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मंगलवार, 18 जुलाई 2023

कांग्रेस भारत को संविधान के माध्यम से मुस्लिम राष्ट्र बना चुकी थी बस घोषणा नहीं कर पाई

*कांग्रेस भारत को संविधान के माध्यम से मुस्लिम राष्ट्र बना चुकी थी बस घोषणा नहीं कर पाई*
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अनुच्छेद 25, 28, 30 (1950)
एचआरसीई अधिनियम (1951)
एचसीबी एमपीएल (1956)
धर्मनिरपेक्षता (1975)
अल्पसंख्यक अधिनियम (1992)
POW अधिनियम (1991)
वक्फ अधिनियम (1995)
राम सेतु शपथ पत्र (2007)
केसर (2009)
*1)* उन्होंने अनुच्छेद 25 द्वारा धर्मांतरण को वैध बनाया।
*2)* उन्होंने अनुच्छेद 28 के माध्यम से हिंदुओं से धार्मिक शिक्षा छीन ली लेकिन अनुच्छेद 30 के माध्यम से मुस्लिमों और ईसाइयों को धार्मिक शिक्षा की अनुमति दी।
*3)* उन्होंने एचआरसीई अधिनियम 1951 लागू करके सभी मंदिरों और मंदिरों का पैसा हिंदुओं से छीन लिया।
*4)* उन्होंने हिंदू कोड बिल के तहत तलाक कानून, दहेज कानून द्वारा हिंदू परिवारों को नष्ट कर दिया लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ को नहीं छुआ। उन्हें बहुविवाह की अनुमति दी ताकि वे अपनी जनसंख्या बढ़ाते रहें।
*5)* 1954 में विशेष विवाह अधिनियम लाया गया ताकि मुस्लिम लड़के आसानी से हिंदू लड़कियों से शादी कर सकें।
*6)* 1975 में उन्होंने आपातकाल लगाया, जबरदस्ती धर्मनिरपेक्षता शब्द संविधान में जोड़ा और जबरदस्ती भारत को धर्मनिरपेक्ष बना दिया।
*7)* कांग्रेस यहीं नहीं रुकी. 1991 में वे अल्पसंख्यक आयोग कानून लेकर आये और घोषणा की
एमएसएल! एम को अल्पसंख्यक माना जाता है, हालांकि धर्मनिरपेक्ष देश में बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक नहीं हो सकते।
*8)* उन्होंने छात्रवृत्ति, सरकारी जैसे विशेष अधिकार दिए। अल्पसंख्यक अधिनियम के तहत उन्हें लाभ मिले।
*9)* 1992 में, उन्होंने हिंदुओं को उनके मंदिर कानूनी तरीके से वापस लेने से रोक दिया और पूजा स्थल अधिनियम द्वारा 40000 मंदिर हिंदुओं से छीन लिए।
*10)* कांग्रेस यहीं नहीं रुकी और 1995 में उन्होंने मुसलमानों को किसी भी जमीन पर दावा करने, वक्फ अधिनियम के जरिए किसी भी हिंदू की जमीन छीनने का अधिकार दे दिया और मुसलमानों को भारत का दूसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक बना दिया।
*11)* 2007 में, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामसेतु हलफनामे में *श्री राम* के अस्तित्व को अस्वीकार कर दिया और हिंदू विरोधी धर्मयुद्ध में चरम बिंदु 2009 में था जब कांग्रेस ने भगवा चरमपंथ शब्द गढ़कर हिंदू धर्म को चरमपंथी धर्म घोषित किया।
*12)* और मजे की बात यह है कि इसी कांग्रेस ने अपने 136 साल के इतिहास में कभी बुर्के में, तीन तलाक में कोई अतिवाद नहीं पाया!
*13)* कांग्रेस धीरे-धीरे बड़ी चतुराई से हिंदुओं को नंगा करती रही। वे एक-एक करके हिंदू अधिकारों को छीनते रहे और अब हिंदू पूरी तरह से हर चीज से वंचित हो गए हैं और मजेदार बात यह है कि उन्हें इसके बारे में पता भी नहीं है।
*14)* उनके पास अपने मंदिर नहीं हैं, उनके पास अपनी धार्मिक शिक्षा नहीं है, उनकी ज़मीनें उनकी स्थायी संपत्ति नहीं हैं।
और वे प्रश्न भी नहीं पूछते!
क्यों मस्जिद और चर्च स्वतंत्र हैं, लेकिन मंदिर सरकार के अधीन हैं? नियंत्रण?
सरकार क्यों हैं? वित्त पोषित मदरसे, कॉन्वेंट स्कूल लेकिन सरकारी नहीं। वित्त पोषित गुरुकुल?
उनका वक्फ अधिनियम तो हिंदू भूमि अधिनियम क्यों नहीं है?
उनका मु$ल क्यों है m पर्सनल बोर्ड लेकिन हिंदू पर्सनल बोर्ड नहीं?
यदि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है तो यहां बहुसंख्यक अल्पसंख्यक क्यों हैं? स्कूलों में रामायण और महाभारत क्यों नहीं पढ़ाई जाती?
*15)* औरंगजेब ने हिंदू धर्म को नष्ट करने के लिए तलवार का इस्तेमाल किया, कांग्रेस ने हिंदू धर्म को नष्ट करने के लिए संविधान, अधिनियमों, विधेयकों का इस्तेमाल किया और जहां तलवार विफल रही, वहां संविधान ने यह काम किया।
*16)* और फिर मीडिया है।
अगर कोई ये सवाल पूछने की कोशिश करता है तो उसे सांप्रदायिक, भगवा और भक्त घोषित कर दिया जाता है।
यदि कोई राजनेता इन गलतियों को सुधारने का प्रयास करता है तो उन्हें बुलाया जाता है क्योंकि वे लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं।
*17)* याद रखें शक्तिशाली रोमन धर्म के पतन में केवल 80 वर्ष लगे।
प्रत्येक हिंदू को रोमन सभ्यता के पतन के बारे में अवश्य पढ़ना चाहिए।
कोई भी बाहरी ताकत उन्हें हरा नहीं सकी, वे आंतरिक रूप से अपने ही शासक कॉन्सटेंटाइन और ईसाई धर्म से हार गए।
*18)* हिंदुओं ने 1950 से नेहरू और उनके परिवार को चुना और भारी कीमत चुकाई है और अधिकांश वर्षों तक कांग्रेस सरकारों से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है।
    हिंदुओं के लिए गुलाम मानसिकता से बाहर आने और शिवाजी और महाराणा प्रताप की तरह बनने का समय आ गया है, जो अपने शासनकाल के दौरान कभी गुलाम नहीं बने।
क्या हमें इस एक पार्टी की ज़रूरत है जिसने हिंदुओं को इतना नुकसान पहुंचाया है??

शनिवार, 15 जुलाई 2023

शास्त्रों के अनुसार इन 6 कारणों से जल्द होती है मौत

शास्त्रों के अनुसार इन 6 कारणों से जल्द होती है मौत
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हर व्यक्ति अपने जन्म के साथ ही मृत्यु की तारीख भी लिखवाकर आता है। लेकिन पुराणों के मुताबिक व्यक्ति अपने कर्मों से मृत्यु को टाल सकता है। यानी की अपनी उम्र बढ़ा सकता है और घटा भी सकता है। इसका मतलब यह है कि कर्मों के मुताबिक व्यक्ति को आयु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है और मृत्यु का शाप पाकर पहले मर भी सकता है। तो आइए जानते हैं किस तरह के कर्मों से व्यक्ति की मौत जल्द होती है। 

महाभारत के उद्योगपर्व में धृतराष्ट्र महात्मा विदुर से सवाल पूछते हैं कि जब सभी वेदों में मनुष्य को सौ वर्ष की आयु वाला बताया गया है तब वह किस कारण से अपनी पूर्ण आयु को भोग नहीं पाता। 'शतायुरुक्ता पुरूषः सर्ववेदेषु वै यदा। नाप्नोत्यथ च तत् सर्वमायुः केनेह हेतुना।। धृतराष्ट्र के प्रश्नों का जवाब देते हुए विदुर जी वह छह कारण बताते हैं जिससे मनुष्य अपनी पूर्णायु को नहीं भोग पाता है।

विदुर जी कहते हैं मनुष्य की उम्र को काटने वाला पहला तलवार अभिमान है। अभिमानी मनुष्य अपने को सबसे बड़ा मानकर बड़ों का भी अनादर करने लगता है। अपने अभिमानी स्वभाव के कारण वह भगवान का प्रिय नहीं रह जाता और भगवान उसकी उम्र कम कर देते हैं। अधिक बोलने की आदत भी उम्र को कम करता है। इसकी वजह यह बतायी गई है कि ज्यादा बोलने वाले व्यक्ति का अपनी वाणी पर नियंत्रण नहीं रहता है और वह किसी को कुछ भी कह सकता है ऐसे में कई बार वह लोगों का दिल दुखाता है। अधिक बोलने वाले व्यक्ति झूठ भी बोलने लगते हैं। इस कारण से उनकी आयु कम हो जाती है।

त्याग की कमी। रावण और दुर्योधन इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। इन दोनों में त्याग की कमी थी इस कारण से ही इन्हें युद्ध करना पड़ा और मारे गए। क्रोध को उम्र कम करने वाला चौथा कारण माना गया है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि व्यक्ति को नर्क में पहुंचाने के लिए अकेला क्रोध ही काफी है क्योंकि क्रोध में मनुष्य उचित -अनुचित भूलकर कुछ ऐसा कर बैठता है जो उसका ही अहित कर देता है।

उम्र को काटने वाला पांचवा तलवार स्वार्थ है। विदुर जी कहते हैं कि स्वार्थ में मनुष्य बड़े से बड़ा पाप करने में लज्जा का अनुभव नहीं करता है। स्त्री, धन और जमीन इन स्वार्थों की पूर्ति के लिए लोग युद्ध के मैदान में पहुंच जाते है और जीवन का अंत कर लेते हैं। महाभारत इस बात का उदाहरण है। छठा कारण है मित्रों के साथ धोखा और 6बेईमानी। शास्त्रों में दोस्तों के साथ धोखा करने वाले को अधम यानी नीच मनुष्य कहा गया है। ऐसे मनुष्य पर यमराज बहुत क्रोधित होते हैं और इन्हें कठोर दंड देते हैं।

बस यही प्रोपेगैंडा है जो ये फैलाते हैं। और उससे भी बड़ी बात कि रियल स्टोरी में आधे से ज्यादा झूठ मिला होने के बाद भी सेंसर बोर्ड इनकी फिल्मों को पास कर देता है,

क्या आपको पता है अभी कुछ साल पहले 2019 में अक्षय कुमार अभिनीत एक फ़िल्म रिलीज हुई थी, नाम था *मिशन मंगल*! फ़िल्म ने चारों और वाहवाही बटोरी थी चूंकि फ़िल्म रियल टाइम स्टोरी पर आधारित थी तो सभी को पसंद आई थी। सारे दृश्य पर्दे पर हूबहू उतारे गए थे और फ़िल्म देखते हुए लगता था कि आप भी मंगल मिशन की टीम का हिस्सा बन गए हो। 
मुझे भी फ़िल्म बहुत पसंद आई, पर आपको याद होगा फ़िल्म में एक दृश्य दिखाया गया था जिसमें एक महिला साइंटिस्ट जिसका नाम *नेहा सिद्दीकी* है, वह एक _दीनी महिला_ है और उसे रहने के लिए घर ढूंढने में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। 

जहाँ भी वह किराये पर घर देखने जाती वही उसका धर्म पता चलते ही मना कर दिया जाता। बड़ा ही इमोशनल हो गया था मैं, की इतनी खूबसूरत और टेलेंटेड वैज्ञानिक को लोगों ने घर देने से मना कर दिया, मैं शॉक्ड था। अगर आपने मूवी देखी है तो आप भी शॉक्ड हो गए होंगे और गुस्सा भी आया होगा, आना भी चाहिए । बताइये एक वैज्ञानिक जो दिन रात देश के लिए खून पसीना एक कर रहे हैं उनके लिए हमारे देश में इतना भेदभाव होता है, कितनी ओछी मानसकिता है यह, है ना? 

बस यही सब दिमाग में चल रहा था...खैर घर आ कर इंटरनेट खोला और ISRO के बारे में खोज करना शुरू किया तो पता चला कि इसरो अपने सभी वैज्ञानिकों और इंजीनीयरों को अपार्टमेंट्स देता है, अब ये पता चला तो दिमाग घूमा कि अगर इसरो अपार्टमेंट दे रहा है तो किराये पर घर कोई क्यों लेगा? 

तब मैंने नेहा सिद्दीकी को गूगल पर ढूंढा तो कहीं दिखी ही नहीं, इसके बाद मंगल मिशन की पूरी टीम चेक करने लगा कि देखें तो सही कि अपने रियल हीरो वास्तव में दिखते कैसे हैं। 
मैंने पूरी टीम के एक-एक मेंबर के नाम खंगाल लिए *पर मुझे नेहा सिद्दीकी नाम की कोई वैज्ञानिक, या इंजीनियर तो छोड़िए कोई टेक्नीशियन भी नहीं मिली।*

*शॉक्ड लगा न?*🤔😳 मुझे भी यह देखने के बाद 440 वोल्ट का झटका लगा था कि पूरी टीम में एक भी *मुस्लिम महिला या पुरुष* नहीं था पर बावजूद इसके *फ़िल्म के मेकर्स ने* अभिव्यक्ति की आजादी या मौलिक स्वतंत्रता के नाम पर यह कहानी प्लॉट की, जिसमें दिखाया गया कि भारत में कैसे एक मुस्लिम महिला को कोई अपना घर किराये पर नहीं देता, चाहे वह महिला इसरो की कोई वैज्ञानिक ही क्यों न हो। 
और फ़िल्म के पोस्टर पर वही महिला को दिखा कर लिखा गया कि *"Science Has No Religion"*

जी हाँ *धीमा जहर* कैसे घोला जाता है ये बॉलीवुड वाले अच्छे से जानते हैं, *मैंने तो यह crosscheck कर लिया पर कितने लोग ऐसा करते होंगे?*

ऐसे ढेरों सीन थे पर इसके अलावा एक सीन और था अगर आपको याद हो....

याद किजिए विद्या बालन का बेटा कहता है मैं नमाज पढूंगा। । उसका बाप संजय कपूर लड़ता है उससे 
लेकिन बेटा कहता है कि नही मुझे नमाज पढ़नी ही है , और उसकी मम्मी सहयोग करती है।।। याद कीजिए, बस यही प्रोपेगैंडा है जो ये फैलाते हैं। और उससे भी बड़ी बात कि रियल स्टोरी में आधे से ज्यादा झूठ मिला होने के बाद भी सेंसर बोर्ड इनकी फिल्मों को पास कर देता है, इसे अतिश्योक्ति ही कहा जायेगा।

और आपको पता है इस फ़िल्म के निर्माता कौन थे? 
अपने श्री श्री अक्षय कुमार जी, जी हां वही कालनेमि अक्षय कुमार जो देश प्रेम की अलख जगाये घूमते दिखाई देते हैं और अंदरखाने धीमा जहर फैलाते रहते हैं और सामने भी नहीं आते।
*आख थू थू थू* 🫢


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साभार
देशहित सर्वोपरी.....

कैलाश पर्वत और चंद्रमा का रहस्य

कैलाश पर्वत और चंद्रमा का रहस्य 
कैलाश पर्वत एक अनसुलझा रहस्य, कैलाश पर्वत के इन रहस्यों से नासा भी हो चुका है चकित.;

कैलाश पर्वत, इस एतिहासिक पर्वत को आज तक हम सनातनी भारतीय लोग शिव का निवास स्थान मानते हैं। शास्त्रों में भी यही लिखा है कि कैलाश पर शिव का वास है।

किन्तु वहीं नासा जैसी वैज्ञानिक संस्था के लिए कैलाश एक रहस्यमयी जगह है। नासा के साथ-साथ कई रूसी वैज्ञानिकों ने कैलाश पर्वत पर अपनी रिपोर्ट दी है।

उन सभी का मानना है कि कैलाश वास्तव में कई अलौकिक शक्तियों का केंद्र है। विज्ञान यह दावा तो नहीं करता है कि यहाँ शिव देखे गये हैं किन्तु यह सभी मानते हैं कि, यहाँ पर कई पवित्र शक्तियां जरूर काम कर रही हैं। तो आइये आज हम आपको कैलाश पर्वत से जुड़े हुए कुछ रहस्य बताते हैं।

#कैलाश_पर्वत_के_रहस्य.

रहस्य 1– रूस के वैज्ञानिको का ऐसा मानना है कि, कैलाश पर्वत आकाश और धरती के साथ इस तरह से केंद्र में है जहाँ पर चारों दिशाएँ मिल रही हैं। वहीं रूसी विज्ञान का दावा है कि यह स्थान एक्सिस मुंडी है और इसी स्थान पर व्यक्ति अलौकिक शक्तियों से आसानी से संपर्क कर सकता है। धरती पर यह स्थान सबसे अधिक शक्तिशाली स्थान है।

रहस्य 2 - दावा किया जाता है कि आज तक कोई भी व्यक्ति कैलाश पर्वत के शिखर पर नहीं पहुच पाया है। वहीं 11 सदी में तिब्बत के योगी मिलारेपी के यहाँ जाने का दावा किया जाता रहा है। किन्तु इस योगी के पास इस बात के प्रमाण नहीं थे या फिर वह स्वयं प्रमाण प्रस्तुत नहीं करना चाहता था। इसलिए यह भी एक रहस्य है कि इन्होंने यहाँ कदम रखा या फिर वह कुछ बताना नहीं चाहते थे।

रहस्य 3 - कैलाश पर्वत पर दो झीलें हैं और यह दोनों ही रहस्य बनी हुई हैं। आज तक इनका भी रहस्य कोई खोज नहीं पाया है। एक झील साफ़ और पवित्र जल की है। इसका आकार सूर्य के समान बताया गया है। वहीं दूसरी झील अपवित्र और गंदे जल की है तो इसका आकार चन्द्रमा के समान है। 

रहस्य 4 - यहाँ के आध्यात्मिक और शास्त्रों के अनुसार रहस्य की बात करें तो कैलाश पर्वत पे कोई भी व्यक्ति शरीर के साथ उच्चतम शिखर पर नहीं पहुच सकता है। ऐसा बताया गया है कि, यहाँ पर देवताओं का आज भी निवास हैं। पवित्र संतों की आत्माओं को ही यहाँ निवास करने का अधिकार दिया गया है।

रहस्य 5 - कैलाश पर्वत का एक रहस्य यह भी बताया जाता है कि जब कैलाश पर बर्फ पिघलती है तो यहाँ से डमरू जैसी आवाज आती है। इसे कई लोगों ने सुना है। लेकिन इस रहस्य को आज तक कोई हल नहीं कर पाया है.

रहस्य 6 – कई बार कैलाश पर्वत पर *सात तरह के प्रकाश* आसमान मेंदेखे गये हैं। इस पर नासा का ऐसा मानना है कि यहाँ चुम्बकीय बल है और आसमान से मिलकर वह कई बार इस तरह की चीजों का निर्माण करता 

रहस्य 7 - कैलाश पर्वत दुनिया के 4 मुख्य धर्मों का केंद्र माना गया है। यहाँ कई साधू और संत अपने देवों से टेलीपैथी से संपर्क करते हैं। असल में यह आध्यात्मिक संपर्क होता है।

रहस्य 8 - कैलाश पर्वत का सबसे बड़ा रहस्य खुद विज्ञान ने साबित किया है कि यहाँ पर प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का समागम होता है कि यहाँ से *ॐ* की आवाजें सुनाई देती हैं।

समझ गये होंगे कि, कैलाश पर्वत क्यों आज भी इतना धार्मिक और वैज्ञानिक महत्त्व रखे हुए है। हर साल यहाँ दुनियाभर से कई लोग अनुभव लेने आते हैं, और सनातन धर्म के लिए कैलाश सबसे बड़ा आदिकालीन धार्मिक स्थल भी बना हुआ 

यहाँ पर सूर्य और चंद्रमा के संधि काल (सायं काल) प्रकाश और ध्वनि के बीच इस तरह का समागम होता है कि यहाँ से *ॐ* की आवाजें सुनाई देती हैं

हर हर महादेव 🙏🔱🚩

शुक्रवार, 14 जुलाई 2023

महादेव की तलवार चंद्रहास रावण को कैसे मिली ।

 

आखिर ऐसा क्या हुआ, जो देवों के देव महादेव को अपनी तलवार चंद्रहास रावण को देनी पड़ी।

रावण महाकाल की तालाश करते करते कैलाश जा पहुंचा। और अपने वाहुवल से कैलाश को उठाने लगा । तब महादेव ने अपने पैर के अंगूठे से उसे दबाया जिससे पहाड़ नीचे गिर गया। रावण समझ गया महादेव रूष्ट है । लंकेश ने महादेव को मनाने के लिए अपने 10 सिरों में से 1,1 करके हवन में प्रज्वलित करने शुरू कर दिये। जैसे ही वह 10 वां सिर काटने वाला था । तभी महादेव प्रकट हो गये । तब रावण महादेव से उनकी तलवार चंद्रहास मांग लेता है ‌। जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश को छोड़कर सव का बंध कर सकती है । जिसमे इंद्र के वज्र के समान शाक्ति है । माता सीता के हरण के समय जटायु के पंख इसी चंद्रहास तलवार से काटे थे ।

क्या विष्णुकांता के फूलों को शिवलिंग पर चढ़ाया जा सकता हैं?

 

विष्णुकांता को अपराजिता भी कहा जाता है और ये फूल भगवान श्री राम और भगवान श्री विष्णु जी के साथ साथ भगवान भोलेनाथ जी को भी बहुत प्रिय है. ये दो रंगों मे मिलते हैं नीले और सफेद.

इसकी कोई पौराणिक कथा का तो ज्ञान नहीं परंतु भगवान भोलेनाथ जी को अपराजिता के फूल चढ़ाने के विषय में आपको बता सकता हूँ.

हिन्दू धर्म में अपराजिता के पौधे को काफी पवित्र माना जाता है और भगवान शिव के प्रिय पौधों में से एक माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि जिस घर में ये पौधा सही जगह और दिशा में लगा हुआ होता है वहां कभी भी कोई समस्या नहीं आती है और शिव जी की विशेष कृपा बनी रहती है।

वहीं जब बात इस पौधे के फूलों की होती है तब इन्हें भी बहुत पवित्र माना जाता है और विशेष रूप से सोमवार के दिन इन फूलों से किए गए उपाय आपको कर्ज मुक्ति से लेकर विवाह में होने वाली देरी से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकते हैं.

यदि आपके पास अक्सर धन की कमी रहती है और पैसा व्यर्थ के कामों में व्यय होता है तो आप सोमवार के दिन अपराजिता का फूल भगवान शिव के चरणों या शिवलिंग के पास अर्पित करें और उसे उठाकर अपनी तिजोरी या पैसों के स्थान पर रखें। इस फूल को अच्छी तरह से सुखाकर एक सफेद कपड़े में लपेटकर अपने पर्स में रखें। इस उपाय से कभी भी धन की कमी नहीं होगी।

यदि आपके ऊपर बार-बार व्यर्थ का कर्ज चढ़ता है और उससे बाहर आना मुश्किल हो जाता है, तो आप सोमवार के दिन किसी बहती हुई नदी में अपराजिता के 5 फूलों को एक साथ प्रवाहित कर दें। इस उपाय से आपको जल्द ही कर्ज से मुक्ति मिलेगी और धन के योग बनेंगे।

यदि आप लंबे समय से नौकरी के लिए प्रयास कर रहे हैं और अच्छी नौकरी नहीं मिल पा रही है, तो सोमवार के दिन नीले कपड़े में अपराजिता का फूल बांधकर पूजा के स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर के पास रखें। इसे ऐसी जगह रखें जिस पर किसी बाहरी व्यक्ति की नजर न पड़े। इस उपाय से जल्द ही आपको अच्छी नौकरी मिलेगी और व्यापार में लाभ होगा।

यदि आपके विवाह में किसी वजह से अड़चनें आ रही हैं, तो आप सोमवार के दिन 7 अपराजिता के फूलों को एक चुटकी नमक के साथ उस लड़के या लड़की के सिर के ऊपर से 7 बार घड़ी की सुई की दिशा में घुमाएं और बहते पानी में प्रवाहित कर दें। इस उपाय से जल्द ही विवाह के योग बनेंगे।

यदि आपके घर में बिना वजह ही बीमारियां आ जाती हैं, तो सोमवार के दिन अपराजिता के तीन फूल शिवलिंग पर चढ़ाएं और इसे एक सफेद कपड़े में रखकर घर के किचन में ईशान कोण में रख दें। इस उपाय से आपको किसी लंबी बीमारी से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी।

तो सावन में भगवान शिव को जरूर चढ़ाएं विष्णुकांता के फूल.

हर हर महादेव शिव शंभु 🙏☘

धन्यवाद.

कामाख्या मंदिर के रोंगटे खड़े करने वाले रहस्य

 शुक्रवार : कामाख्या मंदिर के रोंगटे खड़े करने वाले रहस्य🔱


जादू- टोने की धरती, जननी… मायावी चेहरे… जहां समय चक्र के साथ पानी का रंग लाल हो जाता है… पहाड़ का रंग नीला। विनाशकारी वेग से डराने वाली लोहित नदी का प्रचंड स्वरूप भी ब्रह्मपुत्र में समाहित होकर शांत पड़ जाता है… नदियों के बीच इकलौते नद, ब्रह्मपुत्र का विस्तार यहां पहुंचकर अबूझ अनंत जैसा दिखता है।…

⚜️ जनश्रुतियां तो कहती हैं कि यहां की सिद्धियों में इंसान को जानवर में बदल देने की शक्ति है… कुछ के लिए ये भय है और बहुतों के लिए यहां की तांत्रिक सिद्धियों के प्रभावी होने की आश्वस्ति। इसलिए तो देवी की देदीप्यमान अनुभूति के साथ श्रद्धालुओं की सैकड़ों पीढ़ियां गुजर गई। आस्था के कई कालखंड अतीत का हिस्सा बन गए। मगर विराट आस्था की नगरी कामरूप कामाख्या, तांत्रिक विद्या की सर्वोच्च सत्ता के रूप में आज भी प्रतिष्ठित है।

⚜️ राजा दक्ष की बेटी सती ने पिता की मर्जी के खिलाफ़ शिव जी से शादी की थी। राजा दक्ष ने जब अपने यहां यज्ञ किया तो उसने शिव और सती को न्यौता नहीं दिया। इसके बावजूद सती अपने मायके गई जहां पिता दक्ष ने शिवजी के बारे में अपमानजनक शब्द कहे। उनका उपहास उड़ाया। जिससे आहत सती ने यज्ञ कुंड में कूदकर जान दे दी।

⚜️ अग्निकुंड में कूदने से पहले सती के नेत्र लाल हो गए… उनकी भौंहें तन गई…मुखमंडल प्रलय के सूर्य की तरह तेजोद्दीप्त हो उठा.. असीम पीड़ा से तिलमिलाते हुए सती ने कहा-

`⚜️ ओह!… मैं इन शब्दों को कैसे सुन पा रही हूं… मुझे धिक्कार है। मेरे पिता दक्ष ने मेरे महादेव का अपमान किया… देवताओं तुम्हें धिक्कार है… तुम भी कैलाशपति के लिए ऐसे अपमानजनक शब्दों को कैसे सुन रहे हो जो मंगल के प्रतीक हैं… जो क्षण मात्र में संपूर्ण सृष्टि को भस्म कर सकते हैं। वे मेरे स्वामी हैं। पृथ्वी सुनो… आकाश सुनो… देवताओं तुम भी सुनो!… मैं अब एक क्षण जीवित नहीं रहना चाहती… मैं अग्नि प्रवेश लेती हूं।’

⚜️ सती की अग्नि समाधि से शिव ने प्रचंड रूप धारण कर लिया… देवी सती के जले हुए शरीर को लेकर कैलाशपति उन्मत की भांति सभी दिशाओं को थर्राने लगे… प्राणी से लेकर देवता तक त्राहिमाम मांगने लगे… भयानक संकट देखकर भगवान विष्णु, अपने चक्र से सती के अंगों को काटकर गिराने लगे… जब सती के सारे अंग कटकर गिर गए तब भगवान शंकर संयत हुए।

⚜️ सती की अग्नि कुंड में समा जाने के बाद, भगवान शंकर समाधि में चले गए… इसी बीच तारकासुर के उत्पात से सृष्टि कांप उठी… उसका वध करने के लिए देवताओं ने भगवान शंकर की समाधि तोड़ने का यत्न किया..। देवताओं ने कामदेव को समाधि भंग करने के लिए भेजा लेकिन समाधि टूटने से क्रोधित महादेव ने कामदेव को भस्म कर दिया।

⚜️ जहां तक नज़रें जाती है, हर तरफ ब्रह्मपुत्र ही ब्रह्मपुत्र है… ब्रह्मपुत्र की धाराओं से घिरा ये स्थान अत्यंत मनोरम है… कामाख्या आने वालों का ये वैसे भी पसंदीदा जगह है…. लेकिन कौमारी तीर्थ पर आए श्रद्धालुओं के लिए भी ये जगह ख़ास है…. यहां बने शिव मंदिर का इतना महत्व है कि उमानंद के दर्शन के बिना कामाख्या के दर्शन का फल नहीं मिलता है।

⚜️ ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मपुत्र नदी के बीच बने इसी द्वीप पर समाधि में लीन भोले शंकर ने अपना तीसरा नेत्र खोला था… समाधि भंग होने से क्रोधित भगवान शंकर ने कामदेव को यहीं भस्म कर दिया था… इसलिए इस स्थान को भस्माचल भी कहा जाता है… कामदेव की पत्नी रति की प्रार्थना पर कैलाशपति ने कामदेव को पुनर्जीवन तो दे दिया लेकिन रूप और कांति नहीं आई।

⚜️ हे महादेव! हे कैलाशपति! आपने मेरे स्वामी कामदेव को जीवन तो दे दिया लेकिन उनकी कांति… कामदेव का उनका रूप नहीं रहा… हे महादेव कृपा करो…. तुम दयालु हो… मेरे स्वामी का तेज प्रदान करो।

⚜️ रति की प्रार्थना को महादेव ने स्वीकार कर लिया लेकिन उन्होंने देवी सती का मंदिर बनवाने की शर्त रखी… कामदेव ने मंदिर का निर्माण करवाया और कामदेव को रूप सौंदर्य मिला… इसलिए इस स्थान का नाम, कामरूप कामाख्या के रूप में प्रतिष्ठित हुआ।

⚜️ जिन इक्यावन स्थानों पर सती के अंग गिरे थे, वे स्थान ही आज शक्ति के पीठ माने जाते हैं… कामरूप कामाख्या में देवी का योनि भाग गिरा था जो देवी का जगत जननी स्वरूप है। नीलांचल पर्वत पर बने इस मंदिर को ऊपर से देखने पर ये शिवलिंग के आकार का दिखता है…. 51 शक्तिपीठों में इसे सर्वोच्च माना जाता है।… इसे कौमारी तीर्थ भी कहते हैं… इस शक्तिपीठ को असीम ऊर्जा और अथाह शक्ति का स्रोत माना गया है… इसलिए तंत्र साधना के लिए इसे ही सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है…

⚜️ मान्यता है कि जून के महीने में देवी रजस्वला होती हैं… इस दौरान यहां हर साल अम्बूवाची योग पर्व मनाया जाता है, जो कुंभ की तरह विशाल होता है… इस दौरान माता कामाख्या मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। साधक और तांत्रिक इस आयोजन के दौरान विभिन्न कर्मकांडों के जरिए दिव्य अलौकिक शक्तियों का अर्जन करते हैं।

⚜️ सूर्य, चंद्रमा, तारे। प्रकृति का ये प्रत्यक्ष दर्शन, क्या मानव के जीवन पर निर्णायक प्रभाव डालता है?… ग्रह –नक्षत्रों का मानव जीवन पर सीधा असर पड़ता है?… इसका अध्ययन ही ज्योतिष कहलाता है। भारत के प्राग ज्योतिषपुर यानी पूर्व के ज्योतिष केंद्र से बेहतर जगह भला कौन हो सकती है?

⚜️ चित्राचल पहाड़ी के नवग्रह मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। इसे ज्योतिषी विज्ञान का केंद्र माना जाता है। पूर्व मुखी मंदिर में पहुचने के लिए पूर्व से पश्चिम के लिए सीढ़ियां बनाई गई हैं… प्रवेश द्वार के दाहिनी तरफ राहु और बाईं तरफ केतु की प्रतिमा है… मंदिर की पहली दहलीज पर गणेश, शिव- पार्वती और श्रीकृष्ण की प्रतिमा है… तीन दीपक जलाकर सबसे पहले इन तीन प्रतिमाओं की पूजा होती है।

 ⚜️ दूसरी दहलीज के बाद एक अंधेरी गुफा दिखती है… यहां दिखने वाले गोलाकार मंदिर के धरातल पर नौ शिवलिंग बने हुए हैं… हर शिवलिंग की जललहरी का मुख विभिन्न दिशाओं की तरफ है… एक मुख्य शिवलिंग बीच में बना हुआ है… यहां पूजा या दर्शन के बाद बाहर जाते समय पीछे घूमकर देखना वर्जित है।

⚜️ कहते हैं कि ऐसा करने से पूजा का फल नहीं मिलता… यहां आने वाले भक्तों को प्रसाद के रूप में सभी ग्रहों से संबंधित अनाज को पानी में भिगोकर दिया जाता है।

⚜️ शुक्रेश्वर मंदिर :- सती की शक्ति और शिव की साधना की इस धरती की अपनी ही माया है… कहते हैं कि देवताओं से लेकर दैत्यों तक ने इस आदिशक्ति को स्वीकारा। दैत्यों के गुरू कहे जाने वाले शुक्राचार्य भी हस्तीगिरि पर शिव की आराधना करते थे। हाथी असम की पहचान हैं… काजीरंगा इसी पहचान को पुख्ता करता है… गुवाहाटी में हस्तीगिरि पर्वत का आकार भी हाथी की पीठ जैसा है… दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य मंदिर के शिवलिंग की दूर- दूर तक मान्यता है…

 ⚜️ भारत के विशाल शिवलिंगों में इसे गिना जाता है… शुक्रेश्वर घाट दाह संस्कार के लिए भी जाना जाता है… और यहां से सूर्यास्त के अद्भुत नज़ारे के लिए भी। जो शायद श्मशान के देवता शिव के साथ जीवन की संध्या का प्रतीक है।

🔱 जय श्री परशुराम

गुरुवार, 13 जुलाई 2023

कुदरत कुछ उधार नहीं रखती.. नदी ने पुल पर फेंक दिया सारा कचरा

भारी बारिश से निचले और पहाड़ी इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। कहीं चट्टान टूटकर गिर रही हैं तो कहीं सड़क धंस रही हैं। जी हां, सोशल मीडिया पर तबाही के तमाम वीडियो वायरल हो रहे हैं। इनमें एक वीडियो ऐसा है जिसे देखकर लोग बोल रहे हैं- कुदरत कुछ उधार नहीं रखती। यह वीडियो लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। इसमें एक पुल तमाम प्लास्टिक की बोतलों और अन्य मलबे से ढका नजर आ रहा है। यह मलबा बाढ़ के पानी के कारण ब्रिज पर इकट्ठा हो गया। जैसे ही IFS अधिकारी ने इस क्लिप को ट्विटर पर पोस्ट किया तो मामला वायरल हो गया, और यूजर्स इस मुद्दे पर अपनी राय रखने लगें।

यह वीडियो 11 जुलाई को 'भारतीय वन सेवा' (IFS) अधिकारी परवीन कासवान ने पोस्ट किया। उन्होंने कैप्शन में लिखा- प्रकृति -1, मनुष्य - 0। नदी ने सारा कचरा वापस हम पर फेंक दिया। फॉरवर्ड वीडियो। इस वायरल क्लिप में प्लास्टिक वेस्ट और मलबे से भरा एक पुल दिख रहा है। ऐसा लग रहा है कि बाढ़ के कारण नदी का सारा कचरा पुल पर इकट्ठा हो गया। अधिकारी के इस ट्वीट को खबर लिखे जाने तक 1 मिलियन व्यूज और 20 हजार से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं। साथ ही, तमाम यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी। एक यूजर ने लिखा- तेरा तुझ को अर्पण... वाले अंदाज में गंदगी वापिस लौटा दी। दूसरे ने लिखा - कुदरत कुछ उधार नहीं रखती है। वैसे इस पूरे मामले पर आपका क्या कहना है? कमेंट में बताइए।

 चप्पलें, प्लास्टिक की खाली बोतलें, पन्नी, खाने-पीने के सामान के खाली पैकेट, कपड़े, लकड़ी के टुकड़े और भी बहुत कुछ... नदी ने हमें हमारा सामान वापस कर दिया है। जी हां, आईएफएस अधिकारी प्रवीण कासवान ने एक वीडियो शेयर किया है जो हिमाचल प्रदेश बाढ़ का माना जा रहा है। वीडियो एक पुल का है जो कूड़े-कचरे से भरा दिखता है। 29 सेकेंड का वीडियो देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे नाराज उफनाई नदी ने पुल के ऊपर तक हिलोरें मारकर हम इंसानों का फैलाया कचरा हमें वापस कर दिया है। लाखों लोग इस वीडियो को देख चुके हैं। कुछ कचरा तो घर के अवशेष लगते हैं। इस वीडियो को जिसने रिकॉर्ड किया, वह कहता है, 'ओह भाई साहब, मौत अगर देखनी हो तो यहां देखो

मैदानी लोग सिर्फ मौज के लिए जाते हैं पहाड़
पुल के नीचे नदी के पानी का शोर डराने वाला होता है। आजकल पहाड़ी राज्यों में ट्रेंड्स बनता जा रहा है कि आसपास के मैदानी इलाकों के लोग टूरिज्म के नाम पर बेरोकटोक गंदगी फैलाते हैं। दरअसल पहाड़ हो या जंगल, वहां के स्थानीय निवासियों को उसकी अहमियत ज्यादा पता होती है। शहर से गए लोग सिर्फ आनंद के लिए वहां पहुंचते हैं। पर्यटन अपनी जगह है लेकिन इसके नाम पर संसाधनों के साथ खिलवाड़ की इजाजत नहीं दी जा सकती है। यह वीडियो यही संदेश दे रहा है|

नदी कूड़ा लेकर चलने को मजबूर
कई लोगों ने इस वीडियो को देखने के बाद लिखा, प्रकृति-1 और इंसान- 0 ही रिजल्ट आखिर में होता है। भीम ने लिखा, 'तेरा तुझको अर्पण... वाले अंदाज में गंदगी वापस लौटा दी।' अजय सिंह ने अफसोस जताते हुए कहा कि मुझे हैरानी हो रही है कि नदी अपने साथ कितना कूड़ा लेकर चलने को मजबूर होती है। एक यूजर ने लिखा कि ये कई किलो है। मंजूनाथ ने ट्विटर पर लिखा कि हर बार बाढ़ के बाद ऐसा नजारा देखने को मिलता है फिर भी कुछ नहीं बदलता है। हम कूड़े का ठीक तरह से निपटारा नहीं करते। लिज मैथ्यू ने कहा कि सबक सीखने के लिए हमें और कितनी आपदा की जरूरत है?

हिमाचल में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के चलते अलग-अलग राज्यों के सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं। वहां दुर्घटनाओं में 31 लोगों की मौत हुई है। 1300 सड़कों पर यातायात प्रभावित हुआ है और 40 बड़े पुलों को नुकसान पहुंचा है। कुल्लू के सैंज इलाके में ही 40 दुकानें और 30 मकान बह गए। सरकारी स्कूलों को 15 जुलाई तक बंद रखा गया है।

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