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सोमवार, 31 दिसंबर 2018

११ बातें जो हर हिंदू को ज्ञात होनी चाहीये

*११ बातें जो हर हिंदू को ज्ञात होनी चाहीये:-*

*१) क्या भगवान राम या भगवान कृष्ण कभी इंग्लंड के हाऊस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य रहे थे? नहीं ना? फिर ये क्या लॉर्ड रामा, लॉर्ड कृष्णा लगा रखा है? सीधे सीधे भगवान राम, भगवान कृष्ण कहियेगा।*

*२) किसी की मृत्यू होने पर "RIP" मत कहिये. कहीये "ओम शांती", "सदगती मिले", अथवा "मोक्ष प्राप्ती हो"। आत्मा कभी एक स्थान पर आराम या विश्राम नहीं करती। आत्मा का पुनर्जन्म होता है अथवा उसे मोक्ष मिल जाता है।*

*३) अपने रामायण एवं महाभारत जैसे ग्रंथों को मायथॉलॉजी मत कहियेगा। ये हमारा गौरवशाली इतिहास है और राम एवं कृष्ण हमारे ऐतिहासिक देवपुरुष हैं, कोई मायथोलॉजिकल कलाकार नहीं।*

*४) मूर्ती पूजा के बारे में कभी अपराधबोध न पालें यह कहकर की "अरे ये तो केवल प्रतीकात्मक है। "सारे धर्मों में मूर्तीपूजा होती है, भले ही वह ऐसा न कहें। कुछ मुर्दों को पूजते हैं कुछ काले पत्थरों को कुछ लटके हुए प्रेषितों को।*

*५) गणेशजी और हनुमानजी को "Elephant god" या "Monkey god" न कहें। वे केवल हाथीयों तथा बंदरों के देवता नहीं है। सीधे सीधे श्री गणेश एवं श्री हनुमानजी कहें।*

*६) हमारें मंदिरों को प्रार्थनागृह न कहें। मंदिर देवालय होते हैं, भगवान के निवासगृह। वह प्रार्थनागृह नहीं होते. मंदिर में केवल प्रार्थना नहीं होती।*

*७) अपने बच्चों के जन्मदिनपर दीप बुझाके अपशकुन न करें. अग्निदेव को न बुझाएं। अपितु बच्चों को दीप की पार्थना सिखाएं "तमसो मा ज्योतिर्गमय" (हे अग्नि देवता, मुझे अंधेरे से उजाले की ओर जाने का रास्ता बताएं". ये सारे प्रतीक बच्चों के मस्तिष्क में गहरा असर करते हैं।*

*८) कृपया "spirituality" और "materialistic" जैसे शब्दों का उपयोग करने से बचें. हिंदूओं के लिये सारा विश्व दिव्यत्व से भरा है। "spirituality" और "materialistic" जैसे शब्द अनेक वर्ष पहले युरोप से यहां आये जिन्होंने चर्च और सत्ता मे फरक किया था। या विज्ञान और धर्म में, इसके विपरित भारतवर्ष में ऋषीमुनी हमारे पहले वैज्ञानिक थे और सनातन धर्म का मूल विज्ञान में ही है। यंत्र, तंत्र, एवं मंत्र यह हमारे धर्म का ही हिस्सा है।*

*९) "Sin" इस शब्द के स्थान पर "पाप" शब्द का प्रयोग करें। हम हिंदूओं मे केवल धर्म (कर्तव्य, न्यायपरायणता, एवं प्राप्त अधिकार) और अधर्म (जब धर्मपालन न हो) है. पाप अधर्म का हिस्सा है।*

*१०) ध्यान के लिये 'meditation' एवं प्राणायाम के लिये 'breathing exercise' इन संज्ञाओं का प्रयोग न करें, यह बिलकुल विपरीत अर्थ ध्वनित करते हैं।*

*११) क्या आप भगवान से डरते है? नहीं ना? क्यों? क्योंकि भगवान तो चराचर मे विद्यमान हैं। इतना ही नहीं हम स्वयं भगवान का ही रूप हैं। भगवान कोई हमसे पृथक नहीं जो हम उनसे डरें, तो फिर अपने आप को "God fearing" अर्थात भगवान से डरने वाला मत कहीये।*

*ध्यान रहे, विश्व मे केवल उनका सम्मान होता है जो स्वयं का सम्मान करते है।*

क्या आप जानते हैं कि ये रूस का यूक्रेन से झगड़ा क्या है ?

क्या आप जानते हैं कि ये रूस का यूक्रेन से झगड़ा क्या है
हुआ दरअसल ये था ,कि USSR के जमाने में , जब ये सारे देश जिन्हें Russian Block कहा जाता है , रूस के कब्जे में थे तो रूस की Communist सरकार ने जो पहला काम किया वो इन भौगोलिक क्षेत्रों की अपनी देसी भाषाओं को सुनियोजित तरीके से खत्म कर उनपे रूसी थोप दी । शिक्षा व्यवस्था में और आम सामाजिक जीवन , रहन सहन बोल चाल में लोग अपनी देसी बोलियाँ भाषाएं भूल गए और रूसी हो गए । फिर उसके बाद अगला हमला हुआ खानपान और वेश भूषा पे ........ धीरे धीरे लोग अपनी Ethnic Nationalties भूल के रूसी बन गए ।
कालांतर में गोर्बाचेव के युग में जब ये पूरा Russian Block आज़ाद हुआ तो Cremia और सामरिक व्यापारिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण उसका Port यूक्रेन में चला गया ।

रूसी President पुतिन ने 2012 में Cremia पे वापस कब्जा करने का प्लान बनाया । वहां उसके पास सबसे बड़ा हथियार था वो Russian Speaking लोग , जो मूलतः थे तो यूक्रेन के , परंतु भाषा , खानपान , रहन सहन से रूसी हो गए थे , उनको पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह में खड़ा कर दिया । जनमत संग्रह हुआ और उस जनमत संग्रह में Russain Speaking लोगों ने यूक्रेन छोड़ रूस के साथ जाना तय किया , और इस तरह क्रीमिया यूक्रेन से अलग हो रूस के कब्जे में आ गया ।
अब समझ आया कि जब आपकी भाषा और मजहब बदलता है तो कैसे आपकी Nationality बदल जाती है ? कैसे आपकी आस्थाएँ बदल जाती हैं ?????? जब आप अपनी पारंपरिक वेशभूषा , खान पान , रहन सहन , रीति रिवाज़ भूल के कोई विदेशी रंग ढंग , रीति रिवाज़ अपनाने लगते है तो कैसे आपकी सोच बदलती है ???????

मैंने आजतक किसी हिंदी मीडियम , हिंदी इस्पीकिंग , या फिर किसी देसी आदमी को 25 Dec पे ये हूले लूइया हूले लूइया करते नही देखा ।
गांव देहात में किसी को 25 Dec को नकली पेड़ पूजते , नकली पेड़ पे लाइट लगा के नाचते नही देखा ।

ये चुल्ल सिर्फ शहरी , इंग्रेजी इंगलिसस्स मीडियम पढ़े , अपनी जड़ों से कटे जड़ विहीन लोगों को मचती है ।
एक नई पीढ़ी पैदा की है इस इंग्रेजी शिक्षा ने और इस इंग्रेजी टीवी  ने , जिसने हर विदेशी ब्रांड , बिदेसी कलाकार , बिदेसी Event , बिदेसी त्योहार के पीछे पागलों की तरह नाचते देखा है ।

गोरी चमड़ी के नाम पे Justin बीबर जैसा दो कौड़ी का C ग्रेड तो छोड़ो E , F या G ग्रेड भांड भी भारत मे show करके महफ़िल लूट लेता है ।

जिन मूर्खों ने ने भिंडी , गोभी और पनीर के अलावा ज़िंदगी मे कोई अन्य भारतीय भोजन नही खाया , वो जिनको घीया कद्दू तुरई परवल देख के घिन आती है , वो 600 रु का इतालवी पिज़्ज़ा ऐसे भकोसते हैं जैसे साक्षात महादेव का प्रसाद हो ......... जब आप केक काट के हैप्पी बड्डे मनाने लगें , नारियल फोड़ने की जगह फीता काटने लगें , जब किसी को हाथ से दाल भात खाता देख आपको घिन आने लगे , तो समझ लीजिये कि आपकी Nationality change हो रही है ।

अंग्रेजी भाषा बहुत अच्छी है ,तो उसे सिर्फ ज्ञानार्जन का माध्यम बनाइये , अंग्रेजियत से बचिए ।
इस सांस्कृतिक हूले लूइया से बचिए ।

1 जनवरी को नया वर्ष..??? "एक जनवरी को कैलेंडर बदलें.. अपनी संस्कृति नहीं

कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नही।
अपनी संस्कृति की झलक को अवश्य पढ़ें और साझा करें ।।
1 जनवरी को क्या नया हो रहा है ?????

* न ऋतु बदली.. न मौसम
* न कक्षा बदली... न सत्र
* न फसल बदली...न खेती
* न पेड़ पौधों की रंगत
* न सूर्य चाँद सितारों की दिशा
* ना ही नक्षत्र।।
1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व हो।
नया केवल एक दिन ही नही
कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है।
ईस्वी संवत का नया साल 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर:

1. प्रकृति-
एक जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी.. वही चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो I

2. मौसम,वस्त्र-

दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर.. लेकिन
चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है I

3. विद्यालयो का नया सत्र- दिसंबर जनवरी मे वही कक्षा कुछ नया नहीं..
जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल I

4. नया वित्तीय वर्ष-

दिसम्बर-जनबरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती.. जबकि 31 मार्च को बैंको की (audit) क्लोजिंग होती है नए बही खाते खोले जाते है I सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है I

5. कलैण्डर-

जनवरी में नया कलैण्डर आता है..
चैत्र में नया पंचांग आता है I उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं I इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग I

6. किसानो का नया साल- दिसंबर-जनवरी में खेतो में वही फसल होती है..
जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष और उत्साह I

7. पर्व मनाने की विधि-

31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर शराब पीते है, हंगामा करते है, रात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश..

जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है I शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है I

8. ऐतिहासिक महत्त्व- 1 जनवरी का कोई ऐतिहासिक महत्व नही है..
जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रम्हा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध इस दिन से है I

एक जनवरी को अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगो के अलावा कुछ नही बदला..
अपना नव संवत् ही नया साल है I
जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तिया, किसान की नई फसल, विद्यार्थीयों की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते है। जो विज्ञान आधारित है I
अपनी मानसिकता को बदले I विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने। स्वयं सोचे की क्यों मनाये हम 1 जनवरी को नया वर्ष..???

"एक जनवरी को कैलेंडर बदलें.. अपनी संस्कृति नहीं"
आओ जागेँ जगायेँ, भारतीय संस्कृति अपनायेँ और आगे बढ़े
हिन्दुत्व को जगाए
वन्दे मातरम

मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

भारत में क्रिसमस डे की जगह तुलसी पूजन दिवस की मची है धूम

🚩 *भारत में क्रिसमस डे की जगह तुलसी पूजन दिवस की मची है धूम*

24 दिसंबर 2018

🚩ईसाई समुदाय 25 दिसम्बर को क्रिसमस मनाते हैं, उसकी तैयारी पूर्व से होने लगती है, 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक क्रिसमस-डे मनाया जाता है, जिसमें त्यौहार के नाम पर दारू पीना, मांस खाना, पार्टी में दुष्कर्म करना, महिलाओं से छेड़छाड़ी करना आदि कृत्य होते हैं, ऐसे त्यौहार को कुछ भोले भारतवासी भी मनाने लगे थे पर अब धीरे-धीरे अपनी संस्कृति की तरफ लौट रहे हैं । भारतवासियों को लग रहा है कि क्रिसमस हमारी संस्कृति व सभ्यता को नष्ट कर देगी और हमारा जीवन बर्बाद कर देगी जिसकी वजह से क्रिसमस डे से उपराम हो रहे हैं ।

🚩पश्चिमी संस्कृति का क्रिसमस-डे मनाने जैसा त्यौहार नहीं है इसलिए भारत में ज्यादातर लोगों ने 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाने के लिए पहले से ही तुलसी पूजन शुरू कर दिया है, भारत ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी इस दिन को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाया जा रहा है ।

🚩नीचे दिए गए साइट पर http://www.ashram.org/Ashram/SevaActivities आप देख सकते हैं ,देश-विदेश में 25 दिसम्बर निमित्त तुलसी पूजन की धूम मची है ।

🚩ट्वीटर पर भी सोमवार को 25 दिसंबर तुलसी पूजन दिवस के निमित्त
#संस्कृति_की_ओर_बढ़ते_कदम हैशटैग के जरिये लगातार ट्वीट्स देखने को मिल रही हैं ।

🚩आइये जानते हैं कि क्या कहना चाह रहे हैं ये लोग ट्वीटर के माध्यम से...

🚩1. गार्गी पटेल लिखती हैं कि Sant Shri Asaram Bapu Ji ने एक विश्वव्यापी अभियान शुरू किया👉🏻  25 दिसम्बर को क्रिसमस की नहीं  तुलसी पूजन करने की दिशा में बढ़ाये कदम । #संस्कृति_की_ओर_बढ़ते_कदम।।
https://t.co/pEBFDZLKiE

🚩2 . जागो हिंदुस्तानी हैंडल से ट्वीट करके बताया गया कि देश में सुख शांति स्वास्थ्य सौहार्द से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो इस उद्देश्य से Sant Shri Asaram Bapu Ji ने 2014 से 25 दिसंबर को तुलसी पूजन शुरू करवाया। अब करोड़ों लोग मनाते हैं।
#संस्कृति_की_ओर_बढ़ते_कदम
https://t.co/IlbCV9nb0u

🚩3. प्रेम चौधरी ने लिखा है कि वृंदा अभियान चला रहा है एक अभियान घर-घर लगाओ तुलसी क्योंकि तुलसी है प्रकृति का अनमोल उपहार । आओ मनाएं
25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस । #संस्कृति_की_ओर_बढ़ते_कदम।
https://t.co/7WEUmagTMC

🚩4. महिला उत्थान मंडल के हैंडल से ट्वीट करके बताया है कि Sant Shri Asaram Bapu Ji  ने 25 दिसंबर को भारतीय संस्कृति की धरोहर तुलसी माता का पूजन करने की अनोखी पहल की थी, जिसकी शुरुआत महिला उत्थान मंडल अहमदाबाद की बहनों ने पूरे देश में कर चुकी हैं
#संस्कृति_की_ओर_बढ़ते_कदम
https://t.co/YZCTtwfcxm

🚩5. दीपिका लिखती हैं कि ना तुम ईसाई, न मैं ईसाई, फिर क्यों क्रिसमस की बधाई! इस 25 दिसम्बर, आओ मनाएँ Sant Shri Asaram Bapu Ji द्वारा प्रेरित तुलसी पूजन दिवस।
#संस्कृति_की_ओर_बढ़ते_कदम
https://t.co/hu4NXgRPnc

🚩इसी प्रकार से आज हजारों ट्वीटस हमें देखने को मिली । जिसमें सभी लोग क्रिसमस नहीं बल्कि तुलसी पूजन दिवस मनाने की बात कहने के साथ-साथ खुद की तुलसी पूजन करके फोटोज भी अपलोड कर रहे हैं ।

🚩केवल भारत के ही लोग नहीं , बल्कि कैलिफोर्निया, दुबई आदि से भी लोग तुलसी पूजन करके ट्वीटस कर रहे हैं ।

🚩आपको बता दें कि 25 दिसम्बर से 1 जनवरी के दौरान शराब आदि नशीले पदार्थों का जमकर सेवन होता है, जिससे आत्महत्या जैसी घटनाएँ, युवाधन की तबाही एवं अवांछनीय कृत्य खूब होते हैं इसलिए देश में सुख, सौहार्द, शांति बढ़े व जन-समाज का जीवन स्वस्थ और मंगलमय हो इस उद्देश्य से हिन्दू संत आसाराम बापू की प्रेरणा से वर्ष 2014 से 25 दिसम्बर को ‘तुलसी पूजन दिवस मनाना प्रारम्भ हुआ । इस पर्व को जनता ने भी खूब सराहा और इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की । इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी गयी ।
http://www.ashram.org/Ashram/SevaActivities

🚩#तुलसी #पूजन से #बुद्धिबल, #मनोबल, #चारित्र्यबल व #आरोग्यबल #बढ़ता है । #मानसिक #अवसाद, #दुर्व्यसन, #आत्महत्या आदि से लोगों की #रक्षा होती है और लोगों को #भारतीय #संस्कृति के इस सूक्ष्म #ऋषि-विज्ञान का लाभ मिलता है ।

🚩विदेशों में भी होती है तुलसी पूजा-

मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी #तुलसी को #पूजनीय व शुभ माना गया है। ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन नूतन वर्ष भाग्यशाली हो इस भावना से चढ़ायी गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थीं।

🚩तुलसी पूजन की शास्त्रों में महिमा
अनेक व्रतकथाओं, धर्मकथाओं, पुराणों में तुलसी महिमा के अनेकों आख्यान हैं ।

🚩#वैज्ञानिक भी #तुलसी को #मानते है लोहा...

डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधानों से यह सिद्ध हुआ है कि ‘#तुलसी में #एंटी ऑक्सीडंट गुणधर्म है और वह आण्विक विकिरणों से क्षतिग्रस्त कोशों को स्वस्थ बना देती है । कुछ रोगों एवं जहरीले द्रव्यों, विकिरणों तथा धूम्रपान के कारण जो कोशों को हानि पहुँचानेवाले रसायन शरीर में उत्पन्न होते हैं, उनको तुलसी नष्ट कर देती है ।

🚩अतः विष्णुप्रिया तुलसी हर घर में होनी चाहिए । सभी लोग संकल्प लें कि #25 दिसम्बर को #तुलसी जी की #पूजा करके उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करेंगे ।

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गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

लिवर क्या है ? लिवर ( यकृत / जिगर ) के कार्य

*लिवर क्या है ? लिवर ( यकृत / जिगर ) के कार्य :*

*यकृत ( लिवर ) का एक अन्य पर्यायवाची जिगर भी होता है । यह शरीर का सबसे बड़ा अंग है , जिसका वज़न तीन से चार पाउंड के लगभग होता है । यह वक्ष के डायफ्राम के नीचे दाईं ओर स्थित होता है , जिसे चिकित्सकीय भाषा में राइट हाइपोकार्डियक रीज़न कहते हैं । इससे पित्ताशय जुड़ा होता है जिसकी नलियां इकट्ठी होकर यकृतीय नलिका से मिल जाती हैं । यह नलिका ग्रहणी ड्यूओडिनम ) तक पित पहुंचाती है । पित एक पीले रंग का तरल पदार्थ होता है जिसमें श्लेष्मा , जल और विशेष लवण ( पित लवण ) का मिश्रण होता है । भोजन को पचाने में पित्त की अहम भूमिका रहती है । पित्त , वसा और तेलों का विघटन करके छोटी - छोटी बूंदों में बदल देता है । यकृत में यदि पित बनता रहे और भोजन के पाचन में प्रयुक्त न हो पाए तो पित्त जमा होता रहता है और पित्त की थैली में एकत्र होकर पित - पथरी का रूप धारण कर लेता है । खपत से अधिक पित्त का उत्पादन और शरीर द्वारा उसका पर्याप्त उपयोग न कर पाना या पित्त पथरी होने पर पित्त का मार्ग अवरुद्ध होने पर पीलिया रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है । पित का अबाधित प्रवाह यदि छोटी आंत तक न हो सके तो पाचन क्रिया में तेजाबी अंश बढ़ जाता है । इस कारण शरीर में गर्मी की मात्रा बढ़ जाती है । इस कारण पेट के अनेक विकार हो सकते हैं , गैस बनने लगती है , स्त्रियों में प्रदर हो सकता है और पुरुषों में नपुसकता हो सकती है । इस असंतुलन के कारण पेट ( आमाशय ) व आंतों में घाव हो सकते हैं , आंखों की ज्योति क्षीण हो सकती है , बाल झड़ने लगते हैं और पीलिया रोग होने के कारण अनेक जटिलताएं हो जाती हैं । स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन आ जाता है । इसके अलावा जिगर कार्बोहाइड्रेट्स , प्रोटीन , वसा , लोहा व विटामिनों को शरीर के लिए उपयोगी बनाने का कार्य करता है । आवश्यकतानुसार लिवर , इन तत्त्वों को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाता है । जिगर अपने अन्दर इस प्रकार वसा संचित रखता है कि वह शरीर को शक्ति तथा उष्णता प्रदान कर सके । इसके अलावा जिगर शुगर को भी अपने में एकत्रित रखता है और जब भी शरीर को उसकी आवश्यकता होती है तो उसकी पूर्ति जिगर ही करता है । रक्त का थक्का बनने के लिए आवश्यक प्रोग्राम्बिन व फाइब्रिनोजन का निर्माण जिगर ( यकृत ) ही करता है । यह रक्त प्रवाह में शामिल होने वाले अनेक हानिकारक तत्वों को भी नष्ट करता है*

*लिवर की कमजोरी के कारण :बीड़ी - सिगरेट , शराब , तेज़ मसाले , मांसाहारी भोजन , मछली , अंग्रेजी औषधियों की अधिकता , हानिकर दवाओं का प्रयोग , अधिक तला चिकनाई युक्त भोजन करने से यकृत पर बुरा प्रभाव पड़ता है*

*लिवर को मजबूत करने के उपाय :*

*1 - 10 ग्राम कसौदी यूंटी के पते , 7 कालीमिर्च पानी के साथ पीसकर छानकर सुबह - शाम पीने से लियर की कमजोरी ठीक हो जाती है*

*2 - 12 ग्राम देशी अजवायन को 125 ग्राम पानी के साथ मिट्टी के बर्तन में रात को भिगो । दें । सुबह इसी पानी को निथार कर पीने से 7 दिनों तक जिगर में खून की कमी दूर हो जाती है*

*3 - 20 से 50 मिलिलीटर अनार का रस पीने से अथवा 20 मिलिलीटर कुंवारपाठे के रस में 1 से 5 ग्राम हल्दी मिलाकर पीने से लिवर मजबूत होता है*

*4 - भोजन से पहले एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका व एक चम्मच मधु । मिलाकर सेवन करने से लीवर में मौजूद विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं । यह शरीर की चर्थी भी घटाता है*

*5 - लीवर को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन चार - पांच कच्चा आंवला खाना चाहिए । इसमें भरपूर विटामिन सी मिलता है जो लीवर के सुचारु संचलन में मदद करता है*

*6 - सोंठ , पीपल , चित्रक मूल , बायविडंग और दंतीमूल 10 - 10 ग्राम एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें । इस चूर्ण में 50 ग्राम हरड़ का चूर्ण मिलाकर 3 - 3 ग्राम सुबह - शाम गर्म पानी के साथ सेवन करने से लिवर के रोग में लाभ मिलता है*

*7 - 100 से 500 ग्राम बढिया पके जामुन प्रतिदिन खाली पेट खाने से लिवर की खराबी दूर होती है*

*8 - 4 ग्राम सूखे आंवले का पूर्ण या 25 ग्राम आंवले का रस 150 मिलीलीटर पानी में अच्छी तरह मिलाकर दिन में 4 बार सेवन करने से लिवर मजबूत होता है व लियर के रोग समाप्त होते हैं*

*9 - एक पके कागजी नींबू को 2 टुकड़े करके इसका बीज निकालकर आधे नींबू के बिना काटे चार भाग करके एक भाग में कालीमिर्च का चूर्ण , दूसरे भाग में सेंधानमक , तीसरे में सोंठ । का चूर्ण और चौथे में मिश्री का चूर्ण भर दें । इसके बाद इसे रात को प्लेट में रखकर सि में रख दें । सुबह खाना - खाने से 1 घंटा पहले इस नींबू के फांक को हल्की आग पर गर्म करके चूसें । इससे यकृत विकार ठीक होने के साथ मुंह का जायका भी ठीक होता है । इससे भूख बढ़तीं , सिर दर्द व पुरानी कब्ज दूर होती है । इसका सेवन प्रतिदिन करने से यकृत के सभी रोग दूर होते हैं*

*10 - धनिया , सौठ एवं कालानमक का चूर्ण बनाकर दिन में 3 बार सेवन करने से बदहज़मी व कब्ज दूर होती है । यह लियर को शक्ति देता है और भूख बढ़ती है*

*11 - सेब के सेवन से लिबर को शक्ति मिलती है और रोग आदि में आराम मिलता है*

*12 - बथुआ , उ , लीची , अनार , जामुन , चुकन्दर और अलुबुखारा सेवन करने से यकृत को शक्ति मिलती है और कब्ज दूर होती है ।*

*13 - लौकी को धीमी आग में सेंककर मसलकर रस निकाल लें और इस रस में मिश्री मिलाकर पीएं । इससे यकृत की बीमारी दूर होती है*

*14 - सूरज उगने से पहले उठकर मुंह साफ करके एक चुटकी साबुत कच्चे चावल की फांकी । लेने से यकृत को मजबूती मिलती हैं*

*15• आधा चम्मच सेंधानमक और 4 चम्मच राई पानी में डालकर यकृत वाले जगह पर 5 मिनट तक लेप करने से और फिर धोकर घी लगा देने से यकृत की सूजन व दर्द दूर होता*

*16 - पपीता पेट को साफ करता है और यकृत को शक्तिशाली बनाता है । छोटे बच्चे जिनका यकृत खराब रहता है उन्हें पपीता खिलाना चाहिए ।*

*17 - जिगर की कमजोरी में यदि पतले दस्त आते हों और भूख न लगती हो तो 6 शाम आम के सूखे पते को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें और जब पानी केवल 125 मिलीलीटर शेष रह जाए तो इसे छानकर थोड़ा दूध मिलाकर पीएं । इसके सेवन से जिगर का रोग ठीक होता है*

*18 - liver majboot karne ke liye Juice मूली के एक ग्राम रस को सुबह आठ के साथ और शाम को ताजे पानी के साथ लेने से यकृत की दुर्बलता दूर होती है*

*19 - एक बताशे में एक चुटकी पिसी हुई फिटकरी डालकर दिन में 3 बार सेवन करने से यकृत ( जिगर ) के रोग में लाभ मिलता है*

*20 - 5 मिलीलीटर ग्वारपाठे के रस में सेंधानमक य समुद्री नमक मिलाकर सुबह - शाम सेवन करने से यकृत रोग ठीक होता है ।*

*21 - यकृत ( लीवर ) और प्लीहा ( तिल्ली ) की बीमारी में भुनी हुई अजयायन और सेंधानमक को नींबू के रस में मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है ।*

*22 - प्राणायाम या लम्बा श्वास लेना लियर को स्वस्थ अवस्था में रखता है ।*

*23 - खुली और शुद्ध वायु में बाकायदा उचित व्यायाम करना लियर के लिए लाभदायक है । व्यायाम इतना करना चाहिए जिससे बहुत श्रम अनुभव न हो ।*

*24 - लिवर के लिए योगासन - लियर सम्बन्धी रोगियों को नित्य कटि स्नान , प्राणायाम सर्वांगासन , पवनमुक्तासन , बजासन का नित्य अभ्यास करना चाहिए ।*

*25 - यकृत की कमजोरी में अनार का रस सेवन करना लाभकारी होता है ।*

*निरोगी रहने हेतु महामन्त्र*

*मन्त्र 1 :-*

*• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें*

*• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें*

*• ‎विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)*

*• ‎वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)*

*• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)*

*• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें*

*• ‎भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें*

*मन्त्र 2 :-*

*• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)*

*• ‎भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)*

*• ‎सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये*

*• ‎ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें*

*• ‎पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये*

*• ‎बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूणतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें*

*वन्देमातरम जय हिंद*

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