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गुरुवार, 29 फ़रवरी 2024

24 साल के अनपढ़ लड़के ने कम से कम रु 15000-20000 रु पैदा कर लिए. सच बताना ज़िंदगी की असली जंग में कौन जीता...? मेरे हिसाब से सद्दाम !!


पता नहीं कैसे, कार के पावर स्टीयरिंग का ऑयल लीक हो गया... चलते चलते स्टीयरिंग फेल होने का खतरा पैदा हो गया.... जहां हूँ, वहां सिर्फ एक पावर स्टीयरिंग मैकेनिक है,नाम सद्दाम मिस्त्री !... आज सुबह दस बजे अपॉइंटमेंट मिला ! सद्दाम बमुश्किल 24 साल का लौंडा था, एकदम अंगूठा छाप....

           भाई ने कार का बोनट उठाया,झुका, आंखों से एक्सरे जैसा किया और घोषणा कर दी कि कार का स्टीयरिंग रैक 'लीकेज' है ! हमने पूछा कि पावर स्टीयरिंग ऑयल पम्प तो ठीक है,सद्दाम ने चाबी लेकर गाड़ी में एक सेल्फ मारा और पम्प के 'टनाटन' अर्थात OK होने की घोषणा कर दी....

               हमारे पेट मे मरोड़ उठने लगा कि कम से कम रु 1000-1200 /- का चूना तो पक्का लगेगा ! सद्दाम मिस्त्री ने बम फोड़ा.... आठ सौ रु स्टीयरिंग असेम्बली की उतराई और फिट कराई के लगेंगे... रु 3000/- सद्दाम मिस्त्री के रैक रिपेयरिंग के... मने रु 3800/-... रु और 200/- का ऑयल पड़ेगा .... 

        बुढ़िया कार के ऊपर रु 4000/-....? हमारे माथे पर आ पसीना गया.... हम घिघियाये कि " भाई हम पुराने ग्राहक हैं,पड़ोसी हैं " (हालांकि यह सफेद झूठ था ) ! मग़र 24 साल के अनपढ़ मग़र हुनरमंद लौंडे ने हमारी बात पर गौर करने की जगह दूसरे ग्राहक से बात शुरू कर दी !... चार पैसे बच जाएं तो हिन्दू अपनी पगड़ी तक ज़मीन पर रख देता है... सो हमने भी कोशिश की !... मग़र सद्दाम मिस्त्री नहीं माना ....

         पूरा दिन इंतजारी में बिता... सद्दाम साहेब की नज़रे इनायत अपरान्ह 3 बजे हुई... 6 बजे,शाम....  रु 3800 /- सद्दाम मिस्त्री को थमा कर रोते-धोते घर लौटे !... 

             मेरे सामने कुछ घण्टों में कटिहार के रहने वाले 24 साल के अनपढ़ लड़के ने कम से कम रु 15000-20000 रु पैदा कर लिए !  विश्वास मानिए, मेरे द्वारा दिये गए रु 3800/- में मात्र 200 रु का ऑयल, 2-3 खुद की जुगाड़ की गई सीलें, जो 25 रु से ज़्यादा की नहीं होंगी... डाली गईं ! सूखे रु 3500 /- सद्दाम की जेब मे गए ! कोई हेल्पर नहीं ! यह होती है,हुनर की कीमत और पारितोषिक ! 24 साल का सद्दाम फिलहाल एक कार भी एफोर्ड करता हैं ....

           हमारे बच्चे क्या करते हैं ? जनाब लाखों रु खर्च कर दिल्ली,नोएडा में बीटेक करते हैं....दो दो हज़ार किलोमीटर दूर जाकर पेइंग गेस्ट रहकर रु 15-20,000 की महीना तनख्वाह उठाते हैं.... मां-बाप ...बेटे-बेटी के दीदार को तरस जाते हैं ! कुछ को बड़े पैकेज भी मिल जाते हैं.... मग़र यह बीटेक/MCA...  इनकम, अवकाश और वर्क सैटिस्फैक्शन में 'सद्दाम' से हमेशा पीछे रहते हैं... 

              सद्दाम दस-बारह साल में 6 बच्चों की टीम तैयार कर देता है ! हमारे बच्चे 35-38 साल के होकर 'सूटेबल' 'ब्राइड' और 'ग्रूम' की तलाश करते रहे जाते हैं !... हमारे बच्चों के  बूढे... मां-बाप... अंतिम सांस लेते समय अक्सर अकेले होते हैं .....

            सच बताना ज़िंदगी की असली जंग में कौन जीता...? मेरे हिसाब से सद्दाम !!

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60 से अधिक उम्र के लोगों के साथ साझा करना अच्छा है*

*हम सभी बुजुर्गों को य़ह जानना ज़रूरी !!*

 "मेडिकल कॉलेज में, प्रोफेसर छात्रों को क्लिनिकल मेडिसिन पढ़ा रहे थे, उन्होंने ।

 👉निम्नलिखित प्रश्न पूछा:
✨ "बुजुर्गों में मानसिक भ्रम के क्या कारण हैं?"

✨कुछ लोग उत्तर देते हैं: "सिर में ट्यूमर"।
 
 ✨उसने उत्तर दिया: नहीं!
 
 
👉अन्य सुझाव देते हैं:
 "अल्जाइमर के प्रारंभिक लक्षण"।
 
 ✨उसने फिर उत्तर दिया: नहीं!
  
✨ उनके उत्तरों की प्रत्येक अस्वीकृति के साथ, जिज्ञासा और बढ़ जाती है!!
 
 👉और जब उन्होंने सबसे आम कारण सूचीबद्ध किया 
तो 
कारण बेहद चौकाने वाला था!!

👉जवाब - निर्जलीकरण
  

✨इस वजह कि तरफ साधारणतः हमारा ध्यान भी नहीं जाता है!!
 
✨लेकिन 
ऐसा ही है
 
 ✨60 वर्ष से 
अधिक उम्र के 
लोगों को आमतौर पर प्यास लगना बंद हो जाती है 
और 
परिणामस्वरूप, तरल पदार्थ पीना बंद कर देते हैं।

 ✨जब उन्हें 
तरल पदार्थ पीने की याद दिलाने वाला कोई नहीं होता, 
तो 
वे जल्दी ही निर्जलित हो जाते हैं।

 
 ✨निर्जलीकरण गंभीर है और 
पूरे शरीर को प्रभावित करता है। 

 ✨इससे अचानक मानसिक भ्रम, 
रक्तचाप में गिरावट,
 दिल की धड़कन में वृद्धि, एनजाइना (सीने में दर्द), कोमा 
और
 यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
  
✨ तरल पदार्थ पीना भूलने की यह आदत 60 साल की उम्र में 
शुरू होती है, 

✨जब हमारे शरीर में जितना पानी होना चाहिए, 
उसका 50% से कुछ अधिक ही होता है।

✨ 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के पास पानी का भंडार कम होता है। 

 ✨यह प्राकृतिक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया का हिस्सा है।
  
✨ लेकिन जटिलताएं 
और भी हैं.  
हालाँकि वे निर्जलित हैं, फिर भी उन्हें पानी पीने का मन नहीं करता,

 ✨क्योंकि उनका आंतरिक संतुलन तंत्र बहुत अच्छी तरह से काम नहीं करता है।
 
✨ निष्कर्ष:
  
 60 वर्ष से अधिक उम्र के ✨लोग आसानी से निर्जलित हो जाते हैं, 
केवल इसलिए नहीं कि उनके पास पानी की आपूर्ति कम है;  
बल्कि 
इसलिए भी कि उन्हें शरीर में पानी की कमी महसूस न हो.

✨ हालाँकि 60 से अधिक उम्र के लोग स्वस्थ दिख सकते हैं, 
लेकिन प्रतिक्रियाओं और रासायनिक कार्यों का प्रदर्शन उनके पूरे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।
  
👉 तो यहाँ दो चेतावनियाँ हैं:

 1) तरल पदार्थ पीने की आदत डालें। 
 तरल पदार्थों में पानी, जूस, चाय, नारियल पानी, सूप

✨ और 
पानी से भरपूर फल जैसे तरबूज,
 खरबूजा, आड़ू और अनानास शामिल हैं; संतरा और कीनू भी काम करते हैं।
  
✨ खास बात यह है कि हर दो घंटे में कुछ तरल पदार्थ जरूर पीना चाहिए।

 यह याद रखना!
 
 2) परिवार के सदस्यों के लिए अलर्ट: 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को लगातार तरल पदार्थ देते रहें। 
साथ ही उन पर नजर रखें।
  
✨ यदि आपको पता चलता है कि
 वे तरल पदार्थों को अस्वीकार कर रहे हैं 
और,
 एक दिन से दूसरे दिन, वे चिड़चिड़े हो जाते हैं, 
सांस फूलने लगते हैं 
या ध्यान की कमी प्रदर्शित करते हैं, 
तो ये लगभग निश्चित रूप से निर्जलीकरण के आवर्ती लक्षण हैं।
 
✨ अब और अधिक पानी पीने के लिए प्रेरित??

✨ यह जानकारी दूसरों तक भेजें.  
आपके मित्रों और परिवार को स्वयं जानने और आपको स्वस्थ और खुश रहने में मदद करने की आवश्यकता है।
  
✨ *60 से अधिक उम्र के लोगों के साथ साझा करना अच्छा है*

सोमवार, 26 फ़रवरी 2024

फिटकरी- फेफड़े की तमाम दिक्कतों में रामबाण दवाई है यह ।

⚫⚫⚫

फिटकरी....
100 ग्राम फिटकरी तवे पर रखिये। पिघल जाए तो उसे ठंडा कर लीजिए। उसे तवे से उतार कर कूट कर डिब्बी में डालकर रख लें। 

यह आपकी रामबाण दवाई है।

◾जो फेंफड़े सीज हों, दमा हो या दिल कमजोर हो, बलगम हो उसे दी जा सकती है।

◾किसी के दांत में दर्द हो तो इससे कुल्ला करो।

◾किसी घाव पर लगाओ।

◾इसे बाल्टी में डालकर उस पानी से नहाओ।

◾सब्जियां धो लो आदि।

यह एकमात्र ऐसा सेनिटाइजर है जिसका सेवन किया जा सकता है।

एक चुटकी फिटकरी का भुना हुआ पाउडर लें। 1चम्मच शहद लें, पांच बूंद अदरक के रस की डालें और पीड़ित को चटा दें। 

एक dose सुबह एक dose शाम। कुल दो दिन में चार dose.
फेफड़े की तमाम दिक्कतों में रामबाण दवाई है यह ।

इस दवाई ने डेथ बेड से रोगी को उठाया जब उनके फेफड़े न्यूमोनिया और बलगम से सीज हो गए थे और डाक्टर ने जवाब दे दिया था । 

आप समझ गए न यह किस बीमारी की दवाई है। इसuलिए अपनी बीमारी का इलाज खुद कीजिए घरेलू चिकित्सा से...

शनिवार, 24 फ़रवरी 2024

कुछ लोग कह रहे हैं कि आज अगर रोटी खाई है तो किसानों का धन्यवाद कहिये, क्योंकि वह अन्नदाता है l

*अपनों से कुछ अपने मन की बात*


कुछ लोग कह रहे हैं कि आज अगर रोटी खाई है तो किसानों का धन्यवाद कहिये, क्योंकि वह अन्नदाता है l

 
अगर वह अन्न की पैदावार नहीं करता तो हमें अन्न खाने को नहीं मिलता ...बिल्कुल, धन्यवाद ।


लेकिन मेरा धन्यवाद साथ में टाटा, रिलायंस, इन्फोसिस, महिन्द्रा, टीवीएस जुपिटर, हाँडा एक्टिवा, बजाज, ओरियन्ट, ऊषा, क्राम्पटन, मारुति सुजुकी, हीरो, एवरेडी, ले लैन्ड, अमूल, मदर डेरी, पराग, एम डी एच मसाले, गोल्डी, बीकानेरी भुजिया, हल्दीराम, डॉक्टरों, सूचना तंत्र, बिजली कर्मियों और अन्य हजारों- लाखों उद्यमियों को भी कि जिन्होंने हमारे लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न किये जिससे हम किसानों से उनकी फसल खरीद पा रहे हैं और रोटी खा पा रहे हैं।
वरना, अभी तक मुझे तो कम से कम किसी ने मुफ़्त में गेँहू की बोरियाँ भिजवाई नहीं है।
नौकरी ना होती तो मुफ़्त में किसको धन्यवाद देता भाई?
हाँ, तुम अन्नदाता नहीं हो सिर्फ अन्न उत्पादक हो। अन्न दाता सिर्फ एक है, वो परमात्मा और तुम कभी परमात्मा की जगह नहीं ले सकते। अगर तुम खुद को अन्न दाता कहते हो तो हम भी कर दाता है, जिसके कारण तुम्हें मुफ्त में बिजली, पानी, कर्जमाफी व सब्सिडी की सुविधाएं मिल रही हैं।
भारतीय सरकार की मेहरबानी के कारण, ना तो भारतीय किसानों के ऊपर किसी प्रकार का कोई इनकम टैक्स या सेल्स टैक्स लगता है l उसके ऊपर से सरकार की तरफ से सरकारी पैसे के साथ किसानों को मुफ्त की सुविधाएं दी जाती हैं l
जैसे मुफ्त की बिजली, मुफ्त का पानी, कर्ज माफी और यहां तक की नगद में सहायता राशि भी सरकार द्वारा किसानों को प्रदान की जाती है l ऐसे में किसानों को सरकार से टकराव की बजाय सरकार का एहसानमंद होना चाहिए l
किसानों को किसी प्रकार से अपने आंदोलन की आड़ में देश के दूसरे नागरिकों को सड़के जाम करके और तोड़फोड़ करके परेशान करने का कोई हक नहीं है l
तुमको अन्नदाता का तगमा राजनेता लगा सकते हैं जिनको  तुष्टिकरण करके तुम्हारे वोटों का लालच हो , तो असलियत समझो और भगवान बनने की भूल मत करो ! अन्न उत्पादक का सम्मान भी तभी सम्भव होगा जब अन्न उत्पादक समाज के दूसरे वर्गों का सम्मान करें !
अगर किसान सिर्फ अन्न की पैदावार करके खुद को अन्नदाता कहलाता है या अन्नदाता समझता है तो हर इंसान किसी न किसी प्रकार का दाता है l जरा आप खुद पहचानिए की आप कौन से दाता हैं

आंखों के डॉक्टर -चक्षु दाता,
वस्त्र के निर्माता- वस्त्र दाता,
शिक्षक-शिक्षा दाता, वाहन निर्माता-वाहन दाता,
घर बनाने वाला मजदूर और होटल व्यवसाय व्यावसायी-आश्रय दाता,
न्यायालय में वकील और जज-न्याय दाता,
जल की पाइप पर का काम करने वाला -जल दाता,
सुनार-आभूषण दाता,
बिजली का काम करने वाले-विद्युत दाता,
लोगों तक समाचार पहुंचाने वाला मीडिया- सूचना दाता
आदि आदि
कोई दाता छूट गया हो तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं  l
मुझे क्षमा करके आप क्षमा दाता तो बन सकते हैं l
😜🤣😀🤔
दाता तो सिर्फ ईश्वर है,  जो बिना मांगे हमें बिना किसी मूल्य लिए इतना कुछ देता है इसलिए वह दाता कहलाता है l जिसमें पैसा लेकर वस्तु बेच दिया वह दाता कैसे हो सकता है l
बाकी नारी जो घर में सबको बिना किसी पैसा लिए खाना बनाकर खिलाती है सही मायने में अन्नदाता वही है l

किसी को पोस्ट अच्छी न लगे तो गेँहू-जीरी की बोरियाँ और सब्जियाँ मुफ्त वितरण करके अन्नदाता बनने का अनुभव महसूस करे  ।
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शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2024

अपने अस्तित्व, अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए संघर्ष करना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए…!! हमें जागना होगा

हमें जागना होगा


एक आदमी एक मुर्गा खरीद कर लाया। एक दिन वह मुर्गे को मारना चाहता था, इसलिए उस ने मुर्गे को मारने का बहाना सोचा और मुर्गे से कहा, “तुम कल से बाँग नहीं दोगे, नहीं तो मै तुम्हें मार डालूँगा।” मुर्गे ने कहा, “ठीक है, सर, जो भी आप चाहते हैं, वैसा ही होगा !” सुबह , जैसे ही मुर्गे के बाँग का समय हुआ, मालिक ने देखा कि मुर्गा बाँग नहीं दे रहा है, लेकिन हमेशा की तरह, अपने पंख फड़फड़ा रहा है।  मालिक ने अगला आदेश जारी किया कि कल से तुम अपने पंख भी नहीं फड़फड़ाओगे, नहीं तो मैं वध कर दूँगा। अगली सुबह, बाँग के समय, मुर्गे ने आज्ञा का पालन करते हुए अपने पंख नहीं फड़फड़ाए, लेकिन आदत से, मजबूर था, अपनी गर्दन को लंबा किया और उसे उठाया।

मालिक ने परेशान होकर अगला आदेश जारी कर दिया कि कल से गर्दन भी नहीं हिलनी चाहिए। अगले दिन मुर्गा चुपचाप मुर्गी बनकर सहमा रहा और कुछ नहीं किया। मालिक ने सोचा ये तो बात नहीं बनी, इस बार मालिक ने भी कुछ ऐसा सोचा जो वास्तव में मुर्गे के लिए नामुमकिन था।

मालिक ने कहा कि कल से तुम्हें अंडे देने होंगे नहीं तो मै तेरा वध कर दूँगा। अब मुर्गे को अपनी मौत साफ दिखाई देने लगी और वह बहुत रोया।  मालिक ने पूछा, “क्या बात है?” मौत के डर से रो रहे हो?…मुर्गे का जवाब बहुत सुंदर और सार्थक था। मुर्गा कहने लगा: “नहीं, मै इसलिए रो रहा हूँ कि, अंडे न देने पर मरने से बेहतर है बाँग देकर मरता…बाँग मेरी पहचान और अस्मिता थी ,मैंने सब कुछ त्याग दिया और तुम्हारी हर बात मानी , लेकिन जिसका इरादा ही मारने का हो तो उसके आगे समर्पण नहीं संघर्ष करने से ही जान बचाई जा सकती है, जो मैं नहीं कर सका…”

अपने अस्तित्व, अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए संघर्ष करना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए…!! हमें जागना होगा…….

हम यहां मुर्गे की बात नहीं कर रहे हैं…!! विचार अवश्य करियेगा….!! हमें जागना होगा…..

जय श्रीराम


रविवार, 18 फ़रवरी 2024

इस छोटे से गांव में बनती है कैन्सर की चमत्कारी दवाँ, रोज़ाना देश-विदेश से आते हैं हज़ारों रोगी, इस उपयोगी जानकारी को शेयर कर लोगों का भला करे

 इस छोटे से गांव में बनती है कैन्सर की चमत्कारी दवाँ, रोज़ाना देश-विदेश से आते हैं हज़ारों रोगी, इस उपयोगी जानकारी को शेयर कर लोगों का भला करे



आज हम आपको कैन्सर और अन्य बड़े से बड़े और असाध्य रोगों का इलाज करने वाले वैद्य के बारे में बताने जा रहे है। इससे पहले आपसे निवेदन है की इस जानकारी को शेयर कर जनहित में पहुँचाये ताकि लोगों का भला हो वो रोग मुक्त हो जाए, इस जानकारी को पीड़ितों तक पहुँचाने पर लोग आपको आशीर्वाद देंगे और भला हो यही कहेंगे, इस अमूल्य जानकारी को शेयर कर मानवता का फ़र्ज़ निभाए। हम बात कर रहे है कान्हावाडी गांव की।

कान्हावाडी गांव जिला बेतुल यहाँ पर केन्सर का कारगर इलाज होता है और भी बहुत सारी बीमारिया ठीक होती है

वैद्य बाबूलाल पूरा पता बेतुल जिला से 35 km घोडाडोंगरी और वहाँ से कान्हावाडी 3km दूर है। मिलने का समय रविवार और मंगलवार सुबह 8 बजे से पर वहा पे नंबर बहुत लगते है इसलिये अगले दिन रात को जाना पड़ता है।

वैसे तो बैतूल जिले की ख्याति वैसे तो सतपुड़ा के जंगलों की वजह से है, लेकिन यहां के जंगलों में कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी को खत्म कर देने वाली बहुमूल्य जड़ी-बूटियां मिलने से भी यह देश-विदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। दवा लेने के लिए यहां बड़ी संख्या में मरीज पहुंचते हैं। घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के ग्राम कान्हावाड़ी में रहने वाले भगत बाबूलाल पिछले कई सालों से जड़ी-बूटी एवं औषधियों के द्वारा कैंसर जैसी बीमारी से लोगों को छुटकारा दिलाने में लगे हुए हैं। इस नेक कार्य के बदले में लोगों से वे एक रुपए तक नहीं लेते हैं। कैंसर बीमारी से निजात के लिए देश भर से लोग यहां अपना इलाज कराने आते हैं। चूंकि मरीजों को उनकी दवा से फायदा पहुंचता है इसलिए उनके यहां प्रत्येक रविवार एवं मंगलवार को दिखाने वालों का ताता लगा रहता है।

पूरा पता :

NAME : Bhagat Babu Lal

VILLAGE  : Kanhavadi

DISTRICT : Betul (Kanhavadi 35 KM Away From Betul)

TEHSIL : Ghoradongri (Kanhavadi 3 KM Away From Ghoradongri)

STATE : Madhya Pradesh

आपको एक दिन पहले से लगाना पड़ता है नंबर क्यूँकि यहाँ प्रतिदिन हज़ारों लोग आते है :

कान्हावाड़ी में इलाज के लिए बाहर से आने वाले लोगों को एक दिन पहले नंबर लगाना पड़ता है। एक दिन में करीब 1000 से ऊपर मरीज यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं। खासकर महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए यहां एक दिन पहले ही रात में आ जाते हैं। सुबह से नंबर लगाकर अपनी बारी आने का इंतजार करना पड़ता है। कई बार भीड़ अधिक होने के कारण पांच से छह तक लग जाते हैं। बताया गया कि मुम्बई, लखनऊ, भोपाल, दिल्ली सहित देश भर से लोग जिन्हें पता लगता है वे यहां कैंसरे से छुटकारे की आस लेकर पहुंचते हैं। वैसे अभी तक यह सुनने में नहीं आया कि यहां से इलाज कराने के बाद मायूस लौटा हो। यहीं कारण है कि बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए यहां पहुंचते हैं।

आपको जड़ी-बूटी के इलाज के साथ परहेज भी करना होगा :

भगत बाबूलाल जो जड़ी-बूटी देते हैं उसका असर परहेज करने पर ही होता है। जड़ी-बूटियों से इलाज के दौरान मांस-मदिरा सहित अन्य प्रकार की सब्जियां प्रतिबंधित कर दी जाती है। जिसका कड़ाई से पालन करना होता है। तभी इन जड़ी-बूटी दवाईयों का असर होता है। वैसे जिन लोगों ने नियमों का परिपालन कर दवाओं का सेवन किया हैं उन्हें काफी हद तक इससे छुटकारा मिला है। बताया गया कि भगत बाबूलाल सुबह से शाम तक खड़े रहकर ही मरीजों को देखते हैं। इलाज के मामले में वे इतने सिद्धहस्त हो चुके हैं कि नाड़ी पकड़कर ही मर्ज और उसका इलाज बता देते हैं।

सुचना : ये पोस्ट जनहित में जारी की गई है, कृपया लोगों तक पहचाएँ भला होगा।

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