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शनिवार, 10 जुलाई 2021

बिच्छू अपनी माँ को क्यों खा जाता है?


बिच्छू अपनी माँ को क्यों खा जाता है?



बिच्छू एक ऐसा जीव है जो जन्म लेते ही अपनी मां को खा जाता है इस कारण वह अपनी मां को देख नहीं पाता है। बिच्छू के पैदा होते ही बिच्छू अपनी मां की पीठ पर चिपक जाते हैं और अपनी मां को खाने लगते हैं क्योंकि उनकी मां का शरीर ही उनका आहार होता है और यह बिच्छू अपनी मां के शरीर को तब तक खाते हैं जब तक बिच्छू जिंदा रहता है, और जब बिच्छू का सारा शरीर और मांस खत्म हो जाता है तब वह अपनी मां के पेट से उतर जाते हैं और स्वतंत्र होकर अपना जीवन यापन करते हैं अर्थात बिच्छू अपनी मां के शरीर को खाकर बड़ा होता है और बड़ा होने के बाद जब वह शरीर के सारे मांस को खा जाता है तो वह दूसरी जगह चला जाता है। बिच्छू के जहर में पाए जाने वाले रसायन को क्लोरोटोक्सिन कहा जाता है।


क्या ब्रांडेड घी वाकई शुद्ध है?

क्या पतंजलि का घी वाकई शुद्ध है?

तो चलिए हम भी आपसे कुछ पुछें ,,,

क्या अमूल, महान, गोपीकृष्ण, इंडाना, सरस, एवरी डे, या मदर डेयरी जैसे ब्रांडेड घी तो शुद्ध हैं,,,??

किसी भी खाद्य पदार्थों की शुद्धता के मापदंड पैकेट्स पर लिखित रूप में तो हो सकता है बेहद खूबसूरत और आकर्षक हों,,,पर वास्तविकता क्या है ये या तो ईश्वर जानता है या उसे बनाने वाले निर्माता,,,

हमारे देश में किसी भी सरकार को खाद्य पदार्थों की शुद्धता को लेकर मैंने अपने जीवन में कभी गंभीर नहीं देखा,, हमारे यहां साल में एक बार खाद्य विभाग के दिवाली से पंद्रह दिन पहले जागने का रिवाज है,, जिसमें मिठाई ,तेल घी वालों की सेंपलिंग का कार्य , कुछ सड़े मावे और मिठाइयों को नाली में डाल कर नष्ट करने जैसे वीरता पूर्ण कार्यों का फोटो सेशन अखबारों में देखने का सौभाग्य मिलता है,, फिर बाजार में शेष बची शुद्ध मिठाई और दूध को हम खा पीकर अपनी सेहत बनाते हैं,, फिर,,

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जिन दुकानों पर घटिया और सड़ी मिठाई मिली थी उस पर कभी कोई कार्रवाई हुई या नहीं उसकी कोई खबर नहीं मिलती,,,

हमसें तो पशु ठीक हैं जो सूंघ कर पता तो लगा लेते हैं कि ये खाने योग्य है अथवा नहीं,,,हम तो सरकारी तंत्र के भरोसे बैठे वो जीव हैं जिन्हें fssai की अनुमति के बिना ही उसका लोगो इस्तेमाल कर पचास रुपए का पाम आयल छः सौ के भाव कोई भी खिला कर भाग जाता है,,,और हम खा कर अपने दिल को थपकी देकर कहते रहते हैं,,,


आल इज वेल,,,आल इज वेल

फोटो : गूगल बाबा की देन

शुक्रवार, 9 जुलाई 2021

10 जुलाई को है शनि अमावस्या, शनिदेव की पूजा का जाने समय, साढ़ेसाती और ढैय्या से मिलेगी राहत।



Shani Amavasya July 2021: शनि देव की पूजा के लिए 10 जुलाई 2021 शनिवार का दिन बहुत ही उत्तम है. इस दिन आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है. इस अमावस्या की तिथि को शनि अमावस्या या शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाता है.

शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या जिन लोगों पर बनी हुई है, उनके लिए शनि अमावस्या की तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण है. वर्तमान समय में मिथुन राशि, तुला राशि, धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि पर शनि की विशेष दृष्टि है.

मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या और धनु,मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है.

शनि देव का फल (Mahima Shani Dev Ki)
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को नवग्रहों में न्याय करने वाला देवता माना गया है. इसके साथ ही शनि को मेहनत यानि परिश्रक का कारक भी माना गया है. शनि एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहते हैं, शनि की चाल बहुत ही धीमी बताई गई है. यही कारण है कि शनि देव एक राशि से दूसरी राशि में जाने पर लगभग ढाई साल का समय लेते हैं. शनि व्यक्ति को कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं. इसलिए जिन लोगों पर साढ़ेसाती, ढैय्या या फिर शनि की महादशा, अंर्तदशा चल रही है उन्हें गलत कार्य और आदतों से दूर रहना चाहिए.

शनि अमावस्या शुभ मुहूर्त
10 जुलाई को शनिवार के दिन अमावस्या की तिथि प्रात: 06 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी. शनि देव की पूजा अमावस्या की तिथि के समापन से पूर्व करना उत्तम है. इस दिन शनि चालीसा और शनि मंत्र के साथ शनि आरती का पाठ करें. ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. पूजा के बाद शनि से जुड़ी चीजों का दान अवश्य करें. एबीपी

शब्दों का अपना एक संसार होता है


*-शब्दों का संसार-*

शब्द *रचे* जाते हैं,
शब्द *गढ़े* जाते हैं,
शब्द *मढ़े* जाते हैं,
शब्द *लिखे* जाते हैं,
शब्द *पढ़े* जाते हैं,
शब्द *बोले* जाते हैं,
शब्द *तौले* जाते हैं,
शब्द *टटोले* जाते हैं,
शब्द *खंगाले* जाते हैं,

*#अंततः*

शब्द *बनते* हैं,
शब्द *संवरते* हैं,
शब्द *सुधरते* हैं,
शब्द *निखरते* हैं,
शब्द *हंसाते* हैं,
शब्द *मनाते* हैं,
शब्द *रूलाते* हैं,
शब्द *मुस्कुराते* हैं,
शब्द *खिलखिलाते* हैं,
शब्द *गुदगुदाते* हैं, 
शब्द *मुखर* हो जाते हैं,
शब्द *प्रखर* हो जाते हैं,
शब्द *मधुर* हो जाते हैं,

*#फिर भी-*

शब्द *चुभते* हैं,
शब्द *बिकते* हैं,
शब्द *रूठते* हैं,
शब्द *घाव* देते हैं,
शब्द *ताव* देते हैं,
शब्द *लड़ते* हैं,
शब्द *झगड़ते* हैं,
शब्द *बिगड़ते* हैं,
शब्द *बिखरते* हैं
शब्द *सिहरते* हैं,

*#किंतु-*

शब्द *मरते* नहीं,
शब्द *थकते* नहीं,
शब्द *रुकते* नहीं,
शब्द *चुकते* नहीं,

*#अतएव-*

शब्दों से *खेले* नहीं,
बिन सोचे *बोले* नहीं,
शब्दों को *मान* दें,
शब्दों को *सम्मान* दें,
शब्दों पर *ध्यान* दें,
शब्दों को *पहचान* दें,
ऊँची लंबी *उड़ान* दे,
शब्दों को *आत्मसात* करें...
*उनसे उनकी* बात करें,
शब्दों का *अविष्कार* करें...
ध्यान से *सुने* .....
गहन *सार्थक विचार* करें.....
व *ध्यान से समझें*, फिर *उत्तर दें*
*#क्योंकि-*

*शब्द* *अनमोल* हैं...
ज़ुबाँ से निकले *बोल* हैं,
शब्दों में *धार* होती है,
शब्दों की *महिमा अपार* होती,
शब्दों का *विशाल भंडार* होता है,

*और सच तो यह है कि-*
*शब्दों का अपना एक संसार होता है*
💐💐💐💐💐🙏🙏🙏🙏🙏

गुरुवार, 8 जुलाई 2021

अर्ध नग्न महिलाओं को देख कर 90℅ कौन मजे लेता है?


*अर्ध नग्न महिलाओं को देख कर  90℅ कौन मजे लेता है??⁉*  
*नारी स्वतंत्रता पर सच्चाई जाने, समझें???* एक लेख
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एक दिन मोहल्ले में किसी ख़ास अवसर पर महिला सभा का आयोजन किया गया, सभा स्थल पर महिलाओं की संख्या अधिक और पुरुषों की कम थी..!!
मंच पर तकरीबन  *पच्चीस वर्षीय खुबसूरत युवती, आधुनिक वस्त्रों से* *सुसज्जित, माइक थामें कोस रही थी पुरुष समाज को..!!*

वही पुराना आलाप.... कम और छोटे कपड़ों को जायज, और कुछ भी पहनने की स्वतंत्रता का बचाव करते हुए, पुरुषों की गन्दी सोच और खोटी नीयत का दोष बतला रही थी.!!

तभी अचानक सभा स्थल से... तीस बत्तीस वर्षीय सभ्य, शालीन और आकर्षक से दिखते नवयुवक ने खड़े होकर अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति मांगी..!!

अनुमति स्वीकार कर माइक उसके हाथों मे सौप दिया गया .... हाथों में माइक आते ही उसने बोलना शुरु किया..!!

"माताओं, बहनों और भाइयों, मैं आप सबको नही जानता और आप सभी मुझे नहीं जानते कि, आखिर मैं कैसा इंसान हूं..?? 

लेकिन पहनावे और शक्ल सूरत से मैं आपको कैसा लगता हूँ बदमाश या शरीफ..??

सभास्थल से कई आवाजें गूंज उठीं... पहनावे और बातचीत से तो आप शरीफ लग रहे हो... शरीफ लग रहे हो... शरीफ लग रहे हो....

बस यही सुनकर, अचानक ही उसने अजीबोगरीब हरकत कर डाली... सिर्फ हाफ पैंट टाइप की अपनी  अंडरवियर छोड़ कर के बाक़ी सारे कपड़े मंच पर ही उतार दिये..!!

ये देख कर .... पूरा सभा स्थल आक्रोश से गूंज उठा, मारो-मारो गुंडा है, बदमाश है, बेशर्म है, शर्म नाम की चीज नहीं है इसमें.... मां बहन का लिहाज नहीं है इसको, नीच इंसान है, ये छोड़ना मत इसको....

ये आक्रोशित शोर सुनकर... अचानक वो माइक पर गरज उठा... 

"रुको... पहले मेरी बात सुन लो, फिर मार भी लेना , चाहे तो जिंदा जला भी देना मुझको..!!

अभी अभी तो....ये बहन जी कम कपड़े , तंग और बदन नुमाया छोटे-छोटे कपड़ों की पक्ष के साथ साथ स्वतंत्रता की दुहाई देकर गुहार लगाकर..."नीयत और सोच में खोट" बतला रही थी...!!

तब तो आप सभी तालियां बजा-बजाकर सहमति जतला रहे थे..फिर मैंने क्या किया है..?? 

सिर्फ कपड़ों की स्वतंत्रता ही तो दिखलायी है..!!

"नीयत और सोच" की खोट तो नहीं ना और फिर मैने तो, आप लोगों को... मां बहन और भाई भी कहकर ही संबोधित किया था..फिर मेरे अर्द्ध नग्न होते ही.... आप में से किसी को भी मुझमें "भाई और बेटा" क्यों नहीं नजर आया..?? 

मेरी नीयत में आप लोगों को खोट कैसे नजर आ गया..??

मुझमें आपको सिर्फ "मर्द" ही क्यों नजर आया? भाई, बेटा, दोस्त क्यों नहीं नजर आया? आप में से तो किसी की "सोच और नीयत" भी खोटी नहीं थी... फिर ऐसा क्यों?? "

सच तो यही है कि..... झूठ बोलते हैं लोग कि... 
"वेशभूषा" और "पहनावे" से कोई फर्क नहीं पड़ता

हकीकत तो यही है कि मानवीय स्वभाव है कि किसी को सरेआम बिना "आवरण" के देख लें तो कामुकता जागती है मन में...
रूप, रस, शब्द, गन्ध, स्पर्श ये बहुत प्रभावशाली कारक हैं  इनके प्रभाव से “विस्वामित्र” जैसे मुनि के मस्तिष्क में विकार पैदा हो गया था..जबकि उन्होंने सिर्फ रूप कारक के दर्शन किये..आम मनुष्यों की विसात कहाँ..??
दुर्गा शप्तशती के देव्या कवच में श्लोक 38 में भगवती से इन्हीं कारकों से रक्षा करने की प्रार्थना की गई है..

“रसे_रुपे_च_गन्धे_च_शब्दे_स्पर्शे_च_योगिनी।
सत्त्वं_रजस्तमश्चैव_रक्षेन्नारायणी_सदा।।”

रस रूप गंध शब्द स्पर्श इन विषयों का अनुभव करते समय योगिनी देवी रक्षा करें तथा सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण की रक्षा नारायणी देवी करें.!!

अब बताइए, हम भारतीय हिन्दु महिलाओं को "हिन्दु संस्कार" में रहने को समझाएं तो स्त्रियों की कौन-सी "स्वतंत्रता" छीन रहे हैं..??

*सोशल मीडिया पर अर्ध-नग्न होकर नाचती 90% कन्याएँ-महिलाएँ..हिंदू हैं..और मज़े लेने वाले 90% कौन है⁉.ये बताने की भी ज़रूरत है क्या..‼?*
*आँखे खोलिए…संभालिए अपने आप को और अपने समाज को, क्योंकि भारतीय समाज और संस्कृति का आधार नारीशक्ति है और धर्म विरोधी, अधर्मी, चांडाल (बॉलीवुड, वामपंथी,मिशनरी) ये हमारे समाज के आधार को तोड़ने का षड्यंत्र कर रहे हैं..!!*

 ✍🏼 🙏

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