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बुधवार, 2 जून 2021

माइग्रेन (आधे सिर का दर्द) MIGRAINE/HEMICRANIA

माइग्रेन (आधे सिर का दर्द) MIGRAINE/HEMICRANIA
इस रोग से पीड़ित रोगी के सिर में बहुत तेज दर्द होता है तथा यह दर्द सिर के एक भाग में होता है। इस रोग का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से किया जा सकता है।

माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग होने का लक्षण:-

इस रोग से पीड़ित रोगी के सिर के आधे भाग में तेज दर्द होता है तथा सिर में दर्द होने के साथ-साथ रोगी को उल्टी होने की इच्छा भी होती है। इसके अलावा रोगी को चिड़चडाहट तथा दृष्टिदोष भी उत्पन्न होने लगता है। इस रोग का प्रभाव अधिकतर निश्चित समय पर होता है।

माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग होने का कारण-

1. माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग रोगी व्यक्ति को दूसरे रोगों के फलस्वरूप हो जाता है जैसे- नजला, जुकाम, शरीर के अन्य अंग रोग ग्रस्त होना, पुरानी कब्ज आदि।

2. स्त्रियों को यदि मासिकधर्म में कोई गड़बड़ी हो जाती है तो इसके कारण स्त्रियों को माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।


3. आंखों में दृष्टिदोष तथा अन्य रोग होने के कारण भी माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।

4. यकृत (जिगर) में किसी प्रकार की खराबी तथा शरीर में अधिक कमजोरी आ जाने के कारण व्यक्ति को माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।


5. असंतुलित भोजन का अधिक उपयोग करने के कारण रोगी को माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो सकता है।

6. अधिक श्रम-विश्राम करने, शारीरिक तथा मानसिक तनाव अधिक हो जाने के कारण भी यह रोग व्यक्तियों को हो सकता है।


7. औषधियों का अधिक उपयोग करने के कारण भी माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।


माइग्रेन रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-


1. इस रोग से पीड़ित रोगी का प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को रसाहार (चुकन्दर, ककड़ी, पत्तागोभी, गाजर का रस तथा नारियल पानी) आदि का सेवन भोजन में करना चाहिए और इसके साथ-साथ उपवास रखना चाहिए।

माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) से पीड़ित रोगी को अधिक मात्रा में फल, सलाद तथा अंकुरित भोजन करना चाहिए और इसके बाद सामान्य भोजन का सेवन करना चाहिए।


3. रोगी व्यक्ति को अपने भोजन में मेथी, बथुआ, अंजीर, आंवला, नींबू, अनार, अमरूद, सेब, संतरा तथा धनिया अधिक लेना चाहिए। माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) से पीड़ित रोगी को भोजन संबन्धित गलत आदतों जैसे- रात के समय में देर से भोजन करना तथा समय पर भोजन न करना आदि को छोड़ देना चाहिए।

4. रोगी व्यक्ति को मसालेदार भोजन का उपयोग नहीं करना चाहिए तथा इसके अलावा बासी, डिब्बाबंद तथा मिठाइयों आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए।


5. माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग में रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ सुबह के समय में चाटना चाहिए तथा इसके अलावा दूब का रस भी सुबह के समय में चाट सकते हैं। जिसके फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

6. माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) का इलाज करने के लिए पीपल के कोमल पत्तों का रस रोगी व्यक्ति को सुबह तथा शाम सेवन करने के लिए देने के फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।


7. माइग्रेन रोग का इलाज करने के लिए रोगी व्यक्ति के माथे पर पत्ता गोभी का पत्ता प्रतिदिन बांधना चाहिए, जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।


8. प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा नाक से भाप देकर रोगी व्यक्ति के माइग्रेन रोग को ठीक किया जा सकता है। नाक से भाप लेने के लिए सबसे पहल एक छोटे से बर्तन में गर्म पानी लेना चाहिए। इसके बाद रोगी को उस बर्तन पर झुककर नाक से भाप लेना चाहिए। इस क्रिया को कुछ दिनों तक करने के फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।


9. माइग्रेन रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकर के स्नान भी हैं जिन्हे प्रतिदिन करने से रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है। ये स्नान इस प्रकार हैं-रीढ़स्नान, कुंजल, मेहनस्नान तथा गर्मपाद स्नान।


10. माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग का इलाज करने के लिए प्रतिदिन ध्यान, शवासन, योगनिद्रा, प्राणायाम या फिर योगासन क्रिया करनी चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

मंगलवार, 1 जून 2021

अनलॉक में क्या खुला रहेगा क्या होगा बंद

राजस्थान में 46 दिन बाद 2 जून से अनलॉक की शुरुआत होगी। सरकार ने इसके लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी है। ये गाइडलाइन बुधवार से लागू होगी। इसके तहत सप्ताह में 4 दिन यानी मंगलवार से शुक्रवार तक सशर्त बाजार खोलने और आवाजाही करने की अनुमति दी है। हालांकि, ये नई गाइडलाइन बुधवार से लागू होती तो इस हफ्ते सिर्फ तीन दिन ही छूट मिलेगी। सरकार ने यह फैसला लगाकर कम हो रही संक्रमितों की संख्या के चलते लिया है। राज्य में 2 जून से क्या खुलेगा? और क्या बंद रहेगा? यहां पढ़िए…
मंगलवार से शुक्रवार तक सशर्त छूट

बाजार: मंगलवार से शुक्रवार यानी सप्ताह में 4 दिन सुबह 6 से 11 बजे तक खुलेंगे

मंगलवार से शुक्रवार सुबह 5 बजे से दिन में 12 बजे जिले के अंदर आवाजाही कर सकेंगे।

दूसरे जिले में आवाजाही: 8 जून से सप्ताह में 4 दिन अन्य जिले में आने-जाने की अनुमति होगी।

खाना-पीना: रेस्टोरेंट्स, बेकरी व मिठाई की दुकानों के लिए सुबह 6 से 11 बजे तक टेक-अवे सुविधा

सप्ताह में 7 दिन खुलने वाली दुकानें

मेडिकल और ऑप्टिकल्स स्टोर पूरे सप्ताह खुल सकेंगे।

दूध डेयरी रोज सुबह 6 से 11 व शाम 5 से 7 बजे तक खोली जा सकेंगी।

मंडी फल सब्जी फूल माला की दुकानें रोज सुबह 6 से 11 बजे तक।

स्ट्रीट वेंडर, थड़ी-ठेलों पर सभी तरह के सामान सुबह 6 से 11 खुलेंगे।

सरकारी राशन की दुकानें भी अपनी पहले की तरह टाइम से खुलेंगी।

रेस्टोरेंट्स, मिठाई की दुकानों से रात 10 बजे तक होम डिलीवरी कर सकेंगे।

यहां पूरी तरह पाबंदियां जारी रहेंगी

30 जून तक शादी समारोह पर पाबंदी जारी रहेगी।

स्कूल, कॉलेज, कोचिंग और सभी तरह के शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे।

मॉल्स और शॉपिंग कॉम्पलेक्स फिलहाल बंद रहेंगे।

सार्वजनिक समारोह, हाट बाजार, मेले, धार्मिक स्थल और कार्यक्रम।

सिनेमा हॉल, ऑडिटोरियम, स्विमिंग पूल्स, जिम, पिकनिक स्पॉट, पार्क और खेल मैदान।

एक्टिव केस 10 हजार होने तक वीकेंड कर्फ्यू जारी रहेगा
प्रदेश में एक्टिव केसों की संख्या 10 हजार आने तक शुक्रवार दोपहर 12 बजे से मंगलवार सुबह 5 बजे तक वीकेंड कर्फ्यू रहेगा। इसके अलावा बाकी दिनों में दोपहर 12 बजे से अगले दिन सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू रहेगा। पॉजिटिविटी रेट 10 फीसदी से कम या आईसीयू-वेंटीलेटर बेड वाले मरीज 60 फीसदी से कम हों, ऐसे जिलों में ही बाजार खुल सकेंगे।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट 10 जून के बाद शुरू होगा
2 जून से 25 फीसदी कर्मचारियों के साथ सभी सरकारी ऑफिस सुबह 9 बजे से दोपहर बाद 4 बजे तक खुलेंगे। इसके बाद 7 जून से सभी सरकारी ऑफिस 50 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ खुलेंगे। 10 जून के बाद सभी रोडवेज और निजी बसों को चलाया जाएगा, इसके लिए अलग से आदेश जारी होंगे। बाकी सेवाओं पर पहले वाले प्रावधान लागू होंगे। किराना, फल सब्जी की दुकानें, दूध और डेयरी का समय पहले वाला ही रहेगा।

राज्य सरकार ने अधिकतर जिलों में कोविड संक्रमण के प्रसार में कमी तथा पॉजिटिविटी दर में गिरावट के दृष्टिगत व्यावसायिक एवं अन्य गतिविधियों में राहत देने के लिए 2 जून से आगामी आदेषों तक त्रि-स्तरीय जन अनुषासन मॉडिफइड लॉकडाउन लागू किए जाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री के निर्देष के बाद गृह विभाग ने इस संबंध में सोमवार को नए दिषा-निर्देष जारी कर दिए हैं।

लॉकडाउन के दिषा-निर्देषों में विभिन्न गतिविधियों के लिए छूट उन्हीं स्थानों पर दी जा सकेगी, जहां पॉजिटिविटी दर 10 प्रतिषत से कम होगी अथवा ऑक्सीजन, आईसीयू एवं वेंटीलेटर बेड का उपयोग 60 प्रतिषत से कम होगा। नई गाइडलाइन में पॉजिटिव केस के अनुरूप ग्राम पंचायत एवं जिले को तीन श्रेणियों ग्रीन, येलो और रेड में बांटा गया है। जिन ग्राम पंचायतों में एक भी पॉजिटिव केस नहीं होगा, वह ग्रीन श्रेणी में होगी तथा 5 और इससे कम एक्टिव केस होने पर येलो तथा 5 से अधिक एक्टिव केस होने पर रेड श्रेणी में रखा जाएगा। इसी प्रकार एक लाख जनसंख्या पर एक भी एक्टिव केस नहीं होने वाले जिले को ग्रीन तथा एक लाख जनसंख्या पर 100 एक्टिव केस तक येलो तथा 100 से अधिक एक्टिव केस होने पर रेड श्रेणी में रखा जाएगा।

मॉडिफाई संक्रमण की दर कम हुई है, लेकिन अभी संक्रमण पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। इसको ध्यान में रखते हुए नई गाइडलाइन में सभी प्रदेषवासियों से कोविड प्रोटोकॉल की प्रभावी पालना सुनिष्चित करने की अपेक्षा की गई है। जन सामान्य की सुविधा एवं आवष्यक सेवाओं और वस्तुओं की उपलब्धता सुनिष्चित करने की दृष्टि से विभिन्न गतिविधियों में सीमित छूट दी गई है। जैसे-जैसे एक्टिव केसेज की संख्या में कमी आएगी, छूट का दायरा और बढ़ेगा।

त्रि-स्तरीय जन अनुशासन मॉडिफाइड लॉकडाउन के तहत प्रमुख दिशा-निर्देश:-
ऽ राज्य में एक्टिव केसों की संख्या 10 हजार आने तक प्रत्येक शुक्रवार दोपहर 12 बजे से मंगलवार प्रात: 5 बजे तक जन अनुशासन वीकेंड कफ्र्यू रहेगा। इन दिनों के अतिरिक्त सप्ताह के अन्य दिनों में प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से अगले दिन प्रात: 5 बजे तक जन अनुशासन कफ्र्यू रहेगा।

लॉकडाउन के दौरान (अनुमत श्रेणी के अलावा) किसी भी स्थान पर 5 या 5 से अधिक व्यक्तियों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध लागू रहेगा।
प्रतिबंधित गतिविधियां
ऽ प्रदेषवासियों से यह अपेक्षा है कि वे शादी-समारोह 30 जून, 2021 तक स्थगित रखें।
ऽ विवाह से संबंधित किसी भी प्रकार के समारोह, डीजे, बारात एवं निकासी तथा प्रीतिभोज आदि की अनुमति 30 जून तक नहीं होगी।
ऽ विवाह घर पर ही अथवा कोर्ट मैरिज के रूप में करने की अनुमति होगी, जिसमें केवल 11 व्यक्ति ही अनुमत होंगे। जिसकी सूचना वेब पोर्टल Covidinfo.rajasthan.gov.in पर या हैल्पलाइन नम्बर 181 पर देनी होगी।
ऽ विवाह में बैण्ड-बाजे, हलवाई, टेन्ट या इस प्रकार के अन्य किसी भी व्यक्ति के सम्मिलित होने की अनुमति नहीं होगी।
ऽ शादी के लिए टेन्ट हाउस एवं हलवाई से संबंधित किसी भी प्रकार के सामान की होम डिलीवरी भी नहीं की जा सकेगी।
ऽ मैरिज गार्डन, मैरिज हॉल एवं होटल परिसर शादी-समारोह के लिए बंद रहेंगे।

किसी भी प्रकार के सार्वजनिक, सामाजिक, राजनैतिक, खेल-कूद सम्बन्धी, मनोरंजन, शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक समारोह/जुलूस/त्योहारों/मेलों/ हाट बाजार की अनुमति नहीं होगी।
ऽ धार्मिक स्थलों पर प्रबंधन द्वारा नियमित पूजा-अर्चना, इबादत, प्रार्थना आदि जारी रहेगी, परन्तु श्रद्धालुओं/दर्शनार्थियों के लिए पूरे राज्य में सभी प्रकार के धार्मिक स्थल बंद रहेंगे। ऑनलाइन दर्षनों की व्यवस्था जारी रहेगी। पूजा-अर्चना, इबादत, प्रार्थना आदि घर पर रहकर ही की जा सकेगी।
ऽ सिनेमा हॉल्स/थियेटर/मल्टीप्लेक्स/ऑडिटोरियम/स्विमिंग पूल्स/जिम, मनोरंजन पार्क/पिकनिक स्पॉट/समस्त प्रकार के खेल मैदान एवं सार्वजनिक उद्यान एवं समान स्थान बंद रहेंगे।
ऽ पूर्णत: वातानुकूलित शॉपिंग कॉम्पलेक्स/मॉल को फिलहाल खोलने की अनुमति नहीं होगी।
ऽ समस्त शैक्षणिक/कोचिंग संस्थाएं, लाईब्रेरीज आदि बंद रहेंगे।
ऽ सार्वजनिक परिवहन के समस्त साधन जैसे निजी एवं सरकारी बस फिलहाल बंद रहेंगे और इनके 10 जून से संचालन हेतु पृथक से आदेश जारी किए जाएंगे। बारात के आवागमन के लिए बस, ऑटो, टेम्पो, टैऊक्टर, जीप इत्यादि की अनुमति नहीं होगी।

अनुमत गतिविधियां:-
ऽ प्रदेष के समस्त सरकारी कार्यालय 25 प्रतिषत कार्मिकों की उपस्थिति के साथ प्रात: 9:30 बजे से सायं 4 बजे तक अनुमत होंगे, 7 जून, 2021 से सरकारी कार्यालय 50 प्रतिशत की क्षमता के साथ अनुमत होंगे।
ऽ प्रदेष के समस्त निजी कार्यालय कोरोना प्रोटोकॉल की पालना करते हुए 25 प्रतिषत कार्मिकों की उपस्थिति के साथ दोपहर 2 बजे तक खोले जा सकेंगे एवं समस्त निजी कार्यालयों द्वारा अपने कार्मिकों के पास e-intimation के माध्यम से Self-Generate किए जा सकते हैं, ताकि कार्मिकों को कार्यालय आवागमन में सुविधा हो।
ऽ सभी निजी चिकित्सालय, लैब एवं उनसे सम्बन्धित कार्मिक जैसे डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल एवं अन्य चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं उपयुक्त पहचान-पत्र के साथ अनुमत होंगी।

पशु चिकित्सालय एवं उनसे सम्बन्धित कार्मिक जैसे पशु चिकित्सक, स्टाफ, पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं एवं बीपी लैब में वैक्सीन का उत्पादन एवं मत्स्य विभाग से संबंधित गतिविधियां जैसे एक्वाकल्चर से सम्बन्धित कार्मिक इत्यादि उपयुक्त पहचान-पत्र के साथ अनुमत होंगे।
ऽ प्रदेष में जिले के अंदर अपने निजी वाहनों से आवागमन मंगलवार से शुक्रवार प्रात: 5 बजे से दोपहर 12 बजे तक ही अनुमत होगा एवं 8 जून के पश्चात् मंगलवार से शुक्रवार प्रात: 5 बजे से दोपहर 12 बजे तक समस्त राज्य में आवागमन अनुमत होगा।
ऽ रेल्वे, मेट्रो स्टेशन और एयरपोर्ट से आने/जाने वाले व्यक्तियों को यात्रा टिकट दिखाने पर आवागमन की अनुमति होगी।
ऽ किसी भी व्यक्ति के द्वारा घर से रेलवे स्टेशन/एयरपोर्ट एवं रेलवे स्टेशन/एयरपोर्ट से घर, मेडिकल इमरजेन्सी एवं अनुमत श्रेणियों के आवागमन हेतु उपयोग में ली जाने वाली टैक्सी, कैब, ऑटो, ई-रिक्शा सेवा अनुमत होगी।
ऽ कोविड मरीज के परिजन या अटेण्डेंट हॉस्पिटल प्रशासन द्वारा जारी पास से आवागमन कर सकेंगे। यह पास मरीज से सम्बन्धित आवश्यक सेवाओं जैसे खाना, दवाइयां इत्यादि लाने हेतु उपयोग में लिये जा रहे वाहन के लिए अनुमत होगा।

अन्तर्राज्यीय एवं राज्य के अन्दर माल परिवहन करने वाले भार वाहनों के आवागमन, माल के लोडिंग एवं अनलोडिंग तथा उक्त कार्य हेतु नियोजित व्यक्ति अनुमत होंगे। राष्ट्रीय एवं राज्य मार्गों पर संचालित ढाबे एवं वाहन रिपेयर की दुकानें अनुमत होंगी।
ऽ गर्भवती महिलाओं और रोगियों को चिकित्सकीय एवं स्वास्थ्य सेवाओं के परामर्श हेतु आवागमन की अनुमति होगी।
ऽ टीकाकरण हेतु स्वयं के पंचायत समिति/नगर इकाई परिक्षेत्र में स्थित टीकाकरण स्थल पर जाने की अनुमति होगी, किन्तु साथ में रजिस्ट्रेशन संबंधी दस्तावेज एवं अपना पहचान-पत्र रखना अनिवार्य होगा।
ऽ निर्धारित प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अभ्यर्थियों को प्रवेश-पत्र दिखाने पर परीक्षा केन्द्र पर आवागमन की अनुमति होगी।
ऽ अन्त्येष्टि/अन्तिम संस्कार सम्बन्धी कार्यक्रम: अनिवार्य रूप से फेस मास्क पहनने, सामाजिक दूरी एवं थर्मल स्क्रीनिंग, हैंडवॉश और सेनेटाईजर के प्रावधानों के साथ। अनुमत व्यक्तियों की संख्या 20 से अधिक नहीं होगी।

मेडिकल व नर्सिंग महाविद्यालयों में अध्ययन चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार जारी रहेगा।
ऽ अध्ययन एवं अध्यापन कार्य ऑनलाइन/डिस्टेंस लर्निंग माध्यम से जारी रहेंगे एवं इन्हें प्रोत्साहित किया जायेगा।
ऽ समाचार पत्र वितरण हेतु सुबह 4 बजे से 11 बजे तक छूट होगी। इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रिन्ट मीडिया के कार्मिकों को परिचय पत्र के साथ आने-जाने की अनुमति होगी।
ऽ दूरसंचार, इंटरनेट सेवाएं, डाक सेवाएं, कुरियर सुविधा, प्रसारण एवं केबल सेवाएं, आईटी एवं आईटी संबंधित सेवाऐं अनुमत होंगी।
ऽ मेन्टीनेन्स सर्विस देने वाले यथा इलेक्ट्रीशियन, प्लम्बर, कारपेंटर, मोटर मैकेनिक, आई.टी. सर्विस प्रोवाइडर आदि के आवागमन पर रोक नहीं होगी।
ऽ ई-मित्र/आधार केन्द्र सेवाएं दोपहर 4:00 बजे तक अनुमत होगी।
ऽ एटीएम सेवाएं 24 घण्टे अनुमत होंगी एवं बैंकिंग, बीमा, माइक्रो फाइनेन्स इंस्टीट्यूशन (MFI)/NBFC की सेवाएं आमजन के लिए दोपहर 2:00 बजे तक अनुमत होंगी। जहां तक संभव हो, उक्त संस्थाओं द्वारा भी कम-से-कम कार्मिकों को कार्यस्थल पर अनुमत किया जाये एवं ई-बैंकिंग कार्यप्रणाली को प्रोत्साहित किया जाए।
ऽ सेबी/स्टॉक एक्सचेंज से सम्बन्धित व्यक्ति पहचान-पत्र के साथ अनुमति होंगे।

सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए ई-कॉमर्स के माध्यम से सभी प्रकार की वस्तुओं की होम डिलीवरी अनुमत होगी।
ऽ इंदिरा रसोई में भोजन बनाने एवं उसके वितरण का कार्य रात्रि 9 बजे तक कोविड गाइडलाइन के अनुसार अनुमत होगा।
ऽ ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते कोविड संक्रमण को देखते हुए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना एवं अन्य ग्रामीण विकास योजनाओं में काम करने वाले श्रमिकों के संक्रमण से बचाव हेतु कोविड उपयुक्त व्यवहार एवं सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कराते हुए विस्तृत दिशा-निर्देश ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी किये जायेंगे।

ऽ कोल्ड स्टोरेज एवं वेयर हाउसिंग सेवाएं अनुमत होंगी।
ऽ निजी सुरक्षा सेवाओं की भी अनुमति होगी।

सार्वजनिक परिवहन/माल ढुलाई वाहन/अत्यावश्यक सेवाओं में लगे वाहनों एवं सरकारी वाहनों के लिए पेट्रोल/डीजल पम्प, सीएनजी, पेट्रोलियम एवं गैस से संबंधित खुदरा (रिटेल)/थोक (होलसेल) आउटलेट पूर्व की भांति खोलने की अनुमति होगी। निजी वाहनों में पेट्रोल/डीजल प्रात: 5 बजे से दोपहर 12 बजे तक भरवाया जा सकेगा।
ऽ एलपीजी वितरण सेवाएं ग्राहकों के लिए प्रात: 6 बजे से सायं 5 बजे तक अनुमत होंगी।
ऽ समस्त उद्योग एवं निर्माण से सम्बन्धित इकाइयों में कार्य करने की अनुमति होगी, ताकि श्रमिक वर्ग का पलायन रोका जा सके। उद्योग एवं निर्माण ईकाइयों द्वारा श्रमिकों के आवागमन हेतु स्पेशल बस का संचालन अनुमत होगा।
ऽ पूर्व की भांति प्रत्येक उद्योग/निर्माण इकाई द्वारा अपने सम्बन्धित कार्मिक/श्रमिक के आवागमन हेतु ऑनलाइन वेब पोर्टल https://covidinfo.rajasthan.gov.in –> e-Intimation by Industries के माध्यम से self generate कर आईडी/One Hour Transit Pass (मूल/हार्ड कॉपी) उद्योग/निर्माण इकाई द्वारा अधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर मय सील सभी कार्मिकों/श्रमिकों को उपलब्ध कराना होगा।

कृषि आदान एवं कृषि उपकरणों की दुकानें एवं इनके परिसर, पशु चारा, सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ, किराना एवं आटा चक्की से संबंधित होलसेल एवं रिटेल की दुकानें मंगलवार से शुक्रवार प्रात: 6 बजे से प्रात: 11 बजे तक खुल सकेंगी।
ऽ साथ ही अन्य दुकानें एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी मंगलवार से शुक्रवार प्रात: 6 बजे से प्रात: 11 बजे तक खुल सकेंगे।
ऽ प्रोसेस्ड फूड, मिठाई, बेकरी आदि दुकानें और रेस्टोरेंट्स मंगलवार से शुक्रवार प्रात: 6 बजे से प्रात: 11 बजे तक खुल सकेंगी। इनमें बैठकर खाने की अनुमति नहीं होगी। इस दौरान केवल टेक-अवे की सुविधा होगी। इन प्रतिष्ठानों से होम डिलिवरी की सुविधा रात्रि 10 बजे तक अनुमत होगी।
ऽ राशन की दुकानें बिना किसी अवकाष के खुली रहेंगी।
ऽ ठेले, साइकिल, रिक्शा, ऑटो रिक्शा एवं मोबाइल वैन के माध्यम से फल-सब्जी का विक्रय प्रतिदिन प्रात: 6 बजे से शाम 5 बजे तक अनुमत होगा।
ऽ स्ट्रीट वेण्डर, थड़ी, रेहड़ी एवं ठेलों पर अन्य वस्तुओं का विक्रय कार्य प्रतिदिन प्रात: 6 से प्रात: 11 बजे तक अनुमत रहेगा।
ऽ मण्डियां, फल-सब्जी एवं फूल मालाओं की दुकानें प्रतिदिन प्रात: 6 से प्रात: 11 बजे तक खोली जा सकेंगी।

डेयरी एवं दूध की दुकानें प्रतिदिन सुबह 6 से 11 बजे तथा शाम 5 बजे से 7 बजे तक अनुमत होंगी।
ऽ फार्मास्यूटिकल्स, ऑप्टिकल्स, दवाएं एवं चिकित्सकीय उपकरणों से सम्बन्धित दुकानों को खोलने की अनुमति होगी। दवाइयों की भी होम डिलीवरी को प्रोत्साहित किया जाए, जिससे संक्रमण पर नियंत्रण रखा जा सके।

ऽ रबी की फसलों की मंडियों में आवक तथा समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की गतिविधियां कोविड प्रोटोकॉल की पालना के साथ अनुमत होगी। किसानों के मंडी पहुंचने एवं वापस आने के अलावा मंडी परिसर के बाहर आवागमन प्रतिबंधित होगा। किसानों को मंडी जाते समय अपने माल का सत्यापन एवं वापस जाते समय ब्रिकी की रसीदें या बिल का सत्यापन करवाना होगा।

ऽ बाजारों एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को खोले जाने के लिए समस्त जिला कलक्टर अपने-अपने जिलों में व्यापारिक संगठनों एवं स्थानीय लोगों को सम्मिलित करते हुए जन अनुशासन कमेटी में विचार-विमर्श कर वैकल्पिक ;।सजमतदंजमद्ध व्यवस्था/ डी-कन्जक्षन प्लान तैयार करेंगे।

ऐसे बाजार, जहां केवल बड़े-बड़े कॉम्पलेक्स हैं, लेकिन वातानुकूलित नहीं हैं, उनमें स्थित दुकानें अथवा व्यवसायिक प्रतिष्ठान, भवन की मंजिलों के अनुसार खुलेंगे। जैसे मंगलवार एवं गुरूवार को बेसमेंट एवं प्रथम फ्लोर की दुकानें तथा बुधवार एवं शुक्रवार को ग्राउण्ड फ्लोर एवं द्वितीय फ्लोर पर स्थित दुकानें, एक छोड़कर एक खोली जा सकेंगी।
बाजारों एवं अन्य व्यवसायिक गतिविधियों को खोलने के लिए दिशा-निर्देश:-शहरी क्षेत्र:-
ऽ पूरे शहर को थाना क्षेत्रों में विभाजित किया जाकर वर्तमान में यदि संयुक्त प्रवर्तन दल गठित हैं, तो उन दलों में संबंधित क्षेत्राधिकार वाले वाणिज्य कर विभाग, पुलिस एवं नगर निकाय के अधिकारियों को सम्मिलित किया जाए। यदि वर्तमान में किसी क्षेत्र में संयुक्त प्रवर्तन दल गठित नहीं हो, तो गठित किया जाए।

ऽ संयुक्त प्रवर्तन दल बाजारों की स्थिति के अनुसार जन अनुशासन कमेटी में व्यापार संघों के साथ विचार-विमर्श कर बाजारों को खोलने के बाद प्रतिदिन भीड़-भाड़ पर निगरानी रखेंगे। कोविड प्रोटोकॉल की पालना के लिए जन अनुशासन कमेटी उत्तरदायी होगी। यदि व्यापक स्तर पर कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया तो, उक्त बाजार सात दिवस के लिए पूर्ण रूप से बंद कर दिया जाएगा।

ग्रामीण क्षेत्र:-
ऽ ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित ऐसे तहसील/उपखण्ड मुख्यालय/पंचायत समिति मुख्यालय जहां आबादी अधिक है एवं दुकान और व्यावसायिक प्रतिष्ठान ज्यादा हैं, उन्हें खोले जाने की स्थिति में अधिक भीड़ का आना संभावित है। उक्त क्षेत्रों में बाजार एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को खोलने के लिए शहरी क्षेत्रों के अनुरूप ही व्यवस्था लागू होगी।

ऽ ऐसे गांव, जहां पर आबादी काफी है एवं दुकानों की संख्या भी पर्याप्त है, ग्राम पंचायत स्तर पर गठित कोर ग्रुप स्थानीय व्यापार संघ प्रतिनिधियों को सम्मिलित करते हुए जन अनुशासन कमेटी में बाजारों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कोविड प्रोटोकॉल के साथ बाजारों को खोलना सुनिष्चित करेंगे। यदि किसी दुकानदार द्वारा उक्त प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया जाता है तो सख्त कार्यवाही की जाएगी।

बाजारों को खोलने के लिए सुरक्षा मानक:-
ऽ बाजारों में जन-अनुशासन कायम रखने की जिम्मेदारी संबंधित जन अनुशासन कमेटी व्यापार मण्डल एवं दुकानदार की स्वयं की होगी। दुकानदार, दुकान के बाहर/अंदर गोले बनाकर ग्राहकों के बीच पर्याप्त दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग की पालना) बनाये रखने की व्यवस्था करेंगे।
ऽ दुकानदार एवं दुकान के काम करने वाले सभी कार्मिक कोविड उपयुक्त व्यवहार जैसे मास्क पहनना, सेनेटाईजेशन, परस्पर ग्राहकों से दूरी बनाये रखना इत्यादि की पालना करेंगे। जहां तक संभव हो, जन अनुशासन का पालन करते हुए लोग अपने नजदीकी दुकान से ही सामान खरीदें।

जन अनुशासन कमेटी व्यापार मण्डल, जिला प्रशासन/ग्राम स्तरीय कोर कमेटी/JETs Volunteers का एक (वॉट्सअप) ग्रुप बनाया जायेगा, जो बाजारों/दुकानों को खोलने के क्रमवार तरीके एवं कोविड उपयुक्त व्यवहार के उल्लंघन की सूचना जिला प्रशासन एवं व्यापार मण्डल को देगा।

भीड़ भाड़ वाले बाजारों में अभय कमाण्ड सेंटर के माध्यम से भी निगरानी की जाएगी, ताकि कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं हो।

रविवार, 30 मई 2021

राघवयादवीयम् : सीधा पढ़ें तो राम कथा, उल्टा पढ़े कृष्ण की गाथा".


*अति दुर्लभ एक ग्रंथ ऐसा भी है हमारे सनातन धर्म मे*

इसे तो सात आश्चर्यों में से पहला आश्चर्य माना जाना चाहिए ---

*यह है दक्षिण भारत का एक ग्रन्थ*

क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो राम कथा के रूप में पढ़ी जाती है और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े
तो कृष्ण कथा के रूप में होती है ।

जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ "राघवयादवीयम्" ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है।
इस ग्रन्थ को
‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे
पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और
विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा (उल्टे यानी विलोम)के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक।

राघवयादवीयम एक संस्कृत स्त्रोत्र है। यह कांचीपुरम के १७वीं शती के कवि वेंकटाध्वरि द्वारा रचित एक अद्भुत ग्रन्थ है।

इस ग्रन्थ को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल ३० श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा के भी ३० श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं ६० श्लोक। पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है राघवयादवीयम। उदाहरण के तौर पर पुस्तक का पहला श्लोक हैः

वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥[1]
अनुलोम अर्थ

मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूँ जिनके ह्रदय में सीताजी रहती हैं तथा जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्रि की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापस लौटे।

विलोम श्लोक
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥
विलोम अर्थ

मैं रूक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रणाम करता हू जो सदा ही मां लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं तथा जिनकी शोभा समस्त रत्नों की शोभा को हर लेती है।
" राघवयादवीयम" के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं:-
  • राघवयादवीयम् रामस्तोत्राणि वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः । रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥ विलोमम्: सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः । यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥
  • साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा । पूराजीतादेवाद्याविश्वासाग्र्यासावाशारावा ॥ २॥ विलोमम्: वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः । राधार्यप्ता दीप्राविद्यासीमायाज्याख्याताकेसा ॥ २॥
  • कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका । सारसारवपीनासरागाकारसुभूरुभूः ॥ ३॥ विलोमम्: भूरिभूसुरकागारासनापीवरसारसा । कापिवानघसौधासौ श्रीरसालस्थभामका ॥ ३॥
  • रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम् । नामहामक्षररसं ताराभास्तु न वेद या ॥ ४॥ विलोमम्: यादवेनस्तुभारातासंररक्षमहामनाः । तां समानधरोगोमाननेमासमधामराः ॥ ४॥
  • यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ । तं ख्यातं शीतं स्फीतं भीमानामाश्रीहाता त्रातम् ॥ ५॥ विलोमम्: तं त्राताहाश्रीमानामाभीतं स्फीत्तं शीतं ख्यातं । सौख्ये सौम्येसौ नेता वै गीरागीयो योधेगायन् ॥ ५॥
  • मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं । काविरामदलापागोसमावामतरानते ॥ ६॥ विलोमम्: तेन रातमवामास गोपालादमराविका । तं श्रितानृपजासारंभ रामाकुसुमं रमा ॥ ६॥
  • रामनामा सदा खेदभावे दया-वानतापीनतेजारिपावनते । कादिमोदासहातास्वभासारसा-मेसुगोरेणुकागात्रजे भूरुमे ॥ ७॥ विलोमम्: मेरुभूजेत्रगाकाणुरेगोसुमे-सारसा भास्वताहासदामोदिका । तेन वा पारिजातेन पीता नवायादवे भादखेदासमानामरा ॥ ७॥
  • सारसासमधाताक्षिभूम्नाधामसु सीतया । साध्वसाविहरेमेक्षेम्यरमासुरसारहा ॥ ८॥ विलोमम्: हारसारसुमारम्यक्षेमेरेहविसाध्वसा । यातसीसुमधाम्नाभूक्षिताधामससारसा ॥ ८॥
  • सागसाभरतायेभमाभातामन्युमत्तया । सात्रमध्यमयातापेपोतायाधिगतारसा ॥ ९॥ विलोमम्: सारतागधियातापोपेतायामध्यमत्रसा । यात्तमन्युमताभामा भयेतारभसागसा ॥ ९॥
  • तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा । यालतावृद्धसेवाकाकैकेयीमहदाहह ॥ १०॥ विलोमम्: हहदाहमयीकेकैकावासेद्ध्वृतालया । सासदाननकामेराभामाकोपदवानता ॥ १०॥
  • वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो । भास्वरस्थिरधीरोपहारोरावनगाम्यसौ ॥ ११॥ विलोमम्: सौम्यगानवरारोहापरोधीरस्स्थिरस्वभाः । होदरादत्रापितह्रीसत्यासदनमारवा ॥ ११॥
  • यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे । सागताहिवियाताह्रीसतापानकिलोनभा ॥ १२॥ विलोमम्: भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा । वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ॥ १२॥
  • रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह । यानगातभरद्वाजमायासीदमगाहिनः ॥ १३॥ विलोमम्: नोहिगामदसीयामाजद्वारभतगानया । हह साहमहोदारदार्वागतिधुरागिरा ॥ १३॥
  • यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम् । सोगमारपदं यक्षतुंगाभोनघयात्रया ॥ १४॥ विलोमम्: यात्रयाघनभोगातुं क्षयदं परमागसः । गन्धगंतरुमावद्यं रंभाभादजिरा तु या ॥ १४॥
  • दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा । ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन ॥ १५॥ विलोमम्: नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः । हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् ॥ १५॥
  • सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम् । तं द्रुसारपटोनागानानादोषविराधहा ॥ १६॥ विलोमम्: हाधराविषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् । जम्भकुण्ठकरादेवेनोज्ञानदरमारसः ॥ १६॥
  • सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिसः । न समानर्दमारामालंकाराजस्वसा रतम् ॥ १७ विलोमम्: तं रसास्वजराकालंमारामार्दनमासन । सहितोनवनाकेकं हातापारकमागसा ॥ १७॥
  • तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत । वैरमासपलाहारा विनासा रविवंशके ॥ १८॥ विलोमम्: केशवं विरसानाविराहालापसमारवैः । ततरोदसमग्राविदोश्रीदोमरगोसताम् ॥ १८॥
  • गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया । सहसाहवधारोविकलोराजदरातिहा ॥ १९॥ विलोमम्: हातिरादजरालोकविरोधावहसाहस । यानसेरखगश्रीद भूयोमास्वमगोद्युगः ॥ १९॥
  • हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधीः । राजिराविरतेरापोहाहाहंग्रहमारघः ॥ २०॥ विलोमम्: घोरमाहग्रहंहाहापोरातेरविराजिराः । धीरसामयशोकेलं यो हेये च पपात ह ॥ २०॥
  • ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः । हासहायजनासीतानाप्तेनादमनाभुवि ॥ २१॥ विलोमम्: विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा । ससरागिरिहारीहानोदेवालयकेटता ॥ २१॥
  • भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा । चारुधीवनपालोक्या वैदेहीमहिताहृता ॥ २२॥ विलोमम्: ताहृताहिमहीदेव्यैक्यालोपानवधीरुचा । हानकेहकुधीराशानाकेशादकुमारभाः ॥ २२॥
  • हारितोयदभोरामावियोगेनघवायुजः । तंरुमामहितोपेतामोदोसारज्ञरामयः ॥ २३॥ विलोमम्: योमराज्ञरसादोमोतापेतोहिममारुतम् । जोयुवाघनगेयोविमाराभोदयतोरिहा ॥ २३॥
  • भानुभानुतभावामासदामोदपरोहतं । तंहतामरसाभक्षोतिराताकृतवासविम् ॥ २४॥ विलोमम्: विंसवातकृतारातिक्षोभासारमताहतं । तं हरोपदमोदासमावाभातनुभानुभाः ॥ २४॥
  • हंसजारुद्धबलजापरोदारसुभाजिनि । राजिरावणरक्षोरविघातायरमारयम् ॥ २५॥ विलोमम्: यं रमारयताघाविरक्षोरणवराजिरा । निजभासुरदारोपजालबद्धरुजासहम् ॥ २५॥
  • सागरातिगमाभातिनाकेशोसुरमासहः । तंसमारुतजंगोप्ताभादासाद्यगतोगजम् ॥ २६॥ विलोमम्: जंगतोगद्यसादाभाप्तागोजंतरुमासतं । हस्समारसुशोकेनातिभामागतिरागसा ॥ २६॥
  • वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता हि सः । तोयधावरिगोयादस्ययतोनवसेतुना ॥ २७॥ विलोमम् नातुसेवनतोयस्यदयागोरिवधायतः । सहितावदभातात्रास्यनसेरनवारवी ॥ २७॥
  • हारिसाहसलंकेनासुभेदीमहितोहिसः । चारुभूतनुजोरामोरमाराधयदार्तिहा ॥ २८॥ विलोमम् हार्तिदायधरामारमोराजोनुतभूरुचा । सहितोहिमदीभेसुनाकेलंसहसारिहा ॥ २८॥
  • नालिकेरसुभाकारागारासौसुरसापिका । रावणारिक्षमेरापूराभेजे हि ननामुना ॥ २९॥ विलोमम्: नामुनानहिजेभेरापूरामेक्षरिणावरा । कापिसारसुसौरागाराकाभासुरकेलिना ॥ २९॥
  • साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौः ॥ निजदेपरजित्यास श्रीरामे सुगराजभा ॥ ३०॥ विलोमम्: भाजरागसुमेराश्रीसत्याजिरपदेजनि ।स गौरभानघमाक्षामरागासारमताग्र्यसा ॥ ३०॥
  • ॥ इति श्रीवेङ्कटाध्वरि कृतं श्री ।।
    • कृपया अपना थोड़ा सा कीमती वक्त निकाले और उपरोक्त श्लोको को गौर से अवलोकन करें कि यह दुनिया में कहीं भी ऐसा न पाया जाने वाला ग्रंथ है ।* जय श्री राम 🚩

रचनाकार

इसकी रचना श्री वेंकटद्वारी ने की थी जिनका जन्म कांचीपुरम के निकट अरसनीपलै में हुआ था। वे वेदान्त देशिक के अनुयायी थे। वे काव्यशास्त्र के पण्डित थे। उन्होने १४ ग्रन्थों की रचना की जिनमें से 'लक्ष्मीसहस्रम्' सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। कहते हैं कि इस ग्रन्थ की रचना पूर्ण होते ही उनकी दृष्टि वापस प्राप्त हो गयी थी।

संदर्भ 

 "राघवयादवीयम् : सीधा पढ़ें तो राम कथा, उल्टा पढ़े कृष्ण की गाथा". मूल से 13 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 फ़रवरी 2017.

शनिवार, 29 मई 2021

दही से बना घी सर्वोत्तम होता या फिर मलाई से बना घी?

दही से बना घी सर्वोत्तम होता या फिर मलाई से बना घी? 



यदि आप देसी घी के बारे मे जानने के इच्छुक हैं।तो आप की जानकारी के लिए बताना आवश्यक है कि देसी घी की दो प्रकार की किस्म होती है एक घी को कच्चा घी कहा जाता है ज्यादातर बहुदेशी कम्पनियाँ अपने प्लांटस मे कच्चे घी का ही उत्पादन करती हैं इस प्रक्रिया मे दूध से सप्रेटा और सप्रेटे से सीधे घी उत्पादित होता है। बाजार मे 95% कच्चा ही उपलब्ध होता हुआ है

पक्के घी की प्रक्रिया 
घी वही होता था जो पुरानी पद्धति से बनता था। उसका रंग, स्वाद, सुगंध और गुण अलग होते थे। दूध को गर्म करके साधारण तापमान पर वापस आने के बाद उसमें जामन डाल कर जमाया जाता था। जमे हुए दही को बिलोकर उस से घी निकाला जाता था।

रही बात बाजार मे बिकने वाले घी कि तो मिल्क फूड,मदर डेयरी, अमूल, मधूसूदन इत्यादि ब्रांड ये सब कच्चे घी हैं। हाँ एक दो ब्रांड के पक्के घी भी बाजार मे उपलब्ध हैं।


आजकल कच्चे दूध से घी निकाला जाता है। फिर दूध से मावा या दूध पाउडर बनाया जाता है। करोड़ों लिटर दूध इन उत्पादों में खप जाता है। इतना दही उपयोग में नहीं आ सकता इसलिये दही से घी निकालने की परंपरा लुप्त हो गयी है। दही वाला घी खाना हो तो घर में बनायें। कंपनियों से मिलने वाला घी दही वाला नहीं होता।

अमूल, पतंजलि… जैसी सभी कपंनियां का घी बनाने का तरीका अलग होता है और घर पर बनाये देशी घी को बनाने का तरीका अलग होता है। घी का स्वाद, खुशबू, गुण आदि घी को बनाने के तरीके पर निर्भर करते हैं।

पैकेट में मिलने वाला घी, कपंनियां सीधे दूध से फैट निकालकर कर बनाती हैं। घी बनाने के लिये दूध से उसकी सारी चिकनाई निकाल ली जाती है, इस चिकनाई(फैट) को गर्म करके घी बना लिया जाता है। और पीछे दूध भी वैसा का वैसा रह जाता है और इस दूध को पैकेटों में पैक करके बेच दिया जाता है। जबकि घर पर घी बनाने के लिये पहले दूध को अच्छी तरह गर्म किया जाता है और फिर इस दूध में जामन लगाकर दही बनाया जाता है। और इस दही को अच्छी तरह बिलौकर मक्खन निकाला जाता है और अतं में मक्खन को गर्म करके घी बनता है। इसलिये घर बनाया हुआ देशी घी सुंगधित, स्वादिष्ट और गुणों से भरपुर होता है।

घर पर बनाया हुआ देशी घी बहुत ही अच्छा होता है । यह एक दम साफ और शुध्द होता है । घर पर देशी घी बनाने के लिए सबसे पहले दुध की मलाई को इकट्ठा करे। ये ध्यान रखे की इस्टील के बर्तन मे मलाई इकट्ठी ना करे उस मे मलाई का स्वाद बदल जाता है । जब 10–12 दिन की मलाई इकट्ठी हो जाए तो मलाई को निकाल ले और अलग बर्तन मे उस को गुनगुना गर्म कर ले, फिर उस मे 2–3 चम्मच दही डाले और उस को जमा दे। (बिल्कुल वैसा ही मलाई जमानी है जैसे दही जमाते है )

हमारे यहां दूध अच्छी क्वालिटी का मिल जाता है ।हमारे यहां 2 लीटर दूध प्रतिदिन आता है सो सप्ताह में 1.5 लीटर मलाई एकत्रित हो जाती है जिसे हम फ्रिज में ही रखते हैं।फिर बाहर निकाल कर उसमें 2 टी स्पून दही अच्छी तरह से मिक्स कर रात भर ढक कर रूम टेंप्रेचर पर रखते हैं।

अगले दिन सुबह इसे ब्लेंडर से मथते हैं।

जब मख्खन छुटने लगता है तब एक लीटर पानी डालते हैं।

अब मख्खन और छाछ अलग हो जाते हैं। इन्हे अलग अलग बर्तनों में निकाल लेते हैं।यह छाछ बहुत स्वादिष्ट व स्वास्थ्यवर्द्धक होती है। एक गिलास छाछ में चिमटी नमक डालकर ऊपर से भुना हुआ जीरा कूटकर डालें और गटागट पी जाएं पूरा डाइजेस्टिव सिस्टम सर्विसिंग हो जाएगा। आप चाहे तो कढ़ी बना सकते हैं । किसी को दे भी सकते हैं।हमारी सहायिका दीदी ले जाती है।

ताजा मक्खन थोड़ा सा अपने लड्डू गोपाल के लिए । इसे ब्रेड पराठें आदि पर लगाकर खाते हैं।बहुत स्वादिष्ट लगता है।

बाकी गर्म करते हैं।

40 या 50 मिनट तक पैर दुखने वाला बोरिंग काम बहुत जानलेवा होता है। गैस के पास ही खड़ा रहना पड़ता है ।क्योकि बीच बीच में चलाना पड़ता है।

हो गया घी तैयार।अब इसे छान लेते है ।

ये बेरी है इसमें पिसी हुई शक्कर मिक्स कर खा सकते हैं यह थोड़ी खट्टी मीठी लगती है। बच्चों को बहुत पसंद आती है।

🙏

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भादवे का घी - मरे हुए को जिंदा करने के अतिरिक्त, यह सब कुछ कर सकता है

कुछ ज़रूरी बातें जिनसे आप पौष्टिक और स्वादिष्ट दही बना सकते हैं:

दही ज़माने का सरल तरीक़ा:

मैंने अपनी माँ को इसी तरीक़े से दही जमाते बचपन से देखा है। एक पतीले में दूध (जितनी दही जमानी हो उस मात्रा में अंदाज़े से दूध लें) लें और उसे उबाल आने तक गरम करें। जब दूध उबलता है तो उसकी सतह पर थोड़ा सूखी सी दिखने वाली परत जम जाती है। जब ऐसा हो तो समझें कि दूध जमाने के लिए तैयार है। चूल्हा बंद कर दें और दूध को ठंडा होने दें। चाहें तो दूध को दही जमाने वाले बर्तन में डाल लें जिससे दूध जल्दी ठंडा हो सके। जब दूध हल्का गुनगुना हो, तब एक चम्मच पहले से बनी दही गुनगुने दूध में डालें। इसे हम जामन कहते हैं।

  • अब दूध को अच्छी तरह से उछालें ताकि दही उसमें अच्छी तरह से मिल जाए और उसमें बढ़िया सा झाग आ जाए। इससे दही बहुत बढ़िया जमती है। यह ठीक वैसे ही उछालें जैसे जब आप गरम दूध को ठंडा करने के लिए दो गिलास के बीच दूध को उछालते हैं।
  • ध्यान रखें कि दही को एक अलग बर्तन में जमाएँ; दूध जिसमें उबला है, उसमें नहीं।

अब दही वाले बर्तन को एक ऐसी जगह पर रखें, जहाँ कोई उसे हाथ ना लगाए। मैं अक्सर उसे माइक्रोवेव के अंदर रख देती हूँ। गरमियों में बाहर भी रख सकते हैं, क्यूँकि उसे और गरमाहट की ज़रूरत नहीं होती। गरमियों में दही अक्सर 4–5 घंटों में जम जाती है। सर्दियों में 6–7 घंटे लग सकते हैं। सर्दियों में आप दही के बर्तन को एक कपड़े में लपेट कर रख सकती हैं।

कुछ ज़रूरी बातें जिनसे आप पौष्टिक और स्वादिष्ट दही बना सकते हैं:

  • जामन वाला दही खट्टा ना हो। इससे नयी दही भी खट्टी ही होगी।
  • किसी उपलक्ष्य पर इस्तेमाल करने के लिए बढ़िया दही बनाने के लिए आप होल मिल्क का इस्तेमाल करें, टोंड मिल्क का नहीं। अन्यथा रोज़ के सेवन के लिए टोंड मिल्क इस्तेमाल कर सकती हैं, क्यूँकि होल मिल्क से बनी दही उन लोगों के लिए हानिकारक हो सकती है जो वज़न कम करना चाहते हैं या संतुलित रकहन चाहते हैं। बाद यह बहुत मलाईदार और गाढ़ा नहीं होगा।
  • जिस पतीले में दूध उबाला गया, उसमें दही ना जमाएँ।
  • याद रखें, दूध बहुत ज़्यादा गरम ना हो वरना दही खट्टा जम सकता है।
  • दूध बहुत ज़्यादा ठंडा भी ना हो, इससे दही जमने में दिक़्क़त आ सकती है और वह पानी-पानी हो जाएगी।
  • सेहत की आगे बात करें, तो आप दही को एक मिट्टी के बर्तन में जमा सकते हैं। यह बहुत फ़ायदेमंद होती है और अत्यधिक स्वादिष्ट भी। बस दही ज़माने से पहले बर्तन को अच्छी प्रकार से धो लें।
  • दही के सेवन आप पौष्टिक तरीक़ों से कर सकते हैं, जैसे कि, मट्ठा बना कर पीना, दही में अलसी के बीज, धनिया और पुदीना डाल कर खाना इत्यादि। शक्कर मिलाकर खाने से दूर रहें। घर का बना पनीर बना कर खाएँ और पकाएँ। दही का पौष्टिक रायता बना सकते हैं।

बस दही जम जाए तो उसे तुरंत फ़्रिज में रखें और दही से बने विविध प्रकार के व्यंजन का स्वाद लें वरना ज़्यादा देर तक बाहर रखी दही खट्टी हो जाएगी और सेहत के लिए अच्छी नहीं होगी।

दही खाने के फायदे

1. दही के सेवन से हार्ट में होने वाले कोरोनरी आर्टरी रोग से बचाव किया जा सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि दही के नियमित सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रोल को कम किया जा सकता है।

2. चेहरे पर दही लगाने से त्वचा मुलायम होने के साथ उसमें निखार भी आता है। अगर दही से चेहरे की मसाज की जाए तो यह ब्लीच के जैसा काम करता है। इसका प्रयोग बालों में कंडीशनर के तौर पर भी किया जाता है।

3. गर्मियों में त्वचा पर सनबर्न हो जाने पर दही मलने से राहत मिलती है।

4. दही दूध के मुकाबले सौ गुना बेहतर है, क्योंकि इसमें कैल्शियम के चलते हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं। यह ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी से लड़ने में भी मददगार है।

5. हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को रोजाना दही का सेवन करना चाहिए।


6. दही में अजवायन डालकर खाने से कब्ज दूर होता है।
7. दही में बेसन मिलाकर लगाने से त्वचा में निखार आता है। मुंहासे दूर होते हैं।

8. दही को आटे के चोकर में मिलाकर लगाने से त्वचा को पोषण मिलता है और त्वचा कातिमय बनती है। - सिर में रूसी होने पर भी दही फायदेमंद होता है। ये रूसी को हटाकर बालों को मुलायम बनाता है।


लिवर,किडनी, हार्ट, दिमाग की सफाई के लिए


 🏵️लिवर की सफाई के लिए🏵️

20 ग्राम काली किशमिस और 1 ग्लास पानी लेकर मिक्सर मे ज्युस बनाकर सुबह खाली पेट 15 दिनों तक सेवन करने से लिवर की सफाई होती है |

किडनी की सफाई के लिए

हरा धनिया 40 ग्राम +1 ग्लास पानी मिक्स करके मिक्सर मे पिस करके सुबह खाली पेट लिजिए यह 10 दिनों तक करने से किडनी की सफ़ाई होती है। और हमारी किडनी स्वस्थ रहती है।


हार्ट की सफाई के लिए

60 ग्राम अलसी को मिक्सर मे पीस लिजिए फिर सुबह शाम खालीपेट 10-10 ग्राम की मात्रा मे सेवन से हमारा हार्ट (हृदय) स्वस्थ रहता है यह उपाय 1 महिने तक करनां है।


दिमाग की सफाई के लिए

बादाम 8 और अखरोट 2 नग लेकर रात को 1 ग्लास पानी मे भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें। यह पूरे 2 महिनों तक करने से दिमाग को पूरी तरह से जहरमुक्त किया जा सकता है।


फेंफडो की सफाई के लिए

2 चम्मच शहद + 1 चम्मच नींबू का रस + 1 चम्मच अदरक का रस सभी चीजो को मिक्स करके सुबह खाली पेट सेवन करने से बिड़ी, सिगरेट, गुटखा या तंबाकु से जो नुकसान हमारे फेंफडो को हुआ है उन्हे सुधार होगा और हमारे फेंफडे पुरी तरह से स्वस्थ हो जाते है। यह प्रयोग करीब 20 दिनों तक करनां है।


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रसोई गैस सिलेंडर से दुर्घटना होने पर मिलाए है 50 लाख तक जानिए क्या है इस दावे की प्रक्रिया


📌 *_रसोई गैस सिलेंडर से दुर्घटना होने पर मिलाए है 50 लाख तक जानिए क्या है इस दावे की प्रक्रिया_*


आज के समय में गैस सिलेंडर (Gas Cylinder) सभी के घर में होता है. इसका उपयोग बहुत ही सावधानी से किया जाता है क्योंकि एक छोटी सी गलती बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है. ऐसे में जरूरी है कि हमें पता हो कि एलपीजी इस्तेमाल करते हुए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए और किसी प्रकार की दुर्घटना होने पर क्या किया जाना चाहिए. साथ ही पता होना चाहिए कि यदि LPG गैस सिलिंडर फट जाता है या गैस लीक होने की वजह से हादसा हो जाता है तो आपके, एक ग्राहक होने के नाते, क्या अधिकार हैं.

50 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस

LPG यानी रसोई गैस कनेक्शन लेने पर पेट्रोलियम कंपनियां ग्राहक को पर्सनल एक्सीडेंट कवर उपलब्ध कराती हैं.

50 लाख रुपये तक का यह इंश्योरेंस एलपीजी सिलेंडर से गैस लीकेज या ब्लास्ट के चलते दुर्भाग्यवश हादसा होने की स्थिति में आर्थिक मदद के तौर पर है. इस बीमा के लिए पेट्रोलियम कंपनियों की बीमा कंपनियों के साथ साझेदारी रहती है.

डीलर डिलिवरी से पहले चेक करे कि सिलिंडर बिल्कुल ठीक है या नहीं. ग्राहक के घर पर एलपीजी सिलिंडर की वजह से हादसे में हुए जान-माल के नुकसान के लिए पर्सनल एक्सीडेंट कवर देय है. हादसे में ग्राहक की प्रॉपर्टी/घर को नुकसान पहुंचता है तो प्रति एक्सीडेंट 2 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस क्लेम मिलता है.

जानिए गैस सिलेंडर पर कैसे मिलेगा 50 लाख का क्लेम

दुर्घटना के बाद क्लेम लेने का तरीका सरकारी वेबसाइट मायएलपीजी.इन (http://mylpg.in) पर दिया गया है। वेबसाइट के मुताबिक एलपीजी कनेक्शन लेने पर ग्राहक को उसे मिले सिलेंडर से यदि उसके घर में कोई दुर्घटना होती है तो वह व्यक्ति 50 लाख रुपये तक के बीमा का हकदार हो जाता है।

1. एक दुर्घटना पर अधिकतम 50 लाख रुपये तक का मुआवजा मिल सकता है. दुर्घटना से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति को अधिकतम 10 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दी जा सकती है.

2. LPG सिलेंडर के बीमा कवर पाने के लिए ग्राहक को दुर्घटना होने की तुरंत सूचना नजदीकी पुलिस स्टेशन और अपने एलपीजी वितरक को देनी होती है.

3. PSU ऑयल विपणन कंपनियां जैसे इंडियन ऑयल, एचपीसी तथा बीपीसी के वितरकों को व्यक्तियों और संपत्तियों के लिए तीसरी पार्टी बीमा कवर सहित दुर्घटनाओं के लिए बीमा पॉलिसी लेनी होती है.

4. ये किसी व्यक्तिगत ग्राहक के नाम से नहीं होतीं बल्कि हर ग्राहक इस पॉलिसी में कवर होता है. इसके लिए उसे कोई प्रीमियम भी नहीं देना होता.

5. FIR की कॉपी, घायलों के इलाज के पर्चे व मेडिकल बिल तथा मौत होने पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाणपत्र संभाल कर रखें.

गैस सिलेंडर से हादसा होने की स्थिति में सबसे पहले पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करानी होती है. इसके बाद संबंधित एरिया ऑफिस जांच करता है कि हादसे का कारण क्या है. अगर हादसा एलपीजी एक्सीडेंट है तो एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर एजेंसी/एरिया ऑफिस बीमा कंपनी के स्थानीय ऑफिस को इस बारे में सूचित करेगा. इसके बाद संबंधित बीमा कंपनी को क्लेम फाइल होता है. ग्राहक को बीमा कंपनी में सीधे क्लेम के लिए आवदेन करने या उससे संपर्क करने की जरूरत नहीं होती.

🇮🇳 वन्दे मातरम

कर्ण मुख नासिका सूक्ष्म क्रिया योग : मुंह, दांत, नाक और श्रवण कान को स्वस्थ व बेहतर कार्यकुशलता के लिए

कर्ण मुख नासिका सूक्ष्म क्रिया योग : मुंह, दांत, नाक और श्रवण कान को स्वस्थ व बेहतर कार्यकुशलता के लिए

वर्तमान दौड़ती जिंदगी में स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो केमिकलयुक्त भोजन व फ़ास्ट फ़ूड, दूषित वातावरण और मोबाइल का अंधाधुन प्रयोग जीवन शैली में अनियमितता और समस्या पैदा कर रहा है।

इसी भागदौड़ के बीच हम कुछ समय कुछ सूक्ष्य क्रियाए जर अपना स्वास्थ्य ठीक कर सकते है कर्ण मुख नासिका सूक्ष्म क्रिया योग उसी दिशा में एक कदम है
जिसमे शामिल है। ये सभी क्रियाए सुखासन में बैठकर की जानी चाहिए।

1 नासिका नाक संबंधित क्रियाए
2 मुख व दांत संबंधित क्रियाए
3 कर्ण कान व श्रवण शक्ति संबंधित क्रियाए

*नासिका व जबडों की संवर्धन क्रियाएँ*

*नासिका व जबडों की संवर्धन क्रियाएँ लाभ –*
इन क्रियाओं से नाक तथा गालों पर जमा व्यर्थ चर्बी घट जायेगी।
 नाक के अंदर बढ़ने वाला दुर्मास कम होगा। 
सांस बेरोक टोक चलेगी। 
खाना खाते समय जबड़ों को श्रम नहीं होगा। 
चेहरे का आकर्षण बढ़ेगा |

*नासिका व जबडों की संवर्धन क्रिया विधि*

*प्रथम क्रिया* दोनों होंठ बंद कर लें । ठुड़ी धीरे धीरे दायीं तथा बायीं ओर नाक सहित मोड़ते रहें।

*द्वितीय क्रिया* दोनों होंठ बंद करें। नाक सहित लुड़ी को ऊपर तथा नीचे करतें रहें।

*तृतीय क्रिया* होंठ बंद करें। नाक सहित मुँह तथा टुड़ी को गोलाकार में एक तरफ 5-6 बार, दूसरी तरफ 5-6 बार घुमाते रहें।

*चतुर्थ क्रिया* मुँह में हवा भर लें। जिस तरह खाना चबाते हैं, उसी तरह मुँह में भरी हवा को चबाते रहें। साधक शक्ति के अनुसार यह क्रिया करने के बाद हवा मुँह से बाहर छोड़ दें।

*मुख शुद्धि व संवर्धन क्रिया*

*मुख शुद्धि व संवर्धन क्रिया के लाभ* –
इससे मुँह की बदबू दूर हो जायेगी। 
मुँह के अंदर जो फोड़े होते हैं वे कम होंगे। मुँह साफ होगा।

*मुख शुद्धि व संवर्धन क्रिया विधि*
सिर थोड़ा ऊपर उठावें। जीभ को चमचे की तरह मोड़ कर उसे बाहर निकालें, मुँह में हवा भर लें, बाद में मुँह बंद कर लें, गाल फुलावें, आँखें बंद करें सिर नीचे झुकावें। थोड़ी देर तक वैसे ही रहें। । इसके बाद सिर उठाकर नाक से हवा बाहर निकाल दें। चार-पांच बार यह क्रिया करें।

*मुख दंतशक्ति संवर्धन क्रिया*

*मुख दंतशक्ति संवर्धन क्रिया के लाभ*–
इससे सभी दाँतों को शक्ति मिलेगी। 
दाँतों का हिलना, दाँतों का दर्द, पीब या रक्त का निकलना, पयोरिया जैसी व्याधियाँ दूर होंगी। 
गालों पर चर्बी, झुर्रियाँ तथा फुन्सियाँ कम होगी, जिससे उनकी सुंदरता बढ़ेगी।

*मुख दंतशक्ति संवर्धन क्रिया*
मुँह की शुद्धि क्रिया की ही तरह दांतों की शक्ति बढ़ाने की क्रिया भी की जाती है, लेकिन इस क्रिया में सांस लेते समय दोनों अंगूठों से दोनों नथुने बंद कर लें।

इस क्रिया में गाल अधिक से अधिक फुला कर दाँतों के बीच हवा का प्रसार ज्यादा करें। चार-पाँच बार दोहराएं|

*कर्ण व श्रवणशक्ति संवर्धन क्रिया*

*कर्ण संवर्धन क्रिया के लाभ –*
श्रवण शक्ति बढ़ेगी। 
कानों को सुनायी पड़ने वाली अपरिचित ध्वनि कम होगी | 
कानों से बहता रक्त या पस भी कम होगा |

*कर्ण व श्रवणशक्ति संवर्धन क्रिया विधि*
श्रवणशक्ति बढ़ाने के लिए  हाथों के दोनों अंगूठों के सिरों से दोनों कान बंद करें। दोनों तर्जनियो से दोनों ऑखें बंद करें | दोनों मध्यम उंगलियों से दोनों नासिका रंध्र बंद करें। जीभ को चमचे की तरह मोड़ कर बाहर निकालें। उसके द्वारा हवा मुँह में भरें। शक्तिअनुसार हवा मुँह में रोक कर रखें। सिर झुका लें। थोड़ी देर बाद सिर ऊपर उठावें | नाक पर से ऊँगलियाँ हटा कर नाक के द्वारा हवा बाहर छोड़ दें। इस प्रकार चार पाँच बार करें | अंगूठों को कानों में इस तरह रखे रहें कि बाहर की कोई भी ध्वनि सुनायी न पड़े।

इस क्रिया के बाद उँगलियों से कानों की मालिश करते हुए कनपट्टी को नीचे की तरफ धीरे से खींचते रहें। कानों की किनारीयों को रगडें ।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

कार्विका : सनातनी वीरांगना जिसने सिकंदर की अधीनता स्वीकार नही की अपार सेना को भी परास्त कर अपना परिचय दिया

कार्विका : सनातनी वीरांगना जिसने सिकंदर की अधीनता स्वीकार नही की और अपार सेना को भी परास्त कर अपना परिचय दिया

जय सनातन जय हिन्दू
जय हिंद जय श्रीराम


कठगणराज्य की राजकुमारी कार्विका --

राजकुमारी कार्विका सिंधु नदी के उत्तर में कठगणराज्य की राज्य की राजकुमारी थी । राजकुमारी कार्विका बहुत ही कुशल योद्धा थी। रणनीति और दुश्मनों के युद्ध चक्रव्यूह को तोड़ने में पारंगत थी। राजकुमारी कार्विका ने अपने बचपन की सहेलियों के साथ फ़ौज बनाई थी। इनका बचपन के खेल में भी शत्रुओं से देश को मुक्त करवाना और फिर शत्रुओं को दण्ड प्रदान करना यही सब होते थे। राजकुमारी में वीरता और देशभक्ति बचपन से ही थी। जिस उम्र में लड़कियाँ गुड्डे गुड्डी का शादी रचना इत्यादि खेल खेलते थे उस उम्र में कार्विका राजकुमारी को शत्रु सेना का दमन कर के देश को मुक्त करवाना शिकार करना इत्यादि ऐसे खेल खेलना पसंद थे। राजकुमारी धनुर्विद्या के सारे कलाओं में निपुर्ण थी , तलवारबाजी जब करने उतरती थी दोनों हाथो में तलवार लिये लड़ती थी और एक तलवार कमर पे लटकी हुई रहती थी। अपने गुरु से जीत कर राजकुमारी कार्विका ने सबसे सुरवीर शिष्यों में अपना नामदर्ज करवा लिया था। दोनों हाथो में तलवार लिए जब अभ्यास करने उतरती थी साक्षात् माँ काली का स्वरुप लगती थी। भाला फेकने में अचूक निसाँचि थी , राजकुमारी कार्विका गुरुकुल शिक्षा पूर्ण कर के एक निर्भीक और शूरवीरों के शूरवीर बन कर लौटी अपने राज्य में।

 कुछ साल बीतने के साथ साथ यह ख़बर मिला राजदरबार से सिकंदर लूटपाट करते हुए कठगणराज्य की और बढ़ रहा हैं भयंकर तबाही मचाते हुए सिकंदर की सेना नारियों के साथ दुष्कर्म करते हुए हर राज्य को लूटते हुए आगे बढ़ रही थी, इसी खबर के साथ वह अपनी महिला सेना जिसका नाम राजकुमारी कार्विका ने चंडी सेना रखी थी जो कि 8000 से 8500 नारियों की सेना थी। कठगणराज्य की यह इतिहास की पहली सेना रही जिसमे महज 8000 से 8500 विदुषी नारियाँ थी। कठगणराज्य जो की एक छोटी सा राज्य था। इसलिए अत्यधिक सैन्यबल की इस राज्य को कभी आवस्यकता ही नहीं पड़ी थी।

 325(इ.पूर्व) में सिकन्दर  के अचानक आक्रमण से राज्य को थोडा बहुत नुक्सान हुआ पर राजकुमारी कार्विका पहली योद्धा थी जिन्होंने सिकंदर से युद्ध किया था। सिकन्दर की सेना लगभग 150000 थी और कठगणराज्य की राजकुमारी कार्विका के साथ आठ हज़ार वीरांगनाओं की सेना थी यह एक ऐतिहासिक लड़ाई थी जिसमे कोई पुरुष नहीं था सेना में सिर्फ विदुषी वीरांगनाएँ थी। राजकुमारी और उनकी सेना अदम्य वीरता का परिचय देते हुए सिकंदर की सेना पर टूट पड़ी, युद्धनीति बनाने में जो कुशल होता हैं युद्ध में जीत उसी की होती हैं रण कौशल का परिचय देते हुए राजकुमारी ने सिकंदर से युद्ध की थी।

सिकंदर ने पहले सोचा "सिर्फ नारी की फ़ौज है मुट्ठीभर सैनिक काफी होंगे” पहले 25000 की सेना का दस्ता भेजा गया उनमे से एक भी ज़िन्दा वापस नहीं आ पाया , और राजकुमारी कार्विका की सेना को मानो स्वयं माँ भवानी का वरदान प्राप्त हुआ हो बिना रुके देखते ही देखते सिकंदर की 25000 सेना दस्ता को गाजर मूली की तरह काटती चली गयी। राजकुमारी की सेना में 50 से भी कम वीरांगनाएँ घायल हुई थी पर मृत्यु किसी को छु भी नहीं पायी थी। सिकंदर की सेना में शायद ही कोई ज़िन्दा वापस लौट पाया थे।
दूसरी युद्धनीति के अनुसार अब सिकंदर ने 40000 का दूसरा दस्ता भेजा उत्तर पूरब पश्चिम तीनों और से घेराबन्दी बना दिया परंतु राजकुमारी सिकंदर जैसा कायर नहीं थी खुद सैन्यसंचालन कर रही थी उनके निर्देशानुसार सेना तीन भागो में बंट कर लड़ाई किया राजकुमारी के हाथों बुरी तरह से पस्त हो गयी सिकंदर की सेना।

तीसरी और अंतिम 85000 दस्ताँ का मोर्चा लिए खुद सिकंदर आया सिकंदर के सेना में मार काट मचा दिया नंगी तलवार लिये राजकुमारी कार्विका ने अपनी सेना के साथ सिकंदर को अपनी सेना लेकर सिंध के पार भागने पर मजबूर कर दिया इतनी भयंकर तवाही से पूरी तरह से डर कर सैन्य के साथ पीछे हटने पर सिकंदर मजबूर होगया। इस महाप्रलयंकारी अंतिम युद्ध में कठगणराज्य के 8500 में से 2750 साहसी वीरांगनाओं ने भारत माता को अपना रक्ताभिषेक चढ़ा कर वीरगति को प्राप्त कर लिया जिसमे से नाम कुछ ही मिलते हैं। इतिहास के दस्ताबेजों में गरिण्या, मृदुला, सौरायमिनि, जया यह कुछ नाम मिलते हैं। इस युद्ध में जिन्होंने प्राणों की बलिदानी देकर सिकंदर को सिंध के पार खदेड़ दिया था।  सिकंदर की 150000 की सेना में से 25000 के लगभग सेना शेष बची थी , हार मान कर प्राणों की भीख मांग लिया और कठगणराज्य में दोबारा आक्रमण नहीं करने का लिखित संधी पत्र दिया राजकुमारी कार्विका को ।

संदर्व-:
१) कुछ दस्ताबेज से लिया गया हैं पुराणी लेख नामक दस्ताबेज
२) राय चौधरी- 'पोलिटिकल हिस्ट्री आव एशेंट इंडिया'- पृ. 220)
३) ग्रीस के दस्ताबेज मसेडोनिया का इतिहास ,
Hellenistic Babylon नामक दस्ताबेज में इस युद्ध की जिक्र किया गया हैं।
राजकुमारी कार्विका की समूल इतिहास को नष्ठ कर दिया गया था। इस वीरांगना के  इतिहास को बहुत ढूंढने पर केवल दो ही जगह पर दो ही पन्नों में ही खत्म कर दिया गया था। यह पहली योद्धा थी जिन्होंने सिकंदर को परास्त किया था 325(ई.पूर्व) में। समय के साथ साथ इन इतिहासों को नष्ठ कर दिया गया था और भारत का इतिहास वामपंथी और इक्कसवीं सदी के नवीनतम इतिहासकार जैसे रोमिला थाप्पर और भी बहुत सारे इतिहासकार ने भारतीय वीरांगनाओं के नाम कोई दस्तावेज़ नहीं लिखा था।
यह भी कह सकते हैं भारतीय नारियों को राजनीति से दूर करने के लिए सनातन धर्म में नारियों को हमेशा घूँघट धारी और अबला दिखाया हैं। इतिहासकारों ने भारत को ऋषिमुनि का एवं सनातन धर्म को पुरुषप्रधान एवं नारी विरोधी संकुचित विचारधारा वाला धर्म साबित करने के लिये इन इतिहासो को मिटा दिया था। इन वामपंथी और खान्ग्रेस्सी इतिहासकारो का बस चलता तो रानी लक्ष्मीबाई का भी इतिहास गायब करवा देते पर ऐसा नहीं कर पाये क्यों की 1857 की ऐतिहासिक लड़ाई को हर कोई जानता हैं । 
लव जिहाद तब रुकेगा जब इतिहासकार ग़ुलामी और धर्मनिरपेक्षता का चादर फ़ेंक कर असली इतिहास रखेंगे। जकुमारी कार्विका जैसी वीरांगनाओं ने सिर्फ सनातन धर्म में ही जन्म लिए हैं। ऐसी वीरांगनाओं का जन्म केवल सनातन धर्म में ही संभव हैं। जिस सदी में इन वीरांगनाओं ने  देश पर राज करना शुरू किया था उस समय शायद ही किसी दूसरे मजहब या रिलिजन में नारियों को इतनी स्वतंत्रता होगी । सनातन धर्म का सर है नारी और धड़ पुरुष हैं। जिस प्रकार  सर के बिना धड़  बेकार हैं उसी प्रकार सनातन धर्म नारी के बिना अपूर्ण है।
जितना भी हो पाया इस वीरांगना का खोया हुआ इतिहास आप सबके सामने प्रस्तुत है।
भारत सरकार से अनुरोध है महामान्य प्रधानमंत्री महोदय जी से की सच सामने लाने की अनुमति दें इंडियन कॉउंसिल ऑफ़ हिस्टोरिकल रिसर्च को ।
वन्देमातरम्
जय माँ भवानी।

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