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शनिवार, 29 मई 2021

हृदय, वक्षस्थल और फुफ्फुस शक्ति संवर्धन क्रिया योग: हृदय और फेफड़ो की सामर्थ्यता बढ़ाने वाला क्रिया योग

हृदय, वक्षस्थल और फुफ्फुस शक्ति संवर्धन क्रिया योग: हृदय और फेफड़ो की सामर्थ्यता बढ़ाने वाला क्रिया योग

आज के इस युग मे श्वास भी शुद्ध नही तो खानपान भी शुद्ध नही। इम्युनिटी कमजोर हो रही है हृदय रोगों बढ़ रहे है। ऐसी दशा में आप निम्न छोटी छोटी क्रियाओं के द्वारा अपने फेफड़े मजबूत कर श्वसन क्रिया को सुचारू और आकस्मिक परिस्तिथियों के अनुकूल बना सकते है।

ये क्रियाए ना केवल आपकी इम्युनिटी बढ़ाएगी वरन हृदय को भी स्वस्थ रखने में सहायक होगी

*हृदय, वक्षस्थल और फुफ्फुस शक्ति संवर्धन क्रिया के लाभ*

आजकल हार्ट अटैक आदि व्याधियों की संख्या बढ़ रही है। लाखों रुपये आपरेशन आदि के लिए खर्च हो रहे हैं। इन सुलभ क्रियाओं से छाती संबंधी व्याधियाँ दूर होंगी

इन क्रियाओं से सीना चौड़ा होता है।

प्राणवायु अधिक मिलने के कारण छाती, हृदय तथा फेफड़ों की शक्ति बढ़ती है।

थकावट दूर होती है। 

काम करने का उत्साह बढ़ता है। 

फेफड़े संबंधी टी.बी.आदि, व्याधियाँ भी रोकी जा सकेगी | 

*हृदय, वक्षस्थल और फुफ्फुस शक्ति संवर्धन क्रिया योग की विधि*

सभी क्रियाएं सुखासन में बैठकर की जानी चाहिए तथापि उम्र, समय, अवधि, वातावरण या अन्य किसी प्रकार का कोई विशेष बंधन नही है

सभी क्रियाएँ करते समय छाती फुलाते हुए 3 या 4 लीटर हवा अंदर लें। यथास्थिति में आते हुए उस हवा को बाहर पूरा छोड़ दें। हर एक क्रिया 5 से 10 बार करें। क्रियाएँ निम्न प्रकार हैं |

*प्रथम क्रिया*
अंगूठों को हथेलियों में बंद कर मुट्ठी कस लें। दोनों मुट्टियाँ नाभि के पास रखें। साँस लेते हुए दोनों मुड़ियों को बाजू से सिर के साथ ऊपर उठावें। साँस छोड़ते हुए मुट्टियाँ नाभि के पास ले आवें।

*द्वितीय क्रिया*
दोनों हाथ सामने की ओर पसारें। धीरे से साँस लेते हुए हाथ ऊपर उठावें। नमस्कार करते हुए सिर उठा कर हाथों को देखें | सांस छोड़ते हुए हाथों तथा सिर को यथास्थिति में ले आवें।

*तृतीय क्रिया*
दोनों हाथ आगे पसारें। दोनों हथेलियाँ मिलावें। साँस लेते हुए हाथ बगल में पसार कर सिर उठाते हुए ऊपर देखें| सांस छोड़ते हुए यथास्थिति में आ जावें।

*चतुर्थ क्रिया*
दोनों हथेलियों को उलटा कर उन्हें मिलावें, ऊपरी क्रिया की तरह करें।

*पंचम क्रिया*
दोनों हाथ बगल में पसारें। सांस लेते हुए दोनों हाथ और सिर ऊपर उठाकर वे नमस्कार करें। सांस छोड़ते हुए पूर्वस्थिति में आवें।

*षष्टम क्रिया*
दोनों हाथ आगे पसार कर ऊपर से गोलाकार में उन्हें घुमावें | हाथ ऊपर उठाते समय सांस लें। ऊपर से हाथों को नीचे लाते हुए सांस छोड़ें। 8 से 10 बार ऐसा घुमावें। फिर इसी प्रकार रिवर्स करें |

*सप्तम क्रिया*
दोनों हाथ बगल में पसार कर सांस छोड़ते हुए दोनों हथेलियों से दोनों ओर से पीठ का स्पर्श करते रहें। एक कुहनी दूसरी कुहनी पर आवें। सांस लेते हुए जल्दी-जल्दी हाथ पसारते रहें। एक बार दायाँ हाथ ऊपर आवे और एक बार बायाँ हाथ ऊपर आवे |

*अष्ठम क्रिया*
दोनों हाथ बगल में से ऊपर उठाकर सिर के ऊपर से दायों हथेली से बायीं कुहनी का, बायीं हथेली से दायीं कुहनी का स्पर्श करते रहें। सांस लेते हुए हाथ ऊपर उठावें। सांस छोड़ते हुए हाथ नीचे उतारें।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

सनातन धर्म के कथन और हिन्दुओ का भ्रम :जानिए हिंदुओं के मुख्य भ्रम और उनके निवारण

सनातन धर्म के कथन और हिन्दुओ का भ्रम :जानिए हिंदुओं के मुख्य भ्रम और उनके निवारण:-

वन्दे मातरम

भ्रम :- सारी मानवता एक है हम वसुदेव कुटुम्बकम को मानते हैं और सबका सम्मान करते हैं ।

निवारण :- सारी मानवता एक अवश्य है परन्तु बीच में जो अराजक तत्व पैदा होते हैं उनका समूल नाश भी समय समय पर आवश्यक है और सम्मान केवल उनका करना चाहिए जो सम्मान के योग्य हों । 

भ्रम :- हमारी संस्कृति हमें किसी से लड़ना नहीं सिखाती ।

निवारण :- तो क्या हमारी संस्कृति हमें कायरता और नपुंसकता सिखाती है ? उचित स्थान पर युद्ध करना हमारी संस्कृति का एक भाग है । 

भ्रम :- हमने कभी किसी दूसरे देश पर आक्रमण करके उसपर अधिकार नहीं किया ।
निवारण :- तो क्या विश्व का चक्रवर्ती शासन आपको विदेशियों ने गिफ्ट में दे दिया था ? अवैदिक मतों का नाश कर वैदिक धर्म का ध्वज लहराने के लिए समय समय पर राज्य की सीमाओं का विस्तार करके चक्रवर्ती शासन करने के लिए वेद का आदेश है और हमारे महापुरुषों ने इसे किया भी है ।

भ्रम :- हमें सब धर्मों का सम्मान करना चाहिए किसी दूसरे के धर्म का अपमान नहीं करना चाहिए । हमें हमारे शास्त्र ऐसा करना नहीं सिखाते ।

निवारण :- तो क्या हमारे शास्त्र ये सिखाते हैं कि अपने धर्म की निंदा सुनकर हिजड़ों की तरह शांति का जाप करते रहो और मुस्कुराते रहो ? हमारे न्याय आदि सारे दर्शन ये बलपूर्वक कहते हैं कि तर्क और युक्तियों से असत्य बातों का खंडन करो और सत्य
 सिद्धान्तों की स्थापना करो । और धर्म केवल वैदिक ही होता है दूसरा कोई धर्म है ही नहीं ।बाक़ी सब संमप्रदाय / मत हैं। धर्म का अर्थ कर्तव्य है। 

भ्रम :- हमने अपने देश में सभी संस्कृतियों को आश्रय दिया क्योंकि हम अतिथि देवो भव वाली संस्कृति पर विश्वास करते हैं ।

निवारण :- आपने किसी को आश्रय नहीं दिया बल्कि वे बलपूर्वक आपको रौंदते हुए आपकी जमीनें हथ्याकर आपकी छाती पर चढ़ बैठे हैं जिनको आप अपने देश से निकाल नहीं पाए । और क्या अतिथि देवो भव का ये अर्थ होता है कि आपके घर में कोई अतिथि आए और वो आपके घर की सम्पदा को लूटना शुरू कर दे और आपकी स्त्रियों को दूषित करना शुरू कर दे और उसके बाद आप उसको अपने घर में रहने की अनुमति दे दें ? ये बेशर्मी भरे सिद्धान्त कहाँ से सीखे आपने ? इसलिए आपको आक्रांता और अतिथि में अंतर ही नहीं पता । 

भ्रम :- हमें हमारे धर्म पूर्ण धैर्य की शिक्षा देता है, इसलिए अपने शत्रु को भी क्षमा करने वाला देवता होता है ।

निवारण :- तो अपने देवता बनकर करना क्या है ? वैसे भी कायरता और धैर्य में अंतर है, धैर्य हर स्थान पर नहीं कभी कभी शोभा देता है, और शत्रुओं का आक्रमण होता रहे और आप धैर्य को पकड़कर चाटते रहो और कुछ करो ही नहीं तो ये कायरता और नपुंसकता है । शत्रु को क्षमा नहीं बल्कि उसका पूरा ही विनाश करना चाहिए और अपनी प्रजा की रक्षा करनी चाहिए । जब तक एक भी आपका शत्रु जीवित है तबतक सुख से नहीं बैठना चाहिए । 

भ्रम :- हम राम और कृष्ण की संस्कृत को मानने वाले लोग हैं ।

निवारण :- केवल मानने मात्र से ही काम चल सकता तो आज राम मंदिर के लिए सैकड़ों वर्ष संघर्ष न करना पड़ता और कृष्ण जन्मभूमि आदि को मस्जिद मुक्त करने का प्रश्न ही नहीं होता । परन्तु राम और कृष्ण की संस्कृति का पालन करने वाले होते तो भारत में एक भी विदेशी विधर्मी आदि न होता । कितने राम के भक्त हैं जो धनुष चलाना जानते हैं ? कितने कृष्ण भक्त हैं जो सुदर्शन चक्र चलाना जानते हैं ? कितने हनुमान भक्त हैं जो गदा चलना जानते हैं ? कितने परशुराम भक्त फरसा चलाना जानते हैं ? तो केवल मानने से ही नहीं पालन करने से बात बनेगी । 

ऐसे और भी भ्रम हैं जिनका निवारण होते रहना चाहिए ।

जय हिंद जय भारत
जय हिन्दू जय श्री राम

मसालों की शुद्धता आपका अधिकार जानिये शुद्धता की पहचान कैसे करें

मसालों की शुद्धता आपका अधिकार जानिये शुद्धता की पहचान कैसे करें

खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए हर घर की रसोई में मसालों (spices) का इस्तेमाल होता है। पहले के समय में महिलाएं सभी मसाले खुद घर में पीस कर तैयार किया करती थी। लेकिन आज के व्यस्त जीवन में बहुत कम लोग घर में मसाले बना पाते हैं। आजकल को बहुत आसानी से सभी मसाले बाजार में उपलब्ध हैं। बाजार में बिकने वाले ये मसाले कितने शुद्ध हैं और कितने मिलावटी (Food Adulteration) इसका तो अंदाजा भी आप नहीं लगा सकते।


सूत्रों के अनुसार यूपी के हाथरस में पुलिस ने गधे की लीद से मसाले बनाने वाली फैक्ट्री का भांडा फोड़ा था।

हाथरस में स्थानीय ब्रांड के मसाले बनाने वाली एक फैक्ट्री में गधे की लीद, भूसा और एसिड का इस्तेमाल कर मसाले तैयार किए जाते थे। इस फैक्ट्री में गधे की लीद और एसिड से धनिया पाउडर (Coriander Powder), लाल मिर्च पाउडर (Red Chilly Powder), गरम मसाला (Garam Masala) आदि मसाले बनते थे।

*केसर*
केसर काफी महंगी आती है और इसमें मिलावट भी बहुत ज्यादा होती है। इसे पहचानने के लिए केसर के एक बाल को हाथ में ले और तोड़ने की कोशिश करें। अगर यह असली होगा, तो आसानी से नहीं टूटेगा। इसमें मिलावट के लिए भुट्टे के बाल रंग करके मिलाए जाते है, नकली बाल जल्दी टूट जाता है।

*धनिया*
धनिया में मिलावट करने के लिए सबसे ज्यादा जंगली घास पीस कर मिलाई जाती है। सूखने के बाद इस घास का रंग भी धानिए जैसा हो जाता है। असली धनिए की खुशबू बहुत तेज होती है। अगर पिसे हुए धनिए से खुशबू कम या न के बराबर का रही है तो समझ जाए कि वह नकली है।

*हल्दी पाउडर*
हल्दी की पहचान करने के लिए इसे पानी में डालिए। अगर पानी में डालते ही हल्दी का रंग जल्दी गायब हो जाए तो वो नकली है। वहीं असली हल्दी हल्के पीले रंग की होती है। बाजारो में खउली हल्दी गहरे पीले रंग की मिलती है। यही असली हल्दी की पहचान है।

*नमक*
नमक में भी बहुत मिलावट की जाती है। खाना कैसा भी हो शाकाहारी या मांसाहारी सभी में नमक इस्तेमाल होता है। इसे चेक करने का तरीका यह है कि एक आलू को दो हिस्सों में काटकर उस पर नमक लगा दें। उस पर नींबू के रस की कुछ बूंदें डाल दें। 10 मिनट बाद चेक क रें कि अगर उसका रंग नीला हो जाए तो वो आयोडाइज है, अगर नहीं होता है तो वो नकली नमक है।

*लाल मिर्च पावडर*
ज्यादातर लाल मिर्च पाउडर में मिलावट के लिए ईंट पाउडर, नमक पाउडर या तालक पाउडर का यूज किया जाता है। इस तरह की मिलावट का पता लगाने के लिए आप एक कांच के गिलास में सादा पानी लें। अब इसमें एक चम्मच मिर्च पाउडर मिलाएं और 5 मिनट के लिए छोड़ दें। अगर मिर्च पाउडर में मिलावट है तो यह अपना रंग बदल देगा।

*काली मिर्च*
काली मिर्च में मिलावट जांचने के लिए पांच ग्राम काली मिर्च एक ग्लास अल्कोहल में डालें। यदि पांच मिनट बाद भी कुछ बीज तैरते रहे तो उसमें पपीते के बीज या काली मिर्च के खोखले मिर्च की मिलावट की गई है।

for Organic Masala
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जिसे सम्पूर्ण विश्व ने अपनाया क्या उस भारतीय चिकित्सा पद्धति को भारत मे ही अग्नि परीक्षा देनी होगी

जिसे सम्पूर्ण विश्व ने अपनाया क्या उस भारतीय चिकित्सा पद्धति को भारत मे ही अग्नि परीक्षा देनी होगी_*

औषधि के बारे में यही कहा है कि
 *"मन्त्रे तीर्थे द्विजे देवे, दैवज्ञे #भेषजे गुरौ।*
*यादृशी भावना यस्य सिद्धिर्भवति तादृशी.."*

जिसकी जहाँ श्रद्धा है वह वहीं से ठीक होगा।
यह बहस ही निरर्थक थी।
मान लिया कि बाबा बिजनेस मैन है।
तो क्या व्यापारी होना गुनाह है।
व्यापारी और उद्योगपति भी तो हमारे गौरव के विषय है।
दिक्कत ये नहीं है।
दिक्कत कुछ और है।
बाबा एक तो हिन्दू, ऊपर से भगवा, बिल्कुल पालघर की तर्ज पर सॉफ्ट टारगेट, ऊपर से आयुर्वेद का उद्धारक!
ऊपर से चरित्र का पक्का।

"बाबा तेरा बच्चा मेरे पेट में पल रहा है!" दो तीन शूर्पणखाएं ये इल्जाम लेकर भरे दरबार में गई थी लेकिन बाबा वहाँ भी पकड़ में नहीं आया।
जरा सी नुक्स मिले तो रामदेव का आसाराम कर दें।

पर बाबा का रथ अजेय यौद्धा की तरह बढ़ता ही जा रहा है।
बाबा को देख देखकर कसाई, वामी, यीसाई के जितनी मिर्ची लग रही है उसका निकट भविष्य में कोई अंत नहीं।
लिबरल की तो बाबा से इतनी जलती है जितनी चपटी धरती वालों की इजरायल से।

और ऐसे में बाबा ने आजतक पर एक और ट्रिक खेल दी।
बहस पूरी होते होते सबको समझ आ गया 'ये तो उल्टा हो गया!'
यूट्यूब के कमेंटबॉक्स में बाबा से भी ज्यादा गालियां आजतक चैनल और अंजना ओम को मिल रही है।

सारे लिबर्ल्स में मातम व्याप्त है।

एलोपैथी ने बचाया है तो आयुर्वेद ने भी बचाया है।
आयुर्वेद वाला एक डॉक्टर मरा है तो एलोपैथी वाले एक हजार मर गए।

कोरोनिल को who ने मान्यता नहीं दी तो कोवेक्सिन को भी नहीं मिली।
कोरोनिल वाले एलोपैथी खाकर बचे हैं तो एलोपैथी वालों ने भी काढ़ा पिया है, यह तर्क भी दोनों पर लगता है।

लोग अपने आप ठीक हो रहे हैं तो यह भी दोनों पर लागू है।
कई प्रकार की इमरजेंसी में आयुर्वेद फेल है तो कई असाध्य रोगों में एलोपैथी बिल्कुल अंधी।
बाबा के पास एलोपैथी के दशांश संसाधन भी होते तो बाबा इन्हें #रगड़_रगड़कर_धोता।

और जब बाबा ने कहा "हमने तो एलोपैथी की प्रशंसा भी की है, लेकिन तुम आयुर्वेद के योगदान पर चुप क्यों हो?"
डॉ लेले, डॉक्टर कम कन्वर्टेड पादरी ज्यादा लग रहा था।

एक बार बहस इस मोड़ पर पहुंची कि "बाबा सारा कोविड अभियान तुम अपने हाथ में क्यों नहीं लेते?"
बाबा - "मैं लेने के लिए तैयार हूँ!"
एलोपैथी ने कहने को तो कह दिया लेकिन इस कथन एक कथन से लाखों लोगों की सांस हलक में अटक गई।
न जाने कितने ही माफिया केवल इस महामारी के भरोसे अपना खर्चा निकाल रहे हैं। एक बार तो सबको अपनी दुकानें बंद होती दिखीं।
बाबा तो दुस्साहसी है। वह पंगे लेता है तो निबटना भी जानता है। वह तो कोविड अभियान को ले भी लेगा, लेकिन तुम दोगे तब न।

कोरोनिल नहीं बिकी तो बाबा आटा बेच देगा। वह भी न बिका तो गुफा में चला जाएगा लेकिन तुम लोगों का लाखों करोड़ों का इन्वेस्टमेंट दो दिन में तुम्हें आत्महत्या करने पर विवश कर देगा।
इसलिए जेसा चल रहा है, चलने दो। 

घर में प्राणायाम कर काढ़ा पीकर हॉस्पिटल पहुंचो और अजिथरामैसीन के साथ 70 हजार की रेमडीसिविर बेचकर रात को वापस आकर कोरोनिल खाकर सो जाओ।

समस्या कोविड नहीं है।
समस्या एलोपैथी के प्रति श्रद्धा भी नहीं है।

*बीमारी उन जाहिल सेक्युलरों की खोपड़ी में हैं जो भगवा वस्त्र देखते ही कुत्तों के माफिक भड़कते रहते हैं।*

और इस बिमारी का कोई इलाज नहीं।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

वेक्सीन विवाद: सरकार का विश्व शांति के लिए किए कामो पर उठाए जा रहे दुश्मनों द्वारा सवाल

वेक्सीन विवाद: सरकार का विश्व शांति के लिए किए कामो पर उठाए जा रहे दुश्मनों द्वारा सवाल

साभार -विवेक दर्शन पत्रिका

वैक्सीन एक्सपोर्ट की सच्चाई जानेंगे तो सारे जिहादियों और सेकुलरों का सिर शर्म से झुक जाएगा

जिहादी और सेकुलर लगातार एक मुद्दा उठा रहे हैं साथ ही ये पोस्टर लगा रहे हैं कि हमारे बच्चों की वैक्सीन दुनिया में क्यों एक्सपोर्ट कर दी ? कितनी वैक्सीन कहां भेजी गई और क्यों भेजी गई ? इसका पूरा हिसाब किताब इस लेख में है । और साथ ही ये भी बताएंगे कि कैसे भारत के जिहादियों को सऊदी अरब में फ्री वैक्सीन की डोज का मजा मिल रहा है । 

11 मई तक भारत ने कुल 6.6 करोड़ वैक्सीन के डोज विदेशों में निर्यात किए हैं । इसमें से 84 प्रतिशत यानी करीब 5 करोड़ वैक्सीन लाइबेलिटी के तहत बाहर भेजी गई है । लाइबेलिटी मतलब भारतीय कंपनी के द्वारा विदेशी कंपनी या दूसरे देश के साथ हुए समझौते के तहत वैक्सीन को बाहर भेजा गया है । अगर भारत की कंपनी वैक्सीन बाहर भेजने का समझौता स्वीकार नहीं करती तो भारतीय कंपनियों को वैक्सीन बनाने का कच्चा माल ही नहीं मिलता ।

भारत में जो कंपनी वैक्सीन बनाती है वो वैक्सीन बनाने का कच्चा माल विदेशों से इम्पोर्ट करती है । जिन देशों ने भारत की कंपनियो को ये कच्चा माल दिया । उन देशों ने भारत की वैक्सीन निर्माता कंपनियों से करार किया कि हम आपको कच्चा माल तभी देंगे जब आप वैक्सीन बनाने के बाद कुछ प्रतिशत हमको भी बेचेंगे । इस वैक्सीन के लिए भारतीय कंपनियों को पेमेंट भी दी गई है । लगभग 5 करोड़ वैक्सीन ऐसे ही कुछ अनुबंधों के तहत विदेशों में भेजना भारत की कंपनियों की व्यवसायिक जिम्मेदारी थी । इसके अलावा एक करोड़ 7 लाख वैक्सीन मदद के रूप में भारत के पड़ोसी देशों को भेजी गई है । इसकी जरूरत क्यों पड़ी ? आगे बताएंगे । 

आपको ये बात जानकार आश्चर्य होगा कि आज बहुत सारे जिहादी और इस्लाम परस्त सेकुलर भी वैक्सीन एक्सपोर्ट को लेकर भारत सरकार को घेर रहे हैं । लेकिन सच्चाई ये है कि भारत की कंपनियों ने कुल एक्सपोर्ट हुई वैक्सीन का 12.5 प्रतिशत सऊदी अरब को एक्सपोर्ट किया है । सऊदी अरब में 15 लाख 40 हजार भारतीय रहते हैं और ये बताने की जरूरत नहीं है कि इनमें से 90 प्रतिशत मुसलमान हैं जिहादी हैं । भारत ने यहां से जो वैक्सीन सऊदी अरब को एक्सपोर्ट की है । वो सारी वैक्सीन सऊदी अरब में रहने वाले इन हिंदुस्तानी जिहादियों को मुफ्त में लगाई जा रही है । आप सोचिए कितने शर्म की बात है कि जिहादियों को वैक्सीन फ्री में ठोंकी जा रही है फिर भी भारत में मोजूद जिहादी हल्ला हंगामा काट रहे हैं क्योंकि मकसद सिर्फ मोदी का विरोध है । 

भारत ने 2 लाख वैक्सीन डोज युनाइटेड नेशन पीस कीपिंग फोर्स को दिया है । भारत के बाहर भी भारत के हजारों जवान संयुक्त राष्ट्र के मिशन के तहत शांति सेना के रूप में नियुक्त हैं । इन हजारों जवानों को भी वैक्सीन लगाने के लिए वैक्सीन एक्सपोर्ट की गई है । अब जिहादी जवाब दें कि क्या वैक्सीन भारत के सैनिकों और जवानो को लगे तो उन्हें कोई दिक्कत है ? 

इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक कोवैक्स फैसेलिटी का निर्माण किया है । भारत सरकार को WHO के इस कोवैक्सीन फैसेलिटी को कुल एक्सपोर्ट वैक्सीन का 30 प्रतिशत भेजना पड़ा । ये दुनिया की मदद के लिए किया गया एक समझौता था जिस पर हर देश के साइन हैं । अगर आज मोदी के अलावा कांग्रेस का भी प्रधानमंत्री होता तो भी उसको ये वैक्सीन WHO को भेजना ही पड़ता । 

कमर्शियल लाइसेंसिंग क्या होती है ? इस बात को आप ऑक्सफोर्ड और सीरम की वैक्सीन कोविशील्ड से भी समझ सकते हैं । दरअसल सीरम भारत की कंपनी है जो वैक्सीन बनाती है । लेकिन उसने लाइसेंस और फॉर्मूला ब्रिटेन की कंपनी एक्स्ट्राजेनेका (ऑक्सफोर्ड) का लिया हुआ है । पहले ऑक्सफोर्ड ने भारतीय कंपनी सीरम से बिलकुल साफ कहा था कि हम आपको लाइसेंस तभी देंगे जब आप हर महीने हमें 50 लाख वैक्सीन बनाकर देंगे । तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ब्रिटेन की सरकार से बात करके इस रुकावट को दूर किया और सीरम को लाइसेंस मिला नहीं तो कोवीशील्ड वैक्सीन तो भारत में बन ही नहीं पाती ।

इसके अलावा भारत सरकार ने 7 पड़ोसी देशों को भी वैक्सीन भेजी है । ये सारे पड़ोसी देश लगातार चीन के प्रभाव में आते जा रहे हैं । अगर यहां भारत ने वैक्सीन नहीं भेजी होती तो चीन इन देशों पर और ज्यादा प्रभाव जमा लेता । इसलिए भारत ने बांग्लादेश भूटान श्रीलंका अफगानिस्तान वगैरह को वैक्सीन भेजी है । अब जैसे उदाहरण के लिए समझिए... चीन ने बांग्लादेश को अपनी वैक्सीन ऑफर की लेकिन बांग्लादेश ने मना कर दिया और भारत का हाथ पकड़ा । लेकिन अब जरा विचार कीजिए कि जो चीन पाकिस्तान से हर चीज की कीमत वसूल रहा है उसी चीन को आखिरकार मजबूरी में बांग्लादेश को फ्री वैक्सीन गिफ्ट के तौर पर भी ऑफर करनी पड़ी । सोचिए वैक्सीन के नाम पर इतनी बडी कूटनीति चल रही है । दरअसल भारत को भी ये कूटनीति करनी पड़ती है आप अपनी सीमा पर हर तरफ दुश्मनी मोल नहीं ले सकते हैं । 

कुछ लोग ये अफवाह भी उड़ा रहे हैं कि भारत सरकार ने पाकिस्तान को वैक्सीन भेज दी है ये बात बिलकुल गलत है । दरअसल सच्चाई ये है कि कोवीशील्ड बनाने वाली ब्रिटेन की कंपनी एक्सट्राजेनेका से पाकिस्तान सरकार का समझौता हुआ है उसी के तहत  वैक्सीन डोज पाकिस्तान भी भेजे गए हैं । लेकिन इसमें भारत सरकार और किसी भी भारतीय कंपनी का कोई रोल नहीं है 

और सबसे बड़ी बात ये है कि वैक्सीन का एक्सपोर्ट फर्स्ट वेव के बाद किया गया था जब हमारे देश में लोग वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार ही नहीं थे और सारे के सारे विपक्षी नेता वैक्सीन की क्वालिटी पर ही सवाल खड़े कर रहे थे । 

 तो आप सभी लोगों से हमारी ये अपील है कि संकट के इस समय में भ्रम मत फैलने दीजिए और भ्रम फैलाने वालों को इस पोस्ट से करारा जवाब दीजिए


मानव बनो भारतीय बनो
हिन्दू बनो राष्ट्रवादी बनो
भारत बनेगा विश्वगुरु

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