यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 10 अगस्त 2011

इस कलियुग की सकल नीति का सार

इस कलियुग की सकल नीति का सार सिर्फ इतना ही जानो
अगर नोकरी करनी है तो अफसर को परमेश्वर मानो
 
1. . स्वाभिमान को गोली मारो लाज शर्म चूल्हे में डालो,
उनके एक इशारे पर ही नाच कूद की आदत डालो
बन्दर की सी खीस निपोरो कुत्ते की सी दूम हिलाओ,
गिरगिट का सा रंग बदल कर रोज गधे सा बोझ उठाओअ
फिर चाहो तो निज ड्यूटी पर खूब चैन से लम्बी तानो,
अगर नोकरी करनी है तो अफसर को परमेश्वर मानो

2. अफसर मुंह से कभी न कहता सिर्फ इशारे से समझाता,
अफसर गलती कभी न करता दोष दूसरों के दिखलाता
इसीलिए मौके बेमोके उनके कोशल के गुण गो
"यस सर" का अभ्यास बधालो व्यस्त रहो तिनका न हिलाओ
यही तथ्य हृदयगम करलो आँख मूँद कर कहना मानो
अगर नोकरी करनी है तो अफसर को परमेश्वर मानो
 

3. अफसर को खुश रखो प्यारे अपना काम बनाते जाओ]
इधर उधर की बात भिडाकर विमुख दुसरो से करवाओ
अगर खुशामद ईश्वर को भी खुश करने की ताकत रखती
तो अफसर का दिल पिगलाकर मोम बनाकर तुरत बताती
अतः खुशामद से मत चुको रोज रोज बेवर की तानो
अगर नोकरी करनी है तो अफसर को परमेश्वर मानो

4.  उनके कच्चो बच्चो को नित घर पर जाकर मुफ्त पढाओ
और परीक्षा में फिर उनको सबसे ज्यादा अंक लुटाओ
काकीजी मामीजी कहकर चूल्हे में जड़ अपनी रक्खो
अटके काम बनाकर अपने खूब खुशामद के फल चक्खो
अफसर की बीवी का दर्ज़ा अफसर से बढ़कर ही मानो
अगर नोकरी करनी है तो अफसर को परमेश्वर मानो

इंतज़ार ही करते रहोगे क्या ?


जय श्री कृष्णा

दोस्तों
इंतज़ार ही करते रहोगे क्या ?

आप सोच रहे होंगे कि मैं ये क्या कह रहा हूँ ? मैं तो एक साधारण आम नागरिक हूँ पर आम जनता कि तरह सोचना मेरे बस में नहीं है मुझे तो देश का हर नागरिक क्या सोच रहा है और देश में क्या हो रहा है इसकी फिकर है
पूरा देश आज महंगाई और भ्रष्टाचार की आग में जल रहा है, हर कोई इसे महसूस भी कर रहा है कि देश में भ्रष्टाचार कितना बढ़ गया है नोकरशाही में तो भ्रष्टाचार का बोलबाला था ही अब तो देश के कई दिग्गज नेता, और साधू संत भी इसी राह में अपना उल्लू सीधा करते जा रहे है सारे देश कि जनता को पता है कि कोंन कितना सच्चा और ईमानदार है और कौन बेईमान है |
तो फिर आँखे बंद कर के क्यों बेठे हो ?
क्या कोई ऊपर से आएगा तुम्हारे देश को सुधारने के लिए ?
या मैं ये मान लूँ कि " जिनके घर शीशे के हुआ करते हैं वो दूसरों के घरों में पत्थर नहीं मारा करते "
कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा भाइयों अब या तो खुद ही अपने स्तर भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए अभियान चलाओ और शुरुआत स्वयं से ही कर लो मैं ये नहीं कहता कि आप स्वयं भी भ्रष्टाचार में लिप्त हो किन्तु अगर लिप्त नहीं हो तो भ्रष्टाचार को सहन क्यों कर रहे हो ? उसे बढ़ावा क्यों दे रहे हो ? या हिम्मत नहीं कर पा रहे हो | या भगवान के आने का इंतज़ार कर रहे हो (वो गीत नहीं सुना क्या " भूल मत मनुष्य तू बड़ा महान है, तेरी मुठ्ठियों में बंद तूफ़ान है रे")
अब क्या कृष्ण भगवान कि तरह गीता का उपदेश देना पड़ेगा क्या ? ( वेसे भी आजकल टीवी के सारे सीरियल तो उलटी बाते ही सिखाते है )
कोई नहीं आएगा दोस्तों, मुझे पता है कि कोई भी कुछ अच्छा कार्य करने लगता है तो सबसे पहले टांग अडाने वाले ज्यादा आगे आते है
फिर भी " हे जोश अगर नन्हे परिंदे के जिगर में , फिर आसमां ना पार हो एसा नहीं होता"
अब तो कुछ ना कुछ करना ही होगा दोस्तों
पानी सर से ऊपर निकल गया है सभी लोग मनमानी कर रहे है, देश को बचाने कि बजाय खुद की जेबे भर रहे है और जनता पर महंगाई और आश्वासन का उपहार दे रहे है, इसे तो देश का कल्याण नहीं हो सकता | जो लोग रिश्वत ले रहे है वो तो गुनेहगार है है पर उससे ज्यादा गुनेहगार तो वे लोग है ना जो उनको रिश्वत दे रहे हैं |
बंद करो भ्रष्टाचार, अत्याचार | इसके लिए आप सभी को एक होना पड़ेगा, क्योंकि जहाँ पर एकता नहीं होती वही पर आसानी से राज किया जा सकता है | सभी भाइयों को पहले अपने देश के बारे में, फिर अपने राज्य के बारे में, फिर अपने शहर, समाज और घर के बारे में सोचना होगा| तभी भारत फिर से विश्व गुरु बन पायेगा
स्वार्थी मत बनो | देश के लिए कुछ एसा करो की इतिहास बदल जाये.

"Here are two kind of people in this world,
1. Those who remember " names"
2. Those whose "names" are remembered
"Choice is yours"

मेने भारत में किसी भारतीय को नहीं देखा ?

मेने भारत में किसी भारतीय को नहीं देखा ?

क्यों?

पढ़कर बड़ा आश्चर्य हो रहा होगा ?

भारत में ही अगर भारतीय को नहीं देखा तो फिर अँधा है क्या ?

एक बार एक प्रवासी भारतीय ने अमेरिका में अपने मित्र को भारत भेजा घुमने के लिए और वो हमेशा भारतियों की तारीफ़ करता था कि हम इसे भारतीय है जिसकी संस्कृति की विदेशों में पूजा होती है, मेरा भारत महान, और बहुत सी तारीफ़ की उसने भारतीयों की | अमेरिकन भारत घूम के वापस अमेरिका गया और अपने मित्र से मिला तो बोला तुम तो कह रहे थे की वह बहुत सारे भारतीय रहते है मुझे तो एक भी नहीं मिला | उसने कहा एसा नहीं हो सकता तुम किसी गलत देश में चले गए होंगे वो बोला नहीं मैं गया तो भारत में ही था पर वह भारतीय के अलावा तो बहुत सारे लोग रहते हैं पर भारतीय नहीं था,

तो प्रवासी भारतीय ने पूछा तो तुम कहाँ कहाँ गए थे तो

अमेरिकन बोला जब में हरियाणा गया तो वहां के लोगो ने कहा मैं हरयान्वी हूँ,

जब पंजाब गया तो वहा के लोगो ने कहा मैं पंजाबी हूँ,

राजस्थान में गया तो सभी लोग राजस्थानी थे,

बिहार में गया तो सभी लोग बिहारी थे,

गुजरात में गया तो वहां के सभी लोग गुजराती थे.

फिर मेने और सभी तरह से परिचय पूछा तो कोई कहता है में ब्राह्मण हूँ , किसी ने कहा में सिन्धी हूँ, किसी ने कहा में सिक्ख हूँ, कोई कहता में इसाई हूँ, किसी ने कहा मैं फलाना, मैं ढीकड़ा, पर किसी ने भी नहीं कहा कि मैं भारतीय हूँ
वहा तो दुसरे लोग रहते है कोई भारतीय नहीं था

अब आप ही बताइए क्या विदेशों में यही छवि बनाना चाहते है भारत की ?
क्या वो अमेरिकन गलत कह रहा था ?
हम चाहे हिन्दू हो या मुसलमान, चाहे सिक्ख हो या इसाई, चाहे राजस्थानी हो या गुजराती, चाहे ब्राह्मण हो या शुद्र, क्षत्रिय हो या वेश्य, पर सबसे पहले हम भारतीय है

I am a proud of INDIAN , गर्व से कहो हम भारतीय है

Vande matram!!!

who are you ?


Small minds talk about sales
Average minds talk about Business,
Great Minds talk about Growth
But Champions Never talk,
They just perform & the world talk

who are you ?


Small minds talk about sales
Average minds talk about Business,
Great Minds talk about Growth
But Champions Never talk,
They just perform & the world talk

function disabled

Old Post from Sanwariya