यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

क्या इसीलिए आशा करते है माँ बाप पुत्र की ?

क्या इसीलिए आशा करते है माँ बाप पुत्र की ?

जय श्री कृष्णा,

भारतीय जीवनशैली में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चार पुरुषार्थ बताये है जीने के लिए | धर्म का आचरण करते हुए अर्थोपार्जन करना चाहिए
भारतीय मान्यता के अनुसार पुत्र ही मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है पुत्र द्वारा ही वंश आगे बढ़ता है हिन्दू धर्म की मान्यता यूँ तो सर्वथा उचित है किन्तु आज का विषय

"हिन्दू धर्म की पुत्र प्राप्ति की लालसा और बुढापे का सहारा"

एक वृद्ध महिला करीब ९० साल की आयु में एक वृद्धाश्रम में अपना जीवन व्यतीत कर रही है जिसके एक पुत्र विदेश में है और एक बेटी है जो ससुराल में है पैसे की कोई कमी नहीं थी उसकी दुनिया में फिर भी वृद्धाश्रम में जीवन व्यतीत करते हुए किसी अपने का इंतज़ार करती उसकी आँखें यही पूछती है क्या इसीलिए आशा करते है माँ बाप पुत्र की ? वृद्ध महिला ने पुत्र को पढाया लिखाया विदेश जाने के काबिल बनाया और पति की मृत्यु के बाद उसके पुत्र ने विदेश में ही शादी करली और माँ को जाते जाते ये कहकर गया कि जेसे ही विदेश में जम जाएगा उसे आकर ले जायेगा तब तक उसे वृद्धाश्रम में ही रहना होगा और फिर उसके बाद उसका पुत्र १५ साल बाद आया तो अपनी माँ से ये कह कर गया कि अभी तो किसी कारण से उसे नहीं ले जा सका अगली बार ज़रूर ले जायेगा और बुढापे में उसकी माँ जिस प्रकार का अभिशप्त जीवन व्यतीत कर रही है उसे बयां करना मेरे वश में नहीं है और आज में जीवन के अंतिम क्षणों में भी १० साल बीत गए उसके पुत्र ने माँ कि कोई खोज खबर नहीं ली और माँ आज भी अपने बेटे का इंतज़ार कर रही है ये किसी एक घर कि कहानी नहीं है ये कहानी है उस दौर की जहा हम लोग अपने आपको २१वि सदी के लोग कहते है हम अपने आपको भारतीय कहते है ? अपने माता पिता के प्रति अपने कर्तव्य को भूल कर जीवन में आगे बढ़ने का प्रयत्न करते है

यदि यही व्यवहार उनकी संतान उनके साथ करेगी तब उन्हें अपनी भूल का अहसास होगा |

जीते जी तो माँ बाप की सेवा नहीं कर सकते और मरने के बाद उनके नाम से अनाथ आश्रम में दान करते हैं.

जीते जी तो माँ बाप को ढंग से खाना नहीं खिला सकते और मरने के बाद भूखो को भोजन खिलने का ढोंग करते है

जीते जी तो माँ बाप को रहने के लिए ढंग के कपडे और बिस्तर भी नहीं दे सकते और मरने के बाद कम्बल बाँटते है
क्यों ?

जवाब है क्या ?

क्या इसीलिए आशा करते है माँ बाप पुत्र की ?

क्या आप दुनिया को बदलने की ताकत रखते हैं ?

जय श्री कृष्णा

क्या आप दुनिया को बदलने की ताकत रखते हैं ?

 
"Do you have the power to change the world ?"

दुनिया बहुत बड़ी है इसमें रहने वाले सभी प्राणी अलग अलग प्रकार की मानसिकता रखने वाले होते है .
जैसे की कुछ लोग अपने को बिलकुल आम आदमी समझते हैं
कुछ लोग अपने आप को माध्यम वर्ग का समझते हैं
कुछ लोग कुछ नहीं सोचते जो हो रहा है एसा ही होता होगा
कुछ लोग चाहते तो बहुत कुछ है लेकिन आलसी प्रवर्ति के कारन कुछ नहीं कर पते
कुछ लोग जिद कर के success को पाना चाहते हैं पर सफलता नहीं मिलती
कुछ लोग अपने को सबसे होंशियार समझते हैं पर होते नहीं है
पर कुछ लोग एसे भी हैं जो अपने आपको पूरी दुनिया से अलग समझते हैं और तब तक प्रयास करते है जब तक की सफल नहीं हो जाते और एक दिन सफल होकर दुनिया के लिए आदर्श बन जाते हैं
कहने का तात्पर्य ये है की मनुष्य की जेसी सोच होती है वेसा ही वो कर पता है . और सफलता अर्जित कर के भी बैठता नहीं है
क्योंकि 



"सपने उन्ही के पुरे होते हैं
जिनके सपनो में जान होती है
पंख होने से भी कुछ नहीं होता
होंसलों से भी उड़ान होती है"

अब कुछ लोग चाहते तो बहुत है पर किस्मत का नाम लेकर अपने आलस्य को ढकने का प्रयास करते हैं लेकिन
ज़िन्दगी तो एक ख्वाब है
वो ज़िन्दगी ही क्या जिसमे ख्वाब नहीं होते ,
हाथों की लकीरों को किस्मत न समझना
किस्मत तो उनकी भी होते है जिनके हाथ नहीं होते .
अब कुछ लोग बहुत कुछ चाहते हैं उनका बस चले तो वो दुनिया को अपने हिसाब से change कर दे और इसके लिए वे कुछ एसा कार्य करने लगते हैं जिसे देखकर समाज वाले उसे बेवकूफ और पागल की संज्ञा देने लगते है जबकि
मर्द मुछो से नहीं,उसके काम से कहलाता है
जब जब दुनिया पागल कहती है तब तब आदमी सफल होता है
कुछ लोग ये कहते है की मुझे करना तो बहुत कुछ है पर मेरे पास टाइम नहीं है
उनके लिए ---



"एक बार एक व्यक्ति 3600 company में financial adviser था . वो एक एक पल का भी सही तरीके से उपयोग करता था . उसके पास एक पल का भी समय नहीं था . बहुत व्यस्त रहता था. एक दिन उसे अपने परिवार की चिंता हुई कि जब तक मैं जिंदा हूँ तब तक मेरे हुनर से पुरे परिवार को कुछ भी करने कि ज़रूरत नहीं है पर एक न एक दिन तो मैं मरूँगा ही न . तब मेरे परिवार का गुजरा केसे चलेगा यही सोच कर उसने परिवार के लिए एक किताब लिखकर जाने की सोची . पर उसके पास तो वक़्त ही कहाँ था सोचते सोचते उसने 3 महीने निकाल दिए कि किताब लिखने के लिए वक़्त किस तरह निकालू | पर उसे समय मिल ही नहीं सकता था फिर भी उसे किताब लिखने के लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा तो चाहिए ही था | तो उसने अपनी दिनचर्या को फिर से गोर किया उसमे से समय कहाँ से निकाल सकता है | इस तरह फिर उसने एक सप्ताह निकाल दिया पर उसे समझ मैं नहीं आ रहा की वो क्या करे | फिर भी उसने अपनी दिनचर्या को फिर से देखा तो उसे पता चला की पुरे 24 घंटे में वो दो बार कॉफी पीता है जो भी खुद बना कर पीता है उसमे 40 minit सुबह और 40 minit शाम को खर्च हो जाते है तो उसने सोचा की अगर मेरा ये टाइम कुछ कम हो जाये तो शायद वो अपने परिवार के लिए कुछ कर सकता है . उसने तुरंत 100 जनों को कॉफी बनाने के interview के लिए बुलाया और उसमे से भी 2 जनों को चुना और उनसे कहा कि तुम दोनों 1 महीने तक मेरे साथ रहो और देखो कि मैं कॉफी केसे बनता हूँ तुम्हे और कुछ काम नहीं करना है पर जिस दिन से तुम लोग कॉफी बनाओगे मुझे कभी भी ये नहीं लगना चाहिए कि ये कॉफी मेने नहीं बनायीं है वरना कॉफी ख़राब होने पर मेरा दिमाग ख़राब हो जायेगा और मेरा काम ख़राब हो जायेगा तो उन दोनों ने पूछा कि एक कॉफी के लिए दो जनों कि क्या जरुरत है तो वो बोला कि दोनों मेरे साथ रहकर मेरी कॉफी बनाना सीख जाओगे और जब एक गलती करेगा तो दूसरा उसको सही करेगा इससे गलती नहीं होगी और मेरा time बच जायेगा .
तो इस प्रकार जब 3600 कम्पनियों का financial adviser भी अपना टाइम निकाल सकता है तो आप और हम तो साधारण इंसान है ????

अब मैं आपसे सिर्फ ये ही पूछना चाहता हूँ कि क्या आप दुनिया को बदलने कि सोच रखते हैं ?



You are responsible for what you are............

रविवार, 27 फ़रवरी 2011

कई रात्रियाँ तुमने सो-सोकर गुजार दीं

कई रात्रियाँ तुमने सो-सोकर गुजार दीं और दिन में स्वाद ले लेकर तुम समाप्त होने को जा रहे हो। शरीर को स्वाद दिलाते-दिलाते तुम्हारी यह उम्र, यह शरीर बुढ़ापे की खाई में गिरने को जा रहा है। शरीर को सुलाते-सुलाते तुम्हारी वृद्धावस्था आ रही है। अंत में तो.... तुम लम्बे पैर करके सो जाओगे। जगाने वाले चिल्लायेंगे फिर भी तुम नहीं सुन पाओगे। डॉक्टर और हकीम तुम्हें छुड़ाना चाहेंगे रोग और मौत से, लेकिन नहीं छुड़ा पायेंगे। ऐसा दिन न चाहने पर भी आयेगा। जब तुम्हें स्मशान में लकड़ियों पर सोना पड़ेगा और अग्नि शरीर को स्वाहा कर देगी। एक दिन तो कब्र में सड़ने गलने को यह शरीर गाड़ना ही है। शरीर कब्र में जाए उसके पहले ही इसके अहंकार को कब्र में भेज दो..... शरीर चिता में जल जाये इसके पहले ही इसे ज्ञान की अग्नि में पकने दो।

Life Quotes

Life Quotes











Thanks & Regards

Audit Geeta saar


function disabled

Old Post from Sanwariya