यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 20 दिसंबर 2018

लिवर क्या है ? लिवर ( यकृत / जिगर ) के कार्य

*लिवर क्या है ? लिवर ( यकृत / जिगर ) के कार्य :*

*यकृत ( लिवर ) का एक अन्य पर्यायवाची जिगर भी होता है । यह शरीर का सबसे बड़ा अंग है , जिसका वज़न तीन से चार पाउंड के लगभग होता है । यह वक्ष के डायफ्राम के नीचे दाईं ओर स्थित होता है , जिसे चिकित्सकीय भाषा में राइट हाइपोकार्डियक रीज़न कहते हैं । इससे पित्ताशय जुड़ा होता है जिसकी नलियां इकट्ठी होकर यकृतीय नलिका से मिल जाती हैं । यह नलिका ग्रहणी ड्यूओडिनम ) तक पित पहुंचाती है । पित एक पीले रंग का तरल पदार्थ होता है जिसमें श्लेष्मा , जल और विशेष लवण ( पित लवण ) का मिश्रण होता है । भोजन को पचाने में पित्त की अहम भूमिका रहती है । पित्त , वसा और तेलों का विघटन करके छोटी - छोटी बूंदों में बदल देता है । यकृत में यदि पित बनता रहे और भोजन के पाचन में प्रयुक्त न हो पाए तो पित्त जमा होता रहता है और पित्त की थैली में एकत्र होकर पित - पथरी का रूप धारण कर लेता है । खपत से अधिक पित्त का उत्पादन और शरीर द्वारा उसका पर्याप्त उपयोग न कर पाना या पित्त पथरी होने पर पित्त का मार्ग अवरुद्ध होने पर पीलिया रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है । पित का अबाधित प्रवाह यदि छोटी आंत तक न हो सके तो पाचन क्रिया में तेजाबी अंश बढ़ जाता है । इस कारण शरीर में गर्मी की मात्रा बढ़ जाती है । इस कारण पेट के अनेक विकार हो सकते हैं , गैस बनने लगती है , स्त्रियों में प्रदर हो सकता है और पुरुषों में नपुसकता हो सकती है । इस असंतुलन के कारण पेट ( आमाशय ) व आंतों में घाव हो सकते हैं , आंखों की ज्योति क्षीण हो सकती है , बाल झड़ने लगते हैं और पीलिया रोग होने के कारण अनेक जटिलताएं हो जाती हैं । स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन आ जाता है । इसके अलावा जिगर कार्बोहाइड्रेट्स , प्रोटीन , वसा , लोहा व विटामिनों को शरीर के लिए उपयोगी बनाने का कार्य करता है । आवश्यकतानुसार लिवर , इन तत्त्वों को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाता है । जिगर अपने अन्दर इस प्रकार वसा संचित रखता है कि वह शरीर को शक्ति तथा उष्णता प्रदान कर सके । इसके अलावा जिगर शुगर को भी अपने में एकत्रित रखता है और जब भी शरीर को उसकी आवश्यकता होती है तो उसकी पूर्ति जिगर ही करता है । रक्त का थक्का बनने के लिए आवश्यक प्रोग्राम्बिन व फाइब्रिनोजन का निर्माण जिगर ( यकृत ) ही करता है । यह रक्त प्रवाह में शामिल होने वाले अनेक हानिकारक तत्वों को भी नष्ट करता है*

*लिवर की कमजोरी के कारण :बीड़ी - सिगरेट , शराब , तेज़ मसाले , मांसाहारी भोजन , मछली , अंग्रेजी औषधियों की अधिकता , हानिकर दवाओं का प्रयोग , अधिक तला चिकनाई युक्त भोजन करने से यकृत पर बुरा प्रभाव पड़ता है*

*लिवर को मजबूत करने के उपाय :*

*1 - 10 ग्राम कसौदी यूंटी के पते , 7 कालीमिर्च पानी के साथ पीसकर छानकर सुबह - शाम पीने से लियर की कमजोरी ठीक हो जाती है*

*2 - 12 ग्राम देशी अजवायन को 125 ग्राम पानी के साथ मिट्टी के बर्तन में रात को भिगो । दें । सुबह इसी पानी को निथार कर पीने से 7 दिनों तक जिगर में खून की कमी दूर हो जाती है*

*3 - 20 से 50 मिलिलीटर अनार का रस पीने से अथवा 20 मिलिलीटर कुंवारपाठे के रस में 1 से 5 ग्राम हल्दी मिलाकर पीने से लिवर मजबूत होता है*

*4 - भोजन से पहले एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका व एक चम्मच मधु । मिलाकर सेवन करने से लीवर में मौजूद विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं । यह शरीर की चर्थी भी घटाता है*

*5 - लीवर को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन चार - पांच कच्चा आंवला खाना चाहिए । इसमें भरपूर विटामिन सी मिलता है जो लीवर के सुचारु संचलन में मदद करता है*

*6 - सोंठ , पीपल , चित्रक मूल , बायविडंग और दंतीमूल 10 - 10 ग्राम एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें । इस चूर्ण में 50 ग्राम हरड़ का चूर्ण मिलाकर 3 - 3 ग्राम सुबह - शाम गर्म पानी के साथ सेवन करने से लिवर के रोग में लाभ मिलता है*

*7 - 100 से 500 ग्राम बढिया पके जामुन प्रतिदिन खाली पेट खाने से लिवर की खराबी दूर होती है*

*8 - 4 ग्राम सूखे आंवले का पूर्ण या 25 ग्राम आंवले का रस 150 मिलीलीटर पानी में अच्छी तरह मिलाकर दिन में 4 बार सेवन करने से लिवर मजबूत होता है व लियर के रोग समाप्त होते हैं*

*9 - एक पके कागजी नींबू को 2 टुकड़े करके इसका बीज निकालकर आधे नींबू के बिना काटे चार भाग करके एक भाग में कालीमिर्च का चूर्ण , दूसरे भाग में सेंधानमक , तीसरे में सोंठ । का चूर्ण और चौथे में मिश्री का चूर्ण भर दें । इसके बाद इसे रात को प्लेट में रखकर सि में रख दें । सुबह खाना - खाने से 1 घंटा पहले इस नींबू के फांक को हल्की आग पर गर्म करके चूसें । इससे यकृत विकार ठीक होने के साथ मुंह का जायका भी ठीक होता है । इससे भूख बढ़तीं , सिर दर्द व पुरानी कब्ज दूर होती है । इसका सेवन प्रतिदिन करने से यकृत के सभी रोग दूर होते हैं*

*10 - धनिया , सौठ एवं कालानमक का चूर्ण बनाकर दिन में 3 बार सेवन करने से बदहज़मी व कब्ज दूर होती है । यह लियर को शक्ति देता है और भूख बढ़ती है*

*11 - सेब के सेवन से लिबर को शक्ति मिलती है और रोग आदि में आराम मिलता है*

*12 - बथुआ , उ , लीची , अनार , जामुन , चुकन्दर और अलुबुखारा सेवन करने से यकृत को शक्ति मिलती है और कब्ज दूर होती है ।*

*13 - लौकी को धीमी आग में सेंककर मसलकर रस निकाल लें और इस रस में मिश्री मिलाकर पीएं । इससे यकृत की बीमारी दूर होती है*

*14 - सूरज उगने से पहले उठकर मुंह साफ करके एक चुटकी साबुत कच्चे चावल की फांकी । लेने से यकृत को मजबूती मिलती हैं*

*15• आधा चम्मच सेंधानमक और 4 चम्मच राई पानी में डालकर यकृत वाले जगह पर 5 मिनट तक लेप करने से और फिर धोकर घी लगा देने से यकृत की सूजन व दर्द दूर होता*

*16 - पपीता पेट को साफ करता है और यकृत को शक्तिशाली बनाता है । छोटे बच्चे जिनका यकृत खराब रहता है उन्हें पपीता खिलाना चाहिए ।*

*17 - जिगर की कमजोरी में यदि पतले दस्त आते हों और भूख न लगती हो तो 6 शाम आम के सूखे पते को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें और जब पानी केवल 125 मिलीलीटर शेष रह जाए तो इसे छानकर थोड़ा दूध मिलाकर पीएं । इसके सेवन से जिगर का रोग ठीक होता है*

*18 - liver majboot karne ke liye Juice मूली के एक ग्राम रस को सुबह आठ के साथ और शाम को ताजे पानी के साथ लेने से यकृत की दुर्बलता दूर होती है*

*19 - एक बताशे में एक चुटकी पिसी हुई फिटकरी डालकर दिन में 3 बार सेवन करने से यकृत ( जिगर ) के रोग में लाभ मिलता है*

*20 - 5 मिलीलीटर ग्वारपाठे के रस में सेंधानमक य समुद्री नमक मिलाकर सुबह - शाम सेवन करने से यकृत रोग ठीक होता है ।*

*21 - यकृत ( लीवर ) और प्लीहा ( तिल्ली ) की बीमारी में भुनी हुई अजयायन और सेंधानमक को नींबू के रस में मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है ।*

*22 - प्राणायाम या लम्बा श्वास लेना लियर को स्वस्थ अवस्था में रखता है ।*

*23 - खुली और शुद्ध वायु में बाकायदा उचित व्यायाम करना लियर के लिए लाभदायक है । व्यायाम इतना करना चाहिए जिससे बहुत श्रम अनुभव न हो ।*

*24 - लिवर के लिए योगासन - लियर सम्बन्धी रोगियों को नित्य कटि स्नान , प्राणायाम सर्वांगासन , पवनमुक्तासन , बजासन का नित्य अभ्यास करना चाहिए ।*

*25 - यकृत की कमजोरी में अनार का रस सेवन करना लाभकारी होता है ।*

*निरोगी रहने हेतु महामन्त्र*

*मन्त्र 1 :-*

*• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें*

*• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें*

*• ‎विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)*

*• ‎वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)*

*• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)*

*• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें*

*• ‎भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें*

*मन्त्र 2 :-*

*• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)*

*• ‎भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)*

*• ‎सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये*

*• ‎ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें*

*• ‎पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये*

*• ‎बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूणतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें*

*वन्देमातरम जय हिंद*

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya