल जाती है।

पक्षवात, पोलियो, नसों की कमजोरी, शारीरिक दर्द तथा जोड़ों के दर्द आदि व्याधियों पर मालिश प्रभावशाली काम करती है|


चर्म रंध्र साफ होते हैं। उनके द्वारा शरीर के अंदर का मालिन्य बाहर निकल जाता है।

योगाभ्यास या अन्य व्यायाम करने वाले यदि मालिश करें या करवाएँ तो बड़ा लाभ होगा। कोई व्यायाम न करनेवाले भी मालिश के द्वारा फायदा उठा सकते हैं।

त्वचा में चिकनापन आता है| इससे सुंदरता बढ़ती है।

मालिश की प्रचलित विधियाँ
मालिश की मुख्य 8 विधियाँ हैं।

(1) तेल से मालिश,
(2) क्रीमों से मालिश
(3) शीतलपदार्थों से मालिश
(4) पांव से मालिश
(5) पावडर से मालिश
(6) बिजली के उपकरणों से मालिश
(7) औषधीय पदार्थों से मालिश
(8) चुंवक से मालिश

तिल का तेल, नारियल का तेल, राई का तेल, ऑलिव तेल, घी इन का उपयोग मालिश के लिए कर सकते हैं | शरीर में खराब रक्त नीचे से हृदय में ले जाया जाता है | इसलिए कुछ विशेषज्ञों के कथनानुसार तलुवों से लेकर ऊपर तक मालिश करना उपयोगी है | रोग ग्रस्त अवयवों की मालिश की जाती है। वही सही पद्धति है|


तेल मालिश सब से बढ़िया है। शरीर भर तेल लगा कर मालिश कर हलके गरम पानी से स्नान करना चाहिए। जहाँ दर्द होगा, वहाँ मर्दन करने के बाद इनफ्रारेड लाइट से गरमी पहुँचावें तो दर्द जल्दी कम हो जाएगा।

स्वास्थ्य सुधारने के लिए मर्दन चिकित्सा का उपयोग करना चाहिए। अनुचित पद्धतियों में शारीरिक अवयवों को उत्तेजित करने के लिए मालिश न करवाएँ।


विशेष प्रक्रिया

प्रात: काल सारे शरीर में तेल लगा कर मर्दन कराने के बाद सूर्य किरणों के बीच थोड़ी देर रह कर स्नान करें तो डी विटमिन की प्राप्ति बड़े परिमाण में होती है। चर्म संबंधी रोग पास नहीं फटकते | हफ्ते में एक बार नासिका रंधों में कुन-कुने स्वच्छ घी या तेल की पाँच छ: बूंदें डालनी चाहिए।

मसाज करने के बाद भाप-स्नान करें तो व्यर्थ चरबी घट जाएगी | श्वास संबंधी व्याधियाँ, सिरदर्द, जुकाम तथा नींद की कमी के कारण होने वाली थकावट आदि में कमी होगी। चुस्ती एवं स्फूर्ति बढ़ेगी।


भाप स्नान करने के पहले एक गिलास पानी पीना चाहिए। सिर पर जल से भीगा कपड़ा डाल लेना चाहए। हफ़्ते में एक या दो बार भाप स्नान कर सकते हैं |

मालिश क्रिया में सावधानिया

अधिक रक्तचापवालों, हृदय दर्दवालों तथा बहुत कमजोर लोगों और गर्भिणी स्त्रीयों  को मर्दन चिकित्सा तथा भाप स्नान से दूर रहना चाहिए

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