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रविवार, 31 मार्च 2019

अप्रैल फूल किसी को कहने से पहले इसकी वास्तविक सत्यता जरुर जान ले.!!

आवश्यक सूचना।
अप्रैल फूल बोलना गुलामी मानसिकता है।
🕉️

"अप्रैल फूल" किसी को कहने से पहले
इसकी वास्तविक सत्यता जरुर जान ले.!!

ये नाम अंग्रेज ईसाईयों की देन है…

पावन महीने की शुरुआत को मूर्खता दिवस
कह रहे हो !! पता भी है क्यों कहते है अप्रैल फूल (अप्रैल फुल का अर्थ है - हिन्दु संप्रदाय के लोगों का मूर्खता दिवस).??

मुर्ख हिंदू संप्रदाय के लोग कैसे समझें "अप्रैल फूल" का मतलब बहुत दिनों से बिना सोचे समझे चल रहा है अप्रैल फूल, अप्रैल फूल ??? इसका मतलब क्या है.??

दरअसल जब ईसाइयत के संप्रदायिक अंग्रेजो द्वारा हम पर 1 जनवरी का नववर्ष थोपा गया तो उस समय लोग विक्रमी संवत के अनुसार
01 अप्रैल से अपना नया साल बनाते थे और उत्सव मनाते थे, जो आज भी सच्चे हिन्दु संप्रदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है, आज भी हमारे बही खाते और बैंक 31 मार्च को बंद होते है और 01 अप्रैल से शुरू होते है, पर उस समय जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था, तो इसी ईसाइयत के मानने वाले अंग्रेजों ने विक्रमी संवत का नाश करने के लिए साजिश करते हुए 01 अप्रैल को मूर्खता दिवस "अप्रैल फूल" का नाम दे दिया ताकि हमारी सभ्यता मूर्ख लगे और कही जाए।

अब आप ही सोचो अप्रैल फूल कहने वाले कितने
सही हो आप ?

याद रखो अप्रैल माह से जुड़े हुए इतिहासिक दिन और त्यौहार

1. हिंदू संप्रदाय के लोगों का पावन महिना इस दिन से शुरू होता है (शुक्ल प्रतिपदा)

2. हिन्दु संप्रदाय के लोगों के रीति -रिवाज़ सब इस दिन के कैलेण्डर के अनुसार बनाये जाते है।

01 अप्रैल का दिन दुनिया को दिशा देने वाला है।

अंग्रेज ईसाई, हिन्दु संप्रदाय के लोगों के विरुद्ध थे इसलिए हिन्दू संप्रदाय के लोगों के त्योहारों को मूर्खता के दिन कहते थे, और उन्होंने इसे ऐसे फैलाया कि, आज भी हिन्दू संप्रदाय के मानने वाले सब लोग भी बहुत शान से  01 अप्रैल को  मूर्खता दिवस कह रहे हो !! आपसे आग्रह है कि, 01 अप्रैल को मूर्खों (Fools') का दिन लिखकर बनाकर और मनाकर आप अपनी गुलाम मानसिकता का सुबूत ना दो

अप्रैल फूल का दिवस जोकि भारतीय सनातन कैलेंडर के हिसाब से नववर्ष का दिवस था और जिसका अनुसरण आदिकाल से पूरा विश्व करता था, उसको भुलाने और मजाक उड़ाने के लिए ईसाईयों के द्वारा बनाया गया था।

1582 में पोप ग्रेगोरी ने नया कलेण्डर अपनाने का फरमान जारी कर दिया जिसमें  01 जनवरी को नया साल का प्रथम दिन बनाया गया।

जिन लोगो ने इसको मानने से इंकार किया, इसाई संप्रदाय के लोगों ने 01 अप्रैल वाले दिन उनका  मजाक उड़ाना शुरू कर दिया, और धीरे-धीरे 01 अप्रैल नया साल का नया दिन होने के बजाय मूर्ख दिवस बन गया।

आज भारत के सभी लोग अपनी ही संस्कृति का मजाक उड़ाते हुए 'अप्रैल फूल डे' मना रहे है।

जागो हिन्दु संप्रदाय के लोगों जागो।।
अपने संप्रदाय को पहचानो।

इस जानकारी को इतना फैलाओ कि कोई भी इस आने वाली  01 अप्रैल से अपनी  मूर्खता का परिचय न दे और और अंग्रेजों द्वारा प्रसिद्ध किया गया ये हिंदु संप्रदाय के लोगों का मजाक तुरंत बंद हो जाये।
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