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बुधवार, 10 अगस्त 2011

इस कलियुग की सकल नीति का सार

इस कलियुग की सकल नीति का सार सिर्फ इतना ही जानो
अगर नोकरी करनी है तो अफसर को परमेश्वर मानो
 
1. . स्वाभिमान को गोली मारो लाज शर्म चूल्हे में डालो,
उनके एक इशारे पर ही नाच कूद की आदत डालो
बन्दर की सी खीस निपोरो कुत्ते की सी दूम हिलाओ,
गिरगिट का सा रंग बदल कर रोज गधे सा बोझ उठाओअ
फिर चाहो तो निज ड्यूटी पर खूब चैन से लम्बी तानो,
अगर नोकरी करनी है तो अफसर को परमेश्वर मानो

2. अफसर मुंह से कभी न कहता सिर्फ इशारे से समझाता,
अफसर गलती कभी न करता दोष दूसरों के दिखलाता
इसीलिए मौके बेमोके उनके कोशल के गुण गो
"यस सर" का अभ्यास बधालो व्यस्त रहो तिनका न हिलाओ
यही तथ्य हृदयगम करलो आँख मूँद कर कहना मानो
अगर नोकरी करनी है तो अफसर को परमेश्वर मानो
 

3. अफसर को खुश रखो प्यारे अपना काम बनाते जाओ]
इधर उधर की बात भिडाकर विमुख दुसरो से करवाओ
अगर खुशामद ईश्वर को भी खुश करने की ताकत रखती
तो अफसर का दिल पिगलाकर मोम बनाकर तुरत बताती
अतः खुशामद से मत चुको रोज रोज बेवर की तानो
अगर नोकरी करनी है तो अफसर को परमेश्वर मानो

4.  उनके कच्चो बच्चो को नित घर पर जाकर मुफ्त पढाओ
और परीक्षा में फिर उनको सबसे ज्यादा अंक लुटाओ
काकीजी मामीजी कहकर चूल्हे में जड़ अपनी रक्खो
अटके काम बनाकर अपने खूब खुशामद के फल चक्खो
अफसर की बीवी का दर्ज़ा अफसर से बढ़कर ही मानो
अगर नोकरी करनी है तो अफसर को परमेश्वर मानो

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