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शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

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bhagat ke vash me hain bhagwan

बुधवार, 8 अगस्त 2012

आखिर कब हमारी आंखे खुलेगी ??

मेरे भारतीय मित्रो नमस्कार
आज फिर कुछ जलते हुए सवालो के साथ इस लेख को पोस्ट कर रहा हु ,,,,शायद ये मेरा आखिरी देश की राजनीति से संबंधी आखिरी लेख हो क्यूकी एसके बाद मैं सिर्फ सामाजिक समस्यायों पर ही लेख लिखुंगा
मेरा भारत देश जो 100 करोड़ की आबादी को पार कर चुका है और आज चीन के बाद विश्व की सबसे बड़ी उभरती हुए दूसरी अर्थ्ब्यवठा है आज मुसकीलों के बुरे दौर से गुजर रहा है। जनशंखया वृद्धि ,भ्रस्त्रचार नसलवाद,आतंकवाद और न जाने क्या-क्या ,,
अफसोस की बात है की हम इन समस्यायों के सामने असहाय हो गए है जिसका मुख्य कारण हमारे देश के नीति-नियताओ का चारित्रिक-पतन,,,
 अपने स्वार्थ और अहंकार मे डूबे ये नेता आज हमे धर्म -जाती के नाम पर हमारी भावनाओ को भड़का कर अपना उल्लू सीधा कर रहे है,,बाकी बची-खुची कसर धर्म के नाम पर दुकान चलाने वाले धर्म के ठेकेदारो ने अपने राजनैतिक और आर्थिक स्वार्थ के चलते पूरी कर दी है
आखिर कब हमारी आंखे खुलेगी ??
हम कब समझेंगे की भगवान/अल्लाह ने कोई धर्म या जाती नही बनाई है ??
किसी धर्म मे नफरत का पाठ नही पदया गया है ??
क्या नफरत से नफरत मिटाई जा सक्ति है ??
चाहे दंगे हो या बॉम्ब ब्लास्ट कोई धर्म नही मरता ,,मरती है सिर्फ इंसानियत
पड़ोसी के घर आग लगी है और आप सोये है ,,,मत भूलिए थोड़ी देर मे ये आग आप के घर भी पाहुचेगी
मैंने जब भी कट्टर पंथियो से पूछा उनका एक ही जवाब है ,,हम ईट का जवाब पत्थर से देंगे ,,,जरूर दीजिये लेकिन तब ये क्यू भूल जाते है की हम अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान को किस मुह से गाली  देते है की वो एक कट्टर धार्मिक देश है ,,,बना डिगिए अपने देश को पाकिस्तान ,,फिर बैठ कर हैवानियत का तमाशा दिखिएगा
मत भूलिएगा की एक उगली किसी की तरफ उठाएंगे ,,तो बाकी चार उंगी अपनी ओर इशारा करती है
लगे हाथ आज राजनीति पर भी चर्चा कर ले॥ आज के पढे-लिखे लोग इसे कीचड़ का नाम देते है ,,,भूल जाते है की ये कीचड़ हमारे द्वारा ही पैदा किया गया है ,,,रोज़ कीचड़ मे पत्थर मर सकते है लेकिन इसे साफ नही कर सकते है क्यू??
क्यूकी इसकी गंदगी के छीटे हमारे दामन पर न पड़े ,,हम साफ रहे
क्यूकी लोग हम पर हसेंगे ,,ताने देंगे ,,बोलेंगे तुम्हें क्या पड़ी है साफ करने की ?
मत करिए इस कीचड़ को साफ ,,,आप की आने वाली पीढ़िया इसी गंदगी मे जन्म लेंगी और जिएंगी ,,आप को अच्छा लगेगा न ??
आइए अपनी आत्मा को वचन डिगिए की   हम इसे साफ करेंगे
आइए अपनी आत्मा को वचन डिगिए की   हम इंसान बनेगे
आइए अपनी आत्मा को वचन डिगिए की   की हम वोते देते समय अपनी धर्म-जाती,स्वार्थ,पार्टी को  भूल कर उस आदमी को वोते देंगे जिसने हमारे लिए नही,,अपने लिए नही ,,किशि धर्म के लिए नही ,,किसी जाती के लिए नही बल्कि इस देश और समाज के लिए कुछ किया है ,,बैगर किसी स्वार्थ के ,,बैगर किसी शोहरत के

क्या आप वचन देते है ???

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