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गुरुवार, 7 दिसंबर 2023

पुण्य का फल देखना चाहता हूं…

रात्रि की कहानी 

पुण्य का फल देखना चाहता हूं…

एक सेठ बस से उतरे, उनके पास कुछ सामान था। आस-पास नजर दौडाई, तो उन्हें एक मजदूर दिखाई दिया। सेठ ने आवाज देकर उसे बुलाकर कहा- “अमुक स्थान तक इस सामान को ले जाने के कितने पैसे लोगे?’…….’आपकी मर्जी, जो देना हो, दे देना, लेकिन मेरी शर्त है कि जब मैं सामान लेकर चलूँ, तो रास्ते में या तो मेरी सुनना या आप सुनाना । सेठ ने डाँट कर उसे भगा दिया और किसी अन्य मजदूर को देखने लगे, लेकिन आज वैसा ही हुआ जैसे राम वन गमन के समय गंगा के किनारे केवल केवट की ही नाव थी। मजबूरी में सेठ ने उसी मजदूर को बुलाया । मजदूर दौड़कर आया और बोला – “मेरी शर्त आपको मंजूर है?”…..सेठ ने स्वार्थ के कारण हाँ कर दी। सेठ का मकान लगभग 500मीटर की दूरी पर था । मजदूर सामान उठा कर सेठ के साथ चल दिया और बोला, सेठजी आप कुछ सुनाओगे या मैं सुनाऊँ। सेठ ने कह दिया कि तू ही सुना। मजदूर ने खुश होकर कहा- ‘जो कुछ मैं बोलू, उसे ध्यान से सुनना , यह कहते हुए मजदूर पूरे रास्ते बोलता गया । और दोनों मकान तक पहुँच गये। मजदूर ने बरामदे में सामान रख दिया , सेठ ने जो पैसे दिये, ले लिये और सेठ से बोला! सेठजी मेरी बात आपने ध्यान से सुनी या नहीं।

सेठ ने कहा, मैने तेरी बात नहीं सुनी, मुझे तो अपना काम निकालना था। मजदूर बोला-” सेठजी! आपने जीवन की बहुत बड़ी गलती कर दी, कल ठीक सात बजे आपकी मौत होने वाली है”। सेठ को गुस्सा आया और बोले: तेरी बकवास बहुत सुन ली, जा रहा है या तेरी पिटाई करूँ???:….. मजदूर बोला: मारो या छोड दो, कल शाम को आपकी मौत होनी है, अब भी मेरी बात ध्यान से सुन लो । अब सेठ थोड़ा गम्भीर हुआ और बोला: सभी को मरना है, अगर मेरी मौत कल शाम होनी है तो होगी , इसमें मैं क्या कर सकता हूं । मजदूर बोला: तभी तो कह रहा हूं कि अब भी मेरी बात ध्यान से सुन लो। सेठ बोला: सुना, ध्यान देकर सुनूंगा । मरने के बाद आप ऊपर जाओगे तो आपसे यह पूछा जायेगा कि “हे मनुष्य ! पहले पाप का फल भोगेगा या पुण्य का “क्योंकि मनुष्य अपने जीवन में पाप-पुण्य दोनों ही करता है, तो आप कह देना कि पाप का फल भुगतने को तैयार हूं लेकिन पुण्य का फल आँखों से देखना चाहता हूं ।

इतना कहकर मजदूर चला गया । दूसरे दिन ठीक सात बजे सेठ की मौत हो गयी। सेठ ऊपर पहुँचा तो यमराज ने मजदूर द्वारा बताया गया प्रश्न कर दिया कि ‘पहले पाप का फल भोगना चाहता है कि पुण्य का’ । सेठ ने कहा ‘पाप का फल भुगतने को तैयार हूं लेकिन जो भी जीवन में मैंने पुण्य किया हो, उसका फल आंखों से देखना चाहता हूं। यमराज बोले-” हमारे यहाँ ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, यहाँ तो दोनों के फल भुगतवाए जाते हैं।” सेठ ने कहा कि फिर मुझसे पूछा क्यों, और पूछा है तो उसे पूरा करो, धरती पर तो अन्याय होते देखा है, पर यहाँ पर भी अन्याय है। यमराज ने सोचा, बात तो यह सही कह रहा है, इससे पूछकर बड़े बुरे फंसे, मेरे पास कोई ऐसी पावर ही नहीं है, जिससे इस जीव की इच्छा पूरी हो जाय, विवश होकर यमराज उस सेठ को ब्रह्मा जी के पास ले गये , और पूरी बात बता दी

ब्रह्मा जी ने अपनी पोथी निकालकर सारे पन्ने पलट डाले, लेकिन उनको कानून की कोई ऐसी धारा या उपधारा नहीं मिली, जिससे जीव की इच्छा पूरी हो सके। ब्रह्मा भी विवश होकर यमराज और सेठ को साथ लेकर भगवान के पास पहुचे और समस्या बतायी । भगवान ने यमराज और ब्रह्मा से कहा: जाइये , अपना -अपना काम देखिये , दोनों चले गये। भगवान ने सेठ से कहा- “अब बोलो, तुम क्या कहना चाहते हो?…सेठ बोला- “अजी साहब, मैं तो शुरू से एक ही बात कह रहा हूं कि पाप का फल भुगतने को तैयार हूं लेकिन पुण्य का फल आँखों से देखना चाहता हूं ।

भगवान बोले- “धन्य है वो सदगुरू(मजदूर) जो तेरे अंतिम समय में भी तेरा कल्याण कर गया , अरे मूर्ख ! उसके बताये उपाय के कारण तू मेरे सामने खडा है, अपनी आँखों से इससे और बड़ा पुण्य का फल क्या देखना चाहता है। मेरे दर्शन से तेरे सभी पाप भस्मीभूत हो गये। इसीलिए बचपन से हमको सिखाया जाता है कि, गुरूजनों की बात ध्यान से सुननी चाहिए , पता नहीं कौन सी बात जीवन में कब काम आ जाए।

जय श्रीराम

मंगलवार, 5 दिसंबर 2023

आज है काल भैरव अष्टमी शिवजी के भैरव रूप की पूजा का है दिन

आज है काल भैरव अष्टमी
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शिवजी के भैरव रूप की पूजा का है दिन 
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आज यानी 5 दिसंबर को काल भैरव अष्टमी है। इसे कालाष्टमी भी कहते हैं। इस दिन शिवजी के भैरव रूप की पूजा की जाती है। काल भैरव अष्टमी यानी कालाष्टमी का त्यौहार हर माह की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन कालभैरव की पूजा की जाती है जिन्हें शिवजी का एक अवतार माना जाता है. इसे कालाष्टमी, भैरवाष्टमी आदि नामों से जाना जाता है। आज के दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत का भी विधान माना गया है।

कालाष्टमी व्रत विधि 
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नारद पुराण के अनुसार कालाष्टमी के दिन कालभैरव और मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। इस रात देवी काली की उपासना करने वालों को अर्ध रात्रि के बाद मां की उसी प्रकार से पूजा करनी चाहिए जिस प्रकार दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि को देवी कालरात्रि की पूजा का विधान है।

इस दिन शक्ति अनुसार रात को माता पार्वती और भगवान शिव की कथा सुन कर जागरण का आयोजन करना चाहिए. आज के दिन व्रती को फलाहार ही करना चाहिए. कालभैरव की सवारी कुत्ता है। अतः इस दिन कुत्ते को भोजन करवाना शुभ माना जाता है।

क्यों रखा जाता है कालाष्टमी का व्रत 
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कथा के अनुसार एक दिन भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठ होने का विवाद उत्पन्न हुआ. विवाद के समाधान के लिए सभी देवता और मुनि शिव जी के पास पहुंचे. सभी देवताओं और मुनि की सहमति सेशिव जी को श्रेष्ठ माना गया. परंतु ब्रह्मा जी इससे सहमत नहीं हुए. ब्रह्मा जी, शिव जी का अपमान करने लगे.
अपमान जनक बातें सुनकर शिव जी को क्रोध आ गया जिससे कालभैरव का जन्म हुआ. उसी दिन से कालाष्टमी का पर्व शिव के रुद्र अवतार कालभैरव के जन्म दिन के रूप में मनाया जाने लगा।

कालाष्टमी व्रत फल 
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कालाष्टमी व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है. इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि-विधान से काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट मिट जाते हैं काल उससे दूर हो जाता है. इसके अलावा व्यक्ति रोगों से दूर रहता है और उसे हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।

इस मंत्र का करें जाप
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शिव पुराण में कहा है कि भैरव परमात्मा शंकर के ही रूप हैं इसलिए आज के दिन इस मंत्र का जाप करना फलदायी होता है

अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, 
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!

भैरव अष्टमी की पौराणिक कथा
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एक बार की बात है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश इन तीनों में श्रेष्ठता की लड़ाई चली। इस बात पर बहस बढ़ गई तो सभी देवताओं को बुलाकर बैठक की गई। सबसे यही पूछा गया कि श्रेष्ठ कौन है। सभी ने अपने अपने विचार व्यक्त किए और उतर खोजा लेकिन उस बात का समर्थन शिवजी और विष्णु ने तो किया परन्तु ब्रह्माजी ने शिवजी को अपशब्द कह दिए। इस बात पर शिवजी को क्रोध आ गया और शिवजी ने अपना अपमान समझा। 

शिवजी ने उस क्रोध में अपने रूप से भैरव को जन्म दिया। इस भैरव अवतार का वाहन काला कुत्ता है। इनके एक हाथ में छड़ी है इस अवतार को महाकालेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए ही इन्हें दंडाधिपति कहा गया है। शिवजी के इस रूप को देख कर सभी देवता घबरा गए। भैरव ने क्रोध में ब्रह्मा जी के पांच मुखों में से एक मुख को काट दिया। तब से ब्रह्मा के पास चार मुख है। इस प्रकार ब्रह्माजी के सर को काटने के कारण भैरव जी पर ब्रह्महत्या का पाप आ गया। ब्रह्माजी ने भैरव बाबा से माफ़ी मांगी तब जाकर शिवजी अपने असली रूप में आए। 

भैरव बाबा को उनके पापों के कारण दंड मिला इसीलिए भैरव को कई दिनों तक भिखारी की तरह रहना पड़ा। इस प्रकार कई वर्षो बाद वाराणसी में इनका दंड समाप्त होता हैं। इसका एक नाम दंडपाणी पड़ा था। इस प्रकार भैरव जयंती को पाप का दंड मिलने वाला दिवस भी माना जाता है।
 

शनिवार, 2 दिसंबर 2023

74 वर्षों से लगा हुआ कलंक सिर्फ 30 मिनट में हटाया*भारत पिछले 74 साल से एक जहरीले कीड़े से पीड़ित था, जिसका नाम है *संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह* UNMO *United Nations Military Observer*

*74 वर्षों से लगा हुआ कलंक सिर्फ 30 मिनट में हटाया*
भारत पिछले 74 साल से एक जहरीले कीड़े से पीड़ित था, जिसका नाम है *संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह* UNMO *United Nations Military Observer*
 अब इसे मोदी सरकार ने खत्म कर दिया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर जी ने इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। केवल 30 मिनट में इस पूरी समिति को अगले दस दिनों के भीतर भारत छोडने का आदेश दे दिया गया!

संयुक्त राष्ट्र की एक समिति संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह को भारत ने भारत से बाहर का रास्ता दिखा दिया है! 
 यह कमेटी 1948 से भारत में काम कर रही थी और कश्मीर मसले पर भारत और पाकिस्तान के रवैए खासकर खुद भारत के रवैए पर पैनी नजर रख रही थी!
  काम करने, घूमने, रहने, खाने-पीने, उठने-बैठने का सारा खर्च भारत उठा रहा था! 
 इस कमेटी ने भारत के खिलाफ काफी कड़े बयान दिए थे। उन्होंने कश्मीर को द्विपक्षीय मामला न बनाकर त्रिपक्षीय घोषित करने की कोशिश की और साथ ही भारत पर गंभीर आरोप लगाए जैसे "भारत हमारे, भारत और पाकिस्तान के बीच संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह के काम में बाधा डाल रहा है ताकि समिति ठीक से काम न कर सके"।
समिति यहीं नहीं रुकी... उन्होंने आगे कहा "वह राशि जो भारत हमें देता है हमारे खर्चों को कवर नहीं करता है। 
इसलिए भारत को हमारे भत्ते और खर्च बढ़ाने होंगे और भारत को इसका भुगतान करना होगा!"

ऐसा हुआ कि जिस कुत्ते को हमने पाल रखा था, वह हमारा खा रहा था और हम पर ही भौंक रहा था और तो अब काटने भी लगा था।
इस पर भारत सरकार ने उनसे इतना ही कहा: "तुम्हारे नाटक से हमने बहुत कुछ सहा है। अब तुम यहाँ से फौरन चले जाओ"। "तुम्हारे लिए भारत में कोई जगह नहीं बची है!" 
 केवल 30 मिनट में मोदी सरकार ने उनका वीजा रद्द कर दिया और उन्हें भारत छोडकर तुरंत अपने देश जाने के लिए कहा... 
अगले 10 दिनों के भीतर!!!
 पिछले 74 वर्षों से भारत इनमें से 40 से अधिक लोगों का खर्च वहन कर रहा था, 
जिन्हें अब निर्वासित कर दिया गया है!
और आपको पता है 74 वर्ष पूर्व उन्हें कौन लाया था...?
कांग्रेसियों के चिचा जान "जवाहर लाल नेहरू"!

99% जनता को तो इसकी जानकारी ही नहीं होगी कि अंग्रेजो की एक टीम आज तक भारत पर राज कर रहीं थीं *इन कांग्रेसियों के कारण से'*
आज मोदी जी ने अंग्रेजो के आखिरी स्तम्भ को भी भारत से उखाड़ फेंकने का कार्य किया है ''
🙏🙏वन्देमातरम 🙏🙏

*इस संदेश को कम से कम पांच ग्रुप में जरूर भेजे, ताकि समस्त भारतीयों को कांग्रेस की छद्म राजनीति के संबंध में पता चले*

बुधवार, 29 नवंबर 2023

ऐसी तसवीरें साझा कर सकते हैं जो हमें हँसने पर मजबूर कर दे

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सिर्फ भोपाल ही नहीं, ऐसी कई घटनाएं हैं जो हमारे राजनैतिक भ्रस्टाचार और नाकामियों की गवाही बनी हैं.

 

सिर्फ भोपाल ही नहीं, ऐसी कई घटनाएं हैं जो हमारे राजनैतिक भ्रस्टाचार और नाकामियों की गवाही बनी हैं. दिसंबर 2, 1984 की वो काली और गन्दी रात, जो शायद सिर्फ भोपालवासी ही नहीं हम पूरे देशवासी कभी नहीं भुला पाएंगे. यूनियन कार्बाइड की कीटनाशक बनाने वाली संयंत्र से अचानक मिथाइल इसोसयनिट (Methyl Isocyanate) गैस का रिसाव शुरू हुआ और देखते देखते आधिकारिक तौर पर 15000 ज़िन्दगियों को लील गया और 5 लाख लोगों को घायल कर गया, जिन्होंने भारी कष्ट झेले. सबसे तकलीफदेह बात तो ये है की आज भी यानी लगभग 35 सालों के बाद भी ये साबित नहीं हो पाया की एंडरसन को अमेरिका भागने में कौन-कौन दोषी थे. हाय रे कानून!!!!

(एंडरसन की तस्वीर पर थूकती एक पीड़ित महिला) image source : News: India News, Latest Bollywood News, Sports News, Business & Political News, National & International News | Times of India

3 दिसंबर 1984 की शाम हनुमानगंज, भोपाल पुलिस थाने में केस दर्ज हुआ। यूनियन कार्बाइड के मालिक वारेन एंडरसन, जो की एक अमेरिकी थे, को खबर गयी कि उनके भोपाल स्थित फैक्ट्री में कुछ दुर्घटना हुई है. चूँकि मीडिया आज के इतना अग्रेसिव और तादाद में नहीं था, इस वजह से वो सिर्फ जायजा लेने हिंदुस्तान आया था. 7 दिसंबर की सुबह 9.30 बजे इंडियन एयरलाइंस के विमान से भोपाल पहुंचा। एयरपोर्ट पर तत्कालीन एसपी स्वराज पुरी और डीएम मोती सिंह ने उसे रिसीव किया।

सुबह करीब 11 बजे बजे भोपाल के एसपी और डीएम, वारेन एंडरसन को एक सफेद एंबेसडर कार में यूनियन कार्बाइड के रेस्ट हाउस ले गए और वहीं उसे हिरासत में लिए जाने की जानकारी दी गई। इसी बीच एक गलती हो गयी. रेस्ट हाउस में रखे लैंडलाइन फ़ोन का कनेक्शन कट नहीं किया गया और ना ही एंडरसन पर निगरानी रखी गयी. उसने लगभग 20 मिनट किसी से फ़ोन पर बात की. फ़ोन पर अमेरिकियों से बात करते देख उस समय के जिला पदाधिकारी मोती सिंह जी ने उसे पुनः हिरासत में लिया. लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. उसके थोड़ी ही देर बाद कुछ अजीब हुआ.

उस समय के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह जी किसी रैली को सम्बोधित कर रहे थे और बीच रैली में ही उनको फ़ोन रिसीव करने के लिए अपना भाषण बंद करना पड़ा. दुसरे तरफ से उन्हें एक आदेश आया, जिसमे उन्हें वारेन एंडरसन को तत्काल छोड़ने को कहा गया.

दोपहर 3.30 बजे उस समय के पुलिस आरक्षी यानी एस पी स्वराज पूरी ने एंडरसन को बताया की आपके अमेरिका जाने का बंदोबस्त कर दिया गया है. 25,000 रुपए का बॉन्ड और कुछ जरूरी कागजों पर साइन करने के बाद एस पी पूरी उनके साथ भोपाल एयरपोर्ट तक आकर उसे फ्लाइट में बिठा दिया. दिल्ली के इंदिरा गाँधी एयरपोर्ट पर आने के बाद एयरपोर्ट के अंदर ही अंदर केंद्र सरकार की मदद से व्यवस्थित अमेरिका जाने वाले विमान में उसे बिठा दिया गया.

उस समय के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह जी ने अपने आत्मकथा में उस घटना का जिक्र करते हुए उस समय के विदेश सचिव आर डी प्रधान का जिक्र किया था, की फ़ोन पर निर्देश देने वाले व्यक्ति वही थे जिन्होंने तत्कालीन गृह मंत्री पी वी नरसिम्हा राव जी के आदेश पर अर्जुन सिंह जी को एंडरसन को तत्काल रिहा करवाने को बोला था. गौरतलब है की उस वक़्त राजीव गाँधी प्रधानमंत्री थे.

उसके बाद एंडरसन कभी भारत नहीं आया. हालांकि उसने वादा किया था की कोर्ट का सम्मान करेगा और हरेक ट्रायल पर वो भारत आएगा, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ. जस्टिस कोचर कमीशन का गठन हुआ उसमे उसे जिस हवाई जहाज़ के द्वारा दिल्ली ले जाय गया था, उसके चालक कप्तान हाफ़िज़ अली और उपचालक कप्तान ग्रोवर ने ये जानकारी दी की उनको ये कतई जानकारी नहीं थी की उस विमान में बैठा हुआ शख्श वारेन एंडरसन है, क्योंकि वो एक रेगुलर फ्लाइट थी.

यात्रा लॉग बुक, जिसे एक महत्त्वपूर्ण सबूत माना जा सकता था, उसे भी नष्ट कर दिया गया. कप्तान हाफ़िज़ अली ने कबूला की उन्होंने सिर्फ एस पी पूरी को एंडरसन को फ्लाइट में बिठाते हुए देखा और इंदिरा गाँधी एयरपोर्ट पर एंडरसन को रिसीव करने वाले कोई अनजान व्यक्ति था, जिसे वो नहीं पहचानते थे.

कई कमिटियां बनी और कई गवाहियां हुई. 2011 में अर्जुन सिंह और 2014 में वारेन एंडरसन, दोनों ही ऊपर चले गए, लेकिन एक अबूझ, रहस्यमयी पहेली हम भारतवासियों के लिए छोड़ गए, की आखिर वो कौन सा दबाव था, जिसने लाखों लोगों के गुनाहगार को भारत से भगाने में मदद की थी. हमें एक दूषित राजनैतिक इक्षाशक्ति को कोसने के अलावे कुछ नहीं मिला.


पहली तस्वीर वारेन एंडरसन की है, वारेन एंडरसन उसी यूनियन कार्बायड कम्पनी का मालिक था जिसकी कम्पनी में आज से 35 साल पहले आज के ही दिन मीथेन गैस के रिसने से हज़ारों जाने चली गयीं थी और लाखों लोगों पर उसका असर पड़ा था। लेकिन वारेन एंडरसन को पकड़ने के बावजूद रिहा कर दिया गया, और रिहा ही नहीं किया गया बल्कि उसके अमेरिका जाने का इंतज़ाम भी करवाया गया। और ये सब किया गया था उस आदमी के लिए जिसकी तस्वीर एंडरसन के बाजु में लगी हुई है।

उसका नाम था आदिल शहरयार...

कौन था आदिल शहरयार और क्या थी वारेन एंडरसन को छोड़े जाने के पीछे की कहानी...आइए जानते हैं...

3 दिसम्बर 1984, भोपाल के Union Carbide के कारख़ाने से मिथेन गैस रिसती है और 15000 से ज़्यादा लोग मर जाते हैं लाखों लोग विकलांग हो जाते हैं..

Union Carbide के मालिक वॉरन एंडरसन को भोपाल में गिरफ़्तार कर लिया जाता है। यूनियन कॉर्बायड अमेरिका की एक MNC है, जिसके मालिक को गिरफ़्तार करते ही अमेरिका का भारतीय दूतावास भारत पर दबाव बनाने की कोशिश शुरू कर देता है।

राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बने अभी 1 महीना और 3 दिन ही हुए हैं, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह हैं।

थोड़ा पीछे चलते हैं, नेहरु और बाद में इंदिरा गांधी के बहुत ज़्यादा क़रीबी रहे मुहम्मद यूनुस का बेटा अमेरिका की एक जेल में बंद है, आरोप आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का है और जिसमें सज़ा उन्हें उम्र क़ैद की मिली हुई है, जिसके लिए उन्हें जीवन पर्यन्त जेल में ही रहना पड़ेगा।

वापस 6 दिसम्बर 84 पर आते हैं, गैस कांड में मरने वालों की संख्या बढ़ रही है, जनता का ग़ुस्सा भी बढ़ रहा है, और साथ ही बढ़ रहा है अमेरिका का भारत सरकार पर वॉरन एंडरसन को छोड़ने का प्रेशर।

इस बीच अमेरिका से एक डील होती है, वॉरन एंडरसन को रिहा करने के बदले प्रधानमंत्री राजीव गांधी के “भाई जैसे” बचपन के मित्र आदिल शहर्यार को रिहा करने की।

7 दिसम्बर 84, भोपाल के SP स्वराज पूरी के पास एक फ़ोन आता है कि “ऊपर से” निर्देश हैं, एंडरसन को रिहा किया जाए, SP और कलेक्टर ख़ुद सरकारी गाड़ी से एंडरसन को जेल से हवाई अड्डे छोड़ने जाते हैं, कार ख़ुद SP चला रहे हैं और कलेक्टर एंडरसन के बाजु में पीछे की सीट पर बैठे हैं। हवाई अड्डे पर एंडरसन को दिल्ली छोड़ने के लिए एक स्पेशल विमान खड़ा है जहाँ उन्हें विदा करने के लिए अर्जुन सिंह भी आते हैं, भोपाल से दिल्ली पहुँचते ही वहाँ एक स्पेशल चार्टर्ड खड़ा है जो एंडरसन को अमेरिका ले जाता है।

और कुछ ही महीनों बाद राजीव गांधी के अमेरिका दौरे के पहले ही दिन अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रॉनल्ड रीगन राजीव गांधी जी के “भाई जैसे” बचपन के मित्र की सज़ा माफ़ कर उन्हें रिहा कर देते हैं। अमेरिका के पूरे ज्ञात इतिहास में आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ है कि राष्ट्रपति ने फ़ेडरल कोर्ट के फ़ैसले को पलट दिया हो।

अब कुछ लोग इस बात को पढ़कर कोंग्रेस और राजीव गांधी जी को भला बुरा कहने लगेंगे, जबकि ये कहानी दोस्त की दूसरे दोस्त से किसी भी क़ीमत पर दोस्ती निभाने की है, जनता का क्या, जनता तो मरती ही रहती है...

 

दुर्वासा ऋषि बहुत क्रोधी स्वभाव के थे लेकिन फिर वह इतने सिद्ध पुरुष कैसे थे?

 

"ऋषि दुर्वासा का नाम सुनते ही मन में श्राप का भय पैदा हो जाता है की कंही हमको कोई श्राप न दे दे उनका खौफ्फ़ तो देवो में भी रहता है तो हम तो साधारण इंसान है. जाने "

"दुर्वासा" नाम तो सुना ही होगा? इसका अर्थ है जिसके साथ न रहा जा सके, वैसे भी क्रोधी व्यक्ति से लोग दूर ही रहते है लेकिन दुर्वासा ऋषि के तो हजारो शिष्य थे जो साथ ही रहते थे. कब जन्मे कैसे पले बढ़े और अब कहा है दुर्वासा ऋषि ये तो आपको बिलकुल भी पता नहीं होगा.
सबसे पहले जाने दुर्वासा के जन्म और नामकरण की कथा, ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार एक बार शिव और पारवती में तीखी बहस हुई. गुस्से में आई पारवती ने शिव जी से कह दिया की आप का ये क्रोधी स्वाभाव आपको साथ न रहने लायक बनाता है, तब शिव ने अपने क्रोध को अत्रि ऋषि की पत्नी अनुसूया के गर्भ में स्थापित कर दिया.
इसी के चलते अत्रि और अनुसूया के पुत्र दुर्वासा का नामकरण भी पारवती के साथ न रहने लायक कहने के चलते दुर्वासा ही रखा गया. इसके पहले अनुसूया के त्रिदेवो को बालक बनाकर पुत्र रूप में मांगने की कथा तो आपने सुन ही रखी होगी अब जाने आगे की कहानी.

image sources : pinterest

दुर्वासा ऋषि की शिक्षा पिता के सानिध्य में ही हुई थी लेकिन जल्द ही वो तपस्पि स्वाभाव के होने के चलते माता पिता को छोड़ वन में विचरने लगे थे. तब उनके पास एक ऋषि अपनी बेटी के साथ दुर्वासा के पास आये और उनसे अपनी बेटी का पाणिग्रहण करवा दिया. ऋषि ने दुर्वासा से अपनी बेटी के सब गुण कहे पर साथ में बताया उसका एक अवगुण जो सबपे भारी था.

ऋषि की लड़की का नाम था कंडली और उसमे एक ही अवगुण था की वो कलहकारिणी थी, दुर्वासा के उग्र स्वाभाव को जान ऋषि ने दुर्वासा से उसके सभी अपराध माफ़ करने की अपील की. ऐसे में दुर्वासा ने कहा की मैं अपनी पत्नी के 100 अपराध क्षमा करूँगा उसके बाद नहीं.

दोनों की शादी हो गई और ब्रह्मचारी दुर्वासा गृहस्थी में पड़ गए, लेकिन अपने स्वाभाव के चलते कंदली बात बात पर पति से कलह करती और अपने वरदान के चलते दुर्वासा को क्रोध सहना पड़ा.

image sources : kraftindia

जिन दुर्वासा के क्रोध से सृष्टि के जिव कांपते थे वो ही तब अपनी पत्नी के क्रोध से कांपते थे, कांपते इसलिए थे की उन्होंने वरदान दे दिया था और वो कुछ नहीं कर सकते थे. आलम ये था की दुर्वासा ने 100 से ज्यादा गलतिया (पत्नी की) माफ़ की लेकिन एक दिन उनका पारा असहनीय हो गया और उन्होंने तब अपनी ही पत्नी कंदली को भस्म कर दिया.

तभी उनके ससुर आ पहुंचे और दुर्वासा की ये करनी देख उन्होंने उन्हें श्राप दे दिया और कहा की तुमसे सहन नहीं हुई तो उसका त्याग कर देना चाहिए था इसे मारा क्यों. इसी गलती के चलते दुर्वासा को अमरीश जी से बेइज्जत होना पड़ा था, अन्यथा रुद्रावतार का सुदर्शन क्या कर सकता था.

उस घटना के दिन से ही कंदली की राख कंदली जाती बन गई और आज भी वो जाती मौजूद है....... इसके आलावा श्री कृष्ण की वो बहिन (यशोदा की बेटी) जिसे कंस ने मारना चाहा था बाद में वासुदेव देवकी ने पाला और दुर्वासा से ही उनका तब विवाह हुआ था. उसका नाम था एकविंशा है न अद्भुद कथा...

image sources : dandvats

कर्ण से प्रेरित दुर्योधन ने योजनाबद्ध तरीके से दुर्वासा ऋषि और उनके हजारो शिष्यों को वनवासी पांडवो के पास तब भेजा जब वो भोजन कर चुके थे. हालाँकि पांडवो के पास अक्षय पात्र था लेकिन जब तक द्रौपदी न खाली तब तक ही उसमे भोजन रहता था और द्रौपदी तब खा चुकी थी.

ऐसे में दुर्वासा पहुँच गए और स्नान के लिए नदी किनारे गए तो द्रौपदी ने श्री कृष्ण को याद किया, श्री कृष्ण उस समय भोजन की थाली पर बैठे थे और थाली छोड़ कर अपनी परम भक्त की मदद को पहुँच गए. श्री कृष्ण ने तब अक्षय पात्र में बचे तिनके को खाकर अपनी और समस्त संसार की भूख शांत कर दी जिसमे दुर्वासा जी भी शामिल थे.

लेकिन दुर्वासा जान गए थे श्री कृष्ण की ये करनी, तब दुर्वासा जी ने श्री कृष्ण से कहा की शास्त्रों का लेख है की परोसी हुई थाली नहीं छोड़नी चाहिए और किसी का झूठा नहीं खाना चाहिए. आपने ऐसा किया है इसलिए आप को मेरा श्राप है की भोजन के लिए लड़ते हुए ही आपका वंश नाश हो जायेगा और ऐसा ही हुआ था.

लेकिन श्री कृष्ण सशरीर ही गोलोक गए थे हालाँकि कई जगह उन्हें देह त्याग की भी बात लिखी गई है, इसलिए परोसी हुई थाली न छोड़े और किसी का जूठा भी न खाये.

मेडिकल माफिया को भगाएं, आंवला अपनाएं।

 जिस दिन आपकी सब्ज़ी और खाने में आंवले का उपयोग होना शुरू हो गया उस दिन से आधा मेडिकल माफिया जो आपको दिन-रात लूटता आ रहा है वह भाग जाएगा।

सनातन भारत में सब्जी में खट्टापन लाने के लिये टमाटर के स्थान पर आंवले का प्रयोग होता था। इसलिये सनातन हिंदुओ की हड्डियां महर्षि दधीचि की तरह कठोर होती थीं इतनी मजबूत होती थी कि, महाराणा प्रताप का महावज़नी भाला उठा सकतीं थी। आज तमाम तरह के कैल्शियम विटामिन्स खाने के बाद भी जवानी में ही हड्डियां कीर्तन करने लगती हैं। जिस मौसम में देशी टमाटर मिलें तो ठीक लेकिन अंडे जैसे आकार के अंग्रेजी टमाटर खाने के स्थान पर आंवले का प्रयोग आपकी सब्ज़ी को स्वादिष्ट भी बनाएगा और आपको मेडिकल माफिया के मकड़जाल से भी बाहर निकालेगा। आंवला ही एक ऐसा फल है। जिसमें सब तरह के रस होते है। जैसे आंवला, खट्टा भी है, मीठा भी, कड़वा भी है और नमकीन भी। आँवले का सनातन संस्कृति में महत्तम इतना है कि, दीपावली के कुछ दिन बाद आँवला नवमी मनाई जाती है। आपको करना केवल इतना है कि, साबुत या कटा हुआ आँवला, बिना बच्चों और घर के आधुनिक सदस्यों को बताए सब्ज़ी में डाल देना है। अगर आँवला साबुत डाला है तो, सब्ज़ी बनने के बाद उसको ऐसे ही खा सकतें है। जब आंवला नहीं मिलता तो आँवले को सुखा कर पीस कर इसका प्रयोग उचित है।

मेडिकल माफिया को भगाएं, आंवला अपनाएं।
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आमतौर पर आंवला को इंडियन गूजबेरी (भारतीय करौंदा) कहा जाता है। इन पेड़ों की बेरी को इनके औषधीय गुणों के कारण औषधीय फार्मूलेशन में प्रयुक्त किया जाता है। आंवला के पेड़ पर छोटी बेरीज़ होती हैं जो गोल और पीले-हरे रंग की होती है। इसके कई स्वास्थ्य फ़ायदों के कारण इसे सुपरफूड कहा जाता है। प्राचीन आयुर्वेद में आंवला को खट्टा, नर्स, अमरता और माता जैसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

आंवला की एक अनोखी स्वाद विशेषता होती है, जिसमे पांच अलग-अलग स्वाद जैसे तीखा, कसैला, मीठा, कड़वा, खट्टा और इसके अलावा अन्य स्वाद भी भरे होते हैं। यह मन और शरीर के बेहतर स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। यही कारण है कि इसे एक दिव्य औषधि ”दिव्यौषदा” के रूप में जाना जाता है। आंवला को संस्कृत में अमालाकी कहा जाता है जिसका अर्थ है जीवन का अमृत।

आंवला की रासायनिक संरचना

आंवला का फल एस्कॉर्बिक एसिड (विटामिन सी), कैरोटीन का एक अच्छा स्रोत है। इसमें अलग-अलग पॉलीफेनोल्स होते हैं जैसे कि एलेजिक एसिड, गैलिक एसिड, एपिजेनिन, क्वेरसेटिन, ल्यूटोलिन एवं कोरिलागिन। आंवला की लगभग अनुमानित संरचना नीचे दी गई टेबल में दी गई है।

घटकमात्रा (प्रति 100 ग्राम)
कार्बोहाइड्रेट10 ग्राम
प्रोटीन0.80 ग्राम
फ़ैट0.50 ग्राम
कुल कैलोरी44 किलोकैलोरी
फ़ाइबर4.3 ग्राम
मैग्नीशियम10 मिलीग्राम
कैल्शियम25 मिलीग्राम
आयरन0.31 मिलीग्राम
पोटैशियम 198 मिलीग्राम
ज़िंक0.12 मिलीग्राम

आंवला के अन्य नाम

Amla (Gooseberry) ke anya naam

  • संस्कृत में इसे आमलकी, श्रीफला, शीतफला, धात्री, तिष्यफला के नाम से जाना जाता है।
  • हिंदी में इसे आंवला के नाम से जाना जाता है।
  • मराठी में इसे अवला के नाम से जाना जाता है।
  • अंग्रेजी में इसे इंडियन गूज़बेरी के नाम से जाना जाता है।
  • कन्नड़ में इसे नेल्ली के नाम से जाना जाता है।
  • तमिल में इसे नेल्लिकाई के नाम से जाना जाता है।
  • तेलुगु में इसे उशीरी काया के नाम से जाना जाता है।
  • मलयालम में इसे नेल्ली के नाम से जाना जाता है।

आंवला के औषधीय और स्वास्थ्य में फ़ायदे

1: आंवला और हाइपरटेंशन

आंवला विभिन्न एंटीऑक्सिडेंट का अच्छा स्रोत है। यह मानव के तनाव में होने के दौरान शरीर द्वारा निर्मित मुक्त रैडिकल को साफ करने के लिए जाना जाने वाला एक एंटीऑक्सिडेंट गुण है। आंवला में एंटीऑक्सिडेंट के साथ-साथ पोटैशियम भी काफ़ी मात्रा में होता है। इसलिए, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने की पोटैशियम की क्षमता के कारण, ब्लड प्रेशर की समस्याओं से पीड़ित रोगियों के आहार में इसका नियमित रूप से उपयोग किया जाता है। पोटैशियम द्वारा हाइपरटेंशन के प्रबंधन में शामिल मुख्य मकैनिज़्म ब्लड वेसल्स को फैलाना है, जो ब्लड प्रेशर की संभावनाओं को और कम कर देता है। इस स्थिति में आंवला का जूस पीना असरदार हो सकता है।

2: डायबिटीज़ में आंवला

परंपरागत रूप से, आंवला का उपयोग डायबिटीज़ को नियंत्रित करने के लिए घरेलू उपचार के रूप में किया जाता है। डायबिटीज़ के पीछे का मुख्य कारण तनाव होना है। आंवला विटामिन C का अच्छा स्रोत है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है जो मुक्त रेडिकल के बनाव और ऑक्सीडेटिव तनाव के असर को बदलने में मदद करेगा। आंवला के उत्पादों का नियमित सेवन डायबिटीज़ की संभावनाओं को रोक सकता है। अन्य मैकेनिज़्म में, आंवला के रेशे शरीर में अतिरिक्त शुगर को नियमित ब्लड शुगर के स्तर तक अवशोषित करने में मदद कर सकते हैं। इसलिए आंवला को अपने डायबिटीज़ डाइट प्लान में शामिल करने से डायबिटीज़ के असरदार प्रबंधन में मदद मिल सकती है।

3: आंवला और पाचन तंत्र

आंवला की बेरीज़ में पर्याप्त मात्रा में घुलनशील फाइबर होते हैं। ये फ़ाइबर आंतों की गति को विनियमित करने में भूमिका निभाते हैं, जो खराब बाउअल सिंड्रोम को कम करने में मदद कर सकते है। आंवले में विटामिन C की अधिक मात्रा होने के कारण, यह आवश्यक खनिजों की अच्छी मात्रा को अवशोषित करने में भी मदद करता है। इसलिए यह विभिन्न हेल्थ सप्लीमेंट के साथ तालमेल रखता है।

प्रतिदिन एक आंवला आपके स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डाल सकता है? इसका सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

स्वास्थ्य और फिटनेस के प्रति बढ़ते रुझान के साथ, जिन खाद्य पदार्थों को कभी कई उपचारों और दवाओं में आयुर्वेदिक खजाने के रूप में उपयोग किया जाता था, वे अब प्रमुखता प्राप्त कर रहे हैं। ऐसा ही एक हरे रंग का फल है आंवला जिसे इंडियन गूसबेरी के नाम से जाना जाता है। काढ़ा से लेकर अचार और जूस तक, इस सदियों पुराने फल में शक्तिशाली औषधीय गुण हैं जो एक ही समय में तीनों दोषों (कफ/वात/पित्त) को लगभग ठीक कर सकते हैं। यहां कुछ और कारण बताए गए हैं कि क्यों स्वास्थ्य विशेषज्ञ आंवला को दैनिक आहार में शामिल करने का सुझाव देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब आप रोजाना आंवला खाते हैं तो क्या होता

आपको रोजाना आंवला क्यों खाना चाहिए?

संस्कृत में आंवला का अनुवाद अमलकी के रूप में किया जाता है जिसका अर्थ है जीवन का अमृत जो इसके शक्तिशाली गुणों को परिभाषित करता है जो प्रतिरक्षा को बढ़ावा दे सकता है, पाचन, चयापचय और आंत के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। विटामिन सी, फाइबर और खनिज जैसे एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर, आंवले में संतरे और अन्य खट्टे फलों की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक विटामिन सी होता है, जो मुक्त कणों से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद करता है और कोशिका पुनर्जनन में मदद करता है। रोजाना आंवला खाने से बांझपन, पाचन संबंधी समस्याएं, सर्दी, खांसी और एलर्जी जैसी कई अंतर्निहित बीमारियों के इलाज में मदद मिलती है। इसके अलावा, आंवले में उत्कृष्ट सूजनरोधी, कैंसररोधी गुण होते हैं, इसलिए इस फल को कच्चा या जूस के रूप में खाने से कई स्वास्थ्य समस्याएं स्वाभाविक रूप से ठीक हो सकती हैं


आपको प्रतिदिन कितना आंवला खाना चाहिए और क्यों?

 विशेषज्ञों के अनुसार, एक औसत वयस्क प्रतिदिन लगभग 75-90 मिलीग्राम आंवला खा सकता है। 100 ग्राम आंवले की एक खुराक में लगभग 300 मिलीग्राम विटामिन सी, आहार फाइबर, कैल्शियम, आयरन और पॉलीफेनोल्स, एल्कलॉइड और फ्लेवोनोइड जैसे एंटीऑक्सिडेंट होते हैं। रोजाना आंवला खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, उम्र से संबंधित मैक्यूलर डिजनरेशन का खतरा कम होता है और विटामिन की उपस्थिति के कारण आंखों की रोशनी में सुधार होता है। इसके अलावा, इसमें आहार फाइबर और टैनिक जैसे एसिड की उपस्थिति के कारण यह वजन कम करने में मदद करता है। प्रोटीन, जो वसा जलाने, पोषण देने और सूजन को कम करने में मदद करता है। यहां बताया गया है कि आप आंवले को अपनी दिनचर्या में कैसे शामिल कर सकते है

आंवले को दैनिक आहार में कैसे शामिल करें?

आंवले का मीठा, खट्टा, तीखा स्वाद और तीखी सुगंध कुछ लोगों के लिए इसे कच्चा खाना मुश्किल बना देती है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इसे कच्चा खाना या जूस के रूप में खाना या सिर्फ धूप में सुखाना इसके लाभों को प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। हरा फल. वास्तव में, आंवले के निर्जलित और धूप में सुखाए गए संस्करण में पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है, जो इसे किसी भी समय खाने के लिए एक आदर्श चीज़ बनाता है

 

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