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सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

क्या आप दुनिया को बदलने की ताकत रखते हैं ?

जय श्री कृष्णा

क्या आप दुनिया को बदलने की ताकत रखते हैं ?

 
"Do you have the power to change the world ?"

दुनिया बहुत बड़ी है इसमें रहने वाले सभी प्राणी अलग अलग प्रकार की मानसिकता रखने वाले होते है .
जैसे की कुछ लोग अपने को बिलकुल आम आदमी समझते हैं
कुछ लोग अपने आप को माध्यम वर्ग का समझते हैं
कुछ लोग कुछ नहीं सोचते जो हो रहा है एसा ही होता होगा
कुछ लोग चाहते तो बहुत कुछ है लेकिन आलसी प्रवर्ति के कारन कुछ नहीं कर पते
कुछ लोग जिद कर के success को पाना चाहते हैं पर सफलता नहीं मिलती
कुछ लोग अपने को सबसे होंशियार समझते हैं पर होते नहीं है
पर कुछ लोग एसे भी हैं जो अपने आपको पूरी दुनिया से अलग समझते हैं और तब तक प्रयास करते है जब तक की सफल नहीं हो जाते और एक दिन सफल होकर दुनिया के लिए आदर्श बन जाते हैं
कहने का तात्पर्य ये है की मनुष्य की जेसी सोच होती है वेसा ही वो कर पता है . और सफलता अर्जित कर के भी बैठता नहीं है
क्योंकि 



"सपने उन्ही के पुरे होते हैं
जिनके सपनो में जान होती है
पंख होने से भी कुछ नहीं होता
होंसलों से भी उड़ान होती है"

अब कुछ लोग चाहते तो बहुत है पर किस्मत का नाम लेकर अपने आलस्य को ढकने का प्रयास करते हैं लेकिन
ज़िन्दगी तो एक ख्वाब है
वो ज़िन्दगी ही क्या जिसमे ख्वाब नहीं होते ,
हाथों की लकीरों को किस्मत न समझना
किस्मत तो उनकी भी होते है जिनके हाथ नहीं होते .
अब कुछ लोग बहुत कुछ चाहते हैं उनका बस चले तो वो दुनिया को अपने हिसाब से change कर दे और इसके लिए वे कुछ एसा कार्य करने लगते हैं जिसे देखकर समाज वाले उसे बेवकूफ और पागल की संज्ञा देने लगते है जबकि
मर्द मुछो से नहीं,उसके काम से कहलाता है
जब जब दुनिया पागल कहती है तब तब आदमी सफल होता है
कुछ लोग ये कहते है की मुझे करना तो बहुत कुछ है पर मेरे पास टाइम नहीं है
उनके लिए ---



"एक बार एक व्यक्ति 3600 company में financial adviser था . वो एक एक पल का भी सही तरीके से उपयोग करता था . उसके पास एक पल का भी समय नहीं था . बहुत व्यस्त रहता था. एक दिन उसे अपने परिवार की चिंता हुई कि जब तक मैं जिंदा हूँ तब तक मेरे हुनर से पुरे परिवार को कुछ भी करने कि ज़रूरत नहीं है पर एक न एक दिन तो मैं मरूँगा ही न . तब मेरे परिवार का गुजरा केसे चलेगा यही सोच कर उसने परिवार के लिए एक किताब लिखकर जाने की सोची . पर उसके पास तो वक़्त ही कहाँ था सोचते सोचते उसने 3 महीने निकाल दिए कि किताब लिखने के लिए वक़्त किस तरह निकालू | पर उसे समय मिल ही नहीं सकता था फिर भी उसे किताब लिखने के लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा तो चाहिए ही था | तो उसने अपनी दिनचर्या को फिर से गोर किया उसमे से समय कहाँ से निकाल सकता है | इस तरह फिर उसने एक सप्ताह निकाल दिया पर उसे समझ मैं नहीं आ रहा की वो क्या करे | फिर भी उसने अपनी दिनचर्या को फिर से देखा तो उसे पता चला की पुरे 24 घंटे में वो दो बार कॉफी पीता है जो भी खुद बना कर पीता है उसमे 40 minit सुबह और 40 minit शाम को खर्च हो जाते है तो उसने सोचा की अगर मेरा ये टाइम कुछ कम हो जाये तो शायद वो अपने परिवार के लिए कुछ कर सकता है . उसने तुरंत 100 जनों को कॉफी बनाने के interview के लिए बुलाया और उसमे से भी 2 जनों को चुना और उनसे कहा कि तुम दोनों 1 महीने तक मेरे साथ रहो और देखो कि मैं कॉफी केसे बनता हूँ तुम्हे और कुछ काम नहीं करना है पर जिस दिन से तुम लोग कॉफी बनाओगे मुझे कभी भी ये नहीं लगना चाहिए कि ये कॉफी मेने नहीं बनायीं है वरना कॉफी ख़राब होने पर मेरा दिमाग ख़राब हो जायेगा और मेरा काम ख़राब हो जायेगा तो उन दोनों ने पूछा कि एक कॉफी के लिए दो जनों कि क्या जरुरत है तो वो बोला कि दोनों मेरे साथ रहकर मेरी कॉफी बनाना सीख जाओगे और जब एक गलती करेगा तो दूसरा उसको सही करेगा इससे गलती नहीं होगी और मेरा time बच जायेगा .
तो इस प्रकार जब 3600 कम्पनियों का financial adviser भी अपना टाइम निकाल सकता है तो आप और हम तो साधारण इंसान है ????

अब मैं आपसे सिर्फ ये ही पूछना चाहता हूँ कि क्या आप दुनिया को बदलने कि सोच रखते हैं ?



You are responsible for what you are............

4 टिप्‍पणियां:

  1. bahut hi acchi post daali hai mitr, meri aur se bahut-2 shubhkamaayein aur is blogging ki duniyaa mein aane ke liye bahut-2 badhaayi


    mera ek sujhaav hai dost jisse tumhaare is blog ko bahut saare visitors mil sakte hain, is blog ko " chitthajagat " naamak blog site par register kar lo, registration free hai

    Mahak

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    1. aapki shubhkamnayo ke liye dil se dhanywad
      or aapke sujhav par abhi kaary karata hun
      chittha jagat par register karta hun
      jai hind

      हटाएं
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