पाराशर संहिता में कहा गया है कि
एक दिन सूर्य भगवान हनुमान जी को शिक्षा पूरी होने के पश्चात उन्हें विदा कर रहे थे तब
सूर्य भगवान ने हनुमान जी से कहा: "हे हनुमान, तुम भगवान शिव के अवतार हो जिन्होंने समुद्र मंथन के समय ब्रह्मांड बचाने के लिए जहरीला हलाहल पी लिया था आप अग्नि के भी पुत्र हैं, अग्नि देवता मेरे प्रकाशपुंज का एक अलग हिस्सा है और दुनिया इसे सहन करने में असमर्थ है. केवल आप एक ही है जो इसे सहन कर सकते हैं, इसलिए में तुम्हे अपनी पुत्री "सुवर्चला" प्रदान करता हूँ जो मेरे ही प्रकाशपुंज से बनी है जिसे भी सिर्फ तुम ही सहन कर सकते हो, और तुम सुवर्चला से शादी करने बाद मेरे तेज को भी सहन कर सकोगे और तुम्हारी सुवर्चला से शादी ही मेरी गुरुदक्षिणा है | हनुमान जी ने अपने गुरुदेव की बात सुनी और विनम्रता से कहा: "हे भगवान! मैंने अपने जीवन में आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने का फैसला किया है. मैं उससे केसे शादी कर सकता हूँ |
सूर्य भगवान ने कहा: "हे हनुमान, यह एक दिव्य सुवर्चला है जो एक अयोनिजा है. वह एक समर्पित पत्नी होगी. मैं तुम्हें वरदान देता हूँ कि आप अभी भी एक ब्रह्मचारी है और शादी के बाद भी आप एक प्रजापत्य ब्रह्मचारी रहेंगे | तुम्हारी शादी ब्रह्मांड के कल्याण के लिए ही है और इससे तुम्हारा ब्रह्मचर्य प्रभावित नहीं होगा
तुम्हारा (यज्ञोपवित पवित्र धागे के साथ पैदा हुए ब्रह्मचारी) ब्रह्मचर्य अनन्त तक रहेगा | और इसके बाद से आप भविष्य में एक ब्रह्मा होने जा रहे हैं, सुवर्चला वाणी में निवास करेगी. और इस तरह हनुमान अपने गुरू की सलाह मानी.
हनुमान को सूर्य ने सुवर्चला प्रदान की. यह पाराशर संहिता में कहा गया है कि सूर्य ने ज्येष्ठा सूद दशमी पर अपनी बेटी सुवर्चला की शादी की पेशकश की. यह नक्षत्र उत्तरा में बुधवार की थी. ज्येष्ठा सूद दसमी दिन हनुमान विवाह के बारे में "हनुमत कल्याणं " में भी लिखा है
एक दिन सूर्य भगवान हनुमान जी को शिक्षा पूरी होने के पश्चात उन्हें विदा कर रहे थे तब
सूर्य भगवान ने हनुमान जी से कहा: "हे हनुमान, तुम भगवान शिव के अवतार हो जिन्होंने समुद्र मंथन के समय ब्रह्मांड बचाने के लिए जहरीला हलाहल पी लिया था आप अग्नि के भी पुत्र हैं, अग्नि देवता मेरे प्रकाशपुंज का एक अलग हिस्सा है और दुनिया इसे सहन करने में असमर्थ है. केवल आप एक ही है जो इसे सहन कर सकते हैं, इसलिए में तुम्हे अपनी पुत्री "सुवर्चला" प्रदान करता हूँ जो मेरे ही प्रकाशपुंज से बनी है जिसे भी सिर्फ तुम ही सहन कर सकते हो, और तुम सुवर्चला से शादी करने बाद मेरे तेज को भी सहन कर सकोगे और तुम्हारी सुवर्चला से शादी ही मेरी गुरुदक्षिणा है | हनुमान जी ने अपने गुरुदेव की बात सुनी और विनम्रता से कहा: "हे भगवान! मैंने अपने जीवन में आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने का फैसला किया है. मैं उससे केसे शादी कर सकता हूँ |
सूर्य भगवान ने कहा: "हे हनुमान, यह एक दिव्य सुवर्चला है जो एक अयोनिजा है. वह एक समर्पित पत्नी होगी. मैं तुम्हें वरदान देता हूँ कि आप अभी भी एक ब्रह्मचारी है और शादी के बाद भी आप एक प्रजापत्य ब्रह्मचारी रहेंगे | तुम्हारी शादी ब्रह्मांड के कल्याण के लिए ही है और इससे तुम्हारा ब्रह्मचर्य प्रभावित नहीं होगा
तुम्हारा (यज्ञोपवित पवित्र धागे के साथ पैदा हुए ब्रह्मचारी) ब्रह्मचर्य अनन्त तक रहेगा | और इसके बाद से आप भविष्य में एक ब्रह्मा होने जा रहे हैं, सुवर्चला वाणी में निवास करेगी. और इस तरह हनुमान अपने गुरू की सलाह मानी.
हनुमान को सूर्य ने सुवर्चला प्रदान की. यह पाराशर संहिता में कहा गया है कि सूर्य ने ज्येष्ठा सूद दशमी पर अपनी बेटी सुवर्चला की शादी की पेशकश की. यह नक्षत्र उत्तरा में बुधवार की थी. ज्येष्ठा सूद दसमी दिन हनुमान विवाह के बारे में "हनुमत कल्याणं " में भी लिखा है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.