स्वस्थ बने रहने का प्रावधान
शरीर सौष्ठव और स्वास्थ्य के लिए मालिश क्यो जरूरी?
जनिए मालिश के लाभ व विधियां
शरीर के अवयवों को दबाना, उन पर हाथ फेरना तथा मालिश करना हमेशा होता रहता है| शरीर के मर्दन को मालिश या मसाज करना भी कहते हैं। माँ के गर्भ से जन्म लेते ही मालिश व मर्दन का आरंभ सहज रूप से होता है। वह चलता ही रहता है| मां चाहती है कि उसके गर्भ से जन्म लेने वाला शिशु बलवान बने, दृढ़ता प्राप्त करे। दीर्घायु बने। इसीलिए शिशु की वह मालिश करती रहती है। जब तक मनुष्य जिन्दा रहता है, तब तक मालिश आवश्यक है। स्त्री-पुरुष तथा छोटे बड़े सभी सप्ताह में एक बार मर्दन चिकित्सा करा कर, सिर स्नान करें तो कई लाभ होंगे। ये क्रियाएँ लोग स्वयं भी कर सकते हैं।
मालिश के लाभ
मालिश के कारण शरीर में रक्त संचार ठीक तरह से होता है।
शरीर में जमा रहनेवाले व्यर्थ पदार्थ, मल, मूत्र, पसीना और श्वास के रूप में बाहर निकल जाते हैं|
कमजोर और दुबले पतले लोग मर्दन के कारण शक्तिशाली बनते हैं।
शरीर के अवयवों को मालिश से शक्ति मिलती है।
जीर्णकोश, आंतें तथा अन्य ग्रंथियों में चेतना आती है| थकावट दूर होती है।
शरीर में जमा व्यर्थ चरबी पिघल जाती है।
पक्षवात, पोलियो, नसों की कमजोरी, शारीरिक दर्द तथा जोड़ों के दर्द आदि व्याधियों पर मालिश प्रभावशाली काम करती है|
चर्म रंध्र साफ होते हैं। उनके द्वारा शरीर के अंदर का मालिन्य बाहर निकल जाता है।
योगाभ्यास या अन्य व्यायाम करने वाले यदि मालिश करें या करवाएँ तो बड़ा लाभ होगा। कोई व्यायाम न करनेवाले भी मालिश के द्वारा फायदा उठा सकते हैं।
त्वचा में चिकनापन आता है| इससे सुंदरता बढ़ती है।
मालिश की प्रचलित विधियाँ
मालिश की मुख्य 8 विधियाँ हैं।
(1) तेल से मालिश,
(2) क्रीमों से मालिश
(3) शीतलपदार्थों से मालिश
(4) पांव से मालिश
(5) पावडर से मालिश
(6) बिजली के उपकरणों से मालिश
(7) औषधीय पदार्थों से मालिश
(8) चुंवक से मालिश
तिल का तेल, नारियल का तेल, राई का तेल, ऑलिव तेल, घी इन का उपयोग मालिश के लिए कर सकते हैं | शरीर में खराब रक्त नीचे से हृदय में ले जाया जाता है | इसलिए कुछ विशेषज्ञों के कथनानुसार तलुवों से लेकर ऊपर तक मालिश करना उपयोगी है | रोग ग्रस्त अवयवों की मालिश की जाती है। वही सही पद्धति है|
तेल मालिश सब से बढ़िया है। शरीर भर तेल लगा कर मालिश कर हलके गरम पानी से स्नान करना चाहिए। जहाँ दर्द होगा, वहाँ मर्दन करने के बाद इनफ्रारेड लाइट से गरमी पहुँचावें तो दर्द जल्दी कम हो जाएगा।
स्वास्थ्य सुधारने के लिए मर्दन चिकित्सा का उपयोग करना चाहिए। अनुचित पद्धतियों में शारीरिक अवयवों को उत्तेजित करने के लिए मालिश न करवाएँ।
विशेष प्रक्रिया
प्रात: काल सारे शरीर में तेल लगा कर मर्दन कराने के बाद सूर्य किरणों के बीच थोड़ी देर रह कर स्नान करें तो डी विटमिन की प्राप्ति बड़े परिमाण में होती है। चर्म संबंधी रोग पास नहीं फटकते | हफ्ते में एक बार नासिका रंधों में कुन-कुने स्वच्छ घी या तेल की पाँच छ: बूंदें डालनी चाहिए।
मसाज करने के बाद भाप-स्नान करें तो व्यर्थ चरबी घट जाएगी | श्वास संबंधी व्याधियाँ, सिरदर्द, जुकाम तथा नींद की कमी के कारण होने वाली थकावट आदि में कमी होगी। चुस्ती एवं स्फूर्ति बढ़ेगी।
भाप स्नान करने के पहले एक गिलास पानी पीना चाहिए। सिर पर जल से भीगा कपड़ा डाल लेना चाहए। हफ़्ते में एक या दो बार भाप स्नान कर सकते हैं |
मालिश क्रिया में सावधानिया
अधिक रक्तचापवालों, हृदय दर्दवालों तथा बहुत कमजोर लोगों और गर्भिणी स्त्रीयों को मर्दन चिकित्सा तथा भाप स्नान से दूर रहना चाहिए
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