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शनिवार, 5 नवंबर 2011

" हे भगवान! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद - By Shyam Sunder Chandak (Bikaner)

एक बार एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक कुछ सामान बेचा करता था, एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे बड़े जोर से भूख भी लग रही थी. उसने तय किया कि अब वह जिस भी दरवाजे पर जायेगा, उससे खाना मांग लेगा. दरवाजा खटखटाते ही एक लड़की ने दरवाजा खोला, जिसे देखकर वह घबरा गया और बजाय खाने के उसने पानी का एक गिलास पानी माँगा. लड़की ने भांप लिया था कि वह भूखा है, इसलिए वह एक...... बड़ा गिलास दूध का ले आई. लड़के ने धीरे-धीरे दूध पी लिया. " कितने पैसे दूं?" लड़के ने पूछा. " पैसे किस बात के?" लड़की ने जवाव में कहा." माँ ने मुझे सिखाया है कि जब भी किसी पर दया करो तो उसके पैसे नहीं लेने चाहिए." " तो फिर मैं आपको दिल से धन्यबाद देता हूँ." जैसे ही उस लड़के ने वह घर छोड़ा, उसे न केवल शारीरिक तौर पर शक्ति मिल चुकी थी , बल्कि उसका भगवान् और आदमी पर भरोसा और भी बढ़ गया था. सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयी. लोकल डॉक्टर ने उसे शहर के बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया. विशेषज्ञ डॉक्टर होवार्ड केल्ली को मरीज देखने के लिए बुलाया गया. जैसे ही उसने लड़की के कस्वे का नाम सुना, उसकी आँखों में चमक आ गयी. वह एकदम सीट से उठा और उस लड़की के कमरे में गया. उसने उस लड़की को देखा, एकदम पहचान लिया और तय कर लिया कि वह उसकी जान बचाने के लिए जमीन-आसमान एक कर देगा. उसकी मेहनत और लग्न रंग लायी और उस लड़की कि जान बच गयी. डॉक्टर ने अस्पताल के ऑफिस में जा कर उस लड़की के इलाज का बिल लिया. उस बिल के कौने में एक नोट लिखा और उसे उस लड़की के पास भिजवा दिया. लड़की बिल का लिफाफा देखकर घबरा गयी, उसे मालूम था कि वह बीमारी से तो वह बच गयी है लेकिन बिल कि रकम जरूर उसकी जान ले लेगी. फिर भी उसने धीरे से बिल खोला, रकम को देखा और फिर अचानक उसकी नज़र बिल के कौने में पेन से लिखे नोट पर गयी, जहाँ लिखा था," एक गिलास दूध द्वारा इस बिल का भुगतान किया जा चुका है." नीचे डॉक्टर होवार्ड केल्ली के हस्ताक्षर थे. ख़ुशी और अचम्भे से उस लड़की के गालों पर आंसू अपक पड़े उसने ऊपर कि और दोनों हाथ उठा कर कहा," हे भगवान! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, आपका प्यार इंसानों के दिलों और हाथों द्वारा न जाने कहाँ- कहाँ फैल चुका है." अब आपके दो में से एक चुनाव करना है. या तो आप इसे शेयर करके इस सन्देश को हर जगह पहुंचाएं या इसे व्यर्थ मान अपने आप को समझा लें कि इस कहानी ने आपका दिल नहीं छूआ.--

by
Sharad Harikisanji Panpaliya

शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

करणी माता मंदिर, देशनोक, बीकानेर.. - By Shyam Sunder Chandak (Bikaner)

करणी माता मंदिर, देशनोक, बीकानेर से 30 किमी स्थित है l मंदिर एक प्रारंभिक 15 रहस्यवादी सदी के लिए समर्पित है, देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है l भूरे और सफ़ेद रंग के चूहे निडर होकर मंदिर परिसर के आसपास चल रहे है, चूहों की एक बड़ी संख्या के लिए यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है l यह माना जाता है कि मृत की आत्माओं (माता के भक्तों), इन चूहों में रहते हैं l एक सफेद चूहे को देखना या जब एक चूहा आरती के समय अपने पैरो पर चलाता है, यह बहुत भाग्यशाली माना जाता है l इन चूहों के लिए दूध, मिठाई, अनाज, आदि की पेशकश की जाती है l चूहों का मंदिर है, जो स्वतंत्र रूप से बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों की उपस्थिति के बावजूद भी किसी प्लेग की कोई घटना नहीं होती l इसे एक चमत्कार के रूप में समझे l पूरी दुनिया में यह एक अद्वितीय मंदिर है, जहां चूहे आज़ादी से बाहर कदम रखते है, इन चूहों को 'काबा' कहा जाता है l
बीकानेर के शासक गंगा सिंह ने पूरा मंदिर संगमरमर में बनाया था, महाराजा ने संगमरमर और चांदी श्रंगार के साथ करणी माता मंदिर का निर्माण किया l मंदिर के गुंबदों चांदी और सोने के बने हैं l माता की मूर्ति एक फुट तीन इंच चौड़ी और ढाई फुट लम्बी है l एक अन्य कथा के अनुसार, बीकानेर के महाराजा को एक दृष्टि करणी माता दिखाई दिये l मुख्य मंदिर चक्करदार पथ के साथ और बाहरी दीवारों को लाल पत्थर से बनाया गया है, लेकिन मुख्य द्वार भव्य और उच्च है और यह संगमरमर से बना हैl जिस पर सुंदर नक्काशी का काम किया गया है l भीतरी मंदिर में संगमरमर इस्तेमाल किया गया है l मंदिर का पूरा फर्श संगमरमर का है l भीतरी मंदिर के अंदर छोटे मंदिर है, जो खुद करनी माता ने 600 साल पहले बनाया, कहा जाता है, मौजूद है l
By Shyam Sunder Chandak (Bikaner)

गौ वंश वध पर गुजरात में प्रतिबन्ध.....

जय श्री राधे कृष्णा...............सु-प्रभात !!!!!

गौ वंश वध पर गुजरात में प्रतिबन्ध.....
24.10.2011 धनतेरस से गुजरात में गौ-वंश वध तथा इस पशुधन के अवैध्य हेराफेरी सम्बंधित नया कानून (एनीमल प्रिजर्वेशन एमण्डमेन्ट बिल) प्रभावी हो गया है l इसमें गोवंश की कत्ल, गोवंश मांस बिक्री व संग्रहण को भी प्रतिबन्धितकिया गया है । गुजरात पशु संरछन संशोधन अधिनियम - 2011 को 19 सितम्बर को गुजरात विधानसभा ने पारित किया l राज्यपाल ने हाल ही में इस पर मुहर लगा दी है l इस कानून में दोषी पाए जाने पर एक से सात साल तक की कैद, 10 से 50 हजार रूपये के जुर्माने जैसे सख्त प्रावधान है l साथ ही गोवंश को बूचड़खाने ले जाने, गोवंश मांस की बिक्री, संग्रहण व लाने ले जाने वाले हेराफेरी के मामले में पकड़े जाने वाले वाहनों को 6 महीनो से तीन साल तक की सजा व 25 हजार रूपए का अर्थ दण्ड की सजा का सामना करना पड़ सकता है अथवा केश का अदालत में निपटारा होने तक वाहन जब्त किया जा सकेगा l अभी तक गुजरात में मुंबई पशु-संरछन अधिनियम - 1954 प्रभावी था l माननीय नरेन्द्र मोदी जी को इस नेक कार्य के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद........ जय हिन्द, जय हिंदुस्तान l

आज 'गोपष्टमी' पर्व पर हमें भी ये संकल्प लेना चाहिए, इसके लिए सभी भाइयों से प्रार्थना है क़ि इस पेज को 'लाइक' करके ज्यादा से ज्यादा समर्थन जुटावें l
"Gaay Mata ki JAY ho - गऊ हत्या बन्द हो"

आज आंवला नवमी : - By Shyam Sunder Chandak (Bikaner)

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है. आँवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहते हैं. आँवला नवमी के दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्नदान करने का बहुत महत्व होता है. इस दिन किया गया जप, तप, दान इत्यादि व्यक्ति को सभी पापों से मुक्त करता है तथा सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला होता है. मान्यता है कि सतयुग का आरंभ भी इसी दिन हुआ था. इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले के वृक्ष में सभी देवताओं का निवास होता है तथा यह फल भगवान विष्णु को भी अति प्रिय है l

आँवला नवमी पूजा.......
प्रात:काल स्नान कर आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है. पूजा करने के लिए आँवले के वृक्ष की पूर्व दिशा की ओर उन्मुख होकर शोड्षोपचार पूजन करना चाहिए. दाहिने हाथ में जल, चावल, पुष्प आदि लेकर व्रत का संकल्प करें. आंवले की जड़ में दूध चढा़एं, कर्पूर वर्तिका से आरती करते हुए वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें. आंवले के वृक्ष के नीचे ब्राह्मणों को भोजन कराएं तथा दान आदि दें तथा कथा का श्रवण करें. घर में आंवले का वृक्ष न हो तो किसी बगीचे में या गमले में आंवले का पौधा लगा कर यह कार्य सम्पन्न करना चाहिए l

आँवला नवमी महत्व.......
कार्तिक शुक्ल पक्ष की आंवला नवमी का धार्मिक महत्व बहुत माना गया है. आंवला नवमी की तिथि को पवित्र तिथि माना गया है. इस दिन किया गया गौ, स्वर्ण तथा वस्त्र का दान अमोघ फलदायक होता है. इन वस्तुओं का दान देने से ब्राह्मण हत्या, गौ हत्या जैसे महापापों से बचा जा सकता है. चरक संहिता में इसके महत्व को व्यक्त किया गया है. जिसके अनुसार कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन ही महर्षि च्यवन को आंवला के सेवन से पुनर्नवा होने का वरदान प्राप्त हुआ था l

आंवला नवमी कथा..........
प्राचीन समय की बात है, काशी नगरी में एक वैश्य रहता था. वह बहुत ही धर्म कर्म को मानने वाला धर्मात्मा पुरूष था. किंतु उसके कोई संतान न थी. इस कारण उस वणिक की पत्नी बहुत दुखी रहती थी. एक बार किसी ने उसकी पत्नी को कहा कि यदि वह किसी बच्चे की बलि भैरव बाबा के नाम पर चढा़ए तो उसे अवश्य पुत्र की प्राप्ति होगी. स्त्री ने यह बात अपने पति से कही परंतु वणिक ने ऐसा कार्य करने से मना कर दिया. किंतु उसकी पत्नी के मन में यह बात घर कर गई तथा संतान प्राप्ति की इच्छा के लिए उसने किसी बच्चे की बली दे दी, परंतु इस पाप का परिणाम अच्छा कैसे हो सकता था अत: उस स्त्री के शरीर में कोढ़ उत्पन्न हो गया और मृत बच्चे की आत्मा उसे सताने लगी l
उस स्त्री ने यह बात अपने पति को बताई. पहले तो पति ने उसे खूब दुत्कारा लेकिन फिर उसकी दशा पर उसे दया भी आई. वह अपनी पत्नी को गंगा स्नान एवं पूजन के लिए कहता है. तब उसकी पत्नी गंगा के किनारे जा कर गंगा जी की पूजा करने लगती है. एक दिन माँ गंगा वृद्ध स्त्री का वेश धारण किए उस स्त्री के समक्ष आती है और उस सेठ की पत्नी को कहती है कि यदि वह मथुरा में जाकर कार्तिक नवमी का व्रत एवं पूजन करे तो उसके सभी पाप समाप्त हो जाएंगे. ऎसा सुनकर वणिक की पत्नी मथुरा में जाकर विधि विधान के साथ नवमी का पूजन करती है और भगवान की कृपा से उसके सभी पाप क्षय हो जाते हैं तथा उसका शरीर पहले की भाँति स्वस्थ हो जाता है, उसे संतान रूप में पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है l

रविवार, 23 अक्तूबर 2011

धनतेरस : धन्वंतरि पूजन का महत्व

कल धनतेरस : धन्वंतरि पूजन का महत्व.............

कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं l पाँच दिवसीय दीपावली पर्व का आरंभ धन त्रयोदशी से होता है। इस दिन सायंकाल घर के मुख्य द्वार पर यमराज के निमित्त एक अन्न से भरे पात्र में दक्षिण मुख करके दीपक रखने एवं उसका पूजन करके प्रज्वलित करने एवं यमराज से प्रार्थना करने पर असामयिक मृत्यु से बचा जा सकता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। समुद्र मंथन के समय इसी दिन धन्वंतरि सभी रोगों के लिए औषधि कलश में लेकर प्रकट हुए थे। अतः इस दिन भगवान धन्वंतरि का पूजन श्रद्धापूर्वक करना चाहिए, जिससे दीर्घ जीवन एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है। धनतेरस के दिन अपनी शक्ति अनुसार बर्तन क्रय करके घर लाना चाहिए एवं उसका पूजन करके प्रथम उपयोग भगवान के लिए करने से धन-धान्य की कमी वर्ष पर्यन्त नहीं रहती है।
धन्वंतरि देवताओं के वैद्य और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। धनतेरस के संदर्भ में एक लोककथा प्रचलित है कि एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियों को मृत्यु की गोद में सुलाते समय तुम्हारे मन में कभी दया का भाव नहीं आता क्या?
दूतों ने यमदेवता के भय से पहले तो कहा कि वह अपना कर्तव्य निभाते है और उनकी आज्ञा का पालन करते हें। परंतु जब यमदेवता ने दूतों के मन का भय दूर कर दिया तो उन्होंने कहा कि एक बार राजा हेम के पुत्र का प्राण लेते समय उसकी नवविवाहिता पत्नी का विलाप सुनकर हमारा हृदय भी पसीज गया लेकिन विधि के विधान के अनुसार हम चाह कर भी कुछ न कर सके।

धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने की भी प्रथा है, इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बडा़ धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ, सुखी है और वही सबसे बड़ा धनवान है। भगवान धन्वंतरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं और उनसे धन व सेहत की कामना जब करें तो याद रखें संतोष ही धन है और संतोष से ही सेहत बनती है।

रूप चोदुस, नरक चतुर्दशी एवं हनुमान जयंती २५.१०.२०११ को........

इसे छोटी दीपावली भी कहते है l इस दिन रूप और सोंदर्य प्रदान करने वाले देवता श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है, इसी दिन भगवान श्री कृष्णा ने नरकासुर नमक राछस का वध किया था और राछस बारासुर द्वारा बंदी बनायीं गयी सोलह हजार एक सौ कन्याओ को मुक्ति दिलाई थी, अत: नरक चतुर्दशी मनाई जाती है l अर्थार्थ गंदगी है उसका अंत जरुरी है l इस दिन अपने घर की सफाई अवस्य करें l रूप और सोंदर्य प्राप्ति हेतू इस दिन शरीर पर उबटन लगा कर स्नान करें l
अंजली पुत्र बजरंग का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में हुवा था अत: हनुमान जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है l सांयकाल उनका पूजन एवं सुन्दरकाण्ड का पाठ अवश्य करें l

शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

रंगोली डिजाईन











































आज की दुनिया बहुत ADVANCE है

आज की दुनिया बहुत ADVANCE है 
इस ADVANCE दुनिया की ADVANCE TECHNOLOGY में
आपके इस ADVANCE दोस्त की तरफ से आपको  ADVANCE “दिल से
ADVANCE में  सभी मित्रों को "सांवरिया" की तरफ से दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाये
Mastermind wishing you Happy Diwali in Advance


गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011

एक दिन की बात है,

एक दिन की बात है, पूर्णचंद्र की चाँदनी से मणिमय आँगन धुल गया था, यशोदा मैया के साथ गोपियों की गोष्ठी जुड रही थी, वही खेलते-खेलते कृष्णचन्द्र की द्रष्टि चन्द्रमा पर पडी. उन्होंने पीछे से आकर यशोदा मैया का घूँघट उतार दिया. और अपने कोमल करों से उनकी चोटी खोलकर खीचने लगे और बार-बार पीठ थपथपाने लगे. ‘मै लूँगा, मै लूँगा – तोतली बोली से इतना ही कहते, जब मैया की समझ में बात नहीं आयी.

तब एक गोपी अपने पास श्रीकृष्ण को ले आयी और बोली – लाला! तुम क्या चाहते हो, दूध!’

श्रीकृष्ण –‘ना’. ‘क्या बढ़िया दही? ‘ना’.

‘क्या खुरचन? ‘ना’.

‘मलाई? ‘ना’.ताजा माखन? ना’

फिर क्या ?

श्रीकृष्ण ने धीरे से कहा- अँगुली उठाकर चन्द्रमा की ओर संकेत कर दिया.

गोपी बोली- ‘ओं मेरे बाप!, यह कोई माखन का लौदा थोड़े ही है? हाय! हाय! हम यह कैसे देगी?

कृष्ण ने कहा- मै तो इसे ही चाहता हूँ शीघ्रता करो पार जाने के पूर्व ही मुझे ला दो’. अब और भी मचल गये धरती पर पाँव पीट-पीट कर रोने लगे अभी दो, अभी दो, ‘जब बहुत रोने लगे, तब यशोदा माता ने गोद में उठा लिया और प्यार करके बोली- यह माखन तुम्हे देने योग्य नहीं है देखो इसमें वह काला काला विष लगा हुआ है

बात बदल गयी मैया ने गोद में लेकर मधुर-मधुर स्वर से कथा सुनना प्रारंभ किया .

यशोदा-‘लाला ! एक क्षीर सागर है,

श्रीकृष्ण- ‘मैया ! वह कैसा है’.

यशोदा- ‘बेटा ! यह जो तुम दूध देख रहे हो इसी का एक समुद्र है.’

श्रीकृष्ण- ‘मैया ! कितनी गायों ने दूध दिया होगा जब समुद्र बना होगा.

यशोदा- ‘कन्हैया ! वह गाय का दूध नही है .

श्रीकृष्ण- ‘अरी मैया! तू मुझे बहला रही है भला बिना गाय के दूध कैसा?’

यशोदा- बेटा ! जिसने गायों में दूध बनाया वह गाय के बिना भी दूध बना सकता है’.

श्रीकृष्ण- वह कौन है?

यशोदा- ‘वह भगवान है,’एक बार देवता और दैत्यों में लड़ाई हुई असुरों को मिहित करने के लिए भगवान ने क्षीर सागर को मथा,मंदराचल की रई बनी,वासुकि नाग की रस्सी.

श्रीकृष्ण- ‘जैसे गोपियाँ दही मथती है, क्यों मैया?

यशोदा- ‘हाँ बेटा! उसी से विष पैदा हुआ,जब शंकर भगवान ने वही विष पी लिया तब उसकी जो फुइयाँ धरती पर गिरी, उन्हें पीकर साँप विषधर हो गये. चंद्रमा की ओर इशारा करते हुए, यह माखन भी उसी से निकला है.इसलिए थोडा-सा विष इसमें भी लग गया.सो मेरे प्राण !तुम घर का ही माखन खाओ.’कथा सुनते-सुनते श्यामसुन्दर की आँखों में नीद आ गयी ओर मैया ने उन्हें पलग पर सुला दिया.

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

"Lays चिप्स के पैकेट में जो E631 लिखा है वह दर असल सूअर की चर्बी है। चाहो तो गूगल पर देख लो।

"Lays चिप्स के पैकेट में जो E631 लिखा है वह दर असल सूअर की चर्बी है। चाहो तो गूगल पर देख लो।
गब्बर की यही चीख भरी आवाज़ मेरे ज़हन में आई जब आज दोपहर आया एक एस एम एस पढ़ा मैंने, जो मेरे एक सहयोगी द्वारा भेजा गया था। SMS का संदेश था कि "Lays चिप्स के पैकेट में जो E631 लिखा है वह दर असल सूअर की चर्बी है। चाहो तो गूगल पर देख लो। " कमाल है ! शायद ही कोई भारतीय परिवार चिप्स आदि से बच पाया होगा!! मुझे तत्काल कुछ वर्षों पहले का वह समय या...द आने लगा जब MSG का पता चलने पर मैं हर स्टोर पर किसी खाद्य पदार्थ के पैकेट पर नज़रें गड़ा कर यह देखने लगा जाता था कि इसमे कहीं MSG तो नहीं। यह देख वहां का स्टाफ व्यंग्य भरी नज़रें लिए बताता था कि ये सस्ता है सर, ज़्यादा महंगा नहीं है! मै जब कहता कि कीमत नहीं देख रहा हूँ तो उनकी जिज्ञासा बढ़ती तब बताता कि यह क्या होता है। आजकल तो बड़े बड़े अक्षरों में खास तौर पर लिखा रहता है कि No MSG ऐसा ही कुछ वाकया ब्रुक बोंड की चाय-पत्ती के साथ हुआ था जिस पर पोस्ट लिखी थी मैंने कि किस तरह इतनी बड़ी कम्पनी लोगों को सरासर बेवकूफ बना रही है। बात हो रही E631 की। मैं दन्न से बाज़ार गया और Lays के पैकेट देखे कुछ नहीं दिखा। लेकिन मुझे याद आने लग पड़ा था कि इस तरह के कोड देखें हैं मैंने कुछ दिन पहले। शहर के दूसरे कोने वाल़े एक सुपर बाज़ार में भी कुछ नहीं दिखा तो स्टोर वालों से इस बारे में बात करने पर ज्ञात हुआ कि कुछ सप्ताह पहले आयातित चिप्स और बिस्किट लाए गए थे जो अब ख़त्म हो चुके। तब तक एक जिज्ञासु कर्मचारी कहीं से दो ऐसे पैकेट ले आया जिन्हें चूहों द्वारा कुतरे जाने पर अलग रख दिया गया था। उन में इस तरह के कोड थे जिस में वाकई 631 लिखा हुआ है अब मैंने गूगल की शरण ली तो पता चला कि कुछ अरसे पहले यह हंगामा पाकिस्तान में हुआ था जिस पर ढेरों आरोप और सफाइयां दस्तावेजों सहित मौजूद हैं । हैरत की बात यह दिखी कि इस पदार्थ को कई देशों में प्रतिबंधित किया गया है किन्तु अपने देश में धड़ल्ले से उपयोग हो रहा। मूल तौर पर यह पदार्थ सूअर और मछली की चर्बी से प्राप्त होता है और ज्यादातर नूडल्स, चिप्स में स्वाद बढाने के लिए किया जाता है। रसायन शास्त्र में इसे Disodium Inosinate कहा जाता है जिसका सूत्र है C10H11N4Na2O8P1 होता यह है कि अधिकतर (ठंडे) पश्चिमी देशों में सूअर का मांस बहुत पसंद किया जाता है। वहाँ तो बाकायदा इसके लिए हजारों की तादाद में सूअर फार्म हैं। सूअर ही ऐसा प्राणी है जिसमे सभी जानवरों से अधिक चर्बी होती है। दिक्कत यह है कि चर्बी से बचते हैं लोग। तो फिर इस बेकार चर्बी का क्या किया जाए? पहले तो इसे जला दिया जाता था लेकिन फिर दिमाग दौड़ा कर इसका उपयोग साबुन वगैरह में किया गया और यह हिट रहा। फिर तो इसका व्यापारिक जाल बन गया और तरह तरह के उपयोग होने लगे। नाम दिया गया 'पिग फैट' 1857 का वर्ष तो याद होगा आपको? उस समयकाल में बंदूकों की गोलियां पश्चिमी देशों से भारतीय उपमहाद्वीप में समुद्री राह से भेजी जाती थीं और उस महीनों लम्बे सफ़र में समुद्री आबोहवा से गोलियां खराब हो जाती थीं। तब उन पर सूअर चर्बी की परत चढ़ा कर भेजा जाने लगा। लेकिन गोलियां भरने के पहले उस परत को दांतों से काट कर अलग किया जाना होता था। यह तथ्य सामने आते ही जो क्रोध फैला उसकी परिणिति 1857 की क्रांति में हुई बताई जाती है। इससे परेशान हो अब इसे नाम दिया गया 'ऐनिमल फैट' ! मुस्लिम देशों में इसे गाय या भेड़ की चर्बी कह प्रचारित किया गया लेकिन इसके हलाल न होने से असंतोष थमा नहीं और इसे प्रतिबंधित कर दिया गया। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नींद उड़ गई। आखिर उनका 75 प्रतिशत कमाई मारी जा रही थी इन बातों से। हार कर एक राह निकाली गई। अब गुप्त संकेतो वाली भाषा का उपयोग करने की सोची गई जिसे केवल संबंधित विभाग ही जानें कि यह क्या है! आम उपभोक्ता अनजान रह सब हजम करता रहे। तब जनम हुआ E कोड का तब से यह E631 पदार्थ कई चीजों में उपयोग किया जाने लगा जिसमे मुख्य हैं टूथपेस्ट, शेविंग क्रीम, च्युंग गम, चॉकलेट, मिठाई, बिस्कुट, कोर्न फ्लैक्स, टॉफी, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ आदि। सूची में और भी नाम हो सकते हैं। हाँ, कुछ मल्टी- विटामिन की गोलियों में भी यह पदार्थ होता है। शिशुयों, किशोरों सहित अस्थमा और गठिया के रोगियों को इस E631 पदार्थ मिश्रित सामग्री को उपयोग नहीं करने की सलाह है लेकिन कम्पनियाँ कहती हैं कि इसकी कम मात्रा होने से कुछ नहीं होता। पिछले वर्ष खुशदीप सहगल जी ने एक पोस्ट में बताया था कि कुरकुरे में प्लास्टिक होने की खबर है चाहें तो एक दो टुकड़ों को जला कर देख लें। मैंने वैसा किया और पिघलते टपकते कुरकुरे को देख हैरान हो गया। अब लग रहा कि कहीं वह चर्बी का प्रभाव तो नहीं था!? अब बताया तो यही जा रहा है कि जहां भी किसी पदार्थ पर लिखा दिखे E100, E110, E120, E 140, E141, E153, E210, E213, E214, E216, E234, E252,E270, E280, E325, E326, E327, E334, E335, E336, E337, E422, E430, E431, E432, E433, E434, E435, E436, E440, E470, E471, E472, E473, E474, E475,E476, E477, E478, E481, E482, E483, E491, E492, E493, E494, E495, E542,E570, E572, E631, E635, E904 समझ लीजिए कि उसमे सूअर की चर्बी है। और कुछ जानना हो कि किस कोड वाल़े पदार्थ का उपयोग करने से किसे बचना चाहिए तो यह सूची देख लें ||

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