*-शब्दों का संसार-*
शब्द *रचे* जाते हैं,
शब्द *गढ़े* जाते हैं,
शब्द *मढ़े* जाते हैं,
शब्द *लिखे* जाते हैं,
शब्द *पढ़े* जाते हैं,
शब्द *बोले* जाते हैं,
शब्द *तौले* जाते हैं,
शब्द *टटोले* जाते हैं,
शब्द *खंगाले* जाते हैं,
*#अंततः*
शब्द *बनते* हैं,
शब्द *संवरते* हैं,
शब्द *सुधरते* हैं,
शब्द *निखरते* हैं,
शब्द *हंसाते* हैं,
शब्द *मनाते* हैं,
शब्द *रूलाते* हैं,
शब्द *मुस्कुराते* हैं,
शब्द *खिलखिलाते* हैं,
शब्द *गुदगुदाते* हैं,
शब्द *मुखर* हो जाते हैं,
शब्द *प्रखर* हो जाते हैं,
शब्द *मधुर* हो जाते हैं,
*#फिर भी-*
शब्द *चुभते* हैं,
शब्द *बिकते* हैं,
शब्द *रूठते* हैं,
शब्द *घाव* देते हैं,
शब्द *ताव* देते हैं,
शब्द *लड़ते* हैं,
शब्द *झगड़ते* हैं,
शब्द *बिगड़ते* हैं,
शब्द *बिखरते* हैं
शब्द *सिहरते* हैं,
*#किंतु-*
शब्द *मरते* नहीं,
शब्द *थकते* नहीं,
शब्द *रुकते* नहीं,
शब्द *चुकते* नहीं,
*#अतएव-*
शब्दों से *खेले* नहीं,
बिन सोचे *बोले* नहीं,
शब्दों को *मान* दें,
शब्दों को *सम्मान* दें,
शब्दों पर *ध्यान* दें,
शब्दों को *पहचान* दें,
ऊँची लंबी *उड़ान* दे,
शब्दों को *आत्मसात* करें...
*उनसे उनकी* बात करें,
शब्दों का *अविष्कार* करें...
ध्यान से *सुने* .....
गहन *सार्थक विचार* करें.....
व *ध्यान से समझें*, फिर *उत्तर दें*
*#क्योंकि-*
*शब्द* *अनमोल* हैं...
ज़ुबाँ से निकले *बोल* हैं,
शब्दों में *धार* होती है,
शब्दों की *महिमा अपार* होती,
शब्दों का *विशाल भंडार* होता है,
*और सच तो यह है कि-*
*शब्दों का अपना एक संसार होता है*
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