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गुरुवार, 20 अप्रैल 2023

केदारनाथ कि यात्रा पर जाते समय क्या-क्या लेकर जाना चाहिए |

केदारनाथ कि यात्रा पर जाते समय क्या-क्या लेकर जाना चाहिए |
What to carry while traveling to Kedarnath in Hindi



नमस्कार साथियों आज के इस आर्टिकल में हम केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय आपको क्या-क्या लेकर जाना चाहिए इसके बारे में पूरी जानकारी जानने वाले हैं। इस आर्टिकल में हम केवल वैसे ही वस्तु के बारे में बात करेंगे, जिसे ले जाना आपके लिए जरूरी होगा। इस आर्टिकल में बताए गए जानकारी के अलावा भी आप कई सारी अपने जरूरत के हिसाब से वस्तुओं को ले जा सकते हैं। तो चलिए हम जानते हैं, कि आपको केदारनाथ की यात्रा के लिए कौन-कौन से सामान अपने साथ ले जाना जरूरी होता है।

इस आर्टिकल में अपने साथ ले जाने वाले बताए गए जरूरी सामान अगर आप चार धाम की यात्रा पर भी जा रहे हैं, तो भी तकरीबन सभी सामान ले जाना आपके लिए जरूरी होगा। तो चलिए अब हम जान लेते हैं कि आपको केदारनाथ की यात्रा या चार धाम की यात्रा पर जाते समय अपने साथ क्या-क्या जरूरी होता है ले जाना।
विषय - सूचीकेदारनाथ / चार धाम की यात्रा पर जाते समय अपने साथ ले जाने वाले सामानों की लिस्ट –केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय कौन कौन से डॉक्यूमेंट अपने साथ ले जाना चाहिए ?
केदारनाथ की यात्रा पर अपने साथ कितना और कैसा लगेज (बैग) ले जाना चाहिए ?
केदारनाथ की यात्रा पर जाने के लिए अपने साथ कैसा कपड़ा ले जाना उचित रहेगा ?
केदारनाथ की यात्रा के लिए कैसा जूता ले जाना उचित रहेगा ?
केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय बारिश से बचने के लिए अपने साथ क्या-क्या ले जाना चाहिए ?
केदारनाथ की यात्रा पर ले जाने वाले कुछ जरूरी सामान –
केदारनाथ की यात्रा के लिए अपने साथ कौन-कौन से दवा ले जाना चाहिए ?
केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय अपने साथ कैश ले जाना उचित रहेगा या नहीं ?
केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय अपने साथ कौन सी कंपनी का सिम ले जाना चाहिए ?
केदारनाथ / चार धाम की यात्रा पर जाते समय अपने साथ ले जाने वाले सामानों की लिस्ट –
केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय कौन कौन से डॉक्यूमेंट अपने साथ ले जाना चाहिए ?


केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय आपके पास आधार कार्ड और यात्रा पास होना जरूरी है। यात्रा पास एक वयस्क व्यक्ति के अलावा बच्चों का भी होना काफी ज्यादा जरूरी है। वैसे आपके पास ये दोनों डॉक्यूमेंट रहेगा, तो आप अपना केदारनाथ की यात्रा आसानी से पूरा कर सकते हैं।

इन दोनों डॉक्यूमेंट के अलावा आप अपने हिसाब से कोई और डॉक्यूमेंट भी ले जा सकते हैं। एक और बात आप अपने साथ ले जाने वाले आधार कार्ड या यात्रा पास का फोटो कॉपी अपने साथ जरूर ले जाए, क्योंकि इसकी जरूरत कभी भी आपको पड़ सकती है।
केदारनाथ की यात्रा पर अपने साथ कितना और कैसा लगेज (बैग) ले जाना चाहिए ?



केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय आपको एक बात की ध्यान रखनी है, कि आप अपने साथ ले जाने वाले जरूरतमंद सामानों को ट्रॉली वाले लगेज (बैग) में ले जाने से बचें, अगर आपके पास खुद की गाड़ी नहीं है तो। क्योंकि आपको ट्रॉली वाले लगेज से कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है।

आपको बता दें कि केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय आप अपने साथ दो बैग ले जाए, जिनमें एक बैग 70 से 80 लीटर एवं दूसरा बैग 30 से 40 लीटर का आप अपने साथ ले जाए, यही आपके लिए उचित रहेगा। ऐसा इसलिए कि आप अपने जरूरतमंद सामान जिसे आप कभी-कभी उपयोग करते हैं, उसे आप बड़े बैग में और जिसे आप एनी टाइम प्रयोग में लाते हैं, उसे छोटे बैग में ले जा सकते हैं।

एक बात और जब आप केदारनाथ ट्रेक की यात्रा शुरू करेंगे तो आप अपने साथ घर से ले गए अपना पूरा सामान तो आप केदारनाथ ट्रेक की यात्रा पर ले जाएंगे नहीं, इसलिए जरूरतमंद सामान जो कि केदारनाथ की यात्रा के समय काम आने वाला होगा उसे आप जो छोटा बैग आपके पास होगा उसमे ले जा सकते हैं।

केदारनाथ की यात्रा पर जाने के लिए अपने साथ कैसा कपड़ा ले जाना उचित रहेगा ?

केदारनाथ की यात्रा पर जब भी आप जाएं तो आप अपने साथ दोनों टाइप के कपड़े यानी कि गर्म मौसम के दौरान उपयोग में आने वाले कपड़े और ठंड के मौसम के दौरान उपयोग में आने वाले कपड़े जरूर साथ ले जाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि जब भी आप केदारनाथ की यात्रा पर जाएंगे तो आपको जैसे-जैसे दिन ढलेगा वैसे-वैसे ठंड का सामना अधिक करना होगा।

कभी-कभी तो ऐसा होता है कि गर्मी के दिनों में भी वहां पर स्नोफॉल देखने को मिल जाता है। या कभी-कभी बारिश होने के वजह से भी ठंड में काफी ज्यादा बढ़ोतरी देखी जा सकती है। केदारनाथ की यात्रा पर आप ऊनी वाले जैकेट, हैंड ग्लॉब्स एवं एक कैप अवश्य ले जाएं। इन सबके अलावा आप अपने पहनावे एवं जरूरत के हिसाब से कपड़े ले जा सकते हैं।

केदारनाथ की यात्रा के लिए कैसा जूता ले जाना उचित रहेगा ?

केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय जूता एवं सॉक्स को लेकर भी लोगों के मन में कन्फ्यूजन होता है, कि यहां पर कैसा जूता एवं कितने जोड़ी सॉक्स ले जाए। आपको बता दें कि आप केदारनाथ की यात्रा पर लेदर वाले जूते या कपड़े वाले जूते ले जाने से बचें, क्योंकि केदारनाथ की यात्रा पर आपको कई जलप्रपात से होकर गुजारना पड सकता है, जिसकी वजह से आपके लेदर वाले जूते या कपड़े वाले जूते आसानी से भीग जाएंगे और सूखने में काफी समय भी लगेगा।

आप यहां पर ट्रेकिंग वाले जूते ले जाएं यह आपके लिए अच्छा रहेगा। इसके अलावा आप यहां पर अपने साथ चार से पांच जोड़ी सॉक्स जरूर ले जाएं।
केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय बारिश से बचने के लिए अपने साथ क्या-क्या ले जाना चाहिए ?


केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय आप अपने साथ अपने जरूरत के हिसाब से छाता, रेनकोट एवं अपने साथ ले जाने वाले बैग या सामान के लिए रैन कवर अवश्य ले जाए। एक बात और जितना हो सके आप इन सामानों को अपने शहर से ही खरीद ले। क्योंकि जहां से केदारनाथ की यात्रा शुरू होती है, वहां पर यह सामान मिल तो जाएंगे पर उनकी क्वालिटी कोई खास नहीं होती है।

केदारनाथ की यात्रा पर ले जाने वाले कुछ जरूरी सामान –

केदारनाथ की यात्रा पर आप अपने साथ एक टॉर्च अपने जरूरत के हिसाब से पावर बैंक भी साथ ले जाएं, क्योंकि केदारनाथ ट्रैक की यात्रा पर आपको मोबाइल वगैरह चार्ज करना पड सकता है। और वहां पर बिजली की उतनी सही से व्यवस्था है नहीं। आप अपने साथ एक पानी का बोतल भी अवश्य रखें, क्योंकि यात्रा के दौरान आपके पास बोतल रहने पर वाटरफॉल के पानी का उपयोग कर सकते हैं। इन सबके अलावा आप अपने साथ कुछ खाने के लिए ड्राई फ्रूट भी कैरी कर सकते हैं।

केदारनाथ की यात्रा के लिए अपने साथ कौन-कौन से दवा ले जाना चाहिए ?

केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय आप अपने साथ कुछ मेडिसिन भी कैरी जरूर करें, क्योंकि केदारनाथ की यात्रा पर आपको कुछ दावा जैसे पेन किलर की दावा एवं स्प्रे और बुखार की दवा अवश्य ले जानी चाहिए। इसके अलावा आप अपने साथ कपूर भी जरूर ले जाएं, क्योंकि कभी आपको अगर अधिक थकान या सांस लेने में दिक्कत हो तो आप कपूर का उपयोग कर सकते हैं। इन सबके अलावा आप अपने साथ एक छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर भी ले जा सकते हैं।
केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय अपने साथ कैश ले जाना उचित रहेगा या नहीं ?

केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय कैस को लेकर बहुत से लोगों के मन में एक विचार आता है कि यहां पर कैश ले जाना उचित रहेगा या नहीं। तो आपको बता दें की केदारनाथ की यात्रा के दौरान आप अपने साथ अपने जरूरत के हिसाब से कैश जरूर रखें। क्योंकि केदारनाथ की यात्रा के समय आपको एटीएम तो दिखेगा और उसमें पैसा होगा या नहीं इसके बारे में कोई गारंटी नहीं है। अगर आप वहां पर किसी दुकान से पैसा निकलना चाहते हैं, तो आपको वह दुकानदार 5 या 10 पर्सेंट कमीशन ही ले लेगा। इसलिए आप अपने साथ अपने जरूरत के मुताबिक कैश जरूर ले जाएं।

केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय कैस को लेकर एक और प्रश्न लोगों के मन में रहती है, कि क्या हम वहां पर यूपीआई ट्रांजैक्शन नहीं कर सकते। तो आपको बता दें कि यूपीआई ट्रांजैक्शन की व्यवस्था तो आपको कहीं कहीं देखने को मिल जाएंगी पर कभी-कभी नेटवर्क प्रॉब्लम फेस करने की वजह से आप UPI ट्रांजैक्शन नहीं कर पाएंगे। इसलिए आपको अपने साथ कैस ले जाना ही होगा।
केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय अपने साथ कौन सी कंपनी का सिम ले जाना चाहिए ?

केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय लोगों के मन में सबसे बड़ा प्रश्न रहता है, कि यहां पर अपने साथ किस कंपनी का सिम लेकर जाना उचित रहेगा। तो आपको बता दें कि केदारनाथ की यात्रा पहले से काफी सरल हो गया है। पहले की तुलना में यहां पर तकरीबन सभी कंपनियों की नेटवर्क देखी जा सकती है।

लेकिन एक बात है कि सभी कंपनियों का नेटवर्क आपको केदारनाथ की यात्रा के दौरान सभी जगहों पर देखने को नहीं मिलेगी। कहीं पर जियो का नेटवर्क रहेगा तो idea नहीं, तो कभी idea का नेटवर्क रहेगा तो बीएसएनल का नहीं। इसलिए आप अपने साथ एक से अधिक कंपनी का सिम ले जाएं, यही आपके लिए उचित रहेगा।

केदारनाथ की यात्रा पर जाते समय हमें अपने साथ कौन-कौन से सामान ले जाना चाहिए, कौन-कौन से सामान की जरूरत पड़ती है के बारे में लिखा गया यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा हो तो आप इसे अपने दोस्तों या परिवार के सदस्यों के साथ शेयर करें। ताकि जब वह भी यहां पर जाने का प्लान बनाएं तो उन्हें भी इसके बारे में जानकारी हो सके।

अगर आप इस आर्टिकल से जुड़ी हमें कोई राय या सुझाव देना चाहते हैं, तो आर्टिकल के अंत में कमेंट बॉक्स का ऑप्शन आपके लिए ही दिया गया है। वहां पर कमेंट बॉक्स में आप अपना राय या सुझाव हमारे लिए छोड़ सकते हैं।

भारतीय सेना के हवलदार हंगपन दादा के बारे में हर भारतीय को पता होना चाहिए

26 मई 2016 को भारत में घुसपैठ की कोशिश कर रहे पाकिस्तानी आतंकवादियों से निपटने के दौरान शहीद हुए भारतीय सेना के हवलदार हंगपन दादा के बारे में हर भारतीय को पता होना चाहिए

हवलदार हैंपन दादा


अपने साथियों द्वारा दादा के नाम से पुकारे जाते हैं, का जन्म 2 अक्टूबर 1979 को अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले के बोरदुरिया गाँव में हुआ था। हवलदार दादा एक उत्सुक खिलाड़ी थे और कई किलोमीटर तक दौड़ते थे और एक बच्चे के रूप में हर दिन 25-30 पुश-अप भी करते थे। हवलदार दादा सेना 1997 मे सेना की पैराशूट रेजिमेंट की 3 वीं बटालियन में भर्ती हुए। छह साल बाद, वह असम रेजिमेंटल सेंटर के साथ सेवा करने के लिए चले गए और 24 जनवरी 2008 को असम रेजिमेंट की चौथी बटालियन में शामिल हो गए।


कुछ साल बाद 2016 में, हवलदार दादा ने जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में लगे 35 राष्ट्रीय राइफल्स के साथ सेवा करने के लिए स्वेच्छा से काम किया। उन्हें पालतू जानवरों के रूप में सांपों को रखने का शौक था । हवलदार दादा एक सिपाही के रूप में श्रेष्ठ थे और अपने साथियों के साथ-साथ वरिष्ठों द्वारा भी उन्हें पसंद किया जाता था।


नौगाम ऑपरेशन: 26 मई 2016


मई 2016 के दौरान, हवलदार दादा की इकाई, 35 आरआर (राष्ट्रीय राइफल्स) को जम्मू-कश्मीर में नौगाम सेक्टर में तैनात किया गया था। 26 मई 2016 को, उनकी यूनिट को नौगाम सेक्टर में आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली थी। आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए रात में तलाशी शुरू करने का निर्णय लिया गया। 26 मई की रात में, हवलदार दादा ने अपने अन्य साथियों के साथ, योजनाबद्ध ऑपरेशन के अनुसार छिपे हुए आतंकवादियों पर हमले का नेतृत्व किया । संदिग्ध क्षेत्र में पहुंचने के बाद, हवलदार दादा ने अपनी टीम के साथ आतंकवादियों की गतिविधि को देखा और उन पर एक अच्छे टीम वर्क के साथ हमला किया। 24 घंटे तक चली इस मुठभेड़ मे दादा ने 2 आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया। देखते ही अन्य दो आतंकवादी भाग गए और एक दीवार के पीछे छिप गए। दो आतंकवादि जो दीवार के पीछे छिपे थे, हवलदार दादा ने उनमें से एक पर हमला किया और उनमे से एक को मौत के घाट उतार दिया तब तक चौथे आतंकवादी ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी लकिन अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए दादा ने उसपर हमला किया और उसको भी बुरी तरह घायल कर दिया लकिन ज्यादा घावों की वजह से दादा वीरगति को प्राप्त हो गए।



हवलदार दादा ने इस कार्रवाई से एक बड़े आतंकवादी हमले को असफल किया और अपने साथियों की सुरक्षा सुनिश्चित की। हवलदार दादा को 2016 में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, “अशोक चक्र” शांति के लिए दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार दिया गया था।

अपनी वीरता के लिए दादा आज भी हम हज़ारों भारतीयो के दिलों में जिंदा है

जय हिन्द. 🇮🇳

जय भारत. 🇮🇳

धन्यवाद. 🖋️

२०२3 में चार धाम यात्रा की तैयारी कैसे करे: पूर्ण जानकारी

 

२०२3 में चार धाम यात्रा की तैयारी कैसे करे: पूर्ण जानकारी

चार धाम यात्रा दुनिया की सबसे पवित्र तीर्थ यात्राओं में से एक है। इस यात्रा में शामिल चार मंदिर यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हैं। इसे छोटा चार धाम यात्रा के नाम से भी जाना जाता है । इनके इलावा एक और चार धाम है जो आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किये गए था। इनमे देश के चार अलग-अलग कोनों में चार पवित्र तीर्थ स्थल शामिल हैं, जैसे उत्तराखंड में बद्रीनाथ, गुजरात में द्वारका, उड़ीसा में पुरी और तमिलनाडु में रामेश्वरम।

छोटा चार धाम यात्रा के सभी पवित्र स्थल अलग-अलग देवी देवताओं को समर्पित हैं। केदारनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं और यह भगवान शिव को समर्पित है। बद्रीनाथ धाम भगवान बद्री या विष्णु को समर्पित है। गंगोत्री धाम माता गंगा और यमुनोत्री माता यमुना को समर्पित हैं।

यदि आप इस पवित्र तीर्थ यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो चारधाम यात्रा पैकेज बुक करे | इसमे आपको खाना, खुद की गाड़ी और रहने को बजट के अनुसार स्थान मिलेगे | और जानकारी के लिए हमे आज ही सम्पर्क करे |

चार धाम यात्रा

चारधाम यात्रा का धार्मिक महत्व – Char Dham Yatra Significance

ये पवित्र स्थान उत्तराखंड में हिमालय की बुलंद चोटियों के बीच विद्यमान हैं। हिंदू धर्म में, मोक्ष प्राप्त करना ही जीवन का गंतव्य माना गया गया है। और ऐसा मानते हैं कि चार धाम यात्रा आपको इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक कदम और करीब ले जाती है। 

चारधाम यात्रा का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक धार्मिक महत्व है। यह माना जाता रहा है कि प्रत्येक हिंदू को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार इस तीर्थ यात्रा पर जाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि चारधाम यात्रा जीवन भर के पापों को धो कर मोक्ष के द्वार खोलती है। और ऐसा कहा जाता है कि जब कोई तीर्थयात्री चारधाम यात्रा समाप्त करता है, तो वह मन की पूर्ण शांति प्राप्त करता है।यहाँ हर साल लाखों की संख्या में दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं।

चार धाम यात्रा की महत्वपूर्ण जानकारी – Chardham Yatra Important Tips

ये पवित्र स्थल उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित हैं। परंपरागत रूप से, यात्रा पश्चिम से पूर्व की ओर की जाती है। इस प्रकार, यह यमुनोत्री से शुरू होती है, फिर गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ में समाप्त होती है। यहां आवश्यक जानकारी है जो यात्रा की योजना बनाते समय आपकी मदद करेगी:

  • यात्रा आपकी सुविधानुसार दिल्ली, हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून से शुरू हो सकती है।
  • चार धाम यात्रा का बायोमेट्रिक पंजीकरण अनिवार्य है।
  • आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, या पासपोर्ट जैसे आवश्यक दस्तावेज यात्रा में अपने साथ ले जाएं।
  • स्विस कॉटेज में शिविर सुविधाएं तीर्थ के पास उपलब्ध हैं और मूलभूत सुविधाओं से सुसज्जित हैं। डीलक्स और बजट आवास भी उपलब्ध हैं।
  • श्रद्धालुओं के लिए हेलीकॉप्टर द्वारा चार धाम यात्रा भी उपलब्ध है। बुकिंग की ऑफलाइन और ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध है। जो लोग चलने में असमर्थ हैं, उनके लिए पालकी, घोड़ा और पिट्ठू भी उपलब्ध हैं।
  • यात्रा के दौरान गर्म जैकेट, दस्ताने, स्वेटर, ऊनी मोजे और रेनकोट ले जाना ना भूलें।
  • यात्रा के दौरान अच्छी पकड़ वाले आरामदायक जूते ही पहने।

चार धाम तक कैसे पहुंचे? – How to reach Char Dham by Road & by Helicopter

चारधाम यात्रा या तो हरिद्वार या देहरादून से शुरू होती है। यात्रा शुरू करने के दो तरीके हैं – सड़क और हेलीकाप्टर द्वारा। यहाँ पवित्र स्थलों तक पहुँचने के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है:

1. सड़क मार्ग से: 

सड़क मार्ग से चार धाम यात्रा हरिद्वार, दिल्ली, ऋषिकेश,और देहरादून से शुरू कर सकते हैं। हरिद्वार रेलवे स्टेशन इन पवित्र स्थानों से सबसे निकटम  रेलवे स्टेशन है. हरिद्वार सड़क और रेल नेटवर्क के माध्यम से दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन और निजी बसें इन पवित्र तीर्थ स्थलों के लिए उपलब्ध हैं । हिरद्वार, ऋषिकेश, और देहरादून से टैक्सी भी उपलब्ध हैं।

चार धाम यात्रा को पूरा करने का मार्ग: हरिद्वार – ऋषीकेश – बरकोट –  जानकी चट्टी – यमुनोत्री – उत्तरकाशी – हरसिल – गंगोत्री – घनसाली – अगस्तमुनि – गुप्तकाशी – केदारनाथ – चमोली गोपेश्वर – गोविन्द घाट – बद्रीनाथ – जोशीमठ – ऋषीकेश – हरिद्वार

2. हेलीकॉप्टर द्वारा: 

सहस्त्रधारा हेलीपैड, देहरादून से चार धाम के लिए हेलीकाप्टर सेवा उपलब्ध है। हेलीकॉप्टर सेवा देहरादून से खरसाली तक है, जो यमुनोत्री मंदिर से लगभग 6 किमी दूर है। हरसिल हेलीपैड गंगोत्री मंदिर के लिए निकटतम हेलिपैड है, जो मंदिर से 25 किमी दूर स्थित है। बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के हेलिपैड भी मंदिर के पास स्थित हैं।

हेलीकॉप्टर मार्ग – देहरादून (सहस्त्रधारा हेलीपैड) – यमुनोत्री (खरसाली हेलीपैड) – गंगोत्री (हरसिल हेलीपैड) – गुप्तकाशी हेलीपैड – केदारनाथ हेलिपैड – गुप्तकाशी – बद्रीनाथ – देहरादून

चार धाम दर्शन के लिए हेलीकॉप्टर कैसे बुक करें? – How to Book Helicopter Ticket 

सहस्त्रधारा हेलीपेड, देहरादून से चार धाम के लिए हेलिकाप्टर सेवा उपलब्ध है। हेलिकाप्टर बुकिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन हो सकती है। सेरसी, फाटा, और गुप्तकाशी से चार धाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर सेवाएं मिलती हैं।। इनकी ऑफिशल वेबसाइट से बुकिंग कर सकते हैं। वरना इनके काउंटर्स भी उपलब्ध हैं हेलिपैड पे जहाँ से आप उसी वक़्त बुकिंग कर सकते हैं। हेलिऑप्टर टिकट को एडवांस बुक करना उचित है। क्योंकि उसी समय वहां जा के हेलीकॉप्टर टिकट प्राप्त करने की संभावना कम होती है। वे उपलब्धता के आधार पर ही बुक की जा सकती हैं।

चार धाम जाने का सबसे अच्छा समय – Best Time to Visit Chardham Yatra

चार धाम यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर तक है। इन महीनों में मौसम सुहाना होता है जो की यात्रा को आरामदायक और सुखद बनता है। गर्मियों के दौरान मौसम अच्छा रहता है। मानसून के मौसम में यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि क्षेत्र में भारी बारिश होती है, जिसके कारण कुछ क्षेत्रों में भूस्खलन और बाढ़ की आशंका बानी रहती है। सर्दियों के मौसम में, इस क्षेत्र में भारी बर्फबारी होती है जिसके कारण मंदिर लगभग छह महीने तक बंद रहते हैं। सर्दियों में केदारनाथ की मूर्तियां ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में एवं बद्रीनाथ की मूर्तियां जोशीमठ स्थानांतरित हो जाती हैं । भक्त वहां जा कर दर्शन कर सकते हैं।

चार धाम कहाँ स्थित हैं? – Where is Char Dham Located?

चार धाम यात्रा में चार पवित्र स्थान शामिल हैं, जो उत्तराखंड में गढ़वाल हिमालय की गोद में स्थित हैं। 

1. यमुनोत्री धाम

yamunotri temple

यमुना नदी का स्रोत, यमुनोत्री उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में समुद्र तल से 3293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यमुनोत्री मंदिर हिमालय के ग्लेशियरों और थर्मल स्प्रिंग्स से घिरा हुआ है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यमुना, मृत्यु के देवता – यम की बहन हैं। ऐसा माना जाता है कि यमुना में स्नान करने से शान्ति मिलती है। यहाँ से देहरादून 182 किमी की दूरी पर स्थित है और हरिद्वार 226 किमी दूर है।

  • यमुनोत्री मंदिर खुलने की तारीख – 3 मई से 24 अक्टूबर 2023 तक
  • दर्शन का समय – यमुनोत्री मंदिर सुबह लगभग 7 बजे श्रद्धालुओं के लिए खुल जाता है। दोपहर 1 बजे से 4 बजे के बीच की अवधि में बंद होता है। यमुनोत्री मंदिर के बंद होने का समय रात 8 बजे है। यहाँ से देहरादून 182 किमी की दूरी पर स्थित है और हरिद्वार 226 किमी दूर है।
  • मंदिर के आस पास घूमने की जगह:  जानकीचट्टी, सूर्य कुंड, शनि देव मंदिर, सप्तऋषि कुंड

2.  गंगोत्री धाम 

gangotri-temple

यह मंदिर देवी गंगा को समर्पित है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगोत्री धाम वह स्थान है जहां गंगा नदी स्वर्ग से उतरी थी जब भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं से छोड़ा था। समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, गंगोत्री उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यहाँ से हरिद्वार 285 किमी और देहरादून 240 किमी है। 

  • गंगोत्री मंदिर खुलने की तारीख – 3 मई से 25 अक्टूबर 2023 तक
  • दर्शन का समय – गंगोत्री मंदिर में पूजा सुबह 4:00 बजे आरती के साथ शुरू होती है और शाम 7:00 बजे शयन आरती के साथ समाप्त होता है। मंदिर 6:00 बजे तीर्थयात्रियों के दर्शन के लिए खुलता है। दोपहर में यह 2:00 से 3:00 बजे तक बंद होता है। 
  • मंदिर के आस पास घूमने की जगह: भागीरथ शिला, भैरव घाटी, गौमुख, सूर्य कुंड, जलमग्न शिवलिंग

3. केदारनाथ धाम

२०२3 में चार धाम यात्रा की तैयारी कैसे करे: पूर्ण जानकारी

यह धाम हिमालय की गोद में स्थित रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र ताल से 3553  मीटर की ऊंचाई पे स्थित है। केदारनाथ धाम भगवान शिव को समर्पित है। यह न केवल चारधाम यात्रा के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थों में से एक है, बल्कि इस प्राचीन मंदिर को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भी माना जाता है। इसके अलावा, केदारनाथ, कल्पेश्वर, तुंगनाथ, मदमहेश्वर और रुद्रनाथ मंदिर एक साथ पंच केदार बनाते हैं। देहरादून से यह 254 किमी और हरिद्वार से 125 किमी दूर है।

  • केदारनाथ मंदिर खुलने की तारीख – 7 मई से 24 अक्टूबर 2023 तक
  • दर्शन का समय – केदारनाथ मंदिर में पूजा अनुष्ठान सुबह 4:00 बजे महा अभिषेक आरती के साथ शुरू होता है और शाम 7:00 बजे शयन आरती के साथ समाप्त होता है। मंदिर 6:00 बजे तीर्थयात्रियों के दर्शन के लिए खुलता है। दोपहर में यह 3:00 से 5:00 बजे तक दो घंटे के लिए बंद होता है। 
  • मंदिर के आस पास घूमने की जगह: गौरीकुंड, भैरव नाथ मंदिर, तुंगनाथ, चंद्रशिला ट्रैक , वासुकी ताल, त्रिजुगी नारायण

4. बद्रीनाथ धाम

Badrinath-Temple

नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित बद्रीनाथ धाम समुद्र ताल से 3300 मीटर की ऊंचाई पे स्थित है। यह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित है, जिन्हें दिव्य हिंदू त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) का रक्षक और संरक्षक माना जाता है। इन महत्वपूर्ण कारणों के अलावा, बद्रीनाथ धाम को चारधाम यात्रा में इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह वह स्थान है जहाँ आदि शंकराचार्य ने मोक्ष प्राप्त किया था, इस प्रकार, पुनर्जन्म की प्रक्रिया से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करते हैं। केदारनाथ से दूरी 218 किमी है और हरिद्वार से इसकी दूरी 316 किमी है। देहरादून से बद्रीनाथ 334 किमी पे स्थित है।

  • बद्रीनाथ मंदिर खुलने की तारीख – 8 मई से 20 नवंबर 2023 तक
  • दर्शन का समय – मंदिर में दैनिक अनुष्ठान महा अभिषेक और अभिषेक पूजा के साथ लगभग 4:30 बजे शुरू होते हैं और शयन आरती के साथ लगभग 9:00 बजे समाप्त होते हैं। मंदिर आम जनता के लिए सुबह 7:00 बजे खुलता है और दोपहर में 1:00 बजे से शाम 4:00 बजे के बीच बंद होता है।

मंदिर के आस पास घूमने की जगह: तप्त कुंड, चरण पादुका, व्यास गुफ़ा, गणेश गुफ़ा, भीम पुल, पांडुकेश्वर , योगध्यान बद्री मंदिर , माना गाँव, सतोपंथ लेक

चार धाम यात्रा शुरू होने और बंद होने की तिथि – Char Dham Yatra Opening & Closing date

गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के लिए यात्रा अक्षय तृतीया से शुरू होती है। केदारनाथ यात्रा की प्रारंभिक तिथि शिवरात्रि पर और बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि बसंत पंचमी के दिन तय होती है। चारधाम यात्रा अप्रैल-मई में शुरू होती है और हर साल अक्टूबर-नवंबर में दीपावली के आसपास बंद हो जाती है।

चार धाम यात्रा ऑनलाइन पंजीकरण – Char Dham Yatra Registration

चार धाम यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य है जो की चार धाम यात्रा की आधिकारिक वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। ऑफलाइन यात्रा पंजीकरण हरिद्वार रेलवे स्टेशन, ऋषिकेश बस स्टैंड, जानकी चट्टी, गुप्तकाशी, गंगोत्री, फाटा, सोनप्रयाग, केदारनाथ, गोविंदघाट, और उत्तरकाशी जैसे कई स्थानों पर उपलब्ध है। पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज फोटो पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और पासपोर्ट हैं।

आपके पास अब चार धाम यात्रा से जुडी सभी आवश्यक जानकारी उपलब्ध है। अब आप इन पवित्र स्थलों की आध्यात्मिक यात्रा की योजना बना सकते हैं। साथ ही प्राकृतिक सुंदरता भी ले सकते हैं।

चार धाम यात्रा के दौरान रहने की जगह – Where to stay During Chardham Yatra

चार धाम यात्रा के दौरान रुकने के लिए बहुत सारे होटल, गेस्ट हाउस, रिसॉर्ट्स, आश्रम, और धर्मशाला उपलब्ध हैं। होटल लक्ज़री से लेकर किफायती रेंज तक उपलब्ध हैं। यात्री अपनी सुविधा के अनुसार चुन सकते हैं। इस क्षेत्र के कुछ लोकप्रिय विश्राम स्थल यहाँ लिखे गए हैं:

  • गरवाल मंडल विकास निगम सरकारी गेस्ट हाउस – हरिद्वार, ऋषीकेश, देहरादून, देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, जोशीमठ, पीपलकोटी, गोविंद घाट, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गुप्तकाशी, हरसिल (गंगोत्री), और यमुनोत्री 
  • हिमालयन एको रिसोर्ट, बरकोट 
  • कैंप निरवाना, गुप्तकाशी 
  • विश्वनाथ टूरिस्ट लॉज, गुप्तकाशी 
  • धनेश्वर रिसोर्ट, देवप्रयाग 
  • रामकुंड रिसोर्ट, देवप्रयाग 
  • यमनोत्री कॉटेज 
  • जोशीमठ चार धाम कैंप 
  • होटल नारायण पैलेस, बद्रीनाथ 
  • होटल चाहत, श्रीनगर 
  • होटल हेवन , चमोली 
  • होटल कुंदन पैलेस, उत्तरकाशी 
  • होटल मन्दाकिनी, रुद्रप्रयाग 

यात्रा के दौरान ले जाने वाली चीजें –  Things to Carry during yatra

  • हमेशा सर्दी, खांसी और बुखार के लिए जरूरी दवाओं की एक किट साथ रखें। 
  • इसके अलावा, बैंड-एड्स और एक एंटीसेप्टिक मरहम ले जाएं।
  • सनबर्न से बचाव के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। यदि आप धूप में यात्रा कर रहे हैं तो टोपी पहनें और चश्मा करें।
  • ऊनी कपड़े जैसे की बॉडी वार्मर, स्वेटर, जैकेट, टोपी, जुराबें, एवं ग्लव्स ले के जाएँ।
  • विंडचीटर, रेनकोट, और बारिश से बचने के लिए छाता भी रखें।
  • वाटर प्रूफ जूते और वाटरप्रूफ बैग ले के जाएं।
  • बैटरी से चलने वाली टार्च और पर्याप्त बैटरी ले जाएं।
  • पानी और ड्राई फ्रूट्स भी रखें रास्ते के लिए। 
  • ज़रूरी कागज़ात जैसे की टिकट्स, आइडेंटिटी प्रूफ, और पैसे संभाल के वाटरप्र्रोफ बैग में रखें।

आपके पास अब चार धाम यात्रा से जुडी सभी आवश्यक जानकारी उपलब्ध है। अब आप इन पवित्र स्थलों की आध्यात्मिक यात्रा की योजना बना सकते हैं। साथ ही प्राकृतिक सुंदरता भी ले सकते हैं।

बुधवार, 19 अप्रैल 2023

केदारनाथ यात्रा 2023 की जानकारी | Kedarnath Yatra 2023 Planning


 

केदारनाथ यात्रा 2023 की जानकारी | Kedarnath Yatra 2023 Planning

केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Yatra) भारत के सबसे पवित्र तीर्थों में से एक है। केदारनाथ मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने से तीर्थयात्रियों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ के मंदिर तक पहुँचने के लिए एक कठिन यात्रा करनी पड़ती है। चूंकि नवंबर से मार्च तक सर्दियों के महीनों में भारी बर्फबारी होती है, इसलिए केदारनाथ मंदिर में हर साल केवल सीमित समय के लिए ही पहुंचा जा सकता है।

Kedarnath Yatra 2023 Fast Facts

  • Kedarnath Yatra 2023 Opening Date: 26th April 2023
  • Best Time to Visit: May, June, October
  • Location: Rudraprayad, Garhwal, Uttarakhand
  • Kedarnath Yatra Distance (Walking/trek distance from Gaurikund): 16 km
  • Ideal duration: 1 day
  • Kedarnath Temple Darshan Timings: 06:00 AM to 01:00 PM & 05:00 PM to 7:30 PM
  • Nearest Railway Station: Rishikesh (228 kilometers)
  • Nearest Airport: Jolly Grant Airport, Dehradun
  • Nearest Helipad: Phata
  • Famous for: 12 Jyotirlinga, Chardham yatra, trekking, Panch Kedar, pilgrimage
  • Kedarnath Yatra 2023 Registration (ePass): You need to register online from the official website Uttarakhand Char Dham Devasthanam Management Board for puja, aarti, and accommodation. Only those with ePass are allowed to visit the temple. All you need is a working mobile number to receive OTP for Kedarnath yatra online registration.

केदारनाथ मंदिर खुलने की तिथि 2023 – Kedarnath Opening Date 2023

यदि आप केवल चारधाम यात्रा या यहां तक ​​कि केदारनाथ मंदिर की योजना बना रहे हैं, तो आपको मंदिर के खुलने की तारीख जानने की जरूरत है। केदारनाथ मंदिर के खुलने की तिथि अक्षय तृतीया पर निर्भर करती है। अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है।

अक्षय तृतीया का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। हर साल इसी दिन के आधार पर केदारनाथ मंदिर के पुजारी केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि की घोषणा करते हैं। इस साल 2023 में केदारनाथ मंदिर 26 अप्रैल को खुलेगा। इसी दिन से चारधाम यात्रा अगले 6 महीने तक चलेगी।

केदारनाथ यात्रा 2023 की योजना कैसे बनाएं – How to Prepare for Kedarnath Yatra

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का गठन करने वाले अन्य तीन मंदिरों के विपरीत, केदारनाथ मंदिर तक मोटर योग्य सड़क के माध्यम से नहीं पहुंचा जा सकता है। केदारनाथ के मंदिर तक पहुंचने के लिए 16 किलोमीटर की कठिन यात्रा करनी पड़ती है।

तीर्थयात्री केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। या तो ट्रेक करें (यदि आप सड़क मार्ग से केदारनाथ यात्रा कर रहे हैं तो आप पोनी/पालकी भी बुक कर सकते हैं) या फाटा हेलीपैड से उपलब्ध हेलीकॉप्टर सेवा का विकल्प चुनें।

सड़क मार्ग से केदारनाथ यात्रा 2023 – Kedarnath Yatra by Road

Kedarnath Yatra by Road

देश भर से तीर्थयात्री हर साल इस पवित्र यात्रा को अंजाम देते हैं। उत्तराखंड के बाहर से यात्रा करने वालों के लिए, दिल्ली आधार के रूप में कार्य करता है जहां से वे केदारनाथ पहुंचने के लिए ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग की यात्रा करते हैं।

केदारनाथ की यात्रा सही मायने में हरिद्वार या ऋषिकेश से आरंभ होती है। हरिद्वार देश के सभी बड़े और प्रमुख शहरो से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है। हरिद्वार तक आप ट्रेन से आ सकते है। यहाँ से आगे जाने के लिए आप चाहे तो टैक्सी बुक कर सकते हैं या बस से भी जा सकते हैं।

इस तथ्य के बावजूद कि आप अपनी यात्रा कहाँ से शुरू करते हैं, यदि आप केदारनाथ के लिए सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हैं, तो ऋषिकेश सामान्य बिंदु होगा। ऋषिकेश से केदारनाथ 230 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गौरीकुंड अंतिम बिंदु है जो सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है (ऋषिकेश से 216 किलोमीटर)। गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर की ट्रेक दूरी 16 किलोमीटर है।

गौरीकुंड पहुंचने के लिए आप देहरादून या हरिद्वार/ऋषिकेश से बसों का विकल्प चुन सकते हैं। राज्य परिवहन की बहुत सारी बसें और साथ ही निजी तौर पर डीलक्स और वोल्वो बसें इन गंतव्यों के बीच चलती हैं। गौरीकुंड पहुंचने के लिए आप कैब/टैक्सी किराए पर भी ले सकते हैं।
 

हेलीकाप्टर द्वारा केदारनाथ यात्रा 2023 – Kedarnath Yatra by Helicopter

Chardham Yatra by helicopter

केदारनाथ मंदिर तक पहुँचने का सबसे सुविधाजनक और तेज़ तरीका हेलीकॉप्टर से है। केदारनाथ यात्रा हेलीकाप्टर द्वारा देहरादून से उपलब्ध है। देहरादून से, केदारनाथ यात्रा हेलीकाप्टर लागत लगभग 50,000 रुपये प्रति व्यक्ति है।

आप हेलीकॉप्टर द्वारा केदारनाथ पहुंचने के लिए फाटा से उपलब्ध हेलीकॉप्टर शटल सेवा का विकल्प भी चुन सकते हैं। फाटा से केदारनाथ मंदिर के लिए शटल सेवा की लागत लगभग 2,500 रुपये एकतरफा यात्रा और राउंड ट्रिप के लिए 5,000 रुपये है।


केदारनाथ मंदिर में दर्शन करने का समय और पूजा का क्रम – Opening and Closing Time of Kedarnath Temple

केदारनाथ मंदिर के कपाट रोजाना प्रातः 07:00 बजे खुलते हैं।

सुबह शिवलिंग को स्नान कराकर घी से अभिषेक किया जाता है। फिर दीयों और मंत्र जाप के साथ आरती की जाती है। तीर्थयात्री आरती में शामिल होने और दर्शन करने के लिए सुबह गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं।

दोपहर एक से दो बजे तक एक विशेष पूजा होती है जिसके बाद मंदिर के पट विश्राम के लिए बंद कर दिए जाते हैं। शाम पांच बजे मंदिर के कपाट एक बार फिर दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए जाते हैं।

शाम 07:30 बजे से 08:30 बजे तक एक विशेष आरती होती है, जिसके दौरान भगवान शिव की पांच मुखी प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार किया जाता है । भक्तगण केवल दूर से इसका दर्शन ही कर सकते हैं।

रात्रि 08:30 बजे मंदिर के कपाट दर्शन के लिए बंद कर दिए जाते हैं।

भगवान शिव की पूजा के क्रम में प्रातः पूजन, महाभिषेक पूजा, अभिषेक, लघु रुद्राभिषेक, षोडशोपचार पूजा, अष्टोपचार पूजा, संपूर्ण आरती, पांडव पूजा, गणेश पूजा, श्री भैरव पूजा, पार्वती जी पूजा, शिव सहस्रनाम आदि प्रमुख हैं।

केदारनाथ मंदिर का इतिहास और महत्व – History and Significance of Kedarnath Temple

केदारनाथ मंदिर कैसे अस्तित्व में आया इसके बारे में कई कहानियां हैं। इस मंदिर की नींव का सबसे पुराना उल्लेख नर और नारायण की तपस्या से संबंधित है। हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूरी करने के लिए ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां सदैव के लिए निवास करने का वर प्रदान किया।

स्कन्द पुराण के केदार खण्ड प्रथम भाग ४० वाँ अध्यायके अनुसार युधिष्ठिर आदि पांडव गण ने गोत्र हत्या तथा गुरु हत्या के पाप से छूटने का उपाय श्री व्यास जी से पूछा । व्यास जी कहने लगे कि शास्त्र में इन पापों का प्रायश्चित नहीं है , बिना केदार खण्ड के जाए यह पाप नहीं छूट सकते , तुम लोग वहाँ जाओ । निवास करने से सव पाप नष्ट हो जाते हैं , तथा वहाँ मृत्यु होने से मनुष्य शिव रूप हो जाता है , यही महापथ है ।

शास्त्रों के अनुसार, यह माना जाता है कि कुरुक्षेत्र के महान युद्ध के बाद, जिसे महाभारत भी कहा जाता है, पांडवों ने भगवान शिव से अपने परिजनों की हत्या के पाप के लिए क्षमा मांगी।

बनारस में भगवान शिव नहीं मिलने के बाद पांडवों ने सर्वशक्तिमान की तलाश में हिमालय की यात्रा की। लेकिन भगवान क्रोधित थे और पांडवों को उनके परिजनों की हत्या के पाप के लिए माफ नहीं करना चाहते थे।

इसलिए उन्होंने पांडव भाइयों से छिपने के लिए काशी छोड़ एक बैल का रूप धारण किया और गढ़वाल क्षेत्र में हिमालय में घूमते रहे।

अंतत: जब पांडवों ने उसे पहचान लिया तो उसने धरती में गोता लगाया लेकिन किसी तरह भीम ने उसका कूबड़ पकड़ लिया। बैल के अन्य अंग अन्य स्थानों पर दिखाई दिए। केदारनाथ में कूबड़, मध्य महेश्वर में नाभि , तुंगनाथ में भूजाए, रुद्रनाथ में मुख और कल्पेश्वर में बाल। इन स्थानों को मिलाकर पंच केदार कहा जाता है।

ऐसा माना जाता है कि मूल केदारनाथ मंदिर पांडवों द्वारा बनाया गया था जहां कूबड़ दिखाई दिया था। वर्तमान केदारनाथ मंदिर आदि शंकराचार्य द्वारा बनाया गया था, जिन्हें इस प्राचीन मंदिर की महिमा को बहाल करने का श्रेय दिया जाता है।

हिंदू शास्त्रों में केदारनाथ का उल्लेख – Important things to know for Hindu Devotees

  • महाभारत – ( शान्ति पर्व 35वाँ अध्याय ) – महाप्रस्थान यात्रा अर्थात् केदारा चल पर गमन करके प्राण त्याग करने से मनुष्य शिवलोक को प्राप्त करता है ।
  • महाभारत – ( बन पर्व 38वाँ अध्याय ) – केदार कुण्ड में स्नान करने से सब पाप नष्ट हो जाते हैं , कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव के दर्शन करने से स्वर्ग मिलता है।
  • लिंग पुराण– ( 12वाँ अध्याय ) जो मनुष्य सन्यास लेकर केदार में निवास करता है वह शिव के समान हो जाता है ।
  • वामन पुराण– ( 36वां अध्याय ) केदार क्षेत्र में निवास करने से तथा डीडी नामक रुद्र का पूजन करने से मनुष्य अनायास हो स्वर्ग को जाता है ।
  • पद्म पुराण– ( पा ० खं 61वाँ अध्याय ) कुम्भ राशि के सूर्य तथा वृहस्पति हो जाने पर केदार का दर्शन तथा स्पर्श मोक्षदायक होता है ।
  • कूर्म पुराण– ( 36वां अध्याय ) हिमालय तीर्थ में स्नान करके केदार के दर्शन करने से रुद्र लोक मिलता है ।
  • गरुड़ पुराण– ( 71वाँ अध्याय ) केदार तीर्थ सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाला है ।
  • सौर पुराण– ( 69वां अध्याय ) केदार शंकर जी का महा तीर्थ है जो मनुष्य यहाँ स्नान करके शिवजी का दर्शन करता है , वह गणों का राजा होता है ।
  • शिव पुराण– ( ज्ञान संहिता 37वाँ अध्याय ) शिवजी के 12 ज्योतिलिंग विराजमान हैं , उनमें से केदारेश्वर लिंग हिमालय पर्वत पर स्थिति है । इसके दर्शन करने से महापापी भी पापों से छूट जाते हैं , जिसने केदारेश्वर लिंग के दर्शन नहीं किए उसका जन्म निरर्थक है ।

Kedarnath Yatra पैकिंग और तैयारी – Packing and Preparation

Kedarnath Yatra

यदि आप सड़क मार्ग से केदारनाथ यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप एक अच्छे शारीरिक आकार में हों। चूंकि मंदिर तक पहुंचने के लिए एक लंबा और कठिन ट्रेक लगता है, इसलिए आपको दूरी तक चलने के लिए अच्छी सहनशक्ति की आवश्यकता होती है।

चूंकि मंदिर बहुत ऊंचाई पर स्थित है, इसलिए अनुकूलन भी एक मुद्दा बन सकता है। सुनिश्चित करें कि आप इस तीर्थयात्रा को शुरू करने से पहले अच्छी तरह से जॉगिंग / तेज चलना शुरू कर दें।

यहां तक कि अगर आप गर्मी के महीनों में यात्रा कर रहे हैं, तो गर्म कपड़े, जैकेट, थर्मोकोट इनरवियर, रेनकोट, ऊनी मोजे आदि पैक करें क्योंकि सूर्यास्त के बाद तापमान बहुत जल्दी नीचे चला जाता है।

इसके अलावा टोपी, धूप का चश्मा और सनस्क्रीन लोशन भी साथ रखें क्योंकि सूर्य की किरणें दिन के समय बहुत कठोर हो सकती हैं। जब आप केदारनाथ की यात्रा कर रहे होते हैं तो वॉकिंग पोल और टॉर्च भी काम आता है।

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