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शुक्रवार, 5 अप्रैल 2019

हनुमान चालीसा का अदभुत रहस्य, जिसे जान अकबर को भी झुकना पड़ा

हनुमान चालीसा का अदभुत रहस्य,
जिसे जान अकबर को भी झुकना पड़ा...!

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भगवान को अगर किसी युग में आसानी से प्राप्त किया जा सकता है तो वह युग है कलियुग। इस कथन को सत्य करता एक दोहा रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने लिखा है

नहिं कलि करम न भगति बिबेकू। राम नाम अवलंबन एकू॥
कालनेमि कलि कपट निधानू। नाम सुमति समरथ हनुमानू॥

भावार्थ:-कलियुग में न कर्म है, न भक्ति है और न ज्ञान ही है, राम नाम ही एक आधार है। कपट की खान कलियुग रूपी कालनेमि के (मारने के) लिए राम नाम ही बुद्धिमान और समर्थ श्री हनुमान्‌जी हैं॥
जिसका अर्थ है की कलयुग में मोक्ष प्राप्त करने का एक ही लक्ष्य है वो है भगवान का नाम लेना। तुलसीदास ने अपने पूरे जीवन में कोई भी ऐसी बात नहीं लिखी जो गलत हो। उन्होंने अध्यात्म जगत को बहुत सुन्दर रचनाएँ दी हैं।
ऐसा माना जाता है कि कलयुग में हनुमान जी सबसे जल्दी प्रसन्न हो जाने वाले भगवान हैं। उन्होंने हनुमान जी की स्तुति में कई रचनाएँ रची जिनमें हनुमान बाहुक, हनुमानाष्टक और हनुमान चालीसा प्रमुख हैं।
हनुमान चालीसा की रचना के पीछे एक बहुत जी रोचक कहानी है जिसकी जानकारी शायद ही किसी को हो। आइये जानते हैं हनुमान चालीसा की रचना की कहानी :-
ये बात उस समय की है जब भारत पर मुग़ल सम्राट अकबर का राज्य था। सुबह का समय था एक महिला ने पूजा से लौटते हुए तुलसीदास जी के पैर छुए। तुलसीदास जी ने नियमानुसार उसे सौभाग्यशाली होने का आशीर्वाद दिया।
आशीर्वाद मिलते ही वो महिला फूट-फूट कर रोने लगी और रोते हुए उसने बताया कि अभी-अभी उसके पति की मृत्यु हो गई है। इस बात का पता चलने पर भी तुलसीदास जी जरा भी विचलित न हुए और वे अपने आशीर्वाद को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त थे।
क्योंकि उन्हें इस बात का ज्ञान भली भाँति था कि भगवान राम बिगड़ी बात संभाल लेंगे और उनका आशीर्वाद खाली नहीं जाएगा। उन्होंने उस औरत सहित सभी को राम नाम का जाप करने को कहा। वहां उपस्थित सभी लोगों ने ऐसा ही किया और वह मरा हुआ व्यक्ति राम नाम के जाप आरंभ होते ही जीवित हो उठा।
यह बात पूरे राज्य में जंगल की आग की तरह फैल गयी। जब यह बात बादशाह अकबर के कानों तक पहुंची तो उसने अपने महल में तुलसीदास को बुलाया और भरी सभा में उनकी परीक्षा लेने के लिए कहा कि कोई चमत्कार दिखाएँ। ये सब सुन कर तुलसीदास जी ने अकबर से बिना डरे उसे बताया की वो कोई चमत्कारी बाबा नहीं हैं, सिर्फ श्री राम जी के भक्त हैं।
अकबर इतना सुनते ही क्रोध में आ गया और उसने उसी समय सिपाहियों से कह कर तुलसीदास जी को कारागार में डलवा दिया। तुलसीदास जी ने तनिक भी प्रतिक्रिया नहीं दी और राम का नाम जपते हुए कारागार में चले गए। उन्होंने कारागार में भी अपनी आस्था बनाए रखी और वहां रह कर ही हनुमान चालीसा की रचना की और लगातार 40 दिन तक उसका निरंतर पाठ किया।
चालीसवें दिन एक चमत्कार हुआ। हजारों बंदरों ने एक साथ अकबर के राज्य पर हमला बोल दिया। अचानक हुए इस हमले से सब अचंभित हो गए। अकबर को इसका कारण समझते देर न लगी। उसे भक्ति की महिमा समझ में आ गई। उसने उसी क्षण तुलसीदास जी से क्षमा मांग कर कारागार से मुक्त किया और आदर सहित उन्हें विदा किया। इतना ही नहीं अकबर ने उस दिन के बाद तुलसीदास जी से जीवनभर मित्रता निभाई।
इस तरह तुलसीदास जी ने एक व्यक्ति को कठिनाई की घड़ी से निकलने के लिए हनुमान चालीसा के रूप में एक ऐसा रास्ता दिया है। जिस पर चल कर हम किसी भी मंजिल को प्राप्त कर सकते हैं।
इस तरह हमें भी भगवान में अपनी आस्था को बरक़रार रखना चाहिए। ये दुनिया एक उम्मीद पर टिकी है। अगर विश्वास ही न हो तो हम दुनिया का कोई भी काम नहीं कर सकते।
बिनु बिस्वास भगति नहिं तेहि बिनु द्रवहिं न रामु।
राम कृपा बिनु सपनेहुँ जीव न लह बिश्रामु॥

भावार्थ:-बिना विश्वास के भक्ति नहीं होती, भक्ति के बिना श्री रामजी पिघलते (ढरते) नहीं और श्री रामजी की कृपा के बिना जीव स्वप्न में भी शांति नहीं पाता॥
जय श्री राम जी
जय श्री हनुमानजी

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6 अप्रेल 2019 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, भारतीय नववर्ष विक्रमी संवत् २०७६



🚩"भारतीय नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०७६ (6 अप्रेल 2019)" की आप सभी को अग्रिम हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।*
www.sanwariyaa.blogspot.in
*🚩चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :👇👇*

*🚩* इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।

*🚩.* सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।

*🚩.* प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।

*🚩.* शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।

*🚩.* सिखो के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है।

*🚩.* स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया |

*🚩.* सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।

*🚩.* विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम संवत की स्थापना की ।

*🚩.* धर्मराज युधिष्ठिर जी का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।

🚩 संघ संस्थापक प पू डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिन ।

🚩 महर्षि गौतम जयंती

*भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :👇👇👇*

*🚩.* वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।

*🚩.* फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।

*🚩.* नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।

*भारतीय नववर्ष कैसे मनाएँ :👇👇👇*

*🚩.* हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें। पत्रक बांटें , झंडे, बैनर....आदि लगावे ।

*🚩.* आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।

*🚩.* इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फेहराएँ।

*🚩.* आपने घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ।

*🚩.* घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।

*🚩.* इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।

🚩 प्रतिष्ठानों की सज्जा एवं प्रतियोगिता करें । झंडी और फरियों से सज्जा करें ।

🚩 इस दिन के महत्वपूर्ण देवताओं, महापुरुषों से सम्बंधित प्रश्न मंच के आयोजन करें

🚩 वाहन रैली, कलश यात्रा, विशाल शोभा
यात्राएं कवि सम्मेलन, भजन संध्या , महाआरती आदि का आयोजन करें ।

🚩 चिकित्सालय, गौशाला में सेवा, रक्तदान जैसे कार्यक्रम ।

*🙏🚩आप सभी से विनम्र निवेदन है कि "भारतीय नववर्ष" हर्षोउल्लास के साथ मनाने के लिए "समाज को अवश्य प्रेरित" करें।*

*🚩 भारतमाता की जय🚩*

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भारतीय नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०७६ (६ अप्रैल,२०१९ )

ॐ..🚩"भारतीय नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०७६
(६ अप्रैल,२०१९ )" युगाब्द ५०२१ वर्ष, दिन

शनिवार की आप सभी को अग्रिम हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।🚩🌹

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :
1. इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
2. सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
3. प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।
4. शक्ति(मां दुर्गा) और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।
5. सिखो के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है।
6. स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया |
7. सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
8. विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।
9. युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :
1. वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
2. फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
3. नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।
भारतीय नववर्ष कैसे मनाएँ :
1. हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें।
2. आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।
3 . इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फेहराएँ।
4. आपने घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ।
5. घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।
6. इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें। माथे पर तिलक लगाए और लोगों को लगाकर नव वर्ष की बधाई दे।
आप सभी से विनम्र निवेदन है कि "भारतीय नववर्ष" हर्षोउल्लास और उत्सव के साथ मनाने के लिए "समाज को अवश्य प्रेरित" करें।
* धन्यवाद *
भारतमाता की जय...विश्व गुरु भारत को प्रणाम।🌹🌻🌺🚩🙏

5 मिनट अपनी संस्कृति की झलक को पढ़े

5 मिनट अपनी संस्कृति की झलक को पढ़े-

1 जनवरी को क्या नया हो रहा है ?
* न ऋतु बदली.. न मौसम
* न कक्षा बदली... न सत्र
* न फसल बदली...न खेती
* न पेड़ पौधों की रंगत
* न सूर्य चाँद सितारों की दिशा
* ना ही नक्षत्र।।
1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व है।
नया केवल एक दिन ही नही होता..
कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है।
ईस्वी संवत का नया साल 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर:
1. प्रकृति-
1 जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी.. चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो I
2. वस्त्र-
दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर..
चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है I
3. विद्यालयो का नया सत्र- दिसंबर जनवरी वही कक्षा कुछ नया नहीं..
जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल I
4. नया वित्तीय वर्ष-
दिसम्बर-जनबरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती.. जबकि 31 मार्च को बैंको की (audit) कलोसिंग होती है नए वही खाते खोले जाते है I सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है I
5. कलैण्डर-
जनवरी में नया कलैण्डर आता है..
चैत्र में नया पंचांग आता है I उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं I इसके बिना हिन्दू समाज जीबन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग I
6. किसानो का नया साल- दिसंबर-जनवरी में खेतो में वही फसल होती है..
जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष और उतसाह I
7. पर्व मनाने की विधि-
31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर मदिरा पान करते है, हंगामा करते है, रात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश..
जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है I शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है I
8. ऐतिहासिक महत्त्व- 1 जनवरी का कोई ऐतेहासिक महत्व नही है..
जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रहम्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध इस दिन से है I
अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगो के अलावा कुछ नही बदला..
अपना नव संवत् ही नया साल है I
जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तिया, किसान की नई फसल, विद्यार्थी की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते है। जो विज्ञान आधारित है I
अपनी मानसिकता को बदले I विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने। स्वयं सोचे की क्यों मनाये हम 1 जनवरी को नया वर्ष..?
"केबल कैलेंडर बदलें.. अपनी संस्कृति नहीं"
आओ जागेँ जगायेँ, भारतीय संस्कृति अपनायेँ और आगे बढ़े I

गुरुवार, 4 अप्रैल 2019

100℅ शुद्ध चमत्कारी गोलोचन

100℅ शुद्ध चमत्कारी गोलोचन---------

आज कल बाजार मॆ सौ-चार सौ रुपये मॆ नकली गोरोचन बहुत बिक रहा है असली गोरोचन से हम लोग बहुत दूर होते है आजकल हर वस्तु बाजार मे डुप्लीकेट आ चुकी है
गोरोचन गाय के अंदर बहुत ही कम मात्रा में होता है, इसका रंग सिन्दूरी कलर मॆ कुछ मटमेले  या काले रंग जैसा होता है।
यह गीला हल्का पीलापन लिए हुए काले कलर का होता है जिसे हवा में रखने पर यह ठोस पदार्थ में बदल जाता हैं।
और यह गोल तिकोने अथवा छोटे छोटे दाने के आकार का होता है , लोग इसे इस्तेमाल करने के लिए इसका पाउडर भी बना लेते हैं,

आइये में अब बताता हूं आपको गोरोचन के कई विशेष लाभ

1--गोरोचन का प्रयोग अधिकाँश वशीकरण व सम्मोहन के लिये तिलक के रूप में बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है

2--सिध्द गोरोचन ओर शुध्द लाल चंदन से तिलक करने से इष्टदेव की कृपा होती है और पितृ दोष समाप्त होता है और सदैव देव कृपा बनी रहती है

💎3--सवा सवा ग्राम शुद्ध गोरोचन और सवा ग्राम काली गंधक को पीले रेशमी कपड़े मॆ बाँधकर लाभ के चौघडिया मे शुक्रवार के दिन चाँदी डिब्बी में गल्ले अथवा तिजुरि मॆ रखने से व्यापार अपूर्व तेजी से चलने लगता है

💎4--सवा ग्राम शुद्ध गोरोचन को 5 गोमती चक्र के साथ शुक्रवार को पीले रूमाल मॆ बाँधकर अपने पास रखने से सम्मोहन शक्ति बढ़ती है और निरंतर धन का आवागमन होता रहता है और कर्ज से मुक्ति मिलती है

💎5--पूर्णमासी के दिन सिध्द गोरोचन को पीस कर चन्दन और केसर मिलाकर तिलक करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो होती है,और गजब की सम्मोहन शक्ति बढ़ती है

6--यदि व्यर्थ ही समाज के लोग आपसे नफरत करते है और आपको हानि पहुँचाना चहाते है आपके सभी काम धंधो मे रुकावटे पेदा करते है तो आप पूर्णमासी के दिन सवा ग्राम गोरोचन सवा ग्राम ब्लेक सल्फर और सवा ग्राम कामिया सिंदूर तीनो को बारीक पीसकर किसी भी सम्मोहन मंत्र से अभिमंत्रित करके अपने मस्तक पर तिलक लगाये फिर देखो वही समाज आपका कितना सम्मान करता है ये तिलक सेल्समैन और बड़े उध्योग पतियो के लिये बहुत ही लाभदायक है

7--सवा ग्राम शुद्ध गोरोचन सवा ग्राम शुध्द कस्तूरी और काली गंधक को किसी किसी रेशमी रूमाल मॆ बाँधकर अपने पास रखने से गजब की आकर्षण शक्ति बढ़ती है दुश्मन भी सर झुकाकर चलता है और व्यापार में वृध्दि होती है

8--यदि बार बार किसी के रिश्ते मे रुकावटे आती है शादी नहीं हो रही है तो शुक्ल पक्ष मे गुरुवार को सवा ग्राम गोरोचन किसी पीले कपड़े मे या चाँदी के ताबीज मे शुभ या लाभ के चौघडिया मे सीधी बाजू अथवा गले मे धारण कराये तो 6 महीने रिश्ता पक्का हो जायेगा

9--यदि कोई लड़का लड़का लड़की एक दूसरे प्रेम करते है और शादी करना चहाते मगर किसी कारण से आपसी बात नही बन पा रही है तो सवा दो ग्राम गोरोचन और एक ग्राम ब्लेक सल्फर दोनो को पूर्णमासी के दिन किसी सम्मोहन मंत्र से अभिमंत्रित करके बारीक पीसकर आधा चाँदी के ताबीज भरके गले मे धारण करे और शेष बचे हुये पाउडर से मस्तक पर तिलक करे और शुक्रवार  बुधवार पूर्णमासी को अवश्य मिलते रहे तो कुछ ही समय मे दोनो एक दूसरे के जीवन साथी बन जाते है

10--सवा ग्राम शुद्ध गोरोचन और सवा ग्राम केशर को पीस कर पूर्णमासी के दिन वशीकरण मंत्र से अभिमँत्रित कर आधा चूर्ण चाँदी के ताबीज में धारण करने से अथवा तिलक करने से जबर्दस्त वशीकरण होता है

11--यदि बार बार आपकी जॉब मे रुकावट आ रही हो बार बार इंटरव्यू मे फेल हो रहे तो सवा ग्राम गोरोचन पीले रेशमी कपड़े मे गुरुवार को सूर्योदय के वक्त अपनी सीधी भुजा पर बाँधे सुबह सुबह शाम 20 / 20 बूँद गोरोचन कल्प आधा कप पानी मे डालकर पिये 6 महीने मे सभी समस्याये समाप्त हो जायेगी

12--अगर आपका  व्यापार कुछ दिन चलने के बाद स्वतः बंद हो जाता है या व्यापार में कम चलता है अन्य कोई बाधा आ रही है तो आप पूर्णमासी के दिन सवा ग्राम शुद्ध गोरोचन एक चुटकी सिंदूर में मिलाकर किसी सम्मोहन मंत्र से अभिमंत्रित करके अपने मस्तक पर तिलक करते हैं,तो आपका व्यापार मॆ बहुत ही तेजी के साथ प्रगति होती है

💎13--यदि कोई शत्रु अनावश्यक परेशान करता है तो  सवा ग्राम शुद्ध गोरोचन एक ग्राम ब्लेक सल्फर शत्रु की फोटो के साथ शनिवार को रात्रि 9 बजे पीपल की जड़ के नीचे दवादे कुछ ही समय में शत्रुता स्वयं समाप्त हो जायेगीं

15--अगर आप किसी भूत प्रेत की बाधा से परेशान हैं तो आप दुर्गा शप्तशती के सिध्द मंत्र सर्वबाधा विनिर्मुक्तौ --- से सवा ग्राम शुद्ध गोरोचन को अभिमंत्रित कर किसी ताबीज मॆ डालकर अपने गले मॆ धारण करे
तो निशिचित रूप से सभी ब्याधियो का नाश हो जाता है सुबह शाम 20 / 20 बूंद गोरोचन कल्प आधा कप पानी डालकर पिलाये 24 घंटे लाभ दिखाना शुरू हो जायेंगा

16--यदि घर परिवार मे कोई व्यक्ति बार बार बीमार पड़ जाता है काफी इलाज कराने पर भी बीमारी पीछा नही छोड़ती है सवा ग्राम शुद्ध गोरोचन चाँदी या स्वर्ण के ताबीज मे मंगलबार को शुक्ल पक्ष अमृतकाल के चौघडिया मे रोगी के गले मे धारण कराये धीरे धीरे रोग स्वत चला जायेगा

17--अगर बार बार आपको व्यापार मे हानि हो रही है तो पूर्णमासी के दिन सवा ग्राम गोरोचन और सवा ग्राम ब्लेक सल्फर को

लाभ के चौघडिया मे लाल रेशमी रूमाल में बाँधकर अपने गल्ले के अंदर रखे
इससे धीरे धीरे आपका व्यापार बहुत तेजी के साथ गतिमान हो जायेगा

18--अगर घर मॆ पति पत्नी के बीच बहुत ज्यादा ग्रह क्लेश रहता है तो दोनो किसी सिध्द वशीकरण करण मंत्र से गोरोचन को अभिमंत्रित कर इसका तिलक करे तो धीरे धीरे गृह क्लेश समाप्त हो जाता है यदि ग्रह क्लेश ज्यादा है सुबह शाम 20 / 20 बूंद गोरोचन कल्प आधा कप पानी डालकर पिलाये 24 घंटे लाभ दिखाना शुरू हो जायेंगा

19--सिध्द गोरोचन का प्रयोग आप तिलक के रूप मे करने हजारो समस्याओ को हल कर देता है इससे गजब की सम्मोहन शक्ति बढ़ती है

20--अगर कोर्ट कचहरी मे पति पत्नी के बीच तलाक का केश चल रहा है और आप नही चहाते कि दोनो के बीच मे तलाक हो तो आप सवा ग्राम गोरोचन 1 ग्राम ब्लेक सल्फर और 1ग्राम कामिया सिंदूर तीनो को पूर्णमासी के दिन बारीक पीसकर तिलक बनाले और किसी भी सिध्द सम्मोहन मंत्र से अभिमंत्रित करके कोर्ट जाते वक्त तिलक लगाये निश्चित रूप से तलाक रुक जायेगा अगर कामिया सिंदूर उपलब्ध ना हो तो ब्लेक सल्फर और गोरोचन भी काफी लाभदायक होता है

21--यदि आपकी गाड़ी का बार बार एक्सीडेंट होता है या गाड़ी ठीक से नही चलती है तो शुक्ल पक्ष मंगल बार
को सवा ग्राम गोरोचन किसी लाल रेशमी रूमाल लाभ के चौघडिया चर  लग्न मे गाड़ी के अंदर रखे इससे ना तो कभी गाड़ी का एक्सीडेंट होगा और ना वह गाड़ी कभी आपको हानि पहुँचायेगी

22--अगर निरंतर व्यापार मे घाटा हो रहा हो तो पूर्णमा के सवा ग्राम गोरोचन और सवा ग्राम ब्लेक सल्फर लेकर 31बार श्री शूक्त के द्वारा अभिमंत्रित करके किसी लाल या पीले रेशमी रूमाल मे बाँधकर गुरुवार को गल्ले मे तो व्यापार मे बहुत प्रगति होती है और बँधा हुआ व्यापार भी खुल जाता है

23--अगर कोई व्यक्ति घर से रूठ कर भाग गया हो तो आपके किसी बगैर धुले कपड़े सवा ग्राम गोरोचन गुरुवार को रखकर किसी भारी भारी पत्थर के नीचे दवा दे वह व्यक्ति अगर जिंदा है तो बहुत जल्दी घर वापस आ जायेगा

24--अगर परिवार मे कोई व्यक्ति अकारण ही क्लेश करता है मारपीट तोड़ फोड़ करता है बात बात पर गुस्सा करता है गाली ग्लौज करता है जिससे घर परिवार मे कोई बड़ा हादसा होंने कि उम्मीद बनी रहती है तो ऐसे व्यक्ति को आप गोरोचन कल्प की 20 / 20 बूँद सुबह शाम आधा कप पानी डालकर खाली पेट दे आप 24 घँटे मे उस व्यक्ति के जबर्दस्त परिवर्तन देखेगे

*25--यदि बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं खेल कूद में लगा रहता है सवा ग्राम शुद्ध गोरोचन शुक्ल पक्ष में सोमवार के दिन चाँदी के ताबीज में उसके गले में धारण कराये यदि बच्चा ज्यादा ही मंद बुध्दि है तो आप उसे गोरोचन कल्प की 20 / 20 बूँद सुबह शाम आधा कप पानी डालकर खाली पेट दे आप 24 घँटे मे उस व्यक्ति के जबर्दस्त परिवर्तन देखेगे।


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रविवार, 31 मार्च 2019

अप्रैल फूल किसी को कहने से पहले इसकी वास्तविक सत्यता जरुर जान ले.!!

आवश्यक सूचना।
अप्रैल फूल बोलना गुलामी मानसिकता है।
🕉️

"अप्रैल फूल" किसी को कहने से पहले
इसकी वास्तविक सत्यता जरुर जान ले.!!

ये नाम अंग्रेज ईसाईयों की देन है…

पावन महीने की शुरुआत को मूर्खता दिवस
कह रहे हो !! पता भी है क्यों कहते है अप्रैल फूल (अप्रैल फुल का अर्थ है - हिन्दु संप्रदाय के लोगों का मूर्खता दिवस).??

मुर्ख हिंदू संप्रदाय के लोग कैसे समझें "अप्रैल फूल" का मतलब बहुत दिनों से बिना सोचे समझे चल रहा है अप्रैल फूल, अप्रैल फूल ??? इसका मतलब क्या है.??

दरअसल जब ईसाइयत के संप्रदायिक अंग्रेजो द्वारा हम पर 1 जनवरी का नववर्ष थोपा गया तो उस समय लोग विक्रमी संवत के अनुसार
01 अप्रैल से अपना नया साल बनाते थे और उत्सव मनाते थे, जो आज भी सच्चे हिन्दु संप्रदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है, आज भी हमारे बही खाते और बैंक 31 मार्च को बंद होते है और 01 अप्रैल से शुरू होते है, पर उस समय जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था, तो इसी ईसाइयत के मानने वाले अंग्रेजों ने विक्रमी संवत का नाश करने के लिए साजिश करते हुए 01 अप्रैल को मूर्खता दिवस "अप्रैल फूल" का नाम दे दिया ताकि हमारी सभ्यता मूर्ख लगे और कही जाए।

अब आप ही सोचो अप्रैल फूल कहने वाले कितने
सही हो आप ?

याद रखो अप्रैल माह से जुड़े हुए इतिहासिक दिन और त्यौहार

1. हिंदू संप्रदाय के लोगों का पावन महिना इस दिन से शुरू होता है (शुक्ल प्रतिपदा)

2. हिन्दु संप्रदाय के लोगों के रीति -रिवाज़ सब इस दिन के कैलेण्डर के अनुसार बनाये जाते है।

01 अप्रैल का दिन दुनिया को दिशा देने वाला है।

अंग्रेज ईसाई, हिन्दु संप्रदाय के लोगों के विरुद्ध थे इसलिए हिन्दू संप्रदाय के लोगों के त्योहारों को मूर्खता के दिन कहते थे, और उन्होंने इसे ऐसे फैलाया कि, आज भी हिन्दू संप्रदाय के मानने वाले सब लोग भी बहुत शान से  01 अप्रैल को  मूर्खता दिवस कह रहे हो !! आपसे आग्रह है कि, 01 अप्रैल को मूर्खों (Fools') का दिन लिखकर बनाकर और मनाकर आप अपनी गुलाम मानसिकता का सुबूत ना दो

अप्रैल फूल का दिवस जोकि भारतीय सनातन कैलेंडर के हिसाब से नववर्ष का दिवस था और जिसका अनुसरण आदिकाल से पूरा विश्व करता था, उसको भुलाने और मजाक उड़ाने के लिए ईसाईयों के द्वारा बनाया गया था।

1582 में पोप ग्रेगोरी ने नया कलेण्डर अपनाने का फरमान जारी कर दिया जिसमें  01 जनवरी को नया साल का प्रथम दिन बनाया गया।

जिन लोगो ने इसको मानने से इंकार किया, इसाई संप्रदाय के लोगों ने 01 अप्रैल वाले दिन उनका  मजाक उड़ाना शुरू कर दिया, और धीरे-धीरे 01 अप्रैल नया साल का नया दिन होने के बजाय मूर्ख दिवस बन गया।

आज भारत के सभी लोग अपनी ही संस्कृति का मजाक उड़ाते हुए 'अप्रैल फूल डे' मना रहे है।

जागो हिन्दु संप्रदाय के लोगों जागो।।
अपने संप्रदाय को पहचानो।

इस जानकारी को इतना फैलाओ कि कोई भी इस आने वाली  01 अप्रैल से अपनी  मूर्खता का परिचय न दे और और अंग्रेजों द्वारा प्रसिद्ध किया गया ये हिंदु संप्रदाय के लोगों का मजाक तुरंत बंद हो जाये।
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शनिवार, 30 मार्च 2019

गलतियां सिर्फ लड़कियों की नही है उनके नादान माता पिता की भी है

ध्यान देने योग्य बाते खासकर माता पिता को
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🔍🔍गलतियां सिर्फ लड़कियों की नही है उनके नादान माता पिता की भी है !

क्या आपने कभी इस पर ध्यान दिया है
नहीं ना तो आगे से ध्यान दीजिए देखिए आपके आसपास तो यह ऐसा घटित नहीं हो रहा...???

शहरों में जगह जगह हाई प्रोफाइल localities में कम उम्र, वयस्क युवतियां और महिलाएं आपको मेहंदी लगवाती दिख जाएंगी !

 करवाचौथ और त्यौहारी सीजन में तो इतनी भीड़ हो जाती है कि मेहंदी लगाने वाले लड़के मुँह मांगे पैसे वसूल करते हैं !

आज ही मैंने देखा कि
 4 लड़के 4 लड़कियों के हाथों में मेहंदी लगा रहे थे और काफी स्मार्ट और मेन्टेन लग रहे थे !

मेरी समझ में ये नहीं आया कि क्या उन स्मार्ट पढि लिखी लड़कियों को ये नही दिखता कि गली गली यूँ मेहँदी लगाने वालों के पास इतना सजने सवरने के लिए समय और पैसा कहाँ से आता होगा ।

 या इनके पास पैसा है तो ये छोटा सा काम क्यों कर रहे हैं ।??
 
4 लड़के मेहँदी लगा रहे थे

मैं इस तरह वहाँ खड़ा हो गया कि वो लड़के मुझे किसी युवती का भाई या कोई रिश्तेदार समझें !

 एक युवक ने मेहंदी लगाने के बाद युवती से कहा कि
"आपका हाथ गज़ब लग रहा है मैडम ", युवती शर्मा गई और युवक ने आँखों-आँखों में मुस्कान फेंकी ! और कुछ न कुछ ऐसे बोलना कि वो नव यौवनाएं उनसे प्रभावित हों।

फिर युवती गदगद मन से  200 रु देकर मेहंदी लगा हाथ सँभालते हुए रवाना हो गई !

शहरी क्षेत्र में अनेक इंजीनियरिंग और एमबीए की स्टूडेंट्स पीजी के रूप में रहती हैं,

मेरे समझ के बाहर की बात है कि अपने शहर से दूर पढ़ने के लिए आई युवती को मेहंदी और सौंदर्य प्रसाधनों की आवश्यकता क्यों है ?
            
बहरहाल मैंने चारों लड़कों से उनके नाम पूछे ।

 लड़के हिचकिचाये, कुछ और नाम बताये,
मैंने कहा कि ID दिखाओ, ID में लड़कों के नाम,

चारों नाम गौर से पढ़िए :-
1.रुसलान 2.अल्तमष 3.मुज़म्मिल 4.वहीद !
              
साथियों, हमारी बेटियों बहनो का हाथ पकड मेहंदी लगाते यह शातिर शिकारी लोग इन भोली-भाली बच्चियों को किधर मोड़ ले जाएं, कुछ मालूम नहीं !!

मेरे समझ के बाहर का विषय है कि अब घर में माँ बहन और बेटी एक दूसरे के हाथ में मेहंदी क्यों नहीं लगा सकती ?

बाहर जाकर मेंहदी लगवाना कौनसा फैशन है ?
कहीं यह लव जिहाद का कोई नया एंगल तो नही

#नोट इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और लोगों को इसके दुष्परिणाम  से बचाएं 🙏🙏🙏🙏🙏
सारिका बहन की वाल से
#कॉपी_पेस्ट

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30 वर्ष पर 16.5 गुना बीमा मिलेगा

इस योजना में जीवन बीमा के बराबर दुर्घटना बीमा भी बिना कोई अतिरिक्त चार्ज , बीमा राशि के बराबर मिलेगा

इस प्लान में 12 वर्ष प्रीमियम भरना है और बीमा (+1 yr) total 13 वर्ष रहेगा

उसके पश्चात मनी बैक दो विकल्प में उपलब्ध रहेंगे

विकल्प 1 में
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उदाहरण किसी ने 1लाख रुपया 12 वर्ष तक जमा करवाया है तो उससे सारे 16.50 lac का जीवन बीमा एवं 16 .50lac लाख का दुर्घटना बीमा मिलेगा

विकल्प A में
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और विकल्प B लेने पर
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यह योजना पूरी तरह गारंटेड है
Kailash chandra ladha
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Congress सत्ता में वापसी के लिए इस देश को Venezuela बना देगी

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ,
जब पूरी दुनिया मे तेल की जबरदस्त demand थी और दाम आसमान छू रहे थे , Venezuela की पांचों उँगलियाँ घी में थीं । 1945 में ही देश रोज़ाना 1 Million Barrel तेल बना रहा था ।

सरकार ने अपने नागरिकों को खैरात बांटना शुरू किया ।
देश की हर सेवा सरकारी थी और हर सेवा Free थी ।
तेल के बदले में दुनिया भर से सामान आता था , राशन , अनाज , फल ,सब्जी , दवाइयां , मशीनरी , कपड़ा हर चीज़ Import ही होती थी । तेल के बदले में ....... और सरकार अपने नागरिकों को सबकुछ फ्री देती थी ।
50 और 60 के दशक में जब कि सारी दुनिया हाड़ तोड़ मेहनत कर उत्पादन Manufacturing में लगी थी , Venezuela में एक सूई तक न बनती थी और उनकी तो गोभी और टमाटर भी यूरोप से आती थी ।

बहुत खूबसूरत देश है Venezuela..…... पर यदि कोई Tourist भूला भटका आ भी जाता तो पूरे देश मे कोई उसको पानी पूछने वाला न था .....… आमतौर पे ऐसे देशों में बाहर से विदेशी आ जाते हैं रोज़ी रोज़गार की तालाश में , पर चूंकि इस देश मे फ्री सेवा थी इसलिए सभी पार्टियां और जनता विदेशी लोगों के देश मे प्रवेश के खिलाफ थी कि हमारी मुफ्त सेवा का लाभ विदेशी क्यों लें ।
इसका नतीजा ये हुआ कि कोई नागरिक खुद तो कुछ करता नही था , खेती बाड़ी , कोई उद्योग धंदा , और बाहर से लेबर ही import कर ले सरकार , ये होने नही देता था । इसलिए देश मे Tourism तक develop न हुआ ।
बताया जाता है कि 70 के दशक में अगर भूला भटका सैलानी अगर आ भी जाता तो ये उससे कहते ....... FCUK off .......

फिर एक दिन तेल के दाम गिरने लगे ........ सरकार की एक तेल कंपनी थी ...... PDVSA ...... सरकार ने कंपनी से कहा , सबको नौकरी दे दो ....... कंपनी बोली हुज़ूर हमको employee की ज़रूरत ही नही ....... सरकार बोली , फिर भी दे दो ....... इस तरह सरकार ने हर परिवार के कम से कम एक आदमी को सरकारी तेल कंपनी PDVSA में नौकरी दे दी जहां वो कोई काम नही करता था और मुफ्त की मोटी पगार लेता ........
फिर तेल के दाम और गिरे ........ अब जब तेल कंपनी बुरी तरह घाटे में आ गयी और तेल बिकना बंद हो गया तो खैरात भी बंद हो गयी .........
धीरे धीरे हर चीज़ की कमी होने लगी ।
3.5 करोड़ मुफ्तखोर जिनने ज़िन्दगी में कोई काम नही किया था वो लूट खसोट करने लगे ।
लड़कियां सब वेश्यावृत्ति में उतर गई ।
समाजवादी सरकार फिर भी नही चेती ........ वो कर्ज़ा ले के घी पिलाने लगी अपनी मुफ्तखोर जनता को ........

आज राजधानी कराकास दुनिया का सबसे असुरक्षित शहर है जहां एक Bread के टुकड़े के लिए हत्या हो जाती है और लड़कियां सिर्फ एक पीस bread के लिए शरीर बेचती हैं ।
डेढ़ करोड़ बोलिवर में एक थाली खाना मिलता है ........

1999 के बाद देश की ये दुर्दशा शुरू हुई .......

इतना बड़ा देश सिर्फ 3.5 करोड़ लोगों के लिए गेहूं चावल सब्जी दूध पैदा नही कर सकता ?????

मैं कहता हूँ कि आज अगर वेनेजुएला की सरकार यहां पंजाब से सिर्फ 1000 किसानों को अपने यहां आमंत्रित कर ले और सिर्फ जरूरी मशीनरी दे दे तो सिर्फ 6 महीने में हमारे किसान इतना अनाज , सब्जी , फल और दूध पैदा कर देंगे कि पूरे वेनेजुएला से खाया न जाये ........ अकेला एक कपूरथला जिला इतना खरबूजा पैदा करता है कि पूरा North India खाता है .......

सवाल है कि सरकार ने ये मुफ्तखोरी अपने नागरिकों को क्यों सिखाई ?
अपने देश की जनता को निकम्मा , नकारा , हरामखोर किसने बनाया ?
जब इतनी भुखमरी है देश मे तो भी क्या जनता अपने घर के पिछवाड़े घीया तोरी कद्दू के बीज सिर्फ डाल दे तो भी दो महीने में इतनी सब्जी हो जाएगी कि उसको उबाल के खा के पेट भर लेंगे लोग ........
पिछले 10 साल से भुखमरी है देश मे ........ न सरकार चेती न जानता ???????

आज राहुल G चुनावी वादा कर रहे कि 5 करोड़ गरीब परिवारों को 6000 महीना 72000 सालाना दे के भारत मे 7 venezuela बनाना चाहते हैं ।
3.5 करोड़ लोगों का एक Venezuela है ।
राहुल G 25 करोड़ लोगों को मुफ्तखोर बनाना चाहते हैं यानी 7 Venezuela .........

राहुल G / कांग्रेस की इस मुफ्तखोरी योजना का बजट होगा 3 ,60,000 करोड़ रु यानी हमारे कुल रक्षा बजट से भी ज़्यादा ........

Congress सत्ता में वापसी के लिए इस देश को Venezuela बना देगी .........

Congress से बचो .......

कांग्रेस के 49 वर्षीय युवा नेता माननीय राहुल गांधी जी बस नाम ही काफी है

राहुलजी का जीवन परिचय

कांग्रेस के 49 वर्षीय युवा नेता माननीय राहुल गांधी जी बस नाम ही काफी है।
राहुल जी एक ज़मीनी और तो और बुनियादी नेता हैं जो बचपन से ही देश के तमाम सामाजिक आंदोलनों में भागीदार रहे हैं…
तमाम संघर्षों में भाग लेने वो इटली से अमेरिका तक भी जाते रहे… थाईलैण्ड के संघर्षों में तो उनकी प्रमुख भूमिका रही है…😜

ग़रीबी और अभावग्रस्त जीवन होने के कारण उन्हें कई बार ग़रीबों, दलितों की झोपड़ियों में जाकर खाना माँग कर खाना पड़ा…
उनके कुर्ते की जेब भी अक़्सर फटी रहती है…

नोटबन्दी के दौरान उन्हें हज़ार दो हज़ार रुपये के लिए भी ATM की भीड़ में धक्का-मुक्की झेलनी पड़ी थी..

उनके द्वारा सभी देशवासियों को भैया सम्बोधित करने के कारण अस्सी-नब्बे साल के बुज़ुर्ग भी ख़ुद को युवा महसूस करने लगे हैं… 😎

सन् 2004 में अपने इंग्लैण्ड सत्संग के दौरान वेनेजुएला निवासिनी एक स्पेनिश आर्किटेक्ट उनकी शिष्या बन गयी थी… 😚

उनके शिष्यों के क्रांतिकारी दार्शनिक विचारों से भारत के जनमानस में कई बार रिक्टर स्केल पर 9.0 तक के भूचाल आते रहे हैं।

उनका दर्शन है कि कांग्रेस एक सोच है जो 3000 साल पुरानी है…

भारतीय इतिहास, अध्यात्म, दर्शन, धर्म पर उनकी पकड़ और ज्ञान अद्वितीय है… उनके इसी दर्शन के आधार पर मनमोहन सरकार ने पुरातत्व विभाग से उन्नाव में ख़ुदाई तक करवा डाली थी…

मोदी सरकार का स्वच्छता अभियान उन्हीं के एक विचार से प्रभावित है - जहाँ सोच वहीं शौचालय… 😜

समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र पर उनका ज्ञान कौटिल्य के समकक्ष है… खेत की बजाय आलू बनाने वाली फ़ैक्टरी और आलू डालकर सोना निकालने वाली मशीनों की उनकी थ्योरी से विज्ञान जगत में हलचल मच गई है… 😏

सुना है कि भौतिक शास्त्र के नॉबेल पुरस्कार से उन्हें महज़ एक ग़रीब इण्डियन होने के कारण वंचित कर दिया गया… खेती-किसानी और ग़रीबी की रेखा के नीचे वाले अंत्योदय फार्म हाउस उन्हें विरासत में मिले... उनके माननीय इकलौते भगिनी-वर भी देश के सबसे ग़रीब भूमिहीन किसानों में हैं...

राहुल जी को गुड़ की खेती जैसी विस्मयकारी कलाएं अपने पिता से विरासत में मिलीं...

अब उनका अपनी किसानी में कटहल की बेल और पुदीने के विशाल वृक्षों पर शोध जारी है...

खाट पर चर्चा और गब्बर सिंह टैक्स जैसी अद्वितीय खोजों से वो देश के जनमानस पर छा गए…

राहुल जी जनेऊधारी कट्टर कर्मकाण्डी दरिद्र हिन्दू ब्राह्मण हैं…💐

वो कान पर जनेऊ चढ़ाए बिना संसद के शौचालय में भी नहीं जाते... उन्होंने इटली में रोमा देवी और थाईलैण्ड में थाई नाथ की घोर तपस्या की है...

पिछले वर्ष जब असम में सुबह मंदिर जाते समय किसी महिला ने उनको रोका-टोका तो उसे और असम की जनता को उन्होंने श्राप दे दिया… श्राप के परिणामस्वरूप असम की जनता आज भाजपा का सुशासन झेलने को मज़बूर है…

ज्योतिष का प्रकाण्ड ज्ञानी होने के कारण शुभ दिन बीतते ही खरमास के पहले दिन उन्होंने अध्यक्ष पद जैसा हलाहल पीया...

राहुल जी भी ब्राह्मण रावण की ही तरह परम शिवभक्त हैं… अपने गुजरात मेधयज्ञ के दौरान वो नियमित रूप से बीसियों मंदिरों में जाकर नियमित कर्मकाण्ड करते रहे…

अपने पौराणिक चुनाव क्षेत्र अमेठी को विश्वस्तरीय बनाने में राहुल जी एक मिसाल हैं… आज अमेठी की गिनती दुनिया के सबसे बेहतरीन 10 शहरों में है… राहुल जी का संसद की बहसों में भी अपना एक कीर्तिमान है…
कई बार जब वह संसद में बैठकर राष्ट्र चिंतन करते थे तो विपक्षी उनसे जलते हुए उन पर संसद में सोने का आरोप लगाते रहे हैं…

अपने कार्यों को तुरंत निपटने के वो सैद्धांतिक प्रतिबद्ध रहे हैं… एक बार तो इसी सिद्धान्त के तहत उन्होंने मंत्री के हाथ से छीनकर प्रस्तावित बिल फाड़कर तुरन्त निपटारा कर डाला था…

एक हिन्दू और ब्राह्मण होने के नाते हमें उनपर मीट्रिक टनों गर्व है… हमें उम्मीद है कि इस देश को उनके रूप में एक कुशल, ज्ञानी, अनुभवी, प्रतापी, जुझारू, संघर्षलीन नेतृत्व मिलेगा जो इण्डिया को दुनिया से भी बाहर ले जाकर तीनों लोकों में अपनी कीर्ति स्थापित करेगा…
😢😜😃👍

साभार

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