यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 17 जनवरी 2022

कैराना के गुनाहगार को अपनी पार्टी का टिकट दे कर अपनी पार्टी का नाम नमाजवादी पार्टी सार्थक कर दिया

 एक धूल से सना हुआ उनींदा सा छोटा सा कस्बा जो कि देश की धड़कन दिल्ली से मात्र  90 किलोमीटर दूर है
कुछ सालो पहले यह टाउन तब मीडिया में खूब चर्चा में आया था जब दिल्ली में रिमोट कंट्रोल से चलने वाले प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह की दिल्ली में सरकार थी और उत्तर प्रदेश में  अखिलेश यादव का शासन था
तब कैराना में मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ने के कारण और उनके आंतक से डरकर काफी सारे हिन्दुओं को पलायन करना पड़ा था
बीजेपी को छोड़कर किसी भी अन्य राजनैतिक दलों ने इस पर कोई आवाज नहीं उठाई थी क्योंकि उन्हें लगता था कि हिन्दुओं का पलायन साम्प्रदायिक सद्भावना के लिए  जरूरी  था बल्कि नमाजवादी पार्टी के नावेद हुसैन तो इस पूरे आयोजन के मुख्य कर्ताधर्ता थे
फिर उत्तर प्रदेश में बीजेपी के योगी आदित्यनाथ की सरकार आई, और  उन्होंने कुछ हिंदू परिवारों का वापिस कैराना में पुनर्वास कराया गया था लेकिन इसके बावजूद अभी भी हजारों की संख्या में लोग वंहा से पलायन कर चुके हैं
एक बार कोई स्थान छोड़ देने के बाद वापिस उनका पुनर्वास बड़ा मुश्किल होता है
हिन्दुओं को अपनी जमीनों को कौडियों के भाव में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा था
दिल्ली से केवल 90 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के एक कस्बे की यह हालत थी लेकिन सैकुलर के चैम्पियनो को कोई फर्क नहीं पड़ा
इसी कैराना से अब नमाजवादी पार्टी ने उसी नावेद हुसैन को एमएलए का टिकट दिया है
यानी हिन्दुओं को भगाओ और बदले में नमाजवादी पार्टी का टिकट पाओ
पता नहीं ये हिन्दू समुदाय के वे कौन लोग है जो कि नमाजवादी पार्टी को वोट देते हैं जबकि नमाजवादी पार्टी ने मुस्लिमों के वोट पाने के लिए  उनके लिए क्या क्या नहीं किया और हिन्दुओं को प्रताडित करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा
राम भक्तों पर गोलियां चलाने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मौलाना मुलायम सिंह यादव ने बड़ी बेशर्मी से और हिन्दुओं को चिढ़ाते हुए कहा था कि यदि जरूरत पड़ती तो वे सैंकड़ों कार सेवकों पर गोली चलाने के लिए तैयार थे
मुख्यमंत्री के रूप में वो केवल यह कह देते कि कानून व्यवस्था को कायम रखने के लिए उन्होंने गोलीबारी का आदेश दिया था, तो भी एक  कुछ हद तक उचित कहा जा सकता है लेकिन उन्होंने तो मुस्लिमों के वोट लेने के लिए ऐसा शर्मनाक बयान दिया था
अब बाप का असर उसके बेटे पर तो आएगा ही ना
ऑस्ट्रेलिया से कथित रूप से पढ़कर आने वाले  अखिलेश तो मुस्लिमों को रिझाने में अपने बाप से भी एक कदम आगे निकल गए
मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने पहला काम यह किया था कि उन्होंने अंग्रेजो के ज़माने से चल रही पुलिस स्टेशन में भगवान कृष्ण की पूजा को बंद करा दिया
मतलब जिस काम को अंग्रेज नहीं कर सके उस काम को अखिलेश जैसे काले अंग्रेज ने कर दिया
अब उन्होंने कैराना के गुनाहगार को अपनी पार्टी का टिकट दे कर अपनी पार्टी का नाम नमाजवादी पार्टी सार्थक कर दिया
अब जो हिन्दू अपने को हिन्दू ना समझकर दलित, यादव या और कोई जाति समझते हैं, उन्हें यह सोचना चाहिए कि उनके साथ भी बीस वाले वही हाल करने वाले है जो कि वे अन्य हिन्दूओ के साथ करेंगे
उनके साथ कोई अलग से स्पेशल व्यवहार इसलिए नहीं होने वाला है कि वे नमाजवादी पार्टी या कॉंग्रेस के समर्थक है
यदि उनकी यादाश्त तेज है तो उन्हें सिर्फ पांच साल पहले की घटनाओं को याद कर लेना चाहिए, जब राज्य में नमाजवादी पार्टी का जंगलराज था और उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता था
फिर भी यदि आपको बीजेपी और योगी से शिकायत है तो आपको तुरन्त किसी मनोचिकित्सक से उपचार कराने की जरूरत है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya