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सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

"विकासशील भारत- उसके विकास में बाधक तत्व "

जय श्री कृष्णा

"विकासशील भारत- उसके विकास में बाधक तत्व "

"आरक्षण या असमानता "

भारत को हमारे बुजुर्गो ने आजाद तो करा लिया पर क्या वास्तव में हम क्या इक्कीसवी सदी में भी रुढिवादिता, जातिवाद, समाजवाद, भेदभाव से आज़ाद हो गए है, श्री भीमराव अम्बेडकर ने जो "आरक्षण " नाम का विधेयक शुरू करवाया था उसका उद्देश्य तो था कि भारत में जाति और धर्म के नाम पर जो भेदभाव किया जा रहा था और दलितों के साथ जो अछूतों की तरह व्यवहार किया जाता है उसे समाप्त कर दिया जाना चाहिए, किन्तु आज वर्तमान में क्या हो रहा है इससे तो आप सभी लोग अच्छी तरह से वाकिफ है | लोगो ने आरक्षण को बहुत ही गलत तरीके से उपयोग में लेना शुरू कर दिया है | आज आरक्षण भारत के विकास में बाधक तत्व के रूप में उभर कर सामने आ रहा है |
आप ही सोचिये की सभी विद्यार्थी अपने अपने तरीके से पढ़ाई करते है उनमे से ही को भविष्य में वैज्ञानिक, राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, डाक्टर, पुलिस, सेना में जाकर नाम रोशन करना चाहता है एक सामान्य आदमी चाहे कितनी ही मेहनत करता ही किन्तु आरक्षण की वजह से उसको अपनी योग्यता को प्रदर्शित करने का मोका ही नहीं मिल पाता है और जो जिन लोगो को आरक्षण मिला हुआ है उन में से भी कुछ लोग जानबूझ कर पढ़ाई में ध्यान नहीं देते क्योंकि उन्हें आरक्षण मिला हुआ है न तो वेसे ही उनका चयन हो जायेगा इस प्रकार देश की कई महत्वपूर्ण पदों पर जो लोग बहुत मेहनत से पढ़कर पास हुए है उन्हें तो आरक्षण के कारण निम्न पदों पर नियुक्ति मिलती है और जो लोग निम्न पदों के लायक भी नहीं है उन्हें आरक्षण के कारण बड़े बड़े अफसर की नौकरी मिल जाती है जिस से सभी परियोजनाओ का वांछित लाभ नहीं मिल पाता है और विकास की गति बहुत ही धीमी है और यदि यही नियुक्तियां योग्यता के आधार पर की जाती तो देश के कई बड़े बड़े पदों पर योग्य एवं कुशल व्यक्ति देश के विकास में वास्तविक योगदान दे रहे होते |
जरा सोचिये आपकी नज़र में आरक्षण कहाँ तक उचित है ?

आरक्षण का उद्देश्य दलित वर्ग का उत्थान है ताकि लोग उनसे अछूतों की तरह व्यवहार ना करे और आज वेसे भी कानून की वजह से कोई दलितों से एसा व्यवहार नहीं करता है तो फिर ये आरक्षण कहाँ तक उचित है ?
क्या इस आरक्षण को ख़त्म नहीं किया जाना चाहिए ?

क्या आरक्षण के नाम पर जो भेदभाव किया जा रहा है वो सही है ?
आरक्षण से अप्रत्यक्ष रूप से भारत में असमानता व्याप्त है इस पर ध्यान देकर समानता लाने के लिए आरक्षण को समाप्त कर देना चाहिए तभी देश का चहुंमुखी विकास संभव है
उठो जागो, देश के उत्थान के लिए कार्य करो, स्वार्थी मत बनो, आगे आपकी मर्ज़ी .. !!!

जय श्री कृष्णा

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