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सोमवार, 17 जनवरी 2022

हलाल: एक आर्थिक जिहाद - जय आहूजा - जिस भी ब्रांड पर यह ये हलाल हरे कलर का लोगो प्रिंट हो उसका सम्पूर्ण बहिष्कार करें



विगत समय में “हलाल” चर्चा और विवाद का विषय बना, जब ज़ोमाटो, मॅक्डोनाल्ड आदि संस्थाओं ने यह स्पष्टीकरण दिया कि उनके यहाँ प्रयोग में लाया जाने वाला सारा मांस “हलाल” ही होता है। इस इण्डिक संवाद में श्री जय आहूजा द्वारा “हलाल” से हिन्दू समाज और व्यापार पर पड़ने वाले प्रभावों की समीक्षा की गई है। वे इस्लामी मत में “हलाल” की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए बताते हैं कि इसके ध्येयानुसार किसी भी पदार्थ के उत्पादन, विपणन आदि में इस्लामी मजहबी विधि का पालन किया जाना आवश्यक है और इस प्रक्रिया में किसी गैर-मुस्लिम को लाभ नहीं पहुँचना चाहिए। इस दुराग्रह के परिणामस्वरूप गैर-मुस्लिमों का खाद्य व्यापार, विशेषतः मांस-व्यापार से बहिष्कार हो रहा है। “हलाल” का दुराग्रह अब मांस-पदार्थों तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि शाकाहारी खाद्य पदार्थ, वस्त्र, कॉस्मेटिक आदि वस्तुओं को भी हलाल-सम्मत बनाकर व्यापार को भी मजहबी रंग दिया जा रहा है। ये एक प्रकार का ‘आर्थिक जिहाद’ है जिससे हिन्दू समाज के निर्धन वर्गों और व्यापारियों की मजहबी घेराबन्दी कर उनसे रोजगार छीना जा रहा है। “हलाल” से आर्थिक हानि के साथ-साथ गैर-मुस्लिमों की धार्मिक आस्थाओं का भी हनन हो रहा है। “हलाल” को एक षड्यन्त्र के तहत गैर-मुस्लिमों पर भी थोपा जा रहा है और फलस्वरूप अन्य विकल्प मिट जाने के कारण वे भी इस्लामी मजहबी विधान का पालन करने के लिए बाध्य हो रहे हैं। इस वीडियों को अवश्य देखें और “हलाल” के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक बनें।
 

 






 खाने पिने की वस्तुओ पर ये हलाल हरे कलर का लोगो प्रिंट होता है
जिस भी ब्रांड पर यह प्रिंट हो उसका सम्पूर्ण बहिष्कार करें
और
उस दूकान वाले को बोले की ये हलाल वाला ब्रांड हमें नहीं चाइए
- राष्ट्र व 🚩धर्म निर्माण मे सहयोग करें 🙏

चुनाव सोशल मीडिया पर ही लड़ा जाने वाला है इसलिए

 आप से कुछ प्रार्थना है....


- चुनाव सोशल मीडिया पर ही लड़ा जाने वाला है इसलिए अब व्हाट्सएप के माध्यम से योगी जी के पक्ष में जनसमर्थन जुटाने के लिए मैं ज्यादा से ज्यादा लेख लिखने वाला हूं

-आपसे ये प्रार्थना है कि आप मेरे लेख चाहे अच्छे लगें या नहीं लगें... लेकिन उनको अपने परिवार... रिश्तेदारों... ग्रुप्स... दोस्तों और खासकर हिंदुओं को जरूर फारवर्ड करते रहिएगा... जब बूथ लेवल पर बने व्हाट्सएप ग्रुप्स में ये लेख पहुंचेंगे तो हिंदुओं को गोलबंद करना बहुत आसान होता जाएगा

-मैं योगी जी और श्रीराम मंदिर निर्माण की वजह से बीजेपी के समर्थन में लेख लिखता रहा हूं आगे भी लिखता रहूंगा तो आप ये मत समझ लेना कि हमें बीजेपी से कोई पैसा मिलता है... हमने अपना घर-बार परिवार सब छोड़कर सारा समय बिना किसी स्वार्थ के देश को समर्पित कर दिया है... मेरी सेवा को आप निस्वार्थ समझना

-लेखों के बीच में मेरा मोबाइल नंबर दिया होता है... उसको आप मत हटाना क्योंकि जैसे आप मुझसे मोबाइल नंबर से जुड़े हैं वैसे ही दूसरे लोग भी मोबाइल नंबर से ही जुड़ते हैं जब लोग साथ आएंगे तभी कारवां आगे बढ़ेगा इसी कारवें से ही हिंदुत्व की क्रांति का सूर्य उदय होगा

-मैं आपको कभी कभी विशेष परिस्थितियों में अपने ट्विटर लिंक भी दिया करूंगा अगर आप ट्विटर पर हैं तो उसको लाइक शेयर रीट्वीट करते रहिएगा और नहीं हैं तो भी कोई बात नहीं आप ग्रुप में शेयर कर देना जिसकी मर्जी होगी वह कर लेगा

-योगी जी को अगर 320 से ज्यादा सीटें नहीं मिलती हैं तो ब्रांड योगी कमजोर होगा और अगर कमजोर हुआ तो फिर हिंदुत्व भी कमजोर हो जाएगा इसलिए जीत के लिए कार्य नहीं करना है 350 सीट का लक्ष्य लेकर जोरदार तरीके से प्रचार करना है

-आपका स्नेह और आशीर्वाद मुझको बराबर मिलता रहा है... मेरी तरफ से कोई गलती हो तो क्षमा कीजिएगा...

धन्यवाद
भारत माता की जय
वंदेमातरम
जय श्री राम
हम जिएंगे या मरेंगे... ऐ वतन तेरे लिए !

हमने हिंदू बनकर 2014 और 2019 में वोट दिए तो आज देश में .............


 ये कहानी अधिकांश मित्रों ने सुनी, पढ़ी होगी लेकिन आज भी बहुत प्रासंगिक है और शिक्षाप्रद भी है -

एक बार अकबर ने बीरबल से कहा कि उसे ये पता करना है कि उसके दरबार में कितने लोग ईमानदार हैं, ये कैसे पता चलेगा?

बीरबल ने कुछ दिनों का समय माँगा फिर अकबर के पास गए और उन्हें एक प्रयोग बताया जिससे कि पता चल जाएगा कि दरबार में कितने लोग ईमानदार हैं।

अकबर को इतना समझ नहीं आया चूँकि बीरबल ने कहा है इसलिए उसने हामी भर दी।

एक बड़े से कढ़ाव को थोड़ा ऊँचाई पर रखा गया और उस तक पहुँचने के लिये एक सीढ़ी रखी गई, सीढ़ी की ऊँचाई इतनी ही थी कि थोड़ा हाथ ऊपर करने पर कढ़ाव तक पहुँच सकता था।

सभी दरबारियों से कहा गया कि आधी रात को सबको इसमें एक एक लोटा दूध डालना है। दरबारियों को कुछ पता नहीं था कि ये सब क्यों करवाया जा रहा है।

चूँकि अकबर का आदेश था तो सबको मानना ही था, सो सबने जाकर ये काम कर दिया।

अगले दिन दरबार सजा और उस कढ़ाव को लाया गया लेकिन उसे देखकर अकबर और सारे के सारे दरबारी अचंभित और अवाक रह गए क्योंकि उस कढ़ाव में केवल पानी ही भरा हुआ था।

सबने ये सोचकर एक लोटा पानी भर दिया कि मेरे अकेले के पानी भरने से किसी को क्या पता चलेगा??

इसी तरह "आएगा तो योगी ही" सोचकर, बोलने से योगीजी नहीं आयेंगे, मतदान के हर चरण में हर सच्चे सनातनी, राष्ट्रभक्त को अपने घर से निकलकर वोट करने जाना होगा और अपने सभी मित्रों, परिजनों, अड़ोसी, पड़ोसी सबको ले जाकर वोट डलवाने होंगे।

अटलजी के "शाइनिंग इंडिया" के जैसे "आएगा तो योगी ही" का हश्र नहीं होने देना है इसका सभी को ध्यान रखना है।

ना केवल उत्तरप्रदेश बल्कि गोवा, उत्तराखंड, पंजाब के सभी सच्चे सनातनियों, राष्ट्रभक्तों को यही करना है।

अपनी जाति, मनपसंद उम्मीदवार का ना होना भूलकर केवल हिन्दू बनकर "कमल का बटन" दबाना है।

ध्यान रखिये चुनावों से पहले धूर्त नेताओं के लिए आप केवल जातियों में बँटे हिंदू होते हैं और चुनाव के बाद केवल हिंदू, तभी न अखिलेश जैसा मुख्यमंत्री दो बजे बाद होली खेलने पर प्रतिबंध लगा देता था, कावड़ यात्रा निकलने नहीं देता था, डीजे नहीं बजने देता था।

हमने हिंदू बनकर 2014 और 2019 में वोट दिए तो आज देश में घोटाले बंद हो गए, आतंकी हमले कश्मीर तक सीमित रह गए, राम मंदिर का निर्णय हमारे पक्ष में हुआ, राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया, काशी में शानदार विश्वनाथ कॉरिडोर बन गया, को रो ना जैसी महामारी में इतनी बड़ी आबादी के होते हुए भी बहुत ज़्यादा नुकसान नहीं झेलना पड़ा।

विश्व का सबसे बड़ा और सबसे श्रेष्ठ वैक्सीनेशन ड्राइव भारत में हुआ और उसमें भी विशेष बात ये कि सारी वैक्सीन देश में ही तैयार हुई हमें किसी अन्य देश पर आश्रित नहीं होना पड़ा।

यदि इस समय कांग्रेस केंद्र में होती तो यकीन मानिये आधा देश सो चुका होता।

वोट उन्हें दीजिये जिनकी नीयत में खोट नहीं है।


साभार

जब किसी ताजे फल में बीज अंकुरित होने लगते हैं तो उसे क्या कहते हैं?

 

१९९० की बात है, हम चैन्नई में रहते थे और हमारी प्रथम संतान की आशा से थे। घर के समीप ही एक अम्मन-कोविल (देवी का मन्दिर) था, एक सुबह हम लोगों ने वहाँ अर्चना करी। नारियल बडा किया तो एक ओर से बहुत ही विचित्र रूप से फूला हुआ था। हम असमंजस में थे और श्रीमतीजी इस आशंका में कि अरे यह नारियल तो अच्छा नहीं निकला, बडा अपशकुन हो गया। द्वार पर अपना आसन जमाए फूल और पूजासामग्री बेचने वाली महिला को उपालम्भ दिया तो वह कहने लगी, यह तो फला हुआ नारियल है, और ऐसा नारियल तो सौभाग्यशालियों को ही मिलता है। पुजारी जो हमारे व्यवहार का अवलोकन कर रहा था, उसने भी फूलवाली का अनुमोदन किया और मेरी धर्मपत्नी से कहने लगा "अम्मा! आप नारियल का यह वाला भाग अवश्य खाना, आपको स्वस्थ लड़का ही होगा।"

हम लोगों ने जो देखा वह नारियल के ताजे फल में ही पौधे का प्रस्फुटन था। इस प्रकार के अंकुरण को साधारण भाषा में "फल का फलना" कहते हैं और इसके लिए वनस्पतिशास्त्रीय तकनीकी शब्द है "जरायुज अंकुरण" (viviparous germination — विविपैरस जर्मिनेशन)। इसमें फल के भीतर ही बीज अंकुरित हो जाता है।

इस प्रकार का अंकुरण तटवर्ती दलदलों (mangroves) में लगने वाली वनस्पतियों में होता है। इनमें बहुधा फल वृक्ष पर ही फलित हो जाता है तब यह फल दलदल में गिर जाता है, और वहीं जड़ पकड़ लेता है। यदि अंकुरण न हुआ हो तो यह फल ज्वार-भाटा की प्रक्रिया में बहकर पानी के मध्य पहुँच सकता है और भूमि न मिल पाने से नष्ट भी हो सकता है। अतः प्रकृति ने जरायुज अंकुरण प्रक्रिया का विकास किया है।


यह प्रक्रिया कुछ अन्य वनस्पतियों में भी देखी जा सकती है। जैसे, आम की सबसे अन्त में आने वाली किस्मों में एक है नीलम, यह प्रजाति बहुत ही स्वादिष्ट है।

किन्तु जब इसे काटा जाता है तो एक सिरा काला सा होता है और लोग इसे यह कहकर खरीदने से कतराते हैं कि अरे! इसमें तो सदा ही कीड़ा लगा होता है। बरसात आई और आम में कीड़ा लग रहा है यह कहकर आम खाना बन्द! किन्तु आम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए जरायुज अंकुरण कर रहा होता हैं।

जैसे यह।


यह स्ट्रॉबेरी जैसे फलो में भी देखा जा सकता है।


पपीते में तो यह बहुधा होता है।


अथवा यह मिर्च देखिए।



अर्ध नग्न महिलाओं को देख कर 90℅ कौन मजे लेता है

 

क्या आप जानते हैं कि अर्ध नग्न महिलाओं को देख कर 90℅ कौन मजे लेता है

एक दिन मोहल्ले में किसी ख़ास अवसर पर महिला सभा का आयोजन किया गया, सभा स्थल पर महिलाओं की संख्या अधिक और पुरुषों की कम थी..!!

मंच पर तकरीबन *पच्चीस वर्षीय खुबसूरत युवती, आधुनिक वस्त्रों से* *सुसज्जित, माइक थामें कोस रही थी पुरुष समाज को..!!*

वही पुराना आलाप.... कम और छोटे कपड़ों को जायज, और कुछ भी पहनने की स्वतंत्रता का बचाव करते हुए, पुरुषों की गन्दी सोच और खोटी नीयत का दोष बतला रही थी.!!

तभी अचानक सभा स्थल से... तीस बत्तीस वर्षीय सभ्य, शालीन और आकर्षक से दिखते नवयुवक ने खड़े होकर अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति मांगी..!!

अनुमति स्वीकार कर माइक उसके हाथों मे सौप दिया गया .... हाथों में माइक आते ही उसने बोलना शुरु किया..!!

"माताओं, बहनों और भाइयों, मैं आप सबको नही जानता और आप सभी मुझे नहीं जानते कि, आखिर मैं कैसा इंसान हूं..??

लेकिन पहनावे और शक्ल सूरत से मैं आपको कैसा लगता हूँ बदमाश या शरीफ..??

सभास्थल से कई आवाजें गूंज उठीं... पहनावे और बातचीत से तो आप शरीफ लग रहे हो... शरीफ लग रहे हो... शरीफ लग रहे हो....

बस यही सुनकर, अचानक ही उसने अजीबोगरीब हरकत कर डाली... सिर्फ हाफ पैंट टाइप की अपनी अंडरवियर छोड़ कर के बाक़ी सारे कपड़े मंच पर ही उतार दिये..!!

ये देख कर .... पूरा सभा स्थल आक्रोश से गूंज उठा, मारो-मारो गुंडा है, बदमाश है, बेशर्म है, शर्म नाम की चीज नहीं है इसमें.... मां बहन का लिहाज नहीं है इसको, नीच इंसान है, ये छोड़ना मत इसको....

ये आक्रोशित शोर सुनकर... अचानक वो माइक पर गरज उठा...

"रुको... पहले मेरी बात सुन लो, फिर मार भी लेना , चाहे तो जिंदा जला भी देना मुझको..!!

अभी अभी तो....ये बहन जी कम कपड़े , तंग और बदन नुमाया छोटे-छोटे कपड़ों की पक्ष के साथ साथ स्वतंत्रता की दुहाई देकर गुहार लगाकर...

"नीयत और सोच में खोट" बतला रही थी...!!

तब तो आप सभी तालियां बजा-बजाकर सहमति जतला रहे थे..फिर मैंने क्या किया है..??

सिर्फ कपड़ों की स्वतंत्रता ही तो दिखलायी है..!!

"नीयत और सोच" की खोट तो नहीं ना और फिर मैने तो, आप लोगों को... मां बहन और भाई भी कहकर ही संबोधित किया था..फिर मेरे अर्द्ध नग्न होते ही.... आप में से किसी को भी मुझमें "भाई और बेटा" क्यों नहीं नजर आया..??

मेरी नीयत में आप लोगों को खोट कैसे नजर आ गया..??

मुझमें आपको सिर्फ "मर्द" ही क्यों नजर आया? भाई, बेटा, दोस्त क्यों नहीं नजर आया? आप में से तो किसी की "सोच और नीयत" भी खोटी नहीं थी... फिर ऐसा क्यों?? "

सच तो यही है कि..... झूठ बोलते हैं लोग कि...

"वेशभूषा" और "पहनावे" से कोई फर्क नहीं पड़ता…

हकीकत तो यही है कि मानवीय स्वभाव है कि किसी को सरेआम बिना "आवरण" के देख लें तो कामुकता जागती है मन में...

रूप, रस, शब्द, गन्ध, स्पर्श ये बहुत प्रभावशाली कारक हैं इनके प्रभाव से “विस्वामित्र” जैसे मुनि के मस्तिष्क में विकार पैदा हो गया था..जबकि उन्होंने सिर्फ रूप कारक के दर्शन किये..आम मनुष्यों की विसात कहाँ..??

दुर्गा शप्तशती के देव्या कवच में श्लोक 38 में भगवती से इन्हीं कारकों से रक्षा करने की प्रार्थना की गई है..

“रसे_रुपे_च_गन्धे_च_शब्दे_स्पर्शे_च_योगिनी।

सत्त्वं_रजस्तमश्चैव_रक्षेन्नारायणी_सदा।।”

रस रूप गंध शब्द स्पर्श इन विषयों का अनुभव करते समय योगिनी देवी रक्षा करें तथा सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण की रक्षा नारायणी देवी करें.!!

✍️ आज के समाज की सोच ये है कि अपने घर की बेटियां अपने बदन को ढके या ना ढके लेकिन बहु मुंह छिपाकर घुंघट में रहनी चाहिए आज के समाज में बदन ढकना जरूरी नहीं पर मुंह ढकना जरूरी है।

आज के समाज में गुंघट के लिए कोई जगह नहीं है वैसे ही इन अर्ध नग्न वस्त्रों के लिए भी कोई जगह नहीं है।

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