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रविवार, 25 दिसंबर 2016

सहायता के तो बहुत से मार्ग हैं

पैदल वापस घर आ रहा था ।
रास्ते में एक बिजली खंभे में एक कागज लगा हुआ था ।
'कृपया पढ़ें' ऐसा लिखा था ।
फुरसत में था ही, पास जाकर देखा - "इस रास्ते पर मैंने कल एक ₹50 का नोट गंवा दिया है । मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता । जिसे भी मिले कृपया इस पते पर दे सकते हैं ।" ...
यह पढ़कर पता नहीं क्यों उस पते पर जाने की इच्छा हुई । पता याद रखा । यह उस गली के आखिरी में एक झुग्गी झोपड़ी का है । वहाँ जाकर आवाज लगाया तो एक वृद्धा लाठी के सहारे धीरे-धीरे बाहर आई । मुझे मालूम हुआ कि वह अकेली रहती है । उसे ठीक से दिखाई नहीं देता ।
"माँ जी", मैंने कहा - "आपका खोया हुआ ₹50 मुझे मिला है उसे देने आया हूँ ।"
यह सुन वह वृद्धा रोने लगी ।
"बेटा, अभी तक करीब 50-60 व्यक्ति मुझे 50-50 ₹ दे चुके हैं । मै पढ़ी-लिखी नहीं हूँ, । ठीक से दिखाई नहीं देता । पता नहीं कौन मेरी इस हालात को देख मेरी मदद करने के उद्देश्य से लिखा है ।"
बहुत ही कहने पर माँ जी ने पैसे तो रख ली । पर एक विनती की - ' बेटा, वह मैंने नहीं लिखा है । किसी ने मुझ पर तरस खाकर लिखा होगा । जाते-जाते उसे फाड़कर फेंक देना बेटा ।'
मैनें तो उसे हाँ कहकर टाल तो दिया पर मेरी अंतरात्मा ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि । उन 50-60 लोगों से भी माँ ने यही कहा होगा । किसी ने भी नहीं फाड़ा । मेरा हृदय उस व्यक्ति के प्रति कृतज्ञता से भर गया । जो इस वृद्धा की सेवा का उपाय ढूँढा । सहायता के तो बहुत से मार्ग हैं , पर इस तरह की सेवा मेरे हृदय को छू गई ।
उस अकेली वृद्धा की जिंदगी के लिए इससे अच्छा कोई उपाय नहीं है ।
मैंने उस कागज को फाड़ा नहीं । आप ही बताइये आप अगर ऐसी परिस्थिति का सामना करते तो क्या करते ।
मेरा निवेदन है कि आप इस मेसेज को जरूर शेयर करें ।

अब मैं पैसे नहीं कमाता। रिश्ते कमाता हूं।

बात बहुत पुरानी है। आठ-दस साल पहले की।


मैं अपने एक मित्र का पासपोर्ट बनवाने के लिए दिल्ली के पासपोर्ट ऑफिस गया था।


उन दिनों इंटरनेट पर फार्म भरने की सुविधा नहीं थी। पासपोर्ट दफ्तर में दलालों का बोलबाला था और खुलेआम दलाल पैसे लेकर पासपोर्ट के फार्म बेचने से लेकर उसे भरवाने, जमा करवाने और पासपोर्ट बनवाने का काम करते थे।


मेरे मित्र को किसी कारण से पासपोर्ट की जल्दी थी, लेकिन दलालों के दलदल में फंसना नहीं चाहते थे।


हम पासपोर्ट दफ्तर पहुंच गए, लाइन में लग कर हमने पासपोर्ट का तत्काल फार्म भी ले लिया। पूरा फार्म भर लिया। इस चक्कर में कई घंटे निकल चुके थे, और अब हमें िकसी तरह पासपोर्ट की फीस जमा करानी थी।


हम लाइन में खड़े हुए लेकिन जैसे ही हमारा नंबर आया बाबू ने खिड़की बंद कर दी और कहा कि समय खत्म हो चुका है अब कल आइएगा।


मैंने उससे मिन्नतें की, उससे कहा कि आज पूरा दिन हमने खर्च किया है और बस अब केवल फीस जमा कराने की बात रह गई है, कृपया फीस ले लीजिए।


बाबू बिगड़ गया। कहने लगा, "आपने पूरा दिन खर्च कर दिया तो उसके लिए वो जिम्मेदार है क्या? अरे सरकार ज्यादा लोगों को बहाल करे। मैं तो सुबह से अपना काम ही कर रहा हूं।"


मैने बहुत अनुरोध किया पर वो नहीं माना। उसने कहा कि बस दो बजे तक का समय होता है, दो बज गए। अब कुछ नहीं हो सकता।


मैं समझ रहा था कि सुबह से दलालों का काम वो कर रहा था, लेकिन जैसे ही बिना दलाल वाला काम आया उसने बहाने शुरू कर दिए हैं। पर हम भी अड़े हुए थे कि बिना अपने पद का इस्तेमाल किए और बिना उपर से पैसे खिलाए इस काम को अंजाम देना है।

मैं ये भी समझ गया था कि अब कल अगर आए तो कल का भी पूरा दिन निकल ही जाएगा, क्योंकि दलाल हर खिड़की को घेर कर खड़े रहते हैं, और आम आदमी वहां तक पहुंचने में बिलबिला उठता है।


खैर, मेरा मित्र बहुत मायूस हुआ और उसने कहा कि चलो अब कल आएंगे।

मैंने उसे रोका। कहा कि रुको एक और कोशिश करता हूं।


बाबू अपना थैला लेकर उठ चुका था। मैंने कुछ कहा नहीं, चुपचाप उसके-पीछे हो लिया। वो उसी दफ्तर में तीसरी या चौथी मंजिल पर बनी एक कैंटीन में गया, वहां उसने अपने थैले से लंच बॉक्स निकाला और धीरे-धीरे अकेला खाने लगा।


मैं उसके सामने की बेंच पर जाकर बैठ गया। उसने मेरी ओर देखा और बुरा सा मुंह बनाया। मैं उसकी ओर देख कर मुस्कुराया। उससे मैंने पूछा कि रोज घर से खाना लाते हो?

उसने अनमने से कहा कि हां, रोज घर से लाता हूं।


मैंने कहा कि तुम्हारे पास तो बहुत काम है, रोज बहुत से नए-नए लोगों से मिलते होगे?

वो पता नहीं क्या समझा और कहने लगा कि हां मैं तो एक से एक बड़े अधिकारियों से मिलता हूं।


कई आईएएस, आईपीएस, विधायक और न जाने कौन-कौन रोज यहां आते हैं। मेरी कुर्सी के सामने बड़े-बड़े लोग इंतजार करते हैं।


मैंने बहुत गौर से देखा, ऐसा कहते हुए उसके चेहरे पर अहं का भाव था।

मैं चुपचाप उसे सुनता रहा।


फिर मैंने उससे पूछा कि एक रोटी तुम्हारी प्लेट से मैं भी खा लूं? वो समझ नहीं पाया कि मैं क्या कह रहा हूं। उसने बस हां में सिर हिला दिया।

मैंने एक रोटी उसकी प्लेट से उठा ली, और सब्जी के साथ खाने लगा।


वो चुपचाप मुझे देखता रहा। मैंने उसके खाने की तारीफ की, और कहा कि तुम्हारी पत्नी बहुत ही स्वादिष्ट खाना पकाती है।

वो चुप रहा।


मैंने फिर उसे कुरेदा। तुम बहुत महत्वपूर्ण सीट पर बैठे हो। बड़े-बड़े लोग तुम्हारे पास आते हैं। तो क्या तुम अपनी कुर्सी की इज्जत करते हो?


अब वो चौंका। उसने मेरी ओर देख कर पूछा कि इज्जत? मतलब?


मैंने कहा कि तुम बहुत भाग्यशाली हो, तुम्हें इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है, तुम न जाने कितने बड़े-बड़े अफसरों से डील करते हो, लेकिन तुम अपने पद की इज्जत नहीं करते।


उसने मुझसे पूछा कि ऐसा कैसे कहा आपने? मैंने कहा कि जो काम दिया गया है उसकी इज्जत करते तो तुम इस तरह रुखे व्यवहार वाले नहीं होते।


देखो तुम्हारा कोई दोस्त भी नहीं है। तुम दफ्तर की कैंटीन में अकेले खाना खाते हो, अपनी कुर्सी पर भी मायूस होकर बैठे रहते हो, लोगों का होता हुआ काम पूरा करने की जगह अटकाने की कोशिश करते हो।


मान लो कोई एकदम दो बजे ही तुम्हारे काउंटर पर पहुंचा तो तुमने इस बात का लिहाज तक नहीं किया कि वो सुबह से लाइऩ में खड़ा रहा होगा,


और तुमने फटाक से खिड़की बंद कर दी। जब मैंने तुमसे अनुरोध किया तो तुमने कहा कि सरकार से कहो कि ज्यादा लोगों को बहाल करे।


मान लो मैं सरकार से कह कर और लोग बहाल करा लूं, तो तुम्हारी अहमियत घट नहीं जाएगी? हो सकता है तुमसे ये काम ही ले लिया जाए। फिर तुम कैसे आईएएस, आईपीए और विधायकों से मिलोगे?


भगवान ने तुम्हें मौका दिया है रिश्ते बनाने के लिए। लेकिन अपना दुर्भाग्य देखो, तुम इसका लाभ उठाने की जगह रिश्ते बिगाड़ रहे हो।


मेरा क्या है, कल भी आ जाउंगा, परसों भी आ जाउंगा। ऐसा तो है नहीं कि आज नहीं काम हुआ तो कभी नहीं होगा। तुम नहीं करोगे कोई और बाबू कल करेगा।


पर तुम्हारे पास तो मौका था किसी को अपना अहसानमंद बनाने का। तुम उससे चूक गए।

वो खाना छोड़ कर मेरी बातें सुनने लगा था।

मैंने कहा कि पैसे तो बहुत कमा लोगे, लेकिन रिश्ते नहीं कमाए तो सब बेकार है। क्या करोगे पैसों का? अपना व्यवहार ठीक नहीं रखोगे तो तुम्हारे घर वाले भी तुमसे दुखी रहेंगे। यार दोस्त तो नहीं हैं,


ये तो मैं देख ही चुका हूं। मुझे देखो, अपने दफ्तर में कभी अकेला खाना नहीं खाता।


यहां भी भूख लगी तो तुम्हारे साथ खाना खाने आ गया। अरे अकेला खाना भी कोई ज़िंदगी है?


मेरी बात सुन कर वो रुंआसा हो गया। उसने कहा कि आपने बात सही कही है साहब। मैं अकेला हूं। पत्नी झगड़ा कर मायके चली गई है। बच्चे भी मुझे पसंद नहीं करते। मां है, वो भी कुछ ज्यादा बात नहीं करती। सुबह चार-पांच रोटी बना कर दे देती है, और मैं तनहा खाना खाता हूं। रात में घर जाने का भी मन नहीं करता। समझ में नहींं आता कि गड़बड़ी कहां है?


मैंने हौले से कहा कि खुद को लोगों से जोड़ो। किसी की मदद कर सकते तो तो करो। देखो मैं यहां अपने दोस्त के पासपोर्ट के लिए आया हूं। मेरे पास तो पासपोर्ट है।


मैंने दोस्त की खातिर तुम्हारी मिन्नतें कीं। निस्वार्थ भाव से। इसलिए मेरे पास दोस्त हैं, तुम्हारे पास नहीं हैं।


वो उठा और उसने मुझसे कहा कि आप मेरी खिड़की पर पहुंचो। मैं आज ही फार्म जमा करुंगा।


मैं नीचे गया, उसने फार्म जमा कर लिया, फीस ले ली। और हफ्ते भर में पासपोर्ट बन गया।


बाबू ने मुझसे मेरा नंबर मांगा, मैंने अपना मोबाइल नंबर उसे दे दिया और चला आया।


कल दिवाली पर मेरे पास बहुत से फोन आए। मैंने करीब-करीब सारे नंबर उठाए। सबको हैप्पी दिवाली बोला।


उसी में एक नंबर से फोन आया, "रविंद्र कुमार चौधरी बोल रहा हूं साहब।"


मैं एकदम नहीं पहचान सका। उसने कहा कि कई साल पहले आप हमारे पास अपने किसी दोस्त के पासपोर्ट के लिए आए थे, और आपने मेरे साथ रोटी भी खाई थी।


आपने कहा था कि पैसे की जगह रिश्ते बनाओ।


मुझे एकदम याद आ गया। मैंने कहा हां जी चौधरी साहब कैसे हैं?


उसने खुश होकर कहा, "साहब आप उस दिन चले गए, फिर मैं बहुत सोचता रहा। मुझे लगा कि पैसे तो सचमुच बहुत लोग दे जाते हैं, लेकिन साथ खाना खाने वाला कोई नहीं मिलता। सब अपने में व्यस्त हैं। मैं


साहब अगले ही दिन पत्नी के मायके गया, बहुत मिन्नतें कर उसे घर लाया। वो मान ही नहीं रही थी।


वो खाना खाने बैठी तो मैंने उसकी प्लेट से एक रोटी उठा ली,


कहा कि साथ खिलाओगी? वो हैरान थी।


रोने लगी। मेरे साथ चली आई। बच्चे भी साथ चले आए।


 साहब अब मैं पैसे नहीं कमाता। रिश्ते कमाता हूं। जो आता है उसका काम कर देता हूं।


साहब आज आपको हैप्पी दिवाली बोलने के लिए फोन किया है।


अगल महीने बिटिया की शादी है। आपको आना है।


अपना पता भेज दीजिएगा। मैं और मेरी पत्नी आपके पास आएंगे।


मेरी पत्नी ने मुझसे पूछा था कि ये पासपोर्ट दफ्तर में रिश्ते कमाना कहां से सीखे?


तो मैंने पूरी कहानी बताई थी। आप किसी से नहीं मिले लेकिन मेरे घर में आपने रिश्ता जोड़ लिया है।


सब आपको जानते है बहुत दिनों से फोन करने की सोचता था, लेकिन हिम्मत नहीं होती थी।


आज दिवाली का मौका निकाल कर कर रहा हूं। शादी में आपको आना है। बिटिया को आशीर्वाद देने। रिश्ता जोड़ा है आपने। मुझे यकीन है आप आएंगे।


वो बोलता जा रहा था, मैं सुनता जा रहा था। सोचा नहीं था कि सचमुच उसकी ज़िंदगी में भी पैसों पर रिश्ता भारी पड़ेगा।


लेकिन मेरा कहा सच साबित हुआ। आदमी भावनाओं से संचालित होता है। कारणों से नहीं। कारण से तो मशीनें चला करती हैं


पसंद आए तो अपनें अज़ीज़ दोस्तों को जरुर भेजें एंव इनसांनीयत की भावना को आगे बढ़ाएँ


👉पैसा इन्सान के लिए बनाया गया है, इन्सान पैैसै के लिए नहीं बनाया गया है।👈


आपका आभारी

Kailash Chandra Ladha

बुधवार, 19 अक्तूबर 2016

सौंफ के सेवन से आपका शुक्र गृह मजबूत होता है


सौंफ :शुक्र गृह मजबूत : 
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सौंफ हम रोज़ तो इस्तेमाल करते है , पर क्या आपको पता है की सौंफ के सेवन से आपका शुक्र गृह मजबूत होता है , साथ में सौंफ में Calcium भी होता है जिससे आपकी हड्डियों को फायदा होता है , और अगर आप Acidity या खाने के बाद जी मिचलाने की शिकायत से झूझ रहे है तो सौंफ रामबाण है आपके लिए , खाने के बाद 1 बड़ा चमच सौंफ या तो मिस्री के साथ ले या मिस्री के बिना भी ले सेकते है , Acidity की समस्या धीरे धीरे कम होने लगेगी , सौंफ को गुड के साथ सेवन करें जब आप घर से किसी काम के लिए निकाल रहे हो , इससे आपका मंगल गृह आपका काम पूरा करने में साथ देता है |
* दालचीनी : अगर किसी का मंगल और शुक्र कुपित है , तो थोड़ी सी दालचीनी को शहद में मिलाकर ताज़े पानी के साथ ले , इससे आपकी शरीर में शक्ति बढ़ेगी और सर्दियों में कफ की समस्या कम परेशान करती है |
* काली मिर्च : काली मिर्च के सेवन से हमारा शुक्र और चंद्रमा अच्छा होता है , इसके सेवन से कफ की समस्या कम होती है और हमारी स्मरण शक्ति भी बढ़ती है , तांबे के किसी बर्तन में काली मिर्च डालकर dining table पर रखने से घर को नज़र नहीं लगती |

सौंफ के लाभ
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सौंफ में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जिनका सेवन करने से स्वास्‍थ्‍य को फायदा होता है। सौंफ हर उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद होती है। सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, आयरन, पोटैशियम जैसे तत्व पाये जाते हैं। सौंफ का फल बीज के रूप में होता है और इसके बीज को प्रयोग किया जाता है। पेट की समस्याओं के लिए सौंफ बहुत फायदेमंद होता है। आइए जानते हैं सौंफ खाना स्वास्‍थ्‍य के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है।

सौंफ खाने से पेट और कब्ज की शिकायत नहीं होती। सौंफ को मिश्री या चीनी के साथ पीसकर चूर्ण बना लीजिए, रात को सोते वक्त लगभग 5 ग्राम चूर्ण को हल्केस गुनगने पानी के साथ सेवन कीजिए। पेट की समस्या नहीं होगी व गैस व कब्ज दूर होगा।

आंखों की रोशनी सौंफ का सेवन करके बढ़ाया जा सकता है। सौंफ और मिश्री समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लीजिए। इससे आंखों की रोशनी बढती है।

डायरिया होने पर सौंफ खाना चाहिए। सौंफ को बेल के गूदे के साथ सुबह-शाम चबाने से अजीर्ण समाप्त होता है और अतिसार में फायदा होता है।

खाने के बाद सौंफ का सेवन करने से खाना अच्छे से पचता है। सौंफ, जीरा व काला नमक मिलाकर चूर्ण बना लीजिए। खाने के बाद हल्के गुनगुने पानी के साथ इस चूर्ण को लीजिए, यह उत्तम पाचक चूर्ण है।

खांसी होने पर सौंफ बहुत फायदा करता है। सौंफ के 10 ग्राम अर्क को शहद में मिलाकर लीजिए, इससे खांसी आना बंद हो जाएगा।

यदि आपको पेट में दर्द होता है तो भुनी हुई सौंफ चबाइए इससे आपको आराम मिलेगा। सौंफ की ठंडाई बनाकर पीजिए। इससे गर्मी शांत होगी और जी मिचलाना बंद हो जाएगा।

यदि आपको खट्टी डकारें आ रही हों तो थोड़ी सी सौंफ पानी में उबालकर मिश्री डालकर पीजिए। दो-तीन बार प्रयोग करने से आराम मिल जाएगा।

हाथ-पांव में जलन होने की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया कूट-छानकर, मिश्री मिलाकर खाना खाने के पश्चात 5 से 6 ग्राम मात्रा में लेने से कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है।

अगर गले में खराश हो जाए तो सौंफ चबाना चाहिए। सौंफ चबाने से बैठा हुआ गला भी साफ हो जाता है।

रोजाना सुबह-शाम खाली सौंफ खाने से खून साफ होता है जो कि त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इससे त्वचा में चमक आती है

अकाल मृत्यु से रक्षा करता है धनतेरस का दीपदान

अकाल मृत्यु से रक्षा करता है धनतेरस का दीपदान
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धनतेरस के दिन खरीदारी में इतने व्यस्त न हो जाएं कि शाम के समय दीपदान करना भूल जाएं। धनतेरस की शाम में दीपदान का बड़ा ही महत्व है। शास्त्रों में बताया गया है कि धनतेरस के दिन संध्या के समय दीपदान जरूर करना चाहिए। इससे यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु से बचाव होता है।

इस संदर्भ में कथा है कि, एक बार यमराज ने यमदूतों से कहा लोगों के प्राण हरते समय तुम्हें कभी दुःख हुआ है अथवा नहीं। इस पर यमदूत ने कहा कि एक बार एक राजकुमार के प्राण हरते समय हमें बहुत दुःख हुआ था। राजकुमार की शादी के चार ही दिन हुए थे। राजकुमार की मृत्यु से राजमहल में चित्कार और हाहाकार मच गयी। नववधू का विलाप देखकर हमारा हृदय हमें धिक्कारने लगा। इसके बाद यमदूतों ने यमराज से पूछा कि हे यमदेव कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे प्राणी की अकाल मृत्यु न हो। यमराज ने कहा कि 'जो व्यक्ति धनतेरस के दिन मेरे नाम से दीप जलाकर मुझे स्मरण करेगा उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं सताएगा।'

यमदीप के संदर्भ में एक अन्य कथा भी प्रचलित है कि, प्राचीन काल में एक हिम नामक राजा हुए। विवाह के कई वर्षों बाद इन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। ज्योतिषियों ने जब राजकुमार की कुण्डली देखी तो कहा कि विवाह के चौथे दिन राजकुमार की मृत्यु हो जाएगी। राजा रानी इस बात को सुनकर दुःखी हो गये। समय बितता गया और राजकुमार की शादी हो गयी। विवाह का चौथा दिन भी आ गया।

राजकुमार की मृत्यु होने के भय से सभी लोग सहमे हुए थे। लेकिन राजकुमार की पत्नी चिंता मुक्त थी। उसे मां लक्ष्मी की भक्ति पर पूरा विश्वास था। शाम होने पर राजकुमार की पत्नी ने पूरे महल को दीपों से सजा दिया। इसके बाद मां लक्ष्मी के भजन गाने लगी। यमदूत जब राजकुमार के प्राण लेने आये तो मां लक्ष्मी की भक्ति में लीन राजकुमार की पतिव्रता पत्नी को देखकर महल में प्रवेश करने का साहस नहीं जुटा पाये। यमदूतों के लौट जाने पर यमराज स्वयं सर्प का रूप धारण करके महल में प्रवेश कर गये।

सर्प बने यमराज जब राजकुमारी के कक्ष के समाने पहुंचे तब दीपों की रोशनी और लक्ष्मी मां की कृपा से सर्प की आंखें चौंधिया गयी और सर्प बने यमराज राजकुमारी के पास पहुंच गये। राजकुमारी के भजनों में यमराज ऐसे खोये की उन्हें पता ही नहीं चला कि कब सुबह हो गयी। राजकुमार की मृत्यु का समय गुजर जाने के बाद यमराज को खाली हाथ लौटना पड़ा और राजकुमार दीर्घायु हो गया। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन से धनतेरस के दिन यमदीप जलाने की परंपरा शुरू हुई।

रोजमर्रा की आदतें से सुधारे अपने गृह :


Modify your planets from everyday habits:


* अगर आपको कही पर भी थूकने की आदत है , यह तो निश्चित है की आपको यश , सम्मान अगर मुश्किल से मिल भी जाता है तो कभी टिकेगा नहीं चाहे कुछ भी कर ले , इससे बचने के लिए wash basin में ही यह काम कर आया करे ।
* जिन लोगो को अपनी झूठी थाली या बर्तन वही उसी जगह पर छोड़ने की आदत होती है उनको सफलता कभी भी स्थायी रूप से नहीं मिलती , बहुत मेहनत करनी पड़ती है , और ऐसे लोग अच्छा नाम नहीं कमा पाते , और इनके आस पास काम करने वाले लोग इनसे जितना हो सकता है बचते है इनसे बात करने में । अगर आप अपने झूठे बर्तन को उठाकर उनकी सही जगह पर रख आते है या खुद ही साफ़ कर लेते है तो चन्द्रमा , शनि का आप सम्मान करते है ।
* जब भी हमारे घर पर कोई भी बहार से आये , चाहे मेहमान हो या कोई काम करने वाला ,

उसे स्वच्छ पानी जरुर पिलाए , ऐसा करने से हम राहू गृह का सम्मान करते है , जो लोग बहार से आने वाले लोगो तो स्वच्छ पानी हमेशा पिलाते है उनके घर में कभी भी राहू का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता ।
* घर के पौधे आपके अपने परिवार के सदस्य जैसे ही होते है , उन्हें भी प्यार और थोड़ी देखबाल की जरुरत होती है , तो जिस घर में सुबह उठकर पौधों को पानी दिया जाता है तो हम बुध , सूर्य और चन्द्रमा का सम्मान करते हुए परेशानियों से डटकर लड़ पाते है , जो लोग नियमित रूप से पौधों को पानी देते है , उन लोगो को depression , anxiety जैसी परेशानियां नहीं जल्दी से पकड़ पाती ।
* अगर नहाने के बाद bathroom में आप अपने कपडे इधर उधर फेंक आते है , या फिर पूरे bathroom में पानी बिखराकर आ जाते है तो आपका चन्द्रमा किसी भी स्तिथि में आपको अच्छे फल देगा ही नहीं और हमेशा बुरा परिणाम देगा , आपके शारीर से सारा ओज निकाल देगा , personality attractive बिलकुल नहीं रहेगी और आप हमेशा dull देखेंगे , इसीलिए पानी को हमेशा निथारना चाहिए ।

* जो लोग बहार से आकर अपने चप्पल , जूते , मोज़े इधर उधर फेंक देते है , उन्हें उनके शत्रु बड़ा परेशान करते है , इससे बचने के लिए अपने चप्पल जूते करीने से लगाकर रखे , आपकी प्रतिष्ठा बनी रहेगी ।
* जिन लोगो का रहू और शनि खराब होगा , जब ऐसे लोग अपना बिस्तर छोड़ेंगे तो उनका बिस्तर हमेशा फैला हुआ होगा , सलवटे ज्यादा होंगी , चादर कही , तकिया कही , कम्बल एक तरफ , उसपर ऐसे लोग अपने पुराने पहेने हुए कपडे तक फैला कर रखते है , ऐसे लोगो की पूरी दिनचर्या कभी भी व्यवस्थित नहीं रहती , जिसकी वजह से खुद भी परेशान रहते है और दूसरों को भी परेशान करते है , इससे बचने के लिए उठाते ही अपना बिस्तर सही तरीके से लगाये और सब कुछ समेट दे ।



* पैरो की सफाई पर हम लोगों को ख़ास ध्यान देना चाहिए हर वक्त , जो हम में से बहुत सारे लोग भूल जाते है , नहाते समय अपने पैरो को अच्छी तरह से धोये , कभी भी बहार से आये तो पांच मिनट रुक कर मुह और पैर धोये , आप खुद यह पाएंगे की आपको चिडचिडापन कम होता है , दिमाग की शक्ति बढेगी और क्रोध धीरे धीरे कम होने लगेगा ।

हत्था जोड़ी (Hatha Jodi)

हत्था जोड़ी (Hatha Jodi)
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हत्था जोड़ी एक वनस्पति है. एक विशेष जाती का पौधे की जड़ खोदने पर उसमे मानव भुजा जैसी दो शाखाये दिख पड़ती है, इसके सिरे पर पंजा जैसा बना होता है. उंगलियों के रूप में उस पंजे की आकृति ठीक इस तरह की होती है जैसे कोई मुट्ठी बंधे हो. जड़ निकलकर उसकी दोनों शाखाओ को मोड़कर परस्पर मिला देने से कर बढ़ता की स्थिथि आती है, यही हत्था जोड़ी है. इसकी पौधे प्राय मध्य प्रदेश में होते है, जहा वनवासी जातियों की लोग इसे निकलकर बेच दिया करते है.
हत्था जोड़ी यह बहुत ही शक्तिशाली व प्रभावकारी वस्तु है यह एक जंगली पौधे की जड़ होती है मुकदमा ,शत्रु संघर्ष ,दरिद्रता ,व दुर्लभ आदि के निवारण में इसके जैसी चमत्कारी वस्तु आज तक देखने में नही आई इसमें वशीकरण को भी अदुभूत टकक्ति है , भूत दृप्रेत आदि का भय नही रहता यदि इसे तांत्रिक विधि से सिध्द कर दिया जाए तो साधक निष्चित रूप से चामुण्डा देवी का कृपा पात्र हो जाता है यह जिसके पास होती है उसे हर कार्य में सफलता मिलती है धन संपत्ति देने वाली यह बहुत चमत्कारी साबित हुई है तांत्रिक वस्तुओं में यह महत्वपूर्ण है
हत्था जोड़ी में अद्भुत प्रभाव निहित रहता है, यह साक्षात चामुंडा देवी का प्रतिरूप है. यह जिसके पास भी होगा वह अद्भुत रुप से प्रभावशाली होगा. सम्मोहन, वशीकरण, अनुकूलन, सुरक्षा में अत्यंत गुणकारी होता है, हत्था जोड़ी.
होली की रात को कुंए के पास जाकर थोड़ी मिट्टी खोद कर उसकी एक गणेशजी की मूर्ति बनाएं। उसके ऊपर सिंदूर से लेपन कर रातभर उसका अभिषेक-पूजन करें। सुबह आरती के बाद विसर्जन कर दें। इससे प्रयोग से भी शीघ्र ही धन लाभ होने लगता है।
हत्था जोड़ी जो की एक महातंत्र में उपयोग में लायी जाती है और इसके प्रभाव से शत्रु दमन तथा मुकदमो में विजय हासिल होती है !
मेहनत और लगन से काम करके धनोपार्जन करते हैं फिर भी आपको आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो आपको अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उपाय करना चाहिए। इसके लिए किसी भी शनिवार अथवा मंगलवार के दिन हत्था जोड़ी घर लाएं। इसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर घर में किसी सुरक्षित स्थान में अथवा तिजोरी में रख दें। इससे आय में वृद्घि होगी एवं धन का व्यय कम होगा।
तिजोरी में सिन्दूर युक्त हत्था जोड़ी रखने से आर्थिक लाभ में वृद्धि होने लगती है.
हाथा जोड़ी एक जड़ है। होली के पूर्व इसको प्राप्त कर स्नान कराकर पूजा करें तत्पश्चात तिल्ली के तेल में डूबोकर रख दें। दो हफ्ते पश्चात निकालकर गायत्री मंत्र से पूजने के बाद इलायची तथा तुलसी के पत्तों के साथ एक चांदी की डिब्बी में रख दें। इससे धन लाभ होता है।हाथा जोड़ी को इस मंत्र से सिद्ध करें-
ऊँ किलि किलि स्वाहा।

जल्द बन जाएगा खुद का घर

रविवार को करें रोटी-गुड़ का ये एक छोटा-सा अचूक उपाय, जल्द बन जाएगा खुद का घर
भूमि सुख हर किसी के किस्मत में नहीं होता... यदि खुद का घर बन भी जाता है, तो कई तरह की अड़चने आती हैं, इसकी वजह है ग्रहों का अशुभ होना...

हर कोई चाहता है उसका अपना खुद का घर हो, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद घर नहीं बन पाता। दरअसल, भूमि लाभ ग्रहों के शुभ फल पर निर्भर है। यदि कुंडली में मंगल, सूर्य कमजोर हैं...नीच के हैं या उन पर किसी पाप ग्रहों की नजर है, तो घर नहीं बनने देते। अक्सर आपने देखा होगा कि कुछ लोगों के एक नहीं, बल्कि कई घर होते हैं...कई प्लॉट होते हैं। ऐसे लोगों के ग्रह बली होते हैं। वैसे भी मौजूदा दौर में मकान बनाना बहुत मुश्किल हो रहा है। यदि आप सालों से किराए के मकान में रह रहे हैं। खुद का घर नहीं बन रहा है। वैसे ऐसा तो नहीं होगा कि आप घर खरीदने या बनाने के बारे में सोचते न हो या प्लालिंग न करते हों, लेकिन कोई न कोई अड़चन आ जाती है, जिसके चलते सारी योजना धरी की धरी रह जाती है। इसका मतलब यह है कि आपकी कुंडली में ग्रह अशुभ हैं, जो खुद के घर का सुख नहीं दे रहे हैं। ऐसे में एक ऐसा अचूक उपाय है, जिसे करने से मंगल और सूर्य मजबूत होंगे और घर बनने या खरीदने में आ रही बाधाएं स्वत: ही दूर हो जाएंगी।

यदि कुंडली में गुरु नीच का है, मंगल दुश्मन घर मेें बैठा है और सूर्य पर राहु-केतु की नजर है, तो निश्चित ही घर बनने में बाधा आएगी। ऐसे में ग्रहों को शुभ बनाने के लिए आपको कम से कम लगातार 21 रविवार को एक उपाय करना होगा। रविवार को सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले भगवान सूर्य को अद्र्ध दें। तांबे के लोटे में शुद्ध जल, थोड़ा गंगाजल, अक्षत, लाल गुलाब की पंखुडिय़ां, हल्का सिंदूर, चीनी मिलाकर सूर्य को अद्र्ध दें। ध्यान रहे कि अद्र्ध जब दें, तो आपकी नजरें लोटे से नीचे की ओर गिर रही धार पर हो ना कि सूर्य भगवान की ओर...। ये भी ध्यान रखें कि पानी के छींटें पैरों पर न आएं। अद्र्ध देते समय ओम घृणि सूर्याय नम: मंत्र बोलते रहें।

इसके बाद घर में एक ताजे आटे की रोटी बनवाएं। रोटी जब ठंडी हो जाए, तो उसमें पुराने गुड़ की एक साबुत भेली रख लें और किसी गौशाला में जाकर लाल गया को खिला दें। ध्यान रखें रोटी-गुड़ गाय के सामने फेंके नहीं, बल्कि हाथ से गाय को खिलाएं। इसके बाद हाथ जोड़कर गाय को प्रणाम करें और गाय के पैर पड़ें। यह उपाय लगातार करें। आप देखेंगे कि अचानक आपके घर बनने की योजना शुरू होगी और कोई बाधा भी नहीं आएगी। इस उपाय का एक और फायदा यह है कि यदि आपका घर इस उपाय के करने से बनता है, तो आपकों घर के लिए आर्थिक तंगी का सामना कभी नहीं करना पड़ेगा। यदि आप लोन लेकर घर बनाएंगे या बना हुआ खरीदेंगे, तो इसके लोन चुकाने में भी आपकों कभी कोई परेशानी नहीं आएंगी। तो देर किस बात की, कल है रविवार और बेहद शुभ मुहूर्त भी हैं। नवरात्रों का समय है। अष्टमी है...हर तरफ कन्या पूजी जाएंगी और आप यह उपाय शुरू कर सपनों के आशियानें की नींव रख सकते हैं।

वशीकरण, भूल कर भी मिसयूज न करें

तीन इलायची के इस सरल उपाय से होता है वशीकरण, भूल कर भी मिसयूज न करें

अगर आप किसी को चाहते हैं लेकिन उसका आपके प्रति प्यार कम हो गया है तो यह उपाय खास आपके लिए ही है। यह एक छोटा सा तांत्रिक टोटका है जिसे करते ही असर दिखता है।

इसके लिए आप भगवान् श्रीकृष्ण के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करते हुए तीन इलायचियां लें। इन इलायाचियों को अपने शरीर से लगाकर शुक्रवार के दिन छुपा दे। इन इलायचियों को इस तरह छिपाएं कि ये किसी को न दिखें, चाहे तो इनको रूमाल में बांधकर भी रख सकते हैं।

अब अगले दिन यानि शनिवार को एक इलायची को पीसकर उसे खिला दें जिसे आप प्यार करते हैं लेकिन वो आपको अब प्यार नहीं करता। ऐसा लगातार तीन दिन तक करने से आपको तुरंत ही असर दिखने लगेगा। लेकिन इस उपाय को कभी भी किसी पराई स्त्री/ पुरुष पर करने का प्रयास नहीं करें वरना इस टोटके का असर उल्टा होकर आपका ही नुकसान भी हो सकता है

मनुष्य की प्रत्येक समस्या इन टोने- टोटकों से दूर हो सकती है


तंत्र की किताबों में लिखे हैं ये 5 टोटके, कुछ ही घंटों में दिखता है असर
कई बार जीवन में ऐसी समस्याएं आती हैं जो आसानी से दूर नहीं होती लेकिन एक मामूली टोटके से तुरंत ही आराम मिल जाता है। तांत्रिकों के अनुसार मनुष्य की प्रत्येक समस्या इन टोने- टोटकों से दूर हो सकती है बशर्ते सही ढंग से और सही समय पर किया जाए। आपके लिए यहां प्रस्तुत हैं कुछ ऎसे ही टोटके जिनसे आप न केवल धनी और सफल बन सकते हैं वरन अपने प्रेमी, पति-पत्नी को भी वश में कर सकते हैं।

ऐसे दूर करें पति-पत्नी के झगड़ें

रात में सोते समय पत्नी के पलंग पर देसी कपूर तथा पति के पलंग पर कामिया सिंदूर रखना चाहिए। अगले दिन सुबह सूर्योदय के समय पति को देसी कपूर जला देना चाहिए तथा पत्नी को सिंदूर को घर में फैला देना चाहिए। यह एक तीव्र तांत्रिक उपाय है, इससे कुछ ही दिनों में पति-पत्नी का आपसी झगड़ा पूरी तरह खत्म हो जाता है।

यदि पति-पत्नी के संबंध तलाक तक पहुंच गए हों

बरगद का हरा पत्ता लेकर उस पर लाल चंदन को गंगा जल में घिसकर संबंधित व्यक्ति का नाम लिखें। इसके बाद पत्ते पर लाल गुलाब की पत्तियां रख दें और इन सबको बारीक पीस लें। जिस व्यक्ति का नाम लिखा है, उसके नाम में जितने अक्षर हैं, इस बारीक बुरादे की उतनी ही गोलियां बना लें। रोजाना एक गोली नियम से उस व्यक्ति/ महिला के घर के मेन गेट पर फेंक दें। जल्दी ही दोनों के बीच विछोह दूर होकर आपसी संबंध अनुकूल होंगे तथा वापिस मिलन होगा।

सभी को वश में करने तथा उन पर राज करने के लिए

सफेद आंकड़े के फूल को छाया में सुखा लें। इसके बाद कपिला गाय यानी सफेद गाय के दूध में मिलाकर इसे पीस लें और इसका तिलक लगाएं। ऐसा करने पर व्यक्ति का समाज में वर्चस्व हो जाता है।

अगर बॉस या व्यापारिक दुश्मन परेशान करता है

एक सफेद रंग का आधा मीटर कपड़ा लें। उस पर काजल से उस व्यक्ति का नाम केवल तर्जनी उंगली से ही लिखें। इसके बाद उस व्यक्ति के नाम में जितने अक्षर हों, उस पर उतनी ही बार थूकने से तुरंत आराम आ जाएगा।

हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए

अगर भगवान को पूरी तरह खुश करना चाहते हैं तो अपनी ऊंचाई के अनुसार नाल को गांठ बांधकर नारियल पर लपेटकर उस पर केसर या सिंदूर से स्वातिक बनाकर हनुमान चालीसा पढ़कर हनुमान जी को चढाएं।

तीन झाड़ू का दान और बन सकते हैं धनवान



तीन झाड़ू का दान और बन सकते हैं धनवान
यदि आप पैसों की तंगी से परेशान है। धन कमाने के आपके सभी प्रयास विफल हो जातेे है तो रविवार या सोमवार के दिन बाजार से तीन झाड़ू खरीदकर लाएं। अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में सभी नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं। इसके बाद अपने घर के आसपास किसी मंदिर में वह तीनों झाड़ू रख आएं। ध्यान रहे झाड़ू ले जाते समय और मंदिर रखते समय आपको कोई देखे नहीं। यदि किसी ने आपको देख लिया तो इस उपाय का प्रभाव समाप्त होने संभावना रहती है। यदि यह उपाय ठीक से कर लिया जाएगा तो शीघ्र ही पैसा से जुड़ी तमाम समस्याएं दूर हो जाएंगी। ध्यान रखें इसके साथ आपको अपने प्रयास भी करने पड़ेंगे।
धन लाभ के लिए शनिवार की शाम को माह (उड़द) की दाल के दाने पर थोड़ी सी दही और सिंदूर डालकर पीपल के नीचे रख आएं। वापस आते समय पीछे मुड़कर नहीं देखें। यह क्रिया शनिवार को ही शुरू करें और 7 शनिवार को नियमित रूप से किया करें, धन की प्राप्ति होने लगेगी।
अगर घर में खर्च कम होने का नाम नहीं ले रहा हो तो हाथ में काला तिल लेकर इसे घर के सभी लोगों के सिर के ऊपर उसार कर उसे घर के उत्तर दिशा में फेंक दीजिए.
. घर में बरकत होने लगेगी.

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