यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 10 अगस्त 2011

वो बीते हुए दिन Wo beete hue din

वो बीते हुए दिन ....

कुछ बाते भूली हुई ,
कुछ पल बीते हुए ,

हर गलती का एक नया बहाना ,
और फिर सबकी नज़र में आना ,

एक्जाम की पूरी रात जागना ,
फिर भी सवाल देखके सर खुजाना ,

मौका मिले तो क्लास बंक मरना ,
फिर दोस्तों के साथ कैंटीन जाना

उसकी एक झलक देखने रोज कॉलेज जाना ,
उसको देखते देखते attendance भूल जाना ,

हर पल है नया सपना ,
आज जो टूटे फिर भी है अपना ,

ये कॉलेज के दिन ,
इन लम्हों में जिंदगी जी भर के जीना ,

याद करके इन पलों को ,
फिर जिंदगी भर मुस्कुराना

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya