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शुक्रवार, 20 अक्तूबर 2023

रोकें लक्ष्मीजी को अपने घर में... इन 6 वजहों से लक्ष्मी छोड़ देती है साथ! रहें सावधान

रोकें लक्ष्मीजी को अपने घर में... 
इन 6 वजहों से लक्ष्मी छोड़ देती है साथ! रहें सावधान
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तमसो मा ज्योर्तिगमय' यानी ईश्वर अंधकार से प्रकाश की ओर ले चले। इस धर्म सूत्र में अज्ञानता से परे होकर ज्ञान की ओर बढ़ने के साथ-साथ दरिद्रता से दूरी व संपन्नता से नजदीकियों की कामना भी जुड़ी है। सांसारिक जीवन में समृद्धि व सफलता के लिए धन की चाहत अहम होती है, जिसे पूरा करने के लिए धर्म और कर्म दोनों ही तरीकों से वैभव की देवी माता लक्ष्मी को पूजने का महत्व बताया गया है।

धर्मग्रंथ महाभारत की विदुर नीति में भी धन संपन्नता या लक्ष्मी का साया सिर पर बनाए रखने की ऐसी ही चाहत पूरी करने के लिए व्यावहारिक जीवन में कर्म व स्वभाव से जुड़ी कुछ गलत आदतों से पूरी तरह से किनारा कर लेने की ओर साफ इशारा किया गया है। इन बुरी आदतों के कारण लक्ष्मी की प्रसन्नता मुश्किल बताई गई है।

जानिए, वैभवशाली, प्रतिष्ठित व सफल जीवन के लिए बेताब इंसान को किन बुरी आदतों को छोड़ देना चाहिए -

महाभारत में लिखा है कि -

षड् दोषा: पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।

निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता।।

इस श्लोक मे कर्म, स्वभाव व व्यवहार से जुड़ी इन छ: आदतों से यथासंभव मुक्त रहने की सीख है -

नींद - अधिक सोना समय को खोना माना जाता है, साथ ही यह दरिद्रता का कारण बनता है। इसलिए नींद भी संयमित, नियमित और वक्त के मुताबिक हो यानी वक्त और कर्म को अहमियत देने वाला धन पाने का पात्र बनता है।

तन्द्रा - तन्द्रा यानी ऊंघना निष्क्रियता की पहचान है। यह कर्म और कामयाबी में सबसे बड़ी बाधा है। कर्महीनता से लक्ष्मी तक पहुंच संभव नहीं।

डर - भय व्यक्ति के आत्मविश्वास को कम करता है, जिसके बिना सफलता संभव नहीं। निर्भय व पावन चरित्र लक्ष्मी की प्रसन्नता का एक कारण है।

क्रोध - क्रोध व्यक्ति के स्वभाव, गुणों और चरित्र पर बुरा असर डालता है। यह दोष सभी पापों का मूल है, जिससे लक्ष्मी दूर रहती है।

आलस्य - आलस्य मकसद को पूरा करने में सबसे बड़ी बाधा है। संकल्पों को पूरा करने के लिए जरूरी है आलस्य को दूर ही रखें। यह अलक्ष्मी का रूप है।

दीर्घसूत्रता - जल्दी हो जाने वाले काम में अधिक देर करना, टालमटोल या विलंब करना।
जिस घर में अनाज का सम्मान होता है, अतिथि सत्कार होता है और यथासंभव दान, गरीबों की मदद होती रहती है उस घर में लक्ष्मी निवास करती है।

जो स्त्रियाँ पति के प्रतिकूल बोलती हैं, दूसरों के घरों में घूमने-फिरने में रुचि रखती हैं और घर के बर्तन इधर-उधर फैला या बिखेर कर रखती हैं, लक्ष्मी उनके घर नहीं आती।

जो व्यक्ति सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सोता है, भोजन करता है, दिन में सोता है, दाँत साफ नहीं करता है, अधिक भोजन करता है, वह यदि साक्षात विष्णु भी हो तो लक्ष्मी उसे छोड़कर चली जाती है।

जो शरीर में तेल लगाकर मल-मूत्र त्यागता है या नमस्कार करता है, या पुष्प तोड़ता है, या जिसके पैर में मैल जमी होती है, उसके घर लक्ष्मी नहीं आती है।

अपने अंगों पर बाजा बजाने से भी धनी व्यक्ति का साथ लक्ष्मी धीरे-धीरे छोड़ देती है।

सौभाग्यशाली स्त्रियों को घुँघरू वाली पायल सदैव धारण करना चाहिए जिससे लक्ष्मी छम-छम बरसती है।

आँवले के वृक्ष के फल में गाय, के गोबर में, शंख में, कमल में, श्वेत वस्त्र में लक्ष्मी सदैव निवास करती है।

जिसके घर में भगवान शिव की पूजा होती है और देवता, साधु, ब्राह्मण, गुरु का सम्मान होता है। ऐसे घर में लक्ष्मी सदैव निवास करती है।

जो स्त्री नियमित रूप से गोग्रास निकालती है और गाय का पूजन करती है उस पर लक्ष्मी की दया बनी रहती है।

जिस घर में अनाज का सम्मान होता है, अतिथि सत्कार होता है और यथासंभव दान, गरीबों की मदद होती रहती है उस घर में लक्ष्मी निवास करती है।

जिस घर में कमल गट्टे की माला, एकांक्षी नारियल, पारद शिवलिंग, कुबेर यंत्र स्थापित रहता है उस घर में लक्ष्मी पीढ़ियों तक निवास करती है।

जिस घर में शुद्धता, पवित्रता रहती है और बिना सूँघे पुष्प देवताओं को चढ़ाए जाते हैं। उस घर में लक्ष्मी नित्य विचरण करती है।

जिस घर में स्त्रियों का सम्मान होता है स्त्री पति का सम्मान और पति के अनुकूल व्यवहार करती है एवं पतिव्रता और धीरे चलने वाली स्त्री के घर में लक्ष्मी का निवास रहता है।

रविवार, 15 अक्तूबर 2023

शारदीय नवरात्र आज से होंगे शुरू

शारदीय नवरात्र आज से होंगे शुरू
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पूरे भारत में नवरात्रि का त्योहार बेहद खास माना जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में माता के 9 रूपों की पूजा की जाती है। इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से होने जा रही है और समापन 24 अक्टूबर को होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है।

नवरात्रि साल में 4 बार पड़ती है- माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन। आश्विन की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के वातावरण से तमस का अंत होता है, नकारात्मक माहौल की समाप्ति होती है। शारदीय नवरात्रि से मन में उमंग और उल्लास की वृद्धि होती है। दुनिया में सारी शक्ति नारी या स्त्री स्वरूप के पास ही है इसलिए नवरात्रि में देवी की उपासना ही की जाती है और देवी शक्ति का एक स्वरूप कहलाती है, इसलिए इसे शक्ति नवरात्रि भी कहा जाता है।

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसे नवदुर्गा का स्वरूप कहा जाता है। हर स्वरूप से विशेष तरह का आशीर्वाद और वरदान प्राप्त होता है। साथ ही साथ आपके ग्रहों की दिक्कतों का समापन भी होता है। इस बार शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से आरंभ होने जा रही है और समापन 24 अक्टूबर को होगा और दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है।

शारदीय नवरात्र की तारीख और शुभ मुहूर्त 
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इस साल शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर, रविवार से शुरू होने जा रहे हैं। नवरात्रि की अष्टमी 22 अक्टूबर को और नवमी 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस नौ दिन के उत्सव का समापन 24 अक्टूबर यानी दशहरे के दिन होगा। शारदीय नवरात्रि सबसे बड़ी नवरात्रि में से मानी जाती है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है जिसका एक मुहूर्त होता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी और प्रतिपदा तिथि का समापन 15 अक्टूबर को रात 12 बजकर 32 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि इस बार 15 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।

नवरात्र पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 
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पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस साल 48 मिनट ही रहेगा।
घटस्थापना तिथि- रविवार 15 अक्टूबर 2023
घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 मिनट तक

शारदीय नवरात्र की तिथियां 
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15 अक्टूबर 2023 - मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि
16 अक्टूबर 2023 - मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि
17 अक्टूबर 2023 - मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि
18 अक्टूबर 2023 - मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि
19 अक्टूबर 2023 - मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि
20 अक्टूबर 2023 - मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि
21 अक्टूबर 2023 - मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि
22 अक्टूबर 2023 - मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी          
23 अक्टूबर 2023 - महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण
24 अक्टूबर 2023 - मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)
इस बार मां दुर्गा की क्या है सवारी?
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इस वर्ष मां हाथी पर सवार होकर आ रही हैं ऐसे में इस बात के प्रबल संकेत मिल रहे हैं कि, इससे सर्वत्र सुख संपन्नता बढ़ेगी। इसके साथ ही देश भर में शांति के लिए किए जा रहे प्रयासों में सफलता मिलेगी। यानी कि पूरे देश के लिए यह नवरात्रि शुभ साबित होने वाली है।

घटस्थापना या कलशस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री
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सप्त धान्य (7 तरह के अनाज), मिट्टी का एक बर्तन, मिट्टी, कलश, गंगाजल (उपलब्ध न हो तो सादा जल), पत्ते (आम या अशोक के), सुपारी, जटा वाला नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र, पुष्प।

शारदीय नवरात्र में घटस्थापना की विधि 
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नवरात्रि के पहले दिन व्रती द्वारा व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन लोग अपने सामर्थ्य अनुसार 2, 3 या पूरे 9 दिन का उपवास रखने का संकल्प लेते हैं। संकल्प लेने के बाद मिट्टी की वेदी में जौ बोया जाता है और इस वेदी को कलश पर स्थापित किया जाता है। हिन्दू धर्म में किसी भी मांगलिक काम से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया गया है और कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता है इसलिए इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है। कलश को गंगाजल से साफ की गई जगह पर रख दें। इसके बाद देवी-देवताओं का आवाहन करें। कलश में सात तरह के अनाज, कुछ सिक्के और मिट्टी भी रखकर कलश को पांच तरह के पत्तों से सजा लें। इस कलश पर कुल देवी की तस्वीर स्थापित करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें इस दौरान अखंड ज्योति अवश्य प्रज्वलित करें। अंत में देवी मां की आरती करें और प्रसाद को सभी लोगों में बाट दें।

शनिवार, 7 अक्तूबर 2023

आज से करीब 25-30 साल पहले प्राइवेट स्कूलों की इतनी क्रेज नहीं थी और प्राइवेट स्कूल भी काफी कम होते थे.

आज से करीब 25-30 साल पहले प्राइवेट स्कूलों की इतनी क्रेज नहीं थी और प्राइवेट स्कूल भी काफी कम होते थे.

उस समय DPS / DAV आदि थे या नहीं... वो मैं नहीं जानता.

लेकिन, प्राइवेट स्कूलों के नाम पर दून स्कूल और ईसाई मिशनरीज के सेंट जेवियर/जोसेफ टाइप के स्कूल ही सुनता था... जो कि बड़े शहरों में ही हुआ करते थे.

इसीलिए, हम अधिकांश लोग सरकारी स्कूल ही जाया करते थे.

तो, हमारे सरकारी स्कूल में सुबह सुबह माँ सरस्वती की प्रार्थना के बाद संविधान की प्रस्तावना भी बुलवाई थी.... "हम भारत के लोग, भारत को... एक प्रभुत्व सम्पन्न गणराज्य...

अब उस समय तो समझ तो कुछ आता नहीं था... बस, सामने से 2-3 भैया बोलते जाते थे और हम सब बच्चे उसे शब्दशः दुहराते जाते थे.

बाद में जब बड़ा हुआ तो विभिन्न पत्र पत्रिकाओं और अखबारों में लेख पढ़ता था कि.... हमारे देश में दो देश बसता है..
एक INDIA और एक भारत.
www.sanwariyaa.blogspot.com 
INDIA मतलब हो गया .... वैसे लोग जो अंग्रेजी में फांय-फांय बोलते हैं, कोट-पैंट-टाई आदि पहनते हैं, मॉल्स में जाते हैं, घर में ही बैठ कर पूरे परिवार के साथ सेब और काजू फ्राई के साथ दारू पीते हैं, महिलाएँ नंगी-पुंगी सी छोटे-छोटे कपड़ों में रहती है और सिस्टम पर जिनकी पकड़ होती है.

जबकि, भारत मतलब हुआ कि.... जो मेहनतकश हैं, जो गांवों में रहते हैं, रिश्तों की मर्यादा समझते हैं, हर पर्व-त्योहार को हर्षोउल्लास से मनाते हैं, अपने बाप भाई के सामने पान या गुटखा तक खाने से परहेज करते हैं... और, अपनी /परिवार की इज्जत को ही अपना सबकुछ मानते हैं.
भारत के लोगों को न तो ज्यादा अंग्रेजी समझ आती है और न ही सिस्टम में उनकी पकड़ होती है.

इसीलिए, ऐसे लोग पुल्स और कानून के नाम से ही घबड़ा जाते हैं एवं कभी थाने भी जाना इनके लिए अपमान होता है.

बाद में जब और समझ आया तो ये भी समझा कि.... जहाँ भारत के लोग कानून व्यवस्था का पालन करना अपनी जिम्मेदारी समझते हैं... और, "भारत माता की जय" के उद्घोष के साथ ही देश के लिये अपना सर्वस्व भी तुरंत न्योछवार करने को तैयार हो जाते हैं.

वहीं इंडिया वाले.... कभी कानून की बारीकियां समझाते हुए "भारत तेरे टुकड़े... से लेकर आतं कवादी और देश द्रोही तक की पैरवी करते नजर आ जाते हैं.

और, उन्हें ऐसा करते देख कर भारत वाले... बेबसी से उनका मुँह ताकते रह जाता है कि जहाँ वे और उसके परिवार वाले हाड़तोड़ मेहनत करके और अपनी कमाई से सरकार को टैक्स देकर देश के लिए कुछ योगदान करने की कोशिश करते हैं..

तो, वहीं इंडिया वाले के द्वारा करप्शन के द्वारा उनके सारे पैसे हड़प उन्हें जीरो लॉस की थ्योरी समझा दी जाती है कि.... तुमको थोड़े न समझ आती है इसीलिए तुम चुप बैठो.

यहाँ तक कि.... कानून की बारीकियाँ समझाते हुए इंडिया वालों की तरफ से ये तक समझा दिया जाता है कि..... भारत माता की जय बोलना अथवा वंदेमातरम बोलना... साम्प्रादायिक है.

इसीलिए, अगर तुमको भी इंडिया वाला बनना है तो तुम्हें इन सबका विरोध करना चाहिए.

और तो और.... भारत और इंडिया में बेसिक अंतर ये है कि.... जहाँ भारत के लोग दुर्गापूजा, दीपावली, होली, दही हांडी आदि पूरे हर्षोउल्लास से मनाते हैं...
तो वहीं.... इंडिया वालों को दुर्गापूजा में ट्रैफिक की समस्या, दीपावली में प्रदूषण की समस्या, होली में रंगों में रसायन नजर आने लगता है.

हालांकि, मैं भी एक बड़े शहर में ही और महंगे अपार्टमेंट में ही रहता हूँ लेकिन पता नहीं क्यों मुझे इन इंडिया वालों से एक अजीब सी चिढ़ होती है.
और, कभी कभी लगता है कि अगर सत्ता और पावर मेरे हाथ में होती तो सबसे पहले इन्हीं इंडिया वालों को गान पर चार लात मार कर देश से निकाल बाहर करता.

अब मैं नहीं जानता कि.... इंडिया वालों के लिए ऐसी फीलिंग सिर्फ मेरी ही है या भारत के हर लोग ऐसा ही फील करते हैं.

लेकिन, इंडिया में कुछ तो गड़बड़ है ही.

इसीलिए, कोई चाहे कितना भी कागज दिखा ले अथवा संविधान की प्रतियाँ पढ़वा दे कि भारत और इंडिया एक ही है.

लेकिन, वास्तविकता ये है कि.... भारत और इंडिया के लोगों की सोच में बहुत अंतर है..
और, दोनों एक नहीं हैं.

इसीलिए, अगर ये भारत और इंडिया का ये विवाद अगर बढ़ता है तो फिर निश्चित रूप से जो भारत के पक्ष में खड़ा रहेगा उसे ही फायदा होना है..

क्योंकि, देश की अधिसंख्य आबादी आज भी भारत ही जानती है और इंडिया को सिर्फ कागजी नाम मानती है..!

अतः... मुझे तो समझ नहीं आता है कि इन विपक्षी पार्टीयों के सलाहकार कौन बेवकूफ है जो विपक्षियों को इस तरह के मुद्दे को हवा देने की सलाह दे रहा है.

क्योंकि, सरकार की तरफ से अभी तक ऐसा कुछ तो कहा नहीं गया है कि वो ऐसा कुछ करने जा रही है.

फिर भी अगर कोई पार्टी अथवा पार्टियों का गठबंधन जबरदस्ती इस मुद्दे को उछालकर कर सरकार को घेरना चाह रहा है तो वो सीधे सीधे कुल्हाड़ी पर अपना पैर मार रहा है.क्योंकि, वास्तविकता यही है कि... इतनी चुसियापंथी के बाद भी आज भी देश की 90% आबादी भारतीय ही है... इंडियन नहीं.

रही बात राजनीति की.... तो, मैं इस संबंध में बार-बार मोई जी का फैन हो जाता हूँ... कि,

कभी वे अपने विपक्षियों को "एक देश एक चुनाव" के नाम पर हलकान किये रहते हैं तो कभी "भारत vs इंडिया" के नाम पर उनका खून सुखा देते हैं...

लगता है कि.... मोई जी यही सब शिगूफा छोड़ छोड़ कर विपक्षियों को अधमरा कर देंगे...!

बाकी का काम तो चुनाव में हो ही जाना है..!

भारत माता की जय...!
जय महाकाल...!!
धर्म की जय हो अधर्मी का नाश हो🚩
प्राणियों में सद्भावना हो विश्व का कल्याण हो वसुधैव कुटुंबकम
 हर हर महादेव जय महाकाल🚩

सोमवार, 2 अक्तूबर 2023

व्यर्थ के कुतर्को मे फँसकर अपने धर्म व संस्कार के प्रति कुण्ठा न पालें...!

एक पंडितजी को नदी में तर्पण करते देख एक फकीर अपनी बाल्टी से पानी गिराकर जाप करने लगा कि..
"मेरी प्यासी गाय को पानी मिले।"

पंडितजी के पूछने पर उस फकीर ने कहा कि... 
जब आपके चढाये जल और भोग आपके पुरखों को मिल जाते हैं तो मेरी गाय को भी मिल जाएगा.
इस पर पंडितजी बहुत लज्जित हुए।"

यह मनगढंत कहानी सुनाकर एक इंजीनियर मित्र जोर से ठठाकर हँसने लगे और मुझसे बोले कि - 
"सब पाखण्ड है जी..!"
शायद मैं कुछ ज्यादा ही सहिष्णु हूँ... 

इसीलिए, लोग मुझसे ऐसी बकवास करने से पहले ज्यादा सोचते नहीं है क्योंकि, पहले मैं सामने वाली की पूरी बात सुन लेता हूँ... उसके बाद ही उसे जबाब देता हूँ.

खैर...  मैने कुछ कहा नहीं ....

बस, सामने मेज पर से 'कैलकुलेटर' उठाकर एक नंबर डायल किया...  और, अपने कान से लगा लिया. 
बात न हो सकी... तो, उस इंजीनियर साहब से शिकायत की.
इस पर वे इंजीनियर साहब भड़क गए.

और, बोले- " ये क्या मज़ाक है...??? 'कैलकुलेटर' में मोबाइल का फंक्शन भला कैसे काम करेगा..???"

  .....    तब मैंने कहा.... तुमने सही कहा...
वही तो मैं भी कह रहा हूँ कि....  स्थूल शरीर छोड़ चुके लोगों के लिए बनी व्यवस्था जीवित प्राणियों पर कैसे काम करेगी ???

इस पर इंजीनियर साहब अपनी झेंप मिटाते हुए कहने लगे- 
"ये सब पाखण्ड है , अगर ये सच है... तो, इसे सिद्ध करके दिखाइए"

इस पर मैने कहा.... ये सब छोड़िए
और, ये बताइए कि न्युक्लीअर पर न्युट्रान के बम्बारमेण्ट करने से क्या ऊर्जा निकलती है ?

वो बोले - " बिल्कुल ! इट्स कॉल्ड एटॉमिक एनर्जी।"

फिर, मैने उन्हें एक चॉक और पेपरवेट देकर कहा, अब आपके हाथ में बहुत सारे न्युक्लीयर्स भी हैं और न्युट्रांस भी...!

अब आप इसमें से एनर्जी निकाल के दिखाइए...!!

साहब समझ गए और तनिक लजा भी गए एवं बोले-
"जी , एक काम याद आ गया; बाद में बात करते हैं "

कहने का मतलब है कि..... यदि, हम किसी विषय/तथ्य को प्रत्यक्षतः सिद्ध नहीं कर सकते तो इसका अर्थ है कि हमारे पास समुचित ज्ञान, संसाधन वा अनुकूल परिस्थितियाँ नहीं है ,

इसका मतलब ये कतई नहीं कि वह तथ्य ही गलत है.

क्योंकि, सिद्धांत रूप से तो हवा में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन दोनों मौजूद है..
फिर , हवा से ही पानी क्यों नहीं बना लेते ???

अब आप हवा से पानी नहीं बना रहे हैं तो... इसका मतलब ये थोड़े ना घोषित कर दोगे कि हवा में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन ही नहीं है.

उसी तरह... हमारे द्वारा श्रद्धा से किए गए सभी कर्म दान आदि भी आध्यात्मिक ऊर्जा के रूप में हमारे पितरों तक अवश्य पहुँचते हैं.

इसीलिए, व्यर्थ के कुतर्को मे फँसकर अपने धर्म व संस्कार के प्रति कुण्ठा न पालें...!

और हाँ...

जहाँ तक रह गई वैज्ञानिकता की बात तो....

क्या आपने किसी भी दिन पीपल और बरगद के पौधे लगाए हैं...या, किसी को लगाते हुए देखा है?
क्या फिर पीपल या बरगद के बीज मिलते हैं ?
इसका जवाब है नहीं....

ऐसा इसीलिए है क्योंकि... बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु वह नहीं लगेगी.

इसका कारण यह है कि प्रकृति ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है.

जब कौए इन दोनों वृक्षों के फल को खाते हैं तो उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसिंग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं.

उसके पश्चात कौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं.

और... किसी को भी बताने की आवश्यकता नहीं है कि पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन (O2) देता है और वहीं बरगद के औषधि गुण अपरम्पार है.

साथ ही आप में से बहुत लोगों को यह मालूम ही होगा कि मादा कौआ भादो महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है.

तो, इस नयी पीढ़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है...

शायद, इसलिए ऋषि मुनियों ने कौवों के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राघ्द के रूप मे पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर दी होगी.

जिससे कि कौवों की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जाये......

इसीलिए....  श्राघ्द का तर्पण करना न सिर्फ हमारी आस्था का विषय है बल्कि यह प्रकृति के रक्षण के लिए नितांत आवश्यक है.

साथ ही... जब आप पीपल के पेड़ को देखोगे तो अपने पूर्वज तो याद आएंगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं.

अतः.... सनातन धर्म और उसकी परंपराओं पे उंगली उठाने वालों से इतना ही कहना है कि.... 

उस समय भी हमारे ऋषि मुनियों को मालूम था कि धरती गोल है और हमारे सौरमंडल में 9 ग्रह हैं.

साथ ही... हमें ये भी पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है...
कौन सी चीज खाने लायक है और कौन सी नहीं...?

अपनी संस्कृति और आस्था बनाये रखें।

🙏🏻🚩🕉️🇮🇳💐👏🏻 साभार

रविवार, 1 अक्तूबर 2023

धीमा जहर कैसे घोला जाता है ये बॉलीवुड वाले अच्छे से जानते हैं, - मिशन मंगल, फ़िल्म

आपको पता है अभी कुछ साल पहले 2019 में अक्षय कुमार अभिनीत एक फ़िल्म रिलीज हुई थी, नाम था मिशन मंगल, फ़िल्म ने चारों और वाहवाही बटोरी थी चूंकि फ़िल्म रियल टाइम स्टोरी पर आधारित थी तो सभी को पसंद आई थी। सारे दृश्य पर्दे पर हूबहू उतारे गए थे और फ़िल्म देखते हुए लगता था कि आप भी मंगल मिशन की टीम का हिस्सा बन गए हो।

मुझे भी फ़िल्म बहुत पसंद आई, पर आपको याद होगा फ़िल्म में एक दृश्य दिखाया गया था जिसमें एक महिला साइंटिस्ट जिसका नाम नेहा सिद्दीकी है एक दीनी महिला है और उसे रहने के लिए घर ढूंढने में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ी थी।

जहाँ भी वह किराये पर घर देखने जाती वही उसका धर्म पता चलते ही मना कर दिया जाता। बड़ा ही इमोशनल हो गया था मैं, की इतनी खूबसूरत और टेलेंटेड वैज्ञानिक को लोगों ने घर देने से मना कर दिया, मैं शॉक्ड था। अगर आपने मूवी देखी है तो आप भी शॉक्ड हो गए होंगे और गुस्सा भी आया होगा, आना भी चाहिए । बताइये एक वैज्ञानिक जो दिन रात देश के लिए खून पसीना एक कर रहे हैं उनके लिए हमारे देश में इतना भेदभाव होता है, कितनी ओछी मानसकिता है यह, है ना?

बस यही सब दिमाग में चल रहा था...खैर घर आ कर इंटरनेट खोला और ISRO के बारे में खोज करना शुरू किया तो पता चला कि इसरो अपने सभी वैज्ञानिकों और इंजीनीयरों को अपार्टमेंट्स देता है, अब ये पता चला तो दिमाग घूमा कि अगर इसरो अपार्टमेंट दे रहा है तो किराये पर घर कोई क्यों लेगा?

तब मैंने नेहा सिद्दीकी को गूगल पर ढूंढा तो कहीं दिखी ही नहीं, इसके बाद मंगल मिशन की पूरी टीम चेक करने लगा कि देखें तो सही कि अपने रियल हीरो वास्तव में दिखते कैसे हैं।

मैंने पूरी टीम के एक एक मेंबर के नाम खंगाल लिए पर मुझे नेहा सिद्दीकी नाम की कोई वैज्ञानिक, या इंजीनियर तो छोड़िए कोई टेक्नीशियन भी नहीं मिली।

शॉक्ड लगा न? मुझे भी यह देखने के बाद 440 वोल्ट का झटका लगा था कि पूरी टीम में एक भी मुस्लिम महिला या पुरुष नहीं था पर बावजूद इसके फ़िल्म के मेकर्स ने अभिव्यक्ति की आजादी या मौलिक स्वतंत्रता के नाम पर यह कहानी प्लॉट की, जिसमें दिखाया गया कि भारत में कैसे एक मुस्लिम महिला को कोई अपना घर किराये पर नहीं देता, चाहे वह महिला इसरो की कोई वैज्ञानिक ही क्यों न हो।

और फ़िल्म के पोस्टर पर वही महिला को दिखा कर लिखा गया कि "Science Has No Religion"

जी हाँ धीमा जहर कैसे घोला जाता है ये बॉलीवुड वाले अच्छे से जानते हैं, मैंने तो यह crosscheck कर लिया पर कितने लोग ऐसा करते होंगे?


सुपर डुपर हिट होने वाले, हकले की इस मूवी के टिकट अब ऑफिसियली फ्री में बांटने की नौबत आ गयी है।

 

अखिल ब्रम्हांड में सुपर डुपर हिट होने वाले, हकले की इस मूवी के टिकट अब ऑफिसियली फ्री में बांटने की नौबत आ गयी है।

आओ हकले के नाजायज पूतों…गालियां बकना शुरू करो…

डिस्क्लेमर; जो भी इस पोस्ट पे गालियां देगा, वो हकले के हु लाला के द्वारा उत्पन्न माना जायेगा

अपना काम जब इस मूर्तिकार की तरह हम करने लगेंगे तब हमें अपने काम का पूरा समाधान मिलेगा।

 

एक मूर्तिकार एक मूर्ति बना रहा था।

इस पत्थरनवीस को सारा शहर लहरी कहता। दिल मे आए तो एक मूर्ति बनाने मे महीनों लगा दे। और दिल करे तो किसी रईस को दो टूक जवाब दे कर चलता कर दे। पर उसकी कलाकारी की तूती बोलती थी पूरे पंचकोसी में।

भगवान की मूर्तियां बनाने मे उसका हाथ कोई नहीं पकड़ सकता था। कृष्ण भगवन तो ऐसे गढ़ता की देख के लगे अभी बोल फूटेंगे बासुरी से। भाव विभोर कृष्णा और उनके गीत सुनती गैया की मूर्ति तो राजा के मन में बस गई थी।

तो एक निहायत ही रईसजादा अपनी अमीरी का रौब झाडने के लिए एक सुन्दर अप्सरा की मूर्ति अपने घर कर बरामदे मे रखना चाहता था। ऐसी सुन्दर हो कि उसकी झुकी पलके उठे और बेसुध अपने ओर रुख कर दे। हल्की हल्की मुस्कान बिखरते उसके होंठ थरथराते हुए अपना नाम ही पुकार ले।

अब इस बला की पेचीदगी भरी मांग को कोई पूरा कर सकता तो वो ये ही मूर्तिकार। तो इस खरीददार ने इसके काम करने की जगह की ओर रुख कर लिया।

खरीददार वहां आया तो उसने देखा जो मूर्ति मूर्तिकार बना रहा था वैसी ही मूर्ति उसको चाहिए थी। एक दीवान पर औंधे मुह सो रही एक अप्सरा। बोझल सी आंखे। ना जाने क्या सपना देख रही है। कपड़ों की बारीकी और एक झिरझिरा सा वस्त्र जिससे उसका आधा मुँह ढका। कपड़ों की सिलवटें ऐसी जीवंत के लगे शरीर का नज़ारा अभी आखों के सामने आ जाये। चूडी की खनखनाहट शायद सुनाई दे जाए और उस बेसुध पडी अप्सरा के मुँह से कहीं अपना ही नाम ना निकल जाए।

उस खरीददार का दिल उस मूर्ति पर आ गया। चाहे जो कीमत हो। "कितने के है ये मूर्ति?" गुरूर भरी आवाज मे उस खरीददार ने मूर्तिकार से पूछा।

उस मूर्तिकार ने उसके ओर हिकारत भरी नजरो से देखा। शायद ऐसा अहमकाना अंदाज उसे पसंद नहीं आया। उसने कुछ भी नहीं कहा और अपने काम मे लग गया। इस फटीचर मूर्तिकार के सामने कुछ पैसे फेंक दु तो इसकी सारी अकड़ निकल जाएगी। परसों बड़े सर सेठ आने वाले है हवेली पर। उनके सामने ये मूर्ति आ जाए तो अपनी शान कई गुना बढ़ जाए।

उस खरीददार ने फिर से पूछा। मूर्तिकार ने कुछ समय जाने के बाद बेमन से कहा, ये बिकाऊ नहीं। इस मूर्ति को सीढियों पर लगवाना है।

पर ये तो मेरे आलिशान हवेली की शोभा बढ़ाएगी, खरीददार ने मन ही मन सोचा। उससे कुछ कहता उससे पहले उस मूर्तिकार ने उसे अंदर जाने को कहा, आपको जल्दी है तो कुछ अंदर से पसंद कर लीजिए।

मन मसोस कर वो खरीददार अंदर गया। चारो तरफ कुछ अपनी पसंद का मिल जाए जो इस मूर्ति से भी सुन्दर हो। अचानक उसकी नजर एक कोने मे गई।

जो मूर्ति उसने बाहर देखी वैसी ही एक मूर्ति अन्दर रखी हुई थी। वैसे ही नाक नक्श, वो ही मादक नजरे और वैसा ही अंदाज।

खरीददार बाहर आया। उसने दोनों मूर्तियों की तुलना फिर से की। रत्ती भर भी फर्क़ नहीं था। उसने अंदाजा लगाया, फिर उससे पूछा, "तुम एक जैसी ही मूर्ति क्यों बना रहे हो?"

मूर्तिकार ने कहा, "उस मूर्ति मे एक दोष रह गया है इसलिए वैसी ही और एक मूर्ति बना रहा हू।"

खरीददार ने उस पहली मूर्ति को ध्यान से देख कर कहा, "मुझे तो कुछ नहीं दिख रहा।"

मूर्तिकार ने कहा, "उस मूर्ति के कान के पीछे एक कपची उड़ गई है।"

वो खरीददार अंदर गया। उसने उस मूर्ति को ध्यान से देखा, कान के पीछे हाथ लगा कर परीक्षण करने के बाद जरा सा उबड खाबड हिस्सा था तो सही। मूर्ति को सामने से देखने पर वो नजर नहीं आ रहा था।

खरीददार हंसा और उसने कहा, "किसी को भी पता नहीं लगेगा।"

मूर्तिकार ने उसकी ओर देखा और कहा, "मुझे तो पता है ना।"

______________________________________________

अपना काम जब इस मूर्तिकार की तरह हम करने लगेंगे तब हमें अपने काम का पूरा समाधान मिलेगा।

अपने काम को पूरा 100% दे। किसी दूसरे को नहीं, अपने आप को लगना चाहिए हां, अब पूरा हुआ है ये काम। तभी आएगा वो असली हास्य।

जीवन ऐसे जिए बंधू।

यदि किसी दिन आपको उनकी सुबह की शुभकामनाएँ या साझा लेख नहीं मिलते हैं, तो हो सकता है कि वे अस्वस्थ हों या उन्हें कुछ हो गया हो।


🌹🌹 *एक अखबार वितरक का दिल छू लेने वाला किस्सा।* 
🌹🌹
  *जिन घरों में मैंने अखबार वितरित करता था, एक दिन उनमें से एक का मेलबॉक्स (घर के बाहर लगा वह बक्सा जिसमें चिठ्ठी- पत्री और अखबार डाला जाता है) का द्वार अवरुद्ध मिला, अतः मैंने उस घर का दरवाजा खटखटाया।* 
      *"कौन है?" अंदर से एक काँपती और थकी आवाज आई।* 
      *"मैं अखबार वाला" मैंने जोर से कहा।* 
        *अस्थिर और कांपते कदमों वाले एक बुजुर्ग व्यक्ति ने धीरे से दरवाजा खोला। मेरे सामने एक दुर्बल काया धारी, द्विज विहीन, सूनी आँखों वाले, नग्न वक्ष वृद्ध खड़े थे।*


      *मैंने पूछा, "सर, मेलबॉक्स का प्रवेश द्वार क्यों बंद कर रखा है?"* 
      *उन्होंने जवाब दिया, "मैंने जानबूझकर इसे ब्लॉक किया है।"* 
      *वो मुस्कुराये और बोले, "मैं चाहता हूं कि आप हर दिन ही मुझे अखबार दें। परन्तु कृपया दरवाजा खटखटाकर या घंटी बजाकर और मुझे व्यक्तिगत रूप से वह हाथों में दें।"* 
       *मैं हैरान हो गया और जवाब दिया, "अवश्य, लेकिन क्या यह हम दोनों के लिए असुविधा और समय की बर्बादी नहीं लगती? इससे मेरा समय नष्ट होगा।"* 
     *उन्होंने कहा, "यह ठीक है, इसके लिए मैं तुम्हें हर महीने ₹500 अतिरिक्त दूंगा।"* 
       *फ़िर भारी किन्तु विनती भरी अभिव्यक्ति के साथ हाथ जोड़कर उन्होंने कहा, "अगर कभी ऐसा दिन आए जब आप दरवाज़ा खटखटायें और मैं द्वार नहीं खोल सकूँ, तो कृपया पुलिस को तत्काल अवश्य बुलाएँ!"* 
        *मैं चौंक गया और पूछा, "क्यों?"* 
       *उन्होंने उत्तर दिया, "मेरी पत्नी का निधन हो गया, मेरा बेटा विदेश में है, और मैं यहाँ अकेला रहता हूँ, कौन जानता है कि मेरा अंतिम समय कब आ जाए?"* 
       *उस पल, मैंने उस वृद्ध आदमी की धुंधली आँखों में कुछ नमी देखीं। जो शायद जीवन के कठीन संघर्ष के बाद की बेबसी दर्शा रही थी।* 
     *उन्होंने आगे कहा, "मैंने कभी भी अखबार नहीं पढ़ा, मैं तो सिर्फ खटखटाने या दरवाजे की घंटी बजने की आवाज सुनने के लिए ही इसकी सदस्यता लेता हूं। एक परिचित चेहरा देखने और कुछ शब्दों और खुशियों का आदान-प्रदान करने के लिए!"* 
     *फिर उन्होंने काँपते हुए हाथ जोड़कर कहा, "बेटा, कृपया मुझ पर एक एहसान और करो! यह मेरे बेटे का विदेशी फोन नंबर है। यदि किसी दिन तुम दरवाजा खटखटाओ और मैं जवाब न दूँ, तो कृपया मेरे बेटे को फोन करके सूचित कर देना"। इतना कहने के बाद उनके काँपते दोनों हाथ एक साथ उठे और मेरी ओर जुड़ गए, फिर वे धीरे धीरे पलटे और शून्य की ओर देखते हुए भारी कदमों से अपने वर्षों पुराने बिस्तर की ओर चल पड़े।* 
      *मैं उन वृद्ध की उस नंगी पीठ को अपने से दूर जाते हुए एकटक देख रहा था, जो अपने बेटे को पढ़ा लिखा कर, एक क़ाबिल व्यक्ति बना कर उसके जीवन में खुशियाँ भरने के लिए किये गए संघर्ष के बोझ से झुक गयी थी।* 
      *हो सकता है, इसे पढ़ने के बाद आपकी आँखों में आँसू आ गये हों। परन्तु शहरी जीवन की यही सच्चाई है।* 
       *इसे पढ़ने के बाद, मुझे विश्वास है कि हमारे आस पास, दोस्तों के समूह में बहुत सारे अकेले बुजुर्ग हों। समय समय पर उनकी कुशल क्षेम लेते रहें।* 
       *कभी-कभी, आपको आश्चर्य हो सकता है कि वे बुढ़ापे में भी व्हाट्सएप पर संदेश क्यों भेजते हैं ? जैसे वे अभी भी काम कर रहे हैं।* 
      *वास्तव में, सुबह-शाम के इन अभिवादनों का महत्व दरवाजे पर दस्तक देने या घंटी बजाने के अर्थ के समान ही है; यह एक- दूसरे की सुरक्षा की कामना करने और देखभाल व्यक्त करने का एक तरीका है।*


     *आजकल, व्हाट्सएप बहुत सुविधाजनक है, और हमें अब समाचार पत्रों की सदस्यता लेने की आवश्यकता नहीं है।* 
     *यदि आपके पास समय है तो अपने परिवार, पड़ोस तथा परिचित बुजुर्ग सदस्यों को व्हाट्सएप चलाना अवश्य सिखाएं!* 
        *यदि किसी दिन आपको उनकी सुबह की शुभकामनाएँ या साझा लेख नहीं मिलते हैं, तो हो सकता है कि वे अस्वस्थ हों या उन्हें कुछ हो गया हो।* 
      *मैं एक-दूसरे के लिए हमारे व्हाट्सएप संदेशों के महत्व को गहराई से समझता हूं::* 
    *सबका मंगल हो, आप अपना, अपने परिवार, मित्रों, परिचितों ओर पडोसियों का ध्यान रखें।* 
जय श्री राम
श्री शिवाय नमस्तुभ्यम





शनिवार, 30 सितंबर 2023

दशहरा बीत चुका था, दीपावली समीप थी, तभी एक दिन कुछ युवक-युवतियों की NGO टाइप टोली एक कॉलेज में आई!*

*दशहरा बीत चुका था, दीपावली समीप थी, तभी एक दिन कुछ युवक-युवतियों की NGO टाइप टोली एक कॉलेज में आई!*

*उन्होंने छात्रों से कुछ प्रश्न पूछे; किन्तु एक प्रश्न पर कॉलेज में सन्नाटा छा गया!*

*उन्होंने पूछा, "जब दीपावली भगवान राम के १४ वर्षो के वनवास से अयोध्या लौटने के उतसाह में मनाई जाती है, तो दीपावली पर "लक्ष्मी पूजन" क्यों होता है ? श्री राम की पूजा क्यों नही?"*

*प्रश्न पर सन्नाटा छा गया, क्यों कि उस समय कोई सोशियल मीडिया तो था नहीं, स्मार्ट फोन भी नहीं थे! किसी को कुछ नहीं पता! तब, सन्नाटा चीरते हुए, एक हाथ, प्रश्न का उत्तर देने हेतु ऊपर उठा!*

*उसने बताया कि "दीपावली उत्सव दो युग "सतयुग" और "त्रेता युग" से जुड़ा हुआ है!"*

*"सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थी! इसलिए "लक्ष्मी पूजन" होता है!*

*भगवान श्री राम भी त्रेता युग मे इसी दिन अयोध्या लौटे थे! तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था! इसलिए इसका नाम दीपावली है!*

*इसलिए इस पर्व के दो नाम हैं, "लक्ष्मी पूजन" जो सतयुग से जुड़ा है, और दूजा "दीपावली" जो त्रेता युग, प्रभु श्री राम और दीपो से जुड़ा है!*

*हमारे उत्तर के बाद थोड़ी देर तक सन्नाटा छाया रहा, क्यों कि किसी को भी उत्तर नहीं पता था! यहां तक कि प्रश्न पूछ रही टोली को भी नहीं!* 

*खैर कुछ देर बीद। सभी ने खूब तालियां बजाई!*

*उसके बाद, एक  समाचारपत्र ने उस उत्तर देने वाले विद्यार्थी का साक्षात्कार (इंटरव्यू) भी किया!* 

*उस समय समाचारपत्र का साक्षात्कार होना बहुत बड़ी बात हुआ करती थी!*

*बाद में पता चला, कि वो टोली आज की शब्दावली अनुसार "लिबरर्ल्स" (वामपंथियों) की थी, जो हर कॉलेज में जाकर युवाओं के मस्तिष्क में यह बात डाल रही थी, कि "लक्ष्मी पूजन" का औचित्य क्या है, जब दीपावली श्री राम से जुड़ी है?" कुल मिलाकर वह छात्रों का ब्रेनवॉश कर रही थी!* 

*लेकिन उस उत्तर के बाद, वह टोली गायब हो गई!*

*एक और प्रश्न भी था, कि लक्ष्मी और। श्री गणेश का आपस में क्या रिश्ता है?*

*और दीपावली पर इन दोनों की पूजा क्यों होती है?* 

*सही उत्तर है :*

*लक्ष्मी जी जब सागर मन्थन में मिलीं, और भगवान विष्णु से विवाह किया, तो उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया! तो उन्होंने धन को बाँटने के लिए मैनेजर कुबेर को बनाया!*

*कुबेर कुछ कंजूस वृति के थे! वे धन बाँटते नहीं थे, सवयं धन के भंडारी बन कर बैठ गए!*

*माता लक्ष्मी परेशान हो गई! उनकी सन्तान को कृपा नहीं मिल रही थी!*

*उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई! भगवान विष्णु ने उन्हें कहा, कि "तुम मैनेजर बदल लो!"*

*माँ लक्ष्मी बोली, "यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं! उन्हें बुरा लगेगा!"*

*तब भगवान विष्णु ने उन्हें श्री गणेश जी की दीर्घ और विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी!* 

*माँ लक्ष्मी ने श्री गणेश जी को "धन का डिस्ट्रीब्यूटर" बनने को कहा!*

*श्री गणेश जी ठहरे महा बुद्धिमान! वे बोले, "माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊंगा, उस पर आप कृपा कर देना! कोई किंतु, परन्तु नहीं! माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी!*

*अब श्री गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न/रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे!*

*कुबेर भंडारी ही बनकर रह गए! श्री गणेश जी पैसा सैंक्शन करवाने वाले बन गए!*
 
*गणेश जी की दरियादिली देख, माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्री गणेश को आशीर्वाद दिया, कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों, वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें!*

*दीपावली आती है कार्तिक अमावस्या को! भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं! वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद, देव उठावनी एकादशी को!*

*माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिनों में, तो वे सँग ले आती हैं श्री गणेश जी को! इसलिए दीपावली को लक्ष्मी-गणेश की पूजा होती है!*
🙏🌹🙏
*(यह कैसी विडंबना है, कि देश और हिंदुओ के सबसे बड़े त्यौहार का पाठ्यक्रम में कोई विस्तृत वर्णन नहीं है? औऱ जो वर्णन है, वह अधूरा है!)*

*इस लेख को पढ़ कर स्वयं भी लाभान्वित हों, अपनी अगली पीढी को बतायें और दूसरों के साथ साझा करना ना भूलें !*
जय श्री राम 

*सादर साभार*

बुधवार, 27 सितंबर 2023

Real Estate Fraud - कैसे बनते हैं आप ठगी के शिकार?

 कैसे बनते हैं आप ठगी के शिकार? जानिए इससे कैसे बचें:
Real Estate Fraud

कैसे बनते हैं आप ठगी के शिकार? जानिए इससे कैसे बचें: Real Estate Fraud
Real Estate Fraud

Real Estate Fraud: आजकल धोखाधड़ी बढ़ गयी है । अक्सर वही लोग इनके जाल में फंसते हैं जो लालची होते हैं और कम समय में अधिक मुनाफे की आस लगाए बैठते हैं। वहीं दूसरे वो लोग होते हैं जिन्हें या तो संबंधित विषय की जानकारी नहीं होती है या फिर अधूरी जानकारी होती है। आज कल धोखाधड़ी करने वाले कई तरीके से कई क्षेत्रों में अपने जाल बिछाए बैठे हैं। उन्हीं में से एक है रियल एस्टेट फ्रॉड (Real Rstate Fraud)। जहां एक आम व्यक्ति अपना आशियाना खरीदने के चक्कर में फ्रॉड का शिकार हो जाता है। क्योंकि कुछ गलत नीयत के लोग सस्ता और अच्छा घर देने के लालच में ऐसे लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं।

Real Estate Fraud: कैसे होता है रियल एस्टेट फ्रॉड?

ग्राहक के तौर पर एक व्यक्ति मकान खरीदने के लिए किसी प्रॉपर्टी डीलर, बिल्डर या फिर रियल एस्टेट एजेंट के पास जाता है। इस दौरान उससे कई तरह के वादे किए जाते हैं। और कई बार धोकेबाज लोग खुद को प्रॉपर्टी डीलर बताकर लोगों को ठगते हैं। ये लोग अच्छी और सस्ती प्रॉपर्टी दिलाने के बहाने लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं। कई बार नकली पेपर्स के जरिये भी लोगों के साथ ठगी को अंजाम दिया जाता है।

धोखेबाजी से बचने के लिए क्या करें?

Real Estate Fraud
Real Estate Fraud Solution
  • किसी भी अनजान प्रॉपर्टी डीलर या ब्रोकर से दुकान या मकान खरीदने से पहले उसकी पूरी तरह से जांच करें। अगर वो पूरा पैसा एक बार में ही नकद मांग रहा हो तो उससे प्रॉपर्टी न खरीदें।
  • प्रॉपर्टी से जुड़े दस्तावेजों को ध्यान से पढ़े और जांच करें कि उसमें लिखी सभी फैसिलिटी आपके द्वारा खरीदी जाने वाली प्रॉपर्टी में है या नहीं।
  • अगर आप किसी ब्रोकर या डीलर के द्वारा प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं तो डील के वक्त उसके मालिक का वहां मौजूद होना जरुरी है। प्रॉपर्टी के पेपर्स सादे कागज पर हो और प्रॉपर्टी पर विवाद चल रहा हो तो ऐसी प्रॉपर्टी को बिल्कुल भी न खरीदें।
  • प्रॉपर्टी खरीदते समय उसके पेपर्स पूरी तरह से ओरिजनल हों। अगर प्रॉपर्टी की रकम देने का बावजूद आपको उसपर मालिकाना हक न दिया गया हो।

रियल एस्टेट फ्रॉड के शिकार होने पर क्या करें?

अगर आप रियल एस्टेट फ्रॉड के शिकार हो गए हैं तो भारतीय कानून रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवेलपमेंट) एक्ट 2016 (रेरा / RERA) के तहत अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। ये कानून रियल एस्टेट क्षेत्र को विनियमित (रेग्युलेट) करना और घर खरीदारों की समस्याओं का समाधान करता है। RERA कानून के सेक्शन 31 के हिसाब से रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA Office) में जाकर रियल एस्टेट एजेंटो, ब्रोकर्स और प्रमोटरों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

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