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गुरुवार, 3 अगस्त 2023

अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है आदमी ...

अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है आदमी ...
थोड़ा समय निकाल कर अंत तक पूरा पढ़ना

मौत के स्वाद का चटखारे लेता मनुष्य ...
थोड़ा कड़वा लिखा है पर मन का लिखा है ...

मौत से प्यार नहीं , मौत तो हमारा स्वाद है.....

बकरे का,
गाय का,
भेंस का,
ऊँट का,
सुअर,
हिरण का,
तीतर का,
मुर्गे का,
हलाल का,
बिना हलाल का,
ताजा बकरे का,
भुना हुआ,
छोटी मछली,
बड़ी मछली,

हल्की आंच पर सिका हुआ। न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के।
क्योंकि मौत किसी और की, और स्वाद हमारा....

स्वाद से कारोबार बन गई मौत।
मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, पोल्ट्री फार्म्स।
नाम *पालन* और मक़सद *हत्या*❗
स्लाटर हाउस तक खोल दिये। वो भी ऑफिशियल। गली गली में खुले नान वेज रेस्टॉरेंट, मौत का कारोबार नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका कारोबार इसलिए क्योंकि मौत हमारी नही है।

जो हमारी तरह बोल नही सकते, अभिव्यक्त नही कर सकते, अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं...

उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया ?

कैसे मान लिया कि उनमें भावनाएं नहीं होतीं ?
या उनकी आहें नहीं निकलतीं ?

डाइनिंग टेबल पर हड्डियां नोचते बाप बच्चों को सीख देते है, बेटा कभी किसी का दिल नही दुखाना ! किसी की आहें मत लेना ! किसी की आंख में तुम्हारी वजह से आंसू नहीं आना चाहिए !

बच्चों में झुठे संस्कार डालते बाप को, अपने हाथ मे वो हडडी दिखाई नही देती, जो इससे पहले एक शरीर थी, जिसके अंदर इससे पहले एक आत्मा थी, उसकी भी एक मां थी ...??
जिसे काटा गया होगा ?
जो कराहा होगा ?
जो तड़पा होगा ?
जिसकी आहें निकली होंगी ?
जिसने बद्दुआ भी दी होगी ?

कैसे मान लिया कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ेंगे तो भगवान सिर्फ तुम इंसानों की रक्षा के लिए अवतार लेंगे ..❓

क्या मूक जानवर उस परमपिता परमेश्वर की संतान नहीं हैं .❓

क्या उस ईश्वर को उनकी रक्षा की चिंता नहीं है ..❓

धर्म की आड़ में उस परमपिता के नाम पर अपने स्वाद के लिए कभी ईद पर बकरे काटते हो, कभी दुर्गा मां या भैरव बाबा के सामने बकरे की बली चढ़ाते हो। कहीं तुम अपने स्वाद के लिए मछली का भोग लगाते हो ।

कभी सोचा ...!!!
क्या ईश्वर का स्वाद होता है ? ....क्या है उनका भोजन ?

किसे ठग रहे हो ?
भगवान को ?
अल्लाह को ?
जीसस को?
या खुद को ?

मंगलवार को नानवेज नही खाता ...!!!
आज शनिवार है इसलिए नहीं ...!!!
अभी रोज़े चल रहे हैं ....!!!
नवरात्रि में तो सवाल ही नही उठता ....!!!

झूठ पर झूठ....
...झूठ पर झूठ।। #veg #animallovers #nonveg

असुर निकंदन भय भंजन कुछ आन करो,पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ।

धुन- दूल्हे का सेहरा सुहाना लगता है

असुर निकंदन भय भंजन कुछ आन करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ।
भीड़ पड़ी अब भारी हे बजरंगबली,
भक्तो के दुःख दूर मेरे हनुमान करो ॥

गयारवे हो रूध्र तुम हो, ले के अवतारी,
ज्ञानियो में आप ग्यानी योधा बलशाली ।
बाल अवस्था में चंचल आप का था मन,
सूर्य को तुम खा गए नटखट बड़ा बचपन ।
मैं हूँ निर्बल बल बुद्धि का दान करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ॥

श्री राम का तुम सा ना सेवक और है दूजा,
आज घर घर में तुम्हारी हो रही पूजा ।
दीन दुखिओं की कतारें द्वार पे लम्बी,
आप की महिमा को सुन कर आया मैं भी ।
अपने भक्तों का बजरंगी मान करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ॥

हे बजरंगी अब दया की कीजिये दृष्टि,
गा रही महिमा तुम्हारी यह सारी सृष्टि ।
आपकी कृपा हो जिसपे, राम मिले उसको,
बेदड़क आया ‘लक्खा’ अब और कहूँ किसको ।
दया की दृष्टि तुम मुझपर बलवान करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ॥

मनड़ा रे जे तू बालाजी ने ध्याय सी

मनड़ा रे जे तू बालाजी ने ध्याय सी
तर्ज – और इस दिल में क्या रखा है,
मनड़ा रे जे तू बालाजी ने ध्याय सी, कष्ट तेरा सगळा कट जायसी,
सच्चे मन से तू देख बुलाय सी,  बजरंग बेड़ो पार लगाय सी,
बाबो बेड़ो पार लगाय सी, मनड़ा रे जेतू बालाजी ने ध्याय सी।।

सालासर रो बाबो सदा सुख बरसावे,  सँवर जावे बिगड़ी शरण जो आ जावे,
दुलारो अंजनी को भगता को रखवाळो,  खुल्यो है भंडारो जो चावे सो पावे,
झूठी मोह माया ने तज के ले बजरंग को नाम,  ले बजरंग को नाम,
याद करे जो बजरंगी ने, कट जावे रे लख चौरासी,  मनड़ा रे जेतू बालाजी ने ध्याय सी।।

लगी शक्ति रण में काल हो बलकारी, लखन मूर्च्छा घेरयो बड़ी विपदा भारी,
प्रभु श्री राम जी के देख आंख्या में पाणी, उठ्या महावीर झट से भरी रे किलकारी,
संजीवन लेकर ही आयो होण नही दी भोर, होण नही दी भोर, 
भोर भई श्री राम जी बोल्या, संकट मोचन नाम कहासी, मनड़ा रे जे तू बालाजी ने ध्याय सी।।

ऐ लक्खा ठाट तेरी यो धरी रह जाणी है,  ढेरी धन दौलत की काम नई आणि है,
भजन कर राम नाम को जो तारण हारी है, सरल कव लोक कहावे पर बाबा श्याणी है,
करले काम रे भजले राम जब तक आवे सांस,  जब तक आवे सांस,
सांस और वक्त गया नही आवे, चेत रे चेत घणो पछतासि, मनड़ा रे जे तू बालाजी ने ध्याय सी।।  

मनड़ा रे जे तू बालाजी ने ध्याय सी, कष्ट तेरा सगळा कट जाये सी,
सच्चे मन से तू देख बुलाय सी, बजरंग बेड़ो पार लगाय सी,
बाबो बेड़ो पार लगाय सी, मनड़ा रे जे तू बालाजी ने ध्याय सी।।

बुधवार, 2 अगस्त 2023

बद्रीनाथ ओर केदारनाथ से जुड़ी भविष्यवाणी

बद्रीनाथ ओर केदारनाथ से जुड़ी भविष्यवाणी
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भविष्य में गंगा नदी पुन: स्वर्ग चली जाएगी फिर गंगा किनारे बसे तीर्थस्थलों का कोई महत्व नहीं रहेगा। वे नाममात्र के तीर्थ स्थल होंगे। केदारनाथ को जहां भगवान शंकर का आराम करने का स्थान माना गया है वहीं बद्रीनाथ को सृष्टि का आठवां वैकुंठ कहा गया है, जहां भगवान विष्णु 6 माह निद्रा में रहते हैं और 6 माह जागते हैं।

बद्रीनाथ की कथा अनुसार सतयुग में देवताओं, ऋषि-मुनियों एवं साधारण मनुष्यों को भी भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन प्राप्त होते थे।

 इसके बाद आया त्रेतायुग- इस युग में भगवान सिर्फ देवताओं और ऋषियों को ही दर्शन देते थे, लेकिन द्वापर में भगवान विलीन ही हो गए. इनके स्थान पर एक विग्रह प्रकट हुआ. ऋषि-मुनियों और मनुष्यों को साधारण विग्रह से संतुष्ट होना पड़ा।

शास्त्रों अनुसार सतयुग से लेकर द्वापर तक पाप का स्तर बढ़ता गया और भगवान के दर्शन दुर्लभ हो गए. द्वापर के बाद आया कलियुग, जो वर्तमान का युग है।

पुराणों में बद्री-केदारनाथ के रूठने का जिक्र मिलता है. पुराणों अनुसार कलियुग के पांच हजार वर्ष बीत जाने के बाद पृथ्वी पर पाप का साम्राज्य होगा।

कलियुग अपने चरम पर होगा तब लोगों की आस्था लोभ, लालच और काम पर आधारित होगी. सच्चे भक्तों की कमी हो जाएगी।

केदार घाटी में दो पहाड़ हैं- नर और नारायण पर्वत. विष्णु के 24 अवतारों में से एक नर और नारायण ऋषि की यह तपोभूमि है. उनके तप से प्रसन्न होकर केदारनाथ में शिव प्रकट हुए थे. माना जाता है कि जिस दिन नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे, बद्रीनाथ का मार्ग पूरी तरह बंद हो जाएगा।

भक्त बद्रीनाथ के दर्शन नहीं कर पाएंगे. पुराणों अनुसार आने वाले कुछ वर्षों में वर्तमान बद्रीनाथ धाम और केदारेश्वर धाम लुप्त हो जाएंगे और वर्षों बाद भविष्य में भविष्यबद्री नामक नए तीर्थ का उद्गम होगा.

उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा इस बात की ओर इशारा करती है कि मनुष्य ने विकास के नाम पर तीर्थों को विनाश की ओर धकेला है और तीर्थों को पर्यटन की जगह समझकर मौज-मस्ती करने का स्थान समझा है तो अब इसका भुगतान भी करना होगा।

पुराणों अनुसार गंगा स्वर्ग की नदी है और इस नदी को किसी भी प्रकार से प्रदूषित करने और इसके स्वाभाविक रूप से छेड़खानी करने का परिणाम होगा संपूर्ण जंबूखंड का विनाश और गंगा का पुन: स्वर्ग में चले जाना।
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कथा सूर्य नारायण की

कथा सूर्य नारायण की 
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पुराणों के अनुसार कश्यप ने अपनी पत्नी अदिति के गर्भ से 12 आदित्यों को जन्म दिया जिनमें भगवान नारायण का वामन अवतार भी शामिल था। 

ये 12 पुत्र इस प्रकार थे-

1वि-वस्वान (सूर्य)2-अर्यमा
3- पूरा, 4-त्वष्टा( विश्वकर्मा 
5- सविता 6- भग 7- धाता
8- विधाता 9- वरूण 10- मित्र 
11- इंद्र 12- त्रिविक्रम ( वामन)

वैदिक और पौराणिक आख्यानों के अनुसार भगवान श्री सूर्य समस्त जीव-जगत के आत्मस्वरूप हैं। 

ये ही अखिल सृष्टि के आदि कारण हैं। इन्हीं से सब की उत्पत्ति हुई है।
पौराणिक सन्दर्भ में सूर्यदेव की उत्पत्ति के अनेक प्रसंग प्राप्त होते हैं। यद्यपि उनमें वर्णित घटनाक्रमों में अन्तर है, किन्तु कई प्रसंग परस्पर मिलते-जुलते हैं। सर्वाधिक प्रचलित मान्यता के अनुसार भगवान सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए। अदिति के पुत्र होने के कारण ही उनका एक नाम आदित्य हुआ। पैतृक नाम के आधार पर वे काश्यप प्रसिद्ध हुए। संक्षेप में यह कथा इस प्रकार है- 

एक बार दैत्य-दानवों ने मिलकर देवताओं को पराजित कर दिया। देवता घोर संकट में पड़कर इधर-उधर भटकने लगे। देव-माता अदिति इस हार से दु:खी होकर भगवान सूर्य की उपासना करने लगीं। भगवान सूर्य प्रसन्न होकर अदिति के समक्ष प्रकट हुए। उन्होंने अदिति से कहा- 

देवि! तुम चिन्ता का त्याग कर दो। मैं तुम्हारी इच्छा पूर्ण करूँगा तथा अपने हज़ार वें अंश से तुम्हारे उदर से प्रकट होकर तेरे पुत्रों की रक्षा करूँगा।
 इतना कहकर भगवान सूर्य अन्तर्धान हो गये।
कुछ समय के उपरान्त देवी अदिति गर्भवती हुईं। संतान के प्रति मोह और मंगल-कामना से अदिति अनेक प्रकार के व्रत-उपवास करने लगीं। 

महर्षि कश्यप ने कहा- 'अदिति! 
तुम गर्भवती हो, तुम्हें अपने शरीर को सुखी और पुष्ट रखना चाहिये, परन्तु यह तुम्हारा कैसा विवेक है कि तुम व्रत-उपवास के द्वारा अपने गर्भाण्ड को ही नष्ट करने पर तुली हो। अदिति ने कहा- 'स्वामी! आप चिन्ता न करें। मेरा गर्भ साक्षात सूर्य शक्ति का प्रसाद है। यह सदा अविनाशी है। समय आने पर अदिति के गर्भ से भगवान सूर्य का प्राकट्य हुआ और बाद में वे देवताओं के नायक बने। उन्होंने देवशत्रु असुरों का संहार किया।

भगवान सूर्य के परिवार की विस्तृत कथा भविष्य पुराण, मत्स्य पुराण, पद्म पुराण, ब्रह्म पुराण, मार्कण्डेय पुराण तथा साम्बपुराण में वर्णित है।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देवगणों का बिना साधना एवं भगवत्कृपा के प्रत्यक्ष दर्शन होना सम्भव नहीं है। शास्त्र के आज्ञानुसार केवल भावना के द्वारा ही ध्यान और समाधि में उनका अनुभव हो पाता है, किन्तु भगवान सूर्य नित्य सबको प्रत्यक्ष दर्शन देते हैं। इसलिये प्रत्यक्ष देव भगवान सूर्य की नित्य उपासना करनी चाहिये।

वैदिक सूक्तों, पुराणों तथा आगमादि ग्रन्थों में भगवान सूर्य की नित्य आराधना का निर्देश है। मन्त्र महोदधि तथा विद्यार्णव में भगवान सूर्य के दो प्रकार के मन्त्र मिलते हैं। 
प्रथम मन्त्र- ॐ घृणि सूर्य आदित्य ॐ तथा द्वितीय मन्त्र- ॐ ह्रीं घृणि सूर्य आदित्य: श्रीं ह्रीं मह्यं लक्ष्मीं प्रयच्छ है।
भगवान सूर्य के अर्ध्यदान की विशेष महत्ता है। प्रतिदिन प्रात:काल रक्तचन्दनादि से मण्डल बनाकर तथा ताम्रपात्र में जल, लाल चन्दन, चावल, रक्तपुष्प और कुशादि रखकर सूर्यमन्त्र का जप करते हुए भगवान सूर्य को अर्ध्य देना चाहिये।
 सूर्यार्घ्य का मन्त्र ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर है। अर्ध्यदान से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य आयु, आरोग्य, धन-धान्य, यश, विद्या, सौभाग्य, मुक्ति- सब कुछ प्रदान करते हैं।

              🌼🌼ॐ भास्कराय नम:🌼🌼

मंगलवार, 1 अगस्त 2023

यह बरगद का वह पेड़ है जो 7000 साल से आज तक ऐसा ही है इस पेड़ पर सिर्फ तीन पत्ते आते हैं

कुछ लोग धर्म का मजाक उड़ाते हैं कुछ नास्तिक लोग कहते हैं कि भगवान है ही नहीं सारे ग्रंथ काल्पनिक है जो ब्राह्मणों ने अपने स्वार्थ के लिए लिखें तो "फिर यह क्या है"..यह बरगद का वह पेड़ है जो 7000 साल से आज तक ऐसा ही है इस पेड़ पर सिर्फ तीन पत्ते आते हैं जबकि बरगद का पेड़ बहुत विशाल होता है इस पेड़ का तना आज तक 1 इंच से ज्यादा नहीं हुआ और तीन पत्ते के अलावा चौथा पत्ता नहीं आया और यह तीन पत्ते ब्रह्मा विष्णु महेश के संकेत है। यह पेड सूरत के पास तापी नदी पर स्थित है यह महाभारत के योद्धा अंगराज कर्ण की समाधि है । अब आप सोच रहे होंगे कि युद्ध तो कुरुक्षेत्र हरियाणा में हुआ था तो कर्ण को समाधि सूरत में क्यों दी गई। इसके पीछे कर्ण द्वारा मांगा गया वह वरदान था जिसे भगवान कृष्ण ने पूरा किया जब कर्ण ने कवच और कुंडल इंद्र को दान किए थे तब इंद्र से एक शक्ति बांण और एक वरदान मांगा था कि मैं अधर्म का साथ दे रहा हूं इसलिए मेरी मृTयु निश्चित है परंतु मेरा अंतिम संस्कार कुंवारी जमीन पर किया जाए अर्थात जहां पहले किसी का अंतिम संस्कार ना किया गया हो युद्ध में अर्जुन के हाथों जब कर्ण का वध हुआ. तो कृष्णा ने पांचों पांडवों को बताया कि ये तुम्हारे बड़े भाई है इनकी अंतिम इच्छा थी कि इनका अंतिम संस्कार कुंवारी जमीन पर किया जाए और मेरी दृष्टि में इस पृथ्वी पर सिर्फ एक ही जगह ही तापी नदी के पास नजर आ रही है तब इंद्र ने अपना रथ भेजा और कृष्ण पांचो पांडव और कर्ण के शरीर को आकाश मार्ग से तापी नदी के पास लाए यहां भगवान कृष्ण ने उस ऐक इंच जमीन पर अपना अमुक बांण छोड़ा बांण के ऊपर कर्ण का अंतिम संस्कार हुआ।  कृष्ण ने कहा था कि युगो युगांतर तक इस जगह ऐक बरगद का पेड़ रहेगा जिस पर मात्र तीन पत्ते ही आयेगें तब से आज तक इस बरगद के पेड़ पर चौथा पत्ता नही आया और ना ये ऐक इंच से ज्यादा चोड़ा हुआ यहां कर्ण का मंदिर बना हुआ है यहां सभी की मनोकामनाएं पूरी हो जाती दानवीर कर्ण किसी को खाली हाथ नहीं जाने देता...

जय श्रीकृष्णा,जय गोविंदा, जय सनातन धर्म ✨🙏💖🕉️

सोमवार, 31 जुलाई 2023

जिनकी पूजा दरगाहों में होती है, उन्होंने कौन से महान काम किये थे ?

*जिनकी पूजा दरगाहों में होती है, उन्होंने कौन से महान काम किये थे ?*
भारत में आपको जगह जगह सडको किनारे दरगाहें मिल जायेंगी। उन छोटी छोटी दरगाहों के अलावा देश में कुछ बहुत ही मशहूर दरगाहें भी मौजूद हैं, जिनमे लाखों की संख्या में लोग मन्नत मांगने जाते हैं। लेकिन अगर किसी से यह सवाल पूँछों कि यह किस महापुरुष की मजार है और इसने अपने जीवनकाल में कौन सा महान काम किया था?
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तो वह यह बगलें झाँकने लगेगा। अब जिस व्यक्ति ने अपने जीवन भी कोई महत्त्वपूर्ण कार्य न किया हो उसकी लाश का अवशेष (अब तो वह भी नहीं बचा होगा) आपका क्या भला कर सकता है? दरगाह पूजा को लेकर और भी कई भ्रम हैं। हिन्दू समझते हैं कि यह मुसलमानो की पूजा पद्धति है और वे अपनी सद्भावना दिखाने के लिए ऐसा करते है।

लेकिन अगर इस्लाम के जानकार से पूछोगे तो वह भी यही बतायेगा कि दरगाह पूजा इस्लाम के खिलाफ है। तो फिर आखिर यह दरगाह पूजा किस धर्म का हिस्सा है और लोग क्यों पूजा करते हैं? मुसलमान जो करते हैं वो करते रहें लेकिन कम से कम हिन्दुओं को तो उस व्यक्ति के बारे में पता लगाना ही चाहिए, जिसकी कब्र की वो पूजा कर रहे हैं।

अगर बड़ी और मशहूर दरगाहों की बात करें तो उनमे अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, बहराइच में गाजी बाबा और मुंबई के पास हाजी अली की दरगाह प्रमुख है। जो हिन्दू इन दरगाहों पर माथा टेकने जाते हैं कम से कम उनको यह तो पता करना ही चाहिए कि उक्त पीर ने उनके पूर्वजों, देश और धर्म के साथ क्या क्या  किया है।

सबसे पहले बात करते हैं बहराइच के गाजी बाबा की। गाजी बाबा का असली नाम सालार मसूद था। वह महमूद गजनवी का भतीजा था। जिस तरह से महमूद गजनवी ने गुजरात के सोमनाथ और मध्य प्रदेश की भोजशाला का विध्वंश कर, गाजी की उपाधि प्राप्त की थी वैसे ही वह अयोध्या का विध्वंश कर गाजी कहलाना चाहता था।

उसने दिल्ली, मेरठ, बदायूं, कनानौज, आदि को लीत लिया था और अयोध्या की तरफ बढ़ रहा था। तब बहराइच के राजा सुहेल देव पासी ने अपने आस पास के साथ अन्य राजों को साथ मिलाकर उसे कड़ी टक्कर दी और उसकी सेना का समूल नाश कर दिया। बाद में तुगलक ने सालार मसूद के नाम पर दरगाह बनाकर उसे गाजी बाबा बना दिया।

अगर अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की बात करें तो वह मोहम्मद गौरी का साथी था। मोहम्मद गौरी की प्रथ्वीराज चौहान के हाथों हुई हार के बाद, गौरी तो वापस चला गया परन्तु वह यही रह गया था। थोडा बहुत जादू मन्तर करके यहाँ के लोगों को फुसलाया और मोहम्मद गौरी के लिए जानकारियाँ जुटाने के लिए काम करता रहा।

जयचन्द और उसके मित्रों को प्रथ्वीराज चौहान के खिलाफ भड़काने का काम भी चिश्ती ने ही किया था। उसके बाद हुए मोहम्मद गौरी के हमले में भारत (प्रथ्वीराज) की हार की सबसे बड़ी बजह चिश्ती ही था। अजमेर में मंदिर को तुड़वाया (जिसे अढाई दिन का झोपड़ा कहा जाता है) लोगों का धर्म परिवर्तन कराया महिलाओं पर अत्याचार किये।

इसी प्रकार तैमूर लंग ने जब भारत पर हमला किया तो दिल्ली में कत्लेआम करने के बाद हिन्दुओं के पवित्र तीर्थ हरिद्वार का विध्वंश करने चल पड़ा। लेकिन ज्वालापुर की लड़ाई में महाबली जोगराज सिंह गुर्जर, हरवीर जाट, रामप्यारी, आदि ने अपनी पंचायिती सेना और नागा साधुओं के सहयोग से तैमूर को हरिद्वार से भागने पर मजबूर कर दिया।

1405 में तैमूर के मरने के बाद मचे, उत्तराधिकार के गदर में शाह अली नाम का मौलवी तैमूर के खजाने से पैसा चुरा भाग निकला और हिंदुस्तान के सिंध इलाके में आकर व्यापारी बन गया। उसने उस धन में से एक हिस्सा अरब के शाह को भी दिया। अपनी छवि एक नर्मदिल इंसान की बना ली। लोग उसे हाजी शाह अली बुखारी के नाम से जानने लगे।

*(मेरे कई मित्रों ने मेरा लेख व्हाट्सएप पर पाने के लिए मुझे इस नंबर 8527524513 पर मिस्ड कॉल तो किया है लेकिन मेरा ये नंबर दिलीप पांडे के नाम से सेव नहीं किया है इसीलिए उनको मेरे लेख नहीं मिल रहे हैं अगर वो मिस्ड कॉल के बाद नंबर भी सेव कर लेंगे तो उनको मेरे लेख जरूर मिलेंगे !)*

उधर उत्तराधिकार की जंग फ़तेह करने के बाद, गद्दी पर बैठा शाहरुख मिर्ज़ा। सुलतान बनने के बाद उसने उस चोर और गद्दार साथी की तलाश का हुक्म दिया। शाह अली मदद के लिए फकीर का वेश बनाकर अरब के लिए भाग निकला। अरब का शाह नहीं चाहता था कि हाजी शाह अली बुखारी की मदद करके खूंखार उज्बेकों से दुश्मनी मोल ले।

तब उसने शाह अली से छुटकारा पाने के लिए, उसे जिन्दा ही एक संदूक में बंद करके समुद्र में फिकवा दिया। इत्तेफ़ाक़ से संदूक बहता हुआ  मुम्बई के पास के एक टापू पर आ लगा। मछुआरों ने संदूक खोला तो उसमें फकीर के लिबास में एक लाश थी। इस लाश को कुछ मछुआरों ने पहचान लिया और उसे उसी टापू पर दफ़न कर दिया गया।

संदूक में मिली फ़क़ीर की लाश की चर्चा फैलने लगी और तमाम कहानियां भी प्रचलित हो गयीं और शाह अली, पीर हाजी शाह अली बुखारी बन गया। उसके बाद हिन्दुओं ने वहां जाकर माथा टेकना शुरू कर दिया। ऐसे सूतियापे तो हिन्दुओं की पुरानी पहचान है। क्रूर हत्यारे तैमूर और शाहरुख मिर्ज़ा के साथी की कब्र कोहाजी अली दरगाह कहने लगा।

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इतिहास की अनकही प्रामाणिक कहानियां, का एक अंश ......"बापू की हजामत और पुन्नीलाल का उस्तरा"

इतिहास की अनकही प्रामाणिक कहानियां, का एक अंश ......
"बापू की हजामत और पुन्नीलाल का उस्तरा"
‘‘बापू कल मैंने हरिजन पढा।’’ पुन्नीलाल ने गांधीजी की हजामत बनाते हुए कहा।
‘‘क्या शिक्षा ली!’’
‘‘माफ करें तो कह दूं।’’
‘‘ठीक है माफ किया!’’
‘‘जी चाहता है गर्दन पर उस्तरा चला दूं।’’
‘‘क्या बकते हो?’’
‘‘बापू आपकी नहीं, बकरी की!’’
‘‘मतलब!’’
‘‘वह मेरा हरिजन अखबार खा गई, उसमें कितनी सुंदर बात आपने लिखी थी।’’
‘‘भई कौनसे अंक की बात है ??
‘‘बापू आपने लिखा था कि "छल से बाली का वध करने वाले राम को भगवान तो क्या मैं इनसान भी मानने को तैयार नहीं हूं " और आगे लिखा था "सत्यार्थ प्रकाश जैसी घटिया पुस्तक पर बैन होना चाहिए, ऐसे ही जैसे शिवा बावनी पर लगवा दिया है मैंने।’’
आंखें लाल हो गई थी पुन्नीलाल की।
 ‘‘तो क्या बकरी को यह बात बुरी लगी ?"
‘‘नहीं बापू अगले पन्ने पर लिखा था "सभी हिन्दुओं को घर में महाभारत नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इससे झगड़ा होता है और रामायण तो कतई नहीं, लेकिन कुरान जरूर रखनी चाहिए"
"बकरी तो इसलिए अखबार खा गई, कि हिन्दू की बकरी थी ना, सोचा हिन्दू के घर में कुरान होगी तो कहीं मेरी संतान को ये हिन्दू भी बकरीद के मौके पर काट कर न खा जाएं।’’
पुस्तक: मधु धामा लिखित, इतिहास की अनकही प्रामाणिक कहानियां, का एक अंश

रविवार, 30 जुलाई 2023

कारगिल हुआ ही क्यो..??

*कारगिल हुआ ही क्यो..??*

कारगिल होने की मूल जड़ में जाएंगे तो पता चलेगा कि कारगिल इंटेलीजेंस फैलियर के कारण हुआ.... 
.. *पर क्या इंटेलिजेंस फेलियर 1 दिन की घटना हो सकती है क्या इंटेलिजेंस फेलियर एक अधिकारी की घटना हो सकती है* 

*जब आपका पूरा सिस्टम ही ध्वस्त करा दिया गया हो तो कारगिल एक बहुत छोटी सी घटना थी..... इसी कारण पूरे देश में बम विस्फोट और आतंकी घटनाएं होती थी*

 आखिर इसके पीछे कौन था इसे समझना है... *तो एक पुरानी पोस्ट को फिर से आज के संदर्भ में पढ़िए आपको समझ आ जाएगा कि यह कारगिल तो क्या इससे भी बड़ा युद्ध होने की संभावना थी यदि 2014 में मोदी सरकार नहीं आई होती*

इस देश को सबसे बड़ा नुक्सान दो प्रधानमंत्री के काल में हुआ - *जिसमे पहला नाम है इंद्र कुमार गुजराल*  उर्फ़ *गुमराह* 
*इंद्र कुमार गुजराल - पैदाइशी कम्युनिष्ट जो कांग्रेस में गया और फिर जनता दल में  .. 1996 में जब देवेगौड़ा प्रधानमंत्री थे तब कम्युनिष्टों की पसंद IK Gujral को विदेश मंत्री बनाया और तबसे ही इसने भारत के विदेश मामलों को ख़राब करना चालू कर दिया* .. 

इसके काल में भारत पाकिस्तान से आगे की सोच ही नहीं पाया  .. *फिर जब ये प्रधानमंत्री बना तो इसने पाकिस्तान के साथ उस समझौते को किया जिसमे लिखा था कि भारत अपने सारे केमिकल हथियार ख़त्म कर देगा*  ..

 जबकि इसके PM बनने के पहले भारत कहता आया था... *कि उसके पास केमिकल हथियार हैं ही नहीं  .. मतलब इस गुजराल ने विश्व में ये साबित करवाया की भारत झूठ बोलता रहा है*...... एक और काम जो इसने किया वो ये *कि इसने भारत के PMO से ख़ुफ़िया विभाग और RAW का पाकिस्तान डेस्क खत्म कर दिया*  .. 

*August 1997 में अमेरिका में पाकिस्तान के PM से मुलाकात होते ही वहीँ से इसने आदेश किया की इसके भारत लौटने तक RAW का पाकिस्तान डेस्क ख़त्म होना चाहिए* ...  

इसके बाद इस दौरान भारत के पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी, कुवैत, यमन, UAE आदि जगहों पर स्थित *100 के ऊपर एजेंट मारे गए*  .. एक हफ्ते में सारा खुफिया विभाग ध्वस्त हो गया और RAW नेस्तनाबूद हो गई  .. .....*पूरा का पूरा ख़ुफ़िया ढाँचा नेस्तनाबूद हो गया पाकिस्तान से लेकर फिलिस्तीन तक*  .... 
*उसका नतीजा ये हुआ कि भारत को OIC इलाके में उसके खिलाफ हो रहे षडयंत्रो का पता ही नहीं चलता था  ... भारत में 1997 से लेकर 2001 तक का समय बेहद कठिन रहा*,  .........*भारत बिना किसी ख़ुफ़िया जानकारी के रहा और कोई ऐसा महीना नहीं गया जब भारत में बम विस्फोट से लेकर सीमा पर छिटपुट आतंकी हमले न हुए* .. 

*1998 में वाजपेयी सरकार आई और 1999 में कारगिल हुआ*, ख़ुफ़िया फेलियर पर खूब कोसा गया सरकार को ........*लेकिन कम्युनिष्ट मीडिया ने गुजराल डोक्टराइन नामक उस बेहूदे कागज़ के पुलिन्दे को गोल कर गई जिसको उसको लेकर कम्युनिष्टों को अभी मुहब्बत है क्योंकि उसमे भारत की नाकामी है* ...

*भारत के ख़ुफ़िया विभाग को ख़त्म करके और RAW को नेस्तनाबूक करके, उसके लोगिस्टिक को बर्बाद और एजेंटों के खात्मे के बाद हाल बहुत खराब हो गया  ... Indian Airline का हाईजैक होकर कंधार जाना, संसद भवन हमला, कोइम्बटूर हमला, अक्षरधाम, लाल किला हमला आदि होता गया और भारत सरकार पूरे 3 वर्ष तक कुछ जान ही नहीं पाई ख़ुफ़िया से ... अटल सरकार ने आने के कुछ महीने में ही फिर से RAW का पाकिस्तान डेस्क और इंटेलिजेंस का OIC विंग चालू किया था जिसको भारत में ही खड़ा करने में 2002 तक का समय लग गया* .. फिर उसका विदेशों में एजेंट बनाना आदि करते करते... *2004 में भारत के MC नागरिको ने प्याज की कीमत के चलते अटल सरकार को रवाना कर दिया*....... और छिले हुए प्याज को खुद की _____में भर लिया |

*लोगों को अक्सर कारगिल और IC814 के हाईजैक को लेकर अटल सरकार पर हमला करते पाया जाता है लेकिन गुजराल के कारनामे ने भारत का जो नुक्सान कराया उस पर कभी बात ही नहीं हुई*  .... 
*पेट्रोल डीज़ल, आलू - मटर - टमाटर के भाव, IT के स्लैब में बदलाव और एरियर को अपना सबसे बड़ा समस्या समझने वाली जनता को पता ही नहीं कि देश को असुरक्षा के किस दल दल में धकेल दिया गया था*  ... समय रहते अटल सरकार ने कदम उठाया लेकिन ध्वस्त करना आसान है, खड़ा करना मुश्किल - वो भी ख़ुफ़िया जैसा विभाग जिसमे कई वर्ष लगते हैं एक एजेंट खोजने में ... 
*अगले है देश के कलंक सदी के सर्वश्रेष्ठ अनर्थ शास्त्री MC के शहंशाह मादरणीय प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह  G* ... जिन पर कोई छीटा नहीं पड़ता  ...... *ये अगर दिल्ली के नज़फगढ़ नाले में कूद के निकलें तो भी गंगोत्री में नहाए जैसे साफ़ निकलते हैं  .... इन्होने गुजराल जैसा तो नहीं किया और RAW तथा intelligence तो टच नहीं किया लेकिन पाकिस्तान और भारत के कम्युनिष्टों के बनाए भंवरजाल और जालसाज़ी को खूब ढील दिया* ....... *इन्होने intelligence और सुरक्षा विभाग को इस लायक न छोड़ा की देश में मुंबई का हमला से लेकर अनेकों शहरों, ट्रेनों में बम विस्फोट को न पहले जान पाए और न रोक पाए* .... 
*2007 - 2008 के आस पास पाकिस्तान के लाहौर में एक घटना घटी ... पाठ्यपुस्तकों में भगत सिंह और उनके साथियों राजगुरु तथा सुखदेव के लिए लिखा गया कि "भगत सिंह और उसके दो काफिर साथियों ने पडोसी देश के आज़ादी के लिए काम किया, उस देश के लिए जो हमारा दुश्मन है और जिसकी आज़ादी की लड़ाई से हमें कोई सरोकार नहीं*, हम उनके बारे में क्यों पढ़े  ... ये उनके हीरो हैं, हमारे हीरो हमारे खुद के देश में हैं जिनको हम पढ़ेंगे  ... "  .. इस तरह के मामले की शुरुवात होंने के खिलाफ मोर्चा खोला पाकिस्तान के मशहूर columnist और लेखक हसन निसार ने  ... *हसन निसार खुले मंचों पर भगत सिंह को पाकिस्तान देश की आज़ादी का सिपाही और हीरो घोषित करने लगे*  ... उन्होंने लाहौर चौक का नाम भी भगत सिंह चौक रखने का मांग रखा  ..... इस सबके बीच ये बात चलाई गई कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि दोनों देश के लोगों में कोई संवाद नहीं है .. दोनों देश के लोगों के बीच संवाद बढ़ना चाहिए  .. *इस संवाद को बढ़ाने के लिए पाकिस्तान के अखबार The Jung और भारत के Times of India ने आपस में मिल कर कार्यक्रम चालू किया  ... गायक, कलाकार, खिलाड़ी लोगों का आना - जाना, मुशायरों का आयोजन  ... सब चालू किया*  ... बस यहीं पर पाकिस्तान ने भारत के अंदर बहुत अंदर तक घुसपैठ कर लिया  ...

 *पाकिस्तान से जो आते थे वो सब ISI की निगरानी में उनके सिखाए, उन पर निगाह रखने वाले, और सीधे ISI एजेंट उनके मैनेजर आदि के रूप में खूब आए  .. भारत के intelligence और RAW को इनके दूर रहने का आदेश मनमोहन सरकार ने दिया* .. *सरकार ख़ुफ़िया विभाग से पाकिस्तान की तरफ से आने वाले लोगों की लिस्ट से लेकर कार्यक्रम आदि सब छिपा के रखती थी ... उधर से आए ये ISI के एजेंट यानी "अमन की आशा" गिरोह पूरे भारत की रेकी करते, अपने स्लीपर सेल बनाते और निकल जाते और फिर पीछे से भारत में मुम्बई हमला, कई अलग अलग शहरों में बम ब्लास्ट, कश्मीर में बेरोक टोक हमले कराते रहते*....... .. *कश्मीर में तैनात सेना पर इल्जाम लगा के जेल में डालना आदि जैसे कारनामे मनमोहन सरकार ने अंजाम दिए इसी कम्युनिष्टों के "अमन की आशा गैंग के निर्देश पर ... भारत की अधिकतर मूर्ख जनता इन अमन की आशा वालों के जाल में फंसी हुई नुसरत फतह अली आदि के गीतों पर झूमती रही* ... *जबकि उसका खरीदा हर एक CD /DVD का पैसा पाकिस्तान परस्ती और उसके अपने ही सेना के खून बहाने में लगता*  .. 

*इधर से जो जाते थे उनको पाकिस्तानी पश्तून - कश्मीरी - अफगानी - उक्रैन की लड़कियां, महँगी शराब  .. महँगी घडिया आदि देकर अपने ओर रखते थे  .. अय्याशी के गर्त में डूबे इन अन्धों और लालची अमन की आशा वाले लोगों ने इस कांसेप्ट के कारण खूब पलीता लगाया देश को*  ... इस गैंग को प्रायोजित करने का काम भी *मनमोहन सरकार* ने किया है ... पाकिस्तान में हुए भगत सिंह वाली घटना के बाद ही भगत सिंह को आतंकवादी बताने वाले कम्युनिष्टों ने उनको अपना हीरो बनाकर पेश करना चालू किया ...... *कम्युनिष्टों के पाकिस्तानी मिलीभगत से किए जा रहे इस जालसाज़ी को बाद में खोलेंगे* ... 
*इधर 4 साल से अमन की आशा गैंग का धंधा बंद है  .. कश्मीर में आतंकी मारे जा रहे हैं  .. देश में गड़बड़ी फैलाने से पहले स्लीपर सेल वाले दबोच लिए जा रहे हैं  .. पत्थरबाज बक्शे नहीं जा रहे हैं  .. मनमोहन सरकार द्वारा फंसाए गए सारे सेना के अफसर आदि न्यायालय से बरी किए जा रहे हैं*  ... *पाकिस्तान और म्यांमार सीमा पार करके आतंकियों के खिलाफ सेना सर्जिकल स्ट्राइक कर रही है  ... पाकिस्तानी गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दे रहा है  .. कुछ हफ्ते पहले पाकिस्तानी मीडिया मोदी सरकार आने के बाद अपने 1600 के ऊपर सैनिक मारे जाने का दावा करके कृन्दन कर रही थी*  ... भारत अपनी सुरक्षा के लिए फ्रंट फुट पर खेल रहा हैं  .. अभी भारत को ऐसे ही करना चाहिए  ... *यूँ ही नहीं पाकिस्तान से लेकर चीन मीडिया में रोज एक प्रोग्राम मोदी पर होता ही है*  ........ 🙏🏻🚩🇮🇳

*ये हैं "सनातन धर्म" के रक्षक 'जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज' जी*!

*महाराज जी का यह छायाचित्र सन - 1983 का है*
*ये हैं "सनातन धर्म" के रक्षक 'जगतगुरु स्वामी  रामभद्राचार्य महाराज' जी*!

"एक बालक जिसने 3 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिख दी। एक बालक जिसने 5 साल की उम्र में पूरी श्रीमदभगवत गीता के 700 श्लोक विद चैप्टर और श्लोक नंबर के साथ याद कर लिए।"

एक बालक जिसने 7 साल की उम्र में सिर्फ 60 दिन के अंदर श्रीरामचरितमानस की 10 हजार 900 चौपाइयां और छंद याद कर लिए। वही बालक गिरिधर आज पूरी दुनिया में जगदगुरु श्री रामभद्राचार्य जी के नाम से जाने जाते हैं। 

मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी 1950 को चित्रकूट में उनका जन्म हुआ था। 2 महीने की उम्र में ही वो नेत्रहीन हो गए लेकिन वो 22 भाषाओं में बोल सकते हैं इसके अलावा 100 से ज्यादा पुस्तकें और 50 से ज्यादा रिसर्च पेपर बोलकर लिखवा चुके हैं।
एक नेत्रहीन बालक इतना बड़ा विद्वान बन गया कि जब रामजन्मभूमि केस में मुस्लिम पक्ष ने ये सवाल खड़ा किया कि अगर बाबर ने राममंदिर तोड़ा तो तुलसी दास ने जिक्र क्यों नहीं किया ? 

ये सवाल इतना भारी था कि हिंदू पक्ष के लिए संकट खड़ा हो गया... लेकिन तब संकट मोचन बने श्रीरामभद्राचार्य जिन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट (हाईकोर्ट का नाम अब भी वही है) में गवाही दी और तुलसी दास के दोहाशतक में लिखा वो दोहा जज साहब को सुनाया जिसमें बाबर के सेनापति मीर बाकी द्वारा राम मंदिर को तोड़ने का जिक्र है।

 रामजन्म मंदिर महिं मंदिरहि तोरि मसीत बनाय ।
 जबहि बहु हिंदुन हते, तुलसी कीन्ही हाय ।।
 दल्यो मीर बाकी अवध, मंदिर राम समाज ।
 तुलसी रोवत हृदय अति, त्राहि त्राहि रघुराज ।।

 चारो ओर जय जय कार हो गई, रामभद्राचार्य जी महाराज की उनके प्रोफाइल पर गौर कीजिए, आध्यात्मिक नेता, शिक्षक, संस्कृत के विद्वान, कवि, विद्वान, दार्शनिक, गीतकार, गायक, साहित्यकार और कथाकार। 24 जून 1988 को काशी विद्वत परिषद ने उनको जगदगुरु रामभद्राचार्य की उपाधि दी। उनका बचपन का नाम था गिरिधर। 

प्रयागराज में कुंभ मेले में 3 फरवरी 1989 में सभी संत समाज द्वारा स्वामी गिरिधर को श्री रामभद्राचार्य की उपाधि दे दी गई।

श्री रामभद्राचार्य तुलसी पीठ के संस्थापक हैं और जगदगुरु रामभद्राचार्य हैंडिकैप्ड यूनिवर्सिटी के आजीवन कुलपति भी हैं विश्व हिंदू परिषद के रूप में भी वो हिंदुओं को प्रेरणा दे रहे हैं।

हृदय तब गद-गद हो गया जब जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज जी ने चैनल पर एंकर से कहा- ‘मैं जन्म से दृष्टिहीन हूँ, फिर भी सभी वेद कंठाग्र हैं मुझे। डेढ़ लाख से अधिक पन्ने कंठस्थ हैं"

अब और कौन सा चमत्कार देखना बाकी है... ??

सनातन धर्म ही सर्वश्रेठ है!
प्रणाम है ऐसे महान संत को...🙏

जय श्री राम

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