विगत समय में “हलाल” चर्चा और विवाद का विषय बना, जब ज़ोमाटो, मॅक्डोनाल्ड आदि संस्थाओं ने यह स्पष्टीकरण दिया कि उनके यहाँ प्रयोग में लाया जाने वाला सारा मांस “हलाल” ही होता है। इस इण्डिक संवाद में श्री जय आहूजा द्वारा “हलाल” से हिन्दू समाज और व्यापार पर पड़ने वाले प्रभावों की समीक्षा की गई है।
वे इस्लामी मत में “हलाल” की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए बताते हैं कि इसके ध्येयानुसार किसी भी पदार्थ के उत्पादन, विपणन आदि में इस्लामी मजहबी विधि का पालन किया जाना आवश्यक है और इस प्रक्रिया में किसी गैर-मुस्लिम को लाभ नहीं पहुँचना चाहिए। इस दुराग्रह के परिणामस्वरूप गैर-मुस्लिमों का खाद्य व्यापार, विशेषतः मांस-व्यापार से बहिष्कार हो रहा है। “हलाल” का दुराग्रह अब मांस-पदार्थों तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि शाकाहारी खाद्य पदार्थ, वस्त्र, कॉस्मेटिक आदि वस्तुओं को भी हलाल-सम्मत बनाकर व्यापार को भी मजहबी रंग दिया जा रहा है। ये एक प्रकार का ‘आर्थिक जिहाद’ है जिससे हिन्दू समाज के निर्धन वर्गों और व्यापारियों की मजहबी घेराबन्दी कर उनसे रोजगार छीना जा रहा है।
“हलाल” से आर्थिक हानि के साथ-साथ गैर-मुस्लिमों की धार्मिक आस्थाओं का भी हनन हो रहा है। “हलाल” को एक षड्यन्त्र के तहत गैर-मुस्लिमों पर भी थोपा जा रहा है और फलस्वरूप अन्य विकल्प मिट जाने के कारण वे भी इस्लामी मजहबी विधान का पालन करने के लिए बाध्य हो रहे हैं।
इस वीडियों को अवश्य देखें और “हलाल” के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक बनें।
खाने पिने की वस्तुओ
पर ये हलाल हरे कलर का लोगो प्रिंट होता है
जिस भी ब्रांड पर यह प्रिंट हो
उसका सम्पूर्ण बहिष्कार करें
और
उस दूकान वाले को बोले की ये हलाल वाला
ब्रांड हमें नहीं चाइए
- राष्ट्र व 🚩धर्म निर्माण मे सहयोग करें 🙏
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